तेजतर्रार तिजोरी : रघुवीर ने अपनी बेटी का नाम तिजोरी क्यों रखा – भाग 1

बचपन में उस गेहुंए रंग की देहाती बाला का नाम तिजोरी रख दिया गया था. समय के साथसाथ वह निखरती चली गई और अब वह 16 सावन देखते हुए इंटर पास करने के बाद अपने पिता रघुवीर यादव का कामकाज देखती है. उस का तिजोरी नाम इसलिए रख दिया गया था कि उस के खेतिहर किसान पिता रघुवीर यादव ने चोरीडकैती के डर से उस के जन्म होने वाले दिन ही लोहे की मजबूत तिजोरी खरीद कर अपने घर के बीच वाले कमरे की मोटी दीवार में इतनी सफाई से चिनवाई थी कि दीवार देख कर कोई समझ नहीं सकता था कि उस दीवार में तिजोरी भी हो सकती है.

अनाज उपजाने के साथसाथ रघुवीर यादव की मंडी में आढ़त भी थी और छोटे  किसानों की फसलों को कम दामों में खरीद कर ऊंचे दामों पर बेचने का हुनर उन्हें मालूम था. उन का बेटा महेश, तिजोरी से 3 साल छोटा था. पढ़ाई से ज्यादा महेश का मन गुल्लीडंडा और कंचे खेलने में लगता था. पेड़ों पर चढ़ कर आम तोड़ने में भी उसे मजा आता था. इस के उलट तिजोरी को तीसरी जमात में ही 20 तक के सारे पहाड़े याद हो गए थे. 12वीं जमात तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि उस ने गणित में 100 में से 99 नंबर न पाए हों और सभी विद्यार्थियों को पछाड़ कर वह फर्स्ट डिवीजन न आई हो.

यही वजह थी कि दिनभर की सारी कमाई का हिसाब रघुवीर यादव ने 10वीं पास करते ही तिजोरी को सौंप दिया था. तिजोरी को उस लोहे की तिजोरी के

तीनों खानों की खबर थी कि कहां क्या रखा है.

रकम बढ़ी, तो रघुवीर यादव ने जेवरों को गिरवी रखने का काम भी शुरू कर दिया था और इस का लेखाजोखा भी तिजोरी के पास था.

12वीं जमात के बाद उस गांव में डिगरी कालेज खुलने की बात तो कई बार उठी, पर अभी तक खुल नहीं पाया था और इस के चलते तिजोरी की आगे की पढ़ाई न हो सकी.

घर के काम में मां का हाथ बंटाने के साथ खेतखलिहान और हाट बाजार का जिम्मा भी तिजोरी के पास था. पहले तो वह अकेली ही पूरे गांव में अपने काम से घूमती रहती थी, फिर जब महेश  बड़ा हुआ तो उस को साथ ले कर  अपने खेतों में गुल्लीडंडा खेलने या महेश के संगीसाथियों के साथ खेलने निकल जाती.

तिजोरी की हरकतें देख कर कोई अनजान आदमी सोच भी नहीं सकता था कि वह 5 फुट, 2 इंच की लड़की 12वीं जमात पास कर चुकी है.

उन्हीं दिनों गांव में नए पावर हाउस बनाने और ऊंचे खंभे गाड़ कर उन पर बिजली के तार कसने का काम करने के लिए कौंट्रैक्टर सुनील के साथ शहर से कुछ अनुभवी व हलकेफुलके तकनीकी काम जानने वाले मजदूरों ने उस गांव में डेरा डाला.

वे सभी हाईस्कूल या इंटर तो पास थे ही और बिजली महकमे द्वारा ट्रेंड भी थे, पर नौकरी पक्की नहीं थी. एक दिन तिजोरी महेश के साथ गेहूं की कट चुकी फसल को बोरियों में भरवा कर खेत के पास ही बने अपने पक्के गोदाम में रखवाने घर से निकल कर जा रही थी, तो रास्ते में पड़ने वाले आम के पेड़ के पास रुक गई.

2 मोटीमोटी चोटियां और लंबी सी 2 जेब वाली फ्रौक पहने तिजोरी ने पहले तो 3-4 बार उछल कर सड़क की तरफ वाली पेड़ की झुकी डालियों से आम तोड़ने की कोशिश की और जब उसे लगा कि उस की पहुंच आमों तक नहीं हो पा रही है, तो उस ने महेश को पेड़ पर चढ़ा दिया.

ऊपर से जब महेश ने आम तोड़तोड़ कर नीचे फेंकने शुरू किए तो हर फेंके हुए आम को तिजोरी ने ऐसे कैच किया मानो कोई क्रिकेट का मैच चल रहा हो और उस से कहीं कोई कैच न छूट जाए.

बिजली के खंभों और तारों को एक ट्रैक्टरट्रौली में लदवा कर उस पेड़ के पास से गुजरते हुए असिस्टैंट श्रीकांत और दूसरे मजदूरों के साथसाथ जब कौंट्रैक्टर सुनील की नजर तिजोरी पर पड़ी, तो उस ने ट्रैक्टर को वहीं रुकवा दिया और गौर से उस के गंवारू पहनावे को देख कर बोला, ‘‘ऐ छोकरी, आज जितने आम तोड़ने हैं तोड़ ले, कल तो यहां पर इस पेड़ को काट कर खंभा गाड़ दिया जाएगा.’’

महेश को पेड़ से उतरने का इशारा करते हुए तिजोरी एकदम से सुनील की तरफ घूमी और बोली, ‘‘मेरा नाम छोकरी नहीं तिजोरी है, तिजोरी समझे. और बिजली के खंभे गाड़ने आए हो, तो सड़क के किनारे गाड़ोगे या किसी के खेत में घुस जाओगे.’’

‘‘अब यह पेड़ बीच में आ रहा है, तो इसे तो रास्ते से हटाना होगा न,’’ सुनील ने समझाना चाहा, तो तिजोरी बोली, ‘‘तुम गौर से देखो, तो पेड़ सड़क से 5 मीटर दूर है… हां, आमों से लदी 5-7 डालियां जरूर सड़क के पास तक आ रही हैं तो तुम पूरा पेड़ कैसे काट दोगे. मैं तो ऐसा नहीं होने दूंगी.’’

इतना कहते हुए तिजोरी ने आखिरी कैच करे कच्चे आम को भी अपने फ्रौक की जेब में ठूंसा और महेश के साथ अपने खेत की तरफ दौड़ पड़ी.

तिजोरी के जाते ही श्रीकांत बोला, ‘‘सुनील सर, वह छोकरी कह तो सही रही थी और मैं समझता हूं कि इस आम के पेड़ का मोटा तना 5 मीटर दूर ही होगा और हमारे खंभे गाड़ने में आड़े नहीं आएगा.’’

सुनील तिजोरी को दूर तक जाते हुए देखता रहा, फिर वह दोबारा ट्रैक्टर पर चढ़ कर उसी दिशा में बढ़ गया, जिधर तिजोरी गई थी और जहां बिजली महकमे ने अपना स्टोर बना रखा था.

एक बड़े गोदाम की ऊंची दीवार से सटी खाली पड़ी सरकारी जमीन पर कांटे वाले तारों से एक खुली जगह को चौकोर घेर कर खुले में टैंपरेरी स्टोर बना लिया गया था.

बिजली के खंभे, गोलाई में लिपटे मोटे एलुमिनियम तार के बड़े गुच्छे, लोहे के एंगल व चीनी मिट्टी के बने कटावदार हैंगर वगैरह सामान का वहां स्टौक किया जा रहा था. पास में ही इस गांव से दूसरे गांव को जाने वाली मेन सड़क थी.

खेतों के बीच से होती हुई पीछे के गांव से आने वाले हाई टैंशन 440 वोल्ट की बिजली को पहले तो गांव में सप्लाई के लायक बनाने के लिए वहीं पास में बड़ा ट्रांसफार्मर लगा कर पावर हाउस बनाना था और उस पावर हाउस से बिजली के खंभे की मदद से उस गांव के बचे हुए बहुत सारे घरों तक बिजली पहुंचानी थी.

रघुवीर यादव के खेतों की सीमा भी स्टोर के पास आ कर मिलती थी. तिजोरी महेश के साथ जब मेन रास्ता छोड़ कर मेंड़ों पर चलती हुई अपने खेतों में पहुंची, तो मजदूर गेहूं की फसल काट कर गट्ठर बनाबना कर वहां पहुंचा रहे थे, जहां बालियों से दाने अलग और भूसा अलग किया जा रहा था.

तिजोरी को देख कर कुछ अधेड़ मजदूर चिल्लाए, ‘वह देखो मालकिन आ गईं.’

महेश के साथ कच्चे आमों की खटास का मजा लेती हुई तिजोरी एक मजदूर के पास आ कर रुक गई. वह बोली. ‘‘काका, यह तुम्हारे साथ मुस्टंडा सा लड़का कौन है? इसे मैं आज पहली बार देख रही हूं.’’

‘‘बिटिया, आज से मेरी जगह यही काम करेगा. यह मेरे ही गांव का है शंभू. मेरा भतीजा लगता है. जवान है और तेजी से काम कर लेगा. मुझे एक हफ्ते के लिए अपनी पत्नी को ले कर ससुराल जाना है. फसल काटने का समय है. ऐसे में एकएक दिन की अहमियत मैं समझता हूं.’’

शंभू लगातार उसे अजीब सी निगाहों से घूरे जा रहा था. तिजोरी को उस का यों घूरना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. वह बोली, ‘‘ठीक है काका, तुम जाओ, लेकिन अपने भतीजे को भी साथ ले जाओ. मुझे जरूरत पड़ेगी तो दूसरा इंतजाम कर लूंगी.’’

इतना कह कर दूसरे मजदूरों को तेज हाथ चलाने का निर्देश देते हुए तिजोरी आगे बढ़ गई. अगले खेत के गेहूं गट्ठर, बाली से दाना व भूसा निकलने वाली मशीन तक पहुंच चुके थे. काका उसी समय शंभू को ले कर चले गए. वे जानते थे कि तिजोरी बिटिया की इच्छा के बिना यहां कोई मजदूरी नहीं कर सकता.

शंभू काका के साथ वापस जाते हुए पीछे मुड़मुड़ कर दूर जाती तिजोरी को देखता रहा, पर वह अपनी ही धुन में कच्चे आमों का स्वाद लेती हुई अगले खेतों की तरफ बढ़ती जा रही थी.

