बेफिक्र होकर उठाएं Masturbation का लुत्फ

के के अग्रवाल देश के जाने माने डाक्टर हैं जिन्हे अपनी काबिलियत के लिए कई दूसरे पुरुस्कारों और सम्मान के साथ  सरकार से पद्म श्री जैसा पुरुस्कार भी मिल चुका है . दिल के रोगों के माहिर ये डाक्टर साहब सेक्स से ताल्लुक रखते मसलों पर भी बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं . देश के वे पहले नामी डाक्टर हैं जो मास्टरवेशन यानि हस्तमैथुन पर खुलकर बोलते लोगों की कई गलतफहमियाँ दूर करते हैं . उनकी मानें तो हस्तमैथुन कतई सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं है बल्कि फायदेमंद है .

हस्तमैथुन को लेकर कई गलतफहमियाँ फैली हुई हैं , बेहतर तो यह कहना होगा कि जानबूझकर फैलाई जाती हैं जिससे लोग इसका लुत्फ न ले सकें .  जबकि सेक्स सुख लेने का यह इकलौता बेहतर और महफूज रास्ता है जिसमें किसी पार्टनर की मोहताजी नहीं रह जाती . मेडिकल साइंस में यह बात ज़ोर देकर कही और मानी जाती है कि एक दो या चार पाँच नहीं बल्कि 99 फीसदी लोग हस्तमैथुन करते हैं . खासतौर से कुँवारे लड़के लड़कियां तो सेक्स की अपनी इच्छा इसी से पूरी करते हैं . हालांकि दिलचस्प सच यह भी है कि कई शादीशुदा लोग भी हस्तमैथुन करते हैं क्योंकि उन्हें हमबिस्तरी से पूरा और मनमाफिक मजा नहीं मिलता.

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यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक आम बात है लेकिन सच यह भी है कि सही जानकारियाँ न होने से अधिकतर लोग हस्तमैथुन को लेकर वेबजह के तनाव में रहते हैं और खुद को कमजोर और कभी कभी तो नामर्द तक समझने की गलती कर बैठते हैं . ऐसा महज इसलिए कि इनके दिमाग में यह बात ठूंस ठूंस कर भर दी गई है कि हस्तमैथुन बुरी बात है और इसके जरिये जो वीर्य बेकार निकल जाता है वह बड़ी मुश्किल से बनता है इसकी एक बूंद की कीमत ही करोड़ों रु होती है . इस बाबत वेबकूफी भरी बात यह फैला दी गई है कि एक बूंद वीर्य बनने सैकड़ों किलो अन्न लगता है जिससे खून और उस खून से एक तरह का रस और फिर उससे वीर्य बनता है .

गलतफहमी यह भी बड़े पैमाने पर पसरी है कि जो वीर्य को हस्तमैथुन के जरिये जाया कर देता है उसकी ज़िंदगी के कोई माने नहीं रह जाते उसके चेहरे पर रौनक नहीं रह जाती और उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है . धार्मिक किताबों में इस वीर्य का बखान इतने भयानक तरीके से किया गया है कि अच्छे अच्छे इसे पढ़कर दहल जाएँ लेकिन हकीकत एकदम उलट है .

जानें सच – हकीकत यह है कि वीर्य शरीर में लगातार बनते रहने बाला एक खास किस्म का केमिकल है जो बनता तभी है जब शरीर और दिमाग में सेक्स की उत्तेजना चरम पर होती है हर कोई इसे महसूसता भी है . यानि वीर्य शरीर के अंदर स्टाक में नहीं रहता है और न ही उत्तेजना होने पर इसका निकलना रोका जा सकता .  इस के निकलने से ही सेक्स सुख मिलता है फिर चाहे वह हमबिस्तरी से मिले या हस्तमैथुन से इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता . आमतौर पर मर्दों में 12 – 13 साल की उम्र में सेक्स उत्तेजना आने लगती है जिसे शांत या पूरी करने वे हस्तमैथुन करते हैं .

गड़बड़ यहीं से शुरू होती है क्योंकि जवान होते लड़के लड़कियों के दिमाग में यह बात पहले से ही भरी होती है कि हस्त मैथुन गलत है , पाप है . ये बातें वे ठीक उसी तरह सीखते हैं जैसे यह कि भगवान है और उसके पूजा पाठ से ही मनचाहे फल मिलते हैं . फर्क इतना है कि हस्तमैथुन के बारे में जानकारियाँ उन्हें इधर उधर से नीम हकीमों के इश्तिहारों और यार दोस्तों से मिलती हैं.

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जब जवान होते लड़के किसी इश्तहार में यह पढ़ते हैं कि बचपन के कुसंग की वजह से नामर्दी या  कमजोरी आ गई हो , थकान महसूस होती हो , शीघ्रपतन हो जाता हो , स्वप्न दोष हो तो घबराएँ नहीं शीघ्र हमसे मिलें और मर्दाना ताकत पाएँ तो वे घबरा उठते हैं और उन्हें यह वहम और गलतफहमी हो जाती है कि वे हस्तमैथुन करने के चलते बच्चा पैदा करना तो बाद की बात है औरत को सेक्स सुख नहीं दे पाएंगे . ऐसा इसलिए और भी होता है कि हमारे यहाँ सेक्स एज्यूकेशन यानि तालीम के कोई इंतजाम नहीं हैं . गलत जानकारियाँ कैसे ज़िंदगी दुश्वार कर देती हैं इसके बारे में भोपाल के नजदीक सीहोर के एक दुकानदार के उदाहरण से समझा जा सकता है .

