पाकिस्तानी मॉडल नायाब नदीम की संदिग्ध हालत में मौत, घर में बिना कपड़ो के मिली Dead Body

पाकिस्तानी मॉडल नायब नदीम की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किसी शख्स ने नायाब नदीम की हत्या की है. ये भी बताया जा रहा है कि शाम से उनके घर के बाहर कोई अंजान शख्स चक्कर लगा रहा था.

खबरों के अनुसार नायाब घर में अकेली रहती थी. 11 जुलाई को उनके भाई मुहम्मद अली ने नायाब के घर पहुंचे तो उनकी लाश घर के फर्श पर पड़ी थी. मुहम्मद अली ने इस खबर की सूचना पुलिस को दी.

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रिपोर्ट के अनुसार अली ने ये भी बताया कि नायाब उनके साथ दोपहर में आइसक्रीम खाने गुलबर्ग गई थी. और आइसक्रीम खाने के बाद उन्होंने नायाब को घर वापस छोड़ दिया था. तो वहीं अली ने शाम में नायाब को फोन किया. पर नायाब ने फोन नहीं उठाया. जिसके बाद वो फिर से उनसे मिलने नायाब के घर पहुंच गए. जहां नायाब की लाश मिली.

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उन्होंने ये भी बताया कि, जब वो घर पहुंचे तो बाथरूम की खिड़की टूटी हुई थी. उसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हत्या वहीं से घर में घुसा होगा. पुलिस क कहना है कि फिलहाल इस मामले में कई पहलुओं से जांच की जा रही हैं.

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फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया

State Of Siege Temple Attack Review: निराश करती हैं अक्षरधाम हमले पर बनी ये फिल्म

रेटिंगः दो़ स्टार

निर्माता: अभिमन्यू सिंह

लेखकः  विलियम बॉर्थविक और सिमॉन

फैंटाउजो

निर्देशकः केन घोष

कलाकारः अक्षय खन्ना, विवेक दहिया, प्रवीन डब्बास, समीर सोनी, गौतम रोड़े,मीर

सरवर,मंजरी फणनीस, अक्षय ओबेरॉय और अभिमन्यु सिंह

अवधि: एक घंटा पचास मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

2002 में गुजरात के अक्षर धाम मंदिर पर जो आतंकवादी हमला हुआ था, उसी सत्य घटनाक्रम से प्रेरित होकर निर्देशक केन घोष व क्रिएटर अभिमन्यू सिंह एक फिल्म ‘‘स्टेट आफ सीएज’’लेकर आए हैं. यॅूं तो निर्माता व निर्देशक की तरफ से इसे काल्पनिक कहानी बतायी गयी है.

कहानीः

फिल्म की कहानी 2001 से शुरू होती है जहां एनएसजी कमांडो मेजर हनुत सिंह(अक्षय खन्ना) अपनी टीम के साथ मिनिस्टर की बेटी को बचाने जाते हैं. रोहित बग्गा (विवेक दहिया) जो हनुत को खास पसंद नहीं करता, जबकि समीर (गौतम रोड़े) हनुत का अच्छा दोस्त है.यहां मंत्री की बेटी को बचाने की मुहीम में अपने वरिष्ठ कर्नल एम.एस. नागर (प्रवीण डबास) के आदेश को नजरंदाज एनएसजी कमांडो मेजर हनुत सिंह पाकिस्तानी आतंकवादी अबू हाजमा को जिंदा पकड़ने के चक्कर में अपने एक साथी को खोने के साथ ही खुद घायल हो गए थे. अबू हाजमा को पकड़ नही पाए,जबकि बिलाल भारत की जेल पहुंच चुका था.अब अबू हाजमा नए आतंकवादियों को तैयार कर 2002 में फारुख उमर, हनीफ सहित चार लोगों को गुजरात में अहमदाबाद के कृष्णा धाम मंदिर पर हमला करने भेजता है, उसी वक्त वहीं एक होटल में मंत्री चोकसी का कार्यक्रम हो रहा है, जहां सारी एनएसजी फौज लगी हुई है. मंदिर के अंदर पुजारी, सैकड़ों भक्त के साथ साथ मंदिर के ऑडीटोरियम में स्कूल के कई बच्चे व षिक्षक मौजूद हैं. तभी चार आतंकवादी पहुंचकर अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगते हैं. चारों आतंकवादी मंदिर के अंदर अलग अलग जगह पर पहुंचकर लोगों को जीवित बचे लोगों को बंधक बना लेते हैं.

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उसके बाद पाकिस्तान से अबू हाजमा भारत सरकार से बिलाल की रिहाई की मांग करता है. कृष्णा धाम मंदिर में लोगों के मरने की खबरें सुनकर भारत के प्रधानमंत्री बिलाल को छोड़ने का ऐलान कर देते हैं.उधर एनएसजी कमांडों के मेजर हनुत सिंह जिद करके कुछ साथियों के साथ कृष्णा धाम मंदिर पहुॅचकर कुछ लोगों को जिंदा मंदिर से बाहर निकालने में कामयाब होने के साथ ही दो आतंकवादियों को खत्म करने में सफल होते हैं. पर फिर मेजर हनुत सिंह घायल हो जाते है.कर्नल सिंह अब हनुत सिंह की जगह दूसरे कमांडो को नेतृत्व करने की जिम्मेदारी देते है.मगर हालात बिगड़ते देख हनुत सिंह पुनः मंदिर के अंदर जाते हैं.अंततः अन्य दो आतंकवादी मारे जाते हैं, उधर उरी के आसपास के एलओसी पर बिलाल को छोड़ने गए सैनिकों इसकी खबर मिलती है, तो वह बिलाल से वापस चलने के लिए कहते हंै,पर वह पाकिस्तान की तरफ भागता है, तब एक सैनिक उसे मौत के घाट उतार देता है.

