अतरंगी अंदाज में दिखे शिल्पा के पति राज कुंद्रा हुए बुरी तरह ट्रोल

बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा  अपने एक फैशन सेंस को लेकर चर्चाओं में है. बीते साल काफी सुर्खियां बटोरने वाले राज कुंद्रा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा, जिसमें वो मीडिया के सामने ऐसा रूप लेकर आए कि जिसने भी देखा वो दंग रह गया. कइयों को तो इस  बात का यकीन ही नहीं हुआ कि वो वाकई में राज कुंद्रा ही हैं.

इस वीडियो में राज कुंद्रा ने काले रंग की जैकेट पहने नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही राज चश्मा पहने भी नजर आ रहे हैं. लेकिन खास बात यह थी कि उन्होंने अपनी इस जैकेट से अपना पूरा चेहरा ढका हुआ था, जिसकी वजह से कोई भी उनकी शक्ल देख नहीं पा रहा था. वीडियो में राज कुंद्रा को पहचानना मुश्किल है.

बुरी तरह ट्रोल हुए राज

इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ट्रोल करते नजर आ रहे हैं.

वीडियो को देख नेटिजन्स एक बार फिर राज कुंद्रा और उनके पॉर्नोग्राफिक केस के बारे में बातें करते नजर आ रहे हैं. राज के इस वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, ऐसा काम करते ही क्यों हो जो मुंह छुपा ना पड़े.

वहीं एक और यूजर ने लिखा, ये तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहा. जबकि एक अन्य यूजर ने कमेंट करते हुए कहा, ऐसा काम करोगे तो मुंह छुपा ही पड़ेगा.

पिछले साल गए थे जेल

बता दें कि बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी  के पति और जाने-माने बिजनेसमैन राज कुंद्रा  बीते साल काफी सुर्खियों में थे. दरअसल राज को अश्लील फिल्में बनाने के आरोप में 19 जुलाई 2021 मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हिरासत में लिया था. इस दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि राज कुंद्रा बीते डेढ़ साल में करीब 100 से ज्यादा अश्लील फिल्में बना चुके थे. मामले में करीब 2 महीने जेल में बंद रहने के बाद सितंबर में राज कुंद्रा को जमानत मिली थी.

जुबिन नौटियाल की दुल्हन बनेंगी ‘Kabir Singh’ की ये एक्ट्रेस

बॉलीवुड के मशहूर सिंगर जुबिन नौटियाल अपने गानों के कारण तो सुर्खियों में रहते ही हैं, लेकिन हाल ही में उन्हें लेकर यह खबर आई है कि वह ‘कबीर सिंह’ और ‘द बिग बुल’ एक्ट्रेस निकिता दत्ता  के साथ शादी के बंधन में बंध सकते हैं. दोनों को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि वह उत्तराखंड की वादियों में सात फेरे लेंगे. इसके साथ ही यह भी अफवाह है कि दोनों के परिवार एक-दूसरे से मिल चुके हैं, साथ ही शादी की प्लानिंग के लिए जुबिन नौटियाल एक्ट्रेस निकिता दत्ता के घर भी आए थे.

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ज़ुबिन और निकिता को अक्सर एक साथ रेस्त्रां और एयरपोर्ट पर देखा गया था .इसके साथ ही दोनों एक-दूसरे की सोशल मीडिया पोस्ट पर भी खूब कमेंट करते हुए नजर आते थे. हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट से एक फोटो शेयर की थी, जिसमें वह वादियों का लुत्फ उठाती नजर आई थीं. इस फोटो को शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा था, “मैं अपनी आत्मा इन पहाड़ों में छोड़ आई हूं।”

निकिता के इस पोस्ट पर ज़ुबिन ने बड़े रोमांटिक अंदाज़ में कमेंट करते हुए लिखा “क्या आप अपना दिल भी यहां भूल आई थीं?” ज़ुबिन के इस कमेंट से फैंस ने अंदाज़ा लगाना शुरू कर दिया. कई यूजर ने तो उनसे कमेंट में यह तक पूछ लिया था कि वे शादी कब कर रहे हैं?

बता दें कि जुबिन नौटियाल और निकिता दत्ता की मुलाकात ‘कबीर सिंह’ के सेट पर हुई थी. इस फिल्म में जहां निकिता दत्ता ने शाहिद कपूर के साथ मुख्य भूमिका अदा की थी तो वहीं जुबिन नौटियाल ने फिल्म के कई गाने गाए थे.

दोनों की शादी की खबरें भले ही चर्चा का विषय बनी हों, लेकिन इस बात पर दोनों की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.

सनी लिओनी ने सोशल मीडिया पर दिखाए अपने जख्म

बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी एक बार फिर से ओटीटी पर धमाकेदार वापसी करने जा रही हैं. सनी लियोनी की वेब सीरीज अनामिका 10 मार्च को रिलीज़ हो रही है.

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‘अनामिका’ ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर स्ट्रीम की जाएगी.फिल्म रिलीज़ से पहले सनी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल इंस्टाग्राम पर ‘अनामिका’ का जमकर प्रमोशन किया है.

हाल ही में एक्ट्रेस ने अनामिका की ऐसी तस्वीर शेयर की है जिसे देखकर आपके रोंगटे ख़ड़े हो जाएंगे. एक्ट्रेस लगातार अपने इंस्टाग्राम पर कुछ ऐसी फोटोज़ शेयर कर रही हैं जिनमें उनके शरीर और चेहरे पर जख्मों के निशान दिख रहे हैं.

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एक फोटो में सनी हॉस्पिटल के बेड पर लेटी हुई हैं और उनके चेहरे से लेकर पीठ तक पर चोट के निशान नज़र आ रहे हैं.

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सनी लियोनी की ‘अनामिका’ वेब सीरीज के 8 एपिसोड स्ट्रीम किए जाने हैं, जिसमें उनके साथ समीर सोनी , सोनाली सहगल , राहुल देव , शहज़ाद शेख और अयाज़ खान जैसे स्टार्स लीड रोल में नजर आएंगे.

सुधांशु सरिया की फिल्म ‘सना’ मुख्य भूमिका निभायेंगी  राधिका मदान 

भारतीय सिनेमा में महिला प्रधान फिल्मों का सिलसिला चल रहा है और इसी में अगली कड़ी जोड़ते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म मेकर सुधांशु सरिया के प्रोडक्शन हाउस ‘फोर लाइन एंटरटेनमेंट’ ने अपनी आने वाली अगली फीचर फिल्म ‘सना’ की घोषणा की है.

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सुधांशु सरिया अपनी आगामी फिल्म के निर्माता, निर्देशक और लेखक भी है, जिसमें मुख्य रूप से राधिका मदान होगी. सरिया का यह पहला आत्मनिरीक्षण ड्रामा फिल्म है. राधिका मदान अभिनीत इस फिल्म का प्री-प्रोडक्शन काम अब पूरे जोरों से चालु है और जल्द ही फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएँगी.

