बियर्ड रखने के पीछे छिपा है साइंटिफीक कारण,क्या आप जानते है?

ऐसे कई लड़के है जिन्हे बियर्ड रखना अच्छा लगता है उन्हे बियर्ड लुक सटाइलिश लगता है लेकिन आप ऐसा क्यो करते है ये जानते है. क्यो आपको बियर्ड ही ऱखना अच्छा लगता है तो हम बताते है कि इसके पीछे की साइंस क्या है जी हां, एक शोध में इस बात का जिक्र किया गया है कि लड़के बियर्ड क्यो रखते है.

एक अध्ययन से पता चलता है कि दाढ़ी वाले पुरुषों की अपराध करने की अधिक संभावना रहती है. इसके विपरीत, एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि बियर्ड रखने से व्यक्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है. हालांकि, बियर्ड और मर्दानगी के बीच भी एक मनोवैज्ञानिक संबंध है, जो असल में पुरुषों की आक्रामकता से जुड़ा हुआ है.

1. आत्मविश्वास बढ़ाता है

इस सर्वे के अनुसार बियर्ड रखने से आपके आत्मविश्वास में सुधार हो सकता है. इसके अलावा दाढ़ी ताकत, मर्दानगी और अन्य सकारात्मक विशेषताओं का एक प्राचीन प्रतीक भी है, जो आईने में देखने पर आपके आत्म-सम्मान को बढ़ा सकती है.

इसके अलावा जब आपके पास एक शानदार बियर्ड होती है, तो आप तुरंत किसी भी भीड़ से अलग हो जाते हैं. एक शानदार बियर्ड वाला व्यक्ति पार्टी में न सिर्फ अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराता है, बल्कि वहां मौजूद महिलाओं को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल होता है.

2. सेल्फ केयर का सकेंत

बियर्ड बढ़ाना बेहद मुश्किल है. अपनी बियर्ड को बेहतरीन दिखाने के लिए स्वस्थ भोजन करना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए.अच्छी दिखने वाली दाढ़ी के लिए भी नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है.

अपनी दाढ़ी की देखभाल करना और एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना, अच्छी तरह से तैयार बियर्ड में योगदान देते हैं. असल में यह दर्शाता है कि आप अपने स्वास्थ्य की परवाह करते हैं और अपना ख्याल रखते हैं.

3. अधिक आकर्षण

एक रिसर्च के अनुसार महिलाएं, दाढ़ी रखने वाले पुरुषों के प्रति अधिक आकर्षित होती हैं. डार्विन ने भी ये सुझाव दिया था कि दाढ़ी बढ़ाना पुरुषों के लिए महिलाओं को आकर्षित करने के लिए एक सजावटी विशेषता के तौर पर काम आती थी.

यह उसी तरह है जैसे जानवर अपने साथी को आकर्षित करने के लिए पंख के कुछ रंग विकसित करते हैं या कुछ ध्वनियां विकसित करते हैं, ऐतिहासिक रूप से यह भी कहा जाता है कि पुराने समय में दाढ़ी रखने वाले पुरुषों की पिता बनने की संभावना अधिक थी, क्योंकि महिलाएं दाढ़ी वाले साथियों के प्रति अधिक आकर्षित होती थीं.

सैलून जाएं बिना घर पर ऐसे बनाएं हेयर स्टाइल

अक्सर आपको अपना हेयर स्टाइल बनवाने के लिए सैलून जाना पड़ता हो, लेकिन आज हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए है जिससे आप अपना हेयर स्टाइल घर पर ही तैयार कर सकेंगे. जी हां, हेयर स्टाइल हमारी ब्यूटी का सबसे अहम हिस्सा होता है जो जितना अच्छा बनें, हम उतना ही स्मार्ट दिखते है. तो आज हम जो आपको टिप्स बताने जा रहे है उनसे आप घर पर ही अपना हेयर स्टाइल बना कर खूबसूरत दिख सकते है जिसके लिए बस आपको करने होंगे कुछ आसान काम.

1. सबसे आसान कब

किस तरह के हेयर कट में कटिंग आसान होती है. वो भी तब जब आप खुद ऐसा कर रहे हों तो इसमें मीडियम लेंथ के हेयर स्टाइल शामिल हैं. मीडियम लेंथ हेयर स्टाइल में कुछ खास नाम शामिल किए जा सकते हैं जैसे क्रू कट या आइवी लीग.

2. किनारे से शुरू करें

बाल जब भी खुद काटें तो किनारे से ऐसा करना शुरू करें. इसके बाद बालों के निचले तरफ कटिंग करें. इसके बाद ऊपर के बाल काटने की शुरुआत करें. यहां भी एक बार में बहुत ज्यादा बाल काटने से बचें.

3. नेकलाइन की शेविंग

बाल जब कटते हैं तो नेकलाइन बिलकुल साफ और बेहतरीन हो जाती है. इसके बाद जब बाल बढ़ते जाते हैं तो यही नेकलाइन सबसे फले बताती है कि आपको हेयर कट की जरूरत है. अगर इस नेकलाइन को फिर से क्लियर लुक दे दिया जाए तो आपका हेयर कट फिर से रिफ्रेश हो जाएगा. इसके लिए आपको सिर्फ एक रेजर की जरूरत है. हालंकि ऐसा करते हुए आपको काफी सावधानी बरतनी होगी. इस वक्त एक अच्छा और साफ़ मिरर भी आपके काम आएगा. इस दौरान ध्यान रखें कि रेजर को वर्टिकल एंगल पर चलाएं. कान तक ऐसा करें लेकिन ध्यान से.

4. हेयर प्रोडक्ट बदलेंगे स्टाइल

बाजार में कई तरह के हेयर प्रोडक्ट मौजूद हैं जो आपके स्टाइल को अचानक से पूरी तरह से बदल देंगे. जैसे कुछ प्रोडक्ट बालों में शाइन देने के लिए आते हैं. इसके अलावा अगर आपने अभी तक जेल नहीं इस्तेमाल किया है तो आप अब जेल का इस्तेमाल करके भी अपना लुक बदल सकते हैं.

Girlfriend को चैटिंग पर करना हो इंप्रेस, तो करने होंगे बस ये काम

अपनी गर्लफ्रैंड को इंप्रेस करने के तो कई तरीके है लेकिन डेट पर जाने से पहले ही चैटिंग पर इंप्रेस करना इतना आसान नहीं है उसके लिए कुछ ऐसे टिप्स है जिन्हे आप अपनाकर लड़की को इंप्रेस कर सकते है और उसके लिए ज़रुरी है कि आप किसी भी बात से डरे नहीं, आत्मविश्वास की कोई कमी कभी भी  नहीं हो.

