मिथुन चक्रवर्ती इस फिल्म में कर रहे हैं कैमियो का रोल प्ले

‘‘घायल’’,‘‘दामिनी’’,‘‘बरसात’’,‘‘चाइना गेट’’,‘‘खाकी’’, ‘‘हल्ला बोल’’सहित कई सफलतम फिल्मों के लेखक व निर्देशक राज कुमार संतोषी इन दिनों अपनी फिल्म ‘‘बैड ब्वाॅयज’’की शूटिंग में व्यस्त है. फिल्म‘बैंड ब्वायज’’की कहानी से प्रभावित होकर 360 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके तथा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी इस फिल्म में कैमियो कर रहे हैं.

राजकुमार संतोषी इन दिनों अपनी फिल्म‘‘बैड ब्वाॅय’’के लिए नमाशी चक्रवर्ती और अमरीन कुरैशी के साथ हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी स्टूडियो में एक खूबसूरत रोमांटिक गाना ‘‘जनाब-ए-अली‘‘ फिल्माने में व्यस्त हैं. जिसका नृत्य निर्देशन पियूष भगत और शाजिया सामजी कर रही हैं.इसी गाने में ओजी डिस्को किंग और ग्रैंड मास्टर मिथुन चक्रवर्ती ने मुख्य कलाकारों के साथ मिलकर एक छोटा सा कैमियो कर रहे हैं.मिथुन दा ऐस म्यूजिक कंपोजर हिमेश रेशमिया के म्यूजिक की धुन पर आएंगे नजर. निर्देशक राजकुमार संतोषी कहते है-

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‘‘कोविड ने रिलीज के शेड्यूल में गड़बड़ी की है, हालांकि हम जल्द से जल्द फिल्म को रिलीज करने की उम्मीद करते हैं.मिथुन दा एक लेजेंड हैं, गाने में मिथुन दा के होने से ना केवल अतिरिक्त तड़का आएगा बल्कि लोगों मैं फिल्म ‘बैड बॉय‘ को लेकर और भी जोश बढ़ जाएगा.’’ फिल्म के मुख्य अभिनेता नमाशी चक्रवर्ती कहते हैं, ‘‘आज मैंने अपने आदर्श के साथ न केवल ऑन-स्क्रीन, बल्कि ऑफ-स्क्रीन भी काम किया है. 360 फिल्मों और तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के अनुभव के साथ अब तक के सबसे महान अभिनेता ने मुझे और मेरी पहली फिल्म को आशीर्वाद दिया.उनके साथ एक ही फ्रेम में रहने के लिए, मैं बहुत ही ज्यादा आभारी हूँ.‘‘

फिल्म की मुख्य अदाकारा अमरीन कुरैशी ने कहा, ‘‘मैं दिग्गजों के साथ काम करके बहुत खुश हूं, मेरे डेब्यू प्रोजेक्ट में, मिथुन अंकल डांस के प्रतीक हैं और वह मेरे सबसे पसंदीदा रहे हैं. यह वास्तव में संजोने का एक क्षण है कि मेरी फिल्म में मुझे ऐसा करने का अवसर मिला है, जिसमे मुझे मिथुन सर के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिल रहा है.”

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निर्माता साजिद कुरैशी कहते हैं, ‘‘हर दिन, हम फिल्म की रिलीज के करीब पहुंच रहे हैं.यह गाना हमारे लिए बहुत खास है.इस गाने मेंमिथुन दा का होना एक आदर्श है.यह आधुनिक और पुराने विश्व आकर्षण का एक आदर्श मिश्रण है.”

फिल्म सितारों की अजीबोगरीब आदतें

हर इनसान में कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो देखनेसुनने में काफी अजीब होती हैं. जैसे किसी को नाखून चबाने की आदत होती है, तो किसी को बिना हाथ धोए खाना खाने की. लेकिन सिर्फ आम लोगों में ही नहीं, बल्कि, नामचीन लोगों में भी कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जिन के बारे में देखसुन कर काफी अजीब लगता है. ऐसे लोग क्या करते हैं, कैसे रहते हैं, क्या खाते हैं, यह उन के चाहने वाले सिर्फ जानना ही नहीं चाहते हैं, बल्कि उन की आदतों को अमल में भी लाना चाहते हैं. तो आज हम कुछ बौलीवुड सितारों की ऐसी अजीबोगरीब आदतों के बारे जानते हैं, जो आप को हैरान कर देंगी :

सलमान खान

यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि बौलीवुड के ‘भाईजान’ सलमान खान को तरहतरह के साबुन जमा करने का शौक है. वे पूरी दुनिया में घूमघूम कर कई तरह के साबुन जमा कर चुके हैं.

अमिताभ बच्चन

बौलीवुड के ‘महानायक’ अभिताभ बच्चन को अपनी कलाई पर 2 घड़ियां बांधने का शौक है. वे ऐसा तब करते हैं जब ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन विदेश यात्रा पर होते हैं. इस से वे दोनों जगह के टाइम जोन को मिलाते हैं, लेकिन अब वह उन का स्टाइल स्टेटमैंट बन गया है.

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विद्या बालन

बौलीवुड हीरोइन विद्या बालन की आदत भी बड़ी अजीब है. उन्हें इस हाईटैक जमाने में मोबाइल फोन इस्तेमाल करना बिलकुल भी पसंद नहीं है. वे कई घंटों तक अपना मोबाइल फोन चैक नहीं करती हैं, जिस की वजह से वे अकसर कई इवैंट मिस कर देती हैं. इस के अलावा उन्हें साड़ी खरीदने का बहुत शौक है. उन की अलमारी में कई सौ साड़ियां हैं.

सुष्मिता सेन

आप को सुन कर थोड़ा अजीब लगेगा कि सुष्मिता सेन को सांप पालने का शौक है. उन्होंने अपने घर में एक अजगर पाला हुआ है. इस के अलावा उन्हें ओपन टैरेस पर नहाना पसंद है और इस के लिए उन्होंने अपनी छत पर बाथटब भी बनवाया हुआ है.

