गोरखपुर में औक्सिजन की कमी से 2 दिन के अंदर 50 से भी ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में सरकार खुद का बचाव कर रही है. दिल्ली में उपहार सिनेमा कांड में घटना के तत्काल बाद सिनेमाघर के मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया था. कोलकाता के निजी अस्पताल में आग लगने की वजह से हुई मौतों के मामले में अस्पताल के मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था और उन्हें महीनों जेल में रखा गया. बड़ी घटनाओं को छोड़ दें, तो छोटी छोटी घटनाओं में रोज ही निजी अस्पतालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहते हैं.

गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई मौतों के बाद वहां औक्सिजन सप्लाई करने करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स की भूमिका की जांच कर सरकार उस के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात कह रही है.

जिस तरह से किसी भी हादसे के मामले में निजी अस्पताल के संचालक पर मुकदमा दर्ज होता है, उसी तरह से सरकारी अस्पताल में होने वाली मौतों पर सरकार के मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री पर भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए और उन्हें गिरफ्तार करा जाना चाहिए. तभी सरकारी अस्पतालों में होने वाली ऐसी मौतों का सिलसिला रुक सकेगा.

गोरखपुर की घटना के कुछ दिन पहले ही लखनऊ के मैडिकल कालेज में आग लग गई थी. वहां भी सरकार के मुखिया ने जिम्मेदारी नहीं ली.

गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घटना से पहले कई बार दौरा कर चुके थे.

9 अगस्त में भी वे अस्पताल आए थे और इंसेफेलाइटिस वार्ड में भी गए थे. इस के बाद भी उन को अंदाजा नहीं लग सका कि हालात किस हद तक खराब हैं.

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