40 साला इस दुकानदार के मुताबिक वह 15 साल की उम्र से ही हस्तमैथुन कर रहा था 25 का होते होते जब शादी की बात चली तो वह घबरा उठा कि कैसे बीबी को संतुष्ट करेगा इसलिए वह शादी से कतराने लगा . एक दिन उसने शहर के कोतवाली चौराहे पर एक खानदानी हकीम को तम्बू गड़ाए देखा तो अपनी परेशानी लेकर उसके पास जा पहुंचा . हकीम साहब तो बैठे ही ऐसे मुर्गों के लिए थे .  उन्होने पहले तो उसे डराया फिर 40 रु लेकर कुछ पुड़ियेँ थमा दीं कि रात को सोते वक्त दूध के साथ खाते रहना आठ दिन में ही घोड़े को भी मात कर दोगे .

सोते वक्त  दुकानदार ने हिदायत के मुताबिक दवा दूध से खा ली लेकिन आधी रात को उसके पेट में इतना भयंकर दर्द उठा कि उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ा . डाक्टर ने खान पान के बारे में पूछताछ की तो घबराए दुकानदार ने तुरंत सच उगल दिया . 2 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी हुई तो अकेले में उसके चाचा ने उसे समझाया कि हस्तमैथुन से ऐसा कुछ नहीं होता जिसे सोचकर वह घबरा गया था . फिर उन्होने सेक्स से ताल्लुक रखती कई अहम बातें उसे समझाईं तो उसका डर जाता रहा . अब यह दुकानदार 2 बच्चों का बाप है और बिना किसी खानदानी हकीम की दवा खाए इस उम्र में भी पलंग तोड़ सेक्स करता है और नौजवानों को मेसेज देता है कि वे नीम हकीमी के चक्कर में वक्त और पैसा जाया न करें हस्तमैथुन से न तो कमजोरी आती और न ही ज़िंदगी बर्बाद होती .

नुकसान कुछ नहीं फायदे कई – माहिरों की मानें तो हस्तमैथुन से कोई नुकसान नहीं होता उल्टे फायदे कई होते हैं मसलन इससे मूड फ्रेश होता है और जिस्म सहित अंग की भी कसरत हो जाती है . जानकर हैरानी होना कुदरती बात है कि इससे तनाव भी दूर होता है .  कई रिचर्स में चौका देने बाली ये बातें भी उजागर हुई है कि सेक्स की इच्छा होने पर हस्तमैथुन कर लेने से लोग सेक्स रोगों के जोखिम से बचे रहते हैं और स्वप्न दोष भी नहीं होता अलावा इसके अच्छी नींद भी आती है .

डाक्टर के के अग्रवाल पूरे भरोसे से ज़ोर देकर कहते हैं कि मेडिकल साइंस हस्तमैथुन को गलत या नुकसानदेह नहीं मानती और न ही इसका शरीर की ताकत और मर्दानगी से कुछ लेना देना यह एक कुदरती बात है . इससे एनर्जी कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है . भोपाल के नामी  मनोविज्ञानी यानि दिमागी बीमारियों के माहिर डाक्टर विनय मिश्रा तो यह तक कहते हैं कि अगर सेक्स इच्छाओं को जरूरत से ज्यादा दबाया जाये तो जरूर दिमागी बीमारियों का खतरा बनने लगता है . इसलिए जरूरत पड़ने पर हस्तमैथुन करना हर्ज की बात नहीं .

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एहतियात रखें – एक पुरानी कहावत है कि अति सर्वत्र वर्जयते यानि अति हर जगह नुकसान करती है फिर वह चाहे अच्छे खाने पीने की ही क्यों न हो . हस्तमैथुन पर भी यह बात  लागू होती है . आमतौर पर माहिर यह मानते हैं कि हफ्ते में 3-4 दिन हस्तमैथुन किया जा सकता है . इसके अलावा ये एहतियात भी बरतना चाहिए –

1 – अंग को पूरा उत्तेजित होने पर ही हस्तमैथुन करना चाहिए .

2 – कमरे या बाथरूम बगैरह जहां भी करें दरवाजा अच्छे से बंद कर लेना चाहिए .

3 – ज्यादा ज़ोर से नहीं करना चाहिए इससे अंग को नुकसान हो सकता है .

4 – वीर्य को पोंछने साफ कपड़े या टिसु पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए .

5 – एक दिन में बार बार हस्तमैथुन नहीं करना चाहिए .

6 – अगर इसके लिए किसी सेक्स टोय का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे अच्छे से साफ करना चाहिए खासतौर से उन लड़कियों को जो नकली अंग का इस्तेमाल करती हैं .

और आखिरी बात जो हमेशा जेहन में रखनी चाहिए वह यह कि हस्तमैथुन कतई नुकसानदेह नहीं है इसे आत्मनिर्भरता भी कहा और समझा जा सकता है .

Lockdown में उजड़ने लगीं देह व्यापार की मंडियां

49 साला सोनिया बीते 25 सालों से मुंबई के कमाठीपुरा में रहते देह व्यापार कर रही है यानि सेक्स वर्कर है. सालों पहले पह नेपाल से इस बदनाम इलाके में आई थी, तब कमसिन थी सो अच्छा खासा पैसा मिल जाता था क्योंकि जवान लड़कियां हमेशा ही ग्राहकों की पहली पसंद रहीं हैं. हालांकि इस उम्र में भी वह 2-3 हजार रु रोज कमा लेती है लेकिन लॉक डाउन के बाद यानि  24 मार्च से सोनिया ने एक धेला भी नहीं कमाया है क्योंकि कोरोना की दहशत और लॉक डाउन के चलते ग्राहक कमाठीपुरा की तरफ झांक भी नहीं रहे हैं.

हैरान परेशान सोनिया पहली सेक्स वर्कर है जिसने मीडिया के सामने अपना दुख दर्द बयां किया वह कहती है, पूरी ज़िंदगी इधर निकल गई, लेकिन इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे. इतने बम फटे, अटैक हुये, बीमारिया आईं पर ऐसी वीरानी कभी नहीं देखी.