लेखन व निर्देशन:

लेखन व निर्देशन की अति कमजोर कड़ियों के चलते फिल्म अपनी दमदार शुरूआत के चंद मिनटों बाद ही फुसफुसा पटाखा हो जाती है. फिल्म में निर्देशक केन घोष पूरी तरह से भ्रमित है,ऐ सा नहीं कहा जा सकता बल्कि उन्होंने जानबूझकर ऐसे दृष्य गढ़े हैं. कहानी जब गुजरात पहुंचती है, तो लेखक व निर्देषक ने दिखाया है कि मंदिर के अंदर आतंकवादियों के चंगुल से अपने बेटे को बचाने के लालच में मंदिर प्रांगण के पास दुकान चला रहा एक हिंदू पिता आतंकवादियों को एनसीजी कमांडों की हर गतिविधि की जानकारी फोन पर देते हैं.

आखिर इस तरह के दृश्यों से वह क्या संकेत देना चाहते हैं? इतना ही नही भारत के किसी भी एनएसजी कमांडो के शौर्य के सामने एक भी आतंकवादी ठहर नही सकता, मगर फिल्मकार ने एक आतंकवादी के सामने मेजर हनुत सिंह को कमजोर दिखाया,क्या इस पर हर किसी को आपत्ति होनी चाहिए? फिल्म में भारत व पाकिस्तान की राजनीति को भी गलत अंदाज में पेष किया गया है. 19 वर्ष पहले अक्षरधाम पर हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देष में भूकंप ला दिया था,मगर केन घोष ने उस पर फिल्म तो बनायी,मगर डरकर ‘अक्षरधाम’को ‘कृष्णधाम’ कर दिया. ऐसा क्यो?इसकी एक मात्र वजह यह है कि वर्तमान समय में हमारे फिल्मकार सच कहने की हिम्मत खो चुके हैं.2002 के आतंकवादी हमले मे तीस लोगो ने अपनी जिंदगी खोयी थी, ऐसे में कोई भी फिल्मकार इसे कमतर कैसे आंका सकता है. तभी तो केन घोष ने मध्य का रास्ता चुनते हुए फिल्म में ‘अच्छा मुस्लिम’और ‘देषद्रोही हिंदू’को मिश्रित कर दिया. फिल्म में मंदिर का एक मुस्लिम सफाई कर्मी मोहसिन (चंदन रॉय), का आतंकवादियो के सामने दिया गया मानवता का भाषण सिर्फ निराष ही करता है. मोहसिन, एक हत्यारे (अभिलाष चैधरी) से कहता है- ‘‘मैं एक मुसलमान हूं लेकिन मैं आपके जैसा नहीं हूं,’’ फिल्म ‘‘स्टेट आफ सीजः मंदिर अटैक’’की षुरूआत में जब एक वतन परस्त कमांडो मेजर हनुत सिंह अपने वरिष्ठ के आदेष का उल्लंघन कर अपने चंद साथियों के सेाथ मिशन पर आगे बढ़ता है, तो लगता है कि फिल्म सही दिशा में जा रही है. मगर दस मिनट बाद कहानी गुजरात पहुंचते ही फिल्म धीरे धीरे बिखरती चली जाती है.

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फिल्म का क्लायमेक्स बहुत ढीला है. फिल्म के कुछ दृश्य अविश्वसनीय है. मसलन-एनएसजी कमांडो जब अपनी ड्यूटी पर है, तब वह अपना मोबाइल फोन साथ में ले जाते हैं और अपनी पत्नी से मोबाइल पर बात करते हैं. पर क्या ऐसा संभव है? कहानी सत्य घटनाक्रम पर आधारित होने के बावजूद उसका पूरा मुंबई मसाला फिल्मीकरण कर दिया गया है. लेखक व निर्देशक ने हनुत सिंह सहित कई किरदारों को सही ढंग से गढ़ा ही नही है.फिल्म में लोग मरते हैं,गोलियां चलती हैं, मगर दर्शकों के मन में आतंकवादियों के प्रति गुस्से का भाव नही पैदा कर पाती.

फिल्म में मानवता का संदेष भी दिया गया है.मंदिर का ही एक पुजारी अंत में मृत आतंकवादियों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए एक संवाद कहते हैं-‘‘हिंसा हर समाज को तोड़ने का काम करती है.’’मगर यह फिल्म सांप्रदायिका संघर्ष रोकने का कोई संदेश नहीं देती.

अभिनयः

एनएसजी कमांडो हनुत सिंह के किरदार में अक्षय खन्ना ने बेहतरीन अभिनय किया है.मगर लेखक व निर्देषक ने उनके चरित्र को सही ढंग से गढ़ा ही नही. अक्षय खन्ना उत्कृष्ट कलाकार हैं.ऐसे में उन्हे किरदार चयन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. अक्षय खन्ना के अलावा फिल्म के सभी कलाकारों ने महज अपनी ड्यूटी ही निभायी है.

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लोग हैं कि जीने नहीं देते: बॉलीवुड एक्ट्रेसेस को टारगेट करते लोग

साल 1991 में आई फिल्म ‘लम्हे’ एक ऐसी प्रेम कहानी थी, जिसे भारतीय दर्शकों ने सिरे से नकार दिया था. वजह, हीरो अनिल कपूर श्रीदेवी से प्यार करता है, पर वह किसी दूसरे आदमी से शादी कर लेती है.

बाद में जब श्रीदेवी और उस के पति की मौत हो जाती है तो उन की बेटी, जो श्रीदेवी ही है, अपने से कहीं ज्यादा बड़े अनिल कपूर से प्यार करने लगती है. पहले तो अनिल कपूर को श्रीदेवी की यह हरकत बचकानी लगती है, पर आखिर में वह उस से शादी कर लेता है.

दर्शकों को यही बेमेल प्यार रास नहीं आया और उन्होंने यश चोपड़ा की इस बेहतरीन फिल्म को उतनी ज्यादा कमाई नहीं करने दी, जितनी उम्मीद की जा रही थी. हालांकि, इस फिल्म को नैशनल अवार्ड के साथसाथ 5 फिल्म फेयर अवार्ड भी मिले थे.

यह तो हुई फिल्मी बात और कई साल पुरानी भी, पर आज जब हम और ज्यादा एडवांस हो गए हैं, तब भी ऐसे किसी बेमेल प्यार को मन से स्वीकार नहीं कर पाते हैं.

