कहीं अंधकार में न धकेल दे आनंद की यह छलांग!

हिमांशी हाय!

कुनाल : हैलो— आप—?

हिमांशी : मेरा नाम हिमांशी है और आपका?

कुनाल : मेरा नाम कुनाल है, क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?

हिमांशी : क्यों नहीं? अगर न करनी होती तो तुम्हारे चैट बौक्स में थोड़े आती.

कुनाल : ओ, तो ये बात है.

हिमांशी : हां, यही बात है.

कुनाल : सो, ये बताओ तुम्हें किस चीज में दिलचस्पी है?

हिमांशी : लड़कों से दोस्ती करने में.

कुनाल : अच्छा अगर मैं लड़की होती तो तुम मुझसे दोस्ती नहीं करती ?

हिमांशी : नहीं, ऐसा नहीं है। फिर मैं उसे दूसरे तरह से ट्रीट करती—।

कुनाल : इसका क्या मतलब है?

हिमांशी : जाने दो, तुम नहीं समझोगे—।

कुनाल : तुम्हें मैं पागल लगता हूं क्या? मैं इतना भी नासमझ नहीं हूं।

हिमांशी : अच्छा काफी समझदार हो—।

कुनाल : आजमा लो

हिमांशी :  देख लो! मौके में धोखा तो नहीं दोगे।

कुनाल : कुछ भी करवा लो। अगर बीच चैराहे पर छोड़ जाऊं तब तुम मुझे लड़का ही मत समझना–

हिमांशी : क्या! क्या! क्या! लड़का ही न समझूं. कहीं वाकई कोई अबनॉर्मलिटी तो नहीं है? मुझे तो लग रहा है कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरुर है.

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कुनाल : यहां कुछ दिखा नहीं सकता वरना सब कुछ दिखा देता.

हिमांशी : कर तो सकते हो

कुनाल : करवा लो, इंतजार किस बात का कर रही हो? चले क्या बेडरूम में.

हिमांशी : मैं कब से इसी बात का तो इंतजार कर रही हूं.

कुनाल : चलो फिर. मेरे बेडरूम में राउंड बेड है और मैंने चारो तरफ कैंडल जलायी हुई है. धीमे स्वर में संगीत बज रहा है.

हिमांशी : वाव! मुझे यहां सुकून मिल रहा है. मैंने कभी इतनी खूबसूरत डेटिंग नहीं की. तुम्हारी खिड़की खुली हुई है.

कुनाल : रुक जाओ लगाकर आता हूं.

हिमांशी : नहीं रहने दो. यहां से बहुत प्यारी हवा आ रही है। ये हवा मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैला रही है.

कुनाल : तुम्हें अच्छा लग रहा है तो ठीक है. मैं नहीं लगा रहा हूं. मैं तो तुम्हें घूर रहा हूं.

हिमांशी : मेरी आंखें शर्म से नीचे हो रही हैं.  मुझमें तुम्हारी आंखों से आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही.

कुनाल : कोई बात नहीं. ऐसा तो लड़कियों के साथ होता ही है.

हिमांशी : तुम्हें तो लड़कियों के बारे में काफी जानकारी है.

कुनाल : हां, खैर ये बताओ कि तुमने पहना क्या है? मुझे उतारना है.

हिमांशी : मैंने मिनी स्कर्ट: ऊपर टॉप है. पीछे से इसके हुक है और तुमने—?

कुनाल : मैंने जीन्स पहना है, ब्लू कलर का और शर्ट है, व्हाईट कलर की. मेरी हाइट 5-10 इंच है. शौर्ट हेयर है, फेयर कलर है.

हिमांशी : मेरी हाइट 5-5 इंच है. 34, 26, 34 मेरा साइज है.

कुनाल : क्या बात है. तुम तो बहुत सेक्सी हो.

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हिमांशी : हां, कोई लड़का कॉम्पलीमेंट करता है तो ऐसा ही लगता है. मैंने अपने होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई है और बालों में पोनी बना रखी है. मेरी लटें मेरी आंखों में गिर रही है.

कुनाल : तुम्हारी लटें जो हवा से तुम्हारे चेहरे पर आ गिरी, उसे मैंने धीरे से तुम्हारे कान के पीछे कर दिया है और अब तुम्हारे गालों पर एक किस कर रहा हूं.

हिमांशी : हाय! मै शर्म से लाल हो गई.

कुनाल : मेरी जान इतना शर्माओगी तो आगे के काम कैसे करोगी?

हिमांशी : मैं तुम्हारे होंठों का रस पी रही हूं.

कुनाल : मजेदार है. तुम्हारे होंठ बड़े मीठे हैं. साथ ही तीखापन भी मौजूद है. जाने अंदर का माल कितना स्वादिष्ट होगा?

हिमांशी : चुप नालायक.

कुनाल : मैं अपने हाथ तुम्हारे पीठ पर सहला रहा हूं.

हिमांशी : मुझे गुदगुदी हो रही है. मैंने अपनी उंगलियां तुम्हारे बालों में फंसायी हुई है.

