आज औसत भारतीय की जिंदगी में समस्याओं की बाढ़ ही है. आएदिन नित नई समस्याएं आती हैं और परेशान भारतीयों को और ज्यादा हैरान कर के चली जाती हैं. पर, कुछ समस्याएं तो हमारी जिंदगी में घर कर के बैठ जाती हैं. आज महंगाई एक ऐसी ही समस्या है, जो लगातार विकट रूप लेती जा रही है.

महंगाई कई बुरे नतीजों को जन्म देती है. जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से आम जनता को जिंदगी गुजारना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है. मध्यम तबके की समस्याएं भयानक रूप ले लेती हैं. छाती फाड़ कर काम करने पर भी गरीबों को पेटभर भोजन नहीं मिलता है. आम परिवारों के बच्चों को पोषक आहार न मिलने से उन का उचित विकास नहीं हो पाता है.

गरीब परिवार के लड़केलड़कियों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ती है. लड़कियों के हाथ समय पर पीले नहीं हो पाते हैं. मध्यम तबके के लोग कर्ज के बोझ से दब जाते हैं. चोरी, रिश्वतखोरी, डकैती, तस्करी, गुंडागीरी जैसी सामाजिक बुराइयों के पीछे महंगाई का ही हाथ होता है. मगर, सरकार चैन की नींद सो रही है.

सवाल हर जगह से उठाए जा रहे हैं, क्योंकि यह लोकतंत्र है, मगर हाय रे... एक तो करेला, दूसरे नीम चढ़ा. हमारी सरकार और नादान कैबिनेट के पास चीजें महंगी होने की बेवकूफाना वजहें मौजूद हैं, मगर उन्हें रोकने का एक भी उपाय नहीं है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का वह बयान ही ले लीजिए, जो एक समय में देशविदेश में खूब वायरल हुआ था. तब संसद में प्याजलहसुन की कीमत आसमान छूने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा था, "मैं क्या करूं, अगर लहसुन 500 रुपए किलो है. हमारे घर में तो सदियों से लहसुन कोई नहीं खाता."

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