कट्टरपंथियों ने हिंदूमुसलिम के जो बीज बोए हैं अब देश में अलगअलग शक्ल ले कर अलगअलग तरह के बीजों को जमीन देने लगे हैं. खेत में खलपरवार उगती है है तो वह एक ही तरह की नहीं होती. इस में बीसियों जहरीले पौधे भी होते हैं और उस में हर तरह के खतरनाक जानवर भी पनपने लगते हैं. पजाब में वारिस पंजाब दे नाम से बने गृह की जिम्मेदारी सीधेसीधे उन बजरंगियों पर जाती है जिन्होंने देश भर में कानून, संविधान, सभ्यता, बोलने की आजादी को पुलिस के मोटे जूतों और बुलडोजरों से रौंब है. अब दोनों पंजाब में किस तरह नाकाम हुए यह दिख गया है.

अमृपाल ङ्क्षसह के साथी कि पंजाब के अजचला पुलिस स्टेशन पर पकड़ कर रखे गए को छुड़ा लाए यह एक खतरनाक इशारा है. खेतों को बांधने वाली बाड़ अब टूटने लगी हैं. पंजाब की आम आदमी सरकार को कमजोर कह कर केंद्र सरकार अपना पीछा नहीं छुटा सकती. यह उसी की देन है कि अब इस तरह की घटना सारे देश में सुॢखयां बनने लगी हैं. कहीं अंबेडक़र की बेइज्जती की जा रही है, कहीं रामचरित्रमानस में लिखी देश की बड़ी जनता की ङ्क्षनदा पर हमला होने लगा है, कहीं जाति जनगणना होने की बात हो रही है. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा मानो जो हो रहा था उस की पहले से दी गई चेतावनी थी.

पंजाब जैसी घटनाएं पहले भी हुई है. बाबरी मसजिद को गिराने से पहले और फिरगिराने के बाद देश इस तरह के जलजलों से परेशान होने लगा था. बाद में 2004 में भारतीय जनता पार्टी की हार से कुछ बात संभली थी पर अब फिर बिगड़ चुकी है.पंजाब का झगड़ा कहने को पुलिस और धर्म से जुड़े गुट का हो पर इन की जड़ में ङ्क्षहदू सिख मतभेद है जो वैसे नहीं दिखते पर पंजाब की राजनीति में अहम हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...