कि भारत में भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र दामोदरदास मोदी की "सत्ता- सरकार" का जहाज जब डूबने डूबने को हो रहा था तो मोदी अपने सिद्धांतों और कही हुई बातों से मुकर गए और मोदी नाम का जहाज़ डूब गया.
नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने जब 2014 में देश के प्रधानमंत्री की शपथ ली थी तो उन्होंने अपने मुंह से और आचरण से जो जो बातें कहीं, क्या वह आपको याद है. हमारे देश की यही फितरत है- "आगे पाठ पीछे सपाट" यही कारण है कि मोदी ने जो जो आशा आकांक्षाएं देश की जन जन के बीच जागृत की थी और लोग उनके मुरीद होते चले गए थे. आज लगभग 7 साल बीत जाने के बाद मोदी को एहसास हो चला है कि उनका बनाया हुआ "मायाजाल" अब बिखर रहा है. देश की आवाम इस जादुई "भ्रम जाल" से बाहर निकल रहा हैं, ऐसे में मोदी के आचरण में वही घबराहट दिख रही है जो नाव या जहाज डूबने के समय नाविक और कैप्टन के चेहरे पर नजर आती है.
ये भी पढ़ें- जितिन प्रसाद: माहिर या मौकापरस्त
नरेंद्र दामोदरदास मोदी को यह एहसास हो चला है कि आने वाले समय में लोकतंत्र की दुहाई देकर, देश प्रेम की अग्नि जलाकर, देश को विकास के एक नए मॉडल के सपने दिखाकर उन्होंने जो सत्ता हासिल की है वह अब उनकी हाथों से निकल रही है. यही कारण है कि उन्होंने बीते दिनों जो केंद्रीय मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया वह स्वयं उनके लिए आइना बन गया है, जो बता रहा है कि आपने जो जो कहा था, उससे आप मुकर गए हैं. सत्ता के लिए आप भी वही सब कुछ कर रहे हैं जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया था.