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अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा को ही ले लें. मलाइका अरोड़ा तलाकशुदा हैं और उम्र में अर्जुन कपूर से बड़ी हैं, इस के बावजूद वे दोनों साथ हैं. पर जनता है कि उन्हें जीने नहीं देती है. हाल ही में जब वे दोनों एक फोटो में साथसाथ दिखे, तो लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर खूब भलाबुरा कहा.

दरअसल, किसी ने अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा के एक फोटो को अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया था, जिस में वे दोनों कार में बैठते दिख रहे थे. इस फोटो पर लोगों ने इतने घटिया कमैंट्स किए कि बहुत से मैसेज को तो पढ़ा भी नहीं जा सकता.

इस जोड़े को ‘चप्पल से मारने’ की बात लिखी गई, तो कुछ ने अर्जुन कपूर को ‘घर तोड़ू’, ‘बुड्ढी के साथ अर्जुन बुड्ढा हो गया’, ‘मांबेटे’ जैसे घटिया कमैंट्स किए.

भले ही मलाइका अरोड़ा बिंदास हो कर अपनी जिंदगी जीती हैं और लोगों की वाहियात बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं, पर उन में भी एक औरत का दिल है और साथ ही वे मां भी हैं, इसलिए ऐसी बातों का उन के मन पर बुरा असर जरूर पड़ता है, तभी तो उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि आज भी भारतीय समाज में तलाकशुदा औरत का आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, जबकि मर्दों के लिए नए रिश्ते में जाना और नौर्मल जिंदगी जीना बहुत आसान है.

मलाइका अरोड़ा की यह बात सौ फीसदी सच है कि भारतीय दकियानूसी समाज में किसी तलाकशुदा औरत का अपने मन से जिंदगी गुजरना बड़ा ही मुश्किल काम है. पर हमारे यहां तो उस औरत को भी ताने सुना दिए जाते हैं, जो न तो तलाकशुदा है और न ही बिना शादी किए किसी मर्द के साथ रहती है.

खूबसूरत हीरोइन प्रियंका चोपड़ा की शादी को भी लोग आज तक नहीं पचा पाए हैं. उन्होंने हौलीवुड के पौप स्टार और फिल्म कलाकार निक जोनस से शादी की थी, जो उम्र में उन से काफी छोटे हैं. लोगों को यह बात भी हजम नहीं हुई और उन्होंने उन्हें ‘ग्लोबल स्कैम आर्टिस्ट’ कहा, तो कुछ ने इस जोड़ी की ‘मांबेटे’ से तुलना कर दी. कुछ ने तो यह तक कहा कि पीसी यानी प्रियंका चोपड़ा ने निक जोनस के ‘पैसे देख कर’ शादी की है.

ऐसी ही कई ऊलजुलूल बातों पर प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि अपने से उम्र में छोटे लड़के से शादी करने पर उन्हें आज भी बातें सुनने को मिल जाती हैं. फिलहाल वे खुद को इस से प्रभावित नहीं होने देतीं और अपने व निक के रिश्ते को बेहतर बनाने पर फोकस करती हैं.

ऐसा क्यों होता है कि समाज किसी तलाकशुदा या उम्र में बड़ी औरत या लड़की को अपनी मरजी से जीवनसाथी चुनने की आजादी नहीं देता है, जबकि कानून उन के साथ होता है? यहां पर आजादी से मतलब यह है कि लोगों को दूसरों की जिंदगी में  झांकने की इजाजत किस ने दी?

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इस सवाल का जवाब यह है कि लोग खासकर मर्द समाज किसी ऐसी औरत या लड़की को हंसते हुए नहीं देख सकता, जो उन की नजर में ‘पवित्र’ नहीं है. विधवा, तलाकशुदा या उम्र में बड़ी लड़की को इतने ज्यादा गुणों वाला जीवनसाथी कैसे मिल सकता है, यह बात मर्दों को हजम ही नहीं होती है.

एक और मामला देखते हैं, जिस में लड़की न तलाकशुदा है, न विधवा है और न ही उस ने अपने से कम उम्र के मर्द से शादी की है, पर फिर भी लोगों ने सोशल मीडिया पर खूब खरीखोटी सुनाई.

टैलीविजन सीरियल के बाद फिल्मों में अपनी जगह बनाने वाली अंकिता लोखंडे को तो आप जानते ही होंगे, जो एक समय में फिल्म कलाकार सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रैंड रही थीं और उन की मौत के बाद वे बहुत दुखी भी हुई थीं.

तब लोगों ने उन की खूब तारीफ की थी, पर बाद में जब अंकिता ने अपने बौयफ्रैंड के साथ सोशल मीडिया पर कुछ तसवीरें शेयर कीं, तब लोगों ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘सुशांत को इतनी जल्दी भूल गई’, ‘इसलिए सुशांत ने छोड़ दिया था’, ‘सब नौटंकी थी क्या?’ और भी न जाने क्याक्या सुनाया था.

अगर आज अंकिता लोखंडे अपने प्रेमी के साथ खुश हैं, तो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अंकिता का उन के लिए शोक मनाना नौटंकी कैसे हो सकता है? वैसे भी तब उन दोनों के बीच ऐसा कोई रिश्ता नहीं था कि वे किसी तरह की नौटंकी करतीं.

उन्होंने सुशांत के साथ अच्छाबुरा वक्त गुजारा था, जिस की यादें वे जिंदगीभर नहीं भूलेंगी और आगे भी सुशांत को ले कर बोलने के लिए आजाद हैं और उन की यह आजादी सोशल मीडिया के चंद चिरकुट छीन नहीं सकते हैं.

ये वे ही लोग होते हैं, जिन की नजर में कोई मर्द बुढ़ापे में भी सेहरा बांध ले तो वह किसी अबला का सहारा कहलाता है. दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, कबीर बेदी, मिलिंद सोमन, शाहिद कपूर, संजय दत्त में क्या समानता है? इन सब की पत्नी उम्र में इन से काफी छोटी हैं. पर किसी मर्दवादी ने चूं तक नहीं की. मिलिंद सोमन और अंकिता कंवर में तो 29 साल का अंतर है, फिर भी वे दोनों एक हुए.