सोनिया जिस कमरे में रहती है उसमें तीन और सेक्स वर्कर रहतीं हैं. उन्हें भी हालात सुधरते नहीं दिख रहे. बक़ौल सोनिया, अगर हालात ऐसे ही रहे तो हमें खाने पीने के लाले पड़ जाएंगे.  अभी तो मकान मालिक को किराया देने भी पैसे नहीं हैं. सोनिया के साथ रहने वाली जया भी उसी की तरह चिंतित है कि अब क्या होगा, कमाठीपुरा में इतना सन्नाटा उसने भी पहले कभी नहीं देखा.

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जया ने अपने 6 साल के बेटे को पुणे में एक रिश्तेदार के यहां रख छोड़ा है जिससे वह पढ़ लिखकर कुछ बन सके. बेटे की पढ़ाई के लिए उसे हर महीने 1500 रु भेजने पड़ते हैं जो अब शायद ही वह भेज पाये. अभी तो चिंता पेट पालने की है क्योंकि धंधा एकदम से बंद हुआ है जिसकी उम्मीद उसने या देह व्यापार के लिए बदनाम कमाठीपुरा की हजारों काल गर्ल्स ने नहीं की थी.

कमाठीपुरा में हजारों सेक्स वर्कर हैं जिनमें से कई यहीं की चालों में किराए से रहती हैं तो कई मुंबई की उपनगरियों से देहव्यापार के लिए आती हैं. इस इलाके में सुबह ही देर रात 8 बजे के बाद होती है. देश का ऐसा कोई इलाका नहीं जहां की काल गर्ल्स यहां न मिलती हों. ग्राहकों की फरमाइश पर दलाल हर तरह का माल उन्हें मुहैया कराते हैं मसलन साउथ इंडियन, नेपाली बंगाली, हिन्दी राज्यों की और पूर्वोत्तर राज्यों की लड़कियां भी इस बाजार में मिलती हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद न केवल कमाठीपुरा बल्कि देश भर की देह मंडियों की सेक्स वर्कर भुखमरी के कगार पर आ खड़ी हुई हैं और चूंकि वे समाज के माथे पर बदनुमा दाग हैं इसलिए कोई उनकी सुध नहीं ले रहा जबकि इनकी हालत भी रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूरो सरीखी ही है.

एक और सेक्स वर्कर किरण का कहना है कि आप मीडिया बाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमें माली इमदाद भेजने क्यों नहीं कहते क्योंकि हमारे ऊपर भी बूढ़े माँ बाप और बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी है. अब जब धंधा चौपट है तो हम क्या करें. कमाठीपुरा में तकरीबन 2 लाख सेक्स वर्कर हैं जो लॉकडाउन  के चलते बदबूदार और संकरी कोठियों में कैद होकर रह गईं हैं. इनके अधिकतर ग्राहक भी रोज कमाने खाने बाले ही होते हैं जिनके अब कहीं अते पते नहीं.

ये मंडियां हुईं सूनी…   

कमाठीपुरा से भी बड़ा बाजार कोलकाता का सोनगाछी है जो एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट इलाका है. एक अंदाजे के मुताबिक सोनगाछी में कोई 3 लाख सेक्स वर्कर हैं कुछ पार्ट टाइम धंधा करती हैं तो कुछ फुल टाइम. इनका एक बड़ा संगठन भी है जिसका नाम दरबार महिला समन्वय समिति है. इस संगठन में लगभग 1 लाख 30 हजार सेक्स वर्कर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है और इससे ज्यादा वे हैं जिनहोने रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं समझी.

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सोनगाछी में हैरानी की बात है लॉकडाउन से पहले ही ग्राहकों की आवाजाही कम हो चली थी. दरबार की एक पदाधिकारी महाश्वेता मुखर्जी के पास पश्चिम बंगाल के अलग अलग इलाकों से फोन सेक्स वर्कर्स के आने लगे थे कि उन्हें भुखमरी से बचाने कोई पहल की जाये. 30 मार्च आते आते तो हालात काफी भयावह हो चले थे. अधिकांश सेक्स वर्कर्स के पास जमापूंजी और राशन खत्म हो चला था.

ऐसे में महाश्वेता ने एक एनजीओ सोनगाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की मदद से एक योजना बनाई. इस एनजीओ के प्रबंध निदेशक समरजीत साना ने ममता बनर्जी सरकार की सामाजिक कल्याण मंत्री शशि पांजा से गुजारिश की कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सरकार की तरफ से दिये जाने बाले फायदे सेक्स वर्कर्स को भी दिये जाएँ. किराए से रह रही तकरीबन 30 हजार सेक्स वर्कर्स के मकान मालिकों को भी उन्होने कहा कि उनका किराया माफ किया जाये. अलावा इसके समरजीत ने कई जानी मानी हस्तियों और दूसरी एनजीओ से भी सेक्स वर्कर्स की मदद के लिए गुहार लगाई है.

यह कोशिश थोड़ी ही सही रंग लाई. शशि पांजा की पहल पर सेक्स वर्कर्स को दाल चावल और आलू के अलावा पका हुआ खाना भी दिया जा रहा है लेकिन लॉकडाउन के बाद क्या होगा इसे लेकर काल गर्ल्स की चिंता कुदरती बात है. सोनगाछी एक महीने पहले तक चौबीसों घंटे गुलजार रहने बाला बाजार हुआ करता था जिसमें देहव्यापार पर बनी कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. लेकिन अब यहाँ मनहूसियत पसरी पड़ी हुई है.

देह व्यापार पर दर्जनो फिल्मे बन चुकी हैं और मीना कुमारी से लेकर करीना कपूर और विद्धया बालान तक तकरीबन सभी नामी एक्ट्रेसों ने तवायफ का किरदार जिया है. इनकी मुसीबतों पर बनी सबसे सटीक फिल्म 1983 में आई श्याम बेनेगल निर्देशित मंडी थी जिसमें लीड रोल शबाना आजमी ने निभाया था. मंडी में सधे ढंग से दिखाया गया था कि नेता कारोबारी, समाजसेवी और दलाल कैसे कैसे वेश्याओं को मोहरा बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं.

