पी .के . अर्थात प्रशांत किशोर जिन्हें आज भारतीय राजनीति की शतरंज का बाजीगर या चाणक्य कह सकते हैं- विक्रम और बेताल किस्से की तरह  आज देश की बहुचर्चित महिला नेत्री मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल की पीठ पर बैठकर राजनीतिक सत्ता के प्रश्नों में ममता बनर्जी को कुछ इस तरह उलझाने कहें सुलझाने में लगे हैं कि देश में एक उथल-पुथल का दौर चल पड़ा है.

प्रशांत किशोर के सानिध्य में ममता बनर्जी अब देश की सबसे बड़ी राजनीतिक हस्ती बतौर विपक्ष का केंद्र बनना चाहती हैं. प्रशांत किशोर का सीधा साधा गणित  है कि 2014 के बाद जिस तरह अधिकांश चुनाव में कांग्रेस खेत रही है ऐसे में कांग्रेस का विकल्प आज के समय में तृणमूल कांग्रेस ही है. जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने शतरंज की बाजी बतौर राजनीतिक खेल खेला था उसमें ममता बनर्जी का जीतकर के सामने आना अद्भुत चमत्कारी कहानी जैसा है.

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हर कोई यही मान रहा था कि नरेंद्र मोदी के चक्रव्यूह में फंसकर के ममता बनर्जी राजनीति से हाशिए में जाना तय है. भाजपा हर हालात में पश्चिम बंगाल पर अपना  झंडा फहराएगी. ममता बनर्जी के तेवर  कुछ देश के मिजाज के कारण भाजपा तिनके की तरह उखड़ कर उड़ गई.

आज के हालात में आगामी 2024 के संसदीय चुनाव के मद्देनजर ममता बनर्जी कि यह राजनीतिक महत्वाकांक्षा जागृत हो चुकी है की कांग्रेस का विकल्प सिर्फ तृणमूल कांग्रेस है. और भाजपा को सीधी चुनौती सिर्फ और सिर्फ ममता बनर्जी इस देश में दे सकती हैं.

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