ऐसा कई बार होता है कि आप चैटिंग से अपनी बात शुरु करते है जिसके लिए जरुरी है आप इंप्रेसिव चैटिंग करें, जो किसी डेट से कम ना हो. तो क्या आप जानते है चैटिंग के वो टिप्स जिनसे आप अपनी गर्लफ्रेंड को इंप्रेस कर सकते है. तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ आसान और प्रभावी टिप्स, जिससे आप चैट के दौरान किसी लड़की को इंप्रेस कर सकते हैं.

1. उसे बात करने दें

चैट करने के दौरान ये ज़रुरी है कि लड़की को पहले अपनी पूरी बात करने दें, यदि आप बीच में ही रोक देते है या कुछ कह देते है तो वह आगे अपनी बात करने से संकोच फील करेगी. इसके लिए जरुरी है कि पहले आप उसकी बात सुन लें वो, अपनी पूरी बात कह दें, तब आप कुछ बोलिए और अगर आप अपनी ही बात करने में लगे रहेंगे तो, उसे लगेगा कि आपको उसमें बात करने में रुचि नहीं है. इसलिए लड़की को पूरी बात करने का मौका ज़रुर दें.

2. मजेदार टॉपिक्स पर बात करें

आप उससे उसके पसंदीदा टीवी शो या मजेदार मनोरंजक चीजों के बारे में बात कर सकते हैं या कुछ मजेदार विषयों के बारे में सोच सकते हैं, जो उसे उत्साहित करेंगे. यह पता करने की कोशिश करें कि क्या वह साहसी किस्म की है, जिसे रॉक क्लाइम्बिंग या बंजी जंपिंग पसंद है या वो अपना वीकेंड बिस्तर पर चुपके से बिताना पसंद करती है. यदि वह ट्रैवल करना पसंद करती है, तो केवल उन सभी स्थानों के बारे में बात न करें जहां आप गए हैं, इसके बजाय उसे शामिल करें और इस बारे में बात करें कि आप उन सभी स्थानों के बारे में कितने उत्साहित हैं, जिन्हें आप भविष्य में उसके साथ देखना चाहते हैं.

3. धैर्य रखे

अपनी पहली चैट पर किसी लड़की को प्रभावित करने की कुंजी है, धैर्य रखना. आपके लिए अपने मन की बात कहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना उसके मन की बात सुनना. उसे पूरी तरह खुलने का मौका देना भी महत्वपूर्ण है. हो सकता है कि आप दोनों पहली बार में नर्वस हों, इसलिए उसे जवाब देने के लिए स्पेस और टाइम दें.

4. ज्यादा घमंड ना करें

चैट की शुरुआत में अधिकांश पुरुष सबसे बड़ी गलती जो करते हैं, वो है अपने बारे में झूठ बोलना ताकि सामने वाले पहला इंप्रेशन जबरदस्त हो. यह एक छोटा सा झूठ बाद के वर्षों में बड़ी समस्याओं में बदल सकता है. किसी भी रिश्ते में झूठ बोलना आपके लिए समस्या हो सकता है और अंततः परेशानी का कारण बन सकता है. इसलिए ईमानदार रास्ता चुनें. अगर बात आगे बढ़नी ही है, तो आपके सच से भी बढ़ेगी और आपका रिश्ता बिना कुछ किए ही खिल उठेगा.

पैरों से बदबू दूर करने के ये है कुछ आसान उपाय

अक्सर गर्मियों में ऐसा होता है कि पुरुष के पैरों से बदबू आने लगती है जिसके लिए ना जाने क्या क्या उपाय करने पड़ते है तो आज हम कुछ ऐसे ही उपाय लेकर आए है जिससे आप पैरों की बदबू को बाय-बाय कह सकेंगे.

1. पैरों को सही तरीके से धोएं

आप सोच रहे होंगे कि अपने पैर धोना में ऐसा क्या नया है. ये तो आप रोजाना करते हैं, लेकिन वास्तव में आपकी तकनीक गलत हो सकती है. एक खूशबूदार साबुन आपके लिए उपयोगी साबित नहीं हो सकता है. इसलिए आपको एक मेडिकेटेड साबुन की आवश्यकता होती है. अपने पैर की उंगलियों के बीच में विशेष ध्यान दें, क्योंकि यहां अधिकांश नमी जमा हो जाती है. इसके अलावा पूरे दिन आराम से रहने के लिए अपने पैरों को कुछ फुट स्प्रे पाउडर से स्प्रे करें.

बूंदें और एक एंटीसेप्टिक घोल को मिलाएं. अब अपने पैरों को पानी में कम से कम 10 मिनट के लिए अच्छे से भिगो दें, ताकि जमा हुई गंदगी नरम हो जाए. आप चाहें तो अपने पैर के नाखूनों को साफ करने के लिए नेल ब्रश या पुराने टूथ ब्रश का इस्तेमाल कर सकते हैं. एड़ियों और पैरों के तलवों के लिए फुट स्क्रबर का इस्तेमाल करें. जोर-जोर से न रगड़ें, क्योंकि इससे आपको चोट लग सकती है.

2. सिरके का करें उपयोग

एक उपाय है विनेगर बाथ, जिसमें आपको टब में गर्म पानी भरकर उसमें सिरका को अच्छी तरह मिलाना है. इसमें अपने पैरों को डुबोएं और 30 मिनट तक ऐसे ही रखें. इसमें मौजूद ऐसिडिक कंटेंट बैक्टीरिया को खत्म करता है और बदबू को रोकता है. एक बार कोशिश करके देखें.

आपको बता दें कि सिरका के बहुत सारे हैल्थ बैनिफिट्स भी हैं. सिरका में नैचुरल एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे बैक्टीरिया को आपकी स्किन पर बढ़ने में मुश्किल होती है. इतना ही नहीं, इस आसान से उपाय को अपनाकर आप पैरों के दर्द से भी राहत पा सकते हैं.

3. हाइजीन मेनटेन करें

आज से ही छोटे-छोटे उपाय करना शुरू करें, जिनका निश्चित रूप से बड़ा असर होगा. सर्दियों में सूती मोजे का प्रयोग करें और सांस लेने और साफ-सफाई को ध्यान में रखते हुए उन्हें रोजाना बदलने की आदत डालें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे पहले कि आप मोजे पहनें, अपने तलुओं में नमी को बनाए रखने के लिए टैल्कम और कॉर्नस्टार्च का प्रयोग करना न भूलें.