कुनाल : मैंने अपना हाथ तुम्हारी टॉप के अंदर घुसा दिया.

हिमांशी : हां, मुझे ठंडक महसूस हो रही है.

कुनाल : चेन खोल दिया. तुम्हारी ब्रा का हुक मुझे चुभ गया

हिमांशी : ध्यान से करो. मैंने ब्लैक कलर की ब्रा पहनी है.

कुनाल : लगता है तुम्हारी हुक टूटी हुई हैं

हिमांशी : हां, आज सुबह हैंगर से निकाल रही थी तभी टूट गई थी.

कुनाल : तुम बिना टॉप के कितनी खूबसूरत लग रही हो. मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.

हिमांशी : मैं तुम्हारी शर्ट के बटन खोल रही हूं. मैं तुम्हारे अंदर के माचो मैन को देखना चाहती हूं.

कुनाल : मैं भी चाहता हूं कि तुम जल्द से जल्द खोल दो. तुम खोलती रहो. मैं तुम्हारे गर्दन का रस चूस रहा हूं.

हिमांशी : मुझे बहुत मजा आ रहा है. मैं, मानों सातवें आसमान पर हूं. मैंने तुम्हारी पूरी शर्ट खोल दी है. तुम्हारा सीना तेरे सामने है. मैं तुम्हारे सीने को चूम रही हूं.

कुनाल : मैं गीला हो रहा हूं. मुझसे रहा नहीं जा रहा. मैं तुम्हारी स्कर्ट के बटन खोल रहा हूं.

हिमांशी : मुझे भी तुम्हारे खूबसूरत औजार को देखने का मन हो रहा है. मैं अपना हाथ तुम्हारे पैंट के अंदर डाल रही हूं.

कुनाल : तुम्हारी स्कर्ट मेरे हाथ में है.

हिमांशी : क्या!

कुनाल : हां, तुम टू पीस में बिल्कुल मेरी मल्लिका लग रही हो.

हिमांशी : मेरे हाथ में कुछ आ गया. यह बहुत टाइट है.

कुनाल : तुम्हारे प्यार का नतीजा है. इतनी देर जो कर रही हो, उसके चलते यह सब हो रहा है.

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हिमांशी : तुम तो बिल्कुल गीले हो चुके हो. तुम अब और किसका इंतजार कर रहे हो जो करना है जल्दी कर लो. मैं और इंतजार नहीं कर सकती. मेरे सब्र का इम्तहान मत लो. मेरी धड़कनें और मत बढ़ाओ. मैं तुम्हारी पूरी पैंट उतार रही हूं.

कुनाल : जल्दी करो.

हिमांशी : कर दिया. अमेजिंग. मैंने ऐसा आज से पहले कभी महसूस नहीं किया था.

कुनाल : मैं तुम्हारे सीने को दो उभारों को ब्रा से निकाल चुका हूं और उन्हें दबाने में बेहद आनंद आ रहा है. बिल्कुल ऐसा लग रहा है मानो मुलायम बॉल्स हैं.

हिमांशी : खोल दो!

कुनाल : खोल चुका हूं. लगता है तुम तो मुझसे भी ज्यादा उत्तेजना महसूस कर रही हो.

हिमांशी : मेरे गले से आवाज नहीं निकल रही.

कुनाल : मैं तुम्हें अपने बाहों में भरकर बेड में लिटा रहा हूं. तुम मेरी गोद में बिल्कुल एक बच्ची जैसी लग रही हो. सिर्फ तुम्हारी पैंटी उतारने की देरी थी. शिट! पैंटी क्यों नहीं उतारी?

हिमांशी : अब उतार दो. मैं तो कह ही रही थी कि उतार दों

कुनाल : मैं चलता हूं तो तुम्हारे दो उभार हिलते हैं, ऐसा नजारा प्रकृति की और किसी चीज में मौजूद नहीं हैं.

हिमांशी : हां, तुम चल रहे हो और तुम्हारा औजार सीधा खड़ा है.

कुनाल : बिल्कुल सही पहचाना, उसे अपनी जगह चाहिए

हिमांशी : लेकिन उससे पहले मेरा मुंह सूख रहा है. क्या मेरी प्यास नहीं बुझाओगे.

कुनाल : मैं कौन होता हूं तुम्हें रोकने वाला. तुम तो मेरी रानी हो, मेरी शहजादी हो.

हिमांशी : ये कितना नमकीन है. कितना रसीला है.

कुनाल : तेजी से करो और तेज और भी—

हिमांशी : कर रही हूं. इससे तेज नहीं कर सकती.

कुनाल : रुक जाओ. अब इसे इसकी जगह पर पहुंचा दो. हमारे प्यार को अंतिम सीमा तक पहुंचा दो.

हिमांशी : अरे, लगता है कुछ गिर गया.

कुनाल : क्या?

हिमांशी : एक कैंडल गिर गई.

कुनाल : जाने दो. फिलहाल यहां-वहां नजर मत दौड़ाओ.