निर्माता-निर्देशक-लेखक सुधांशु सरिया कहते है कि  “मैं हमेशा ऐसी फिल्में बनाने में विश्वास करता हूँ, जो गुणवत्ता में महत्वाकांक्षी और अपने दमदार कहानी से लोगों में कुछ अच्छा संदेश फैलाए. मैंने इस सपने को सात साल से संजो कर रखा है. मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात है मेरे द्वारा रचे गए किरदार में राधिका मदान जान डालेगी. फिल्म एक शक्तिशाली विषय पर है और मुझे उम्मीद है कि यह दुनिया भर के दर्शकों को अपने आप से जोड़ पाएंगी. मुझे पूरा विश्वास  है कि यह फिल्म उन लोगों को सोचने पर मजबूर कर देगी जो बहुत ही आसानी से महिलाओं पर प्रश्न चिन्ह लगा देते है.”

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इस पर राधिका मदान कहती है कि , “एक कलाकार  के रूप में मैं हमेशा से प्रभावशाली किरदार निभाने की तलाश में रहती हूं, जो थोड़ा अलग हो. ‘सना’ आज के मुंबई में स्थापित एक मजबूत और महत्वाकांक्षी महिला की यात्रा पर आधारित है. वह एक दमदार प्रोटॅगनिस्ट है जो कि बहुत ही जटिल है और लोग उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे. फिल्म की विचारधाराएं मेरे अपने विचारों को बहुत अधिक दर्शाती है, बस यही बात थी जिसके वजह से मैंने इस फिल्म को करने के लिए हाँ कह दिया.”

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फोर लाइन एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित, सुधांशु सरिया द्वारा निर्देशित और लिखित और राधिका मदान अभिनीत, ‘सना’ की शूटिंग जल्द ही शुरू हो जाएँगी. हाल ही में सरिया की जंगली पिक्चर्स के साथ एक महिला-नेतृत्व वाली जासूसी ‘उलज’ का निर्देशन करेंगे इसकी घोषणा हुई .अमेज़ॅन प्राइम के लिए एक सीरीज  ‘मासूम’ का लेखन, सह-निर्देशन और शो रनिंग भी कर रहे है, इसके अलावा वे नेटफ्लिक्स के लिए ‘दिल्ली क्राइम सीजन 3’ का सह-निर्माण और लेखन कर रहे है.

शाहिद कपूर की बहन बनीं दुल्हन, ननद की शादी में दिखा भाभी मीरा राजपूत का स्टाइलिश अंदाज

बीती रात बॉलीवुड स्टार पंकज कपूर की बेटी सना कपूर सीमा पाहवा के बेटे मयंक के साथ शादी के बंधन में बंध गई. शादी के बाद से ही सोशल मीडिया पर सना कपूर और मयंक पाहवा की शादी की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. सना कपूर बॉलीवुड स्टार शाहिद कपूर की बहन भी हैं. वहीँ मयंक पाहवा भी बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता और अभिनेत्री सीमा और मनोज पाहवा के सुपुत्र हैं.

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ऐसा दिखा दुल्हन का अंदाज


सना कपूर ने अपनी शादी के दिन स्काई ब्लू और रेड कलर का लहंगा पहना था. वहीं मयंक पाहवा ब्लैक लुक में नजर आए. दोनों ने शादी के लिए महाबलेश्वर की एक खूबसूरत लोकेशन को चुना था.

ननद की शादी में दिखा मीरा राजपूत का अलग अंदाज़

अपनी ननद की शादी में मीरा राजपूत काफी अलग अंदाज़ में नज़र आई. मीरा शादी में व्हाइट कलर की खूबसूरत साड़ी पहन कर पहुंची थीं. शाहिद कपूर ने शादी की रस्मों के दौरान वाईफ मीरा के साथ जमकर पोज़ दिए. फोटोज़ में दोनों बॉलीवुड कपल कमाल के लग रहे थे.

बहन की विदाई पर इमोशनल हुए शाहिद कपूर (Shahid Kapoor)


बहन की विदाई के समय शाहिद कपूर काफी इमोशनल हो गए. शाहिद कपूर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करके दिल का हाल बयां किया.
शाहिद कपूर ने लिखा, ‘समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. मेरी बिट्टो अब दुल्हन बन गई है. मेरी बहन बड़ी हो गई है. इस नई शुरूआत के लिए मैं तुमको बधाई देता हूं.’

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फैंस भी दे रहे हैं सना कपूर (Sanah Kapoor) और मयंक पाहवा (Mayank Pahwa) को बधाई
फैंस लगातार सना और मयंक को शादी की बधाई देते हुए उनके खूबसूरत भविष्य की कामना कर रहे हैं.

हिप हॉप क्वीन राजा कुमारी ने रिलीज किया अपने हिट गानों का कलेक्शन

राजा कुमारी विश्व स्तर पर सबसे अधिक दिखाई देने वाली हिप-हॉप आवाज के रूप में अपनी जगह बनाई हुई हैं और वह संगीत बनाने के लिए जानी जाती हैं जो उनकी अमेरिकी परवरिश को उनकी भारतीय जड़ों के साथ जोड़ती है. राजा कुमारी ने एक बैंड के साथ प्रस्तुत अपने पिछले गीतों का संकलित संस्करण जारी किया है. द कैटलॉग रीइमेजिनेड शीर्षक से, राजा कुमारी आपको 30 मिनट की एक बहुत ही मधुर और प्रेरक अनुभव यात्रा की ओर ले जाएगी. ग्रैमी-नॉमिनेटेड रैपर पूरे भारत के दर्शकों के लिए गोवा में लाइव परफॉर्म करती नजर आएंगी.

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वीडियो में, राजा कुमारी एक रेशमी सफेद रंग की स्लिट ड्रेस पहने हुए दिखाई दे रही है, इसे सफेद फूलों के साथ बालों में एक्सेसरीज की तरह लगाया गया है। अपने सफ़ेद पहनावे में रंग जोड़ते हुए, राजा कुमारी ने इसे नीले झुमके और एक स्टेटमेंट बिंदी के साथ पूरा किया है. राजा कुमारी के कई उल्लेखनीय गीत हैं जिसमें जजमेंटल है क्या से द वखरा स्वैग, ज़ीरो से हुस्न परचम, द कम अप से द सिटी स्लम्स, जिन्होंने हम सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया है. नवीनतम वीडियो गीत में द कम अप, आई डिड इट, कौन है तू, शांति, मीरा, बिंदी और चूड़ियां, एनआरआई, अटेंशन एवरीबॉडी, कर्मा, बिलीव इन यू, म्यूट, शुक और सिटी स्लम सहित उनके हिट गाने शामिल हैं.

