उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे जैसे आगे बढ़ रहे हैं, दलित और पिछड़ों में हिंदुत्व का उफान बढ़ रहा है. जिससे भाजपा को राहत और सपा बसपा को आफत नजर आ रही है. बढे हुये आत्मविश्वास के साथ अब भाजपा में सीएम के चेहरे को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह सबसे बड़े स्टार प्रचारक रहे हैं. राजनाथ सिंह पांच चरण के चुनावों में 100 से अधिक रैलियां कर चुके है. चुनाव के अंत तक 140 रैलियां हो जायेंगी. नरेन्द्र मोदी के बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा मांग राजनाथ सिंह की ही रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री पद के लिये सबसे प्रभावी असरदार चेहरा राजनाथ सिंह ही माने जा रहे हैं. खुद राजनाथ सिंह ऐसे सवालों को सही नहीं मानते और खुद को सीएम का फेस भी नहीं मानते. राजनाथ सिंह का कहना है कि भाजपा में चुने गये विधायक यह फैसला करते हैं कि मुख्यमंत्री कौन होगा?

राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद पार्टी का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. संघ से लेकर बाकी संगठनों को भी राजनाथ के प्रभाव से कोई परेशानी नहीं है. भाजपा को अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सरकार बनाने के लायक सांसद देने हैं तो उत्तर प्रदेश में सरकार को बेहतर तरह से चलाना होगा. ऐसे में राजनाथ सिंह ही वह चेहरा हैं जो प्रदेश में 2 साल सरकार चला कर छवि को सुधार सकते हैं. लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये नरेंद्र मोदी राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंप सकते हैं. इससे एक लाभ यह भी होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी के मुकाबले नंबर 2 ही हालत में दूसरा नेता नहीं उभर पायेगा.

राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री बनने से दूसरे किसी नेता की दावेदारी स्वतः खत्म हो जायेगी. नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली को देखते हुये कुछ राजनीतिक जानकार यह मानते हैं कि वह मुख्यमंत्री के रूप मे राजनाथ कि जगह किसी ऐसे नेता का नाम आगे लायेंगे जो उनकी बात को बिना किसी सवाल के मान ले. 2019 के चुनाव में भाजपा के लिये उत्तर प्रदेश सबसे खास है. यहां नरेन्द्र मोदी परोक्ष रूप से अपना राज ही चलाना पसंद करेंगे. ऐसे में वह बहुत बड़े कद के नेता की जगह छोटे युवा चेहरे को प्राथमिकता देंगे. अभी की हालत को देखते हुये मुख्यमंत्री पद के लिये भाजपा के नेताओं की पहली पसंद राजनाथ सिंह ही हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद असल सच सामने आयेगा.

जानकार लोग यह मान रहे हैं कि मुसलिम वोटर को लेकर जिस तरह से सपा-बसपा ने बयानबाजी की है, उसका लाभ भाजपा को मिल रहा है. दलित और पिछड़ा भी हिन्दुत्व के नाम पर जाति से अलग धर्म पर वोट दे रहा है. बसपा नेता मायावती का यह बयान कि बाहुबली मुख्तार नहीं राजा भैया है पूर्वांचल में बसपा को नुकसान पहुंचा सकता है. बसपा ने मुख्तार अंसारी के साथ उसके भाई और बेटे को भी टिकट दिया है. मुख्तार जेल में है. ऐसे में मायावती का उसे क्लीन चिट देना चुनावी दांव का उलटा पड जाना माना जा रहा है.

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