हिमांशी : अरे मेरे राजकुमार अगर आग लग गई तो?

कुनाल : लो मैंने मोमबत्ति बुझा दी.

हिमांशी : मुझे प्यास लग रही है.

कुनाल : तुम क्या चाहती हो.

हिमांशी : वही जो तुम चाहते हो.

कुनाल : तो करने क्यों नहीं देती?

हिमांशी : मैं तो बस तुम्हारा सब्र देख रही थी.

कुनाल : फिलहाल मैं हार चुका हूं. करने दो मुझे

हिमांशी : मैं भी! और तेज और तेज और भी—. मुझे दर्द हो रहा है.

कुनाल : सॉरी! क्या तुम्हें दुख रहा है.

हिमांशी : हां, बहुत तेजऋ लेकिन मुझे मजा आ रहा है. तुम लगे रहो. करो और भी तेज. अपनी पूरी ताकत लगा दो. अपने अंदर का जंगली जानवर जगा दो. अअअअअअ—-.

कुनाल : तुम्हारी ये सिसकियां मेरी जान लेकर रहेंगी.

हिमांशी : मैं रुक नहीं सकती. अअअअअअअअ.

……और ये बातें अंत तक चलती रहीं जब तक दोनों क्लाइमेक्स पर पहुंच गए.

आज से करीब सात साल पहले यह मुंबई के दो टीनएजर की इंटीमेट चैट थी, जो वायरल हो गई थी. इसमें नाम काल्पनिक हैं बाकी बातचीत वही है, जो उस समय दोनों के बीच हुई थी. हिमांशी और कुनाल यूं तो फेसबुक के मैसेज बाक्स में उन दिनों बातचीत कर रहे थे, मगर ये सिर्फ बातचीत नहीं थी. दोनों इसके जरिये अपनी सेक्सअुल फंतासी इंज्वॉय कर रहे थे. वास्तव में ऐसी ही अंतरंग बातचीत के जरिये साइबर सेक्स की शुरुआत हुई थी, जो आज वर्चुअल इंटरकोर्स तक पहुंच चुका है. साइबर सेक्स को कम्पयूटर सेक्स, इंटरनेट सेक्स, नेट सेक्स, मड सेक्स, टाइनी सेक्स आदि कई नामों से जाना जाता है. इसके तहत हम व्यवहारिक तौरपर भले कुछ नहीं करते हैं, लेकिन वर्चुअल तौरपर या कहें कि बातों और कल्पनाओं में सारी हदें तोड़ देते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि नेट सेक्स में लोग अपने नेट फ्रेंड के जरिये तो यह सब करते ही हैं, साथ ही अजनबी लोगों के साथ भी अंगतरंगता का लुत्फ उठाते हैं. नेट सेक्स दरअसल फीलिंग की दुनिया है. बातों से और अब तो लाइव होकर बिल्कुल असली की तरह यह सब किया जाता है. नेट सेक्स महज झूठमूठ की एक्टिंग भर नहीं होता बल्कि इससे लोग वैसे ही संतुष्ट होते हैं, जैसे सचमुच का सेक्स करने से होते हैं.

मीठे मीठे दर्द की अनुभूति, सिसकियों की धीमी धीमी आवाज निकालकर और बदन के वैसे ही हाव भाव निकालकर साइबर सेक्स के जरिये भरपूर संतुष्ट हुआ जाता है. यही नहीं साइबर सेक्स अपनी फंतासियों के पूरा करने का भी एक कृत्रिम जरिया है. वास्तव में साइबर जगत एक ऐसी दुनिया बन गई है, जहां अपनी किसी भी कल्पना को वर्चुअल तरीके से अंजाम दे दिया जाता है. हालांकि अब इसमें कई तरह के अपराधिक तौर तरीके भी जुड़ गये है मसलन- कुछ पॉर्न वेबसाइटें सचमुच में लाइव सेक्स का प्रसारण करते हैं. मतलब यह कि लोग सेक्स की जो तमाम फंतासियां पहले पॉर्न फिल्मों के जरिये देखते थे, अब उन्हें न केवल लाइव भी दिखाया जाता है बल्कि दोहरे कम्युनिकेशन की व्यवस्था से दूर बैठे देखने वाले लोग इस पूरी प्रक्रिया को अपनी इच्छा के मुताबिक करने के लिए कह सकते हैं.