करीना कपूर खान

करीना कपूर खान बौलीवुड की एक बेहतरीन अदाकारा होने के साथसाथ खूबसूरत हीरोइनों में से एक हैं. लेकिन उन की भी एक अजीब आदत है. जी हां, बता दें कि करीना कपूर को नाखून चबाने की आदत है. कई इवैंट्स के दौरान उन्हें ऐसा करते देखा गया है.

सैफ अली खान

सैफ अली खान को अपने बाथरूम में समय बिताना अच्छा लगता है और इस की वजह है कि उन के बाथरूम में लाइब्रेरी के साथसाथ फोन ऐक्सटैंशन भी है.

आयुष्मान खुराना

बौलीवुड हीरो आयुष्मान खुराना को अपना मुंह साफ रखने की ज्यादा ही आदत है. उन्होंने इस बात का खुलासा एक इंटरव्यू में किया था कि उन्हें दिनभर में तकरीबन 7 से 8 बार ब्रश करने की आदत है.

आमिर खान

आमिर खान से तलाक ले चुकी उन की दूसरी पत्नी किरण राव ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि आमिर खान को रोज नहाना बिलकुल पसंद नहीं है.

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दीपिका पादुकोण

बौलीवुड की खूबसूरत हीरोइनों में से एक दीपिका पादुकोण को खासकर एयरपोर्ट जैसी जगहों पर लोगों की ऐक्टिविटी को गौर से देखना, उन के बारे में अंदाजा लगाने की आदत है.

अलिया भट्ट

अलिया भट्ट को मर्दों का परफ्यूम इस्तेमाल करना पसंद है और यह बात उन्होंने खुद बताई थी.

प्रीति जिंटा

प्रीति जिंटा साफसफाई को ले कर इतनी ज्यादा संजीदा हैं कि वे कहीं होटल बुक करने से पहले वहां का वाशरूम जरूर चैक करती हैं.

जितेंद्र

बीते जमाने के हीरो जितेंद्र को अपने बाथरूम में कमोड पर बैठ कर पपीता खाना अच्छा लगता है.

शाहरुख खान

शाहरुख खान को जूते पहनना इतना ज्यादा पसंद है कि वे पूरे दिन अपने पैरों में जूते पहने रहते हैं. वे तभी जूते उतारते हैं, जब सोने जाते हैं. इस के अलावा उन के पास हजारों जींस हैं, कई वीडियो गेम और गेमिंग गैजेट भी हैं. वे जब भी खाली होते हैं, तब अपने इस शौक को पूरा कर लेते हैं.

शाहिद कपूर

शाहिद कपूर को कौफी पीने की ऐसी लत है कि वे दिनभर में 10 कप कौफी के गटक जाते हैं.

सनी लियोनी

सनी लियोनी शूटिंग के दौरान तकरीबन हर 15 मिनट में बाहर निकल आती हैं, ताकि वे अपने पैर साफ कर सकें. इस बात का जिक्र उन्होंने खुद किया था.

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पाकिस्तानी मॉडल नायाब नदीम की संदिग्ध हालत में मौत, घर में बिना कपड़ो के मिली Dead Body

पाकिस्तानी मॉडल नायब नदीम की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किसी शख्स ने नायाब नदीम की हत्या की है. ये भी बताया जा रहा है कि शाम से उनके घर के बाहर कोई अंजान शख्स चक्कर लगा रहा था.

खबरों के अनुसार नायाब घर में अकेली रहती थी. 11 जुलाई को उनके भाई मुहम्मद अली ने नायाब के घर पहुंचे तो उनकी लाश घर के फर्श पर पड़ी थी. मुहम्मद अली ने इस खबर की सूचना पुलिस को दी.

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रिपोर्ट के अनुसार अली ने ये भी बताया कि नायाब उनके साथ दोपहर में आइसक्रीम खाने गुलबर्ग गई थी. और आइसक्रीम खाने के बाद उन्होंने नायाब को घर वापस छोड़ दिया था. तो वहीं अली ने शाम में नायाब को फोन किया. पर नायाब ने फोन नहीं उठाया. जिसके बाद वो फिर से उनसे मिलने नायाब के घर पहुंच गए. जहां नायाब की लाश मिली.

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उन्होंने ये भी बताया कि, जब वो घर पहुंचे तो बाथरूम की खिड़की टूटी हुई थी. उसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हत्या वहीं से घर में घुसा होगा. पुलिस क कहना है कि फिलहाल इस मामले में कई पहलुओं से जांच की जा रही हैं.

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फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया

State Of Siege Temple Attack Review: निराश करती हैं अक्षरधाम हमले पर बनी ये फिल्म

रेटिंगः दो़ स्टार

निर्माता: अभिमन्यू सिंह

लेखकः  विलियम बॉर्थविक और सिमॉन

फैंटाउजो

निर्देशकः केन घोष

कलाकारः अक्षय खन्ना, विवेक दहिया, प्रवीन डब्बास, समीर सोनी, गौतम रोड़े,मीर

सरवर,मंजरी फणनीस, अक्षय ओबेरॉय और अभिमन्यु सिंह

अवधि: एक घंटा पचास मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

2002 में गुजरात के अक्षर धाम मंदिर पर जो आतंकवादी हमला हुआ था, उसी सत्य घटनाक्रम से प्रेरित होकर निर्देशक केन घोष व क्रिएटर अभिमन्यू सिंह एक फिल्म ‘‘स्टेट आफ सीएज’’लेकर आए हैं. यॅूं तो निर्माता व निर्देशक की तरफ से इसे काल्पनिक कहानी बतायी गयी है.

