राइटर- श्री प्रकाश

सारी दुनिया में मर्दों में नामर्दी, जिसे इंगलिश में इरैक्टाइल डिस्फंक्शन भी कहते हैं, एक गंभीर समस्या बन गई है. अमेरिका जैसे अमीर व तरक्कीशुदा देश में भी इस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नवंबर का महीना ‘नैशनल इंपोटैंसी मंथ’ यानी राष्ट्रीय नपुंसकता मास के रूप में मनाया जा रहा है. यह मुहिम नामर्दी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए चलाई जाती है.

मर्दों में नामर्दी एक चिंता की बात है. डायबिटीज और दिल की बीमारी भी नामर्दी की वजहें हो सकती हैं. पूरी दुनिया में टाइप 1 व टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की तादाद करोड़ों में है और यह तादाद हर रोज बढ़ रही है.

डायबिटीज से ब्लड प्रैशर, किडनी और दिल पर गहरा असर पड़ता है, पर साथ में इस के चलते भी इरैक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी या नामर्दी होती है.

नामर्दी या इरैक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है

मर्द के अंग का संभोग के पहले इस क्रिया के सही कड़ापन न होना या संभोग तक उस हालत में न बने रहने को ही नामर्दी कहते हैं. बांझपन, जल्दी पस्त होना और सैक्स की इच्छा में कमी को नामर्दी नहीं कहते हैं.

नामर्दी का असर

एक रिसर्च में देखा गया है कि इरैक्टाइल डिस्फंक्शन के असर से 50 फीसदी मर्दों की क्वालिटी औफ लाइफ पर बुरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं, इस का गलत असर पार्टनर की क्वालिटी औफ लाइफ पर भी पड़ता है. इस का असर जिस्मानी, दिमागी, भावनात्मक और आपसी रिश्ते पर पड़ता है. खासकर मर्द द्वारा अपने पार्टनर को न खुश करने के चलते उसे आत्मविश्वास में कमी होने या हीनभावना पैदा होने का डर है.

ईडी या इरैक्टाइल डिस्फंक्शन

अंग की नसों का ठीक से काम न करना, अंग में खून का दौरा सही न होना, दिमाग से सैक्स के लिए बढ़ावा और सिगनल न मिलने से भी नामर्दी की की समस्या होगी.

नाड़ी संबंधित रोग

हाई ब्लड प्रैशर और ज्यादा कोलैस्ट्रौल के चलते खून की धमनियां सख्त हो जाती हैं और दिल, दिमाग और अंग में खून का दौरा बाधित हो जाता है. इस के चलते नसें और धमनियों को खून पहुंचता है और अंग तक समुचित खून नहीं पहुंचने से यह बीमारी हो सकती है.

किडनी रोग

इस में रासायनिक बदलाव होने के चलते हार्मोनों पर असर पड़ता है. इस के अलावा खून के दौरे, नसों और जिस्मानी ताकत पर बुरा असर होता है.

न्यूरोलौजिकल या नसों के रोग

स्ट्रोक, अल्जाइमर, पार्किंसन और मल्टीपल स्कलेरोसिस और स्पाइन (रीढ़) में  चोट लगने से यह होता है.

प्रोस्टेट कैंसर

इस के चलते भी नामर्दी हो सकती है. हालांकि सिर्फ कैंसर से यह नहीं होता है. कैंसर के इलाज के साइड इफैक्ट के चलते यह होता है. इस के अलावा बढ़ती उम्र के असर से भी यह बीमारी होती है.

मनोवैज्ञानिक वजह

तनाव, अंग में चोट लगने, कुछ दवाएं, प्रोस्टेट, ब्लेडर, कोलोन यानी मलाशय के कैंसर की सर्जरी के अंग के चलते नामर्दी का डर होता है. तंबाकू, शराब और नशीली दवा के इस्तेमाल से खून की नलिकाओं को नुकसान होता है और अंग तक खून का दौरा बाधित होने से यह बीमारी होती है.

डाक्टरों के मुताबिक, इरैक्टाइल डिस्फंक्शन यानी नामर्दी की समस्या पूरी दुनिया में है. भारत में भी यह फैली हुई है, पर इस के बारे में मर्द खुल कर बात करने में शरमाते हैं या ठीक नहीं समझते हैं.

टाइम्स औफ इंडिया के एक पुराने सर्वे के मुताबिक, भारत में 25 फीसदी इस बीमारी के शिकार 20 से 30 साल की उम्र के मर्द हैं यानी नौजवान.

एक दूसरे सर्वे के मुताबिक, 30 फीसदी नपुंसक मर्द 40 साल से कम उम्र के हैं, जबकि 53 फीसदी को इस के बारे में जानकारी ही नहीं है. इस का आसान इलाज भी मुहैया है, पर वे शर्म से आगे नहीं आते हैं. ज्यादातर डाक्टरों का मानना है कि इस बारे में उन की पत्नियां अहम योगदान दे सकती हैं.

नामर्दी

इस बीमारी का पता लगाने के लिए माहिर डाक्टर, जिसे यूरोलौजिस्ट कहते हैं, की सलाह ले सकते हैं. इस के कुछ उपचार इस तरह हैं :

जीने के तरीकों पर कंट्रोल

धूम्रपान, शराब और दूसरी नशीली दवाओं का त्याग, वजन पर कंट्रोल, पौष्टिक आहार और नियमित कसरत करना.

मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग

नामर्दी चिंता, डिप्रैशन और रिश्ते में कड़वाहट के चलते होती है, तब मनोवैज्ञानिक से सलाह ले कर उस की सलाह के मुताबिक चलने से फायदा होता है.

दवाएं

इरैक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए कुछ दवाएं मुहैया हैं, जिन का सेवन डाक्टर की सलाह के बाद कर सकते हैं. ये दवाएं गोली या इंजैक्शन के रूप में हो सकती हैं.

टैस्टोस्टैरोन हार्मोन उपचार

जिन मर्दों में टैस्टोस्टैरोन नामक हार्मोन की कमी है, उन्हें इस इलाज की जरूरत होती है. इसे एंड्रोजन रिप्लेसमैंट थैरेपी भी कहते हैं.

कुछ मामलों में डाक्टर पैनिस पंप के इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं.

सर्जरी

अगर और किसी और तरीके से पैनिस में खून का दौरा सही तरीके से नहीं हो रहा है, तो डाक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं. खून की कुछ नलिकाओं को रिपेयर कर खून का दौरा बढ़ाया जाता है.

ऐक्सटर्नल पैनाइल प्रोस्थैसिस या कृत्रिम अंग

डाक्टर सही समझें तो इस में पैनाइल स्लीव्स, सपोर्ट वगैरह लगा कर इस बीमारी को ठीक करने की सलाह दे सकते हैं.

यह एक आसान और सस्ता उपाय है और इसे डिवाइस बिना डाक्टर की परची के मिलते हैं. इस डिवाइस पर अभी और रिसर्च हो रही है.

इरैक्टाइल डिस्फंक्शन डाक्टरों और वैज्ञानिकों के लिए चिंता की बात है, इसलिए इस के इलाज के लिए वे लगातार कोशिश कर रहे हैं. निकट भविष्य में वे कुछ दूसरे उपचार मुहैया कर रहे हैं, जैसे प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थैरेपी, वैस्कुलर स्टेट, पैनाइल ट्रांसप्लांट वगैरह.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...