मैं सोशल वर्कर बनना चाहती हूं लेकिन मेरे घरवाले शादी कराना चाहते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 22 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. मेरे घर वाले मेरी शादी करना चाहते हैं, पर मैं अपनी एक संस्था बना कर गरीब और अपाहिज लोगों की मदद करना चाहती हूं. इस की शुरुआत कैसे की जाए, इस बारे में सही सलाह दें?

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जवाब

आप का जज्बा अच्छा है, लेकिन अभी आप खुद मदद की मुहताज हैं. इस के लिए पहले आप को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा. गरीबों और अपाहिजों की मदद के लिए बहुत पैसों की जरूरत पड़ेगी, जो आसमान से नहीं टपकेंगे. इस का इंतजाम तो आप को ही करना पड़ेगा.

बेहतर होगा कि आप अपनी कोई संस्था बना कर काम शुरू करें और बाद में एनजीओ बनाएं. इस के लिए आप किसी भी एनजीओ वाले से मिल कर जानकारी ले सकती हैं कि शुरुआत कैसे की जाए और क्याक्या दिक्कतें पेश आती हैं.

शादी कर लेना भी हर्ज की बात नहीं, लेकिन पति पर पहले ही अपनी इच्छा जाहिर कर दें. मुमकिन है कि वह भी आप का साथ देने के लिए तैयार हो जाए.

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मैं अपने बॉयफ्रेंड से शादी करना चाहती हूं पर मेरे घरवाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 20 साल है और एक कंपनी में काम करती हूं. मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे बेहद चाहता है. मगर समस्या यह है कि मैं उच्च जाति की हूं और लड़का पिछड़ी जाति का घर वाले इस रिश्ते के लिए शायद ही तैयार हों. कृपया उचित सलाह दें?

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जवाब

आज के समय में अंतर्जातीय विवाह आम हैं. समाज का बड़ा वर्ग अब संकीर्ण विचारधारा से बाहर निकल कर ऐसे रिश्तों को अपना रहा है. जातिप्रथा, ऊंचनीच आदि सब बेकार की बातें हैं. बेहतर होगा कि आप अपने घर में
बातचीत चलाएं और मन की बात घर वालों को खुल कर बताएं. अगर वे नहीं मानते तो कोर्ट मैरिज कर सकती हैं.

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लड़के की उम्र अगर 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल हो तो उन्हें आपसी रजामंदी से शादी करने से कोई नहीं रोक सकता.

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सेक्स है हमारे जीवन का सामान्य हिस्सा

अगर कोरोना की महामारी के दौरान आपने और आपके साथी ने खुद को एकांतवास में ले लिया है तो ऐसे में आपकी सेक्स लाइफ में रोमांच लाने के कई तरीके हो सकते हैं. कोरोना वायरस के खौफ के साए में हम चेहरे पर तो हाथ का स्पर्ष नहीं ले जा रहे हैं लेकिन बदन के अन्य हिस्सोंको तो छुआ जा सकता है.

यह बीमारी सेक्स से संक्रमित नहीं होती और न ही ऐसा कोई मामला सामने आया है कि किन्ही युगलों के बीच सेक्स के कारण इसका संक्रमण हो गया हो. यह मूल रूप से सांसों के माध्यम से गिरी बारीक बूंदों और किसी संक्रमित सतह को छूने से हो रही है.

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इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 का संक्रमण योनी या गुदा मैथुन से हुआ हो. सेक्स के दौरान चूमना बहुत आम बात है लिहाजा इसका वायरस मुंह की लार के जरिए फैल सकता है. अगर आपका पार्टनर विदेष दौरे से लौटा/लौटी है तो उस स्थिति में चुंबन लेने से बचें! यात्रा करने के दो हफ्ते बाद ऐसा करना सुरक्षित है. कोविड-19 के ओरल-फिकल ट्रांसमिषन के भी सबूत मिले हैं, लिहाज़ा, ओरल सैक्स से बचना चाहिए.

यदि एक भी पार्टनर कोविड-19 का संदिग्ध रोगी है तो बेहतर यही होगा कि आप एक दूसरे से दूर रहे हैं और जांच के नतीजे मिलने तक अलग-अलग कमरों में ही सोएं.

