सेक्स और प्यार!

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सेक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सेक्स शामिल हो गया है. प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सेक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता. प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं. एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन. शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है. लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया. कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए. कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए. परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

शरीर के ये हिस्से बनाते हैं सेक्स को मजेदार

यदि आप उनके शरीर के कुछ विशेष हिस्सों पर ध्यान देंगी तो सेक्शुअल रिश्तों पर इसका जादुई असर होगा और आपकी सेक्शुअल लाइफ पहले से ज़्यादा संतुष्टिदायक हो जाएगी.

कमाल आंखों का!

कमरे के अलग-अलग हिस्सों पर खड़े होकर उन पर लगातार एक-दो सेकेंड तक नज़र डालें. नजरों से समझाएं कि आप उनका साथ चाहती हैं. ये प्रक्रिया जितनी शरारतभरी और फ्लर्ट अंदाज में होगी, उनका दिल उतने ही जोर से धड़केगा. और हां, हाई हील्स पहनिए. लंबे पैर हमेशा पुरुषों का ध्यान आकर्षित करते हैं. तब भी, जब आप चलते हुए उनसे दूर जा रही हों.

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सुगंध, जो मदहोश कर दे

शनेल नंबर 5, की खुशबू पुरुषों को आकर्षित नहीं करती. उन्हें मदहोश करनेवाली खुशबू है-पम्प्किन पाई की मीठी-तीखी सुगंध. ‘‘परफ्यूम्स को फेंक दीजिए और पम्प्किन पाई खरीद लाइए,’’ कहना है शिकागो के स्मेल ऐंड टेस्ट ट्रीटमेंट सेंटर के डॉ ऐलेन हिअर्श का.

शोध बताते हैं कि इसकी खुशबू पुरुषों को महिला की चाहत से भर देती है. यदि इसे लैवेंडर की खुशबू के साथ मिला देंगी तो आपको उनके उफान को शांत करने के लिए एक बाल्टी ठंडे पानी की ज़रूरत पड़ेगी. पम्प्किन की खुशबू से प्रतिभागियों के पीनियल (शिश्न) रक्त-प्रवाह में औसतन 40% की बढ़ोतरी पाई गई. वनीला की ख़ुशबू का भी जबरदस्त असर होता है. संतुष्टिदायक सेक्स जीवनवाले पुरुषों ने माना कि स्ट्रॉबेरी की महक भी उन्हें पसंद है.

हाथों का जादू

उनका हाथ थामे रहें. यूनिवर्सिटी कौलेज, लंदन द्वारा वर्ष 2013 में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, जब कभी आप तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हों अपने जीवनसाथी का हाथ थाम लें, ऐसा करने से मस्तिष्क का वह क्षेत्र शांत हो जाता है, जहां खतरे की आशंका की शुरुआत होती है. साथ ही, शरीर का तनाव कम हो जाता है.

कान महत्वपूर्ण हैं

कानों को हम भूल जाते हैं. लेकिन यह वो हिस्सा है जो सुखदायी होने के साथ-साथ उन्हें उत्तेजित कर सकता है. अपना अंगूठा और अनामिका उंगली उस जगह पर रखें, जहां उनका ईयर लोब और चेहरा आपस में मिलते हैं. हल्का-सा नीचे की ओर खींचते हुए अपनी उंगलियों को वहां फिसलने दें, ताकि आप दोबारा शुरू कर सकें. और देखें कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी होती है.

होंठों का आकर्षण

पुरुष के होंठ स्वाभाविक जगह हैं, जहां स्पर्श उन्हें पसंद होता है. पर उनके निचले होंठ और ठोढ़ी के बीच की ढलान पर आपका स्पर्श उन्हें आनंद से भर देगा. ‘‘हमने पाया है कि ये छोटा, नाज़ुक और वक्रीय हिस्सा बहुत संवेदनशील नर्व रिसेप्टर है,’’ लो पेजेट ने अपनी किताब द बिग ओ में यह बात कही है.