इसके अलावा आप जब भी बाहर से घर आएं, तो सबसे पहले अपने जूते और मोजे उतार कर ही घर में आएं.इसके बाद पैर को अच्‍छी तरह से साफ करें. सर्दियों में आप इसके लिए गुनगुने पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

4. पेडीक्योर लें

पुरुष भी पेडीक्योर करवा सकते हैं और हर बार खुद को बेहतर महसूस कर सकते हैं. पेडीक्योर के माध्यम से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके पैरों से बदबू नहीं आ रही है और अगर आप एक्सपर्ट की मदद लेते हैं, तो आपकी समस्या का समाधान भी हो जाएगा. पेडीक्योर से आप गर्मियों में अपने पैर की उंगलियों के बीच जमा होने वाली डेड स्किन से भी खुद को बचा सकते हैं.

पुरुषों की ये आदतें बनाएंगी स्किन को ग्लोइंग और शाइनिंग

भारतीय पुरुष की जब भी स्किन को लेकर बातचीत होती है तो वो उसपर खास ध्यान नहीं देते है. इसलिए भारतीय पुरुष सजने संवरने में जरा पीछे है. लेकिन आज हम कुछ ऐसी बाते बताएंगे जिन बातों को आदत बनाकर हर पुरुष ग्लोइंग और शाइनिंग स्किन पा सकता है.अपनी डेली रूटिन में ये आदते शामिल करके खुद और सुंदर बना सकता है. तो चलिए बताते है वह कुछ खास बातें.

1. ढेर सारा पानी पीना

पानी पीना अपनी आदत बना लेना आपकी सेहत और त्वचा दोनों में ही कामगर साबित होता है. आपने ना जाने कितने लोगों से सुना होगा की ढेर सारा पानी पीना एक अच्छी आदत है यहां तक सेलिब्रिटी की डाइट में भी पानी पीना सुना होगा. क्योकि ज्यादा पानी पीने से त्वचा से टॉक्सिक बाहर आते है जो आपकी स्किन को हैल्दी बनाए रखती है.

2. सही फेस स्क्रब का यूज करना

अपनी स्किन को साफ-सुथरी रखने के लिए ज़रुरी है कि आप अपनी स्किन के लिए सही फेसवॉश का यूज करें. अपनी स्किन के हिसाब से सही फेस वॉश यूज करें. ताकि आपकी स्किन चमके और ग्लो करें.

3. सनस्क्रीन का करें यूज

भारत में कड़ी धूप होती है, इसलिए बाहर निकलते समय सनस्क्रीन का उपयोग करना बहुत जरूरी है. त्वचा को धूप से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रखने के लिए अच्छे एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. लंबे समय तक धूप में रहने से बचें और यदि आप ऐसा करते भी हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप हर कुछ घंटों के बाद सनस्क्रीन दोबारा लगाएं.

4. हरी सब्जियों का करें सेवन

अपनी त्वचा को अंदर से स्वस्थ बनाने के लिए ढेर सारे फलों और मेवों के साथ ताजी हरी सब्जियां खाएं. सब्जियों और फलों से भरपूर आहार लेने से त्वचा निश्चित रूप से चमक उठेगी.

फ्लर्ट करते समय इन बातों का रखें ध्यान, वरना बनने से पहले टूट जाएगा रिश्ता

प्यार में फ्लर्टिंग ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता है अपने क्रश को इंप्रेस करने के लिए ज़रुरी है कि आप उसके साथ थोडी बहुत फ्लर्टिंग करें, ताकि आप अपना रिश्ता कायम कर सकें,तो ऐसे कई बार हम वो भूल कर जाते है जिससे रिश्ता बनने की बजाएं टूट जाता है तो आज हम कुछ ऐसे ही फ्लर्ट के टिप्स बताएंगे जिन्हे आप फ्लर्ट करते वक्त याद रखें.

बता दें, कि फ़्लर्ट करना भी एक कला है. जो हर किसी के पास नहीं होती है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो फ़्लर्ट करना जानते तो हैं, लेकिन वो अंजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे सामने वाला इंप्रेस होने की बजाय आपसे नाराज हो जाता है.

1. दिखावा ना करें

कई लोग इम्प्रेस करने के चक्कर में ज्यादा दिखावा करते है जिनका ये बीहेव आगे चलकर उनको मुसबीत में डाल सकता है इसलिए आप जैसे है खुद को वैसे ही सामने रखें. इससे आपका रिश्ता ओर भी मजबूत बनेगा.

2. झूठ ना बोलना

कोई भी रिश्ता अगर झूठ से शुरु किया जाएं तो वो ज्यादा दिन नहीं ठिकता है झूठ आपके रिश्ते को कमजोर बनाता है और आगे चलकर सच्चाई सामने आ ही जाती है तो ऐसे में ध्यान रखें कि ये ज़रुरी है कि आप झूठ ना बोले.क्योकि झूठ बोलकर आप किसी का दिल नहीं जीत सकते है.

3. शो ऑफ न करें

अक्सर लोग फ्लर्ट करते समय शो ऑफ करने लगते हैं। ऐसा करने से आपका रिश्ता बनने से पहले ही बिगड़ सकता है. अगर आपको लगता है कि महंगी चीज़ें देखकर लड़का या लड़की इंप्रेस हो सकते हैं, तो यह गलत साबित हो सकता है.

4. प्राइवेसी का ख्याल रखें

जब आप किसी को पसंद करते हैं, तो उनकी प्राइवेसी का भी ख्याल रखें. किसी की सहमति के बिना उनके व्यक्तिगत जीवन में ताका झांकी न करें. इससे आपके क्रश को बुरा लग सकता है.

5. जज्बात के साथ न खेलें

किसी के भी जज्बात के साथ खेलना आपके लिए भारी पड़ सकता है. इसलिए जब आप अपने क्रश से बातचीत करते हैं, तो इसका जरूर ख्याल रखें कि आपके किसी भी बात से उनके दिल को ठेस न पहुंचे.

गांव की गोरी ऐसे बनें शहर की स्मार्ट छोरी

लंबे कुरते, सलवार और दुपट्टे के साथ जब 2 चोटियों वाली नैना इंगलिश सीखने की क्लास में दाखिल हुए तो अचानक सब की नजरें उस की तरफ उठ गईं. उस की 2 चोटियां, ढीली सलवार और फ्लैट चप्पल के साथ कंधे पर कपड़े का बैग टांगने का अंदाज देख कर शहरी लड़केलड़कियों में कानाफूसी शुरू हो गई, लेकिन एक स्टूडैंट नीरजा को यह सब अच्छा नहीं लगा.

नैना यह भांप गई और उस ने नीरजा के आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कहा, ‘मैं नैना हूं. मुझे गांव से आए एक महीने से ज्यादा नहीं हुआ है और मैं यहां अपना इंगलिश ठीक करने आई हूं. पर ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख कर हंस रहे हैं. क्या सचमुच इतनी अजीब लग रही हूं मैं?’

