महागठबंधन 2 की सरकार ने कहा है कि वह बिहार में 20 लाख नौकरियां देगी. तेजस्वी यादव का वादा कितना चलता है या चल सकता है, यह पूरे शक में है. बिहार की सरकार के पास 20 लाख और लोगों को नौकरियां देना नामुमकिन है क्योंकि सरकार के खजाने में इतना पैसा है ही नहीं. फक्कड़ सरकार तो वैसे ही भीख का कटोरा ले कर केंद्र सरकार के सामने खड़ी रहती है या बैंकों से उधार लेती रहती है.
असलियत यह है कि जनता को सम?ा दिया गया है कि नौकरी वह है जिस में ऊंचे पंडों, पादरियों की तरह काम करना न पड़े और बातों से ऐशोआराम मिल जाए.

यह सिर्फ सरकारी नौकरी में हो सकता है जहां वेतन पैंशन की तरह मिलता है और दिन पान खाने में, चुगली करने में, घूमनेफिरने या रिश्वतें बटोरने में बीतता है. काम होता है तो रुपए में 10 पैसे. बाकी 90 पैसे बटोरने के लिए जो मेहनत करनी पड़ती है, उसे नौकरी कहना चाहें तो कह लें पर है वह लूट ही.

तेजस्वी यादव अगर 20 लाख नौकरियां देने वाले हैं तो सम?ा लें कि 20 लाख और लुटेरों को बिहार के सिर पर बैठाया जाएगा. बिहारियों के लिए राज्य छोड़ कर जाना इसीलिए चालू रहेगा क्योंकि नौकरियां कुछ को मिल गईं तो दूसरों की जाएंगी.
सरकार कई बार कहती है कि उस ने खेतों से होती सीधी सड़क बना कर जौब क्रिएट की, नौकरियां दीं जिन्होंने सड़क बनाई. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. बस किसानों की जमीन हथियाई गई, सड़क के किनारों की जमीनें दिए मुआवजे से ज्यादा दाम पर बेची गईं, ठेकेदारों की चांदी हुई, टोल जमा करने वालों को मोटा कमीशन मिला और आम जनता को वह रास्ता भी नहीं मिला, जो उन की जमीन पर बना था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...