न तो बीफ खाना गलत है, न चुंबन लेना गुनाह. यकीन नहीं होता कि यह सचबयानी देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की है जिन्होंने ये कर्णप्रिय उद्गार मुंबई के आर ए पोद्दार कालेज औफ कौमर्स ऐंड इकोनौमिक्स के प्लैटिनम जुबली समारोह में व्यक्त किए. चूंकि ये दोनों ही बातें हिंदुत्व के सिद्धांतों व संस्कारों से मेल खाती नहीं हैं, शायद इसलिए बीफ और किसप्रेमियों को अभयदान देने के लिए उन्होंने शर्त यह जड़ दी कि ये दोनों काम फैस्टिवल मना कर यानी समारोहपूर्वक न किए जाएं.

गुड़ खाएं गुलगुलों से परहेज करें, के साथसाथ यह कहावत भी सहसा याद हो आई कि ऊंट की चोरी नोहरेनोहरे (घुटनों के बल) नहीं होती. वेंकैया नायडू बेहतर जानते हैं कि देश में हर काम समारोहपूर्वक करना धर्म और तीजत्योहारों की देन है. पूजापाठ व यज्ञहवन वगैरा लोग सामूहिक रूप से करते हैं तो इन दो इच्छाओं को चोरी से पूरी करने का मशवरा क्यों?

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