नीरजा ने बड़े प्यार से कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं है नैना. तुम्हारा लुक कुछ अलग है न, इसलिए इन लोगों ने इस तरह से तुम्हें देखा है. तुम घबराओ नहीं. मैं तुम्हें यहां का रहनसहन और जीने का तरीका बता दूंगी.’

नैना ने मुसकरा कर सहमति दे दी और अगले ही दिन नीरजा नैना को ब्यूटी पार्लर ले गई. उस ने सब से पहले नैना की लंबी चोटियों को कटवा कर बाल कंधे तक करवा दिए. स्टाइलिश कटिंग के साथसाथ उसे जुल्फों को खुला रखना सिखाया. उस के आइब्रोज वगैरह बनवाए. उस की वैक्सिंग करवाई. मैनीक्योर, पैडीक्योर करवाया. इस के बाद वह नैना को एक शोरूम में ले कर गई और वहां से कुछ स्टाइलिश कपड़े और फुटवियर भी दिलवाए और कुछ दिनों तक उसे बातचीत का तरीका भी सम?ाया.

10 दिनों के अंदर वाकई नैना के अंदर इतने ज्यादा बदलवाव आ गए कि अब लड़के उस की तरफ देख कर मजाक में हंसते नहीं थे, बल्कि आहें भरने लगे थे.

जाहिर सी बात है कि जब एक सीधीसादी लड़की कुछ सपने ले कर गांव से शहर आती है तो इस के लिए उसे पहले तो अपने परिवार वालों, समाज और आसपड़ोस वालों से जंग जीतनी होती है. उसे लोगों को सम?ाना होता है कि वह भी आगे बढ़ना चाहती है, कुछ करना चाहती है. शहर में उस का कोई रिश्तेदार या जानने वाला होता है तो मांबाप किसी तरह दिल पर पत्थर रख कर और उस लड़की पर भरोसा कर बड़ी मुश्किल से उसे शहर भेजते हैं. कई बार जब ससुराल शहर में हो तो शादी के बाद भी लड़की शहर आ जाती है.

जब वह शहर में पढ़ने, नौकरी करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आती है तो इस माहौल में एकदम से घुलमिल नहीं पाती. उसे एडजस्ट करने में थोड़ा समय लगता है. यहां के स्टाइलिश लड़केलड़कियों को देख कर वह थोड़ी सहम सी जाती है. उसे लगता है पता नहीं वह यहां रह भी पाएगी या नहीं. ऐसे में जरूरी है कि उसे किसी का मानसिक सपोर्ट मिले.

साल 1986 में आई एक फिल्म ‘नसीब अपनाअपना’ में एक गांव की बदसूरत गंवार सी लड़की चंदो को खूबसूरत रूपरंग देने की दास्तान काफी रोचक थी. इस में ऋषि कपूर हीरो थे. उन्होंने किशन का किरदार निभाया था.

पिता के कहने पर जबरन गांव की लड़की से शादी करने के बाद किशन शहर आ जाता है. यहां एक खूबसूरत शहरी लड़की से शादी कर लेता है. बाद में गांव वाली पत्नी शहर आती है और पति के घर में ही नौकरानी बन कर रहने लगती है वह पति की दूसरी पत्नी (राधा) को बहन का दर्जा देती है. धीरेधीरे राधा चंदो को शहरी सलीके सिखाती है और उस का रंगरूप बदल कर उसे इतना खूबसूरत बना देती है कि उस का पति भी दंग रह जाता है.

आइए जानते हैं कि एक सीधीसादी लड़की किस तरह अपना रूप बदल सकती है:

कपड़ों का कमाल

अपने कपड़े बदल कर आप खुद को काफी हद तक बदल सकती हैं. गांव की वेशभूषा गांव में ही शोभा देती है. शहरों में आप कुछ अलग तरह के कपड़े ट्राई करें. पहले आप ट्रेडिशनल सलवारकुरते के बजाय अनारकली सूट, स्ट्रेट लोंग कुरती और लैगिंग्स, पैरलल या जींस ट्राई करें. समय के साथ आप जींस और शर्ट वगैरह ट्राई कर सकती हैं. आप सलवार के बजाय पटियाला भी ट्राई कर सकती हैं. यह आप की पुरानी कुरती को भी नया लुक देती है.

जुल्फों से संवरता लुक

आप खुद को स्मार्ट दिखाना चाहती हैं तो अपना हेयरस्टाइल जरूर चेंज करें. गांव में आप भले ही 2 चोटियां बनाती हों, पर शहर आ कर आप को अपने बालों को एक अच्छी कटिंग देनी चाहिए. अगर आप को लगता है कि अपने बाल स्ट्रेट या कर्ली करवा कर आप उन्हें संभाल सकती हैं, तो जरूर ट्राई करें.

इन सब के अलावा जरूरी है कि आप अपने आइब्रोज बनवाएं. अपनी स्किन को ग्लो करने के लिए फेशियल करवाएं.

पेडीक्योर, मैनीक्योर और वैक्सिंग करवाएं, ताकि दूसरों के आगे अलग सा या हीन महसूस न करें, बल्कि सब के बीच निखर कर सामने आएं.

फुटवियर पर दें ध्यान

कपड़ों और बालों के बाद आप को अपनी फुटवियर पर भी ध्यान देना होगा. गांव में फ्लैट चप्पल या फ्लैट सैंडल पहन कर आप कहीं भी निकल सकती हैं. ज्यादा हुआ तो जूती पहन ली, लेकिन शहरों में लोग आप के फुटवियर पर भी ध्यान देते हैं. कुछ स्टाइलिश सैंडल्स ट्राई कीजिए जो आप के कपड़ों से मैच करते हुए होने चाहिए.

मेकअप भी है जरूरी

गांव में लड़कियां ज्यादातर काजल, बिंदी और लिपस्टिक के अलावा कोई खास मेकअप नहीं करतीं, पर शहरों में लड़कियों की चौइस थोड़ी अलग होती है. शहरों में आप काजल के साथसाथ बहुत कुछ लगा सकती हैं जैसे आई मेकअप, मसकारा, आई लाइनर, आई शैडोज जैसी चीजें इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के अलावा होंठों पर आप हलके रंग के मैचिंग लिपस्टिक या लिप बाम जो कलरफुल होते हैं, का इस्तेमाल कर सकती है. शहरों में आप के पास चौइस बहुत ज्यादा हैं. आप कम चटकमटक वाले सोबर कलर चुन सकती हैं. शहर की लड़कियों से आप मेकअप करना सीख सकती हैं. कैसे पाउडर, फाउंडेशन, ब्लशर या कंसीलर आदि का इस्तेमाल कर चेहरे की कमियों को छिपाया जाता है. मेकअप ऐसा न हो जो पोता हुआ लगे, बल्कि लाइट मेकअप करना सीखना होगा. इस के लिए किसी दोस्त या ब्यूटी पार्लर की मदद भी ली जा सकती है.