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घुटनों का आनंद

घुटनों के पीछे की त्वचा नर्म-मुलायम होती है और पुरुषों को इसकी मालिश अच्छी लगती है. ‘‘शरीर के ऐसे हिस्से जहां कम बाल होते हैं, पुरुषों के लिए ज़्यादा संवेदनशील और उत्तेजक होते हैं,’’ कहना है न्यू यॉर्क की सेक्स कोच ऐमि लेविन का. ‘‘उनकी इच्छा को उभारने के लिए उनके घुटनों के पीछे के हिस्से की मालिश अपनी उंगलियों के पोरों से गोलाकार गति में करके देखिए.’’

पैरों से खेलें

एड़ी और टखने (ऐंग्कल) की हड्डी के बीच पीछे की ओर एक फ़िंगर-टिप साइज़ का प्रेशर पॉइंट है, जिसमें उत्तेजना की अपार संभावनाएं छिपी हैं, यह बात लॉरा नॉर्मैन ने अपनी किताब फीट फर्स्ट में बताई है. ‘‘यह जगह सेक्स अंगों से जुड़ी होती है,’’ लॉरा कहती हैं, जो आनंद का एहसास जगाती है. जरनल औफ सेक्शुअल मेडिसिन के सर्वे में भाग लेनेवाले आधे से ज्यादा पुरुषों का कहना था कि निपल (वक्षाग्र) पर किए गए स्पर्श ने न सिर्फ उनकी उत्तेजना को बढ़ाया, बल्कि उनके जोश को चरम पर पहुंचा दिया.

मर्द, डाक्टर से न झिझकें

हिंदी फिल्मों में समाज से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात कहने की परंपरा रही है. इस कड़ी में आयुष्मान खुराना की फिल्मों को रखा जा सकता है, जिन में हमेशा ही किसी न किसी सामाजिक मुद्दे को उठाया जाता है, फिर चाहे उन की फिल्म ‘बाला’ हो या फिर ‘विकी डोनर’. इन दोनों ही फिल्मों में मर्दों के गंजेपन और बच्चे न हो पाने की समस्या पर रोशनी डाली गई है, जिन पर लोग अकसर ही बात करने से बचते हैं.

इसी लिस्ट में आयुष्मान खुराना की नई फिल्म ‘डाक्टर जी’ को रखा जा सकता है, जिस में वे अपने भाई की तरह और्थोपैडिक डाक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन जब रैंक कम आती है तो उन्हें मजबूरी में गायनेकोलौजी ब्रांच लेनी पड़ती है. मतलब एक ऐसा डाक्टर, जो औरतों से जुड़ी बीमारियों का इलाज करता है.

पर क्या भारत जैसे देश में जहां औरतों को परदे में छिपा कर रखने को बढ़ावा दिया जाता है, वहां कोई मर्द डाक्टर उन के अंदरूनी अंगों की जांच कर सकता है? बड़े शहरों में शायद ऐसा मुमकिन हो, लेकिन गांवदेहात में तो यह अभी दूर की कौड़ी है.

फिल्म ‘डाक्टर जी’ के एक सीन से इस बात को समझते हैं. डाक्टर बने आयुष्मान खुराना चैकअप के लिए एक औरत से कपड़े ऊपर करने को कहते हैं, पर इतना सुनते ही वह औरत चिल्लाने लगती है. चीखपुकार सुन कर उस औरत का पति वहां आ जाता है और आयुष्मान खुराना को पीटने लगता है.

इसी सिलसिले में गायनेकोलौजिस्ट के तौर पर प्रैक्टिस करने वाले इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के ईस्ट दिल्ली ब्रांच के अध्यक्ष डाक्टर कुमार गांधी ने ‘नवभारत गोल्ड’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था, ‘वैसे तो इस पेशे में बहुत इज्जत मिलती है, लेकिन कभीकभार ऐसे वाकिए हो जाते हैं, जो नहीं होने चाहिए. कई बार हमें न चाहते हुए भी औरत से उन मुद्दों पर बात करनी पड़ती है, जिन के बारे में वह सब से बात नहीं करती. उस दौरान हम मरीज के कंफर्ट का बहुत ध्यान रखते हैं.’

जब कोई डाक्टर अपने मरीज के कंफर्ट लैवल की बात करता है, तो वह इस बारे में काफी संजीदा होता है. यह कंफर्ट लैवल औरतों और लड़कियों की ‘खास’ बीमारियों या समस्याओं पर पूरी तरह लागू होता है.