तिजोरी ने चारों खेतों और एक खेत के कोने में चलती मशीन को देख कर समझ लिया कि काम ठीक से चल रहा है, लेकिन अभी खेतों को बिलकुल साफ होने और गेहूं व भूसे की बोरियों को ढंग से गोदाम पहुंचा कर रखने में कम से कम 2 से 3 दिन और लगेंगे.

निश्चिंत हो कर तिजोरी महेश से बोली, ‘‘तू यहीं रुक. मैं गोदाम से पानी पी कर आती हूं और लौटते में गुल्लीडंडा भी लेती आऊंगी. तू तब तक उस

खाली खेत में छोटा गड्ढा खोद कर गुच्ची बना कर रख, मैं अभी आई,’’ कहते हुए तिजोरी अपने खेतों के बीच होते हुए उस कोने में पहुंच गई, जहां एक पक्का गोदाम बना था. सवेरे साढ़े 10 बज चुके थे.

अपनी फ्रौक की जेब से चाभी का गुच्छा निकाल कर तिजोरी ने गोदाम के शटर के दोनों ओर लगे ताले खोल कर शटर उठाना शुरू ही किया था कि उस की नजर गोदाम की दीवार से सटा कर कांटेदार तारों से घेर कर बनाए हुए बिजली महकमे के उस स्टोर पर पड़ी, जहां श्रीकांत स्टौक चैक कर रहा था और कौंट्रैक्टर सुनील अपने जरूरी रजिस्टर के पन्ने पलट रहा था.

आधा शटर ऊपर उठा कर तिजोरी रुक गई, फिर गोदाम की शटर वाली दीवार के कोने पर जा कर उस ने उस खुले स्टोर में झांका.

श्रीकांत की नजर जब तिजोरी पर पड़ी,तो उस ने अपने बौस को इशारा किया. चूंकि सुनील की पीठ तिजोरी की तरफ थी, इसलिए इशारा पा कर वह पलटा और उसे देख कर दंग रह गया.

अपने रजिस्टर वहीं रख कर और श्रीकांत को स्टौक चैक करते रहने की कह कर सुनील तिजोरी के करीब आया और एक अजीब सी उमंग में भर कर बोला, ‘‘तुम यहां…?’’

‘‘हां, यह जिस दीवार से सटा कर तुम ने अपना स्टोर बनाया है, यह गोदाम मेरे पिताजी का है और इस के आसपास के चारों खेत भी हमारे ही हैं.’’

‘‘पर, तुम यहां क्या करने आई हो?’’

‘‘मैं तो गोदाम से अपना गुल्लीडंडा निकालने आई थी, फिर प्यास भी लग रही थी तो सोचा कि पानी भी पी आऊं.’’

‘‘तो तुम्हारे गोदाम में प्यास बुझाने का भी इंतजाम है?’’ कहने के साथसाथ सुनील उस की देह को घूरने लगा.

तिजोरी बोली, ‘‘लगता है, शादी नहीं हुई अभी तक. जिस प्यास को तुम बुझाना चाह रहे हो उस के लिए तुम्हें कोई दूसरा दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.’’

सुनील तिजोरी के शब्द सुन कर चौंक गया. गांव की यह गंवार सी दिखने वाली लड़की को एक पल भी नहीं लगा उस का इरादा समझने में.

सुनील ने तो सुन रखा था कि गांव की भोलीभाली लड़कियों को तो अपने प्रेमजाल में फंसा लेना बहुत आसान  होता है.

खुल गई आंखें : रवि के सामने आई कैसी हकीकत- भाग 1

दफ्तर से अपने बड़े सरकारी बंगले पर जाते हुए उस दिन अचानक एक ट्रक ने रवि की कार को जोरदार टक्कर मार दी थी. कार का अगला हिस्सा बुरी तरह से टूटफूट गया था.

खून से लथपथ रवि कार के अंदर ही फंसा रह गया था. वह काफी समय तक बेहोशी की हालत में कार के अंदर ही रहा, पर उस की जान बचाने वाला कोई भी नहीं था.

हां, उस के आसपास तमाशबीनों की भीड़ जरूर लग गई थी. सभी एकदूसरे का मुंह ताक रहे थे, पर किसी में उसे अस्पताल ले जाने या पुलिस को बुलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

भला हो रवि के दफ्तर के चपरासी रामदीन का, जो भीड़ को देख कर उसे चीरता हुआ रवि के पास तक पहुंच गया था. बाद में उसी ने पास के एसटीडी बूथ से 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को बुला लिया था.

जब तक पुलिस रवि को ले कर पास के नर्सिंगहोम में पहुंची तब तक उस के शरीर से काफी खून बह चुका था. रामदीन काफी समय तक अस्पताल में ही रहा था. उस ने फोन कर के दफ्तर से सुपरिंटैंडैंट राकेश को भी बुला लिया था जो वहीं पास में रहते थे.

रवि के एक रिश्तेदार भी सूचना पा कर अस्पताल पहुंच गए थे. गांव दूर होने व बूढ़े मांबाप की हालत को ध्यान में रखते हुए किसी ने उस के घर सूचना भेजना उचित नहीं समझा था. वैसे भी उस के गांव में संचार का कोई खास साधन नहीं था. इमर्जैंसी में तार भेजने के अलावा और कोई चारा नहीं होता था.

रवि की पत्नी गुंजा अपने सासससुर व देवर रघु के साथ गांव में ही रहती थी. वह 2 साल पहले ही गौना करा कर अपनी ससुराल आई थी. रवि के साथ उस की शादी बचपन में तभी हो गई थी, जब वे दोनों 10 साल की उम्र भी पार नहीं कर पाए थे.

गांव में रहने के चलते गुंजा की पढ़ाई 8वीं जमात के बाद ही छूट गई थी पर रवि 5वीं जमात पास कर के अपने चाचा के पास शहर में ही पढ़ने आ गया था. उस ने अच्छीखासी पढ़ाई कर ली थी. शहर में पढ़ाई करने के चलते उस का मन चंचल हो गया था. वैसे भी वह गुंजा से हर मामले में बेहतर था.

शादी के समय तो रवि को कोई समझ नहीं थी, पर जब गौने के बाद विदा हो कर गुंजा उस के घर आई थी और पहली बार जवान और भरपूर नजरों से उस ने उसे देखा था तभी से उस का मन उस से उचट गया था.

गुंजा कामकाज में भी उतनी माहिर नहीं थी जितनी रवि ने अपनी पत्नी से उम्मीद की थी. यहां तक कि सुहागरात के दिन भी वह गुंजा से दूर ही रहा था.

गुंजा गांव की पलीबढ़ी लड़की थी. शक्लसूरत और पढ़ाईलिखाई में कम होने के बावजूद मांबाप से उसे अच्छे संस्कार मिले थे. उस ने रवि की अनदेखी के बावजूद उस के बूढ़े मांबाप और रवि के छोटे भाई रघु का साथ कभी नहीं छोड़ा.

मांबाप के लाख कहने के बावजूद रवि जब उसे अपने साथ शहर ले जाने को राजी नहीं हुआ तब भी उस ने उस से कोई खास जिद नहीं की, न ही अकेले शहर जाने का उस ने कोई विरोध किया.

शहर में आ कर रवि अपने दफ्तर और रोजमर्रा के कामों में ऐसा बिजी हुआ कि गांव जाना ही भूल गया. उसे अपने मांबाप से भी कुछ खास लगाव नहीं रह गया था क्योंकि वह अपनी बेढंगी शादी के लिए काफी हद तक उन्हीं को कुसूरवार मानता था.

तनख्वाह मिलने पर घर पर पैसा भेजने के अलावा रवि कभीकभार चिट्ठी लिख कर मांबाप व भाई का हालचाल जरूर पूछ लेता था, पर इस से ज्यादा वह अपने घर वालों के लिए कुछ भी नहीं कर पाता था.

3-4 दिन आईसीयू में रहने के बाद अब रवि को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया था. दफ्तर के अनेक साथी तन, मन और धन से उस की सेवा में लगे हुए थे. बड़े साहब भी लगातार उस की सेहत पर नजर रखे हुए थे.

नर्सिंगहोम में जहां सीनियर सर्जन डाक्टर अशोक लाल उस के इलाज पर ध्यान दे रहे थे, वहीं वह वहां की सब से काबिल नर्स सुधा चौहान की चौबीसों घंटे की निगरानी में था.

सुधा चौहान जितना नर्सिंगहोम के कामों में माहिर थी, उतना ही सरल उस का स्वभाव भी था. शक्लसूरत से भी वह किसी फिल्मी नर्स से कम नहीं थी. उस की रातदिन की सेवा और बेहतर इलाज के चलते रवि को जल्दी ही होश आ गया था.

उस समय सुधा ही उस के पास थी. उसे बेचैन देख कर सुधा ने सहारा दिया और उस के सिरहाने तकिया रख दिया. अगले ही पल नर्स सुधा ने शीशी से एक चम्मच दवा निकाल कर आहिस्ता से उस के मुंह में डाल दी

रवि कुछ कहने के लिए मुंह खोलना चाहता था, पर पूरे चेहरे पर पट्टी बंधी होने के चलते वह कुछ भी कह पाने में नाकाम था. सुधा ने हलकी मुसकान के साथ उसे इशारेइशारे में चुप रहने को कहा.

सुधा की निजी जिंदगी भी बहुत खुशहाल नहीं थी. उस का पति मनीष इस दुनिया में नहीं था. उस की रिया नाम की 5 साल की एक बेटी थी जो उस के साथ ही रहती थी.

बेरुखी : पति को क्यों दिया ऐश्वर्या ने धोखा – भाग 1

नरेश की लाश 2 दिनों बाद एक कुएं से बरामद हुई थी. दुर्गंध फैली थी, तब लोगों को पता चला था कि कुएं में लाश पड़ी है. उस के बाद पुलिस को सूचना दी गई थी. नरेश की पत्नी ऐश्वर्या ने उस की गुमशुदगी दर्ज करा रखी थी. नरेश शहर का जानामाना व्यवसायी था. पिता की मौत के बाद सारा कारोबार वही संभाल रहा था, जिस की वजह से वह काफी व्यस्त रहता था. वह सुबह घर से निकलता था तो रात 10 बजे से पहले लौट नहीं पाता था.