दिक्कत यह है कि लोग अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह सम झ लेते हैं कि अब उन्हें किसी के बारे में कुछ  भी लिखनेबोलने का हक हो गया है. वे सोशल मीडिया को अपने बाप की जागीर मान लेते हैं और जानबू झ कर ऐसा लिखते हैं, जो सामने वाले को चुभे. उन की भाषा भी वाहियात होती है.

जब कभी कोई आहत सैलेब्रिटी उन्हें जवाब देता है या अपना गुस्सा जाहिर करता है तो उन के मानो पैसे वसूल हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि वे खुद सैलेब्रिटी बन गए हैं, बदले में चार गालियां पड़ गईं तो क्या फर्क पड़ता है.

पर यह सब होता क्यों है? क्यों लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर वगैरह पर अपनी भड़ास निकालते हैं?

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दरअसल, अगर हम अपनी पौराणिक किताबों को खंगालेंगे तो पता चलेगा कि यह तो हमेशा से होता आया है. ‘महाभारत’ में द्रौपदी को चौसर के खेल में बेच दिया जाता है, तो ‘रामायण’ में एक अदना से आदमी के कहने पर राम अपनी पत्नी सीता को दोबारा से अकेली वन में भेज देते हैं.

बहुपत्नी का तब रिवाज था. हारा हुआ राजा अपनी बेटी का ब्याह जीते हुए राजा से कर देता था, फिर चाहे उस की उम्र लड़की से कितनी ही ज्यादा क्यों न हो. बाली ने तो अपने छोटे भाई सुग्रीव की पत्नी पर ही कब्जा कर लिया था.

इन बड़ीबड़ी किताबों में विधवा, बां झ औरतों को दुखभरी जिंदगी जीनी पड़ती थी. किसी ने व्यभिचार किया तो सजा मर्द के बजाय औरत को दी जाती थी. ऐसी किताबों का आम जनता पर इतना गहरा असर पड़ा कि भारत में कुछ समय पहले तक विधवा विवाह को अच्छा नहीं माना जाता था. कहींकहीं तो उन्हें पति की लाश के साथ जबरन सती कर दिया जाता था, मतलब चिता में जिंदा  झोंक दिया जाता था. बां झ को सामाजिक कामों से दूर रखा जाता था और उन को ‘डायन’ प्रचारित कर मार दिया जाता था.

आज भी भारत के कुछ राज्यों में बाल विवाह आम है, जहां दो बच्चों को उस उम्र में एकदूसरे से बांध दिया जाता है, जब उन्हें भाईबहन के अलावा किसी और रिश्ते की पहचान तक नहीं होती है.

यही वजह है कि जब कोई औरत अपने मन के मुताबिक जिंदगी गुजारना चाहती है तो लोग उस की इज्जत की धज्जियां उड़ाने में लग जाते हैं. फिर वे यह नहीं देखते कि खुद समाज में उन की क्या औकात है. जिन्हें अपने घर और समाज में कोई नहीं पूछता, वे ही सोशल मीडिया पर तीसमार खां बनते हैं.

हमें तो फख्र होना चाहिए अर्जुन कपूर, निक जोनस के साथसाथ उन तमाम मर्दों पर, जो किसी औरत के अतीत को जान कर भी उन्हें अपनी गर्लफ्रैंड, जीवनसाथी बनाते हैं और मर्द व औरत के कद को बराबर कर देते हैं.

‘दिलीप कुमार’ की मौत से भावुक हुए अमिताभ बच्चन, Tweet किया ये इमोशनल पोस्ट

हिन्दी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार ( Dilip Kumar) का निधन हो गया है. आज सुबह दिलीप कुमार ने आखिरी सांस ली. 98 साल की उम्र में एक्टर ने दुनिया को अलविदा कहा. दिलीप कुमार की मृत्यु की खबर से  बॉलीवुड इंडस्ट्री में  शोक की लहर छा गई है. तो वहीं फैंस भी उनके मृत्यु पर शोक व्यक्त कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, दिलीप कुमार लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अब वे इस दुनिया में नहीं रहे. ऐसे में हर कोई उनके मृत्यु को लेकर शोक व्यक्त कर रहा है. तो वहीं  बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने भी दिलीप कुमार की मृत्यु पर इमोशनल पोस्ट किया है.

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अमिताभ बच्चन ने अपने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सिनेमा का चलता-फिरता इंस्टीट्यूशन चला गया… जब भी भारतीय सिनेमा का इतिहास लिखा जाएगा, उसमें इस बात का जिक्र होगा कि भारतीय सिनेमा दिलीप कुमार से पहले कैसा था और दिलीप कुमार के बाद कैसा हो गया.

बिग बी ने आगे लिखा कि मैं अपनी ओर से दिलीप कुमार साहब की आत्मा के लिए प्रार्थना करता हूं. भगवान दिलीप साहब के परिवार को इस दुख की घड़ी में शक्ति दें.

बता दें कि दिलीप कुमार का पूरा नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. एक्टर ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. लेकिन फिल्म ‘जुगनू’ से उन्हें इंडस्ट्री में खास पहचान मिली.

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दिलीप कुमार को लेकर एक दिलचस्प घटना अक्सर याद किया जाता है. बताया गया था कि दिलीप कुमार की किसी बात पर अपने पिता से बहस हो गई थी, जिसके बाद वह घर से भाग गए थे. उस वक्त दिलीप कुमार की उम्र सिर्फ 18 साल की थी. उन्होंने एक पारसी कैफे के मालिक की मदद से पुणे में एक सैंडविच का स्टॉल लगाया. और उन्होंने सैंडविच बेचकर 5 हजार से अधिक रुपये जमा किए.

बिकिनी में बिंदास बालाएं

एक लड़कालड़की का रिश्ता पक्का हो रहा था. लड़के के पिता ने कहा कि हमें तो लड़की 2 कपड़ों में ही चाहिए. लड़की वालों ने इसे सच मान लिया और लड़की शादी के मंडप में टू पीस बिकिनी में आ गई.