लेकिन जब इस दोहरे संवाद की सुविधा नहीं थी, तब भी साइबर सेक्स के दीवाने वेबकैम और हैड फोन का इस्तेमाल करते हुए, लाइव तरीके से हस्तमैथुन तक करने लगते थे. हालांकि आज पूरी दुनिया में बढ़ते साइबर सेक्स को लेकर बहुत चिंताएं जतायी जा रही हैं, लेकिन समाजशास्त्रियों का नजरिया इसमें बंटा हुआ है. कुछ का मानना है कि इस पर तुरंत सख्त पाबंदी लगनी चाहिए. क्योंकि यह बलात्कार की घटनाओं के लिए माहौल तैयार करता है. जबकि कुछ समाजशास्त्रियों का मानना है कि इसके जरिये तमाम यौन अपराध होने से बच जाते हैं, क्योंकि लोग कृत्रिम तरीके से अपनी सेक्सुअल जरूरतें पूरी कर लेते हैं. हालांकि यह कभी न खत्म होने वाली बहस है. लेकिन जिस तरह साइबर सेक्स धीरे धीरे ड्रग्स की तरह लत बन जाता है, उसके मद्देनजर इससे एक अनुशासित दूरी बनाकर रखना जरूरी है. पॉर्न तब तक बीमारी नहीं है बल्कि तरोताजा होने का उपाय है, जब तक पॉर्न देखने की फ्रीक्वेंसी पर हमारी इच्छा का नियंत्रण है. लेकिन अगर हम पॉर्न देखने की इच्छा पर नियंत्रण रखने में असफल हों तो इसके जबरदस्त नुकसान हैं. असल में तब यह एक ऐसी लाइलाइज बीमारी में तब्दील हो जाती है, जिससे उबरना मुश्किल होता है.

पिछला दशक पूरी दुनिया में साइबर सेक्स की फंतासियों का इंज्वाय करने वाला दशक था. लेकिन पिछले पांच छह सालों से पूरी दुनिया में साइबर पॉर्न के तमाम जाने अंजाने खतरे सामने आये हैं, जिनसे समाजशास्त्री बहुत चिंतित हैं. वास्तव में अमरीका और यूरोप जहां आज हर एक लाख की आबादी के बीच औसतन एक ऐसा क्लिनिक खुल गया है, जहां साइबर सेक्स के एडिक्शन का इलाज हो रहा है, उससे इसके खतरे का जबरदस्त तरीके से भान हुआ है. समाजशास्त्रियों के मुताबिक साइबर सेक्स एक ऐसी लत है, जो हमें तमाम व्यवहारिक दुनिया से न सिर्फ काट देती है बल्कि उस दुनिया का आनंद लेने में भी अरूचि पैदा कर देती है. हाल के सालों में अमरीकी हाईवेज में पांच से सात फीसदी रोड एक्सीडेंट बढ़े हैं. समाजशास्त्रियों का मानना है कि इनमें कार चलाते हुए, पॉर्न देखने की लत का एक बड़ा हिस्सा है. यही नहीं पॉर्न देखने में औसतन हर व्यक्ति दिन के कम से कम दो घंटे बरबाद करता है. इस श्रम का एक मौद्रिक मूल्य तो है ही. इसका एक भावनात्मक मूल्य भी है. हर दिन औसतन दो घंटे पॉर्न देखने वाले 90 फीसदी लोग निराशा और बेचैनी से घिरे रहते हैं. इनकी उत्पादन क्षमताओं पर साफ साफ इसका असर दिखता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यूरोपियन साइक्रेटिक एसोसिएशन का मानना है कि इसके कारण बहुत तेजी से मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है. कुल मिलाकर साइबर सेक्स एकांत में भले मजा देने का सुरक्षित तरीका हो, लेकिन इसके जो नुकसान सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए तो यही ठीक है कि इससे बचा जाए.

मेरी ससुराल वाले कहते हैं कि बेटे को पढ़ा लो, पर बेटी को पढ़ालिखा कर क्या करोगी?

सवाल

मैं 38 साल की शादीशुदा औरत हूं और 2 बच्चों की मां भी. मैं ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं हूं, पर अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती हूं, लेकिन मेरी ससुराल वाले इस काम में मुझे सहयोग नहीं देते हैं. वे कहते हैं कि बेटे को पढ़ा  लो, पर बेटी को पढ़ालिखा कर क्या करोगी. मेरे पति भी अपने परिवार की हां में हां मिलाते हैं. मैं क्या करूं?

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जवाब

आप अपनी जगह सही हैं कि बेटी को भी बेटे के बराबर से तालीम हासिल करने का हक है, इसलिए अपनी जायज बात पर अड़ी रहें और ससुराल वालों को समझाएं कि अनपढ़ या कम पढ़ीलिखी लड़की को जिंदगीभर परेशानियां झेलनी पड़ती हैं और उन की शादी भी आसानी से नहीं होती.

ससुराल वालों से पहले पति को अपनी औलाद के भविष्य के बारे में बताएं.  इस पर भी बात न बने, तो खुद छोटेमोटे काम कर के बेटी की पढ़ाई का खर्चा उठाएं,

लेकिन किसी भी कीमत पर उस के न पढ़ने देने की ज्यादती न होने दें. यह एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की समस्या है. इस से लड़ें, झुकें नहीं.

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नपुंसकता- एक गंभीर समस्या

राइटर- श्री प्रकाश

सारी दुनिया में मर्दों में नामर्दी, जिसे इंगलिश में इरैक्टाइल डिस्फंक्शन भी कहते हैं, एक गंभीर समस्या बन गई है. अमेरिका जैसे अमीर व तरक्कीशुदा देश में भी इस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नवंबर का महीना ‘नैशनल इंपोटैंसी मंथ’ यानी राष्ट्रीय नपुंसकता मास के रूप में मनाया जा रहा है. यह मुहिम नामर्दी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए चलाई जाती है.