आभूषण भी हों कुछ अलग

गांव में अकसर लड़कियां जितने भारी गहनें पहनती हैं उतना अच्छा माना जाता है. गहने काफी कलरफुल भी होते हैं. वे सोनेचांदी के गहने ज्यादा पहनती हैं और शहरों में ये चीजें इतनी पसंद नहीं की जाती. शहरी लड़कियों को आप देखेंगी कि वे बहुत लाइट वेट आभूषण पहनती हैं. एक पतली सी चेन या रिंग या फिर ?ामके. ?ामके भले ही बड़ेबड़े भी पहने जाते हैं, पर वे सोनेचांदी के नहीं बल्कि डायमंड या प्लैटिनम वगैरह के होते हैं और थोड़े स्टाइलिश होते हैं. कपड़ों के साथ मैच करने वाले होते हैं.

इंगलिश भी जरूरी

शहर आ कर लुक बदलना है और आत्मवविश्वास पैदा करना है तो आप को इंगलिश सीखनी पड़ेगी. बहुत ज्यादा नहीं तो भी कामचलाऊ इंगलिश तो आनी ही चाहिए और इस के लिए आप इंगलिश सीखने की क्लास में जा सकती हैं. इस के अलावा ग्रूमिंग क्लासेज जौइन कर सकती हैं जहां आप को उठनेबैठने, बात करने और खानेपीने का सलीका बताया जाता है. ऐसा नहीं कि गांव में सलीका नहीं है. लेकिन गांव में काम चल जाता है मतलब आप किसी भी तरह रह सकती हैं. मगर शहर में आ कर आप को बहुत कुछ सीखना होगा. अपने बोलने, खानेपीने घूमनेफिरने के अंदाज थोड़े बदलने होंगे. सीधीसादी बने रहने के बजाय स्मार्ट बनना होगा, दिमाग से भी और शरीर से भी.

लहजे में लाएं बदलाव

इंगलिश जरूरी है पर न जानने पर हीन भावना नहीं पालें. शब्दों का सही उच्चारण सीखें. गांव में बोलने का लहजा कुछ अलग होता है और शहरों का अलग होता है. उस लहजे को सुधारना बहुत जरूरी है. अकसर गांव में जिन शब्दों का हम इस्तेमाल करते हैं जैसे, नमस्कार, कैसे हो, सब ठीक तो है, खाना खा लिया आदि शहरों में ज्यादा नहीं चलते. नमस्कार के बजाय हैलोहाय या गुड मौर्र्निंग कहें. इसी तरह कैसे हो की जगह हाउ आर यू, आल फाइन, सब सही की जगह आल गुड और इसी तरह व्हाट्सअप, हाउ इट इज, फाइन, सौरी, थैंक्स, वैलकम जैसे शब्द आप की जबान पर होने चाहिए.

उपहारों का लेनदेन

पैसे बरबाद न करते हुए भी सब के साथ बराबर का खर्च करें. उपहार देनालेना सीखें. कहीं घूमने जाएं तो दूसरों के लिए कुछ लेना न भूलें. इस से दोस्ती भी गहरी होती है और एक तरह की मानसिक खुशी भी मिलती है. उपहार ऐसे खरीदें जो सामने वाले के काम के तो हों ही साथ ही साथ आप की नई सोच दिखाने वाले भी हों.

खुशबू भी जरूरी

अपने शरीर से आ रही महक बदलने के लिए परफ्यूम का इस्तेमाल करें. आजकल मार्किट में 100-200 रुपए की रेंज में भी अच्छे परफ्यूम और डिओडिरैंट मुहैया हैं. गांव के कुछ खानों से बदन में अलग महक आती है, उन्हें छोड़ें.

अच्छी किताबें पढ़ें

भरपूर किताबें पढ़ें. मार्किट या लाइब्रेरी में हर विषय पर किताबें मिल जाएंगी. कुछ महिला पत्रिकाएं ऐसी होती हैं जिन में एक ही जगह आप को हर विषय के ज्ञान जैसे फैशन, कुकरी, मेकअप के साथसाथ राजनीति, समाज और घरपरिवार से जुड़ी भी हर तरह की जानकारी और तर्कशील सोच बढ़ाने वाले लेख भी मिल जाएंगे. इन्हें पड़े सम?ों और जिंदगी में उतारने की कोशिश करें.

क्यों है पुरुषों को हार्टअटैक का अधिक जोखिम

तेज रफतार जिंदगी, बदलती जीवनशैली व गलत खानपान ने इंसान के हार्ट को खासा नुकसान पहुंचाया है. भारत में हार्ट संबंधी समस्या पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक बढ़ने लगी है. युवाओं में भी अब हार्टअटैक कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है.

भारत में हृदय रोगों के आंकड़े बढ़ रहे हैं. देखा गया है कि भारतीयों को हार्टअटैक की शिकायत पश्चिमी आबादी से करीब एक दशक पहले हो जाती है. इस के अलावा, भारतीयों में हृदयरोग संबंधी जटिलताएं व गंभीरता भी यहां उपलब्ध कमजोर चिकित्सा सेवाओं व इलाज लेने में देरी के चलते अधिक होती हैं.

कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक होता है, जबकि दोनों में मधुमेह और उच्च रक्तचाप का जोखिम बराबर है. इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, ‘भारतीय पुरुषों में 50 प्रतिशत हार्टअटैक 50 साल की उम्र से पहले और 25 प्रतिशत हार्टअटैक 40 साल से कम उम्र में होता है.’

हार्टअटैक का कारण आमतौर पर कोरोनरी हार्ट रोग होता है जिस में हृदय की मांसपेशियों में औक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह अचानक अवरुद्ध हो जाता है और परिणामस्वरूप हृदय को औक्सीजन नहीं मिल पाती. इस का कारण कोरोनरी आर्टरी की भीतरी सतह पर कोलैस्ट्रौल का जमाव है. कोलैस्ट्रौल की इस परत का जमाव कई सालों तक होता है.

आसान शब्दों में, हार्टअटैक तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह रुक जाता है, जोकि लंबे समय से चली आ रही दिल की बीमारी या खराब जीवनशैली, खानपान, मोटापा और तनाव के कारण होता है.

पुरुषों में हार्टअटैक के बढ़ते मामलों के जो कई कारण हैं, उन में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है हार्मोनल स्तर. ऐसा देखा गया है कि प्रीमीनोपौजल महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर को सुरक्षा प्रदान करते हैं और ऐसे में महिलाओं में दिल के रोग मीनोपौज के बाद बढ़ते हैं और कमोबेश पुरुषों के समान हो जाते हैं.