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अपने उत्साह को व्यक्त करते हुए, राजा कुमारी कहती हैं, “यह एक कठिन समय था जब कोई संगीत कार्यक्रम नहीं हो रहा था, मुझे लगा कि दूसरा लॉकडाउन होने से पहले दुनिया कोई संगीत का उपहार देना चहिए.

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संगीत रिकॉर्ड किया गया था और लॉकडाउन के दौरान हम एडिटिंग और मिक्सिंग में जुटे हुए थे. यह मेरे पसंदीदा गानों में से एक है, गोवा में एक लाइव बैंड के साथ प्रदर्शन करने का एक अद्भुत अनुभव था. 30-मिनट में वे हिट शामिल हैं जिन्हें दुनिया भर के श्रोताओं ने पसंद किया है. मैं इसी बैंड के साथ पूरे भारत में अपने लाइव कॉन्सर्ट टूर की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. मैं स्टूडियो अलंकरण के बिना श्रोताओं के साथ लाइव संगीत साझा करने में सक्षम होने के लिए खुश और आभारी हूं। यह एक संगीतमय भेंट हैं।”

राहुल तिवारी: वेटर से फिल्म एडिटर…

राइटर- सुनील शर्मा

जब भी फिल्मों की बात होती है, तब आम लोगों का ध्यान स्टार हीरो हीरोइन समेत दूसरे बड़े कलाकारों पर ही रहता है, पर जब कभी किसी फिल्म की समीक्षा की जाती है, तब यह भी देखा जाता है कि अमुक फिल्म के एडिटर ने कैसी काटछांट की है और उस पर फिल्म को उम्दा बनाने का सब से ज्यादा बोझ रहता है, क्योंकि जब कोई फिल्म बनती है तब उस की लंबाई बहुत ज्यादा होती है, पर उसे रोचक कैसे रखना है और किस सीन पर पब्लिक सीटी बजाएगी और किस सीन पर सिर पीट लेगी, इस की पूरी समझ एडिटर को होनी चाहिए.

आज हम आप की मुलाकात एक ऐसे ही फिल्म एडिटर राहुल तिवारी से कराते हैं, जिन की जिंदगी का सफर भी फिल्मी रहा है. एक समय मुंबई में गुजरबसर करने के लिए उन्होंने फिल्म कलाकारों को वेटर के रूप में खाना भी खिलाया है. आज उन्हीं के बीच वे फिल्म की एडिटिंग करते हैं, अपनी अदाकारी का हुनर दिखाते हैं और डायरैक्टर की सीट पर भी बैठते हैं. वे उन लोगों को चुप करा देते हैं, जिन्होंने बचपन में उन्हें ‘नचनिया’ कहा था.

‘नचनिया’ क्यों कहा

राहुल तिवारी का जन्म 2 दिसंबर, 1982 को इलाहाबाद के एक आम परिवार में हुआ था. उन के पिता की एक साधारण सी नौकरी थी. उन की प्राइमरी तक की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर से हुई थी और आगे 12वीं तक की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की थी. उन्होंने ग्रेजुएशन पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से की थी, पर उन का रझान बचपन से ऐक्टिंग की तरफ रहा था, तभी तो उन्होंने ‘इलाहाबाद उत्तरमध्य सांस्कृतिक केंद्र’ से थिएटर किया था. इस के बाद वे इलाहाबाद आकाशवाणी से जुड़े, जहां वे कवि गोष्ठी, नाटक वगैरह करते थे. राहुल तिवारी ने बताया, ‘‘जब से मैं खुद को जानता हूं, तब से मेरे भीतर सिनेमा को ले कर लगाव है. मुझे फिल्म डायरैक्टर बनना था और अच्छा डायरैक्टर बनने के लिए फिल्म एडिटिंग भी आनी चाहिए. ‘‘मैं ने बचपन में स्कूल का कोई नाटक नहीं छोड़ा. मेरा नाम पहले से ही लिस्ट में शामिल होता था. 26 जनवरी, 15 अगस्त पर मैं भाषण देता था. मैं ने तब परेड को लीड किया. मैं बिगुल और ड्रम अच्छा बजाता था. कहीं न कहीं मेरे भीतर एक कलाकार था. ‘‘पर, उन्हीं दिनों मेरे आसपास के बहुत से लोग मुझे ‘छिछोरा’ और ‘नचनिया’ समझते थे, क्योंकि मैं नाटकों में ऐक्टिंग करता था. मु झे ‘भड़वा’ तक कहा गया. नुक्कड़ नाटकों में रोड पर नाचगाना होता था और अगर कोई मेरा परिचित देख लेता था, तो घर जा कर बता देता था कि आप का लड़का तो ‘भड़वागीरी’ करता है. ऐसी चीजें मुझे दर्द देती थीं. ‘‘पता नहीं क्यों लोगों की नजरों में मैं ‘आवारा’ था. जब मैं ने मुंबई आने की बात की, तब और जब मेरी शादी होने वाली थी, तब भी लोग मुझे ‘आवारा’ ही बोलते थे, जबकि स्कूल में मैं अच्छा छात्र था.’’

