इस अहम की लड़ाई में सिद्धू मोहरा बन गए. यह जंग दिल्ली दरबार तक भी पहुंची और 15 जुलाई को इस्तीफे की शक्ल में बाहर आई. नवजोत सिंह सिद्धू ने 15 जुलाई, 2019 को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया था और उन्होंने पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को यह इस्तीफा भेज दिया.

कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद 14 जुलाई को उस समय गहरा गया था, जब सिद्धू ने नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा स्रोत मंत्रालय लेने से मना कर दिया था. सिद्धू ने इस्तीफे में लिखा है, 'मैं पंजाब मंत्रिमंडल के मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं.'

ट्विटर पर अपना इस्तीफा पोस्ट करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया कि मेरा इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास 10 जून, 2019 को पहुंच गया था. पर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा यह बताने के बाद कि सिद्धू का इस्तीफा नहीं मिला है तो सिद्धू ने ट्वीट किया कि पंजाब के मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेजूंगा.

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6 जून को मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय सरकार, पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों का विभाग ले कर उन्हें नए और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय दे दिया था, पर उन्होंने कामकाज संभालने से मना कर दिया था.

हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच विवाद में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दखल दिया तो उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं किया था.

नवजोत सिंह सिद्धू फिर से कैबिनेट में स्थानीय निकाय विभाग मांग रहे थे, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी भी कीमत पर उन्हें यह विभाग देने को तैयार नहीं हुए. 40 दिनों के बाद भी सिद्धू ने ऊर्जा विभाग का कामकाज नहीं संभाला. 14 जुलाई को उन्होंने खुलासा किया कि वह मंत्री पद से अपना इस्तीफा 10 जून को राहुल गांधी को सौंप चुके हैं. सवाल उठने पर नवजोत सिंह सिद्धू ने 15 जुलाई को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

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