कहानीः

फिल्म की कहानी 2001 से शुरू होती है जहां एनएसजी कमांडो मेजर हनुत सिंह(अक्षय खन्ना) अपनी टीम के साथ मिनिस्टर की बेटी को बचाने जाते हैं. रोहित बग्गा (विवेक दहिया) जो हनुत को खास पसंद नहीं करता, जबकि समीर (गौतम रोड़े) हनुत का अच्छा दोस्त है.यहां मंत्री की बेटी को बचाने की मुहीम में अपने वरिष्ठ कर्नल एम.एस. नागर (प्रवीण डबास) के आदेश को नजरंदाज एनएसजी कमांडो मेजर हनुत सिंह पाकिस्तानी आतंकवादी अबू हाजमा को जिंदा पकड़ने के चक्कर में अपने एक साथी को खोने के साथ ही खुद घायल हो गए थे. अबू हाजमा को पकड़ नही पाए,जबकि बिलाल भारत की जेल पहुंच चुका था.अब अबू हाजमा नए आतंकवादियों को तैयार कर 2002 में फारुख उमर, हनीफ सहित चार लोगों को गुजरात में अहमदाबाद के कृष्णा धाम मंदिर पर हमला करने भेजता है, उसी वक्त वहीं एक होटल में मंत्री चोकसी का कार्यक्रम हो रहा है, जहां सारी एनएसजी फौज लगी हुई है. मंदिर के अंदर पुजारी, सैकड़ों भक्त के साथ साथ मंदिर के ऑडीटोरियम में स्कूल के कई बच्चे व षिक्षक मौजूद हैं. तभी चार आतंकवादी पहुंचकर अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगते हैं. चारों आतंकवादी मंदिर के अंदर अलग अलग जगह पर पहुंचकर लोगों को जीवित बचे लोगों को बंधक बना लेते हैं.

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उसके बाद पाकिस्तान से अबू हाजमा भारत सरकार से बिलाल की रिहाई की मांग करता है. कृष्णा धाम मंदिर में लोगों के मरने की खबरें सुनकर भारत के प्रधानमंत्री बिलाल को छोड़ने का ऐलान कर देते हैं.उधर एनएसजी कमांडों के मेजर हनुत सिंह जिद करके कुछ साथियों के साथ कृष्णा धाम मंदिर पहुॅचकर कुछ लोगों को जिंदा मंदिर से बाहर निकालने में कामयाब होने के साथ ही दो आतंकवादियों को खत्म करने में सफल होते हैं. पर फिर मेजर हनुत सिंह घायल हो जाते है.कर्नल सिंह अब हनुत सिंह की जगह दूसरे कमांडो को नेतृत्व करने की जिम्मेदारी देते है.मगर हालात बिगड़ते देख हनुत सिंह पुनः मंदिर के अंदर जाते हैं.अंततः अन्य दो आतंकवादी मारे जाते हैं, उधर उरी के आसपास के एलओसी पर बिलाल को छोड़ने गए सैनिकों इसकी खबर मिलती है, तो वह बिलाल से वापस चलने के लिए कहते हंै,पर वह पाकिस्तान की तरफ भागता है, तब एक सैनिक उसे मौत के घाट उतार देता है.

लेखन व निर्देशन:

लेखन व निर्देशन की अति कमजोर कड़ियों के चलते फिल्म अपनी दमदार शुरूआत के चंद मिनटों बाद ही फुसफुसा पटाखा हो जाती है. फिल्म में निर्देशक केन घोष पूरी तरह से भ्रमित है,ऐ सा नहीं कहा जा सकता बल्कि उन्होंने जानबूझकर ऐसे दृष्य गढ़े हैं. कहानी जब गुजरात पहुंचती है, तो लेखक व निर्देषक ने दिखाया है कि मंदिर के अंदर आतंकवादियों के चंगुल से अपने बेटे को बचाने के लालच में मंदिर प्रांगण के पास दुकान चला रहा एक हिंदू पिता आतंकवादियों को एनसीजी कमांडों की हर गतिविधि की जानकारी फोन पर देते हैं.

आखिर इस तरह के दृश्यों से वह क्या संकेत देना चाहते हैं? इतना ही नही भारत के किसी भी एनएसजी कमांडो के शौर्य के सामने एक भी आतंकवादी ठहर नही सकता, मगर फिल्मकार ने एक आतंकवादी के सामने मेजर हनुत सिंह को कमजोर दिखाया,क्या इस पर हर किसी को आपत्ति होनी चाहिए? फिल्म में भारत व पाकिस्तान की राजनीति को भी गलत अंदाज में पेष किया गया है. 19 वर्ष पहले अक्षरधाम पर हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देष में भूकंप ला दिया था,मगर केन घोष ने उस पर फिल्म तो बनायी,मगर डरकर ‘अक्षरधाम’को ‘कृष्णधाम’ कर दिया. ऐसा क्यो?इसकी एक मात्र वजह यह है कि वर्तमान समय में हमारे फिल्मकार सच कहने की हिम्मत खो चुके हैं.2002 के आतंकवादी हमले मे तीस लोगो ने अपनी जिंदगी खोयी थी, ऐसे में कोई भी फिल्मकार इसे कमतर कैसे आंका सकता है. तभी तो केन घोष ने मध्य का रास्ता चुनते हुए फिल्म में ‘अच्छा मुस्लिम’और ‘देषद्रोही हिंदू’को मिश्रित कर दिया. फिल्म में मंदिर का एक मुस्लिम सफाई कर्मी मोहसिन (चंदन रॉय), का आतंकवादियो के सामने दिया गया मानवता का भाषण सिर्फ निराष ही करता है. मोहसिन, एक हत्यारे (अभिलाष चैधरी) से कहता है- ‘‘मैं एक मुसलमान हूं लेकिन मैं आपके जैसा नहीं हूं,’’ फिल्म ‘‘स्टेट आफ सीजः मंदिर अटैक’’की षुरूआत में जब एक वतन परस्त कमांडो मेजर हनुत सिंह अपने वरिष्ठ के आदेष का उल्लंघन कर अपने चंद साथियों के सेाथ मिशन पर आगे बढ़ता है, तो लगता है कि फिल्म सही दिशा में जा रही है. मगर दस मिनट बाद कहानी गुजरात पहुंचते ही फिल्म धीरे धीरे बिखरती चली जाती है.