मुंबई में वेटरगीरी अपने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए राहुल तिवारी ने बताया, ‘‘मैं मुंबई आ तो गया था, पर यहां रहना इतना आसान नहीं है. अगर कोई जुगाड़ नहीं है तो बहुत तकलीफ होती है. शुरूशुरू में मैं भूखा रहा, कम खा कर रहा.’’ उन्होंने आगे बताया, ‘‘पहले एक साल तक (साल 2000 में) मैं ने जुहू में एक मिलिटरी क्लब में बतौर वेटर का काम किया. अगर आप को फिल्म इंडस्ट्री में कुछ पाना है, तो साइड वर्क करना पड़ेगा. इसी दौड़ में मैं ने फिल्म एडिटिंग को सीखा. कोई एडिटिंग स्टूडियो वाला पूरे दिन का 10 रुपए दे देता था, कोई सिर्फ खाना खिला देता था और रातभर मैं उस का सीरियल, फिल्म लाइनअप करता था, औडियो मिलाता था, एडिट करता था. ‘‘6-7 साल तक जब तक मैं असिस्टैंट रहा, तब तक बहुत तकलीफ झेली. लोग मुझे पैसे नहीं देते थे, मैं मुंबई के झोंपड़े में रहा, पर हर पल मुझे कुछ पाने की तमन्ना थी, जिसे मैं ने कभी मरने नहीं दिया.’’ धीरेधीरे मिला काम राहुल तिवारी ने अपने अब तक के सफर में बताया, ‘‘मैं ने फिल्म ‘सरकार’ का ट्रेलर एडिट किया था. मैं रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘कंपनी’ का क्रिएटिव डायरैक्टर रहा. मैं ने हीरोइन ऋषिता भट्ट की फिल्म ‘ऐक्स जोन’ एडिट की थी. मैं फिल्म ‘जीनियस’ में एसोसिएट था. मैं ने ‘द लास्ट सेल्समैन’ का ट्रेलर एडिट किया है. ‘रेस 2’ का मैं ने ट्रेलर एडिट किया. ‘जेम्स’, ‘बनारस’ और ‘आमो आखा एक से’ फिल्में की थीं. ‘‘ऐक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की निर्माण की हुई फिल्म ‘मियां कल आना’ को मैं ने एडिट किया था, जिस के डायरैक्टर शमास नवाब सिद्दीकी थे, जिसे ‘कांस फिल्म फैस्टिवल’ में तारीफ मिली थी. मशहूर ईरानी डायरैक्टर माजिद मजीदी ने यह फिल्म देख कर कहा था कि यह तो एडिटर की ही फिल्म है. ‘‘सीरियल ‘भाग्य विधाता’ में मैं ने बतौर विलेन काम किया था. वैब सीरीज ‘ह्यूमन’ में मैं हीरोइन कीर्ति कुल्हारी का पिता बना हूं. अभी अजय देवगन की आने वाली एक फिल्म ‘मैदान’ में मुझे छोटा सा किरदार भी मिला है.’’ एडिटिंग की अहमियत राहुल तिवारी के मुताबिक, ‘‘अच्छा एडिटर जानता है कि उसे कैसे कहानी को, कैसे संवाद को, कैसे सीन को, कैसे कलाकार के काम को तराश कर एडिट करना है, उसे सीन वाइज सजाना है. एडिटर को इन सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इस काम को करने में उसे पूरी छूट मिलनी चाहिए. ‘‘जहां तक मेरी बात है, तो मैं डायरैक्टर के सामने अपना पक्ष रखता हूं. किस सीन को हटाना है, किस संवाद को रखना है, फिल्म की लंबाई कितनी रहनी चाहिए, इस का ध्यान बहुत ज्यादा रखना पड़ता है. ‘‘अनिल शर्मा की फिल्म ‘जीनियस’ की एडिटिंग में मेरी उन से काफी बहस भी हुई थी कि फिल्म की लंबाई इतनी ज्यादा न हो जाए कि दर्शक बोर फील करें.

अच्छा एडिटर फिल्म को शानदार बना देता है और बुरा एडिटर फिल्म को कूड़ा कर सकता है.’’ कोरोना काल और मुसीबतें राहुल तिवारी ने कोरोना काल का अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, ‘‘इस बुरे दौर में यह जरूर समझ में आया कि आप का परिवार और चंद लोग ही अपने होते हैं, जो मुश्किल समय में आप के साथ खड़े होते हैं. सोशल मीडिया पर ‘वैरी गुड’ या ‘नाइस’ का कमैंट कह देने से कोई आप का हमदर्द नहीं हो जाता है. सुखदुख में तो घूमफिर कर 20-25 लोग ही जीवन में आप के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े होते हैं. कोरोना काल में ऐसे ही लोग एकदूसरे का हौसला बढ़ाते दिखे. ‘‘इतना ही नहीं, लोग कोरोना काल में कुदरत से जुड़े और उस की अहमियत को समझ . जब सबकुछ बंद हो गया था, तब पर्यावरण एकदम साफ हो गया था. जहां मैं रहता हूं, वहां पहले चिडि़या के चहचहाने की आवाज नहीं आती थी, लौकडाउन में मैं ने वह सब सुना. ‘‘कोरोना काल में मैं ने सोशल मीडिया के जरीए जरूरतमंद लोगों को बताया कि अगर किसी को भी खानेपीने की कोई दिक्कत हो, तो उसे खाना उपलब्ध करा दिया जाएगा. अपने दोस्तों से भी कहा कि जितना आप से हो सकता है, लोगों की मदद करें. ‘‘दिक्कत यह भी है कि फिल्म इंडस्ट्री वालों को सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिलती है. घर, मैडिकल आदि की बेसिक सुविधा तक नहीं है. जो हमारा तथाकथित बौलीवुड है न, यह चंद स्टारों से नहीं बना है. इस में हजारोंलाखों टैक्नीशियन भी हैं. ‘‘चंद बड़े सितारों को कोरोना से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि उन के पास तो इतना पैसा है कि अगले 50-100 साल भी खत्म न हो. ‘‘उन की कई पीढि़यां जी सकती हैं, लेकिन बाकी जो छोटे कलाकार, लेखक, एडिटर, डायरैक्टर, म्यूजिशियन, आर्ट डायरैक्टर, स्पौटबौय, मेकअपमैन वगैरह बहुत सीमित पैसों में जीवनभर रहते हैं, रोजाना खातेकमाते हैं, जबकि हमारी सरकार उन्हें कोई छोटी सी भी सुविधा नहीं देती है. ‘‘अपने ही एक उदाहरण से बताता हूं कि हाल ही में मैं ने एक वैब सीरीज ‘ह्यूमन’ में अभिनय किया था, जिस के विपुल अमृतलाल शाह डायरैक्टर थे. इस की शूटिंग के लिए मैं मुंबई लोकल ट्रेन से जा रहा था. चूंकि कोरोना में तकरीबन सब बंद था, तो मैं ने अपनी फिल्म एसोसिएशन का कार्ड टिकट कलक्टर को दिखाया और टिकट मांगा तो उस ने टिकट देने से मना कर दिया और मुझ पर हंसा भी कि यह सब क्या है. उस कार्ड की उस ने कोई वैल्यू नहीं समझ‘‘दरअसल, जो हमारी एसोसिएशन है न, वह बहुत ही कमजोर है और हमारी सरकार को इसे इंडस्ट्री का दर्जा देना चाहिए. बौलीवुड समाज को मनोरंजन देता है, लाखों लोगों को रोजगार देता है, अगर समाज से फिल्में छीन ली जाएं, संगीत बंद कर दिया जाए, तो समाज कहीं न कहीं बेरंग हो जाएगा. हम उस में रंग भरते हैं. लिहाजा, हिंदी फिल्मों से जुड़े लोगों को बेसिक सुविधाएं तो सरकार को देनी ही चाहिए.’’ कुछ यादगार पल अपने फिल्मी सफर के कुछ यादगार पलों को याद करते हुए राहुल तिवारी बताते हैं, ‘‘मैं ने फिल्म डायरैक्टर अशोक गायकवाड़ के साथ काम की शुरुआत की थी. उन्होंने ‘दूध का कर्ज’, ‘राजा की आएगी बरात’, ‘इज्जत’ व ‘गैर’ जैसी फिल्मों का डायरैक्शन किया है. वे मेरे गुरु हैं. उन के साथ मेरा बहुत अच्छा समय बीता. ‘‘इस के अलावा फिल्म डायरैक्टर शाहरुख मिर्जा साहब, जिन्होंने ‘सलामी’ फिल्म बनाई थी, से मेरा दोस्ताना संपर्क रहा है. वे मेरे लिए खरीदारी तक करते थे. कपड़े लाते थे. मेरे पैर का नंबर पूछ कर जूता खरीद कर लाते थे. वे अपने बेटे की तरह मुझे चाहते थे. ‘‘वे एक फिल्म कर रहे थे, जिस में महेश भट्ट साहब प्रोड्यूसर थे. एक बार हमें उन के साथ मीटिंग करनी थी. इस के बाद शूटिंग करने के लिए कनाडा जाना था. ‘‘जब महेश भट्ट साहब आए, तो शाहरुख मिर्जा साहब ने मेरा नाम ले कर कमरे में बुलाना चाहा, तो भट्ट साहब ने कहा कि यहां पर हम दोनों के अलावा कोई तीसरा नहीं बैठेगा. उन्हें एकांत चाहिए था. उन्हें खास लोगों के बीच ही बैठना पसंद था. पर शाहरुख मिर्जा साहब ने कहा कि यह मेरा एडिटर है और यह भी बैठेगा और आप को अच्छा लगेगा. ‘‘जब मैं उन के बीच गया, तो भट्ट साहब ने एक बार तो मुझे देखा ही नहीं, फिर धीरेधीरे सीन पर बातें होने लगीं. हालांकि वह फिल्म बन नहीं पाई, क्योंकि शाहरुख मिर्जा साहब का अचानक निधन हो गया था, पर भट्ट साहब से हुई मेरी वह मुलाकात यादगार रही थी. ‘‘ऐसे ही जब मैं जुहू मिलिटरी क्लब में वेटर था, तब मैं ने नाना पाटेकर, आमिर खान और उन के पिता ताहिर हुसैन, शिल्पा शेट्टी, आयशा जुल्का, मिथुन चक्रवर्ती, रमेश सिप्पी, जीपी सिप्पी, जैकी श्रौफ, अनिल कपूर, प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय के अलावा और भी न जाने कितने कलाकारों को खाना खिलाया था, डांट भी खाई थी. ‘‘फिर उन्हीं लोगों के बीच मैं बतौर एडिटर भी बैठा. वे हैरान हो जाते थे कि एक वेटर अब फिल्म एडिटिंग भी कर रहा है. पर मुझे तो फिल्म इंडस्ट्री में किसी तरह बने रहना था. घर से पैसे नहीं आते थे, क्योंकि मेरे पिताजी उत्तर प्रदेश जल निगम में छोटी सी नौकरी में थे. ‘‘पर, मैं इतना जरूर कहूंगा कि अगर आप को अपना मुकाम हासिल करना है, तो किसी भी काम को करने में हिचक महसूस न करें. मैं शाम को 6 बजे से ले कर रात के साढ़े 12 बजे तक वेटर का काम करता था और दिन में फिल्म इंडस्ट्री में काम मांगता था. ‘‘सच कहूं, तो मेरी यही स्ट्रगल आज मुझे इस मुकाम तक लाई है. अभी तो मुझे बड़ीबड़ी फिल्में बनानी हैं. मैं अपनी फिल्म ‘यूपी’ और ‘अमेरिका कहां है’ को बनाना चाहता हूं. जल्द ही मेरी एक शौर्ट फिल्म ‘राजवीर’ भी रिलीज होने वाली है, जिस में मैं ने क्रिएटिव डायरैक्शन व एडिटिंग तो की ही है, लीड रोल भी मेरा ही है.’’