कमाठीपुरा और सोनगाछी के मुक़ाबले दिल्ली के रेड लाइट इलाके जीबी रोड की सेक्स वर्कर थोड़ी बेहतर हालात में हैं. इस इलाके में 98 के लगभग ऐसे मकान हैं जिन्हें कोठा कहा जा सकता है इनमें 1500 के लगभग सेक्स वर्कर रहती हैं. लॉकडाउन  के बाद यहाँ की सेक्स वर्कर भी भुखमरी के कगार पर आ गईं थीं लेकिन उन्हें खाना दिल्ली पुलिस दे रही है और नजदीक के गुरुद्वारे से भी मदद और राशन मिल जाता है.

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सेक्स वर्कर भूखी न रहें इसके लिए पहले दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानि डीसीपीसीआर ने जीबी रोड के कोठों पर रहने बालियों के लिए एक हंगर सेंटर बनाया था लेकिन ये सेक्स वर्कर लोगों के तानों के चलते वहाँ जाने से कतराईं तो उन्हें घर पर ही दवाइयों और राशन पहुंचाया जा रहा है. यह एक काबिले तारीफ पहल है जिसका श्रेय डीसीपीसीआर के मेम्बर सुदेश विमल को जाता है जो दूसरे जरूरी सामान के साथ साथ सेनेटरी नेपकिन तक सेक्स वर्कर्स को पहुंचाने का इंतजाम कर रहे हैं.

यहां तो कुछ भी नही –

ये तो वे शहर और इलाके थे जहां सेक्स वर्कर बड़ी तादाद में हैं और एक ही जगह से धंधा करती हैं इसलिए राज्य सरकारें इनकी अनदेखी नहीं कर पाईं लेकिन कोरोना और लॉकडाउन  का सबसे बुरा और ज्यादा असर उन शहरों और इलाकों पर पड़ रहा है जहां यह धंधा छिटपुट और छोटे पैमाने पर होता है लेकिन अक्सर चर्चाओं और सुर्खियों में रहता है.

ऐसे खास इलाके हैं ग्वालियर का रेशमपुरा, आगरा का कश्मीरी मार्केट, पुणे का बुधबर पैठ, सहारनपुर का नक्काफसा बाजार, इलाहाबाद का मीरागंज और एक और नामी धार्मिक शहर वाराणसी का मड़ुआडिया, मेरठ का कबाड़ी बाजार और नागपुर का गंगा जमुना.

इन इलाकों और अड्डों की रौनक गायब है और अधिकांश सेक्स वर्कर या तो घरों में कैद हैं या फिर अपने घरो को लौट गईं हैं. मुमकिन है लॉकडाउन के बाद ये भी दूसरे दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपने धंधे पर वापस लौट आयें लेकिन धंधा पहले सा चलेगा इसमें शक है क्योंकि हर कोई कोरोना से लंबे वक्त तक डरा रहेगा और सोशल डिस्टेन्सिंग पर अमल करने की हर मुमकिन कोशिश करेगा लेकिन यह देखना भी दिलचस्पी की बात होगी की शरीर की भूख और जरूरत पर कोरोना कितना और कब तक भारी पड़ेगा .

भोपाल के एमपी नगर इलाके की एक काल गर्ल लक्ष्मी शर्मा (बदला नाम) से इस बारे में बात की गई तो उसने बताया नौबत तो भूखों मरने की आ गई है सामाजिक संगठन जो खाना बाँट रहे हैं उससे पेट भर रही हूँ लेकिन अब न तो खाने में मजा आ रहा है और न ही जीने में. पास के शहर विदिशा से भोपाल आकर धंधा करने बाली 28 साला लक्ष्मी कहती है पैसों के लिए कई ग्राहकों को फोन किया लेकिन कोई साला नहीं दे रहा कई ग्राहक जो आम दिनों में कुत्ते की तरह दुम हिलाते आगे पीछे घूमते थे परेशानी के इन दिनों में फोन ही नहीं उठा रहे.

वे क्यों मुझे भाव दें, वह जैसे खुद को तसल्ली देते हुये बताती है यह तो इस हाथ दे उस हाथ ले वाला सौदा है पर लोक डाउन की बेगारी ने साबित कर दिया कि एक रंडी आखिर रंडी ही होती है जिसका कोई सगा नहीं होता.

फर्क धंधे के तरीकों का

लक्ष्मी की खीझ अपनी जगह सही है लेकिन उसकी बातों से एक बात तो समझ आती है कि कालगर्ल दो तरह की होती हैं एक वे जो मर्जी से धंधा करतीं हैं और दूसरी वे जो मजबूरी के चलते इस दलदल में आती हैं. हाई टेक कालगर्ल्स उतनी परेशानी में नहीं हैं जितनी में कि  लक्ष्मी जैसी हैं जिनकी गुजर का जरिया ही रोज रोज जिस्म बेचना है. इन्हें ज्यादा पैसा नहीं मिलता है कई बार तो दिन में 200– 300 रु ही मिल जाएं तो ही इनके घर का चूल्हा जल पाता है.

कमाठीपुरा और सोनागाछी जैसे इलाकों में लक्ष्मी जैसी ही सेक्स वर्कर हैं जबकि फाइव स्टार होटलों, स्पा, मसाज सेंटर्स, फार्म हाउसों और खुद के आलीशान फ्लेट्स से धंधा करने बालियों पर लॉकडाउन का कोई खास असर नहीं पड़ा है. यह ठीक वैसी ही स्थिति है कि अमीर और आम मध्यांवर्गीयो पर लॉकडाउन बेअसर है लेकिन मारा गरीब मजदूर जा रहा है.