नरेश की पत्नी ऐश्वर्या को परिवार वालों ने स्वीकार नहीं किया था, इसलिए वह उसे ले कर शहर के सब से महंगे इलाके में फ्लैट ले कर अलग रह रहा था. ऐश्वर्या बेहद खूबसूरत थी. शादी के अभी एक साल ही बीते थे कि यह हादसा हो गया था. लाश बरामद होने के बाद पुलिस ऐश्वर्या से पूछताछ करने पहुंची तो पहला सवाल यही किया, ‘‘आप को किसी पर शक है?’’

‘‘नहीं.’’ सुबकते हुए ऐश्वर्या ने कहा.

‘‘याद कीजिए, आप के पति का कभी किसी से लेनदेन को ले कर विवाद तो नहीं हुआ था, जिस का उन्होंने आप से जिक्र किया हो?’’

‘‘वह व्यवसाय की बातें घर पर बिलकुल नहीं करते थे.’’

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में ऐश्वर्या ने जो बताया था, उस के अनुसार, नरेश का बनारसी साडि़यों का काफी बड़ा कारोबार था. काम की अधिकता की वजह से उन का लोगों से मिलनाजुलना कम ही हो पाता था. क्योंकि उन के पास समय ही नहीं होता था. इस फ्लैट में आए उन्हें ज्यादा दिन नहीं हुए थे. गार्ड के अनुसार, वह ठीकठाक आदमी था. नरेश के बारे में गार्ड इस से ज्यादा कुछ नहीं बता सका था. नरेश बड़ा कारोबारी था, इसलिए शहर के व्यापारी उस के कातिलों को पकड़ने के लिए पुलिस पर काफी दबाव बनाए हुए थे. बारबार आंदोलन की धमकी दे रहे थे. कातिलों तक पहुंचने के लिए पुलिस पूरा जोर लगाए हुए थी. नरेश की किसी व्यापारी से दुश्मनी तो नहीं थी, इस के लिए उस के कर्मचारियों से पूछताछ की गई. उन सब का कहना था कि रुपयोंपैसों के लिए उन्होंने अपने मालिक को कभी किसी से लड़तेझगड़ते नहीं देखा था. पुलिस के लिए हैरानी वाली बात यह थी कि घर वाले कुछ बोलने को तैयार नहीं थे. इस की वजह शायद नरेश से घर वालों की नाराजगी थी.

पुलिस ने नाराजगी की वजह पूछी तो लोगों ने बताया कि नरेश ने प्रेम विवाह किया था, इसलिए घर वाले नाराज थे. पुलिस को लगा कि इतनी सी बात के लिए कोई अपने खून का कत्ल नहीं कर सकता. इस के अलावा नरेश ऐसी बिरादरी से थे, जो शुद्ध व्यवसायी होती है. ऐसे लोगों के बारे में कत्ल की बात सोचना भी ठीक नहीं था.

पुलिस ने नरेश के सभी नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की. उन में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला. घूमफिर कर शक की सुई ऐश्वर्या पर आ टिकी. इस प्रेम विवाह से नरेश के घर का कोई भी सदस्य खुश नहीं था. इस के बावजूद नरेश भाइयों के साथ ही व्यवसाय कर रहा था. सभी पहले की ही तरह मिलजुल कर व्यवसाय करते थे. नरेश अपनी मां से मिलने घर भी जाया करता था.

फ्लैटों में रहने वालों को वैसे भी एकदूसरे के बारे में कम ही पता होता है. अगर इलाका पौश हो तो ऐसे मामले में लोग चुप्पी साधे रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं. फ्लैट बने ऐसे होते हैं कि अंदर क्या हो रहा है, बगल वाले को भी पता नहीं चलता. लेदे कर एक गार्ड ही बचता था, जिसे पता होता था कि इमारत में कौन कब आताजाता है. इसलिए पुलिस गार्ड के पास पहुंची.

मामले की जांच कर रहे इंसपेक्टर शर्मा ने पूछा, ‘‘तुम हर आनेजाने वाले का रिकौर्ड रखते हो?’’

‘‘नहीं साहब, यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. आने वाले से सिर्फ पूछ लेते हैं कि किस से मिलना है?’’ गार्ड ने सहज भाव से कहा.

‘‘पूछने के बाद उसे जाने देते हो?’’ इंसपेक्टर शर्मा ने पूछा.

‘‘नहीं, पहले उस फ्लैट वाले से फोन पर पूछते हैं, जिस में उसे जाना होता है. उधर से भेजने के लिए कहा जाता है, तभी अंदर जाने देते हैं.’’

‘‘क्या, ऐश्वर्या मैडम से भी कोई मिलने आता था?’’

‘‘साहब, यहां कोई न कोई किसी न किसी से मिलने आता ही रहता है. मैं किसकिस के बारे में बता सकता हूं.’’

‘‘अगर एक से ज्यादा बार कोई मिलने आया हो, तब तो पहचान सकते हो?’’

‘‘क्यों नहीं साहब,’’ गार्ड ने कहा.

इस के बाद इंसपेक्टर शर्मा ऐश्वर्या के फ्लैट पर पुन: लौट आए. उस से एक बार फिर पूछा, ‘‘मैडम, फिर याद कीजिए, कोई तो होगा, जिस से आप के पति की दुश्मनी रही होगी?’’

‘‘एक ही बात आप लोग कितनी बार पूछेंगे. मैं ने बताया तो कि मुझे कुछ नहीं पता.’’ ऐश्वर्या थोड़ा झल्ला कर बोली. इंसपेक्टर शर्मा ने इधरउधर देखते हुए पूछा, ‘‘आप यहां अकेली ही रहती हैं?’’

‘‘क्यों?’’ ऐश्वर्या ने थोड़ा विचलित हो कर पूछा.

‘‘मेरे कहने का मतलब यह है कि संकट की इस घड़ी में कोई तो आप का करीबी होना चाहिए.’’

‘‘मेरी अम्मी आई हैं.’’

‘‘अम्मी?’’ इंसपेक्टर शर्मा ने हैरानी से पूछा.

‘‘हां, मैं उन्हें अम्मी ही कहती हूं.’’ ऐश्वर्या ने कहा.

इस बीच इंसपेक्टर शर्मा उस के चेहरे पर आनेजाने वाले भावों को पढ़ते रहे. उन्होंने अगला सवाल किया, ‘‘क्या मैं उन से मिल सकता हूं?’’

‘‘इस समय वह घर में नहीं हैं.’’

‘‘कहां गई हैं?’’

‘‘बाजार से कुछ जरूरी सामान लेने गई हैं.’’

‘‘कब तक लौटेंगी?’’

‘‘डेढ़-दो घंटे लग सकते हैं.’’ ऐश्वर्या ने कहा.

‘‘कोई बात नहीं, मैं फिर आऊंगा तो उन से मिल लूंगा. आप जांच में सहयोग करती रहें, निश्चय ही एक न एक दिन कातिल पकड़ा जाएगा.’’ इंसपेक्टर शर्मा ने उठते हुए कहा. जैसे ही वह दरवाजे पर पहुंचे, अंदर से किसी महिला के खांसने की आवाज आई. उन्होंने पलट कर कहा, ‘‘आप तो कह रही थीं कि अंदर कोई नहीं है, फिर यह खांसा कौन?’’

‘‘मैं ने कब कहा कि अंदर कोई नहीं है. मेरी सास भी आई हुई हैं.’’ ऐश्वर्या ने कहा.

कुछ कहे बगैर इंसपेक्टर शर्मा बाहर आ गए. जीना उतरते हुए वह यही सोच रहे थे कि पिछली बार जब वह यहां आए थे, तब नरेश के घर वालों ने कहा था कि नरेश से सिवाय व्यवसाय के उन का कोई और संबंध नहीं है. फिर जख्म पर मरहम लगाने उस की मां यहां कैसे आ गई?

इंसपेक्टर शर्मा थाने आ कर इसी मामले पर गहराई से विचार करने लगे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐश्वर्या ने अपनी मां को अम्मी क्यों कहा? कहीं वह मुसलिम तो नहीं है? अब इस का पता कैसे चले? क्यों न नरेश के घर वालों से पूछा जाए? हो सकता है, इसी वजह से नरेश के घर वाले ऐश्वर्या को नापसंद करते रहे हों?

इस बारे में घर वालों से पूछने का निर्णय ले कर वह अन्य काम में लग गए. अगले दिन सुबहसुबह ही ऐश्वर्या का फोन आया. वह थोड़ी घबराई हुई थी. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘इंसपेक्टर साहब, जल्दी आइए. मैं आप को एक जरूरी बात बताना चाहती हूं.’’

इंसपेक्टर शर्मा तुरंत ऐश्वर्या के घर पहुंच गए. उन्हें कागज का टुकड़ा देते हुए उस ने कहा, ‘‘यह देखिए, इस में क्या लिखा है?’’

इंसपेक्टर शर्मा ने उसे खोल कर देखा. उस में लिखा था, ‘10 लाख रुपए 26 फरवरी तक पहुंचा देना, वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहना.’

‘‘यह आप को कहां मिला?’’ इंसपेक्टर शर्मा ने पूछा.

‘‘गद्दे के नीचे रखा था.’’

बौयफ्रैंड से हो सकती हैं सेक्सुअल बीमारियां

असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने से लड़के व लड़कियों दोनों को ही सैक्सुअल डिजीजेस हो सकती हैं. यह वे बीमारियां हैं जो सेक्स करने के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसफर हो जाती हैं. सेक्स के दौरान दोनों व्यक्तियों का शारीरिक जुड़ाव कई बीमारियों का आदानप्रदान करता है जिन की उन्हें जानकारी भी नहीं होती. ये बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं. वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन यानी डबल्यूएचओ के अनुसार ग्लोबली हर दिन 10 लाख व्यक्ति सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफैक्शंस यानी एसटीआई के शिकार होते हैं. कुछ एसटीआई ऐसे हैं जो एचआईवी का कारण भी बनते हैं.

ऐसे में किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वह जिस के साथ सेक्स कर रहा है उस के बारे में जान ले, खासकर यह कि कहीं उसे कोई बीमारी तो नहीं है. लड़कियां सेक्स को ले कर उतनी सहज नहीं होतीं जितने लड़के होते हैं. यह एक बड़ा कारण है कि लड़कियां जान नहीं पातीं कि उन के बौयफ्रैंड को कहीं किसी प्रकार की कोई सैक्सुअल बीमारी है या नहीं. इस से हट कर वन नाइट स्टैंड या पहली डेट पर ही सेक्स करने पर उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं होता कि लड़का पूरी तरह से स्वस्थ है या नहीं. इसी कारण वे अनजाने में कई बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं. इस के बाद उन के पास सिवा पछताने के कुछ नहीं होता.