बौलीवुड में हुई ‘‘मैंने प्यार किया’’ फेम भाग्यश्री की बेटी की एंट्री, खूबसूरती में मां मात को देती हैं अवंतिका दसानी

शांतिस्वरूप त्रिपाठी  

वक्त वक्त की बात है.एक वक्त वह था,जब अपने कैरियर की पहली और सफलतम फिल्म ‘मैंने प्यार किया‘ के बाद भाग्यश्री को हिमालय दसानी से अभिनय को अलविदा कहना पड़ा था.यह एक अलग बात है कि कुछ वर्ष पहले भाग्यश्री ने अभिनय में वापसी की.बहरहाल,पिछले चार वर्ष से उनका बेटा अभिमन्यू दसानी अभिनय जगत में अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहा है। और अब भाग्यश्री अपनी बेटी को भी फिल्म उद्योग से जुड़ने से नहीं रोक पायीं.

भाग्यश्री की बेटी अवंतिका दसानी इन दिनों रोहण सिप्पी निर्देषित साइकोलॉजिकल थ्रिलर-ड्रामा वेब सीरीज ‘मिथ्या‘ के साथ बौलीवुड में कदम रखने जा रही हैं.इसका पोस्टर बाजार में आ चुका है,जिसमें अवंतिका दसानी बौलीवुड अदाकारा हुमा कुरैशी के साथ नजर आ रही हैं.देखना है कि क्या भाग्यश्री की बेटी अवंतिका ग्लैमर की दुनिया में उन्ही की तरह पहली फिल्म से ही अपना परचम लहरा पाती हैं या नहीं…

‘‘मिथ्या’’ के जारी हुए पोस्टर में अवंतिका दसानी संजीदा लुक में नजर आ रही है .जो एक तरह से इस मनोवैज्ञानिक थ्रिलर-ड्रामा के अंधेरे और पेचीदा पक्ष को दर्शकों के सामने रख रहा है.दो हीरोईनों के अभिनय से सजी ट्विस्टेड कहानी के साथ एक अनकन्वेंशनल और प्रयोगात्मक किरदार का चयन कर अवंतिका दसानी ने खुद को उत्कृष्ट अभिनेत्री होने का दावा करती हैं.

अभिनय कैरियर की शुरुआत से उत्साहित अवंतिका दसानी कहती हैं-‘‘कैरियर की शुरुआत में ही इस तरह के चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने और दिलचस्प कहानी का हिस्सा बनना मेरे लिए सबसे बड़ा रोमांच रहा.पहली वेब सीरीज में ही प्रतिभाषाली कलाकारों और तकनीषियन के साथ काम करने का अवसर मिलना मेरे लिए सौभाग्य की ही बात है.आज ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दर्शक अपने सबसे एक्ससिटिंग एक्सपीरियंस और अच्छी कहानियों की तलाश में आते हैं और मुझे अपनी यात्रा यहां से शुरू करने में और इस सफर का हिस्सा बनकर वाकई खुशी हो रही है! मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को भी वेब सीरीज ‘मिथ्या’देखने में मजा आएगा.’’