इस के अलावा, एक और पहलू है महिलाओं और पुरुषों दोनों में तनाव का स्तर. शुरू में यह माना जाता था कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को काम के मोरचे पर ज्यादा तनाव होता है जिस की वजह से उन में हार्टअटैक के मामले भी अधिक होते हैं, लेकिन हाल के समय में देखा गया है कि औरतें भी अपने कार्यक्षेत्रों में अधिक तनावजनित व गंभीर किस्म की भूमिकाओं में सक्रिय हैं, ऐसे में यह फर्क अब मिटने लगा है. अलबत्ता, दोनों में तनाव को सहने की क्षमता अलग होती है.

व्यवहार के स्तर पर महिलाएं अकसर दूसरों के साथ अपनी भावनाओं को बांटने वाली होती हैं और अपनी देखभाल पर भी समय लगाती हैं, जैसे कि पढ़ने या स्नातकोत्तर आदि पर, जिस के चलते उन का तनाव कम होता है, जबकि पुरुषों की आदत होती है कि वे अपनी भावनाओं को अपने तक ही सीमित रखते हैं. इस का परिणाम यह होता है कि आगे चल कर पुरुषों में तनाव बुरा असर डालने लगता है. देखा गया है कि तनाव के समय रक्त वाहिकाएं (आर्टरीज) सिकुड़ती हैं, जिस से ब्लडप्रैशर बढ़ता है और अगर किसी व्यक्ति में पहले से ही रक्तवाहिकाएं संकुचित होती हैं, तो यह बड़ी मुसीबत का कारण बन सकता है.

जीवनशैली का असर

खानपान और जीवनशैली संबंधी आदतों का अध्ययन करने पर यह पाया गया है कि पुरुषों की जीवनशैली औरतों के मुकाबले अस्वस्थकर होती है, जिस का असर उन के दिल पर ज्यादा पड़ता है.

शराब का सेवन भी दिल के रोगों का प्रमुख कारण है. हार्ट यूके के मुताबिक, ‘करीब 37 प्रतिशत पुरुष सरकार द्वारा सु झाई गई शराब के सेवन संबंधी मात्रा से अधिक नियमितरूप से सेवन करते हैं, जबकि महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 28 प्रतिशत है. इसी तरह, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में धूम्रपान भी काफी अधिक प्रचलित होने की वजह से उन में हृदयरोगों का जोखिम अधिक होता है और यह युवा मरीजों में प्रमुख कारण है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं की तुलना में पुरुष मोटापे के अधिक शिकार होते हैं. इस का काफी हद तक कारण खानपान की आदतें हैं. आमतौर पर महिलाओं के मुकाबले, पुरुष अधिक मांस का सेवन करते हैं और वे ज्यादातर रैड मीट खाते हैं. दूसरी तरफ, पुरुषों की तुलना में महिलाएं गोभी प्रजाति की सब्जियों का सेवन 19 प्रतिशत अधिक करती हैं और इसी तरह वे 14 प्रतिशत अधिक पत्तेदार सब्जियां खाती हैं. मीट, खासतौर से रैड मीट से शरीर में इन्लेमेशन का खतरा बढ़ जाता है और इस में सैचुरेटेड वसा की अधिकता के चलते यह कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं का कारण भी बनता है. इस तरह, अधिक मात्रा में भोजन में मांस और कम सब्जियों के सेवन की वजह से भी पुरुषों में दिल के मर्ज बढ़ रहे हैं.

लेकिन महिलाओं में हृदय रोगों को अकसर कम कर के आंका जाता है

क्योंकि यह गलत धारणा है कि वे कार्डियोवैस्कुलर रोगों से सुरक्षित होती हैं. इस के अलावा, भारत में सांस्कृतिक व सामाजिक कारणों के चलते भी औरतों की सेहत को पुरुषों की तुलना में कम महत्त्व मिलता है. हृदयरोगों को कम महत्त्व दिया जाता है और साथ ही, महिलाओं के रोगों के सामने आने की कम परिस्थितियों के चलते भी उन के मामले में इलाज की स्थिति कमजोर बनी हुई है.

अमेरिका के हाल के आंकड़ों से यह सामने आया है कि 2 दशकों से भी अधिक अवधि के दौरान प्रौढ़ महिलाओं (35 से 54 वर्ष) में मायोकार्डियल रोगों के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि इसी आयुवर्ग के पुरुषों में ये घट रहे हैं. इसलिए, महिलाओं को अपने स्वास्थ्य  को ले कर अधिक सचेत होने व कार्डियोवैस्कुलर रोगों से जुड़े जोखिमों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, जिस से हृदय संबंधी जोखिमों के खतरों को कम किया जा सके.

‘‘युवाओं में अधिक कोलैस्ट्रौल लैवल से हृदयरोगों के जोखिमों का पहले से पता लगाया जा सकता है वाली सोच के मामले में हमें कोलैस्ट्रौल को सही ढंग से सम झना होगा. यही हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में अवरोध खड़ा करता है जिस की वजह से हार्टअटैक होता है. इंसान के शरीर को कई प्रकार के कार्यों के लिए कोलैस्ट्रौल की आवश्यनकता होती है. कोलैस्ट्रौल 2 प्रकार का होता है- अच्छा कोलैस्ट्रौल एचडीएल कहलाता है जबकि दुष्प्रभावी कोलैस्ट्रौल को एलडीएल कहते हैं. एलडीएल कोलैस्ट्रौल ही शरीर की धमनियों की अंदरूनी परतों में जमा हो कर हार्टअटैक और स्ट्रौक का कारण बनता है.

विश्वप्रसिद्ध लांसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 19 देशों में 43 वर्षों तक ऐसे करीब 4 लाख लोगों पर नजर रखी गई जिन्हें शुरू में किसी प्रकार का हृदय रोग नहीं था. अध्ययन में पाया गया कि 45 वर्ष से कम उम्र में अधिक कोलैस्ट्रौल लैवल के चलते आगे चल कर हृदयरोगों की आशंका बढ़ जाती है. साथ ही, जिन व्यक्तियों में कोलैस्ट्रौल का स्तर कम होता है उन में हार्टअटैक का जोखिम भी कम होता है. वैज्ञानिकों ने इस की वजह रक्त में नुकसानदायक लिपिडों का कम होना पाया है जोकि कोरोनरी आर्टरीज को नुकसान पहुंचाता है और धीरेधीरे यह नुकसान गंभीर रूप ले लेता है.