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फिल्म का क्लायमेक्स बहुत ढीला है. फिल्म के कुछ दृश्य अविश्वसनीय है. मसलन-एनएसजी कमांडो जब अपनी ड्यूटी पर है, तब वह अपना मोबाइल फोन साथ में ले जाते हैं और अपनी पत्नी से मोबाइल पर बात करते हैं. पर क्या ऐसा संभव है? कहानी सत्य घटनाक्रम पर आधारित होने के बावजूद उसका पूरा मुंबई मसाला फिल्मीकरण कर दिया गया है. लेखक व निर्देशक ने हनुत सिंह सहित कई किरदारों को सही ढंग से गढ़ा ही नही है.फिल्म में लोग मरते हैं,गोलियां चलती हैं, मगर दर्शकों के मन में आतंकवादियों के प्रति गुस्से का भाव नही पैदा कर पाती.

फिल्म में मानवता का संदेष भी दिया गया है.मंदिर का ही एक पुजारी अंत में मृत आतंकवादियों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए एक संवाद कहते हैं-‘‘हिंसा हर समाज को तोड़ने का काम करती है.’’मगर यह फिल्म सांप्रदायिका संघर्ष रोकने का कोई संदेश नहीं देती.

अभिनयः

एनएसजी कमांडो हनुत सिंह के किरदार में अक्षय खन्ना ने बेहतरीन अभिनय किया है.मगर लेखक व निर्देषक ने उनके चरित्र को सही ढंग से गढ़ा ही नही. अक्षय खन्ना उत्कृष्ट कलाकार हैं.ऐसे में उन्हे किरदार चयन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. अक्षय खन्ना के अलावा फिल्म के सभी कलाकारों ने महज अपनी ड्यूटी ही निभायी है.

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लोग हैं कि जीने नहीं देते: बॉलीवुड एक्ट्रेसेस को टारगेट करते लोग

साल 1991 में आई फिल्म ‘लम्हे’ एक ऐसी प्रेम कहानी थी, जिसे भारतीय दर्शकों ने सिरे से नकार दिया था. वजह, हीरो अनिल कपूर श्रीदेवी से प्यार करता है, पर वह किसी दूसरे आदमी से शादी कर लेती है.

बाद में जब श्रीदेवी और उस के पति की मौत हो जाती है तो उन की बेटी, जो श्रीदेवी ही है, अपने से कहीं ज्यादा बड़े अनिल कपूर से प्यार करने लगती है. पहले तो अनिल कपूर को श्रीदेवी की यह हरकत बचकानी लगती है, पर आखिर में वह उस से शादी कर लेता है.

दर्शकों को यही बेमेल प्यार रास नहीं आया और उन्होंने यश चोपड़ा की इस बेहतरीन फिल्म को उतनी ज्यादा कमाई नहीं करने दी, जितनी उम्मीद की जा रही थी. हालांकि, इस फिल्म को नैशनल अवार्ड के साथसाथ 5 फिल्म फेयर अवार्ड भी मिले थे.

यह तो हुई फिल्मी बात और कई साल पुरानी भी, पर आज जब हम और ज्यादा एडवांस हो गए हैं, तब भी ऐसे किसी बेमेल प्यार को मन से स्वीकार नहीं कर पाते हैं.

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अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा को ही ले लें. मलाइका अरोड़ा तलाकशुदा हैं और उम्र में अर्जुन कपूर से बड़ी हैं, इस के बावजूद वे दोनों साथ हैं. पर जनता है कि उन्हें जीने नहीं देती है. हाल ही में जब वे दोनों एक फोटो में साथसाथ दिखे, तो लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर खूब भलाबुरा कहा.

दरअसल, किसी ने अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा के एक फोटो को अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया था, जिस में वे दोनों कार में बैठते दिख रहे थे. इस फोटो पर लोगों ने इतने घटिया कमैंट्स किए कि बहुत से मैसेज को तो पढ़ा भी नहीं जा सकता.

इस जोड़े को ‘चप्पल से मारने’ की बात लिखी गई, तो कुछ ने अर्जुन कपूर को ‘घर तोड़ू’, ‘बुड्ढी के साथ अर्जुन बुड्ढा हो गया’, ‘मांबेटे’ जैसे घटिया कमैंट्स किए.

भले ही मलाइका अरोड़ा बिंदास हो कर अपनी जिंदगी जीती हैं और लोगों की वाहियात बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं, पर उन में भी एक औरत का दिल है और साथ ही वे मां भी हैं, इसलिए ऐसी बातों का उन के मन पर बुरा असर जरूर पड़ता है, तभी तो उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि आज भी भारतीय समाज में तलाकशुदा औरत का आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, जबकि मर्दों के लिए नए रिश्ते में जाना और नौर्मल जिंदगी जीना बहुत आसान है.

मलाइका अरोड़ा की यह बात सौ फीसदी सच है कि भारतीय दकियानूसी समाज में किसी तलाकशुदा औरत का अपने मन से जिंदगी गुजरना बड़ा ही मुश्किल काम है. पर हमारे यहां तो उस औरत को भी ताने सुना दिए जाते हैं, जो न तो तलाकशुदा है और न ही बिना शादी किए किसी मर्द के साथ रहती है.

खूबसूरत हीरोइन प्रियंका चोपड़ा की शादी को भी लोग आज तक नहीं पचा पाए हैं. उन्होंने हौलीवुड के पौप स्टार और फिल्म कलाकार निक जोनस से शादी की थी, जो उम्र में उन से काफी छोटे हैं. लोगों को यह बात भी हजम नहीं हुई और उन्होंने उन्हें ‘ग्लोबल स्कैम आर्टिस्ट’ कहा, तो कुछ ने इस जोड़ी की ‘मांबेटे’ से तुलना कर दी. कुछ ने तो यह तक कहा कि पीसी यानी प्रियंका चोपड़ा ने निक जोनस के ‘पैसे देख कर’ शादी की है.

