देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिस दिन (17 सितंबर) जन्मदिन था, भाजपा के कार्यकर्ता सरकार की उपलब्धियां गिनागिना कर जहां एकदूसरे को मिठाइयां बांट रहे थे, वहीं देश की कई जगहों पर किसानों को मारापीटा जा रहा था.

हरियाणा में किसान सरकार के खिलाफ मोरचा खोले बैठे थे. विरोध का आलम यह था कि इस प्रदर्शन से घबरा कर पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा था, जिस में कई किसानों को गंभीर चोटें आई थीं. पुलिस ने बुजुर्गों तक को नहीं छोड़ा था.

दरअसल, यह विरोध प्रदर्शन हरियाणा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसान कृषि क्षेत्रों में सुधार के लिए मोदी सरकार के 3 विधेयकों के खिलाफ कर रहे थे, जिस में उन की मांग थी कि इन कानूनों को तत्काल वापस लिया जाए.

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इस विधेयक के विरोध में हरियाणा में किसानों ने जम कर विरोध किया. यहां के प्रदर्शन कर रहे किसानों का मानना था कि जो अध्यादेश किसानों को अपनी उपज खुले बाजार में बेचने की इजाजत देता है, वह तकरीबन 20-22 लाख किसानों खासकर जाटों के लिए तो एक झटका ही है.

मगर किसानों की आवाज को सरकार दबाना चाहती थी, ताकि इस का असर दूसरे राज्यों में न फैले. इस वजह से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठियां भांजनी शुरू कर दीं. इस में किसी को गहरी चोटें आईं तो किसी के पैर की हड्डी टूट गई.

हरियाणा के एक किसान अरविंद राणा कहते हैं, "देश का पेट भरण आले किसान, देश की रक्षा करण आले किसान के बेटे, देश के भीतर कानून व्यवस्था बणाण आले सारे किसानों के बेटे, सारे व्यापारी, नेताअभिनेता और सारे अमीर आदमियां की सिक्योरिटी करण आले किसानों के बेटे, वोट दे कर सरकार बणाण आले किसान, देश की नींव किसान... और फिर भी अन्नदाता क लठ मारन का आदेश देते शर्म नहीं आई?"

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