लेकिन अगर आपमें से किसी में भी किसी किस्म का लक्षण दिखायी नहीं दिया है और किसी संक्रमित व्यक्ति या सतह आदि के संपर्क में भी नहीं आए हैं तथा पूरे समय घर पर ही रहे हैं तो सेक्स से अच्छा और कोई तरीका आनंद लेने का नहीं हो सकता. यह तनावपूर्ण समय में बेचैनी दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है.

फिलहाल यही सलाह है कि जितना हो सके घर पर रहें और रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के वक़्त ही दूसरे लोगों के संपर्क में आएं. इस दौरान भी अन्य लोगों से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाएं रखें. हालाकि इस स्थिति में कैजुअल सेक्स करना चुनौतीपूर्ण होगा!

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किसी भी किस्म का अंतरर्वैयक्तिक संबंध तभी कायम करें जब ऐसा करना एकदम जरूरी हो. लिहाज़ा, आगामी कुछ हफ्तों में यौन संसर्ग कुछ कम हो सकता है. लेकिन यौन सुख प्राप्त करने के और भी कई तरीके हैं तो मौजूदा हालात में उपयोगी साबित हो सकते हैं. इनमें सेक्सटिंग, वीडियो काॅल, कामोत्तेजक साहित्य पढ़ना और हस्तमैथुन षामिल हैं. याद रखिये, आप अपने सबसे सुरक्षित सेक्स पार्टनर हैं. ऐसे में हस्तमैथुन बढ़िया विकल्प है और यह आपको कोविड-19 से बचाए रखेगा. ऐसे में भी हाथ धोना मत भूलिये और यदि आप सेक्स टाॅयज़ का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें भी सेक्स से पहले और बाद में 20 सेकंड अवष्य धो लें.

क्या सेक्स करने से भी हो सकता है कोरोना!

एक तरफ जहां कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टैंसिंग को जरूरी बताया जा रहा है, वहीं लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या सेक्स करने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है? जानिए, सेक्स को ले कर जुङे तमाम सवालों के जवाब :

पार्टनर के साथ सेक्स करने से कोरोना वायरस फैलने का डर है क्या?

कोरोना वायरस संक्रमण से ही फैलता है मगर यह सेक्स से फैलता है, इस को ले कर अभी कोई ठोस वजह सामने नहीं आया है. मगर जब कोई सेक्स पार्टनर से इंटिमेट होता है तो इस वायरस के फैलने का खतरा हो सकता है. मगर यह तब होगा जब सेक्स पार्टनर में से कोई एक कोरोना वायरस से संक्रमित होगा.

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क्या सोशल डिस्टैंसिंग सेक्स पार्टनर पर भी लागू होता है?

बिलकुल. अगर सेक्स पार्टनर को सूखी खांसी, छींक अथवा नाक बहने के लक्षण हैं तो उस के साथ सेक्स करने से बचना चाहिए और अलग क्वारेंटीन करना चाहिए.

क्या फेस मास्क लगा कर सेक्स किया जा सकता है? यह कितना सेफ है?

सेक्स पार्टनर अगर कोरोना वायरस से संक्रमित है तो उस के साथ सेक्स संबंध बनाने से परहेज करें. इस दौरान दूसरे पार्टनर को भी इफैक्ट होने का चांस हो सकता है. इस का फेस मास्क से कोई लेनादेना नहीं है.

क्या ओरल सेक्स से भी कोरोना वायरस के फैलने का खतरा है?

कोरोना वायरस से संक्रमित सेक्स पार्टनर से ओरल सेक्स सेफ नहीं माना जा सकता क्योंकि इस प्रकिया में भी डीप टच होता है और पूरी संभावना है कि इस से दूसरा भी संक्रमित हो जाए. इसलिए यह कह सकते हैं कि ओरल सेक्स भी पूरी तरह सेफ नहीं है.

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इस समय सेक्स संबंध बनाने से पहले क्या करना चाहिए?

पार्टनर के साथ सेक्स करने से पहले हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बैडरूम में जाने से पहले कपड़े बदल लें. बेहतर होगा कि बाहर से आने के बाद चप्पलें आदि भी बदल लें. खुद को सैनिटाइज कर नहा लेना चाहिए. सब से जरूरी है कि अगर पार्टनर में कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण दिखें तो बेहतर है कि अलगअलग रहें और चिकित्सक से संपर्क करें.

