राष्ट्रीय जनता दल की ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली में 6 घंटे तक 14 दलों के नेताओं ने नरेंद्र मोदी, भाजपा और नीतीश पर जम कर निशाना साधा. रैली से लालू यादव को कितना राजनीतिक फायदा मिलेगा, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन रैली के बहाने लालू यादव ने अपनी ताकत दिखाने के साथ-साथ बड़ी ही चतुराई से भाजपा विरोध की राजनीतिक विरासत को अपने बेटों तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के कंधे पर डाल दिया. रैली में आए लोग तेजस्वी और तेजप्रताप के भाषण पर जम कर हुंकार भरते नजर आए और भाजपा और नीतीश को सबक सीखाने के लिए आतुर दिखे. तेजस्वी रैली के ‘हीरो’ बन कर उभरे. रैली के जरिए लालू ने मंडल और कमंडल के अपने आजमाए जिन्न को एक बार फिर बोतल से निकालने की पुरजोर कोशिश की है. रैली की कामयाबी के बीच लालू का पूरा कुनबा सत्ता गंवाने और नीतीश-भाजपा के गठजोड़ के दर्द से कराहता भी रहा.

लालू ने कहा कि नीतीश कुमार का कोई उसूल ही नहीं है. वह पलटी मारने में माहिर हैं. भाजपा ने नीतीश को अपने सूंड में लपेट लिया है और अब नीतीश के दिन लद गए है. अब वह भरोसे के काबिल नहीं रहे. यह नीतीश की आखिरी पलटी है. तेजस्वी यादव के उभार से नीतीश को जलन हो रही थी इसलिए भाजपा से मिल गए. परिवार को झूठे मुकदमे में फंसा दिया, पर लालू कभी किसी से डरा नहीं है. 2020 के विधान सभा चुनाव में भाजपा और नीतीश को जनता सबक सीखाएगी.

अपने बच्चों पर अपनी सियासी विरासत खास कर भाजपा विरोध की राजनीति को सौंपने के अंदाज में उन्होंने कहा कि अब उनकी उमर हो गई है, अब बच्चों का समय आ गया है. सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स और अदालतों के जाल में फंसे होने के बाद भी लालू ने रैली के जरिए अपनी ताकत दिखा दी. उनके बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप ने बड़े ही ठसक के साथ अपने पिता की राजनीतिक विरासत को उठाने के लिए हुंकार भरा. तेजप्रताप ने शंख फूंकने के बाद कहा कि अब उनका मकसद भाजपा को फूंकना है. उन्होंने मंच से कसम खाई कि जब तक भाजपा का खातमा नहीं कर देंगे, तब तक न सोएंगे और न ही सोने देंगे.

तेजस्वी ने लालू के 27 साल पुराने भाषण को दोहराते हुए कहा कि भाजपा हिंदू और मुसलमानों को लड़ाना चाहती है. सबसे बड़ी चीज इंसानियत होती है. जब इंसान ही नहीं रहेगा तो मंदिर की घंटियां कौन बजाएगा? इंसान ही नहीं रहेगा तो मस्जिद में इबादत कौन करेगा? ठीक यही बात लालू ने 21 अक्टूबर 1990 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित सांप्रदायिकता विरोधी रैली में कही थी. सुबह 9 बजे से ही तेजस्वी के अब तक के भाषणों का औडियो-वीडियो टेप चलता रहा.

तेजस्वी ने नीतीश चाचा को जेल भिजवाने की ताल ठोंकते हुए कहा कि ठग और महाठग एक साथ मिल गए हैं और जनता को उल्लू बना रहे हैं. 2 हजार करोड़ के सृजन घोटाला के मसले पर नीतीश चाचा चुप्पी साधे हुए हैं.

लालू की रैली का असर बिहार समेत देश की राजनीति पर पड़ा है. गैरभाजपाई दलों को एकजुट होने का मंच और मौका दोनों ही लालू ने मुहैया करा दिया. अब लालू ने गेंद को मुलायम सिंह यादव, मायावती, शिबू सोरेन, अरविंद केजरीवल, वामदलों के पाले में डाल दिया है. अब इन नेताओं को सोचना-समझना है कि भाजपा विरोध की लड़ाई वह लालू के साथ मिलकर लड़ें, या फिर अपनी डफली अपना राग वाली नीति पर चलते रहें. अगर रैली के मंच पर मौजूद सभी दलों के नेताओं का मन मिलता है तो भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है.

बिहार में सत्ता गंवाने के बाद हताश राजद को रैली ने नया उत्साह और हौसला दिया है. अगर गैर भाजपाई गठबंधन आकार लेता है तो उसमें राजद की अहम और बड़ी भूमिका होगी, क्योंकि सीट के हिसाब से वही सबसे  ताकतवर दल है. राजद कार्यकर्ताओं में जोश भरा है. इसके साथ ही राजद को नुकसान भी हो सकता है, बिहार और केंद्र सरकार का रवैया लालू और उनके परिवार के प्रति और सख्त हो सकता है. रैली में जुटी भीड़ और दलों को साल 2019 तक संभल कर रखना सबसे बड़ी मुश्किल है. रैली का सबसे बड़ा खतरा यह भी रहा कि वह लालू के परिवारवाद की छाया से बाहर नहीं निकल सकी. रैली पर परिवार ही हावी रहा. लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी, तेजप्रताप, मीसा भारती, समेत लालू के 3 दामाद रैली में मंच पर मौजूद रहे. कई बड़े नेताओं को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया.

जदयू के बागी नेता मंच पर लालू से गलबहियां करते दिखे. शरद ने मोदी और नीतीश पर हमला करते हुए दावा किया कि असली जदयू उनके साथ है और नकली जदयू उनपर काररवाई करने की धमकी दे रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा को नोटबंदी उसी तरह ले डूबेगी, जैसे नसबंदी ने कांग्रेस को मिट्टी में मिलाया था.

राजद की रैली को सुपरफ्लौप करार देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि रैली का मकसद लालू परिवार के भ्रष्टाचार पर परदा डालना था. राजनीति की खिसक रही जमीन को बचाने की नाकाम कोशिश की गई, जिसे जनता ने नकार दिया. रैली में भाड़े के लोग जुटाए गए और उन्हें बांध कर रखने के लिए गंदे गाने और डांस के साथ खाने का भरपूर इंतजाम किया गया था.

नीतीश की बीमारी बड़ी खतरनाक

लालू यादव ने मजाकिया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार जब बीमार पड़े तो समझ लीजिए कोई खतरनाक साजिश में लगे हुए हैं. जब उनके घर छापा पड़ रहा था तो वह राजगीर में बीमारी का बहाना बना कर आराम फरमा रहे थे. उनसे बात नहीं हो पा रही थी, उनके लोगों ने कहा कि सेहतमंद होने के लिए पहाड़ का पानी पीने के लिए राजगीर गए हैं. जब भी कोई गंभीर बात होती है तो वह बीमारी का ड्रामा करके राजगीर में आराम फरमाने चले जाते हैं.

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