बिकिनी का इतिहास इस चुटकुले की तरह कतई हंसीमजाक वाला नहीं रहा है. भले ही इस से औरत के उभार और दूसरे नाजुक अंगों को ढका भर जाता है और आज समुद्र किनारे, फैशन शो, स्विमिंग पूल और फिल्मों में औरतें व लड़कियां इसे बेझिझक पहने अपनी देह दिखती नजर आ जाती हैं, पर इसे बनाने वाले को अंदाजा नहीं था कि वह नाममात्र के कपड़े से महिलाओं के बदन को जो मामूली आड़ दे रहा है, वह पूरी दुनिया में एटम बम के धमाके सा असर दिखाएगा.

5 जुलाई, 1946. यही वह दिन था जब पहली बार यह पोशाक दुनिया के सामने आई थी. फ्रैंच आटोमोबाइल इंजीनियर और कपड़ों के डिजाइनर लुईस रियर्ड ने पहली बार बिकिनी को बनाया था, जिस से 5 जुलाई, 1946 को मिशेलिन बर्नार्डिनी नाम की एक हिम्मती मौडल ने पहन कर सार्वजनिक किया था. तब से आज तक हर साल 5 जुलाई को ‘बिकिनी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है.

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बिकिनी का नाम बिकिनी अटोल नाम की एक जगह से लिया गया था. यह वह जगह थी, जहां पर एटोमिक बम की टैस्टिंग हो रही थी. वैसे, बिकिनी का आना भी दुनिया पर कोई एटम बम गिरने से कम नहीं था और बाद में फिल्मों में तो इस का बेहिसाब इस्तेमाल किया गया, मतलब धमाके पर धमाके हुए.

भारत की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी बिकिनी से कैसे अछूती रह सकती थी. साल 1967 और फिल्म का नाम था ‘एन ईवनिंग इन पैरिस’. इस फिल्म में फ्रांस की राजधानी पैरिस की खूबसूरती को बड़े अलहदा अंदाज में बड़े परदे पर दिखाया गया था. लेकिन लोगों का दिल जिस बात ने धड़काया था, वह थी शर्मीला टैगोर की बिकिनी.

इस फिल्म से भी ज्यादा बवाल तब मचा था जब 1966 में शर्मिला टैगोर ने एक फिल्म मैगजीन के लिए टू पीस बिकिनी में फोटो शूट कराया था. जब वे उस मैगजीन की कवर गर्ल बनी थीं, तब लोगों में उन के इस बोल्ड कदम को ले कर बड़ी बहस छिड़ गई थी.  शर्मिला टैगोर ने बड़ी हिम्मत से लोगों की जलीकटी सुनी थी और इसे कहीं से गलत नहीं माना था. नतीजतन, इस के बाद और भी कई भारतीय हीरोइनों ने बिकिनी में अपनी देह की नुमाइश की.

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इन हीरोइनों में जीनत अमान, परवीन बौबी और डिंपल कपाड़िया का नाम खासतौर पर शुमार हुआ. जीनत अमान ने फिल्म ‘हीरापन्ना’ और ‘कुरबानी’, परवीन बौबी ने फिल्म ‘ये नजदीकियां’ और डिंपल कपाड़िया ने फिल्म ‘बौबी’ में बिंदास बिकनी गर्ल होने का खिताब पाया था.

अब तो बन गया है ट्रैंड

आज की बात करें तो हिंदी फिल्म हीरोइनों का बिकिनी पहनना अब आम बात हो गई है, पर उस के लिए उन में अपनी बॉडी शेप में लाने का चलन भी बढ़ा है.

जब से सोशल मीडिया दुनिया पर हावी हुआ है, तब से फिल्म हीरोइनें बिकिनी पहनने के लिए किसी फिल्म में काम करने का भी इंतजार नहीं करती हैं. सारा अली खान, दिशा पटनी, उर्वशी रौतेला, जैकलीन फर्नांडीस तो अपने सैरसपाटे के फोटो में बिकिनी के फोटो शामिल करना नहीं भूलती हैं. इस के अलावा, मलाइका अरोड़ा, करीना कपूर खान, प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, कंगना राणावत, बिपाशा बसु, नरगिस फाखरी, इलियाना डिक्रूज, दीपिका पादुकोण ने भी टू पीस बिकिनी में अपना बोल्ड अवतार दिखाया है.

पर याद रखिए कि किसी हीरोइन को बिकिनी में दिखने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. उन्हें अपनी बौडी का बहुत खयाल रखना पड़ता है, क्योंकि बेडौल शरीर पर टू पीस बिकिनी बिलकुल भी नहीं जमती है. शरीर को शेप में रखने के लिए उन्हें अपने खानपान और कसरत पर खास जोर देना पड़ता है. शरीर पर एक इंच भी चरबी ज्यादा बढ़ी नहीं कि उन का अलार्म बज जाता है कि अगर बिकिनी पहन कर अपने चाहने वालों का दिल धड़काना है तो अपनी देह को दहकते रहना देना होगा.

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लेकिन कभीकभार लोग हीरोइनों को बिकिनी में देखने के बाद उन्हें ट्रोल कर देते हैं. उन्हें बेहया और बेहूदा के साथसाथ न जाने क्याक्या कह देते हैं, गालियां तक बकते हैं, पर जब वही लोग किसी हीरो के सिक्स पैक एब्स वाले बदन की वाहवाही करते हैं और उन जैसा शरीर बनने की कोशिश करते हैं, तो फिर हीरोइन भी तो अपनी शेप में आई देह को दिखाने की हकदार है. क्यों, सही कहा न?

लिहाजा, लोगों को हीरोइनों के ऐसे फोटो की तारीफ करनी चाहिए और उन्हें इस बात की शाबाशी भी देनी चाहिए कि वाकई एटम बम जैसी टू पीस बिकिनी उन की देह पर आ कर तहलका मचा देती है. तो मजा लीजिए खूबसूरत बदन का, जैसे बिकिनी उतना ही छिपाती है, जितनी जरूरत होती है.

मंदिरा बेदी के पति राज कौशल का निधन, हार्ट अटैक से हुई मौत

बॉलीवुड से एक बेहद दुखद खबर आ रही है. मंदिरा बेदी के पति राज कौशल का निधन हो गया है. खबरों के  मुताबिक, उनको कार्डिएक अरेस्ट हुआ था. आज सुबह यानी बुधवार को अचानक कार्डिएक अरेस्ट के बाद उनकी मौत हो गई.