-डा. एल बी प्रसाद एमबीबीएस, एमडी, सीनियर कंसल्टैंट, फिजीशियन ऐंड डाइबेटोलोजिस्ट से बातचीत पर आधारित

मैं इन दिनों घर से बाहर निकलता हूं तो चिंता छाई रहती है कि कहीं मैं भी कोरोना पॉजिटिव हो गया?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवक हूं. आजकल जैसी हालत है उस में घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं. लेकिन औफिस खुल गया है, नौकरी करनी भी जरूरी है तो घर से बाहर निकलता हूं.  पर, हमेशा मनमस्तिष्क पर चिंता छाई रहती है कि कहीं मैं भी कोरोना पौजिटिव हो गया और मुझ से घरवालों को हो गया तो क्या होगा. घर छोटा है, तो होम क्वारंटीन भी नहीं हो सकते. अस्पताल जाना ही पड़ेगा और फिर अस्पताल का खर्च भी तो उठाना पड़ेगा. दिमाग बड़ा परेशान रहता है, क्या करूं?

जवाब

सब से पहले तो हम यही कहेंगे कि अपनी सोच पौजिटिव रखें. आप यंग हैं, समझदार हैं, पढ़ेलिखे हैं. इतना पढ़सुन रहे हैं कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सिर्फ सावधानी की जरूरत है. अगर आप जागरूक हैं और सावधानी के साथ आगे कदम बढ़ा रहे हैं तो इस संकट की घड़ी में आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.

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कुछ बातों का ध्यान रखें, जैसे घर से बाहर निकलें तो मास्क पहने रहें. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें. यदि जाएं तो मास्क बिलकुल न उतारें, न उसे हाथों से बारबार छुएं. अपने हाथ साफ करते रहें, इसलिए सैनिटाइजर अपने साथ ही कैरी करें. लिफ्ट या गेट खोलने के लिए कुहनी का इस्तेमाल करें. अच्छा यह रहेगा कि अपने साथ टिशूपेपर ले कर चलें. इस्तेमाल हुए टिशू को तुरंत डस्टबिन में डाल दें. छींकते या खांसते समय अपने मुंह को टिशू से ढक लें. बारबार चेहरे पर हाथ लगाने से बचें. सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को नजरअंदाज न करें. लोगों से उचित दूरी बनाए रखें. इस बात का ध्यान रखें कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है.

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सेक्स टॉयज को देश में खुलेआम बिकने देना चाहिए: डाक्टर प्रकाश कोठारी

डाक्टर प्रकाश कोठारी को ‘फादर औफ सैक्सोलौजी स्टडी इन इंडिया’ कहते हैं. वे सेठ जीएस मैडिकल कालेज और केईएम हौस्पिटल, मुंबई में शुरू किए गए देश के पहले ‘सैक्सुअल मैडिसिन डिपार्टमैंट’ के संस्थापक प्रोफैसर रहे हैं.

साल 1981 में पीएचडी हासिल करने वाले डाक्टर प्रकाश कोठारी सातवीं वर्ल्ड कांग्रेस औफ सैक्सोलौजी (1985) और इंटरनैशनल कौंफ्रैंस औफ और्गज्म (1991) के अध्यक्ष रहे हैं और वर्ल्ड एसोसिएशन फोर सैक्सुअल हैल्थ (डब्ल्यूएएस) की सलाहकार समिति के संस्थापक सदस्य हैं.

वे पिछले 40 साल से सैक्सुअल मैडिसिन में प्रैक्टिस कर रहे हैं यानी सैक्स संबंधी समस्याओं का आधुनिक दवाओं से इलाज कर रहे हैं. अब तक उन्होंने तकरीबन 60,000 मरीजों का इलाज किया है.

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पिछले दिनों उन के मुंबई में चर्नी रोड पर बने क्लिनिक सुख सागर में सैक्स संबंधी कई विषयों पर बात की गई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट और हर तरह की मीडिया में आने वाली खबरों से लगता है जैसे देश में सैक्स अपराधों का खौफनाक तूफान आया हुआ है. हर 29 मिनट में देश में एक रेप हो रहा है. आखिर इस सब की वजह क्या है?