लड़कियों को सेक्स से पहले किन बातों की जानकारी होनी चाहिए और अपने बौयफ्रैंड में बीमारी के लक्षण किस तरह पहचानने चाहिए, इस विषय पर हम ने एक्सैस हैल्थकेयर दिल्ली के हैड औफ द डिपार्टमैंट, सीनियर कंसल्टैंट व फिजियोथेरैपिस्ट डा. सत्यम भास्कर से बात की.

किसकिस तरह के सैक्सुअल ट्रांसमिटेड इनफैक्शंस व डिजीजेज लड़कियों को लड़कों से हो सकते हैं?

एचआईवी, गोनोरिया, पीआईडी, क्लैमिडिया, ट्रिकोमोनाइसिस, सिफलिस, एचवीपी, जेनिटल हर्प्स आदि,  कुछ सामान्य सैक्सुअल डिजीजेज या कहें बीमारियां हैं. ये बीमारियां व्यक्ति की स्किन, मुंह, होंठ, रैक्टम, एनस, जेनिटल और्गन्स को प्रभावित करती हैं.

लड़कों में ऐसी कौन सी इंटरनल और एक्सटर्नल बीमारियां हैं जो सेक्स करने पर लड़कियों को हो सकती हैं?

मान लीजिए अगर किसी लड़के को किसी भी तरह की सैक्सुअल डिजीज हो या ट्रांसमिटेड डिजीज हो तो वह सेक्स करने पर लड़की को हो सकती है. अगर लड़के के खून में किसी भी तरह की बीमारी के कण हैं और सेक्स के दौरान वह लड़की के संपर्क में आते हैं तो उसे वह बीमारी हो सकती है. जैसे अगर लड़के के शरीर पर कोई कट लगा हुआ है और आप की स्किन या ब्लड उस के संपर्क में आएंगे तो उस से संक्रमण हो सकता है.

ओरल सेक्स आजकल बहुत बढ़ गया है. इस से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

अगर आप अपने पार्टनर के साथ ओरल सेक्स करने वाले हैं तो इस से पहले आपस में बात करें. मार्केट में डैंटल डैम कंडोम उपलब्ध है जो बहुत ही बढि़या तरीका है ओरल सेक्स के दौरान बीमारियों से बचने का. अकसर लोग जल्दबाजी में एक्सपायरी डेट चैक करना भूल जाते हैं, इसलिए एक्सपायरी डेट सब से पहले चैक करें. यह कंडोम थोड़ा महंगा आता है लेकिन उपयोगी है. दूसरा, अगर आप ओरल सेक्स कर रहे हैं तो कोई औयली चीज न खाएं. ऐसा इसलिए क्योंकि औयल कंडोम की प्रोटैक्शन लेयर को डैमेज करता है.

क्या सेक्स के दौरान लव बाइट्स और नाखूनों को घोंपने से भी बीमारी हो सकती है?

सिंपल सी बात है कि यह सैक्सुअल एब्यूज के अंतर्गत आता है. अगर आप का पार्टनर नाखूनों को बहुत ज्यादा पेनिट्रेट कर रहा हो, अंदर तक घोंप रहा हो तो नाखूनों से किसी भी तरह के जर्म्स आप के शरीर में जा सकते हैं. अगर आप के पार्टनर को कोई बीमारी है जो सलाइवा से या दांतों से काटने पर फैल सकती है तो वह भी आप को लव बाइट्स के कारण आसानी से हो जाएगी. साथ ही, अगर आप अपने पार्टनर को स्किन पर काटती हैं, तब भी आप को संक्रमण हो सकता है.

ब्लड ट्रांसमिशन से होने वाली बीमारियों से बचाव कैसे कर सकते हैं?

आप सेक्स से पहले अपने पूरे शरीर पर नारियल का तेल लगा सकते हैं जिस से आप के शरीर पर एक लेयर बन जाए. कुछ चीजें माइंड में रखें जो आप को कंट्रोल में रखनी ही हैं, जैसे लव बाइट्स से बचना है, नाखून अंदर तक घोंपने नहीं हैं. ध्यान दें कि आप एकदूसरे की स्किन पर किसी तरह की चोट देने से बचें.

इस के साथ ही पौस्चर्स पर ध्यान दें. आजकल लड़केलड़कियां कई ऐसे पौस्चर्स में सेक्स करते हैं जिन से उन्हें गंभीर चोटें लगती हैं. पौस्चर्स जिन से आप को दर्द हो, उन्हें न करें.

सेक्स को ज्यादा सेफ बनाने के लिए मार्केट में कौनकौन सी चीजें उपलब्ध हैं?

मार्केट में प्रोडक्ट तो एक ही है कंडोम. मेल और फीमेल दोनों कंडोम अवेलेबल हैं जिन का यूज किया जा सकता है. ओरल के लिए डैंटल डैम कंडोम यूज करें. लड़कियां वैजाइनल टैबलेट्स का इस्तेमाल करें जिस से प्रोटैक्शन बढ़ जाएगा. जिन्होंने पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया वे डाक्टर से मिल कर परामर्श ले सकते हैं या जिसे जानकारी हो, उस से बात करें.

लड़कियां इस बात पर ध्यान दें कि मैंस्ट्र ुएशन यानी पीरियड्स के दिनों में सेक्स न करें. पीरियड्स में संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ सकता है. इस में लड़कों को बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है. सिफलिस और गोनोरिया लड़कों को आसानी से हो जाती हैं.

लड़कों के शरीर पर बीमारियों के कौन से लक्षण हैं जो लड़कियों को नोटिस करने चाहिए?

लड़कियां कुछ लक्षण नोटिस कर सकती हैं जैसे सोर थ्रोट, स्किन रैशेज, लड़कों के जौइंट्स में दर्द होता है, पैलविक फ्लोर में तकलीफ होती है, सिर में दर्द रहता है, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, यहां तक कि उन की स्पीच में भी दिक्कत आने लगती है. और ये सभी बीमारियां लड़की को होने की संभावना है, जो समलैंगिक सेक्स में भी हो सकती हैं. लड़के को यदि सिफलिस हो तो उस की स्किन पर रैशेज, चेहरे पर स्पौट्स, कुहनी छू कर देखने पर पता चलेगा कि हलकी सूजन है, कलाई पर सूजन, साथ ही उसे बुखार भी रहता है.

आजकल किस करना तो बेहद नौर्मल है. क्या उस से किसी तरह की कोई परेशानी हो सकती है?

बिलकुल हो सकती है. अगर किसी को लंग्स की कोई बीमारी है तो वह भी ट्रांसफर हो सकती है. हालांकि उतनी प्रौब्लम नहीं होगी लेकिन एयर के जरिए जो बीमारियां फैलती हैं, वे हो सकती हैं. सलाइवा के कारण भी कई बीमारियां हो सकती हैं. माउथ इन्फैक्शन जैसे जिंजीवाइटिस हो सकता है. अगर जीभ पर दाने हों तो वे पार्टनर को भी हो सकते हैं. विटामिन सी की कमी से व्यक्ति के होंठ सूखने लगते हैं, खून आने लगता है, किस करने पर पार्टनर को इन्फैक्शन हो सकता है.

कोई ऐसी चीज जो सेक्स से पहले लड़कियों को पता होनी चाहिए?

पहली चीज जो लड़कियों को पता होनी चाहिए यह है कि उन के पार्टनर के कितने सेक्स पार्टनर्स रहे हैं. मल्टीपल पार्टनर्स के साथ सेक्स करने वाले व्यक्ति में बीमारियों की संभावना होती है. इस के अलावा ऊपरलिखित बातें ध्यान में रखें.

महिलाओं में बढ़ रही पोर्न की लत

पोर्न मूवी का चसका बिलकुल उसी तरह है जैसेकि ड्रग का चसका. आजकल तो औनलाइन हर तरह की पोर्न मूवीज उपलब्ध हैं. जो इन्हें एक बार देख लेता है वह इन का आदी हो जाता है और फिर इन के चंगुल से निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है.

आप क्या सोचते हैं कि  औनलाइन पोर्न मूवी या वीडियो देखने का शौक सिर्फ पुरुषों को ही है? जी नहीं, एक सर्वे के अनुसार महिलाएं भी पोर्न मूवी या वीडियो देखने में पीछे नहीं हैं.

क्या है साइबर सेक्स          

यह एक प्रकार की मानसिक समस्या है, जिस में लोग पोर्न मूवी देखने के आदी हो जाते हैं. रोज कुछ समय इंटरनैट पर बिता कर नई तरह की पोर्न मूवी देखना चाहते हैं.

एक कंपनी में किए गए शोध से यह बात सामने आई है कि कुछ सदस्य दफ्तर में ही पोर्न फिल्म डाउनलोड कर रहे थे. इन कर्मचारियों में एक महिला भी शामिल थी. जब महिला का लैपटौप खंगाला गया तो बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई. इस महिला ने 2 सप्ताह में करीब 1,100 बार पोर्न क्लिप्स डाउनलोड कीं और

400 से ज्यादा अश्लील पिक्चर्स उस के हार्ड ड्राइव में पाई गईं. इस से पता चला कि पुरुषों की तरह महिलाएं भी वर्कप्लेस पर पोर्न देखने की आदी होती हैं.

महिलाएं पोर्न क्यों देखती हैं

रिलैक्सेशन के लिए: हर समय सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने वाली महिलाएं भी अब कोई भी पोर्न साइट देखने में झिझकती नहीं हैं. कुछ मसालेदार, कुछ चटपटा देखने की उन की भी इच्छा होती है. कुछ औरतों का तो कहना है कि  वे इस तरह के वीडियो या पिक्चर देख कर तनावमुक्त होती हैं. कुछ सिर्फ टाइमपास या ऐंजौय करने के लिए इन का आनंद लेती हैं.

कौन्फिडैंस बढ़ाने के लिए: शोध से यह  बात भी सामने आई है कि सिर्फ मूड बदलने के लिए ही नहीं, बल्कि सेक्स के समय अपनी तरफ से पहल करने के लिए भी महिलाएं इस तरह के वीडियो या मूवी देखना पसंद करती हैं. कहा जाता है कि महिलाएं पहल नहीं करतीं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज के समय में महिलाएं भी अपने पार्टनर को खुश करने के लिए पहल करती हैं, तो कुछ अपना कौन्फिडैंस बढ़ाने के लिए पोर्न देखना पसंद करती हैं. यह एक तरह से महिलाओं के लिए फोरप्ले का काम करता है.

