राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी चौसर बिछ चुकी है. 2013 में 200 में से 163 सीटें जीत कर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी उस रिवाज को तोड़ने के लिए जद्दोजेहद कर रही है जो पिछले 20 सालों से राजस्थान में जारी है.

पार्टी एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस के बीच सत्ता की अदलाबदली के सिलसिले को तोड़ने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रही है.

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ के जरीए प्रदेश को नाप रही हैं, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी जगहजगह आयोजन कर पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए मंत्र दे रहे हैं.

इन सियासी दांवपेंचों के बीच वसुंधरा सरकार प्रचारप्रसार में भी जम कर पैसा बहा रही है. प्रिंट, इलैक्ट्रौनिक और सोशल मीडिया तो सरकारी इश्तिहारों से अटा हुआ है ही, राज्य के शहर, कसबे और गांव भी होर्डिंगबैनरों से भी अटे पड़े हैं.

इश्तिहारों की इस बाढ़ के बीच 30 अगस्त, 2018 को प्रदेश के अखबारों में एक पूरे पन्ने का इश्तिहार छपा था. इस में सरकार ने शिक्षा विभाग के कामकाज का लेखाजोखा पेश किया था.

दावा किया गया कि सरकार के बड़े कदमों की वजह से राजस्थान देश में 26वें नंबर से दूसरे पायदान पर पहुंच गया है. इस की पुष्टि करने के लिए इश्तिहार में 13 अलगअलग आंकड़ों का जिक्र है.

इश्तिहार में भरतपुर जिले के नंगला धरसोनी स्कूल के छात्र नितिन का फोटो और उस का बयान छपा है.

इस में लिखा है, ‘हमारे स्कूल में पंखे, फर्नीचर हैं, पीने का साफ पानी है और खेल का मैदान है. शिक्षक रोज आते हैं और अच्छा पढ़ाते हैं. स्कूल में खाना भी मिलता है और अब तो दूध भी मिलने लगा है. अब हमारे स्कूल में पहले से ज्यादा बच्चे पढ़ने लगे हैं. मेरा भी अब रोज स्कूल जाने का मन करता है. मुख्यमंत्री मैडम हमारे लिए अच्छा काम कर रही हैं. उन को धन्यवाद.’

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