मान लो, किसी औरत या लड़की को माहवारी में दिक्कत आती है, तो बतौर डाक्टर पहला सवाल मन में यही उठता है कि कहीं वह पेट से तो नहीं है? लेडी गायनेकोलौजिस्ट के सामने मरीज बता सकती है कि उस की शादी हुई है या नहीं, या फिर उस ने सैक्स करते हुए कोई सावधानी बरती थी या नहीं, क्योंकि आज के जमाने में शादी होना और पेट से होना 2 अलग बातें हैं.

लेकिन अगर सामने कोई मर्द डाक्टर बैठा है तो मरीज को लगता है कि वह उस के करैक्टर पर सवाल उठा रहा है और वह असहज हो जाती है, जिस से कभीकभार मामला गंभीर भी हो जाता है. लेकिन इस से मरीज का ही नुकसान होता है, क्योंकि सामने जो डाक्टर बैठा है, वह औरतों की बीमारियों को ठीक करने में माहिर है और उस का एक ही मकसद है कि उसे मरीज की बीमारी के बारे में सभी बातें पता हों, तभी वह सही दवा या सलाह दे पाएगा.

जब से गांवदेहात में गरीब और निचली जाति की लड़कियां पढ़ने लगी हैं, तब से वे बहुत ज्यादा जागरूक होने लगी हैं. वे अपने और आसपास के परिवार की औरतों को समझा सकती हैं कि अगर कोई मर्द गायनेकोलौजिस्ट आप की अंदरूनी बीमारी का इलाज कर रहा है, तो अपनी झिझक छोड़ कर बात रखें.

गायनेकोलौजिस्ट को कभी भी मर्द या औरत डाक्टर के तराजू में न तोलें, क्योंकि वे आप की बीमारी में दिलचस्पी रखते हैं, न कि शरीर में. उन के सामने खुल कर अपनी समस्या बताएं और इन बातों का तो खास खयाल रखें :

* अगर आप की माहवारी अनियमित है और वह डेट से काफी पहले या देर से आती हो या फिर महीने में 2 बार आती हो, तो तुरंत माहिर डाक्टर को बताएं.

* माहवारी से जुड़ी कोई भी परेशानी हो, तो उस की अनदेखी न करें और बिना देर किए गायनेकोलौजिस्ट के पास जाएं.

* अगर आप गर्भनिरोधक गोलियां या किसी दर्द निवारक दवा का सेवन कर रही हों और इस से आप की सेहत पर असर हो रहा हो, पीरियड में तकलीफ हो या जिस्मानी रिश्ता बनाते समय दर्द महसूस होता हो, तो गायनेकोलौजिस्ट से खुल कर बात करें.

* जिस्मानी रिश्ता बनाते समय अगर दर्द महसूस हो या फिर अंग से खून निकलने समेत कोई दूसरी परेशानी हो, तो घरेलू उपचार बिलकुल न करें और गायनेकोलौजिस्ट के पास जा कर अपना इलाज कराएं.

* अंग में खुजली होने या तेज बदबू आने पर तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए.

* अगर आप के पेट, पीठ या कमर में कई दिन से दर्द हो रहा हो, तो इस की अनदेखी न करें और गायनेकोलौजिस्ट के पास जा कर इलाज कराएं.

औरतें और लड़कियां एक बात का तो खास खयाल रखें कि वे कभी भी पंडेपुजारियों, ओझातांत्रिकों और फकीरबाबाओं के चक्कर में पड़ कर अपनी अंदरूनी बीमारियों का रोना न रोएं, क्योंकि बहुत से पाखंडी उन की इसी बात का फायदा उठा कर शोषण करने की जुगत में रहते हैं. वे ऐसी औरतों और लड़कियों की शर्म का फायदा उठाते हैं और उन्हें पैसे और शरीर से नोंच डालते हैं.  डाक्टर का काम अपने मरीज की सेहत को ठीक करना होता है. अगर उसे बीमारी का ही नहीं पता चलेगा तो  दवा कैसे देगा? इस में मर्द या औरत डाक्टर का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है. लिहाजा, औरतों को मर्द डाक्टर से बिलकुल नहीं झिझकना चाहिए.