साथी के लिए: कई केसों में देखा गया है कि पुरुष मित्र या पति चाहता है कि उस की महिला पार्टनर भी उस के साथ बैठ कर पोर्न देखे. ऐसे में पार्टनर की इच्छा को पूरा करने के लिए भी कई महिलाएं पोर्न देखना पसंद करती हैं.

सेक्स फैंटेसी के लिए: कई महिलाएं नई फैंटासियों के बारे में सोचने और उन्हें ऐक्सप्लोर करने के लिए पोर्न वीडियो का सहारा लेती हैं.

क्या कहते हैं शोध

कुछ शोध बताते हैं कि 15 से 25% महिलाएं औनलाइन पोर्न मूवी देखने की आदी और हाइपरसेक्सुअल बनती जा रही हैं. हाइपरसेक्सुअल मानसिकता वाली महिलाएं इस कदर इन की आदी हो जाती हैं कि उन्हें हर समय सिर्फ सेक्स से जुड़ी फैंटेसी या उस से जुड़ी बातें करना ही अच्छा लगता है.

शोधों से यह बात भी सामने आई है कि ऐसी महिलाएं हस्तमैथुन या मास्टरबेशन संकीर्णता से ग्रस्त होती हैं. पोर्नोग्राफी की फिल्में इंटरनैट का ट्रैफिक बढ़ाती हैं जोकि सामान्य साइटों की तुलना में कहीं अधिक होती हैं.

हीट्रोसेक्सुअल महिलाएं

इस शोध के परिणाम में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि जो महिलाएं हीट्रोसेक्सुअल होती हैं, वे इंटरनैट पर रोज नए तरह के पोर्न वीडियो की तलाश करती हैं. ऐसी महिलाएं इंटरनैट पाते ही पोर्न वीडियो की तलाश में लग जाती हैं. उन्हें सब से अधिक जरूरी काम यही लगता है.

अच्छी नहीं लत

कहावत है कि अति हर चीज की बुरी होती हैं. जी हां, इस लत का पड़ना भी अच्छा नहीं. इस बीमारी से त्रस्त महिलाएं हर समय सिर्फ पोर्न ही देखना चाहती हैं. इस कारण उन्हें जगह का भी एहसास नहीं रहता. रिसर्च के मुताबिक औफिस में भी महिलाएं पोर्न वीडियो देखती हैं, जिस वजह से वे अपने काम परकम ध्यान देती हैं. पोर्न देखने की आदी महिलाओं की संख्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है.

सेक्स और भ्रांतियां : जीवन के आनंद के लिए जरूरी है सेक्स

राजू की शादी विगत वर्ष मुन्नी के साथ हुवी थी.दोनों के परिवारवाले काफी खुश थे. पहले दिन जब राजू ने शारीरिक सम्बन्ध बनाया तो योनि से रक्तस्राव नहीं हुआ. राजू को साथी दोस्तों से मालूम था कि पहली बार सेक्स करने के बाद अगर रक्तस्राव नहीं हुआ तो समझना की लड़की पहले ही किसी लड़के के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना चुकी है.वह उसी रात्रि से मुन्नी से नफरत करने लगा.उसने मुन्नी से पूछा भी क्या तुमने किसी लड़के के साथ सम्बन्ध बनायी हो अगर बनायी हो तो सच सच बता दो.मुन्नी राजू का पैर पकड़ कर बोलने और गिड़गिड़ाने लगी मैंने किसी लड़के के साथ सम्बन्ध नहीं बनायी हूँ.मुन्नी जब अपने मैके गयी तो शर्म की वजह से किसी को बता नहीं पायी.शादी के दो वर्ष बीतने के बाद राजू पुनः मुन्नी को अपने घर ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ तो मुन्नी के पिता ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर दिया.कोर्ट ने मुन्नी के पक्ष में फैसला सुनाया.आज मुन्नी ससुराल में है लेकिन राजू के मन में एक कसक और टीस है कि मुन्नी चरित्रहीन है.राजू जैसे ग्रामीण क्षेत्र के कम पढ़े लिखे और कम उम्र में शादी हुवी लड़कों को इन चीजों की जानकारी नहीं होती.

मदन की शादी हुवी.वह सुहागरात के दिन पहले से ही काफी डरा हुआ था कि मैं हस्तमैथुन बहुत करता हूँ तो अपनी पत्नी को सन्तुष्ट नहीं कर पायूँगा.हस्तमैथुन के सम्बन्ध में उसके मन में बहुत सारी भ्रांतियां थी.हुआ भी वही डर और अवसाद की वजह से वह अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध नहीं बना पाया.एक सप्ताह तक पत्नी रही परन्तु वह सफल नहीं हो सका.वह जब मैके गयी तो अपनी माँ से बतायी लड़का नपुंसक है.लड़की के माता पिता ने निर्णय लिया की अब उस लड़के के साथ इसकी जिंदगी नहीं बीत पायेगी.उसके बाद दूसरे लड़के के साथ शादी कर दी।मदन के माता पिता ने जब मनोचिकित्सक से दिखाया तो उसकी भी बीमारी समाप्त हो गयी और दूसरी शादी जब मदन की हुवी तो वह सफल हो गया.मदन को आज दो बच्चे भी हैं और सफलतापूर्वक अपना परिवार चला रहा है.

संजय की इसी वर्ष शादी हुवी है.शादी के बाद वह दुबला हो गया है.उसके परिवार और गाँव वाले उसे कहने लगे तुम क्यों दुबले होते जा रहे हो.उसी गाँव में एक महात्मा यज्ञ कराने के लिए आये हुवे थे.परिवार वालों ने संजय को महात्मा जी के पास ले गए और समस्या को बताये.महात्मा ने संजय को बताया की अगर तुम स्वस्थ रहना चाहते हो तो संयम से रहो.औरत के साथ माह में एक बार शारीरिक सम्बन्ध बनाओ.उपस्थित लोग भी संजय को महात्मा जी के बात को मानने पर बल देने लगे।संजय और कमजोर होते चला गया.उसके बाद जब डॉक्टर को दिखाया तो ब्लड जाँच से पता चला की संजय को सुगर की बीमारी है.

उक्त चन्द उदाहरण हैं.समाज में ब्याप्त सेक्स से सम्बंधित भ्रांतियों का.चर्चा करते हैं.समाज में ब्याप्त सेक्स से सम्बंधित भ्रांतियां और अंधविस्वास का.

सेक्स से सम्बंधित बहुत सारी भ्रांतियां हमारे समाज में ब्याप्त है. सेक्स से सम्बंधित चर्चा करना आज भी लज्जा और शर्म की बातें समझी जाती है. बहुत सारे लोगों को यौन रोग हो जाता है तो उसे शर्म से किसी को नहीं बता पाते और मर्ज बढ़ता चला जाता है.यौन रोग को गुप्त रोग कहते हैं और उसे गुप्त ही रहने देते हैं किसी को बताते तक नहीं.सेक्स को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां मनोरोग का भी बड़ा कारण बन रही है.समाज में सेक्स को लेकर जागरूकता का अभाव है.सेक्स से सम्बंधित समाज,परिवार में इस पर कोई बात नहीं करना चाहता .स्कूलों में भी सेक्स से सम्बंधित कोई शिक्षा नहीं दी जाती .युवा वर्ग अपनी जिज्ञासा को मिटाने के लिए अपने साथी ,इंटरनेट ,सोशल मीडिया का सहारा लेता है.

सेक्स से सम्बंधित बहुत सी भ्रांतियां है जिसके लिए उचित शिक्षा की जरूरत है.भ्रांतियां का वास्तविकता के साथ दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं होता मगर यह भ्रांतियां सेक्स समस्या को और गहरा कर देती है.

आम युवा लोग के बीच आम धारणा है कि जब हम पहली बार लड़की से सम्बन्ध बनाते हैं तो योनी से रक्तस्राव जरूरी है.

लेकिन सच्चाई है कि पहली बार संभोग करते समय कोई जरूरी नहीं की योनी से रक्तस्राव हो ही क्योंकि सायकिल चलाने, रस्सी फांदने या अन्य शारीरिक श्रम करने के दौरान योनी की झिल्ली फट सकती है.ऐसी स्थिति में पहली बार संभोग के दौरान रक्त नहीं निकलता.

लोगों में यह भ्रांतियां और अंधविस्वास है कि हस्तमैथुन करने से आँखों की रौशनी कम हो जाती है.लिंग टेढ़ा हो जाता है.आप पिता नहीं बन सकते.कमजोर और नपुंसक हो जाता है.

लेकिन वास्तविकता यह है कि हस्तमैथुन एक सामान्य शारीरिक क्रिया है.इससे रक्त संचार में सुधार होता है.तनाव अवसाद और संक्रमण से बचाव होता है.प्रोस्टेट कैंसर से बचाव सहित सहित शरीर की प्रतिरक्षण शक्तियों में बढ़ोतरी.

महिलाओं को भी हस्तमैथुन करने से किसी प्रकार का कोई हानि नहीं होती है.लाभ ही होता है.

शरीर में जब बीर्य की मात्रा बढ़ जाती है और किसी माध्यम से जब नहीं निकलता है तो सोने के दौरान स्वप्न के दौरान वीर्य स्खलित हो जाता है.आम लोगों के बीच धारणा है कि स्वप्नदोष से कमजोरी होती है.स्वप्नदोष एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें वास्तविक संभोग के बिना ही रति आनंद की प्राप्ति होती है.नीम हकीम झोला छाप डॉक्टर युवकों में भय पैदाकर इलाज के नाम पर लूटते हैं.

लेकिन वास्तविकता है कि स्वप्नदोष से मन हल्का हो जाता है.अवसाद से लोगों को मुक्ति मिलती है.

संभोग के दौरान जो लोग शीघ्र स्खलित हो जाते हैं.वो समझते हैं कि यह बीमारी है और इलाज पर निम–हकीम और तरह तरह के दवाओं का सेवन करते रहते हैं.सेक्स पॉवर बढाने वाली बहुत सारी दवायें बाजार में उपलब्ध है जिसका बहुत सारा साईड इफेक्ट है.

आमलोगों के बीच धारणा  है  कि लिंग का छोटा होने की वजह से पुरुष और स्त्री को सेक्स के दौरान आनंद नहीं आता.