हाइटैक कालगर्ल्स की तादाद 10 फीसदी ही है जबकि रोजाना कमाने खाने वालियों की 90 फीसदी है जो बद से बदतर हालत में लॉकडाउन के बाद आ गई हैं और ऐसा लगता नहीं कि अभी एकाध साल और ये उजड़ती मंडिया आबाद हो पाएंगी.

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दूसरों की जिस्मानी भूख मिटाने बाली इन सेक्स वर्कर्स के पेट की भूख खैरात के खाने से अगर जैसे तैसे मिट पा रही है तो इसकी वजह इस धंधे का गैर कानूनी होना भी है और इन्हें पापिन करार देना भी है.

योजनाओं का भी फायदा नहीं

इन सेक्स वर्कर्स की गिनती दिहाड़ी मजदूरों में नहीं होती इसलिए इन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा भी न के बराबर ही मिलता है. सेक्स वर्कर्स के भले के लिए काम करने बाली सबसे बड़ी एजेंसी भारतीय पतिता उद्धार सभा की दिल्ली इकाई के सचिव इकबाल अहमद की मानें तो सरकार की जनधन और सेहत समेत किसी योजना का लाभ सेक्स वर्कर्स को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अधिकांश के पास न तो आधार कार्ड हैं और न ही राशन कार्ड हैं और न ही इनके बेंक खाते हैं.

बक़ौल इकबाल अहमद लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में कई संगठन बाले आते हैं और थोड़ा बहुत सामान देकर चले जाते हैं पर उनकी असल मंशा फोटो खिंचाने की होती है. राशन मिल भी जाये तो सेक्स वर्कर्स के पास उसे पकाने न तो गेस सिलेन्डर हैं और न ही केरोसिन के लिए पैसे हैं. इस पर भी दिक्कत यह कि अधिकांश सामान देने बाले नीचे से ही सामान देकर चले जाते हैं जिससे तीसरे चौथे माले पर रहने बालियों को सामान मिल ही नहीं पाता.

इसी संस्था के अध्यक्ष खैराती लाल भोला की मानें तो लॉकडाउन के बाद उन्हें देश भर से सेक्स वर्कर्स के फोन आए और उन्होने अपनी समस्याएँ बताईं जिनसे मैंने पत्र द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन को अवगत कराया लेकिन अभी तक कोई जबाब मुझे इनसे नहीं मिला है. गौरतलब है कि देश में कोई 1100 रेड लाइट इलाके हैं. खैराती लाल पहले भी सेक्स वर्कर्स की परेशानियों को लेकर सभी सांसदों को चिट्ठी लिख चुके हैं जिससे सेक्स वर्कर्स का हेल्थ कार्ड बन सके क्योंकि अस्पताल में जब ये खुद को रेड लाइट इलाके का बताती हैं तो हर कोई इनसे कन्नी काटने लगता है.

अब लॉकडाउन के वक्त में सेक्स वर्कर्स की बदहाली भुखमरी के जरिये भी उजागर हो रही है तो बारी सरकार की है कि वह इनके बाबत संजीदगी से सोचे और इनके भले के लिए कदम उठाए क्योंकि ये भी समाज का अहम हिस्सा हैं.

घट रही है या बढ़ रही है, Lockdown में कंडोम की बिक्री

फरवरी के दूसरे हफ्ते यह खबर तेजी से वायरल हुई थी कि चीन और सिंगापुर में कंडोम की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ रही है लेकिन सेक्स के लिए नहीं बल्कि लोग कंडोम का इस्तेमाल बतौर हेंड ग्लब्स ज्यादा कर रहे थे. यह वह वक्त था जब लोग कंडोम को कोरोना वायरस से लड़ने का कारगर तरीका बता रहे थे .  इस आशय की खबरें और फोटो भी तेजी से वायरल हुये  थे कि लिफ्ट के बटन और कार के हेंडल तक को पकड़ने हर कोई कंडोम का दास्ताना पहने था .

19 मार्च के बाद हमारे देश में कंडोम की बिक्री घटी है या बढ़ी है इस पर जबरजस्त विरोधाभास देखने में आ रहा है . कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कंडोम की बिक्री बढ़ी है लेकिन हमारे यहाँ इसे हाथ के दास्तानों की तरह कहीं इस्तेमाल नहीं किया जा रहा बल्कि जिस काम के लिए यह बना है उस के लिए ही इस्तेमाल किया जा रहा है . कहा तो यह तक गया कि मास्क और सेनेटाइजर के साथ साथ दवा की दुकानों से सबसे ज्यादा बिकने बाला आइटम कंडोम है और लोग इसके छोटे नहीं बल्कि बड़े पेक खरीद रहे हैं.

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यह एक रोमांटिक अंदाजा भर हो सकता है कि लाक डाउन के चलते पति पत्नी खाली वक्त में इफ़रात से सेक्स करेंगे और किसी भी खतरे से बचने कंडोम स्वाभाविक रूप से इस्तेमाल करेंगे इसलिए वे थोक में कंडोम खरीद रहे हैं . हालांकि इस बात से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अगर वाकई कंडोम के लिए मारामारी मची होती और यह भी ब्लेक में या ऊंचे दाम पर बिक रहा होता तो लाक डाउन की दिलचस्प खबरों में इसे निश्चित रूप से शुमार होना चाहिए था .

सच क्या है इसकी पड़ताल के लिए जब भोपाल के कुछ केमिस्टों से बात की गई तो उन्होने निराशा प्रदर्शित करते हुये बताया कि कंडोम की बिक्री में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है उल्टे गिरावट आई है . भोपाल के पाश इलाके शाहपुरा के मनीषा मार्केट के एक केमिस्ट अनिल ललवानी का कहना है कि उनकी दुकान से औसतन 8 पेकेट कंडोम के रोज बिकते हैं लेकिन लाक डाउन के बाद बिक्री न के बराबर हो रही है .

