हरियाणा में एमबीबीएस की फीस पहले हर साल 53 हजार हुआ करती थी, जिस को 2020 में बढ़ा कर हर साल 10 लाख रुपये कर दी। 40-50 लाख रुपये में वो युवा डॉक्टर बन सकते है जिन्होंने नीट टॉप किया व सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला हो.

जब यूक्रेन संकट शुरु हुआ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सवाल किया था कि इतने युवा बाहर पढ़ने क्यों जाते है ?इस का सीधा सा सवाल खट्टर सरकार द्वारा बढ़ाई एमबीबीएस की फीस में है. जब 25 लाख में कुल खर्चे मिला कर बाहर से एमबीबीएस हो रही है तो यहां ज्यादा फीस भरने को कौन खुश होगा ?
अब हरियाणा सरकार स्कूली शिक्षा के लिए नई नीति लाई है जिस का नाम "चिराग योजना" रखा है.सरकारी स्कूल में बच्चा प्रवेश लेगा तो 500 रुपये वसूल करेगी व प्राइवेट स्कूल में दाखिला लेगा तो 1100 रुपये तक फीस सरकार भरेगी। बाकी की फीस अभिभावक को भरनी होगी.
यह सरकारी स्कूलों को खत्म करने की साज़िश है।जब सरकारी स्कूल बर्बाद हो जाएंगे उस के बाद निजी स्कूलों का असल खेल शुरू होगा.

जब तक जनता को दुष्चक्र समझ मे आएगा तब तक ये सरकारी स्कूल बेच चुके होंगे. जिस तरह उच्च शिक्षा के लिए अभी बच्चे विदेश जा रहे है, बाद में स्कूली शिक्षा के लिए भी भेजना पड़ेगा.
सक्षम लोग तो यहां की महंगी फीस भर लेंगे, जो थोड़े कम सक्षम होंगे वो अन्यत्र विकल्प ढूंढ लेंगे, लेकिन बहुसंख्यक गरीब आबादी के बच्चों का क्या होगा ? सोचकर ही भविष्य के भारत मे व्याप्त होने जा रहे अंधेरे से डर लगने लगता है.

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