सेक्स विशेषज्ञो का कहना है कि यौन सन्तुष्टि और आनंद के लिए लिंग के छोटा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.

आमलोगों के बीच यह धारणा है कि कंडोम का प्रयोग करने से सेक्स में आनंद नहीं आता जबकि सच्चाई यह है कि कंडोम यौन रोग से तो बचाता ही है.सेक्स के दौरान आनंद भी अधिक आता है.

महिलाओं को खाने वाली गर्भ निरोधक ओरल पिल्स के सम्बन्ध में भी लोगों के अंदर विस्वास और धारणा है कि जो महिलायें इसका उपयोग करती हैं और जब वे चाहती हैं कि गर्भधारण करें तो गर्भधारण नहीं कर पाती जबकि इसमें सच्चाई नहीं है.

आमलोगों के बीच यह धारणा और विस्वास को साधु सन्यासियो नीम हकीमों द्वारा भी फैलाया जाता है कि एक हजार खून के बूँद से एक बून्द बीर्य बनता है. जब यह वीर्य हमारे शरीर से बाहर निकलता है तो हमें कमजोरी महसूस होती है.उनलोगों के द्वारा बताया जाता है कि हमे संयम से रहनी चाहिए यानि की सेक्स नहीं करनी चाहिए जिससे हम ज्यादा स्वस्थ और ताकतवर बने रहेंगे.

जबकि सच्चाई यह है कि जब हम सेक्स करते हैं तो उससे हमें आनंद और ख़ुशी मिलती है. वीर्य की मात्रा जब हमारे शरीर में बढ़ता है तो किसी न किसी माध्यम से बाहर निकल ही जाता है. अगर हम सेक्स नहीं करते तो स्वप्नदोष के माध्यम से भी बाहर निकल जाता है. जिस तरह से मनुष्य के लिए भोजन की आवश्यकता है.सेक्स की भी इक्षा हर पुरुष स्त्री को होता है. सेक्स भी मनुष्य के जीवन का अहम हिस्सा है. जीवन के आनंद के लिए सेक्स जरूरी है.

बेहतर सेक्स के लिए महिलाएं जरूर अपनाएं ये 6 टिप्स

पुरुष सेक्स का जितना आनंद हैं, महिलाएं भी सेक्स का उतना ही आनंद लेती हैं. हां, ये बात अलग है महिलाओं का सेक्स को फील करने और उसे एंज्वाय करने का अंदाज अलग होता है. महिलाएं भावनात्क रूप से पहले जुड़ना पसंद करती हैं यानी वे फोरप्ले को अधिक एन्जॉय करती हैं. जैसे पुरुषों को सेक्स में प्रयोग करने में आनंद है, ठीक वैसे ही महिलाओं को भी कई सेक्स पोजीशंस पसंद आती है. फर्क इतना ही कि महिलाएं उन सेक्स पोजीशंस को अधिक पसंद करती हैं जिससे वह जल्दी ही चरमोत्कर्ष तक पहुंच जाती हैं.

अकसर महिलाएं अपने दिल की बात छुपाती हैं और सेक्स को भरपूर एन्जॉय नहीं कर पाती. यदि आप भी सेक्स को एन्जॉय करना चाहती हैं तो इन टिप्‍स को आजमाएं.

किस करें: आपको यदि अपने पुरुष पार्टनर को किस करने का मन है तो आप उसे खुलकर किस करें. पुरुषों को उत्तेजित करने की बेहतरीन चाबी है किस. इससे आपका पार्टनर आपकी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पाएगा.

बातें करें: पुरुष आमतौर पर स्त्रियों की निजी भावनाओं के प्रति कन्फ्यूज रहते हैं. इसलिए बातें करना जरूरी है. यदि आप अपने पार्टनर से सामने खुलकर बात नहीं कर पाती हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने पार्टनर से फोन पर बात करें. फोन पर एरोटिक बातचीत से आपकी झिझक काफी कम होगी.

सेक्स बुरा नहीं: कई बार महिलाओं के मन में सेक्स के प्रति गलत धारणाएं बैठ जाती हैं और वे इस प्रक्रिया को खुलकर एंज्वाय नहीं कर पातीं. इसलिए जरूरी है कि आप कभी सेक्स को गंदा या बुरा ना समझें बल्कि इसे भी लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा मानें और खुलकर एन्जॉय करें.

सकारात्मक सोचः सेक्स के प्रति सकारात्मक सोच जरूरी है. यदि आपको पार्टनर सेक्स को अधिक प्राथमिकता देता है तो इसे गलत समझने की बजाय पॉजिटिव रूप में लीजिए. पार्टनर की सेक्स में दिलचस्पी अंत में आपके प्रति प्यार में ही बदलने वाली है. यदि आप सेक्स में पार्टनर का साथ देंगी तभी उससे अधिक खुल पाएंगी.

प्रयोग करें: आपको चाहिए कि आप सेक्‍स के लिए नए-नए प्रयोगों को आजमाएं. इससे आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा. ओरल सेक्स या साथ बैठकर कोई इरोटिक फिल्म देखने से परहेज न करें. यह आपकी सेक्स लाइफ में न सिर्फ नयापन लाता है बल्कि आपके बीच सेक्स संबंधी झिझक को खत्म करते हुए नजदीकियों को बढ़ाता है.

निडर बनें: सेक्स लाइफ को एन्जॉय करने के लिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे मन में शंका ना पालें. ना ही ये सोचें कि उनका पार्टनर उनके बारे में क्या सोचेगा. बल्कि आपको अधिक उत्साह से पार्टनर को खुश करने के प्रयास करने चाहिए. आप अपने पार्टनर को खुलकर प्यार करें. यदि आपका पार्टनर करीब नहीं आता तो आप लगातार एफर्ट करें. निश्चय ही आपको सफलता मिलेगी.

डिजिटल सेक्स के जाल में फंसते युवा

आजकल सबकुछ डिजिटल हो रहा है. स्कूलकालेज, औफिस, पुलिस स्टेशन, अदालत सबकुछ डिजिटल हो रहे हैं, ठीक इसी प्रकार संबंध भी डिजिटल हो रहे हैं. शादीब्याह के न्योते हों या कोई अन्य खुशखबरी या फिर शोक समाचार सबकुछ ईमेल, व्हाट्सऐप, एसएमएस, ट्विटर या फेसबुक के जरिए दोस्तों और सगेसंबंधियों तक पहुंचाया जा रहा है. मिठाई का डब्बा या खुद कार्ड ले कर पहुंचने की परंपरा धीरेधीरे लुप्त हो रही है.

कुछ ऐसा ही प्रयोग युवक-युवतियों के संबंधों में भी हो रहा है. ऐसे युवकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो यौन सुख के लिए वास्तविक सेक्स संबंधों के बजाय डिजिटल सेक्स और औनलाइन पोर्नोग्राफी पर ज्यादा निर्भर हैं. ऐसे युवकों को वास्तविक दुनिया के बजाय आभासी दुनिया के सेक्स में ज्यादा आनंद आता है और ज्यादा आसानी महसूस होती है. इन्हें युवतियों को टैकल करना और उन से भावनात्मक व शारीरिक संबंधों का निर्वाह करना बेहद मुश्किल लगता है, इसलिए ये उन से कन्नी काटते हैं. पढ़ेलिखे और शहरी लोगों में डिजिटल सेक्स की आदत ज्यादा देखी जाती है. मनोवैज्ञानिक इन्हें ‘हौलो मैन’ यानी खोखला आदमी कहते हैं. ऐसे लोगों को वास्तविक यौन सुख या इमोशनल सपोर्ट तो मिल नहीं पाता नतीजतन ये ऐंग्जायटी और डिप्रैशन का शिकार होने लगते हैं और भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं.

मुंबई की काउंसलर शेफाली, जो ‘टीन मैटर्स’ पुस्तक की लेखिका भी हैं, हफ्ते में कम से कम एक ऐसे युवक से जरूर मिलती हैं, जो पोर्न देखने का अभ्यस्त होता है और वास्तविक सेक्स से कतराता है. दरअसल, युवावस्था में लगभग हर युवक डिजिटल सेक्स का शौकीन होता है. कुछ युवक इस के इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें इस का नशा हो जाता है और वे सामाजिक जीवन से कतराने लगते हैं. उन्हें जो युवतियां मिलती भी हैं उन में वे आकर्षण नहीं ढूंढ़ पाते, क्योंकि उन की ब्रैस्ट या अन्य अंग पोर्न ऐक्ट्रैस जैसे नहीं होते. कई बार घर वालों के कहने या सामाजिक दबाव में आ कर ये शादी तो कर लेते हैं, लेकिन अपनी बीवी से इन की ज्यादा दिन तक पटरी नहीं बैठती, क्योंकि ये अपनी बीवी के साथ सेक्स संबंध बनाते वक्त उस से पोर्न जैसी ऊटपटांग हरकतें और वैसी ही सैक्सुअल पोजिशंस चाहते हैं. कोई भी बीवी यह सब कब तक बरदाश्त कर सकती है? नतीजतन या तो बीवी इन्हें छोड़ देती है या फिर ये खुद ही ऊब कर अलग हो जाते हैं.

व्यवहार विशेषज्ञों के मुताबिक इंटरनैट पर पोर्न साइट्स की बाढ़, थ्रीडी सेक्स गेम, कार्टून सेक्स गेम, वर्चुअल रिएलिटी सेक्स गेम और अन्य तरहतरह की पोर्न फिल्में जिन में एक युवती या युवक को 3-4 लोगों के साथ सेक्स संबंध बनाते हुए दिखाया जाता है, ने युवाओं के दिमाग को बुरी तरह डिस्टर्ब कर के रख दिया है. स्मार्टफोन पर आसानी से इन की उपलब्धता ने स्थिति ज्यादा बिगाड़ दी है. यह स्थिति सिर्फ भारत की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है. ‘मेन (डिस) कनैक्टेड : हाउ टैक्नोलौजी हैज सबोटेज्ड व्हाट इट मीन्स टू बी मेल’ में मनोविज्ञानी फिलिप जिम्वार्डो ने लिखा है, ‘औनलाइन पोर्नोग्राफी और गेमिंग टैक्नोलौजी पौरुष को नष्ट कर रही है. अलगअलग देशों के 20 हजार से ज्यादा युवाओं पर किए गए सर्वे में हम ने पाया कि आसानी से उपलब्ध पोर्न से हर देश में पोर्न एडिक्टों की भरमार हो गई. यूथ्स को युवतियों के साथ यौन संबंध बनाने के बजाय पोर्न देखते हुए हस्तमैथुन करने में ज्यादा आनंद आता है.’