ऐसी ही कई ऊलजुलूल बातों पर प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि अपने से उम्र में छोटे लड़के से शादी करने पर उन्हें आज भी बातें सुनने को मिल जाती हैं. फिलहाल वे खुद को इस से प्रभावित नहीं होने देतीं और अपने व निक के रिश्ते को बेहतर बनाने पर फोकस करती हैं.

ऐसा क्यों होता है कि समाज किसी तलाकशुदा या उम्र में बड़ी औरत या लड़की को अपनी मरजी से जीवनसाथी चुनने की आजादी नहीं देता है, जबकि कानून उन के साथ होता है? यहां पर आजादी से मतलब यह है कि लोगों को दूसरों की जिंदगी में  झांकने की इजाजत किस ने दी?

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इस सवाल का जवाब यह है कि लोग खासकर मर्द समाज किसी ऐसी औरत या लड़की को हंसते हुए नहीं देख सकता, जो उन की नजर में ‘पवित्र’ नहीं है. विधवा, तलाकशुदा या उम्र में बड़ी लड़की को इतने ज्यादा गुणों वाला जीवनसाथी कैसे मिल सकता है, यह बात मर्दों को हजम ही नहीं होती है.

एक और मामला देखते हैं, जिस में लड़की न तलाकशुदा है, न विधवा है और न ही उस ने अपने से कम उम्र के मर्द से शादी की है, पर फिर भी लोगों ने सोशल मीडिया पर खूब खरीखोटी सुनाई.

टैलीविजन सीरियल के बाद फिल्मों में अपनी जगह बनाने वाली अंकिता लोखंडे को तो आप जानते ही होंगे, जो एक समय में फिल्म कलाकार सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रैंड रही थीं और उन की मौत के बाद वे बहुत दुखी भी हुई थीं.

तब लोगों ने उन की खूब तारीफ की थी, पर बाद में जब अंकिता ने अपने बौयफ्रैंड के साथ सोशल मीडिया पर कुछ तसवीरें शेयर कीं, तब लोगों ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘सुशांत को इतनी जल्दी भूल गई’, ‘इसलिए सुशांत ने छोड़ दिया था’, ‘सब नौटंकी थी क्या?’ और भी न जाने क्याक्या सुनाया था.

अगर आज अंकिता लोखंडे अपने प्रेमी के साथ खुश हैं, तो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अंकिता का उन के लिए शोक मनाना नौटंकी कैसे हो सकता है? वैसे भी तब उन दोनों के बीच ऐसा कोई रिश्ता नहीं था कि वे किसी तरह की नौटंकी करतीं.

उन्होंने सुशांत के साथ अच्छाबुरा वक्त गुजारा था, जिस की यादें वे जिंदगीभर नहीं भूलेंगी और आगे भी सुशांत को ले कर बोलने के लिए आजाद हैं और उन की यह आजादी सोशल मीडिया के चंद चिरकुट छीन नहीं सकते हैं.

ये वे ही लोग होते हैं, जिन की नजर में कोई मर्द बुढ़ापे में भी सेहरा बांध ले तो वह किसी अबला का सहारा कहलाता है. दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, कबीर बेदी, मिलिंद सोमन, शाहिद कपूर, संजय दत्त में क्या समानता है? इन सब की पत्नी उम्र में इन से काफी छोटी हैं. पर किसी मर्दवादी ने चूं तक नहीं की. मिलिंद सोमन और अंकिता कंवर में तो 29 साल का अंतर है, फिर भी वे दोनों एक हुए.

दिक्कत यह है कि लोग अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह सम झ लेते हैं कि अब उन्हें किसी के बारे में कुछ  भी लिखनेबोलने का हक हो गया है. वे सोशल मीडिया को अपने बाप की जागीर मान लेते हैं और जानबू झ कर ऐसा लिखते हैं, जो सामने वाले को चुभे. उन की भाषा भी वाहियात होती है.

जब कभी कोई आहत सैलेब्रिटी उन्हें जवाब देता है या अपना गुस्सा जाहिर करता है तो उन के मानो पैसे वसूल हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि वे खुद सैलेब्रिटी बन गए हैं, बदले में चार गालियां पड़ गईं तो क्या फर्क पड़ता है.

पर यह सब होता क्यों है? क्यों लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर वगैरह पर अपनी भड़ास निकालते हैं?

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दरअसल, अगर हम अपनी पौराणिक किताबों को खंगालेंगे तो पता चलेगा कि यह तो हमेशा से होता आया है. ‘महाभारत’ में द्रौपदी को चौसर के खेल में बेच दिया जाता है, तो ‘रामायण’ में एक अदना से आदमी के कहने पर राम अपनी पत्नी सीता को दोबारा से अकेली वन में भेज देते हैं.

बहुपत्नी का तब रिवाज था. हारा हुआ राजा अपनी बेटी का ब्याह जीते हुए राजा से कर देता था, फिर चाहे उस की उम्र लड़की से कितनी ही ज्यादा क्यों न हो. बाली ने तो अपने छोटे भाई सुग्रीव की पत्नी पर ही कब्जा कर लिया था.

इन बड़ीबड़ी किताबों में विधवा, बां झ औरतों को दुखभरी जिंदगी जीनी पड़ती थी. किसी ने व्यभिचार किया तो सजा मर्द के बजाय औरत को दी जाती थी. ऐसी किताबों का आम जनता पर इतना गहरा असर पड़ा कि भारत में कुछ समय पहले तक विधवा विवाह को अच्छा नहीं माना जाता था. कहींकहीं तो उन्हें पति की लाश के साथ जबरन सती कर दिया जाता था, मतलब चिता में जिंदा  झोंक दिया जाता था. बां झ को सामाजिक कामों से दूर रखा जाता था और उन को ‘डायन’ प्रचारित कर मार दिया जाता था.

आज भी भारत के कुछ राज्यों में बाल विवाह आम है, जहां दो बच्चों को उस उम्र में एकदूसरे से बांध दिया जाता है, जब उन्हें भाईबहन के अलावा किसी और रिश्ते की पहचान तक नहीं होती है.

