विक्रम ने बच्चे को उठाया और बाहर निकला. गोली की आवाज सुन कर बाहर काफी लोग जमा हो चुके थे.
‘‘खबरदार कोई हिला तो गोली से भून कर रख दूंगा,’’ विक्रम चीखा. सभी सहम कर दूर हट गए. विक्रम ने गाड़ी खोली और बच्चे को ले कर खंडाला रोड की तरफ निकल गया.
विक्रम जैसे ही अपनी कोठी में पहुंचा, बच्चे का रोना सुन कर राधा दौड़ कर वहां आई. अपने बच्चे को सीने से लगाने लगी. बच्चे को भूखा जान कर उस ने उसे आंचल में छिपा लिया.
‘‘वे कैसे हैं?’’ राधा ने पूछा, ‘‘मैं उन से कब मिल सकूंगी? कब जाने दोगे मुझे उन के पास?’’
‘‘उस से तो अब तुम कभी नहीं मिल सकतीं.’’
‘‘क्यों?’’ राधा ने घबराते हुए पूछा.
‘‘तुम पहले बच्चे को दूध पिलाओ.’’
कुछ देर खामोशी छाई रही. दूध पीतेपीते बच्चा सो गया.
‘‘क्यों नहीं मिल सकती मैं उन से?’’ राधा ने फिर पूछा.
‘‘क्योंकि अब वह इस दुनिया में नहीं है.’’
‘‘नहीं… तुम झूठ बोल रहे हो.’’
‘‘अपने हाथों से खत्म किया है मैं ने उसे. मेरे और तुम्हारे बीच दीवार था वह.’’
‘‘कमीने, तू ने मेरा सुहाग छीन लिया. मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगी,’’ राधा घायल शेरनी की तरह विक्रम पर झपट पड़ी.
विक्रम कुछ देर तो खामोश रहा, फिर अचानक राधा पर लातघूंसों से हमला कर दिया. उस पर दरिंदगी सी छाई थी.
‘‘मैं तेरे लिए मरा जा रहा हूं और तू मरे हुए आदमी के लिए जिंदा आदमी को मार रही है. तेरे और मेरे बीच जो भी आएगा, उस का अंजाम सिर्फ मौत होगा,’’ इतना कह कर विक्रम बाहर चला गया.
राधा बच्चे को सीने से लगा कर जोरजोर से रोने लगी. कुछ देर में वह सो गई. इसी बीच विक्रम आया और बच्चे को चंदू को थमा कर सोती हुई राधा के पास लेट गया और उस के पैरों को चूमने लगा.
राधा जाग कर चौंकते हुए बोली, ‘‘तुम यहां? मेरा बच्चा कहां है?’’
‘‘वह जहां भी है ठीक है,’’ विक्रम ने कहा, ‘‘तुम मुझे ही अपना बच्चा समझ लो,’’ विक्रम मासूम बच्चे की तरह राधा से लिपट गया.
राधा ने धक्का दे कर उसे दूर किया, ‘‘खबरदार, जो मेरे नजदीक आए, तुम खूनी हो, दरिंदे हो.’’
अचानक राधा के इस धक्के से विक्रम के अंदर एक बार फिर हैवानियत सी छा गई. उस ने राधा के बदन से कपड़े खींचने शुरू कर दिए.
राधा चीख उठी, ‘‘छोड़ो मुझे.’’
विक्रम ने एक झटके से साड़ी खींच दी. अब राधा के जिस्म पर सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज बचा था. विक्रम तेजी से राधा पर झपटा. राधा ने बचने की पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रही.
वह विक्रम की बांहों की गिरफ्त में आ चुकी थी. पिंजरे में बंद पंछी की तरह फड़फड़ा रही थी. मगर उस की चीखें सुनने वाला कोई नहीं था.
विक्रम ने उसे पलंग पर लिटा दिया. राधा कसमसाई. विक्रम ने उस का पेटीकोट खींच दिया.
राधा रोते हुए फरियाद करने लगी, ‘‘मैं तुम्हारे पैर पड़ती हूं, छोड़ दो मुझे.’’
विक्रम ने राधा के जिस्म को अपने जिस्म से सटा लिया. राधा फरियाद करती रही, पर विक्रम उस के एकएक अंग को चूमता रहा और बोला, ‘‘राधा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. उस दिन मैं ने तुम्हें मारा था. मुझे माफ कर दो. उस दिन मैं ने खुद को भी सजा दी थी. यह देखो,’’ विक्रम ने राधा के सीने से मुंह हटा कर अपने जिस्म पर लगे घावों को दिखाने लगा.
‘‘राधा, मैं ने तुम्हारे कपड़े इसलिए उतारे हैं, क्योंकि मैं नहीं चाहिता कि तुम्हारे जिस्म पर किसी और के दिए कपड़े हों. तुम मेरी हो और तुम्हारा जिस्म भी मेरा है. मैं बगैर शादी के तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करूंगा. मैं ने तुम्हारे लिए कपड़े खरीदे हैं, अभी लाता हूं,’’ कह कर विक्रम पास के कमरे में चला गया.
राधा अपने जिस्म को हाथों से छिपाए बैठी थी. विक्रम वापस आया, तो उस के हाथ में खूबसूरत साड़ी, ब्लाउज और खूबसूरत गहने थे.
‘‘मैं अपने हाथों से तुम्हें ये पहनाऊंगा.’’
‘‘मैं तुम्हारी दी हुई कोई चीज नहीं पहनूंगी.’’
‘‘कैसे नहीं पहनोगी,’’ विक्रम गुर्राया.
विक्रम के सख्त चेहरे को देख कर राधा घबरा गई. वह जानती थी कि जब भी यह चेहरा खतरनाक होता है, या तो उस का कोई मरता है या उस की पिटाई होती है.
‘‘अरे, मुझ से क्या शरमाना,’’ विक्रम ने राधा से कहा. विक्रम उसे जबरदस्ती कपड़े पहनाने लगा. हाथों में हीरे की अंगूठी और गले में सोने की चेन पहना कर वह बोला, ‘‘राधा, देखो तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो.’’
विक्रम राधा को विशाल आईने के पास ले गया.
‘‘राधा, आज मैं तुम्हारे साथ सोऊंगा, पर करूंगा कुछ नहीं.’’