मर्दों में नामर्दी एक चिंता की बात है. डायबिटीज और दिल की बीमारी भी नामर्दी की वजहें हो सकती हैं. पूरी दुनिया में टाइप 1 व टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की तादाद करोड़ों में है और यह तादाद हर रोज बढ़ रही है.

डायबिटीज से ब्लड प्रैशर, किडनी और दिल पर गहरा असर पड़ता है, पर साथ में इस के चलते भी इरैक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी या नामर्दी होती है.

नामर्दी या इरैक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है

मर्द के अंग का संभोग के पहले इस क्रिया के सही कड़ापन न होना या संभोग तक उस हालत में न बने रहने को ही नामर्दी कहते हैं. बांझपन, जल्दी पस्त होना और सैक्स की इच्छा में कमी को नामर्दी नहीं कहते हैं.

नामर्दी का असर

एक रिसर्च में देखा गया है कि इरैक्टाइल डिस्फंक्शन के असर से 50 फीसदी मर्दों की क्वालिटी औफ लाइफ पर बुरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं, इस का गलत असर पार्टनर की क्वालिटी औफ लाइफ पर भी पड़ता है. इस का असर जिस्मानी, दिमागी, भावनात्मक और आपसी रिश्ते पर पड़ता है. खासकर मर्द द्वारा अपने पार्टनर को न खुश करने के चलते उसे आत्मविश्वास में कमी होने या हीनभावना पैदा होने का डर है.

ईडी या इरैक्टाइल डिस्फंक्शन

अंग की नसों का ठीक से काम न करना, अंग में खून का दौरा सही न होना, दिमाग से सैक्स के लिए बढ़ावा और सिगनल न मिलने से भी नामर्दी की की समस्या होगी.

नाड़ी संबंधित रोग

हाई ब्लड प्रैशर और ज्यादा कोलैस्ट्रौल के चलते खून की धमनियां सख्त हो जाती हैं और दिल, दिमाग और अंग में खून का दौरा बाधित हो जाता है. इस के चलते नसें और धमनियों को खून पहुंचता है और अंग तक समुचित खून नहीं पहुंचने से यह बीमारी हो सकती है.

किडनी रोग

इस में रासायनिक बदलाव होने के चलते हार्मोनों पर असर पड़ता है. इस के अलावा खून के दौरे, नसों और जिस्मानी ताकत पर बुरा असर होता है.

न्यूरोलौजिकल या नसों के रोग

स्ट्रोक, अल्जाइमर, पार्किंसन और मल्टीपल स्कलेरोसिस और स्पाइन (रीढ़) में  चोट लगने से यह होता है.

प्रोस्टेट कैंसर

इस के चलते भी नामर्दी हो सकती है. हालांकि सिर्फ कैंसर से यह नहीं होता है. कैंसर के इलाज के साइड इफैक्ट के चलते यह होता है. इस के अलावा बढ़ती उम्र के असर से भी यह बीमारी होती है.

मनोवैज्ञानिक वजह

तनाव, अंग में चोट लगने, कुछ दवाएं, प्रोस्टेट, ब्लेडर, कोलोन यानी मलाशय के कैंसर की सर्जरी के अंग के चलते नामर्दी का डर होता है. तंबाकू, शराब और नशीली दवा के इस्तेमाल से खून की नलिकाओं को नुकसान होता है और अंग तक खून का दौरा बाधित होने से यह बीमारी होती है.

डाक्टरों के मुताबिक, इरैक्टाइल डिस्फंक्शन यानी नामर्दी की समस्या पूरी दुनिया में है. भारत में भी यह फैली हुई है, पर इस के बारे में मर्द खुल कर बात करने में शरमाते हैं या ठीक नहीं समझते हैं.

टाइम्स औफ इंडिया के एक पुराने सर्वे के मुताबिक, भारत में 25 फीसदी इस बीमारी के शिकार 20 से 30 साल की उम्र के मर्द हैं यानी नौजवान.

एक दूसरे सर्वे के मुताबिक, 30 फीसदी नपुंसक मर्द 40 साल से कम उम्र के हैं, जबकि 53 फीसदी को इस के बारे में जानकारी ही नहीं है. इस का आसान इलाज भी मुहैया है, पर वे शर्म से आगे नहीं आते हैं. ज्यादातर डाक्टरों का मानना है कि इस बारे में उन की पत्नियां अहम योगदान दे सकती हैं.

नामर्दी

इस बीमारी का पता लगाने के लिए माहिर डाक्टर, जिसे यूरोलौजिस्ट कहते हैं, की सलाह ले सकते हैं. इस के कुछ उपचार इस तरह हैं :

जीने के तरीकों पर कंट्रोल

धूम्रपान, शराब और दूसरी नशीली दवाओं का त्याग, वजन पर कंट्रोल, पौष्टिक आहार और नियमित कसरत करना.

मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग

नामर्दी चिंता, डिप्रैशन और रिश्ते में कड़वाहट के चलते होती है, तब मनोवैज्ञानिक से सलाह ले कर उस की सलाह के मुताबिक चलने से फायदा होता है.

दवाएं

इरैक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए कुछ दवाएं मुहैया हैं, जिन का सेवन डाक्टर की सलाह के बाद कर सकते हैं. ये दवाएं गोली या इंजैक्शन के रूप में हो सकती हैं.

टैस्टोस्टैरोन हार्मोन उपचार

जिन मर्दों में टैस्टोस्टैरोन नामक हार्मोन की कमी है, उन्हें इस इलाज की जरूरत होती है. इसे एंड्रोजन रिप्लेसमैंट थैरेपी भी कहते हैं.

कुछ मामलों में डाक्टर पैनिस पंप के इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं.

सर्जरी

अगर और किसी और तरीके से पैनिस में खून का दौरा सही तरीके से नहीं हो रहा है, तो डाक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं. खून की कुछ नलिकाओं को रिपेयर कर खून का दौरा बढ़ाया जाता है.

ऐक्सटर्नल पैनाइल प्रोस्थैसिस या कृत्रिम अंग

डाक्टर सही समझें तो इस में पैनाइल स्लीव्स, सपोर्ट वगैरह लगा कर इस बीमारी को ठीक करने की सलाह दे सकते हैं.

यह एक आसान और सस्ता उपाय है और इसे डिवाइस बिना डाक्टर की परची के मिलते हैं. इस डिवाइस पर अभी और रिसर्च हो रही है.

इरैक्टाइल डिस्फंक्शन डाक्टरों और वैज्ञानिकों के लिए चिंता की बात है, इसलिए इस के इलाज के लिए वे लगातार कोशिश कर रहे हैं. निकट भविष्य में वे कुछ दूसरे उपचार मुहैया कर रहे हैं, जैसे प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थैरेपी, वैस्कुलर स्टेट, पैनाइल ट्रांसप्लांट वगैरह.

पिता की अचानक मौत से घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 23 साल का हूं. पिता की अचानक मौत से घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई है. लेकिन फिलहाल मेरे पास किसी भी तरह की नौकरी नहीं है. इस वजह से मैं चिंता में बहुत ज्यादा घुलने लगा हूं. मुझे इस समस्या से छुटकारा दिलाने का उपाय बताएं?

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जवाब

कम उम्र में पिता की मौत किसी दुख के पहाड़ से कमतर नहीं होती, लेकिन चिंता करने से आप की समस्या हल नहीं होने वाली है. इसे एक चुनौती की शक्ल में लें कि हां, मैं पिता की छोड़ी जिम्मेदारियां निभाऊंगा और फिर जो?भी काम मिले, उसे करें. जब चार पैसे खुद की मेहनत के आएंगे तो आप की चिंता भी दूर होने लगेगी. पिता की छोड़ी जमापूंजी ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी, इसलिए वक्त रहते पूरे आत्मविश्वास से जिंदगी की जंग लड़ें.

ये भी पढ़ें- मेरी पेशाब वाली नस दब गई है, मुझे पेशाब करने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है. इलाज बताएं?

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मेरी पेशाब वाली नस दब गई है, मुझे पेशाब करने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है. इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी पेशाब वाली नस दब गई है, जिस से मुझे पेशाब करने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है. इलाज बताएं?

ये भी पढ़ें- मेरी शादी हुए 8 वर्ष हो गए हैं और मेरे पति मुझे बातबात पर डांटा करते हैं. मै क्या करूं?

जवाब- 

आप को पेशाब के रास्ते में क्या तकलीफ है, यह तो डाक्टरी जांच के बाद ही पता चल सकेगा. इस का इलाज मुश्किल नहीं है.

ये भी पढ़ें- मेरी पत्नी काफी खूबसूरत है और सब मेरी पत्नी की

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मेरे ससुराल वाले रोज मेरे साथ झगड़ा करते हैं जिस वजह से मैं बहुत तनाव में रहती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 21 साल की हूं. 3 साल पहले मेरी शादी हुई थी, तब से ससुराल वालों ने मेरी जिंदगी तबाह कर रखी है. वे रोज मेरे साथ झगड़ा करते हैं. इस बात से मैं बहुत तनाव में रहती हूं. मैं क्या करूं?

जवाब-

बिलाशक, ससुराल वाले आप के साथ ज्यादती कर रहे हैं. दहेज इस की वजह हो सकती है. वैसे, यह भी याद रखें कि झगड़े की ताली एक हाथ से नहीं बजती, इसलिए यह जानने की कोशिश करें कि ससुराल वाले आप से क्या उम्मीद करते हैं.

मेरी पत्नी बड़ी झगड़ालू और जिद्दी है, रात को जब संबंध बनाने की कोशिश करता हूं तो झगड़ने लगती है, मैं क्या करूं?

