• 2012 में जब मोदी तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे, तब भी सीएम नीतीश कुमार ने बधाई नहीं दी थी.
  • नरेंद्र मोदी को 2013 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, तो जदयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया.

28 अक्टूबर को पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले बीजेपी की ओर से एक विज्ञापन सामने आया है. इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो नजर आ रहे है लेकिन नीतीश कुमार गायब हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में गूंजती सत्ता विरोधी लहर की वजह से बीजेपी नीतीश कुमार से परहेज कर रही है. क्या यही वजह है कि पार्टी नीतीश कुमार की तस्वीर का इस्तेमाल अपने पोस्टर-बैनर में नहीं कर रही है? हालांकि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी बिहार में चुनाव प्रचार की शुरुआत करने पहुंचे थे. जहां प्रधानमंत्री ने तीन रैली की और तीनों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद थे. साथ ही मंच पर दोनों में खूब गर्मजोशी भी दिखी और एक-दूसरे के लिए सम्मान भी.

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राजनीतिक इतिहास में ये पहला मौका है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए नरेंद्र मोदी प्रचार कर रहे हैं. बता दें कि यही नीतीश कुमार कभी नरेंद्र मोदी से प्रचार करवाने के सवाल पर कहा करते थे कि हमारे पास एक मोदी है तो हमें दूसरे मोदी की क्या जरूरत है?

चलिए हम आपको आज से ठीक 5 साल पीछे लेकर चलते हैं. जब मोदी-नीतीश एक दूसरे पर हमलावर हुआ करते थे. 25 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में परिवर्तन रैली की शुरुआत की थी. पहली ही रैली में उन्होंने नीतीश के पॉलिटिकल DNA पर कई सवाल उठाए थे. तब नीतीश कुमार ने इसे ही अपना चुनावी मुद्दा बनाया था और जीत भी दर्ज की थी.

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