यही वजह है कि जब कोई औरत अपने मन के मुताबिक जिंदगी गुजारना चाहती है तो लोग उस की इज्जत की धज्जियां उड़ाने में लग जाते हैं. फिर वे यह नहीं देखते कि खुद समाज में उन की क्या औकात है. जिन्हें अपने घर और समाज में कोई नहीं पूछता, वे ही सोशल मीडिया पर तीसमार खां बनते हैं.

हमें तो फख्र होना चाहिए अर्जुन कपूर, निक जोनस के साथसाथ उन तमाम मर्दों पर, जो किसी औरत के अतीत को जान कर भी उन्हें अपनी गर्लफ्रैंड, जीवनसाथी बनाते हैं और मर्द व औरत के कद को बराबर कर देते हैं.

दिलीप कुमार के निधन पर रवि किशन ने जताया गहरा शोक, कहा ‘उनका जाना मेरे लिए व्‍यक्तिगत क्षति’

भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार के निधन पर अभिनेता व सांसद रवि किशन ने गहरा शोक व्‍यक्‍त किया. उन्‍होंने दिलीप कुमार के निधन को व्‍यक्तिगत क्षति बताया और कहा कि मुझे नहीं लगता है कि दिलीप साहब जैसा कोई कलाकार हिंदी सिनेमा में हिंदुस्‍तान में जन्‍म लेगा. हम सब लोग उनके मुरीद थे. आज एक संस्‍था का अंत हो गया. सिनेमा का एक युग खत्‍म हो गया.

वहीं, दिलीप कुमार के निधन को पवन सिंह, खेसारीलाल यादव और अक्षरा सिंह ने भी हिंदी सिनेमा को अपूरणीय क्षति बताया और कहा कि ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें.

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इससे पहले रवि किशन ने दिलीप कुमार को याद करते हुए कहा कि मैं भाग्‍यशाली रहा कि उन्‍होंने मेरे साथ आखिरी समय में एक फिल्‍म प्रोड्यूस की थी. इस दौरान मुझे उनके साथ बहुत ज्‍यादा वक्‍त बिताने का सौभाग्‍य मिला, जिसकी ढ़ेर सारी यादें रही.

उन्‍होंने जिस फिल्‍म को प्रोड्यूस किया, उसका नाम ‘अब तो बनजा सजनवां हमार’ था. वे हमारी आउटडोर शूटिंग पर भी आये. रवि किशन ने कहा कि बहुत कम लोगों को पता होगा कि मैं और मेरा परिवार उनके बहुत करीब था.

उन्‍होंने कहा कि मैं बहुत भाग्‍यशाली रहा कि मैं अक्‍सर उनके घर आया जा करता था. बहुत सारी चीजें उन्‍होंने सिनेमा व एक्टिंग की बारिकियों को लेकर मुझे डिस्‍कस करते थे. यहां तक कि परिवार को लेकर कैसे एक कलाकार को परिवार को पत्‍नी को बच्‍चों को लेकर चलना चाहिए.

कैसे आप बतौर अभिनेता समाज को भी उदाहरण दे सकते हैं, ऐसी बहुत सी बातें होती थी. उन्‍होंने कहा कि आज सायरा जी आज बहुत दुखी होंगी, मैं ये  समझ सकता हूं, क्‍योंकि उन्‍होंने दिलीप साहब का बच्‍चों की तरह ख्‍याल रखा. मैं समझ रहा हूं कि उनकी एक उम्र हो गई थी, लेकिन एक बड़े कलाकार का जाना तो खलता है.

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वहीं, खेसारीलाल यादव ने कहा कि आज का दिन बेहद दुखद है, जिनको देखकर हमने अभिनय सीखा, वो अब नहीं है. उनकी कृति हमेशा हम सबों को प्रेरणा देगी. दिलीप कुमार को पूरा हिंदुस्‍तान भूल नहीं पायेगा. पवन सिंह ने कहा कि भारतीय सिनेमा जगत के पुरोधा, अभिनय सम्राट, असंख्य कलाकारों के प्रेरणास्रोत श्री दिलीप कुमार जी का निधन फिल्म जगत की अपूरणीय क्षति है. अक्षरा ने कहा – आज हिंदुस्तानी सिनेमा का एक युग चला गया. दिलीप कुमार साहब का जाना एक अनंतकाल तक के लिए ऐसा खाली स्थान है जो कभी न भरा जा सकेगा. देश और सिनेमा आपका सदैव ऋणी रहेगा.

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‘दिलीप कुमार’ की मौत से भावुक हुए अमिताभ बच्चन, Tweet किया ये इमोशनल पोस्ट

हिन्दी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार ( Dilip Kumar) का निधन हो गया है. आज सुबह दिलीप कुमार ने आखिरी सांस ली. 98 साल की उम्र में एक्टर ने दुनिया को अलविदा कहा. दिलीप कुमार की मृत्यु की खबर से  बॉलीवुड इंडस्ट्री में  शोक की लहर छा गई है. तो वहीं फैंस भी उनके मृत्यु पर शोक व्यक्त कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, दिलीप कुमार लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अब वे इस दुनिया में नहीं रहे. ऐसे में हर कोई उनके मृत्यु को लेकर शोक व्यक्त कर रहा है. तो वहीं  बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने भी दिलीप कुमार की मृत्यु पर इमोशनल पोस्ट किया है.

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अमिताभ बच्चन ने अपने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सिनेमा का चलता-फिरता इंस्टीट्यूशन चला गया… जब भी भारतीय सिनेमा का इतिहास लिखा जाएगा, उसमें इस बात का जिक्र होगा कि भारतीय सिनेमा दिलीप कुमार से पहले कैसा था और दिलीप कुमार के बाद कैसा हो गया.

बिग बी ने आगे लिखा कि मैं अपनी ओर से दिलीप कुमार साहब की आत्मा के लिए प्रार्थना करता हूं. भगवान दिलीप साहब के परिवार को इस दुख की घड़ी में शक्ति दें.