एक डाक्टर और एक सीबीआई अफसर के अनुशासन में काफी अंतर है: डॉ. आशिष गोखले

कोरोना महामारी ने हर इंसान को बहुत कुछ सिखाया. इस महामारी के दौरान बहुतो ने अपने प्रियजन खोए. जबकि कोविड 19 के दौरान तमाम डाक्टर मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए दिन रात काम करते रहे. ऐसे ही डाक्टरो में से एक डॉ. आशिष गोखले भी ‘कोविड 19’’ के दौरान मुंबई के एक निजी अस्पताल में आईसीयू और आई सीसीयू में चैबिसों घंटे कार्यरत रहकर लोगों की जिंदगी बचाने के साथ ही लॉक डाउन के चलते परेशान 250 डेली वेजेस वर्करों को स्वयं हर दिन मुफ्त में खाना भी खिलाते रहे.

‘कोविड 19’ के दौरान डाॅ. आषिष गोखले को कोरोना पीड़ितों का इलाज करते हुए देखकर काफी लोग आशचर्य चकित भी हो रहे थे. क्योंकि डॉ. आशिष गोखले डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करने के साथ साथ पिछले छह सात वर्षों से अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय हैं. लोग उन्हे हिंदी सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’’ व मराठी सीरियल ‘‘ मोगरा फुलेला’ सहित कई सीरियलों व फिल्मों में बतौर अभिनेता देख चुके है. पर अब डॉ. आशिष गोखले एक बार फिर अभिनय के क्षेत्र में काफी सक्रिय हो गए हैं. फिलहाल वह 17 दिसंबर से ‘जी 5’ पर स्ट्रीम होने वाली फिल्म ‘‘ 420 आई पी सी ’’को लेकर सूर्खियों में हैं, जिसमें उन्होने मुख्य सीबीआई अफसर का किरदार निभाया है.

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प्रस्तुत है डा. आशिष गोखले से हुई

एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश…

आप तो डाक्टरी पेशे से जुड़े हुए हैं,फिर यह अभिनय का चस्का कब लग गया?

-डाक्टरी पेशा तो मेरी रगों में बसा हुआ है.मैं महाराष्ट् के कोंकण इलाके के वेलनेष्वर, रत्नागिरी का रहने वाला हॅूं.मेरे परिवार में सभी डाक्टर हैं.मेरे पिता डा. ध्रुव गोखले, मां उषा गोखले व छोटी बहन भी डाक्टर है.मेरे माता पिता का वेलनेष्वर में ही ‘आषिष अस्पताल’ नामक अस्पताल है.मैंने पुणे से डाक्टरी की पढ़ाई पूरी की.फिर मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई आ गया और मुंबई के मल्टीपल स्पेसियालिटी अस्पताल में आईसीयू और्र आइसीसीयू में इमर्जेंसी फिजीशियन डाक्टर के रूप में कार्यरत हॅूं.मगर मुझे बचपन से ही अभिनय का षौक रहा है. मैंने स्कूल के दिनों से ही थिएटर करना शुरू कर दिया था.

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जब बचपन से अभिनय का शौक था, तो फिर डाक्टरी की पढ़ाई??

-जैसा कि मैने पहले ही बताया कि मेरे माता पिता डाक्टर हैं और उनका अपना अस्पताल भी है.इसलिए उनका दबाव रहा.माता पिता ने मुझे एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के लिए कहा.मैने पुणे के मेडीकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की.डाक्टी की डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने डाॅक्टर के रूप में प्रैक्टिस करना षुरू किया था.लेकिन अभिनय का कीड़ा अंदर से हिलोरे मार रहा था.इसलिए मैने अपने पिता से मंुबई जाने की इजाजत मांगी.इस पर मेरे पिता कुछ नाराज हुए.बाद में कहा कि ‘यदि मंुबई जाओगे,तो आर्थिक मदद की उम्मीद मत करना.मैं तुझे एक फूटी कौड़ी नही दॅूंगा.तुझे अपने बलबूते पर संघर्ष करना पड़ेगा.’उस वक्त मैं डाक्टरी की पढ़ाई पूरी करके प्रैक्टिस शुरू ही की थी.इसलिए मेरे पास आर्थिक बचत नही थी.पर मैं अपने सपने को पूरा करने के लिए मंुबई आ गया.मैं मंुबई के जुहू स्थित एक निजी अस्पताल में रात में बतौर डाक्टर काम करने लगा.तथा दिन में अभिनय के लिए संघर्ष करना षुरू किया.मेरी मेहनत रंग लायी.2015 -2016 में मुझे ‘प्यार को हो जाने दो’ तथा ‘कुमकुम भाग्य’ सीरियलों में अभिनय करने का अवसर मिला. ‘कुमकुम भाग्य’ में कैमियो किया था.2016 में फिल्म ‘गब्बर इज बैक’ में छोटा सा किरदार निभाया.इस फिल्म के सेट पर कई लोगों से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी.मुझे फिल्मी दुनिया की कार्यषैली, आॅडीषन देने के बारे में विस्तृत जानकारी मिली.2017 में फिल्म ‘लव यू फैमिली’की, जिसमें मैने मनोज जोषी के बेटे का किरदार निभाया था.इसके बाद मंैने भारत का पहले ड्ामा रियालिटी षो ‘तारा फ्र्राम सितारा’ किया.इसमें मेरा वरुण माने का किरदार काफी लोकप्रिय हुआ.इसके अलावा ‘भौकाल’ व ‘साइड हीरो’ जैसी वेब सीरीज की.‘मोगरा फुलेला’, ‘कंडीषंस अप्लाय’,‘रेडी मिक्स’,बाला’ सहित कुछ मराठी फिल्में की.अब मैने वेब फिल्म ‘‘ 420 आईपीसी’’की है.

थिएटर पर क्या क्या किया?

-थिएटर काफी किया है.मैने मराठी, हिंदी व उर्दू भाषा के नाटकों में अभिनय किया है.मैने बीस वर्ष कह उम्र में‘स्वामी विवेकानंद’ नामक नाटक में स्वामी विवेकानंद का यंग उम्र के स्वामी विवेकानंद का किरदार निभाया.मैने इसमें उनके संन्यासी बनने से पहले का किरदार निभाया.इसके कन्या कुमारी,कानपुर, दिल्ली, अहमदाबाद सहित कई शहरों में इसके षो किए.उस वक्त मैं इस नाटक के षो करते हुए डाक्टरी की पढ़ाई भी कर रहा था. उन दिनों मैं फैशन शो में माॅडलिंग करता था. कई प्रोडक्ट के लिए रैंपवाॅक भी किया.इसके चलते कालेज दिनों में मैं पुणे में काफी मषहूर था.