ऐसा क्यों इस पर अनिल बताते हैं कि दरअसल में कंडोम के बड़े खरीददार कालेज स्टूडेंट और होस्टलर्स होते हैं जो अपने अपने घरों को चले गए हैं .  ये लोग अक्सर दोपहर में या फिर देर रात कंडोम खरीदते थे अब मौज मस्ती करने बाले इन लोगों के अते पते नहीं है लिहाजा मुश्किल से एक पेकेट रोज बिक पा रहा है और खरीददार लाइसेन्सशुदा यानि शादी शुदा हैं.

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कारोबारी इलाके एमपी नगर के एक केमिस्ट इस बात की पुष्टि करते हुये बताते हैं कि होस्टल्स खाली हो जाने से कंडोम की बिक्री घटी है . गौरतलब है कि भोपाल में लगभग 1 लाख बाहरी स्टूडेंट हैं ये लोग किराए के मकानों में भी रहते हैं . सेक्स संबंध इनके लिए गोल गप्पे खाने जैसी आम और रोजमरराई बात है , अब जब शहर वीरान सा है तो कंडोम शो केस की ही शोभा बढ़ा रहे हैं .

पुराने भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज के नजदीक के एक केमिस्ट की माने तो दरअसल में लाक डाउन के चलते देह व्यापार भी लाक हो गया है स्टूडेंट्स के साथ काल गर्ल्स और उनके ग्राहक भी कंडोम के नियमित और अनिवार्य ग्राहक होते हैं जो अब नदारद हैं .  इस केमिस्ट ने दूसरी दिलचस्प बात यह बताई कि आम शादीशुदा भी कंडोम नवरात्रि के चलते नहीं खरीद रहे क्योंकि व्रत उपवास के दिनों में पति पत्नी सहवास नहीं करते हैं . मुमकिन है नवरात्रि के बाद थोड़ी बहुत मांग बढ़े लेकिन वह रूटीनी होगी उल्लेखनीय नहीं .

दरअसल में कंडोम की बिक्री का भी अपना सीजन होता है. दुनिया भर में दिसंबर के आखिर के दिनों और नए साल पर इफ़रात से कंडोम बिकते हैं लिहाजा थोक और फुटकर व्यापारी भारी  भरकम स्टाक इन दिनों रखते हैं लेकिन अब जब देश भर में सन्नाटा है तब कंडोम बिक्री में बढ़ोत्री अति उत्साह में की गई कल्पना ज्यादा लगती है.

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यह ठीक है कि यंग कपल्स फुर्सत में हैं और कंडोम भी खरीद रहे हैं लेकिन ये कंडोम का उतना बड़ा ग्राहक वर्ग नहीं है जो बाजार में हलचल मचा दे. एक अंदाजे के मुताबिक कंडोम के 70 फीसदी ग्राहक प्रेमी प्रेमिकाए और देह व्यापार से जुड़े लोग होते हैं जो लाक डाउन के चलते तितर बितर हो गए हैं हाँ इतना तय है कि लाक डाउन के खत्म होते ही जरूर कंडोम की मांग में जबरजस्त इजाफा होगा.

#coronavirus: एक्सपर्ट से जानिए कोरोना का सेक्स कनेकशन

कोरोना की दहशत और लौक डाउन , शट डाउन के चलते यह वह दौर है जब अधिकतर लोग घरों में कैद हैं. हमारे देश में एक दिन के जनता कर्फ़्यू के बाद से ही लोगों को वक्त काटना मुहाल हो रहा है ऐसे में जाहिर है आनंद लेने का एक बड़ा जरिया सेक्स भी है जिस पर यह शेर एकदम फिट बैठता है कि मौसम भी है… मौका भी है… और दस्तूर भी है…

जानकर हैरानी होती है कि आपदा के इस वक्त में भी दुनिया भर के लोग तबीयत से पौर्न साइट सर्च कर रहे हैं जो उन्हें निराश नहीं कर रहीं है बल्कि यह तक सिखा रहीं हैं कि मास्क पहनकर और कुछ एहतियात बरतकर वे कैसे कैसे सेक्स का लुत्फ उठा सकते हैं . इनमें से एक वीडियो चीन के वुहान , जहां से कोरोना की उत्पत्ति हुई बताई जा रही है का भी है कि वहां के लोग अब कैसे सेक्स कर रहे हैं .

बात कम दिलचस्प नहीं कि आहार , भय और निद्रा की तरह मैथुन भी लोगों की प्राथमिकता में शिद्दत से है जिसकी तादाद इन दिनों बढ़ रही है लेकिन लोग कोरोना को लेकर सहमे हुये भी हैं कि कहीं सेक्स करने से तो इस जानलेवा वायरस का प्रकोप उन पर नहीं होगा . भोपाल जैसे बी श्रेणी के शहर में जहां लौक डाउन है वहां भी लोग स्पेशलिस्ट डाक्टरों से भी सलाह ले रहे हैं कि सेक्स करें या न करें और करें तो कैसे करें जिससे महफूज रहें .

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इस बारे में इस प्रतिनिधि ने भोपाल के सबसे बड़े और नामी बंसल अस्पताल के जाने माने कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट और सेक्सपर्ट डा. सत्यकान्त त्रिवेदी से बात की तो उन्होने बताया कि कोरोना के चलते सेक्स बेहिचक किया जा सकता है क्योंकि यह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारी नहीं है लेकिन जरूरी यह है कि आप या आपका पार्टनर संक्रमित न हो इसलिए सेक्स के पहले खुद का और पार्टनर का संक्रमित न होना सुनिश्चित किया जाना जरूरी है .