आप की पहली कोशिश उन से तालमेल बैठाने की होनी चाहिए, क्योंकि जिंदगी हराम कर देने की जो शिकायत आप की है, वही उन की भी होगी.

अभी भी वक्त है इसलिए आप यह समस्या सुलझा सकती हैं. जिंदगी में कई बार समझौते भी करने पड़ते हैं. इस में आप के पति का रोल भी अहम है. जरा उस के बारे में सोचें कि वह बेचारा तो दो पाटों के बीच पिस रहा?है जो न आप से कुछ कह सकता है और न ही अपने?घर वालों से कुछ कह सकता है.

क्या आप की समस्या उस की समस्या से बड़ी है? इस पर विचार करेंगी तो आप को अपनी समस्या का हल मिल जाएगा.

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जानिए कार में सेक्स क्यों करते हैं लोग

कोई कार में सेक्स करने के बारे में कैसे सोच सकता है? वहां जगह की कमी होती है, चलती गाड़ी हिचकोले भी खाती है, जिससे रगड़ लगने का भी डर रहता है और तो और पकड़े जाने का खतरा, वो अलग. इस सबके बावजूद सन 1930 से, मतलब कि जब से गाड़ियों की पिछली सीटें गद्दीदार हुई हैं, तब से लड़के-लड़कियां उस पर कूदे जा रहे हैं.

वैसे तो पिछली शताब्दी में खड़ी गाड़ियां कई गरमा-गर्म मुलाकातों का पसंदीदा स्थान रहा करती थी, लेकिन आजकल के युवा इस बारे में क्या सोचते हैं इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं  थी.

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अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक दल को लगा कि इस विषय पर और शोध की ज़रुरत है और इस बारे में और जानने के लिए उन्होंने 700 कौलेज विद्यार्थियों से ‘कार में  सेक्स’ के उनके अनुभवों के बारे में बात की.

शोधकर्ताओं ने उनसे तरह तरह के सवाल पूछे, जैसे कि उन्होंने कार में सेक्स क्यों किया, और क्या वो उस समय अपने दीर्घकालिक साथी के साथ थे या फिर वो केवल एक बार की मुलाकात थी. वो यह भी जानना चाहते थे कि उन लोगों के बीच किस तरह का सेक्स हुआ और वो अनुभव अच्छा था या बुरा. उनको इस बात की उत्सुकता थी कि उन्होंने गाड़ी के कौनसे हिस्से में सेक्स किया और उस समय उनकी गाड़ी कहां पार्क थी.

पिछली सीट पर सेक्स

60 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कार में सेक्स किया हुआ था. लगभग 15% की तो कौमार्यता भी गाड़ी में ही भंग हुई थी. कार आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में खड़ी की जाती थी और लगभग 60 प्रतिशत मौकों पर ‘मौका-ए-वारदात’ गाड़ी की पिछली सीट थी.

वैसे तो योनि संभोग ही सबसे लोकप्रिय था लेकिन जननांग स्पर्श और मुखमैथुन के किस्से भी शोधकर्ताओं की नजर में आये थे. हालांकि इन पर बिताया गया समय आधे घंटे से कम ही था. अधिकांश छात्र गाड़ी में अपने दीर्घकालिक साथी के साथ या किसी ऐसे के साथ थे जिनके साथ वो एक गंभीर रिश्ते में थे. शायद अध्ययन में सम्मिलित हुए छात्र गाड़ी में अनौपचारिक सेक्स ज्यादा पसंद नहीं करते थे, या फिर शायद उन्हें अनौपचारिक सेक्स ही पसंद नहीं था.

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रुका ना जाए भइया!

तो ऐसी क्या मजबूरी थी कि अपने घर के आरामदायक गद्दों और बैडरूम को छोड़कर यह लोग गाड़ी में सेक्स कर रहे थे? ज्यादातर लोगों के लिए यह कामुक जोश से ज्यादा नहीं था. कम से कम 85 प्रतिशत छात्रों का कहना था कि वो या उनका साथी एकदम से कामोत्तेजित हो गए थे और ऐसे समय में यह नहीं देखा जाता कि आप कहां है. यहां यह याद रखना भी जरूरी है कि आधे से ज्यादा छात्रों ने यह भी स्वीकारा था कि असल में उनके पास और कोई जगह भी नहीं थी.

हालांकि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ओर्गास्म का सुख अधिक नसीब हुआ था लेकिन मजा तो दोनों को ही आया था. तो शोधकर्ताओं को यह जानकर कतई आश्चर्य नहीं हुआ कि अजीब परिस्थितियों, कम जगह, पकड़े जाने के जोखिम, और टेढ़ी-मेढ़ी मुद्राओं के बावजूद, अधकांश लोगों की लिए यह अनुभव मजेदार ही रहा था. जाहिर है कि अगर किसी पुलिसवाले ने आपको रंगे हाथों पकड़ लिया, जैसा कि लगभग 10 प्रतिशत छात्रों के साथ हुआ भी था, तो आपके लिए यह अनुभव कटु अनुभव ही रहेगा, लेकिन उसके साथ-साथ यादगार भी रहेगा.

