अमेरिका में बहस चलने लगी है कि नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तानाशाह और निष्ठुर बनने के कितने आसार हैं और अगर जनता ने अभी चेत कर कुछ नहीं किया तो क्या हो सकता है. अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के इतिहासकार टिमोथी सिंडर का विचार है कि अमेरिका के पास शायद सिर्फ एक वर्ष है जिस में जनता तानाशाही के बढ़ते सैलाब को रोक सकती है.
इतिहास के 20 उदाहरण ले कर टिमोथी सिंडर ने कहा कि लगभग एक वर्ष में हर संभावित तानाशाह अपने पैर जमा लेता है. हिटलर को लगभग एक साल लगा था. हंगरी को ढाई साल लगे थे. पोलैंड का उदाहरण है जब तानाशाह शासक ने एक साल में न्यायालयों को शक्तिहीन कर दिया था.
टिमोथी का कहना है कि पहले लोग मानसिक रूप से संभावित शासक की लच्छेदार बातों में अपना हित देखते हैं और फिर उन्हें लगने लगता है कि दशकों से बनी संस्थाएं उन का हित करने वाले शासक के हाथ रोक रही हैं. उन्हें वे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने वाले, तानाशाह के शब्दों के अनुसार सुधारों में अड़चन डालने वाले लगने लगती हैं. टिमोथी सिंडर का कहना है कि इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा है जिन में जनता के समर्थन की लहर के बीच से उभरे लोकप्रिय नेता तानाशाही शासकों का लबादा ओढ़ लेते हैं.
रूस के कम्युनिस्ट शासकों के दौरान और आज भी व्लादिमीर पुतिन के समय लोकतंत्र है, बाकायदा चुनाव होते हैं, विपक्षी खड़े होते हैं पर लोगों को पैरों के नीचे महसूस होता है कि तानाशाही की कंपन है और विरोध करने वाले को कुचल दिया जाएगा. हिटलर ने भी ऐसा ही किया था. इस तरह के चुनाव बहुत जल्दी मजाक बन जाते हैं. तानाशाह झूठी लोकप्रियता और उस के माहौल के मिश्रण का इस्तेमाल कर के कानून, अदालतों, मीडिया और विचारकों को इस तरह निष्क्रिय कर देता है कि चुनाव में कोई पर्याप्त ही नहीं बचता.
नवंबर 2016 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में टिमोथी सिंडर ने कहा था कि इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा है जिन में एक शासक किसी आपातस्थिति को पहले पैदा करता है और फिर उस से जनता को बचाने के लिए लोगों के हक छीन लेता है. नाजियों ने एक समय खुद अपनी संसद में आग लगा दी थी और कम्युनिस्टों पर आरोप लगा कर हिटलर की तानाशाही थोप दी थी.
टिमोथी का कहना है कि तानाशाह बन रहा शासक कुछ ऐसे काम करेगा जो जनता के जख्मों पर ठंडक पहुंचाने वाले लगे जैसे ट्रंप का मैक्सिको और अमेरिका के बीच दीवार बनाने का संकल्प या इमीग्रेशन रोकने के आदेश ताकि नौकरियों को देश के गोरे नागरिकों के लिए सुरक्षित किया जा सके. टिमोथी सिंडर के अनुसार मुसलिमों और बाहरी कर्मचारियों पर रोक हिटलर के संसद जलाने जैसा काम है.
दुनिया में लोकतंत्र का बड़ा रक्षक रहे अमेरिका यदि यह एहसास होने लगे कि तानाशाही दबेपांव अमेरिका में आ रही है तो तुर्की, फिलीपींस, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, कजाकिस्तान, ब्राजील जैसे देशों का तो क्या कहना जहां नेताओं को पूजा जाने लगता है और लीबिया इराक की तरह मूर्तियां लगाई जानी शुरू हो जाती हैं. टिमोथी सिंडर की पुस्तक ‘औन टिरैनी : ट्वंटी लैसन्स फ्रौम द ट्वंटीयथ सैंचुरी’ हर भारतीय विचारक को पढ़नी चाहिए, खासतौर पर वे जो किसी व्यक्ति में भविष्य की सुखद कल्पना करते हैं.