बता दें कि दिलीप कुमार का पूरा नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. एक्टर ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. लेकिन फिल्म ‘जुगनू’ से उन्हें इंडस्ट्री में खास पहचान मिली.

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दिलीप कुमार को लेकर एक दिलचस्प घटना अक्सर याद किया जाता है. बताया गया था कि दिलीप कुमार की किसी बात पर अपने पिता से बहस हो गई थी, जिसके बाद वह घर से भाग गए थे. उस वक्त दिलीप कुमार की उम्र सिर्फ 18 साल की थी. उन्होंने एक पारसी कैफे के मालिक की मदद से पुणे में एक सैंडविच का स्टॉल लगाया. और उन्होंने सैंडविच बेचकर 5 हजार से अधिक रुपये जमा किए.

बिकिनी में बिंदास बालाएं

एक लड़कालड़की का रिश्ता पक्का हो रहा था. लड़के के पिता ने कहा कि हमें तो लड़की 2 कपड़ों में ही चाहिए. लड़की वालों ने इसे सच मान लिया और लड़की शादी के मंडप में टू पीस बिकिनी में आ गई.

बिकिनी का इतिहास इस चुटकुले की तरह कतई हंसीमजाक वाला नहीं रहा है. भले ही इस से औरत के उभार और दूसरे नाजुक अंगों को ढका भर जाता है और आज समुद्र किनारे, फैशन शो, स्विमिंग पूल और फिल्मों में औरतें व लड़कियां इसे बेझिझक पहने अपनी देह दिखती नजर आ जाती हैं, पर इसे बनाने वाले को अंदाजा नहीं था कि वह नाममात्र के कपड़े से महिलाओं के बदन को जो मामूली आड़ दे रहा है, वह पूरी दुनिया में एटम बम के धमाके सा असर दिखाएगा.

5 जुलाई, 1946. यही वह दिन था जब पहली बार यह पोशाक दुनिया के सामने आई थी. फ्रैंच आटोमोबाइल इंजीनियर और कपड़ों के डिजाइनर लुईस रियर्ड ने पहली बार बिकिनी को बनाया था, जिस से 5 जुलाई, 1946 को मिशेलिन बर्नार्डिनी नाम की एक हिम्मती मौडल ने पहन कर सार्वजनिक किया था. तब से आज तक हर साल 5 जुलाई को ‘बिकिनी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है.

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बिकिनी का नाम बिकिनी अटोल नाम की एक जगह से लिया गया था. यह वह जगह थी, जहां पर एटोमिक बम की टैस्टिंग हो रही थी. वैसे, बिकिनी का आना भी दुनिया पर कोई एटम बम गिरने से कम नहीं था और बाद में फिल्मों में तो इस का बेहिसाब इस्तेमाल किया गया, मतलब धमाके पर धमाके हुए.

भारत की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी बिकिनी से कैसे अछूती रह सकती थी. साल 1967 और फिल्म का नाम था ‘एन ईवनिंग इन पैरिस’. इस फिल्म में फ्रांस की राजधानी पैरिस की खूबसूरती को बड़े अलहदा अंदाज में बड़े परदे पर दिखाया गया था. लेकिन लोगों का दिल जिस बात ने धड़काया था, वह थी शर्मीला टैगोर की बिकिनी.

इस फिल्म से भी ज्यादा बवाल तब मचा था जब 1966 में शर्मिला टैगोर ने एक फिल्म मैगजीन के लिए टू पीस बिकिनी में फोटो शूट कराया था. जब वे उस मैगजीन की कवर गर्ल बनी थीं, तब लोगों में उन के इस बोल्ड कदम को ले कर बड़ी बहस छिड़ गई थी.  शर्मिला टैगोर ने बड़ी हिम्मत से लोगों की जलीकटी सुनी थी और इसे कहीं से गलत नहीं माना था. नतीजतन, इस के बाद और भी कई भारतीय हीरोइनों ने बिकिनी में अपनी देह की नुमाइश की.

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इन हीरोइनों में जीनत अमान, परवीन बौबी और डिंपल कपाड़िया का नाम खासतौर पर शुमार हुआ. जीनत अमान ने फिल्म ‘हीरापन्ना’ और ‘कुरबानी’, परवीन बौबी ने फिल्म ‘ये नजदीकियां’ और डिंपल कपाड़िया ने फिल्म ‘बौबी’ में बिंदास बिकनी गर्ल होने का खिताब पाया था.

अब तो बन गया है ट्रैंड

आज की बात करें तो हिंदी फिल्म हीरोइनों का बिकिनी पहनना अब आम बात हो गई है, पर उस के लिए उन में अपनी बॉडी शेप में लाने का चलन भी बढ़ा है.

जब से सोशल मीडिया दुनिया पर हावी हुआ है, तब से फिल्म हीरोइनें बिकिनी पहनने के लिए किसी फिल्म में काम करने का भी इंतजार नहीं करती हैं. सारा अली खान, दिशा पटनी, उर्वशी रौतेला, जैकलीन फर्नांडीस तो अपने सैरसपाटे के फोटो में बिकिनी के फोटो शामिल करना नहीं भूलती हैं. इस के अलावा, मलाइका अरोड़ा, करीना कपूर खान, प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, कंगना राणावत, बिपाशा बसु, नरगिस फाखरी, इलियाना डिक्रूज, दीपिका पादुकोण ने भी टू पीस बिकिनी में अपना बोल्ड अवतार दिखाया है.

पर याद रखिए कि किसी हीरोइन को बिकिनी में दिखने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. उन्हें अपनी बौडी का बहुत खयाल रखना पड़ता है, क्योंकि बेडौल शरीर पर टू पीस बिकिनी बिलकुल भी नहीं जमती है. शरीर को शेप में रखने के लिए उन्हें अपने खानपान और कसरत पर खास जोर देना पड़ता है. शरीर पर एक इंच भी चरबी ज्यादा बढ़ी नहीं कि उन का अलार्म बज जाता है कि अगर बिकिनी पहन कर अपने चाहने वालों का दिल धड़काना है तो अपनी देह को दहकते रहना देना होगा.