मेन (डिस) कनैक्टेड की सह लेखिका निकिता कूलोंबे कहती हैं, ‘इंटरनैट युवाओं को अंतहीन नौवेल्टी और वर्चुअल हरमखाने की सुविधा देता है. 10 मिनट में ये यूथ इतनी निर्वस्त्र और सेक्सरत युवतियों को देख लेते हैं, जितनी इन के पुरखों ने ताउम्र नहीं देखी होंगी.’

व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल युग में कई यूथ ऐसे मिलेंगे जो स्क्रीन पर चिपके रहेंगे और सोशल साइट्स पर तो युवतियों से खूब गुफ्तगू करेंगे, लेकिन वास्तविक दुनिया में उन्हें युवतियों के सामने जाने पर घबराहट होती है और ये अपनी भावनाएं उन के साथ शेयर करने का सही तरीका नहीं ढूंढ़ पाते.

ये युवा फेस टू फेस बात करने के बजाय फेसबुक, व्हाट्सऐप, टैक्स्ट मैसेज या मोबाइल फोन का सहारा लेते हैं. जाहिर सी बात है कि ये युवतियों के सामने नर्वस हो जाते हैं और उन से संबंध बनाने से कतराते हैं. पोर्न से उन्हें तत्काल आनंद और संतुष्टि मिलती है, जबकि वास्तविक दुनिया में सेक्स संबंध बनाने से पहले मित्रता, प्रेम, आत्मीयता या शादीविवाह जरूरी होता है.

डिजिटल सेक्स का यह एडिक्शन युवतियों की तुलना में युवकों को अधिक प्रभावित करता है. इस की वजह यह है कि इंटरनैट पोर्न में यौन संबंधों का आनंद उठाते हुए युवकों को ही अधिक दिखाया जाता है.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं, ‘‘हमारे देश में सेक्स के बारे में बात करना एक प्रकार से गुनाह माना जाता है. ऐेसे में यूथ्स के लिए अपनी सैक्सुअल जिज्ञासाओं को शांत करने का सब से आसान जरिया इंटरनैट पोर्न ही है. इस का एक दुष्प्रभाव यह है कि ये युवक इन पोर्न क्लिपिंग्स या फिल्मों के जरिए सेक्स ज्ञान प्राप्त करने के बजाय मन में ऊटपटांग ग्रंथियां पाल लेते हैं.’’

पोर्न नायक के अतिरंजित मैथुन और उस के यौनांग के अटपटे साइज को ले कर ये युवा अपने मन में हीनभावना पाल लेते हैं और खुद को नाकाबिल या कमजोर मान कर युवतियों का सामना करने से कतराते हैं. ये युवक अपने छोटे लिंग और कथित शीघ्रपतन की समस्या को ले कर अकसर मनोवैज्ञानिक या सेक्स विशेषज्ञों के चक्कर काटते नजर आते हैं. कुछ युवा तो झोलाछाप डाक्टरों या तंत्रमंत्र के चंगुल में भी फंस जाते हैं.

‘इंडिया इन लव’ की लेखिका इरा त्रिवेदी के मुताबिक डिजिटल सेक्स के मकड़जाल में फंस कर कई यूथ्स तो अपनी बसीबसाई गृहस्थी को भी तबाह कर बैठते हैं. दरअसल, पोर्न फिल्मों में हिंसक यौन संबंध दिखाए जाते हैं, जिन में युवतियों को जानवरों की तरह ट्रीट किया जाता है और उन के चीखनेचिल्लाने के बावजूद उन के साथ जबरन सेक्स करते दिखाया जाता है.

हाल ही में कोलकाता में एक महिला ने तलाक की अपील करते हुए शिकायत की कि उस का पति पोर्न फिल्मों के ऐक्शन उस पर दोहराना चाहता है. अजीबोगरीब आसनों में सेक्स करना चाहता है, जिसे सहन करना उस के बस की बात नहीं. पति के साथ यौन संबंध बनाने में उसे न तो रोमांस का अनुभव होता है, न ही आनंद आता है बल्कि सेक्स संबंध उस के लिए टौर्चर बन चुके हैं.

कुछ हद तक डिजिटल सेक्स की इस आधुनिक बीमारी का शिकार कई महिलाएं बन चुकी हैं. गायनोकोलौजिस्ट बताती हैं कि उन के पास कुछ महिलाएं वैजाइनल ब्यूटीफिकेशन के उपाय पूछने भी आती हैं, तो कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने पति से संतान तो चाहती हैं मगर सेक्स नहीं करना चाहतीं. संतान की उत्पत्ति के लिए वे कृत्रिम रूप से गर्भाधान करना चाहती हैं.

82 वर्षीय जिंबारडो कहते हैं कि युवाओं को डिजिटल सेक्स के इस मकड़जाल से निकालने के लिए वास्तविक दुनिया में इन्वौल्व होने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा. उन्हें डिजिटल दुनिया से दूर रहने और अपने जैसे हाड़मांस के दूसरे लोगों से मिलनेजुलने और खासकर युवतियों से मिलनेजुलने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा.

पोर्न फैक्ट, जो चौंकाते हैं

–  आमतौर पर हम पोर्न की खपत विदेश में ज्यादा मानते हैं, लेकिन 2014 में हुए एक औनलाइन सर्वे में ‘पोर्नहब’ ने पाया कि भारत पोर्न कंटैंट का सब से बड़ा उपभोक्ता है.

–  भारतीय डैस्कटौप के बजाय स्मार्टफोन पर पोर्न ज्यादा देखते हैं.

–  देशभर में आंध्र प्रदेश के लोग पोर्न हब पर सब से कम समय 6 मिनट 40 सैकंड बिताते हैं जबकि पश्चिम बंगाल में रोज 9 मिनट 5 सैकंड और असम में यह आंकड़ा 9 मिनट 55 सैकंड का है.

– सनी लियोनी अब तक की सब से फेवरिट पोर्न स्टार है.

– दुनिया के ज्यादातर देशों में पोर्न फिल्म सोमवार को देखी जाती है जबकि भारत में शनिवार को.

एक रोमांचक अनुभव : साथी को कराएं सतरंगी दुनिया की सैर

सेक्स कुदरत का वह शानदार तोहफा है जिस में आनंद तो है ही, इस से ताउम्र रिश्तों में गरमाहट भी बनी रहती है.

यों तो सेक्स को मजेदार बनाने के कई आसन हैं, मगर फिंगर सेक्स इस प्रकिया को और भी आनंद से भर देता है.

तो फिर आइए, इस पल को मजेदार बनाने के लिए जानें कि फिंगर सेक्स किस तरह दांपत्य जीवन को सुखमय बना सकता है :

हाइजीन का रखें ध्यान : हाथों और उंगलियां हमेशा दूषित पदार्थों और बैक्टीरिया के संपर्क में रहते हैं. फिंगर सेक्स शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि हाथ और खासकर उंगलियां साफ और स्वच्छ रहें.

संक्रमण या चोट से बचने के लिए नाखूनों को काट लें व उन्हें साफ रखें.

ध्यान रखें : फिंगर सेक्स शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि ड्राइनैस की समस्या न रहे. आमतौर पर यह तभी होता है जब सेक्स पार्टनर इस के लिए तैयार हो. हालांकि उत्तेजना के दौरान साथी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार रहती है और यह समय ही उचित है जब पार्टनर के साथ फिंगर सेक्स का आनंद उठाया जाए. चिकनाई के लिए क्रीम अथवा तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है.

यदि आप चरमोत्कर्ष पर जाने का लक्ष्य बना रहे हैं, तो ध्यान दें कि कुछ महिलाएं दूसरों की तुलना में बाद में सुख प्राप्त करती हैं. इसलिए जरूरी होगा कि पार्टनर इस के लिए पूरी तरह तैयार हो.

पार्टनर को क्या पसंद है : फिंगर सेक्स के दौरान पार्टनर से पूछिए कि उसे क्या पसंद है और क्या नहीं? मसलन शरीर के अन्य अंगों पर भी उंगलियों से सहलाना और हलकाहलका चिकोटी काटना पार्टनर को खूब आनंदित करेगा.

आप सेक्स पार्टनर से सलाह भी ले सकते हैं. इस के अलावा, यह एक अच्छा, चिढ़ाने वाला फोरप्ले बनाता है. पार्टनर के अंगों को करीब से देखें और उसे अपने हाथों को सही स्थानों पर निर्देशित करने के लिए कहें.

कैसे करें शुरुआत : फिंगर सेक्स करने से पहले उसे फोरप्ले के साथ शुरू करना सुखद अनुभव से भर देगा.

सेक्स को अधिक सुखद बनाने के लिए एक उपयोगी ट्रिक यह भी है कि आप साथी के नाजुक अंगों और उस के आसपास की जगहों पर उंगलियों से पियानो की तरह बजा सकते हैं. यकीन मानिए, इस से पार्टनर को अच्छा लगेगा और वह पुरूष साथी को प्रोत्साहित करती रहेगी.

जी स्पौट को ढूंढ़ें : जी स्पौट महिला अंग का एक स्पंजी हिस्सा है जो उस के पूर्व भाग पर स्थित होता है या ऊपरी भाग पर. हालांकि उत्तेजित करने का कोई समान्य तरीका नहीं है, और यह प्रति व्यक्ति अलगअलग हो सकता है. बावजूद इस प्रकिया में आप पहले साथी से बातचीत कर लें.

कमरे में प्रकाश का संयोजन : संवेदनशील व नाजुक अंगों को हलकाहलका स्पर्श कर उसे प्रारंभ करने और उसे उस लायक तैयार करने का एक अच्छा तरीका है कि अपनी उंगलियों को लगातार बाहरी भाग पर स्पर्श कराते रहें. यह एक ऐसी प्रकिया है जो पार्टनर को आनंद से भर देगा.

इस दौरान कमरे में प्रकाश का ध्यान रखें. मध्यम और रंगबिरंगी लाइटों में सेक्स प्रकिया शानदार अनुभव देता है.

कैसे करें शुरूआत : इस दौरान तर्जनी और मध्यमा उंगुली का प्रयोग करें. जी स्पौट को उत्तेजित करते हुए धीरेधीरे प्रयोग करना शुरू करें. इस दौरान साथी से पूछें कि उसे कैसा लग रहा है? उस के कहे अनुसार ही इस में आगे बढ़ें.