बताया जा रहा है कि हाल ही में उन्होंने दोस्तों  के साथ पार्टी की थी. दरअसल राज ने अपने इंस्टाग्राम पर पार्टी की तस्वीरें भी शेयर की थीं. इन फोटोज में उनके दोस्त अंगद बेदी, नेहा धूपिया दिखाई दे रहे हैं.

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सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी राज कुशल के आकस्मिक निधन को लेकर शोक व्यक्त कर रहे हैं. बता दें कि फेमस फोटोग्राफर विरल भयानी ने भी राज कौशल के निधन की खबर को कन्फर्म किया है.

 

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उन्होंने सोशल मीडिया पर राज कौशल के परिवार की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ‘हम लोग एकदम सदमे में हैं कि मंदिरा बेदी के पति और ऐड फिल्ममेकर राज कौशल का दिल का दौरा पड़ने से आज सुबह निधन हो गया है.

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राज कौशल  ने ‘माय ब्रदर निखिल, ‘प्यार में कभी कभी’, ‘शादी का लड्डू’ जैसी फिल्में प्रड्यूस की थी. मंदिरा बेदी और राज कौशल के दो बेटे और एक बेटी हैं.

 

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मंदिरा बेदी और राज कौशल ने  1999 में शादी की थी. उनकी पहली मुलाकात डायरेक्टर मुकुल आनंद के घर पर हुई थी. उनकी शादी से घर वाले खुश नहीं थे. उन दोनों ने पिछले साल ही बेटी तारा को गोद लिया था.

कमाल राशिद खान बदनामी से कमाया नाम

दशहरा त्योहार से पहले होने वाली गलीमहल्ले की रामलीला में भी आयोजक ऐसा रावण ढूंढ़ते हैं, जो अट्टहास अच्छा कर सके. जो हनुमान को ‘तुच्छ वानर’, ‘अदना सा मर्कट’ और रामलक्ष्मण को ‘निरीह प्राणी’, ‘दरदर भटकते वनवासी’ वगैरह कह कर अपनी भारी आवाज में हंसे, ताकि दर्शक डर जाएं.

आजकल ऐसा ही अट्टहास फिल्म दुनिया में गूंज रहा है. सब की नाक में दम करने वाले इस शख्स का नाम कमाल राशिद खान है, जो खुद तो डेढ़ पसली का है, पर अपनी बेलगाम जबान से सलमान खान जैसे सिक्स पैक एब्स वाले सुपरस्टार की नाक में दम कर देता है.

कमाल राशिद खान का इतिहास जानने से पहले सलमान खान और इस बड़बोले का नया  झगड़ा सम झ लेते हैं. दरअसल, कमाल राशिद खान यानी केआरके यूट्यूब पर नई फिल्मों, कलाकारों की निजी जिंदगी, उन के पहनावे, किस हीरो का टांका किस हीरोइन से भिड़ा हुआ है, किस कलाकार ने किस कलाकार से कब और कौन सी फिल्म छीनी जैसी हर खबर पर अपनी राय देते हैं. राय क्या देते हैं, सामने वाले की बखिया उधेड़ देते हैं.

हाल ही में आई सलमान खान की फिल्म ‘राधे’ का जो हश्र हुआ है, वह किसी से छिपा नहीं है. कोढ़ पर खाज यह कि केआरके ने इस फिल्म की अपने निराले अंदाज में समीक्षा कर डाली.

केआरके ने शुरुआत में ही कहा कि इस फिल्म की कहानी इनसानों की सम झ में आना तो बड़ा मुश्किल है, तो चलो ‘बावली’ कंगना से पूछते हैं कि फिल्म की कहानी क्या है… वे यहीं पर नहीं रुके और सलमान खान को ‘सल्लू दादू’ (बूढ़े दादा) कह डाला, जिस के बस का अब कुछ नहीं है. यह बात इसलिए भी कही गई, क्योंकि फिल्म हीरोइन दिशा पटनी उम्र के लिहाज से सलमान खान की पोती के बराबर है.

आखिर में तो उन्होंने कह दिया कि यह फिल्म उतनी ही खतरनाक है, जितना कोरोना. कोरोना फेफड़ों को डैमेज करता है और यह फिल्म दिमाग को डैमेज करती है.

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असली बवाल तो तब शुरू हुआ, जब सलमान खान की टीम ने इस सब पर रिऐक्शन लेते हुए केआरके पर मानहानि का केस दायर कर दिया.

केआरके ने इस केस की जानकारी खुद सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, ‘सलमान खान ने ‘राधे’ के रिव्यू के लिए मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है.’

एक और ट्वीट में केआरके ने लिखा, ‘मैं कई बार कह चुका हूं कि अगर कोई प्रोड्यूसर या ऐक्टर मना करता है, तो मैं उन की फिल्म का कभी रिव्यू नहीं करूंगा. सलमान खान ने ‘राधे’ के लिए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, इस का मतलब वे मेरे रिव्यू से काफी आहत हो रहे हैं, इसलिए मैं अब उन की फिल्म का कभी रिव्यू नहीं करूंगा…’

पर तब तक यह  झगड़ा कोरोना संक्रमण की तरह दूसरी जगह भी फैल चुका था. इस में गायक मीका सिंह भी कूद चुके थे. उन्होंने सलमान खान का पक्ष लेते हुए कहा कि वे केआरके पर कोई केसवेस नहीं करेंगे, बल्कि सीधा थप्पड़ मार देंगे. दरअसल, केआरके ने मीका सिंह को भी ‘चिरकुट सिंगर’ का तमगा दिया हुआ है.

एक वीडियो में मीका सिंह केआरके के तथाकथित घर के सामने धमकी देते हुए बोल रहे थे, ‘देख भाई, मैं तेरे घर के सामने खड़ा हूं, यहां पर. छाती चौड़ी कर के. तू जहां कहेगा वहां मिल लेता हूं. तू मेरा बेटा है और हमेशा बेटा ही रहेगा. तेरीमेरी कोई लड़ाई नहीं है. तू ने अपना यह घर बेच दिया. तेरे जितने और घर हैं वे मत बेचना, क्योंकि तेरीमेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है. मेरे से डर मत, मैं तेरे को मारूंगापीटूंगा नहीं. तेरे को सबक सिखाना था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि तू अपना घर बेच कर चला जाए, आखिरकार तू मेरा पड़ोसी है…’’

गायक मीका सिंह का यह भी कहना है कि वे ‘केआरके कुत्ता’ नामक एक नया एकल गीत बनाएंगे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘मु झे लगता है कि केआरके गाने को ले कर खुश होंगे. वे लोकप्रियता चाहते हैं और मैं उन्हें सुपर पौपुलर बनाने जा रहा हूं. मैं अपने गाने के जरीए उन्हें करारा जवाब देने जा रहा हूं. गाने का शीर्षक ‘केआरके कुत्ता’ (केआरके द डौग) है.’’