देखिए, वजह सोशल मीडिया हो या कुछ और, इन दिनों हर तरफ सैक्स की बातें हो रही हैं. इस सब के चलते माहौल में कामेच्छा का उभार आ गया है. लेकिन यह कामेच्छा चैनेलाइज कैसे हो, यह सिर्फ सैक्स ऐजूकेशन सिखा सकती है, जो है नहीं या सही से लागू नहीं है. दूसरी बात यह है कि उभरी हुई इस कामेच्छा को रिलीज करने के लिए वैकल्पिक उपाय नहीं हैं, इसलिए लोग उन्माद में कामेच्छा को रिलीज करने के लिए सैक्स अपराध कर रहे हैं.

तो क्या आप यह कहना चाहते हैं कि उभरी हुई कामेच्छा को रिलीज करने के लिए वैकल्पिक उपाय होने चाहिए, नहीं तो सैक्स अपराध होते रहेंगे?

जी, हां. देखिए, कामेच्छा को दबाने के हमारे पास 2 ही उपाय हैं, पहला ब्रह्मचर्य, जो आमतौर पर मुमकिन नहीं होता. वैसे, ब्रह्मचर्य गलत शब्द है, कहना चाहिए सैक्स में अलिप्त रहना. दूसरा है अल्टरनेटिव सैक्सुअल बिहेवियर यानी हस्तमैथुन को अपनाना. लेकिन अफसोस की बात यह है कि हस्तमैथुन के बारे में समाज में गलतफहमी बहुत है. यह गलतफहमी तब तक बनी रहेगी जब तक सही तरीके से लोगों को सैक्स ऐजूकेशन नहीं दी जाएगी.

लोग हस्तमैथुन को ले कर गलतफहमी का शिकार क्यों रहते हैं?

क्योंकि लोगों को लगता है कि हस्तमैथुन से उन में कमजोरी आ जाती है. यह समझने की बात है कि जब सहवास से शरीर में कमजोरी नहीं आती, बल्कि ताजगी आती है, तो भला हस्तमैथुन से कैसे आ जाएगी? आखिर सहवास भी मैथुन है और हस्तमैथुन कृत्रिम मैथुन है. अगर लोगों को यह बात सही तरीके से समझा दी जाए तो वे सैक्स के लिए क्राइम करने के बजाय हस्तमैथुन या दूसरे कृत्रिम उपायों को अपना कर संतुष्ट हो जाएंगे.

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हस्तमैथुन पार्टनर रहित शख्स के लिए सैक्स का एक अच्छा औप्शन है. सैक्स ऐजूकेशन सही ढंग से दी जाए तो समाज में रेप की संख्या कम हो सकती है. दुनिया के जिन भी देशों में सैक्स ऐजूकेशन सही ढंग से दी गई है, वहां एचआईवी एड्स, बढ़ती हुई आबादी और रेप की संख्या में काफी कमी आई है. उदाहरण के लिए स्वीडन.

इस समय, जबकि सैक्स अपराध बहुत ज्यादा बढ़े हुए हैं, इन्हें कम करने के लिए आप सरकार को तात्कालिक उपाय क्या सुझा सकते हैं?

जब ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसा कार्यक्रम सुपरडुपर हिट हो सकता है. कश्मीर से ले कर कन्याकुमारी तक लोग उसे चाव से देख सकते हैं तो सैक्स तो और भी दिल के करीब का विषय है. अगर मर्यादित भाषा और सही तौरतरीके से सैक्स के बारे में लोगों को जानकारियां दी जाएं तो निश्चित रूप से लोगों में जागरूकता आएगी. लेकिन यह काम सरकार को करना होगा, क्योंकि जब कोई काम सरकार करती है तो उस में एक खास किस्म की ग्रैविटी होती है.

एक बात मैं जोर दे कर कहना चाहूंगा कि यह काम होगा टैलीविजन के माध्यम से ही, क्योंकि आज टैलीविजन खासकर सरकारी टैलीविजन की गांवगांव, घरघर तक पकड़ है. मैं तो यह भी कहूंगा कि यह कई तरह से फायदे वाला काम होगा.

क्या आप ने कभी ऐसा कोई सुझाव भारत सरकार को दिया है?

मुझ से किसी ने संपर्क नहीं किया. हां, जब शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति थे, उस समय मैं ने जरूर सुझाव दिया था और तब की सरकार ने उस पर अमल करने की बात भी कही थी, लेकिन सरकार बदली और सब बदल गया.

आप को क्या लगता है, रेप के खिलाफ कठोर कानून होने के बावजूद सैक्स अपराधों में कोई कमी क्यों नहीं आती है?