मेरे पति मुझसे संतुष्ट नहीं रहते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 21 साल की महिला हूं. मेरा डेढ़ साल का एक बच्चा है. शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को ले कर संतुष्ट नहीं रहते हैं. वे नियमित सैक्स करना चाहते हैं जबकि घर और बच्चे की देखभाल से मैं बेहद थक जाती हूं और रात में जल्द ही मुझे नींद आ जाती है. पति मु झे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मैं उन्हें नाराज भी नहीं देख सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

बच्चे पैदा होने के बाद सैक्स संबंध को ले कर महिलाएं आमतौर पर उदासीन हो जाती हैं, जबकि बच्चों की परवरिश के साथसाथ पति के साथ सैक्स संबंध दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है.
इस में कोई दोराय नहीं कि एक गृहिणी घर और बच्चों की देखभाल में इतनी व्यस्त रहती है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप घर के कामों को पति के साथ बांट लें. घर की साफसफाई, कपड़े धोना आदि कार्य प्यार से पति से करा सकती हैं.

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इस से आप पर काम का बो झ ज्यादा नहीं पड़ेगा. इस से न केवल आप खुद के लिए वक्त निकाल पाएंगी, बल्कि पति के साथ भी ज्यादा समय बिताने को मिलेगा. फिर जैसाकि आप ने बताया कि आप का बच्चा अब डेढ़ साल का हो चुका है और अब आप शारीरिक रूप से फिट भी हो चुकी हैं, तो ऐसे में सैक्स संबंध का लुत्फ उठा सकती हैं.
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मुझे लगता है कि मुझमें संबंध बनाने की कूवत नहीं है क्योंकि…

सवाल…

मैं 28 साल का हूं. मेरी शादी हो चुकी है. मुझे लगता है कि मुझ में संबंध बनाने की कूवत नहीं है, क्योंकि लगातार हस्तमैथुन करने से मेरा अंग छोटा व पतला हो गया है. क्या करूं?

जवाब…

हस्तमैथुन से संबंध बनाने की कूवत कम नहीं होती. छोटे-पतले अंग से भी इस काम में फर्क नहीं पड़ता. हमबिस्तरी से पहले बीवी के अंगों को सहला कर उसे तैयार करें, फिर कोई वहम लाए बिना संबंध बनाए.

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सवाल…

मैं 22 साल का हूं. एक लड़की मुझे पसंद करती है. लेकिन उस के भाई से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती है. अगर उसे पता चला तो हमारी दोस्ती में दरार भी आ सकती है. मुझे उचित राय दें?

जवाब

अगर आप दोनों एकदूसरे से?प्यार करते हैं तो कोई समस्या नहीं है. दोस्त की बहन से प्यार हो जाना कोई गुनाह नहीं?है. बेहतर होगा कि आप उस के घर के बड़ों को भरोसे में ले कर बात करें और दोस्त को भी सच बता दें. अगर वह समझदार होगा तो दोस्ती में दरार नहीं आएगी, बल्कि इस के रिश्तेदारी में तबदील होने की उम्मीद बढ़ जाएगी. और भी बेहतर होगा कि आप बात उजागर करने से पहले कुछ बन कर दिखाएं.

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मेरी पत्नि मेरे साथ नहीं रहती क्या करूं?

मेरा होने वाला पति मुझसे 11 साल बड़ा है. उम्र का ये फर्क 

मेरी अरेंज मैरिज हुई है मैं अपनी वाइफ से इमोशनली अटैच होना चाहता हूं, क्या करूं?

सवाल

मेरी नईनई शादी हुई है. अरेंज मैरिज है. मैं इमोशनल टाइप का लड़का हूं और शादी मेरे लिए जिंदगी की एक इंपोर्टैंट चीज है. मैं अपनी वाइफ से इमोशनली बहुत ज्यादा अटैच होना चाहता हूं, लेकिन हमारे बीच में कुछ ?ि?ाक सी है. हम दोनों एकदूसरे से खुल नहीं पा रहे. मैं खुल कर सैक्स करना चाहता हूं. लेकिन जैसा सोचता हूं वैसा हो नहीं पाता. इस कारण थोड़ा अपसैट सा रहने लगा हूं. वाइफ अच्छी है. मु?ा से कोई शिकायत नहीं करती. बस, मैं ही खुश नहीं रह पा रहा हूं. इस की क्या वजह हो सकती है?

