छत्तीसगढ़ के निवासी राज्यसभा सदस्य 91 वर्षीय मोतीलाल वोरा को राहुल गांधी के अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफे के पश्चात अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है. इस राजनीतिक घटनाक्रम के पश्चात जहां उनके गृह राज्य छत्तीसगढ़ में मिठाइयां बटी. वहीं गृह जिला दुर्ग में समर्थकों ने मिठाई बांटी और फटाखे फोड़ कर खुशी जाहिर की . नि:संदेह छत्तीसगढ़ का सम्मान मोतीलाल वोरा ने बढ़ा दिया साथ ही यह संदेश भी की राजनीति जैसे उठापटक के क्षेत्र में निष्ठा, समर्पण भी कोई चीज होती है और कभी-कभी यह आत्मासमर्पण आपको शिखर तक पहुंचा सकता है और यही हुआ भी.

मोतीलाल वोरा कांग्रेस के लंबे समय से कोषाध्यक्ष रहे हैं. सोनिया गांधी के प्रति उनकी निष्ठा असंदिग्ध है. यही कारण है कि नेशनल हेराल्ड मामले में भी वोरा सोनिया गांधी के साथ आरोपी हैं.

17 वी लोकसभा में कांग्रेस जिस तरह बुरी तरह चारों खाने चित्त हो गई उससे कांग्रेस भीतर तक हिल गई है.अध्यक्ष के नाते स्वंयम राहुल गांधी ने यह कल्पना नहीं की थी कि आक्रमक तेवर, राफेल मुद्दा, चौकीदार चोर है के प्रभावी नारों के पश्चात, गांव से लेकर शहर तक नरेंद्र मोदी के प्रति नाराजगी के बावजूद 'कांग्रेस' लुढ़क जाएगी. और नरेंद्र मोदी पुनः भारी बहुमत से संसद पहुंच जाएंगे,यही कारण है कि राहुल गांधी 25 मई 2019 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उखड़ गए और कहा मैं इस्तीफा देता हूं .

चार सप्ताह, हो गए पांच !

राहुल गांधी ने 25 मई को इस्तीफा की घोषणा कर कहा था की आप अपना नया 'अध्यक्ष' चुन लीजिए. मजे की बात यह की फिर एक माह यानी चार सप्ताह का समय एक तरह से अल्टीमेटम अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को उन्होंने दिया और कहा इस वफ्के के भीतर, आप  अपना नया अध्यक्ष ढूंढ ले. मगर कांग्रेस सोती रही . कांग्रेस यह मानने को तैयार ही नहीं कि राहुल गांधी त्यागपत्र दे चुके हैं या दे देंगे या फिर हम आगे की सुधि लें .

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