देखो, कानून चाहे जितना सख्त बना लीजिए मुझे नहीं लगता कानून से कभी सैक्स अपराधों में कोई कमी आएगी. अगर वास्तव में सही तरीके से फर्क हासिल करना है तो वास्तविक सैक्स ऐजूकेशन का प्रचारप्रसार करना ही होगा यानी दिल के तारों को टटोलना होगा.

देखिए, अज्ञान से विकृत कौतूहल में इजाफा होता है और ज्ञान से विकृत कौतूहल कम होता है. मतलब यह कि अगर आप लोगों को सही ज्ञान दें तो उन के अंदर का विकृत कौतूहल कम हो जाएगा.

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हस्तमैथुन के अलावा और कौन से कृत्रिम सैक्स के उपाय हो सकते हैं, जिन को बढ़ावा दे कर सैक्स अपराधों को कम किया जा सकता है?

सैक्सुअल टौयज भी ऐसे उपायों में शामिल हो सकते हैं. वे विदेशों में सैक्स की जरूरत को पूरा करने का बहुत बड़ा जरीया हैं.

भारत में भी सैक्स टौयज मिलते हैं लेकिन चोरीछिपे. सरकार को इन्हें न केवल खुलेआम बिकने देना चाहिए, बल्कि इन को बढ़ावा देना चाहिए। याद रखिए, सैक्स की ऊर्जा को कोई कम नहीं कर सकता. हम सब लोग एक ऐसी उम्र से गुजरे हैं या गुजरते हैं जब सैक्स की ऊर्जा अपने नैतिक मूल्यों के दबाव में और ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे समय में कोई कितना ही पढ़ालिखा क्यों न हो, फिसल जाएगा.

आज तो ‘लाइफ साइज डौल’ मुहैया हैं. सरकार को बाकायदा इन के लिए खास इमारतें बनानी चाहिए और ऐसे संभोग को बढ़ावा देना चाहिए जिस से रेप और एचआईवी जैसी बीमारी पर रोक लग सके.

सैक्स जैसे विषय में लोगों की बहुत कम जानकारी या अज्ञानता के पीछे कहीं न कहीं सांस्कृतिक वजह भी शामिल नहीं है? मसलन बंद संस्कृति वाले देशों, क्षेत्रें में सैक्सुअल कट्टरता कहीं ज्यादा है खासकर कौमार्यता और पवित्रता को ले कर?

सही कहा. भारत, भारतीय उपमहाद्वीप और तमाम एशियाई देशों में कौमार्यता आज भी एक बड़ी नासमझी है. यह पूरी तरह से गलतफहमी है कि पहली बार हमबिस्तरी करोगे तो खून निकलेगा ही. मैं ने तो इस धारणा के चलते तमाम शादियों को टूटते देखा है. निश्चित रूप से यह सांस्कृतिक कट्टरता है, लेकिन मैं फिर कहूंगा कि यह कट्टरता गलतफहमी और नासमझी की देन है. ऐसी सांस्कृतिक कट्टरताओं या धारणागत जड़ताओं का निदान भी सैक्स ऐजूकेशन ही है.

वैसे, इस सब के बीच में मैं एक बात अपने अनुभव से कहूंगा कि भारत ऐसा देश है, जहां मुहब्बत की आखिरी मंजिल तो हमबिस्तरी हो सकती है, लेकिन हमबिस्तरी की आखिरी मंजिल मुहब्बत नहीं है.

मैं ने ऐसे जोड़े देखे हैं जिन में सुहागरात से ले कर 25-25, 30-30 साल तक कोई शारीरिक संबंध नहीं बने, लेकिन शादियां बनी रही हैं, टूटी नहीं हैं. विदेशी इसे सच के रूप में स्वीकार ही नहीं कर पाते.

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क्या गर्लफ्रेंड रखना आसान काम है?