पतिपत्नी का रिश्ता जितना खुला होगा उस में उतनी ही ताजगी होगी. पतिपत्नी के लिए अपने नए रिश्ते की शुरुआत में ही खुल कर सैक्स की बातें करने से हर चीज करनी आसान हो जाती है. कई लोगों को यह स्वीकार करने में एक ?ि?ाक महसूस होती है कि बैडरूम में उन्हें क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं. जब तक आप इसे अपने पार्टनर को नहीं बताएंगे, सैक्स को एंजौय नहीं कर पाएंगे.

जवाब

कई लोगों में सैक्स फैंटेसीज को ले कर डर होता है कि कहीं उन का पार्टनर उन्हें गलत न सम?ा ले या फिर उन की इच्छाओं को खारिज न कर दे. अपनी कल्पनाओं को स्वीकार करना सीखें, भले ही वे कैसी भी हों. अगर आप को अपने पार्टनर पर पूरा भरोसा है तो बिना ?ि?ाके आप उन से अपनी फैंटेसीज शेयर कर सकते हैं. सैक्स को गंभीरता से लेने के बजाय थोड़ा मस्तीमजाक की तरह लें और हर काम की तरह इसे भी प्राथमिकता दें.

आजकल सामाजिक हालत ठीक नहीं. व्यक्ति को घर के बाहरअंदर हर वक्त सतर्क रहना पड़ता है. बीमारी से खुद को बचा कर रखना है. लेकिन आप जब भी अपने पार्टनर के साथ हों, इंटीमेसी के समय शारीरिक तौर पर पार्टनर के साथ पूरी तरह से इनवौल्व होना जरूरी है. इस के लिए आप को हर चीज को महसूस करने की आदत डालनी चाहिए.

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मैं अपने से 10 साल बड़ी तलाकशुदा महिला से प्यार करता हूं, क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 28 साल की है और मैं अपने से 10 साल बड़ी तलाकशुदा महिला से प्यार कर बैठा हूं. उस का 12 साल का एक बेटा है. वह भी मुझे प्यार करती है और मैं अब उस से शादी करना चाहता हूं लेकिन उस की शर्त है कि वह दोबारा मां नहीं बनेगी. जबकि मैं चाहता हूं मेरा भी एक बच्चा हो. इधर घरवाले मेरे लिए जोरशोर से लड़की ढूंढ़ रहे हैं.

मैं खुद ही उलझा हुआ हूं तो घरवालों को क्या बताऊं. समझ नहीं आ रहा कि मुझे उस महिला की बात मान कर उस से शादी करनी चाहिए या घरवालों की बात मानूं. आप ही मुझे कोई राह सुझाएं.

जवाब

देखिए, मैं तो यही राय दूंगी कि जब तक आप उस महिला के साथ अपने भविष्य को ले कर श्योर नहीं हैं तब तक उस के बेटे को ले कर कोई बड़ा कदम उठाने से बचें. क्या आप उस के बेटे को एक पिता की तरह प्यार करने के लिए तैयार हैं?

क्योंकि जिस बेटे की खातिर वह महिला दूसरा बच्चा पैदा करने को तैयार नहीं उसे यदि आप पिता का प्यार नहीं देंगे तो यह शादी मुझे नहीं लगता कि ज्यादा लंबे समय तक टिक पाएगी. किसी तरह टिक भी जाएगी तो तनाव की स्थिति बनी रहेगी क्योंकि बेटे के साथ आप का रवैया अच्छा नहीं रहा तो उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा.

अफेयर करना एक बात है और उस अफेयर को शादी में तबदील करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. अभी तक तो सबकुछ ठीक चल रहा है लेकिन शादी के बाद सब बदल जाएगा.