इसी बीच केआरके ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर सलमान खान को ले कर लिखा, ‘और तू एक बात बता यार, तू कैसे बौलीवुड का मालिक गुंडा भाई है कि एक बौलीवुड वाला तेरी सपोर्ट में नहीं आया. तु झे इन चिरकुट ‘बिग बौस’ के नल्लों को अपने सपोर्ट में लाना पड़ा. क्या इज्जत है तेरी बौलीवुड में यार. तुम सच में बौलीवुड के दो पैसे के इनसान हो.’

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब कमाल आर. खान ने फिल्म इंडस्ट्री वालों से पंगा लिया है. वे मुंहफट हैं और बड़बोले भी. ऐसा बताते हैं कि वे ऐक्टर बनने का सपना ले कर अपना घर देवबंद, उत्तर प्रदेश छोड़ कर मुंबई चले आए थे, जहां उन्होंने फिल्म ‘देशद्रोही’ से अपने कैरियर की शुरुआत की थी, जो बौक्स औफिस पर औंधे मुंह गिरी थी. इस के बाद उन्होंने अपना रुख भोजपुरी फिल्मों की ओर कर लिया था.

जिस ‘बिग बौस’ को आज केआरके नल्लों का जमावड़ा कहते हैं, कभी वे खुद भी उसी टैलीविजन रिऐलिटी शो का हिस्सा रह चुके हैं. वहां भी वे दूसरों के साथ तूतड़ाक करने और गाली देने से बाज नहीं आते थे.

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वे यह भी जताने की कोशिश करते थे कि ‘बिग बौस’ के घर में सब से अमीर आदमी वही हैं. तब वे दावा करते थे कि उन के घर में जो चाय बनती है, उस के लिए दूध हौलैंड से, पानी फ्रांस से और चायपत्ती लंदन से आती है.

केआरके तो ‘टिकटौक’ पर छाए लड़केलड़कियों को भी नहीं बख्शते हैं. अपने एक वीडियो में उन्होंने ब्यूटी खान नाम की एक लड़की के बारे में कहा कि अगर इन को आप पर्सनली मिल लें, तो फिर आप को लड़की नाम से नफरत हो जाएगी.

इस के बाद केआरके ने रियाज नाम के लड़के को धो डाला. उन्हें ‘मीठा’ कहा और बोले कि अगर कोई पठान इन्हें देख ले तो अपने घर ले जाए और एक हफ्ते तक न छोड़े. फिर उन्होंने एक और लड़के फैसु को भी ‘मीठा’ करार दिया.

केआरके ने टिकटौक वालों की अजीब सी पहचान बताई कि उन के बाल नीलेपीले होते हैं, बालों की एक पहाड़ी इस तरफ तो दूसरी पहाड़ी उस तरफ होती है, लालपीले जूते, लालपीली ड्रैसें… भूत भी एक बार देख ले तो सोचे कि भूत वह है या ये…

आप को याद होगा कि अपने आखिरी समय में जब ऋषि कपूर अस्पताल में भरती हुए थे, तब केआरके ने ट्वीट किया था, ‘ऋषि कपूर एचएन रिलायंस अस्पताल में भरती हुए हैं. और मु झे उन से कहना है कि सर ठीक हो कर वापस आना. निकल मत लेना, क्योंकि दारू की दुकानें बस 2-3 दिन के बाद खुलने ही वाली हैं.’

इस के पहले केआरके ने ट्वीट कर के लिखा था, ‘मैं ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कोरोना कुछ फेमस लोगों को लिए बिना नहीं जाएगा. मैं ने उन के नाम नहीं लिखे थे, क्योंकि फिर लोग मु झे गालियां देने लगते. लेकिन मु झे पता था कि इरफान और ऋषि कपूर जाएंगे. मु झे यह भी पता है कि अगला नंबर किस का है.’

ऐसी क्या वजह है कि खुद केआरके की शक्ल कुछ खास नहीं है, ऐक्टिंग में वे जीरो हैं, कदकाठी भी न के बराबर है, फिर भी वे हर किसी से पंगा ले लेते हैं? इस की खास वजह यह है कि केआरके को लोगों की दुखती रग का पता होता है और वे वहीं चोट करते हैं, जहां ज्यादा दर्द होता है. वीडियो में जो भी उन की स्क्रिप्ट लिखता है, वह जानबू झ कर ऐसे शब्द इस्तेमाल करता है, जिस से बवाल हो जाए.

सलमान खान अब बूढ़े हो रहे हैं और जिस तरह फिल्म ‘राधे’ में उन्होंने डांस या ऐक्शन सीन करने की कोशिश की है या फिर वीएफएक्स से खुद को बांका जवान बनाया है, उस में वे कामयाब नहीं हुए हैं. केआरके ने तभी उन्हें हीरोइन का ‘दादा’ कह दिया. मीका को नाक से गाने वाला भी उन्होंने ही कहा था.

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पर यह साफगोई ऐसे बेहूदा शब्दों में लिपटी होती है कि जिस पर निशाना साधा जाता है, वह तिलमिला कर रह जाता है. बदले में वह कुछ बकवास कहता है, तो केआरके और ज्यादा फूहड़ हो जाते हैं.

लेकिन इस तरह के विवादों से यह भी साफ हो जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में जिस की खबर ज्यादा होती है, वही मशहूर भी ज्यादा कहलाता है, फिर चाहे उस का नाम कमाल राशिद खान ही क्यों न हो.

