देश के कई गरीब राज्यों में गरीब किसानों के घरों में जीने का मकसद एक ही होता रहा है, सेनाकी नौकरी. ब्रिटिश सरकार ने अपने राज के दौरान बड़ी भारी गिनती में हरियाणा, बुंदेलखंड, पंजाब, मद्रास आदि से सैनिक गांवों से जमा किए थे, उन्हें ट्रेनिंग दी थी और उन के बल पर दुनियाभर में अपना राज जमाया था. तब से सेना की नौकरी का फायदा देश के गरीब किसान घरों को मालूम है और सेना में होने वाली मौतों के खतरे के बावजूद लाखों जवान सेना में नौकरी पाने के लिए रिक्रूटमैंट सैंटरों में जमा होते रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी सरकार ने जैसे पढ़ाई, रेलों, हवाईअड्डों, प्रैस, अदालतों, संसद, विधानसभाओं, जांच एजेंसियों का अपनी अधकचरी पौलिसियों से कचरा किया है वैसा ही कचरा सेना के साथ करने की योजना बनाई है जिस में 17.5 साल से 21 साल तक के जवानों को थल, वायु और नौ सेना में
4 साल के लिए भरती किया जाएगा और 21 साल से 25 साल तक की उम्र में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा, एक चैक पकड़ा कर जिस में एक कार तक नहीं खरीदी जा सकती, एक प्लौट तक नहीं मिल सकता, एक दुकान तक नहीं खोली जा सकती.
4 साल तक इन अग्निवीरों को पकापकाया खाना, बनीबनाई ड्रैस, अच्छा मकान, आर्मी ट्रकों में आनेजाने की सुविधा दे कर इन्हें समाज से काट कर बंदूकों की गोलियों से घेर कर रखा जाएगा और फिर उम्मीद की जाएगी कि ये उस देश में नौकरियां ढूंढ़ें जहां इन 4 सालों में इन के साथी अपनेअपने हुनर सीख चुके होंगे, पढ़ाई की 2-3 बाधाएं दूर कर चुके होंगे या फिर व्यापार या किसानी में कुछ जानकार बन चुके होंगे. इन रिटायर्ड अग्निवीरों को 4 साल में सिर्फ परेड करना, अफसर का हुक्म मानना, हथियार चलाना सिखाया जाएगा. ऐसी ट्रेनिंग जिस की देश को कोई जरूरत नहीं.
अगर देशभर के युवा सड़कों पर निकल कर इस नई भगवाई स्कीम को अपोज कर रहे हैं और वह कर रहे हैं जो किसान या मुसलमान करते तो उन पर बुलडोजर चलवा दिए जाते, तो बड़ी बात नहीं. इस नई स्कीम से सरकार द्वारा लाखोंको चाहे हर साल सेना में नौकरी न मिलती पर उन के सपने तक चकनाचूर कर दिए. सेना की नौकरी मिलने पर भी उन का कल भरोसेमंद नहीं रहेगा और सैनिक होने पर जिंदगीभर पटरी पर रहने की उम्मीद चली जाएगी. सैनिकों से शादी करने के लिए आज लड़कियां विधवा होने के रिस्क के बावजूद तैयार हो जाती हैं, क्योंकि सेनाकी नौकरी करने के बाद आर्थिक सुरक्षा मिलती रहती थी. अग्निवीरों को कोई पैंशन नहीं मिलेगी, कोई हैल्थ कार्ड नहीं मिलेगा, जिंदगी का कोई खूंटा नहीं रहेगा. लाखों लड़कियों के सपने भी चकनाचूर हो गए कि वे सैनिक से शादी कर के पक्की गृहस्थी बना सकेंगी.
अब शादी तो रिटायरड होने के बाद हो सकेगी और बिना पक्की नौकरी वाले को कौन लड़की अपनाएगी? अगर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश के युवा सड़कों पर उतरे हैं तो कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि जिन सपनों के महलों में वे रह रहे थे, उन को एक ?ाटके में उन की भगवा सरकार ने चकनाचूर कर दिया. जिन्हें मुसलमानों के घर जलाने की ट्रेनिंग दी गई थी, वे अब अपनी सरकार की रेलें, पोस्ट औफिस और भाजपा दफ्तर जला रहे हैं.
देश के सारे युवाओं को सेना में चाहे नौकरी नहीं मिलती पर उम्मीद तो रहती थी और अब वह भी गई, क्योंकि 4 साल की नौकरी के लिए कौन मगजमारी करेगा?