डा. सत्यकान्त के पास रोज कई लोग ऐसे आ रहे हैं या फिर फोन पर सलाह ले रहे हैं जिन्हें वे ये टिप्स दे रहे हैं –

  • इस वक्त में कोई नया सेक्स पार्टनर न बनाएं यानी नए व्यक्ति से सेक्स करने से बचें.
  • अगर विदेश से आए हैं या विदेश से आए किसी व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो सेक्स से यथासंभव परहेज करें.
  • सर्दी जुकाम खांसी हो तो भी सेक्स से बचें लेकिन यह डरने की बात नहीं बल्कि एक तरह की सावधानी है , सर्दी जुकाम भी नजदीक आने से फैलते हैं.
  • संक्रमण की स्थिति में नो टच पालिसी पर चलें.
  • सेक्स के दूसरे माध्यमों का प्रयोग कर सकते हैं जैसे आडियो वीडियो चेट वगैरह.

यानि बात डरने की नहीं बल्कि सावधानिया बरतने की है क्योंकि कोरोना वायरस सहवास से नहीं फैलता और न ही इसका प्राइवेट पार्ट्स से कुछ लेना देना है .  यह श्वसन तंत्र से फैलने बाली बीमारी है इसलिए चुंबन और मुंह से की जाने बाली दूसरी सेक्स क्रियाएँ नहीं की जानी चाहिए .

यह दबाब मुक्त एकांत सेक्स के लिए तो वरदान सा ही है क्योंकि अधिकांश कपल्स आजकल कामकाजी हैं और क्षमता से ज्यादा काम उन्हें करना पड़ता है जिसका दुष्प्रभाव उनकी सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है इसलिए खुलकर सेक्स का लुत्फ उठाएँ लेकिन ऊपर बताई गई सावधानियों के साथ .

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बेल्जियम में प्रतिबंध –    कोरोना का सेक्स कनेकशन बड़े दिलचस्प तरीके से बेल्जियम में देखने में आया है जहां की स्वास्थ मंत्री ने ग्रुप सेक्स पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि सेक्स पार्टियों के लिए बदनाम बेल्जियम के लोग बियर भी इफ़रात से पीने के लिए जाने जाते हैं हमारे देश के चुनिन्दा बड़े शहरों में इस तरह की पार्टियां होती हैं जहां समूहिक सेक्स का चलन बड़े पैमाने पर पसर चुका है . कोरोना इन लोगों के लिए चेतावनी है नहीं तो इस मजे की कीमत बहुत महंगी भी पड़ सकती है .

पिछले कुछ समय से मेरे चेहरे पर बहुत सारी फुंसियां हो गई हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है. पिछले कुछ समय से मेरे चेहरे पर बहुत सारी फुंसियां हो गई हैं. बहुत इलाज कराया, पर इन से छुटकारा नहीं मिला. मैं इन से बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूं. इलाज बताएं?

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जवाब-

आप एक्ने से पीडित मालूम पड़ते हैं. एक्ने एक तरह की त्वचा संबंधी बीमारी है. इस के कई उपचार हो सकते हैं जिन में जिंदगी जीने के तरीके में बदलाव, दवाएं और दूसरी डाक्टरी प्रक्रियाएं शामिल हैं. चीनी जैसे सामान्य कार्बोहाइड्रेट खाने से भी फायदा हो सकता है.

प्रभावित त्वचा पर लगाए जाने वाले उपचार जैसे एजेलिक एसिड, बेनजोइल पैरोक्साइड और सैलिसिलिक एसिड आमतौर पर इस्तेमाल होते हैं. चमड़ी के माहिर डाक्टर से मुलाकात करें.

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मैं क्रिकेटर बनना चाहता हूं पर मेरे घर वाले इस के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 15 साल है. मैं क्रिकेटर बनना चाहता हूं, पर मेरे घर वाले इस के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हैं. वे चाहते हैं कि मैं सरकारी नौकरी करूं और अपना ध्यान पढ़ाई पर ही रखूं. मैं बहुत दुविधा में हूं और क्रिकेट को नहीं छोड़ पा रहा हूं. मैं क्या करूं?

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जवाब-

आप के घर वाले ठीक कह रहे हैं, क्योंकि क्रिकेट में कैरियर बनने की कोई गारंटी नहीं है. लाखोंकरोड़ों में से इनेगिने लड़कों को मौका मिल पाता है और उस के लिए भी खूब पापड़ बेलने पड़ते हैं.

क्रिकेट में वक्त ज्यादा बरबाद होता है और आखिर में हाथ कुछ नहीं लगता. यह न सोचें कि आप सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली बन ही जाएंगे, पर पढ़ाई में मन लगाएंगे तो कुछ न कुछ बनने की गारंटी जरूर है, इसलिए घर वालों की बात मान लेने में ही आप की भलाई है.

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मेरे पति मुझ पर यकीन नहीं करते हैं और वे छोटीछोटी बातों पर गालीगलौज करते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं ने प्रेम विवाह किया है और मेरा एक 9 महीने का बेटा है. मैं ने अपने पति को अपने पुराने प्रेमी के बारे में पहले बताया था. पिछले कुछ समय से मेरे पति मुझ पर यकीन नहीं करते हैं. वे छोटीछोटी बातों पर गालीगलौज करते हैं. मैं क्या करूं?

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जवाब-

कोई भी शौहर बीवी के प्रेमी को बरदाश्त नहीं कर पाता है. अपने प्रेमी के बारे में बता कर आप बड़ी भूल कर चुकी हैं. अब इसे प्यार और सब्र से सुधारने की कोशिश करें. पति को?भरोसा दिलाती रहें कि अब आप सिर्फ उस की हैं और किसी की नहीं. बेवजह उस का विरोध न करें. सवाल बच्चे के भविष्य का?भी है, इसलिए आप को ही झुक कर काम लेना होगा.

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मुझे बहुत तनाव रहता है और मेरा किसी भी काम में मन नहीं लगता, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 28 साल का हूं और मुझे बहुत तनाव रहता है. मेरा किसी काम में मन नहीं लगता है. इस समस्या का क्या उपाय है?

