भाजपा का प्रचारतंत्र कितना मजबूत है, इस का एक और नमूना रविवार, 30 अप्रैल को देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 100 एपिसोड पूरे हो गए. पिछले कुछ सालों में नयी सरकारों को 100 दिन का जश्न मनाते देखा गया है.

जनता तो 5 साल का जनादेश देती है, लेकिन सरकारें अब शायद खुद को इतना कमजोर समझने लग गई हैं कि 100 दिन पूरे होने पर ही खुश हो जाती हैं. और अब ये देखना ही बाकी रह गया था कि प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम के 100 एपिसोड होने पर उत्सव मनाया जाए.

अक्टूबर 2014 से शुरु हुआ यह सिलसिला दूसरी बार 2019 में मिली जीत के बाद भी जारी रहा, तो जाहिर है कि इसके सौ एपिसोड होने ही थे. लेकिन अभी कई तरह की मुश्किलों से गुजर रही भाजपा ने इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. देश में कई प्लेटफार्म्स पर इसका लाइव प्रसारण हुआ. वैसे ही जैसे आधी रात को जीएसटी लागू करने की घोषणा की गई थी और इसके लिए संसद को वैसे ही सजाया गया था, मानो देश को आजादी मिली हो.

स्वतंत्रता आंदोलन में तो संघ से जुड़े लोगों ने रत्तीभर योगदान नहीं दिया, अब उन के वारिस इस कोशिश में लगे हैं कि जनता को यकीन दिला सकें कि उन से बढ़ कर देशभक्त कोई नहीं है और देश को असली आजादी उन के कर्मों से मिल रही है.

प्रधानमंत्री मोदी मन की बात में मोटिवेशनल स्पीकर यानी सकारात्मक विचारों की सीख देने वाले उपदेशक की तरह बात करते हैं. अच्छी बातों के प्रचारप्रसार में कोई बुराई नहीं है. लेकिन इस काम के लिए और भी बहुत से लोग हैं. सोशल मीडिया पर करियर मार्गदर्शन से ले कर प्रेम में मिली निराशा को कैसे दूर किया जाए और दफ्तर के तनाव को कैसे कम किया जाए तक, कई किस्म की समस्याओं पर ज्ञान देने वाले भरे पड़े हैं.

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