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मेरे बौयफ्रेंड ने अपने दोस्तो से कहा कि मैं उसके लिए टाइमपास हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल
मैं 16 वर्षीय युवती हूं. एक लड़के से प्यार करती हूं. पर बहुत दुख हुआ जब उस ने अपने दोस्तों से मेरे बारे में सिर्फ टाइमपास की बात कही. अब एक और लड़के से मेरी दोस्ती हुई है. वह मुझ पर जान छिड़कता है. मेरी परवाह करता है, परंतु मैं अब भी अपने पहले बौयफ्रैंड को प्यार करती हूं. उसे भुला नहीं सकती. बताएं, मैं क्या करूं?

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जवाब

अभी आप की उम्र बहुतकम है. इस उम्र में बुद्धि इतनी परिपक्व नहीं होती कि व्यक्ति को परख सके. इसलिए आप अभी प्यार मुहब्बत के चक्कर से दूर रहें. जिसे आप प्यार समझ रही हैं वह महज यौनाकर्षण है, जो जितनी जल्दी होता है उतनी ही जल्दी समाप्त भी हो जाता है. अत: किसी मुगालते में न रहें. कुछ सालों बाद आप को स्वयं अपनी इस नासमझी पर हंसी आएगी.

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मेरी इंगेजमैंट हुए 4 महीने हो गए हैं लेकिन मुझे अपने मंगेतर पर जरा भी प्यार नहीं आता, मैं क्या करूं?

सवाल 

मैं टीचिंग प्रोफैशन में हूं. और मेरी इंगेजमैंट हुए 4 महीने हो गए हैं, लेकिन मुझे अपने मंगेतर पर जरा भी प्यार नहीं आता. वे जब भी मेरे करीब आते हैं तो मैं उन्हें दूर भगा देती हूं. इस का कारण है कि मैं अपने बौयफ्रैंड को नहीं भुला पा रही हूं. मेरे पेरैंट्स ने जबरदस्ती मेरा रिश्ता तय कर दिया है. उस लड़के की जौब अच्छी है, सिर्फ जाति अलग है. समझ नहीं आ रहा कैसे इस रिश्ते को आगे बढ़ाऊं.

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जवाब

यह सच है कि जिस रिश्ते को जबरदस्ती ढोया जाता है वह हमेशा डगमगाता ही है. साथ ही उस में वह अपनापन भी नहीं आ पाता जो आना चाहिए. आप की क्या मजबूरी थी जो आप ने इस रिश्ते के लिए हां की, इस बात का जिक्र आप ने नहीं किया. लेकिन अभी भी देर नहीं हुई. आप अपने पेरैंट्स को समझाएं कि जिस लड़के को आप पसंद करती हैं वह पढ़ालिखा है और आप को बहुत खुश रखेगा. सिर्फ जाति के कारण हमें अलग न करें. जो रिश्ता आप ने जोड़ा है उस रिश्ते को मैं जीवनभर नहीं निभा पाऊंगी. आप की बात सुन हो सकता है उन्हें समझ आ जाए वरना आप अपने मंगेतर को सारी बातों से अवगत करवा दें ताकि समस्या का कोई हल निकल पाए.

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मैं अपने पड़ोसी से प्यार करती हूं और हमारे बीच कई बार सेक्स भी हो चुका है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 19 साल की हूं और अपने पड़ोस के एक 25 साल के लड़के से प्यार करती हूं. हमारे बीच कई बार जिस्मानी रिश्ता बन चुका है. पर पिछले कुछ दिनों से वह लड़का मुझे कई बार दूसरी लड़की के साथ दिखाई दिया है, जो बड़ी चालू किस्म की है.

मैं जब लड़के को टोकती हूं तो वह कहता है कि वे दोनों बस अच्छे दोस्त हैं. कहीं वह लड़का मेरा फायदा तो नहीं उठा रहा है?

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जवाब-

उस लड़के ने आप की मरजी के बगैर तो संबंध नहीं बनाए न? जो भी हुआ, दोनों की रजामंदी से हुआ. फिर अब उस की दूसरी लड़की से दोस्ती पर आप तिलमिला क्यों रही हैं?

आजकल के प्यार में अकसर ऐसा ही होता है कि आशिक और माशूका शादी समेत दूसरे बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन जिस्मानी संबंध लगातार बनने के बाद उन्हें सब फुजूल लगने लगता है.

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आप उस लड़के से दोटूक बात करें. अगर वह आप से शादी के लिए राजी हो तो ठीक, नहीं तो आप अपने करियर पर ध्यान देते हुए उसे भूल जाएं.

सेक्स या मुहब्बत

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सेक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सेक्स शामिल हो गया है. प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सेक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता. प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

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क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं. एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन. शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है. लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

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मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया. कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए.

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कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए. परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

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