हर जवान की इच्छा होती है कि उस की कोई गर्लफ्रैंड हो. आजकल गांवकसबों में लड़केलड़कियों को मिलने के इतने मौके मिलने लगे हैं कि आसानी से गर्लफ्रैंड बन जाती हैं. पर आज के छोटे शहरों, कसबों और गांवों की लड़कियां भोलीभाली नहीं हैं. वे अपनी कीमत जानती हैं. वे लड़कों से ज्यादा पढ़ रही हैं. वे लड़कों से ज्यादा हुनरमंद हैं. घरों में रहते हुए भी उन्हें पैसे की कीमत मालूम है.
आज गांवों की लड़कियों को भी काम के मौके मिलने लगे हैं. थोड़ी पढ़ाई हो, थोड़ा काम तो उम्मीदों के पंख लग जाते हैं. शहर जा कर मौल में खाना और पिक्चर देखना, स्मार्ट फोन खरीदना, डाटा चार्ज कराना, घरेलू रोटी, शरबत की जगह बर्गर, पिज्जा और कोक लेना वे जानती हैं और इन सब का भुगतान बौयफ्रैंड ही करेगा, वे यह भी जानती हैं.
आज की लड़कियां अपने साथ की कीमत भी जानती हैं और अपने बदन की भी. उन्हें अगर सैक्स पर कोई एतराज न हो तो वे यह भी जानती हैं कि यह चीज कीमती है. वे इस की कीमत लेना शादी तक नहीं टालना चाहतीं. उन्हें आज ही चाहिए और इसीलिए लड़कों को मरखप कर कमा कर, चोरी कर के गर्लफ्रैंड के लिए पैसा जमा करना ही होता है. घरों में लड़की को आज भी कमतर माना जाता है पर लड़कियां फिर भी जुगत भिड़ा कर आसमान में उड़ने के लिए एक साथी को ढूंढ़ने से कतराती नहीं हैं और इस साथी को ही पंखों को हवा देनी होती है.
दिल्ली में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में एक लड़के ने अपनी गर्लफ्रैंड के खर्च उठाने के लिए 7 महीने का एक बच्चा ही अगवा कर लिया और 40 लाख रुपयों की मांग कर डाली. इस नौसिखिए अपराधी कोपकड़ लिया गया पर वह बक गया कि इस तरह का जोखिम उस ने क्यों लिया था.

लड़कियों की खातिर गलियों में आएदिन मारपीट होती रहती है. लव जिहाद का शिगूफा इसीलिए उठाया गया है क्योंकि हिंदू लड़कियों को मुसलिम लड़के भाते हैं जो मेहनती हैं, काम करना जानते हैं और हिंदू लड़कों के मुकाबले ज्यादा तहजीब वाले हैं. मुसलमानों में लड़कियों को बहुत आजादी नहीं है. परदा है, बुरका है पर फिर भी धार्मिक कानूनों में वे बराबर की सी हैं. उन के बीच पलेबढ़े हुए लड़के हिंदू निकम्मों से ज्यादा बेहतर हैं.

फिर हिंदू दलित लड़कियां सुंदर हों तो हिंदू लड़के गर्लफ्रैंड नहीं बनाना चाहते, बस उन से सैक्स चाहते हैं, राजीराजी या जबरन. लव जिहाद का शिगूफा हिंदू लड़कों की पोल खोल रहा है कि आखिर क्यों हिंदू लड़कियां मुसलिम लड़कों को मरने तक की हद तक चाहने लगी हैं.

गर्लफ्रैंड चाहे हिंदू हो या मुसलिम पालना आसान नहीं है. आज शादी की उम्र टल रही है. 30-35 साल तक की उम्र के लड़के भी एक छत पा सकने लायक नहीं कमा पा रहे. उन्हें गर्लफ्रैंड ही चाहिए क्योंकि शादी कर नहीं सकते, घर ला नहीं सकते. दोजनी मोदीशाहसरकार को वैसे तो समाज की बड़ी चिंता है पर उस के लठैतों की क्या बुरी हालत समाज में है, उस की कोई फिक्र नहीं. इसलिए गर्लफ्रैंड बनाओ, खर्च करो, रोओ, लड़कोंकेलिए यही बचा है.

