जब से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने अगले राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है, तब से सोशल मीडिया पर आदिवासियों के बारे में तमाम तरह की जानकारियां सामने आने लगी हैं. ऐसा होना जायज भी है, क्योंकि द्रौपदी मुर्मू देश की ऐसी पहली महिला राष्ट्रपति होंगी, जिन का जन्म भारत की आजादी के बाद हुआ है.

64 साल की द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा में हुआ था. एक आदिवासी परिवार में जनमी द्रौपदी मुर्मू एक जीवट महिला हैं और उन्होंने अपने पारिवारिक कष्टों को बड़ी हिम्मत से झेलते हुए देश और समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

चूंकि द्रौपदी मुर्मू के साथ 'आदिवासी' शब्द जुड़ा है और वे आदिवासी बहुल राज्य ओडिशा से आती हैं, तो देश के आम लोगों के मन में यह जिज्ञासा पैदा होना स्वाभाविक है कि देश के किस राज्य में कितने प्रतिशत आदिवासी रहते हैं या वे मूल निवासी हैं? वैसे, लोगों की यह भी आम धारणा है कि ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य ही आदिवासी बहुल हैं, पर अगर आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो आप चौंक जाएंगे.

साल 2011 की जनसंख्या गणना के आधार पर देश में आदिवासियों की आबादी के प्रतिशत की बात करें तो लक्षदीप पहले नंबर पर है. वहां 94.8 प्रतिशत आदिवासी आबादी रहती है. दूसरे नंबर पर मिजोरम है जहां 94.4 प्रतिशत ऐसी आबादी वहां की रहवासी है. फिर नगालैंड में 86.5, मेघालय में 86.1 और अरुणाचल प्रदेश में 68.8 प्रतिशत आबादी आदिवासी समाज की है.

इस के बाद नंबर आता है दादर नगर हवेली का जहां 52 प्रतिशत आदिवासियों का घर है. फिर मणिपुर में 35.1, सिक्किम में 33.8 और त्रिपुरा में 31.8 प्रतिशत आदिवासी आबादी बसी हुई है. मतलब टौप 10 में पूर्वोत्तर राज्यों का दबदबा है. आगे बारी आती है छत्तीसगढ़ की जहां 30.6 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं, जबकि झारखंड में 26.2 और ओडिशा में 22.8 प्रतिशत इस जमात के लोग रहते हैं.

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