सब से बड़ी अड़चन जो पहले ही नजर आ रही है कि आप बच्चा चाहते हैं और वह नहीं. इसलिए आप का निर्णय आप के अपने लिए, आप के परिवार के लिए कितना सही हो सकता है, यह आप को खुद देखना है.

अभी आप की उम्र ज्यादा नहीं. उलझनभरी जिंदगी जीने का फायदा कुछ नहीं. अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं, अपनी फैमिली बनाना चाहते हैं तो घरवाले लड़की ढूंढ़ रहे हैं तो वहां शादी कर लीजिए. बाकी आप की सोच है, आप जैसा चाहें वैसा कर सकते हैं लेकिन हर पक्ष पर सोचसमझ कर निर्णय लीजिएगा.

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आपकी सेक्स लाइफ खराब कर रहा है टीवी, जानें कैसे

दिनभर के काम के बाद सबसे आरामदेह होता है मैड मेन के क्रेडिट्स पर आंखे गड़ाना और फिर अपने बिस्तर के आगोश में समा जाना. यदि आप अकेली हैं तो ऐसा करना बिल्कुल सही है, लेकिन यदि आप अपने पार्टनर के साथ हैं और फिर भी उनसे बात करने के बजाय डेरेक ऐंड मेरेडिथ देखना पसंद करती हैं तो ये चिंता की बात है.

केवल एक आप ही नहीं हैं, जिसके अच्छे-भले सेक्शुअल जीवन में, दोस्त समझे जानेवाले बुद्धू बक्से ने सेंध लगा दी है. इटली में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे जोड़े जिनके बेडरूम में टीवी है, उनके बीच सेक्शुअल संबंधों की संख्या, ऐसे जोड़े की तुलना में जिनके बेडरूम में टीवी नहीं है, आधी होती है.

मुंबई के सेक्शुअल मेडिसिन कंसल्टेंट राज ब्रह्मभट्ट इस अध्ययन का समर्थन करते हैं. ‘‘बेडरूम में टीवी आपके सेक्शुअल जीवन को बर्बाद कर देता है,’’ वे आगे बताते हैं,‘‘इन दिनों घर के हर कमरे में टीवी होना फैशन बन गया है. लेकिन इसका विपरीत परिणाम ये है कि कई कपल्स सेक्स के लिए समय निकालने के बजाय सीरियल देखना पसंद करते हैं.’’

सेक्स विनाशक

‘‘मैं अपना पसंदीदा टीवी सीरियल, लिविंग रूम के बजाय आराम से अपने बेडरूम में देखना पसंद करूंगी,’’ कहना है पीआर एग्जेक्यूटिव रितिका साहनी, का. ‘‘पर समस्या ये है कि मेरे और मेरे पति के पसंदीदा प्रोग्राम अलग-अलग हैं. जब तक मैं अपना सीरियल देखकर सोने के लिए तैयार होती हूं, वे अपने प्रोग्राम्स, खबरें या ऐक्शन मूवीज देखना शुरू कर देते हैं. सेक्स का तो नंबर ही नहीं आ पाता.’’

एक तर्क ये हो सकता है कि रिमोट उठाकर टीवी को बंद करने की ही देर है कि अंतरंग पल जिए जा सकते हैं, लेकिन ये इतना आसान नहीं है. ‘‘कई बार कोई सेक्सी फिल्म देखने के बाद हम निजी पल जीने के मूड में आ जाते हैं,’’ ये बताते हुए मीडिया प्रोफेशनल तनिका बसक कहती हैं, ‘‘पर अधिकतर समय हम न्यूज देखते हैं और इसे देखकर निजता की कोई भावना नहीं उभरती.’’

रचनात्मक तरीके

राज बताते हैं, ‘‘मेरे बहुत-से पेशेंट्स बेडरूम से टीवी हटाने के मेरे सुझाव का विरोध करते हैं. पर ये महसूस करना ज़रूरी है कि एल्कोहल की ही तरह टीवी देखने से इच्छाएं तो बढ़ती हैं, लेकिन सक्रियता कम हो जाती है. अत: इसे लिविंग रूम में रखें, ताकि आप इसे अन्य परिजनों के साथ ही देखें. आप इसे देखने के समय में कटौती करने से भी शुरू कर सकते हैं. यदि आप रोज छह घंटे टीवी देखती हैं तो इसे तीन घंटों तक सीमित कर दें. और ये समय ऐसा रखें कि आप दोनों को दाम्पत्य जीवन के सहज पलों को साथ बिताने का पूरा समय मिले.’’