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जवाब-

आप में आत्मविश्वास की कमी है. यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. बेहतर होगा कि आप हरेक चीज और घटना पर अपनी राय कायम करें और किसी के भी कहने पर ढुलमुल न हों. अपने फैसले खुद लें और उन पर अमल भी करें. इस के बाद भी परेशानी दूर न हो तो किसी मनोचिकित्सक से मशवरा लें.

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MRI मशीन में क्यों 20 साल पहले कराया गया संभोग!, जानिए दिलचस्प वजह

यकीनन आपको इस बात पर विश्वास ना हुआ होगा लेकिन ये हकीकत है. वैज्ञानिकों की एक टीम ने वास्तव में लोगों से मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैनर के अंदर सेक्स करने के लिए कहा था ताकि वे यह पता लगा सकें कि ‘सहवास के दौरान पुरुष और महिला के जननांगों की तस्वीरें लेना संभव है या नहीं?’

20 साल पहले ऐसा हुआ था और अब ‘सहवास और महिला यौन उत्तेजना के दौरान पुरुष और महिला जननांगों के मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग’ शीर्षक का लेख मेडिकल जर्नल बीएमजे के सबसे अधिक डाउनलोड किए गए लेखों में से एक बन गया है.

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इसमें जिस बात का पता चला शायद ही वह चांद पर इंसान के कदम रखने जितनी हो, लेकिन इस रिसर्च के पेपर्स पॉपुलर हो गए हैं. शायद यह इसलिए क्योंकि मुफ्त में लोगों का आकर्षण स्क्रीन पर सहवास देखने की संभावना का हो. फिर चाहे देखने में सब ब्लैक एंड व्हाइट जैसा क्यों ना प्रतीत हो.

डच वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किए गए इस प्रकार के प्रयोगों में से एक का उद्देश्य यह पता लगाना था कि संभोग और महिला यौन उत्तेजना के दौरान शरीर रचना के बारे में पूर्व व वर्तमान विचार मान्यताओं पर आधारित हैं या तथ्यों पर.

मुख्य निष्कर्ष 13 प्रयोगों में से हैं, जिसमें से आठ दंपति और तीन एकल महिलाओं के साथ किए गए ‘मिशनरी पोजीशन’ में सेक्स के दौरान पुरुष यौन अंग एक बूमरैंग के आकार का प्रतीत होता है. इसमें यह भी पाया गया कि यौन उत्तेजना के दौरान गर्भाशय का आकर बढ़ता नहीं है. इस प्रयोग के लिए 8 कपल को खास तौर से बुलाया गया था. इनमें 3 सिंगल महिलाएं थीं जिन पर 13 तरह के प्रयोग किए गए थे. रिसर्च के लिए तीन जोड़ों ने MRI स्कैनर के अंदर दो बार सेक्स किया और सिंगल लड़कियों ने पार्टनर के बिना और्गेज्म महसूस किया.

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नीदरलैंड के एक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में ये रिसर्च किया गया था और जोड़ों को न्शारीरिक बनावट के मुताबिक चुना गया था जो कि मशीन में फिट हो सकें. प्रयोग के दौरान स्कैनर को चारों तरफ से परदे में रखा गया था ताकि उन्हें परेशानी न हो. स्कैनर के जरिए महिलाओं और पुरुषों की ऑर्गेज्म से पहले और बाद की अलग-अलग तस्वीरें ली गईं जिन पर साइड में बने कंट्रोल रूम में बैठे रिसर्चर नजर रख रहे थे. मशीन के अंदर महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को सेक्स करने में दिक्कत हुई और एक जोड़े के अलावा सबने वियाग्रा का इस्तेमाल किया.

रिसर्च टीम के सामने बहुत पुरानी धारणा टूट गई कि सेक्सुअल उत्तेजना के समय यूटरस में फैलाव आता है. ये भी देखा गया कि मिशनरी पोजीशन में संबंध बनाते समय पुरुषों के अंग स्ट्रेट या एस शेप में नहीं बल्कि बूमरैंग शेप में हो जाते हैं. एनाटॉमी की तस्वीरें प्राप्त करके इस रिसर्च को पूरा करने में एक साल का समय लगा.

इस रिसर्च को 2000 में एलजी नोबेल अवौर्ड मिला. द बीएमजे मैगजीन के डिप्टी एडिटर के रूप में रिटायर हुए डौक्टर टोनी डेलमौथ ने इस साल के क्रिसमस अंक में इसकी लोकप्रियता के बारे में लेख लिखा है.

वे लिखते हैं कि लोग मुफ्त में इसकी तस्वीरें देखने को बेताब रहते थे. आम लोगों से लेकर वैज्ञानिकों तक सभी इसे पाना चाहते थे. MRI स्कैनर मशीन में सेक्स के विषय को लेकर की गई इस रिसर्च ने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. डेलमौथ कहते हैं कि 20 साल बाद भी उस आर्टिकल को पढ़ना उतना ही दिलचस्प है.

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मेरे पिताजी को शक है कि मैं अपनी ससुराल में पैसे भेजता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं शादीशुदा हूं और गुजरात के एक छोटे से शहर में काम करता हूं. मैं जो भी कमाता हूं, वह घर में भेज देता हूं. फिर भी मेरे पिताजी को शक है कि मैं अपनी ससुराल में पैसे भेजता हूं या बीवी के नाम बैंक में जमा करा देता हूं. मैं यह बात पिताजी को कैसे समझाऊं?

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जवाब-

आप के पिताजी का शक फिजूल है, उस पर ध्यान न दें और न ही इस बात पर ज्यादा सफाई दें. अपनी कमाई पर पहला हक आप का है. कई दफा मां-बाप बेटे के हाथ से फिसलने के डर के चलते इस तरह के शक का शिकार हो जाते हैं. इस का तनाव न पालें.

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