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मेरा बॉयफ्रैंड बिना बात किए नहीं रह सकता इसकी वजह से उसकी पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो रही है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 19 साल की हूं और अपने से 2 साल बड़े लड़के से प्यार करती हूं. हम ने कई बार सैक्स का आनंद भी उठाया है. वह मुझे बहुत प्यार करता है और मुझ से शादी करना चाहता है. उस के घर वालों को भी कोई ऐतराज नहीं है पर मेरे घर वाले तैयार नहीं हो रहे, क्योंकि वह अलग जाति का है और मैं अलग जाति की. हमारे रिश्ते के बारे में घर वालों को पता चला तो मेरी पढ़ाई छुड़वा दी और मोबाइल भी ले लिया. फिर भी मैं लड़के से चोरीछिपे बात कर लेती हूं. बौयफ्रैंड मुझ से बिना बात किए नहीं रह सकता. इस की वजह से उस की पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो रही है. वह कह रहा है कि अगर घर वाले नहीं मान रहे तो अभी रुको, 4 साल बाद
जब मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो हम शादी कर लेंगे. मगर इस दिल को कैसे तसल्ली दूं, जो दिनरात उसी के लिए धड़क रहा है? बताएं मैं क्या करूं?

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जवाब

अभी आप की उम्र काफी छोटी है. यह उम्र पढ़लिख कर कुछ बनने की होती है. मगर आप कच्ची उम्र में ही गलती कर बैठीं. यहां तक कि जिस्मानी संबंध भी बना लिए. आप के पेरैंट्स का सोचना सही है. वे भी यही चाहते होंगे कि पहले आप अपने पैरों पर अच्छी तरह खड़ी हो जाएं, कैरियर बना लें तभी शादी की सोचेंगे.
खैर, जो होना था सो हो गया. अब समझदारी इसी में है कि आप पहले अपने घर वालों को विश्वास में ले कर अपनी पढ़ाई जारी रखें. बौयफ्रैंड को भी अपना कैरियर बनाने दें.

अगर वह 4 साल इंतजार करने को कह रहा है तो उस का सोचना भी सही है. अगर वह आप से सच्ची मुहब्बत करता है तो 4 साल बाद ही सही, आप से जरूर विवाह करेगा. रही बात एकदूसरे की जाति अलगअलग होने की, तो आज के समय में ये सब दकियानूसी बातें हैं. समाज में ऐसी शादियां खूब हो रही हैं.

देरसवेर आप के पेरैंट्स भी मान जाएंगे. अगर न मानें तो आप दोनों कोर्ट मैरिज कर सकते हैं. फिलहाल यही जरूरी है कि आप दोनों ही अपनेअपने कैरियर पर ध्यान दें.

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मैं सिलाईकढ़ाई के लिए अपनी संस्था खोलना चाहती हूं, कृपया सुझाव दें

सवाल

मैं 31 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. मैं सिलाईकढ़ाई में माहिर हूं और अपनी एक संस्था बना कर इस काम को आगे बढ़ाना चाहती हूं. साथ हीमैं चाहती हूं कि गरीब घर की लड़कियां यह काम सीख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं. इस काम की शुरुआत कैसे की जाए?

जवाब

आप अपना छोटा सा सैंटर बना कर इस की शुरुआत कर सकती हैं. इस के लिए 2-4 मेहनती लड़कियों को जोड़ें और काम शुरू कर दें. इसे 25-30 हजार की मामूली रकम से भी आप शुरू कर सकती हैं.

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शुरुआती दिक्कत काम का जुगाड़ करने और कपड़े बेचने की आएगी. इस के लिए आप को संबंध बढ़ाने होंगे. छोटे स्कूलों की यूनिफौर्म सिलने का काम हासिल करें और क्वालिटी का काम कर के दें. इस से कामयाबी मिलेगीक्योंकि आप का इरादा नेक है. ह्वाट्सएप ग्रुप बना कर या शहर में अपनी संस्था के परचे बांट कर भी काम मिल सकता है. 

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मैं कराटे खेल में अपनी करियर बनाना चाहता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 15 साल का एक गरीब घर का लड़का हूं. मुझे कराटे खेल से बड़ा लगाव है और इस कला में मैं कई मैडल भी जीत चुका हूं. मैं इस खेल में आगे जाना चाहता हूं, पर मुझे इस की ज्यादा जानकारी नहीं है. मुझे सही राह दिखाएं.

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जवाब

आप अपने शहर के खेल एवं युवा कल्याण विभाग जा कर संपर्क करें या फिर स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर से जानकारी हासिल करें. अगर कोई कोच मिल जाएतो उस से सीखें.

कोई बड़ा प्राइवेट स्कूल आप के कोच का खर्च उठा सकता है. इसे स्पौंसर करना भी कहते हैं. इस के लिए आप अपने मैडल और सर्टिफिकेट ले कर प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों से मिल कर अपनी ख्वाहिश जाहिर करें.

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