ये कठिन ज़रूर है, पर पूरी तरह संभव है. अपने सेक्शुअल संबंधों की गर्माहट को पुनर्जीवित करें. फिर आपको ख़ुद ही महसूस होने लगेगा कि वास्तविक जीवन का यह एपिसोड टीवी सीरियल्स के एपिसोड से कहीं ज्यादा अच्छा अनुभव है.

पीरियड्स के समय मुझे पैरों में दर्द की समस्या है, क्या यह चिंता की बात है ?

सवाल
मेरी उम्र 24 साल है. पीरियड्स के दिनों में पैरों में दर्द होता है, क्या यह चिंता की बात है?

जवाब
नहीं, यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. पीरियड्स के दौरान पैरों और शरीर के निचले हिस्से में दर्द आम बात है. पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द शरीर के  अन्य हिस्सों तक फैलता है. कई औरतों को यह समस्या होती है. पैरों में दर्द की एक वजह गर्भाशय में सिकुड़न भी है.

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पीरियड्स में अब नो टैंशन

अधिकतर महिलाओं के लिए पीरियड्स एक छोटी सी असुविधा होती है, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह बड़ी समस्या बन जाती है. पीरियड्स का अंतराल 21 दिन से 35 दिन का हो सकता है. पीरियड्स की शुरुआत 11 से 14 वर्ष के बीच होती है. फीमेल सैक्स हारमोन ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन पीरियड्स को नियंत्रित करते हैं. कुछ टिप्स अपना कर आप इन दिनों भी टैंशन फ्री रह सकती हैं:

बेटी को पहले से कैसे समझाएं

मासिकचक्र के साथ कई प्रकार की चिंताएं और डर होते हैं. कई बच्चियां घबरा जाती हैं कि यह उन के साथ क्या हो रहा है. मासिकचक्र शुरू होने से पहले ही आप को अपनी किशोर बेटी को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से इस के लिए तैयार करना पड़ेगा. हालांकि आमतौर पर पीरियड्स 12 वर्ष की आयु में शुरू होते हैं, लेकिन कई लड़कियों में इस से बहुत पहले ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है. मासिकचक्र शुरू होने से पहले शरीर में कई बदलाव होने शुरू हो जाते हैं. ये बदलाव शारीरिक ही नहीं होते, मनोवैज्ञानिक भी होते हैं. अपनी बेटी से 10 साल की उम्र के आसपास ही इस के बारे में चर्चा करें. उसे समझाएं कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिस से हर औरत को गुजरना पड़ता है. बचपन से किशोर उम्र में कदम रखने पर शरीर किन बदलावों से गुजरता है, यह भी उसे बताएं.

कब करें डाक्टर से संपर्क

– आप के पीरियड्स अचानक 90 दिन से अधिक समय के लिए बंद हो जाएं और आप गर्भवती न हों.

-7 दिनों से अधिक समय तक ब्लीडिंग हो.

-अत्यधिक ब्लीडिंग हो.

-पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग और दर्द हो.

-पीरियड्स का अंतराल 21 दिन से कम या 35 दिन से अधिक हो.

अत्यधिक पीरियड्स से आयरन की कमी हो जाती है. इस से ऐनीमिया, थकान, त्वचा का पीला पड़ जाना, ऊर्जा की कमी, सांस फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस)

इसे प्रीमैंस्ट्रुअल टैंशन (पीएमटी) भी कहते हैं. कई महिलाओं में पीरियड्स के दौरान पीएमएस के लक्षण दिखाई देते हैं. इस समय वक्षस्थल में सूजन आ जाना, सिरदर्द, कमर दर्द, पेट फूलना या अधिक भूख लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इस में मुंहासे, उत्तेजना, थकान, अनिद्रा, ऊर्जा की कमी, अवसाद और मूड बदल जाना के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं. तीव्र लक्षणों में आक्रामक बरताव या आत्महत्या का खयाल आना. ये लक्षण हर महीने गंभीर हो सकते हैं. तनाव इन लक्षणों को और गंभीर बना सकता है.