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि अधिक कोलैस्ट्रौल स्तर वाले मरीजों में जल्दी इलाज शुरू करने से बाद के वर्षों में हृदय संबंधी समस्याएं और स्ट्रोक का खतरा घट जाता है.

अमेरिका में एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि शरीर की धमनियों में 20 से 30 वर्ष की आयुवर्ग में कोलैस्ट्रौल का जमाव होने लगता है. ऐसे में, आगे चल कर समस्याओं से बचने के लिए जीवन में जल्दी ही उपाय करना फायदेमंद है.

आज के दौर में फास्ट और प्रोसैस्ड फूड की अधिकता, शारीरिक व्यायाम का अभाव और ताजे फलों एवं सब्जियों का कम सेवन, मोटापा तथा कोलैस्ट्रौल स्तर में गड़बड़ी (एलडीएल की अधिक और एचडीएल की कम मात्रा) जैसी समस्याएं बच्चों में बढ़ रही हैं जो आगे चल कर उन में हार्टअटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं. इसलिए, पेरैंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को इन तमाम दुष्प्रभावों के बारे में शुरू से ही सजग बनाएं और संतुलित व सेहतमंद जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें.

(लेखक इंटरवैंशनल कार्डियोलौजी, फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम में सलाहकार हैं.)

Piles की बीमारी से इस तरह मिलेगा छुटकारा

गुदा के अंदर वौल्व की तरह गद्देनुमा कुशन होते हैं, जो मल को बाहर निकालने या रोकने में सहायक होते हैं. जब इन कुशनों में खराबी आ जाती है, तो इन में खून का प्रवाह बढ़ जाता है और ये मोटे व कमजोर हो जाते हैं. फलस्वरूप, शौच के दौरान खून निकलता है या मलद्वार से ये कुशन फूल कर बाहर निकल आते हैं. इस व्याधि को ही बवासीर कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि कब्ज यानी सूखा मल आने के फलस्वरूप मलद्वार पर अधिक जोर पड़ता है तथा पाइल्स फूल कर बाहर आ जाते हैं. बवासीर की संभावना के कई कारण हो सकते हैं.

क्या हैं कारण

शौच के समय अधिक जोर लगाना, कम रेशेयुक्त भोज्य पदार्थ का सेवन करना, बहुत अधिक समय तक बैठे या खड़े रहना, बहुत अधिक समय तक शौच में बैठे रहना, मोटापा, पुरानी खांसी, अधिक समय तक पतले दस्त लगना, लिवर की खराबी, दस्तावर पदार्थों या एनिमा का अत्यधिक प्रयोग करना, कम पानी पीना और गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन करना आदि.

1. आनुवंशिक :

एक ही परिवार के सदस्यों को आनुवंशिक गुणों के कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आना.

2. बाह्य संरचना :

पाइल्स साधारणतया जानवरों में नहीं पाए जाते, चूंकि मनुष्य पैर के बल पर सीधा खड़ा रहता है, सो, गुरुत्वाकर्षण बल के कारण शरीर के निचले भाग में कमजोर नसों में अधिक मात्रा में रक्त एकत्रित हो जाता है, जिस से नसें फूल जाती हैं और पाइल्स का कारण बनती हैं.

3. शारीरिक संरचना :

गुदा में पाई जाने वाली नसों को मजबूत मांसपेशियों का सहारा नहीं मिलने के कारण ये नसें फूल जाती हैं और कब्ज के कारण जोर लगता है तो फटने के कारण खून निकलना शुरू हो जाता है.

4. लक्षण पहचानें:

शौच के दौरान बिना दर्द के खून आना, मस्सों का फूलना व शौच के दौरान बाहर आना. मल के साथ चिकने पदार्थ का रिसाव होना व बाहर खुजली होना, खून की लगातार कमी के कारण एनीमिया होना तथा कमजोरी आना व चक्कर आना और भूख नहीं लगना इस के प्रमुख लक्षण हैं.

5. उपाय भी हैं:

यदि हम खानपान में सावधानी बरतें तो बवासीर होने से बचने की संभावना होती है. कब्ज न होने दें, भोजन में अधिक रेशेयुक्त पदार्थों का प्रयोग करें, दोपहर के खाने में कच्ची सब्जियों का सलाद लें, अंकुरित मूंगमोठ का प्रयोग करें, गेहूं का हलका मोटा पिसा व बिना छना आटा खाएं, खाना चबाचबा कर खाएं, रात को गाय के दूध में 8-10 मुनक्का डाल कर उबाल कर खाएं. चाय व कौफी कम पीएं, वजन ज्यादा हो तो कम करें, प्रतिदिन व्यायाम करें और सकारात्मक सोच रखें.

6. इन बातों का रखें ध्यान:

जब भी शौच की जरूरत महसूस हो, तो उसे रोका न जाए. शौच के समय जरूरत से ज्यादा जोर न लगाएं. लंबे समय तक जुलाब न लें. बहुत अधिक समय तक एक ही जगह पर न बैठें. शौच जाने के बाद मलद्वार को पानी से अच्छी तरह साफ करें.

7. एमआईपीएच विधि से इलाज:

एमआईपीएच यानी मिनिमली इनवेजिव प्रौसीजर फौर हेमरोहिड्स. इस विधि में एक विशेष उपकरण, जिसे स्टेपलर कहते हैं, काम में लिया जाता है, जो कि सिर्फ एक ही बार काम में आता है. यह विधि ग्रेड-1, ग्रेड-2 तथा ग्रेड-3, जोकि दूसरी विधि के फेल हो जाने पर काम में ली जा सकती है.

इस विधि में पाइल्स को काट कर उस के ऊपर मलद्वार में 2-3 इंच की खाल कट जाती है, जिस से पाइल्स अपने सामान्य स्थान पर आ जाते हैं. इस विधि को करने में मात्र 20 मिनट लगते हैं, न के बराबर खून निकलता है, तथा दर्द भी कम ही होता है व मरीज को 24 घंटों से पहले छुट्टी दे दी जाती है. व्यक्ति 24-48 घंटों में काम पर जाने लायक हो जाता है. इस विधि द्वारा उपचार करने के बाद फिर से पाइल्स होने की संभावना 2 से 10 प्रतिशत ही रहती है, निर्भर करता है कि सर्जन कितना अनुभवी है.

(लेखक पाइल्स व गुदा रोग विशेषज्ञ हैं.)

घर पर कैसे रहें फिट

 कोरोनाकाल में युवाओं की फिटनैस काफी प्रभावित हुई है. जिम बंद हुए तो अधिकतर का शरीर ढीला पड़ता गया. लेकिन अब चिंता की जरूरत नहीं क्योंकि यहां फिटनैस मंत्र जो उपलब्ध है जो आप को बिन जिम के भी फिट रखेगा.