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हरियाणवी सेंशेसन के रूप में मशहूर नृत्यांगना,गायिका व अभिनेत्री सपना चैधरी हमेशा अपने कार्यों की वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. इन दिनों वह निर्देशक अभय निहलानी की निर्माणाधीन फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ की मुंबई में शूटिंग करने में व्यस्त हैं.

वास्तव में इन दिनों मुंबई में नृत्य निर्देशक लोंगजी फर्नान्डिस फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ के लिए खास गाने का फिल्मांकन कर रहे हैं और यह गाना खास तौर पर सपना चौधरी पर फिल्माया जा रहा है,जो बेहद धमाकेदार गाना माना जा रहा है.फिलहाल इस गाने के फिल्मांकन के लिए स्टूडियो में सपना चौधरी दो दिनों तक ठुमके लगाएंगी, वहीं सपना चैधरी के ठुमके देखकर सेट पर मौजूद हर क्रू मेंबर मदमस्त हो रहा है.

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इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि लंबे समय बाद मशहूर लेखक संजय छैल ने इस फिल्म को लिखा है. सपना चैधरी एक ऐसा नाम बन चुका है, जिसकी मांग हर जगह है. फिर चाहे वह स्टेज शो हो या बॉलीवुड या भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री.

इतना ही नही दर्शक भी सपना चैधरी के नृत्य को देखने के लिए प्राथमिकता देते हैं. यही वजह है कि इस गाने में भी सपना चैधरी ही पहली पसंद बनकर उभरी और आज वह पूरी शिद्दत के साथ इस गाने शूटिंग में लगी हुई हैं.

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सेट पर सपना चौधरी ने कहा- ‘‘फिल्म ‘लव यू लोकतंत्र’’ एक बेहतरीन फिल्म बन रही है. इसका यह गाना इतना मजेदार है कि हर वर्ग के दर्शक इसे अवश्य देखना पसंद करेंगे. इस फिल्म के टीम के साथ जुड़कर बेहद मजा आया. उम्मीद करती हूं सभी को मेरी परफॉर्मेंस, मेरा नृत्य और फिल्म बहुत पसंद आएगी.’’

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फिल्म‘‘लव यू लोकतंत्र’’ के निर्माता एडवोकेट अमित मेहता और राज प्रेमी, प्रोडक्शन हेड अखिलेश राय, कैमरामैन नरेंद्र जोशी, नृत्य निर्देशक लोंगजी फर्नान्डिस, लेखक संजय छैल और
संगीतकार जतिन ललित हैं.

इस फिल्म के मुख्य कलाकार है रवि किशन ,स्नेहा उल्लल, ईशा कोपिकर राज प्रेमी, मनोज जोशी, अली असगर, दयाशंकर पांडेय, देव सिंह, अमित मेहता, बॉबी खन्ना और सुधीर पांडेय है.

पति से अलग होने के बाद Nusrat Jahan ने भरा अपनी मांग में सिंदूर, हेटर्स ने लगाई जमकर फटकार

टीएमसी की सांसद और मशहूर बंगाली एक्ट्रेस नुसरत जहां (Nusrat Jahan) इन दिनों अपनी शादीशुदा जिंदगी को लेकर सुर्खियों में छायी हुई हैं. वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. नुसरत जहां जल्द ही मां बनने वाली हैं. वह आए दिन बेबी बंप की फोटोज फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं.

नुसरत जहां अपने पति निखिल जैन (Nikhil Jain) से अलग हो चुकी हैं. लेकिन इसी बीच उन्होंने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. जिसमें वह मांग में सिंदूर लगाए दिखाई दे रही हैं.

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इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक्ट्रेस ने मैचिंग ज्वैलरी के साथ मांग में सिंदूर भी लगाया है. हालांकि ये तस्वीर एक गर्भ निरोधक गोली के प्रचार का हिस्सा है. लेकिन लोगों ने मांग में सिंदूर लगाने के लिए नुसरत जहां को ट्रोल करना शुरू कर दिया है.

 

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जी हां, यूजर्स का कहना है कि नुसरत जहां अपने पति से अलग हो चुकी हैं. उनको अब सिंदूर लगाने का कोई भी हक नहीं है. तो वहीं कुछ यूजर्स पूछ रहे हैं कि उन्होंने अब किसके नाम का सिंदूर अपनी मांग में भर लिया है.

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नुसरत जहां के फोटो पर एक यूजर ने कमेंट किया है कि किस दुख में आपने मांग में सिंदूर लगा लिया तो वहीं दूसरे यूजर ने लिखा है कि इतना नौटंकी करने की क्या जरूरत है. अब तुम शादीशुदा नहीं हो.

निखिल जैन से अलग होने के बाद नुसरत जहां हेटर्स के निशाने पर आ चुकी हैं. इतना ही नहीं लोगों का ये भी कहना है कि नुसरत जहां ने शादी को मजाक समझ लिया है.

 

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खुशी कपूर ने पर्पल बिकिनी में दिखाया ग्लैमरस अंदाज, बहन जाह्नवी कपूर को दी मात

बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) की छोटी बहन खुशी कपूर (Khushi Kapoor) ने अपनी ग्लैमरस तस्वीरों से फैंस को दीवाना बना रही हैं. एक्ट्रेस ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपनी बिकिनी तस्वीरें शेयर की है.

इन तस्वीरों में एक्ट्रेस बेहद हॉट नजर आ रही हैं. इन तस्वीरों को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. खुशी कपूर की इन तस्वीरों ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है.

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जाह्नवी कपूर की बहन खुशी कपूर बेहद हॉट एंड ग्लैमरस नजर आ रही हैं. आप तस्वीर में देख सकते हैं कि एक्ट्रेस पर्पल बिकनी में अपना परफेक्ट फिगर फ्लॉन्ट करती दिखाई दे रही हैं.

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आपको बता दें कि अभी कुछ ही दिन पहले जाह्नवी कपूर ने भी सोशल मीडिया पर अपनी बिकिनी फोटोज शेयर की थी. इन दोने बहन की तस्वीरों को देखकर कहा जा सकता है कि खुशी कपूर अपनी बड़ी बहन जह्नावी  को टक्कर दे रही हैं.

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 देखें जाह्नवी कपूर की बोल्ड तस्वीरें

 

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