दो हिंदी,तीन मराठी और एक उर्दू नाटक में अभिनय किया.हर नाटक के काफी षो हुए.मैंने ख्ुाद भी एक नाटक का लेखन व निर्देशन व उसमें अभिनय किया.मैने कुछ एक पात्रीय नाटक भी किए.मराठी नाटक ‘‘नाते जुड़ा दे मणाषी मणाषी’ काफी लोकप्रिय रहा.एक पात्रीय नाटक ‘बैक टू स्कूल’ भी लोकप्रिय हुआ.यह सारे नाटक 2007 से 2011 के बीच ज्यादा किए.

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आपकी मातृभाषा तो मराठी है?

-जी हाॅ!लेकिन मैने पंजाबी,हिंदी व उर्दू भाषाएं लिखना व पढ़ना सीखा. मैने पुणे के कैंट इलाके के गुरूद्वारा में जाकर सरदार जी से पंजाबी भाषा सीखी.इसलिए मेरी हिंदी में आपको मराठी एसेंट नही मिलेगा.मैं षुद्ध हिंदी व

उर्दू में बात कर सकता हॅूं. फिल्म ‘‘ 420 आई पी सी ’’ से जुड़ना कैसे हुआ?

-एक अभिनेता के तौर पर संघर्ष करते हुए मैने कई प्रोडकशन हाउस में अपनी तस्वीरें भेज रखी हैं. फिल्म ‘‘420 आई पी सी’’ के प्रोडकशन हाउस में भी तस्वीरें भेज रखा था.कोविड के वक्त मैं बहुत व्यस्त था.दिन में पांच सौ फोन आते थे.मैने कई मरीजों का मुफ्त में इलाज किया. खैर,सितंबर 2020 में प्रोडक्षन हाउस से मेरे पास आॅडीषन करके वीडियो भेजने का फोन आया.उस वक्त मैं अस्पताल में था.तो मंैने कह दिया कि मैं रात में भेज पाउंगा.देर रात मैने आॅडीषन भेजा और मेरा चयन हो गया.

फिल्म ‘‘ 420 आई पी सी ’’ में आपका किरदार क्या है?

-मैने इसमें मुख्य सीबीआई आफिसर मिस्टर अचलेकर का किरदार निभाया है.जो कि एक बहुत बड़े घोटाले में षामिल मिस्टर केसवानी को गिरफ्तार करता है. केसवानी को सजा देने के बाद रिहा किया जाता हे.उसके बाद कोर्ट केस चलता है. सीबीआई अफसर का किरदार निभाने के लिए किस तरह की तैयारी की?

-निर्देषक मनीष गुप्ता ने मुझसे कहा कि मुझे सीबीआई आफिसर के लिए अपनी बाॅडी लैंगवेज को बदलना पड़ेगा.मुझे उनका उठना, बैठना,चलना फिरना वगैरह सब कुछ सीखना पड़ेगा.अब यह मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी.क्योकि सीबीआई आफिसर आसानी से मिलते नही है.यह लोग तो बताते भी नही है कि वह सीबीआई आफिसर हैं.पुलिस अफसर तो हमारे आसपास नजर आते हैं.इसलिए हम इनके बारे में सब कुछ आसानी से जान सकते हैं.सीबीआई आफिसर मीडिया में भी नही आते.तो यह जानना बहुत मुष्किल था कि उनकी बाॅडी लैंगवेज कैसी होती है?वह किसी भी परिस्थिति में किस तरह से रिएक्ट करते हैं.इस वेब सीरीज के सीबीआई आफिसर के किरदार में एक्षन व रिएक्षन काफी है.कोविड का वक्त था,इसलिए किसी सीबीआई आफिसर से मिलने भी नही जा पाया.मगर मैं कुछ पुलिस अफसरों को जानता हॅू,तो उनकी मदद से एक दो सीबीआई आफिसर का फोन नंबर लेकर उनसे फोन पर बात कर सारी चीजें समझी.बाॅडी लैंगवेज बदलने के लिए मुझे काफी मषक्कत करनी पड़ी.मैं अस्पताल में भी उसी तरह से रहने का प्रयास करता.तो मेरे सहकर्मी डाक्टरांे ने सवाल भी किया कि डाॅ.अषीष आपके अंदर कुछ बदलाव आ गया है.मेरे चलने का ढंग बदल चुका था.अब मैं गंभीर रहने लगा था.पहले मैं बहुत हंस हंस कर बात करता था,पर अब चुप रहने लगा था.वास्तव में मैं हमेशा चाहता हॅंू कि मैं जिस किरदार को निभाउं,उसमें पूरी तरह घुसकर उसे न्यायसंगत तरीके से परदे पर साकार करुं.इसलिए मैं अपने हर निर्देशक से किरदार के संबंध में कई सवाल करता हॅूं.मैं हमेषा हर किरदार को कैमरे के सामने पूरी षिद्दत के साथ जीता हॅूं. डाक्टर भी अनुषासित होते हैं.

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सीबीआई आफिसर भी अनुषासित होते हैं.इस बात ने आपको सीबीआई आफिर का किरदार निभाने में कितनी मदद की?

-देखिए,दोनो अनुषासन के साथ अपने काम को अंजाम देते हैं.मगर दोनो मंे सबसे बड़ा विरोधाभास यह है कि एक सीबीआई आफिसर अपराधी के आत्म विष्वास को डिगाकर उससे सच उगलवाता है.जबकि एक डाक्टर अपने मरीज के आत्मविष्वास को बढ़ाने के लिए आवष्यक बातें करता है.जब मरीज का आत्मविष्वास बढ़ता है,तभी वह जल्दी ठीक होता है.सीबीआई आफिसर की तरह डाक्टर गंभीर नही रहता.वह मरीज की बीमारी की रिपोर्ट देखकर भी चेहरे पर भाव नहीं आने देता.बल्कि यही कहता है कि कोई गंभीर बात नही है.डाक्टर अपने मरीज को हंसाता है.उसका आत्मविष्वास बढ़ाता है.बीमारी की गंभीरता को अहसास करते हुए डाक्टर इस बात को अपने चेहरे के हाव भाव से जाहिर नहीं होने देता.

इसके अलावा कुछ नया कर रहे हैं?

-जी हाॅ! दो तीन प्रोजेक्ट है.अभी एक फिल्म की षूटिंग हैदराबाद में कर रहा हॅूं.जबकि अमेजाॅन के लिए वेब सीरीज की है.पर इनके संबंध में अभी ज्यादा नहीं बता सकता.

शौक क्या है?

-संगीत सुनना,लिखना.कविताएं,चुटकुले व कहानियंा लिखता हॅूं.सामज सेवा के कार्य करता हॅूं.

सोशल वर्क?

-पहले लाॅक डाउन के वक्त मैं हर दिन 250 लोगों को मुफ्त में भोजनकराता था.कई मरीजों का मुफ्त में इलाज किया.उन दिनों मैने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर लोगों को हर डेलीवेजेस की मदद करने के लिए प्रेरित करने का काम किया.होम क्वारंटाइन करने का काम किया.

