यह आरोप लगाकर कर भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक सांस्कृतिक तिहार हरेली को राजकीय तौर पर मनाने का ऐलान बहुत पहले कर दिया था. आज छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में विधायक,मंत्री, वीवीआईपी के आतिथ्य में "हरेली" त्यौहार मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की संस्कृति के नाम पर यह त्यौहार शासकीय मंच और पैसों से मनाया जाना कितना उचित है यह आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं. मगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज स्वयं आज बिलासपुर जिला के तखतपुर विकासखंड के ग्राम नेवरा पहुंचे और यहां हरेली त्यौहार में शिरकत कर रहे हैं .उन्होंने 26 गोठान का उद्घाटन करके हरेली त्यौहार का आगाज किया . भूपेश सरकार ने आज हरेली त्यौहार पर शासकीय छुट्टी घोषित कर दी है. वही भूपेश बघेल के प्रखर विरोधी अजीत जोगी के सुपुत्र अमित जोगी ने आज हरेली पर्व पर सभी जिला मुख्यालयों में भूपेश बघेल के खिलाफ आंदोलन प्रदर्शन प्रारंभ किया हुआ है.

कैसे मनाया जाता है हरेली त्यौहार

किसानों का यह त्यौहार औज़ार पूजा से शुरू होता है. किसान आज कोई काम पर नहीं करते, घर पर ही खेत के औजार व उपकरण जैसे नांगर, गैंती, कुदाली, रापा इत्यादि की साफ-सफाई कर पूजा करते हैं. यहीं नहीं बैलों व गायों की भी आज के शुभ दिन पर पूजा की जाती है. त्यौहार में सुबह घरों के प्रवेश द्वार पर नीम की पत्तियाँ व चौखट में कील लगाई जाती है.ऐसा माना जाता है कि द्वार पर नीम की पत्तियाँ व कील लगाने से घर में रहने वाले लोगो की
तंत्र मंत्र भूत प्रेत से रक्षा होती हैं . ग्रामीण अपने कुल देवताओं का भी विशेष पूजन करते है. छत्तीसगढ़ी समाज के विशेष पकवान जैसे गुड़ और चावल का चिला बनाकर मंदिरों में चढ़ाया जाता है. दरअसल प्रकृति और
पर्यावरण को समर्पित यह त्यौहार छत्तीसगढ़ी लोगों का प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण दर्शाता है. सावन मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला यह त्यौहार पूर्णतः हरियाली का पर्व है.
छत्तीसगढ़ी संस्कृति का पर्व 'हरेली अमावस्या' की धूम इस बार राजधानी समेत प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों मे है .राज्य सरकार के निर्देश पर पहली बार संस्कृति विभाग द्वारा पर्व को धूमधाम से सेलिब्रेट किया जा रहा है. सुबह से लेकर रात तक छत्तीसगढ़ी लोक नृत्यों के साथ छत्तीसगढ़ व्यंजनों का भी बंदोबस्त किया गया है. सुबह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हरेली जोहार यात्रा निकाली .
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने रायपुर निवास से बैलगाड़ी पर सवार होकर गांधी उद्यान होते हुए संस्कृति विभाग के मुक्ताकाशी मंच पर पहुंचकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया . यहां 'छत्तीसगढ़ महतारी' की जीवंत झांकी बनाई गई है . 500 लोक नर्तक कलाकारों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में वाद्ययंत्रों एवं साज-सज्जा के साथ छत्तीसगढ़ी व्यंजन, गेड़ी नृत्य, करमा नृत्य, सुआ नृत्य, राउत नाचा नृत्य, पंथी नृत्य, गौरा-गौरी, अखाड़ा, गतका दल की आकर्षक प्रस्तुति दी गई.

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