धीमी शुरुआत करें और बाद में आक्रामकता तभी लाएं जब पार्टनर बोले.

इस दौरान पार्टनर के गरदन पर चुंबन, उस के कान की बालियों, कानाफूसी के दौरान डर्टी टौकिंग, विभिन्न जगहों पर चुंबन आदि पार्टनर को इस प्रकिया में आनंदित महसूस कराएगा.

तेजतर्रार तिजोरी : रघुवीर ने अपनी बेटी का नाम तिजोरी क्यों रखा – भाग 5

‘‘डाक्टर साहब, क्या मैं सुनील से मिल सकती हूं?’’

‘‘हां, ड्रैसिंग कंप्लीट कर के नर्स बाहर आ जाए तो तुम अकेली जा सकती हो. मरीज के पास अभी ज्यादा लोगों का होना ठीक नहीं है,’’ डाक्टर ने कहा.

नर्स के बाहर आते ही तिजोरी लपक कर अंदर पहुंची. सुनील की चोट वाली आंख की ड्रैसिंग के बाद पट्टी से ढक दिया गया था, दूसरी आंख खुली थी.

तिजोरी सुनील के पास पहुंची. उस ने अपनी दोनों हथेलियों में बहुत हौले से सुनील का चेहरा लिया और बोली, ‘‘बहुत तकलीफ हो रही है न. सारा कुसूर मेरा है. न मैं तुम्हें गुल्लीडंडा खिलाने ले जाती और न तुम्हें चोट लगती.’’

तिजोरी को उदास देख कर सुनील अपने गालों पर रखे उस के हाथ पर अपनी हथेलियां रखता हुआ बोला, ‘‘तुम्हारा कोई कुसूर नहीं है तिजोरी, मैं ही उस समय असावधान था. तुम्हारे बारे में सोचने लगा था… इतने अच्छे स्वभाव की लड़की मैं ने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखी,’’ कहतेकहते सुनील चुप हो गया.

तिजोरी समझ गई और बोली, ‘‘चुप क्यों हो गए… मन में आई हुई बात कह देनी चाहिए… बोलो न?’’

‘‘लेकिन, न जाने क्यों मुझे डर लग रहा है. मेरी बात सुन कर कहीं तुम नाराज न हो जाओ.’’

‘‘नहीं, मैं नाराज नहीं होती. मुझे कोई बात बुरी लगती है, तो तुरंत कह देती हूं. तुम बताओ कि क्या कहना चाह रहे हो.’’

‘‘दरअसल, मैं ही तुम को चाहने लगा हूं और चाहता हूं कि तुम से ही शादी करूं.’’

तिजोरी ने सुनील के गालों से अपने हाथ हटा लिए और उठ कर खड़े होते हुए बोली, ‘‘मुझ से शादी करने के लिए अभी तुम्हें 2 साल और इंतजार करना होगा. ठीक होने के बाद तुम्हें मेरे पिताजी से मिलना होगा.’’

इतना कह कर तिजोरी बाहर चली आई. श्रीकांत और महेश तो वहां इंतजार कर ही रहे थे, लेकिन अपने पिता को उन के पास देख कर वह चौंक पड़ी. उन के पास पहुंच कर वह सीने से लिपट पड़ी, ‘‘आप को कैसे पता चला?’’

‘‘मेरे खेतों में कोई घटना घटे, और मुझे पता न चले, ऐसा कभी हुआ है? मैं तो बस उस लड़के को देखने चला आया और अंदर भी आ रहा था, पर तुम दोनों की बातें सुन कर रुक गया. अब तू यह बता कि तू क्या चाहती है?’’

‘‘मैं ने तो उस से कह दिया है कि…’’ तिजोरी अपनी बात पूरी नहीं कर पाई थी कि रघुवीर यादव ने बात पूरी की…  ‘‘2 साल और इंतजार करना होगा.’’

अपने पिता के मुंह से अपने ही कहे शब्द सुन कर तिजोरी के चेहरे पर शर्म के भाव उमड़ आए और उस ने अपने पिता की चौड़ी छाती में अपना चेहरा छिपा लिया.

रघुवीर यादव अपनी बेटी की पीठ थपथपाने के बाद उस के बालों पर हाथ फेरने लगे. उन्होंने अपनी जेब से 10,000 रुपए निकाल कर श्रीकांत को दिए और बोले, ‘‘बेटा, यह सुनील के इलाज के लिए रख लो. कम पड़ें तो खेत में काम कर रहे किसी मजदूर से कह देना. खबर मिलते ही मैं और रुपए पहुंचा दूंगा,’’ इतना कह कर वे तिजोरी और महेश को ले कर घर की तरफ बढ़ गए.

अगले दिन तिजोरी अपने भाई महेश के साथ रोज की तरह खेत पर गई. आज उस का मन खेत पर नहीं लग रहा था. पानी पीने के लिए वह गोदाम की तरफ गई, तो उस ने किनारे जा कर बिजली महकमे के स्टोर की तरफ झांका.

तभी सामने वाली सड़क पर एक मोटरसाइकिल रुकी. उस पर बैठा लड़का सिर पर गमछा लपेटे और आंखों में चश्मा लगाए था. तिजोरी को देखते ही उस ने मोटरसाइकिल पर बैठेबैठे ही हाथ हिलाया, पर तिजोरी ने कोई जवाब नहीं दिया. वह उसे पहचानने की कोशिश करने लगी, पर दूरी होने के चलते पहचान न सकी.

तभी जब स्टोर में काम करते श्रीकांत की नजर तिजोरी पर पड़ी, तो श्रीकांत उसे वहां खड़ा देख उस के करीब चल कर जैसे ही आया, वह बाइक सवार अपनी बाइक स्टार्ट कर के चला गया.

तिजोरी के करीब आ कर श्रीकांत बोला, ‘‘हैलो तिजोरी, कैसी हो?’’

उस बाइक सवार को ले कर तिजोरी अपने दिमाग पर जोर देते हुए उसे पहचानने की कोशिश रही थी, लेकिन श्रीकांत की आवाज सुन कर वहां से ध्यान हटाती हुई बोली, ‘‘मैं ठीक हूं. यहां से खाली हो कर तुम्हारे बौस को देखने अस्पताल जाऊंगी. वैसे, कैसी तबीयत है उन की?’’

‘‘आज शाम तक उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी. डाक्टर का कहना है कि चूंकि आंख के बाहर का घाव है, इसलिए वे एक आंख पर पट्टी बांधे काम कर सकते हैं. मैं शाम को उन्हें ले कर सरकारी गैस्ट हाउस में आ जाऊंगा.’’

‘‘लेकिन, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जब वे पूरी तरह से ठीक हो जाएं, तब काम करना शुरू करें?’’

‘‘चोट गंभीर होती तो वैसे भी वे काम नहीं कर पाते, पर जब डाक्टर कह रहा है कि चिंता की कोई बात नहीं, तो दौड़भाग का काम मैं देख लूंगा और इस स्टोर को वे संभाल लेंगे. फिर हमें समय से ही काम पूरा कर के देना है, तभी अगला कौंट्रैक्ट मिलेगा.’’

‘‘ठीक है, मुझे कल भी खेत पर आना ही है. यहीं पर कल उस से मिल लूंगी. तुम्हें अगर प्यास लग रही हो, तो मैं फ्रिज से पानी की बोतलें निकाल कर देती जाऊं?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘ठीक है, मैं चलती हूं. कल मिलूंगी,’’ कह कर तिजोरी उस खेत की तरफ चली गई, जहां बालियों से गेहूं और भूसा अलग कर के बोरियों में भरा जा रहा था.

अगले दिन पिताजी के हिसाबकिताब का बराबर मिलान करने के चलते तिजोरी को देर होने लगी. जैसे ही हिसाब मिला, तो वह उसे फेयर कर के लिखने का काम महेश को सौंप कर अकेले ही खेत की तरफ आ गई.

चूंकि तिजोरी तेज चलती हुई आई थी और उसे प्यास भी लग रही थी, इसलिए उस ने सोचा कि पहले गोदाम में जा कर घड़े से पानी पी ले और फिर सुनील का हालचाल लेने चली जाएगी.

तिजोरी ने गोदाम के शटर के दोनों ताले खोले और अंदर घुस कर घड़े की तरफ बढ़ ही रही थी कि अचानक शटर गिरने की आवाज सुन कर वह पलटी. कल जो बाइक पर सवार लड़का था, उसे वह पहचान गई, फिर उस के बढ़ते कदमों के साथ इरादे भांपते हुए वह बोली, ‘‘ओह तो तुम शंभू हो… मुझे लग रहा है कि उस दिन मैं ने तुम्हारी नीयत को सही पहचान लिया था… लगता है, उसी दिन से तुम मेरी फिराक में हो.’’

‘‘ऐसा है तिजोरी, शंभू जिसे चाहता है, उसे अपना बना कर ही रहता है. उस दिन तो मैं तुम्हें देखते ही पागल हो गया था. आज मौका मिल ही गया. अब तुम्हारे सामने 2 ही रास्ते हैं… या तो सीधी तरह मेरी बांहों में आ जाओ, नहीं तो…’’ कह कर वे उसे पकड़ने के लिए लपका.

तिजोरी ने गोदाम के ऊपर बने रोशनदानों की ओर देखा और ऊपर मुंह कर के पूरी ताकत से चिल्लाना शुरू कर दिया, ‘‘बचाओ… बचाओ…’’

तिजोरी को चिल्लाता देख शंभू तकरीबन छलांग लगाता उस तक पहुंच गया. तिजोरी की एक बांह उस की हथेली में आई, लेकिन तिजोरी सावधान थी, इसलिए पकड़ मजबूत होने से पहले उस ने अपने को छुड़ा कर शटर की तरफ ‘बचाओबचाओ’ चिल्लाते हुए दौड़ लगानी चाही, पर इस बार शंभू ने उसे तकरीबन जकड़ लिया.

तभी शटर के तेजी से उठने की आवाज आई. जैसे ही शंभू का ध्यान शटर खुलने पर एक आंख में पट्टी बांधे इनसान की तरफ गया, तिजोरी ने उस की नाक पर एक झन्नाटेदार घूंसा जड़ दिया. और जब तक शंभू संभलता, सुनील ने उसे फिर संभाल लिया.

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