Review: ‘वेल्ले’- समय व पैसे की बर्बादी

रेटिंग: एक़ स्टार

निर्माताः अभिषेक नामा, सुनील एस सैनी, नंदिनी शर्मा, गणेश एम सिंह, जोहरी टेलर

निर्देशकः देवेन मुंजाल

लेखकः पंकज मट्टा

कलाकारः करण देओल, आन्या सिंह, अभय देओल, मौनी रॉय, जाकिर हुसैन, विशेष तिवारी,  सावंत सिंह प्रेमी, राजेश कुमार, महेश ठाकुर,  अनुराग अरोड़ा व अन्य

अवधिः दो घंटा चार मिनट

धर्मंन्द्र के पोते और सनी देओल के बेटे करण देओल असफल फिल्म ‘‘पल पल दिल के पास’’ के बाद अब हास्य फिल्म ‘‘वेल्ल’े ’ में नजर आ रहे हैं,जो कि 2019 में प्रदर्शित तेलगू फिल्म ‘‘ब्रोचेवारेवारूरा’’ का हिंदी रीमेक है. वेले का मतलब हाते है ऐसे लोग जिनके पास र्काइे काम नहीं होता. फिल्म ‘वेले’ में भी करण देओल अपने अभिनय का जलवा दिखाने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.

काश करण देओल धड़ाधड़ फिल्में करने की बनिस्बत अपनी अभिनय प्रतिभा को निखारने पर वक्त देते.

कहानीः

लेखक व निर्देशक ऋषि सिंह  अभय देआ देओल अपनी नई कहानी पर फिल्म बनाने के लिए निर्माता की तलाश के साथ ही अपनी इस फिल्म में मशहूर अदाकारा रोहिणी, मौनी रॉय को हीरोइन लेना चाहते है. ऋषि सिंह अभिनेत्री रोहिणी को कहानी सुनाने बैठते हैं. वह कहानी सुना रहे है.

यह कहानी 12 वीं कई वर्षां  से पढ़ रहे तीन दोस्तों- राहुल- करण देओल, राम्बो- सावंत सिंह प्रेमी और राजू- विशेष तिवारी के गैंग की है. यह वही गैंग है यानी कि ‘वेल्ले’  जो सिर्फ मस्ती करते हैं. इनकी जिंदगी का मकसद रिलैक्स करने के साथ मौज मस्ती करना है. यह तीनों जिस स्कूल में पढ़ते हैं, वहां के सख्त प्रिंसिपल राधेश्याम 1की बेटी रिया को अपने गैंग का हिस्सा बनाकर अपने गैंग को ‘आर 4’ नाम देते हैं.वास्तव मं े रिया की मां नही है.उसे पढ़ने की बजाय नृत्य का शौक है.पर रिया के पिता नृत्य के खिलाफ हैं.राहुल अपने दोस्त रितेषदीप की मदद से नृत्य का परषिक्षण दिलाने की बात करता है. पर पैसा नही है. तब रिया एक योजना बनाती है. जिसमें राहुल,रम्बो व राजू फंस जाते हैं. रिया की येाजना के अनुरूप यह लोग रिया का अपहरण कर रिया के पिता से आठ लाख रूपए वसूलते है. फिर रिया घर से भागकर राहुल के मित्र रितेषदीप की मदद से नृत्य की कोचिंग क्लासेस में प्रवेश लेती है.

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इसी बीच एक गैंग रिया का अपहरण कर रिया के कहने पर राहुल को फाने कर दस लाख रूपए की मांग करता है अन्यथा वह रिया को बेच देने की धमकी देता है.उधर ऋषि सिंह के पिता अस्पताल पहुंच गए हैं, जिनके ऑपरेशन के लिए दस लाख रूपए चाहिए.

रोहिणी उसे दस लाख रूपए देने के साथ ही ऋषि सिंह के साथ अस्पताल रवाना होती है.रास्ते में राहुल व उसके साथी यह दस लाख रूपए छीन लते हैं. फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः राधेश्याम का अपनी बेटी रिया के प्रति प ्रेम उमड़ता है.राहुल ,ऋषि सिंह व राधेश्याम को पैसे वापस दे देत.सभी सुधर जाते हैं.

लेखन व निर्दशनः

इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजारे कड़ी इसकी कथा व पटकथा तथा कथा कथन शैली है. फिल्मकार एक बात भूल जाते है कि दक्षिण भारत की कहानी को उत्तर भारत के दशर्क के लिए ज्यो का त्यों नही परासे जाना चाहिए. इसके लिए पटकथा में आवशयकक बदलाव करने के लिए मेहनत की जानी चाहिए, जो कि लेखक व निर्देशको ने नहीं किया. इतना ही नही किरदारों के लिए कलाकारो का चयन भी गलत रहा. फिल्म के निर्देशक दवे ने मुंजाल बुरी तरह से मात खा गए हैं.

फिल्म देखते समय कई जगह ऐसा लगता है कि निर्देशक ने कलाकारो से कह दिया कि कुछ करते रहा. हिसाब से करना है,यह बताना भलू गए या वह स्वयं नहीं समझ पाए.कई दृष्यों का दोहराव भी अजीबो गरीब तरीके से किया गया है. बतौर निर्देशक देवेन मुंजाल फिल्म के किरदारों और फिल्म के मूल संघर्ष को स्थापित करने में विफल रहे हैं. एडीटर ने भी अपने काम को सही ढंग से अंजाम नही दिया.

अभिनयः

राहुल के किरदार में करण दोओल ने बुरी तरह से निराश किया है. उनके चेहरे पर न भाव है और न ही किरदार के अनुरूप उनकी बौडी लैंगवेज है. करण देओल को अपनी संवाद अदायगी पर भी मेहनत करने की जरुरत है. महज सुंदर हाने से अभिनय नही आ जाता. करण देओल की बनिस्बत उनके दास्त बने विशेष तिवारी व सावंत सिंह ज्यादा बेहतर नजर आए है.

ऋषि सिंह के किरदार में अभय देओल के लिए करने को कुछ खास रहा नही. जो कुछ दृश्य उनके हिस्से आए, वह लेखक व निर्देशक की महे रबानी से उभर नही पाए. अभिनेत्री रोहिणी के किरदार में मौनी रॉय भी निराश करती है.

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मौनी रॉय खुद को सदैव सूर्खियां में रखने के लिए उल जलूल खबरें फैलाने में अपना वक्त व पैसा बर्बाद करने के अभिनय को निखारने पर ध्यान देती. मौनी रॉय की बनिस्बत रिया के किरदार में आन्या सिंह बाजी मार ले जाती है. आन्या सिंह कई दृश्यों में लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचन में सफल रही है. राजेश कुमार जैसे प्रतिभाशली व अनुभवी कलाकार ने यह फिल्म क्यों की,  यह समझ से परे है.

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