कोरोनाकाल में लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की खास हिदायत दी गई है, क्योंकि कोविड-19 का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी तेजी से फैलता है. जिस के प्रसार का माध्यम छींकने, खांसने, पसीने और बातचीत के आम व्यवहार से हो सकता है.   यही कारण है कि समयसमय पर ऐसी जगहों पर सरकार द्वारा कड़े प्रतिबंध लगाने की नौबत आई जहां संक्रमण फैलने का अधिक खतरा बना रहता है और उन स्थानों में से एक ‘जिम’ रहा.

जिम फिजिकल फिटनैस के लिहाज से बेहतर जगह होती है, युवा से ले कर बुजुर्ग तक रूटीन ऐक्सरसाइज के लिए ‘जिम’ का प्रयोग करते हैं लेकिन यहां से संक्रमण का खतरा भी बना रहता है. इंडिपैंडेंट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक, जिम में कोरोना का खतरा इसलिए अधिक होता है क्योंकि जिम में लोग पसीने से भरे रहते हैं, जिस से कीटाणुओं के फैलने का अधिक खतरा बना रहता है. इस रिपोर्ट में डा. स्वान का कथन है, ‘‘जिम में नमी होती है, लोग पसीना छोड़ते हैं जिस से संक्रमण फैलने का अधिक खतरा बना रहता है.’’

यही कारण भी है कि जहां कहीं भी लौकडाउन जैसी सिचुएशन आती है तो प्राथमिक तौर पर जिम को बंद करने का आदेश दिया जाता है. लेकिन इन आदेशों से यह समस्या पैदा हुई कि जिम के बंद होने से लोगों की फिटनैस प्रभावित हो गई. इस से हैल्थ पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है. जो लोग जिम जा कर वर्कआउट करते थे वे घर पर रह रहे हैं. जिम जाने वालों में अधिकतर संख्या 18 से 40 वर्ष के युवाओं की होती है.

ऐसे में कुछ मंत्र हैं जिन्हें अपना कर आप घर में सुरक्षित रहते हुए ऐक्सरसाइज करने के साथ खुद को फिट रख सकते हैं और, सही खानपान से खुद की फिटनैस को मैंटेन रख सकते हैं.

वार्मअप : खुद को चुस्त रखने के लिए वार्मअप बहुत जरूरी है. इस के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है. इसलिए सुबहसुबह एक जगह फिर चाहे वह घर की छत हो, बालकनी हो, या रूम ही क्यों न हो, सीधे खड़े रह कर ऊपरनीचे जंप करें. यह जंप ऐसी भी हो सकती है कि पंजे जमीन पर चिपके रहें और एडि़यां ऊपर उठें. फिर सीधे खड़े हो कर दोनों हाथों को कंधे की सीध में रख कर चलाएं. उस के बाद पैरों के घुटने मोड़ कर स्क्वाट करें. आप रस्सीकूद भी कर सकते हैं.

पैदल चलना : पैदल चलना हमेशा शरीर के लिए बेहतर है. व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित तौर पर पैदल चलना ही चाहिए. इसलिए रोजाना सुबह आधे घंटे पैदल चल के फिट रहा जा सकता है. आप इस के लिए अपनी कालोनी के इर्दगिर्द ही चक्कर लगा

सकते है, या आसपास के पार्क में हलकीफुलकी रनिंग की जा सकती है. समय का ध्यान रखते हुए ट्रेडमिल एक बेहतर औप्शन है.

पुशअप : सब से पहली और आराम से की जानी वाली ऐक्सरसाइज पुशअप है. इस के लिए किसी प्रकार के इक्विपमैंट की आवश्यकता नहीं होती. यह सब से सामान्य ऐक्सरसाइज है जिसे लोग सब से अधिक करते भी हैं. इसे जरूरत के हिसाब से करें और समयनुसार सैट बढ़ाते रहें. इस से चैस्ट, आर्म्स, शोल्डर, पीठ स्ट्रौंग होती है.

वाल सिट्स : वाल सिट्स ऐक्सरसाइज में पीठ को दीवार पर चिपका देते हैं और फिर दोनों पैरों को कुरसी पर बैठने की पोजिशन में रखते हैं. ये 90 डिग्री होने चाहिए. अब दोनों हाथों को फोल्ड कर के कुछ देर इसी पोजिशन में 30 सैकंड तक रहना होता है. इस से बौडी का बैलेंस बनाया जा सकता है. इस से पेट की चरबी कम होती है, जांघें और हिप्स शेप में आते हैं और कैलोरी बर्न भी होती है.

पुलअप्स : यह अपने ही शरीर के वेट को ऊपर उठाने जैसा है. देखा गया है कि ज्यादातर लोगों से इस ऐक्सरसाइज में रेप्स नहीं लगते हैं क्योंकि वे लोग इस ऐक्सरसाइज को लगाने का सही तरीका नहीं जानते. इस में हाथों को लगभग 28 इंच तक खोलें. जब आप ऊपर की तरफ जाएंगे तो लगभग एक सैकंड तक होल्ड करें. फिर नीचे आएं.

ध्यान रहे, पूरी ऐक्सरसाइज डेढ़ घंटे से ऊपर न हो और फिटनैस का जरूरी मंत्र यह है कि नींद सही समय पर सही घंटों की लें व डाइट पर्याप्त मात्रा में लें.

ऐक्सरसाइज के बाद क्या पिएं

फिटनैस के लिए ऐक्सरसाइज के बाद आप कुछ तरल पिएं तो बेहतर है क्योंकि ऐक्सरसाइज के बाद बौडी को हाइड्रेट रखना फिटनैस का एक जरूरी हिस्सा है.

तरबूज का जूस पिएं : भारी व्यायाम के बाद तरबूज शरीर में उचित हाइड्रेशन बनाए रखने में मदद करता है. वर्कआउट के दौरान आमतौर पर हमारा शरीर लगभग 2 फीसदी तक पानी की मात्रा पसीने के तौर पर बर्न करता है, जिस की भरपाई करने के लिए तरबूज का जूस अच्छा माध्यम हो सकता है.

नारियल पानी : नारियल का पानी शरीर में पानी की कमी की मात्रा को पूरा करता है.

चेरी का जूस : चेरी में मौजूद एंटीऔक्सिडैंट्स का उ?च्च स्रोत मांसपेशियों को ऊर्जा देता है.

ग्रीन टी : ग्रीन टी शारीरिक थकान दूर कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है.

बहुत से लोग मौसंबी का जूस, गाजर का जूस और अलगअलग शेक, बनाना शेक, मैंगो शेक पीते हैं. स्वादानुसार हर चीज ट्राई की जा सकती है.

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