पीएमएस के लक्षणों से बचाव

-संतुलित भोजन का सेवन.

– खूब पानी पीना.

– धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन न करना.

– पूरी नींद लें.

– तनाव न पालें.

– कुनकुने पानी से स्नान.

मासिकचक्र के दौरान जरूरी सावधानियां

आप पीरियड्स की चिंता न करें. उन दिनों आप अपना ध्यान रखेंगी तो आप का समय आसानी से गुजर जाएगा.

– साफसफाई का विशेष ध्यान रखें. एक ही पैड पूरा दिन न रखें, बदलती रहें.

– अगर ब्लीडिंग अधिक हो रही हो तो रात में भी एक बार पैड बदल लें.

– अगर आप को अपने दांतों का इलाज कराना है या किसी और स्वास्थ्य समस्या के लिए डाक्टर के पास जाना चाहती हैं तो न जाएं, क्योंकि इस दौरान शरीर में ऐस्ट्रोजन हारमोन का स्तर कम होता है, इसलिए दर्द अधिक होता है.

– मासिकचक्र के दौरान वैक्सिंग न कराएं.

– ठंडी चीजों जैसे दही, चावल, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स आदि के सेवन से रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिस से गर्भाशय की अंदरूनी भित्ती निकलने में समस्या आती है.

– कैफीन का सेवन कम मात्रा में करें, क्योंकि इस से रक्तनलिकाएं संकुचित हो जाती हैं, जिस से ब्लीडिंग रुक जाती है. इस से पेट दर्द अधिक होता है.

– अपने योनि क्षेत्र को साफ करने के लिए वर्जाइना वाश का इस्तेमाल न करें. इस की जगह गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. योनि का अपना सैल्फ क्लिंजिंग मैकेनिज्म होता है, जो अपनेआप संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को साफ कर देता है, अगर आप वैजाइना वाश का इस्तेमाल करेंगी, तो इस से नैचुरल प्रोटैक्टिव फ्लोरा मर जाएंगे.

– हमेशा ऊपर से नीचे की ओर वाश करें ताकि गुदा मार्ग से संक्रमण फैलने का डर न हो.

कई महिलाओं को जांघों या योनि क्षेत्र के आसपास रैशेज हो जाते हैं. इस से बचने के लिए साफसफाई का विशेष ध्यान रखें. समय पर पैड बदलें. इस क्षेत्र को सूखा और साफ रखें. अगर आप को फिर भी समस्या होती है, तो किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा को दिखाएं.

मेरी शादी करने की उम्र हो गई है पर मेरे घरवाले ध्यान नहीं देते, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 28 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. इतनी उम्र हो जाने के बाद भी मेरे घर वाले मेरी शादी नहीं कराना चाहते हैं, क्योंकि मैं घर में एकलौती कमाने वाली हूं. वे मेरी कमाई खाने के इतने ज्यादा आदी हो गए हैं कि अगर कोई मेरे लिए रिश्ता बताता भी है, तो वे उस पर ध्यान नहीं देते हैं. इस बात से मैं बहुत ज्यादा तनाव में रहती हूं. मेरा खुदकुशी करने का मन करता है. मैं क्या करूं?

जवाब

आप जैसी लाखों लड़कियां अपने घर वालों की खुदगर्जी की सजा भुगत रही हैं. घर वाले निकम्मेपन, आलसीपन और मुफ्तखोरी की आदत के चलते लड़की की शादी नहीं होने देते. खुदकुशी का खयाल मन में न आने दें. जिंदगी अपनी मरजी से जिएं और मनपसंद जगह शादी भी करें.

उन घर वालों की फिक्र न करें, जिन्हें आप की जिंदगी और भविष्य से कोई वास्ता नहीं. खाने को नहीं मिलेगा तो भूख लगने पर उन के हाथपैर खुद ब खुद चलने लगेंगे. हां, जब कभी आप को लगे कि उन्हें वाकई जरूरत है, तो छोटीमोटी मदद कर देना. इस से आप को भी सुकून मिलेगा.

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