इस साल के आखिर में 3 राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान  में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को ले कर भारतीय जनता पार्टी ने अपना एजेंडा और रुख साफ कर दिया है कि वह अब मंदिर, मठों, आश्रमों और बाबाओं की जगह किसानों को फोकस करते हुए चुनावी जंग में कूदेगी. यह उस की दिली इच्छा नहीं, जबरन करना पड़ रहा है.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 14 जुलाई, 2018 को मध्य प्रदेश के धार्मिक शहर उज्जैन से कहा था कि इस बार भी राज्य में शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में भाजपा की सरकार बनेगी क्योंकि वे किसान के बेटे हैं. उन्होंने किसानी कब की पता नहीं क्योंकि तसवीरों में तो वे पूजन करते नजर आते हैं.

इसी वजह से शिवराज सिंह चौहान ने बिना नाम लिए कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन को यह ज्ञान नहीं है कि प्याज कैसे पैदा होता है और वे किसान हितों की बात कर रहे हैं.

भाषणों में उन्होंने यह बारबार कहा कि अब राज्य में कहीं किसानों की फसलें बिजली की वजह से नहीं सूखतीं.

मध्य प्रदेश के ही पिछड़े जिले राजगढ़ में 23 जून, 2018 को दिए गए नरेंद्र मोदी के भाषण में यही कहा गया था.

भाजपा की कोशिश यह है कि भाषणों के जरीए जनता को यह अहसास कराया जाए कि गांधी खानदान की वजह से पिछले 4 सालों में उस का भला नहीं हो पाया.

घर फूंक कर तमाशा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रोज कोई न कोई घोषणा हर किसी के लिए कर रहे हैं. तकरीबन ढाई लाख शिक्षकों को शिक्षा विभाग में मिलाने की मांग उन्होंने पूरी की पर नाराज हड़ताली शिक्षक कोई खास खुश नहीं हुए. देरी से लिए गए इस फैसले से सरकारी खजाने पर 2,000 करोड़ से भी ज्यादा का बोझ पड़ा.

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