सुप्रीम कोर्ट ने एक नए फैसले में 158 साल पुराने कानून, जिसमें किसी अन्य की पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने पर भी दंड दिया जा सकता है, असंवैधानिक करार दिया है. यह कानून अपनेआप में अनैतिक था और हमेशा इस पर आपत्तियां उठती रही हैं पर पहले हिंदू कानून और फिर अंगरेजी कानून बदला नहीं गया. रोचक बात यह है कि यदि पति किसी के साथ संबंध बनाए तो पत्नी को यह हक नहीं था कि वह शिकायत कर सके. एक और रोचक बात इस कानून में यह थी कि गुनहगार पत्नी नहीं परपुरुष ही होता था.

इस कानून का आधार यह था कि पत्नियां पतियों की जायदाद हैं और परपुरुष उन से संबंध बना कर संपत्ति का दुरुपयोग न करें. यदि पति इजाजत दे दे तो यह कार्य दंडनीय न था. यानी मामला नैतिकता या विवाह की शुद्धता का नहीं, मिल्कीयत का था.

पहले भी 2-3 बार यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका या और एकतरफा होने के कारण इसे असंवैधानिक करने की मांग की जा चुकी थी पर अदालतों ने हस्तक्षेप नहीं किया और न ही संसद ने यह कानून बदला. अंगरेजों को दोष देने की जगह असल में भारतीय संसद इस कानून के लिए जिम्मेदार है जिस ने 70-75 साल इसे थोपे रखा.

वैसे यह कानून निष्क्रिय सा ही था और बहुत कम मामले ही दर्ज होते थे, पर फिर भी विवाहित औरत और उस के प्रेमी पर तलवार तो लटकी ही रहती थी कि न जाने कब पति शिकायत कर दे और प्रेमी जेल में बंद हो जाए और पत्नी की जगहंसाई हो जाए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...