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लेकिन कभीकभार लोग हीरोइनों को बिकिनी में देखने के बाद उन्हें ट्रोल कर देते हैं. उन्हें बेहया और बेहूदा के साथसाथ न जाने क्याक्या कह देते हैं, गालियां तक बकते हैं, पर जब वही लोग किसी हीरो के सिक्स पैक एब्स वाले बदन की वाहवाही करते हैं और उन जैसा शरीर बनने की कोशिश करते हैं, तो फिर हीरोइन भी तो अपनी शेप में आई देह को दिखाने की हकदार है. क्यों, सही कहा न?

लिहाजा, लोगों को हीरोइनों के ऐसे फोटो की तारीफ करनी चाहिए और उन्हें इस बात की शाबाशी भी देनी चाहिए कि वाकई एटम बम जैसी टू पीस बिकिनी उन की देह पर आ कर तहलका मचा देती है. तो मजा लीजिए खूबसूरत बदन का, जैसे बिकिनी उतना ही छिपाती है, जितनी जरूरत होती है.

मंदिरा बेदी के पति राज कौशल का निधन, हार्ट अटैक से हुई मौत

बॉलीवुड से एक बेहद दुखद खबर आ रही है. मंदिरा बेदी के पति राज कौशल का निधन हो गया है. खबरों के  मुताबिक, उनको कार्डिएक अरेस्ट हुआ था. आज सुबह यानी बुधवार को अचानक कार्डिएक अरेस्ट के बाद उनकी मौत हो गई.

बताया जा रहा है कि हाल ही में उन्होंने दोस्तों  के साथ पार्टी की थी. दरअसल राज ने अपने इंस्टाग्राम पर पार्टी की तस्वीरें भी शेयर की थीं. इन फोटोज में उनके दोस्त अंगद बेदी, नेहा धूपिया दिखाई दे रहे हैं.

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सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी राज कुशल के आकस्मिक निधन को लेकर शोक व्यक्त कर रहे हैं. बता दें कि फेमस फोटोग्राफर विरल भयानी ने भी राज कौशल के निधन की खबर को कन्फर्म किया है.

 

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उन्होंने सोशल मीडिया पर राज कौशल के परिवार की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ‘हम लोग एकदम सदमे में हैं कि मंदिरा बेदी के पति और ऐड फिल्ममेकर राज कौशल का दिल का दौरा पड़ने से आज सुबह निधन हो गया है.

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राज कौशल  ने ‘माय ब्रदर निखिल, ‘प्यार में कभी कभी’, ‘शादी का लड्डू’ जैसी फिल्में प्रड्यूस की थी. मंदिरा बेदी और राज कौशल के दो बेटे और एक बेटी हैं.

 

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मंदिरा बेदी और राज कौशल ने  1999 में शादी की थी. उनकी पहली मुलाकात डायरेक्टर मुकुल आनंद के घर पर हुई थी. उनकी शादी से घर वाले खुश नहीं थे. उन दोनों ने पिछले साल ही बेटी तारा को गोद लिया था.

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हरियाणवी सेंशेसन के रूप में मशहूर नृत्यांगना,गायिका व अभिनेत्री सपना चैधरी हमेशा अपने कार्यों की वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. इन दिनों वह निर्देशक अभय निहलानी की निर्माणाधीन फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ की मुंबई में शूटिंग करने में व्यस्त हैं.

वास्तव में इन दिनों मुंबई में नृत्य निर्देशक लोंगजी फर्नान्डिस फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ के लिए खास गाने का फिल्मांकन कर रहे हैं और यह गाना खास तौर पर सपना चौधरी पर फिल्माया जा रहा है,जो बेहद धमाकेदार गाना माना जा रहा है.फिलहाल इस गाने के फिल्मांकन के लिए स्टूडियो में सपना चौधरी दो दिनों तक ठुमके लगाएंगी, वहीं सपना चैधरी के ठुमके देखकर सेट पर मौजूद हर क्रू मेंबर मदमस्त हो रहा है.

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इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि लंबे समय बाद मशहूर लेखक संजय छैल ने इस फिल्म को लिखा है. सपना चैधरी एक ऐसा नाम बन चुका है, जिसकी मांग हर जगह है. फिर चाहे वह स्टेज शो हो या बॉलीवुड या भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री.

इतना ही नही दर्शक भी सपना चैधरी के नृत्य को देखने के लिए प्राथमिकता देते हैं. यही वजह है कि इस गाने में भी सपना चैधरी ही पहली पसंद बनकर उभरी और आज वह पूरी शिद्दत के साथ इस गाने शूटिंग में लगी हुई हैं.

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सेट पर सपना चौधरी ने कहा- ‘‘फिल्म ‘लव यू लोकतंत्र’’ एक बेहतरीन फिल्म बन रही है. इसका यह गाना इतना मजेदार है कि हर वर्ग के दर्शक इसे अवश्य देखना पसंद करेंगे. इस फिल्म के टीम के साथ जुड़कर बेहद मजा आया. उम्मीद करती हूं सभी को मेरी परफॉर्मेंस, मेरा नृत्य और फिल्म बहुत पसंद आएगी.’’

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फिल्म‘‘लव यू लोकतंत्र’’ के निर्माता एडवोकेट अमित मेहता और राज प्रेमी, प्रोडक्शन हेड अखिलेश राय, कैमरामैन नरेंद्र जोशी, नृत्य निर्देशक लोंगजी फर्नान्डिस, लेखक संजय छैल और
संगीतकार जतिन ललित हैं.

इस फिल्म के मुख्य कलाकार है रवि किशन ,स्नेहा उल्लल, ईशा कोपिकर राज प्रेमी, मनोज जोशी, अली असगर, दयाशंकर पांडेय, देव सिंह, अमित मेहता, बॉबी खन्ना और सुधीर पांडेय है.

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