Raksha Bandhan Special: ‘सई’ से लेकर ‘इमली’ तक, सबके पास होनी चाहिए ऐसी 5 बहनें

भाई-बहन का ही एक ऐसा रिश्ता होता है, जिसमें नोक-झोक के बावजूद भी दोनों मुश्किल वक्त में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं. इस रिश्ते की खूबसूरती को टीवी सीरियल में काफी अच्छे से दिखाया जा रहा है तो आज आपको रक्षाबंधन स्पेशल में सीरियल के ऐसे पांच फेवरेट कैरेक्टर्स बारे में बताएंगे.  जिन्हें  फैंस खूब पसंद करते हैं.  हर कोई चाहता है कि इन कैरेक्टर्स की तरह ही उनका भी रिश्ता मजबूत हो. आइए बताते हैं टीवी के पांच भाई-बहनों के बारे में जो इस रिश्ते का किरदार बखूबी निभा रहे हैं.

  1. इमली: सौतेली बहन के लिए इमली ने दी प्यार की कुर्बानी

इस सीरियल में इमली का किरदार सुम्बुल तौकीर खान निभा रही हैं. शो में दिखाया गया है कि इमली गांव की रहने वाली है. आदित्य से शादी करने के बाद वह शहर जाती है. शहर आकर इमली पढ़ाई करती है और अपनी एक नई पहचान बनाती है. लेकिन जब उसे पता चलता है आदित्य की पत्नी मालिनी उसकी बहन है, ऐसे में वह अपना हक छोड़ना चाहती है. आदित्य की पहली पत्नी होने के बावजूद भी इमली चाहती है कि उसकी बहन मालिनी को सारे अधिकार मिले और वह खुश रहे.

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2.  गुम है किसी के प्यार में: सई ने अपनी ननद के लिए उठाई आवाज

शो में सई का किरदार आयशा सिंह निभा रही हैं. वह चौहान परिवार के दिल में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब हो रही है. शो में सई का कोई भाई नहीं है लेकिन वह अपनी ननद देवयानी और देवर मोहित का हर मोड़ पर साथ देती है, दोनों के लिए आवाज उठाती है. शो में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि अब वह अपने सम्राट दादा के हक के लिए भी लड़ रही है. अब तो हर कोई चाहेगा कि सई जैसी बहन हो!

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3.  ससुराल सिमर का: सिमर ने भाई के लिए दांव पर लगाई अपनी जान 

अब बात करते हैं ससुराल सिमर का. इस शो में सीमर का कैरेक्टर बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है. सीमर एक आदर्श बेटी-बहू होने के साथ-साथ एक आदर्श बहन भी है. जिसने अपनी बहन की खुशी के लिए अपनी खुशियों की कुर्बानी दे दी. सबके ताने सुनते हुए उसने आरव से शादी कर ली. इता ही नहीं वह अपने भाई का जान बचाने के लिए खुद की जान दांव पर लगा दी. तो सबको सीमर जैसी केयरिंग और प्यारी बहन चाहिए.

 

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4. अनुपमा: किंजल ने अपने देवर को माना छोटा भाई

स्टार प्लस का पॉपुलर सीरियल अनुपमा की किंजल भी एक आदर्श बहन है. हरकोई चाहता है कि बहन हो तो किंजल जैसी. जो प्यारी हो और सबका ख्याल रखती है. किंजल मॉडर्न होते हुए भी अपने रिश्ते और परंपरा को नहीं भूलती है. शो में समर के साथ किंजल का रिश्ता है, वो तो बहुत प्यारा है. वह अपने देवर समर को छोटे भाई जैसा ट्रिट करती है. हर कोई चाहता है कि  किंजल और समर जैसा भाई-बहन का रिश्ता हो.

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 5. उड़ारिया: तेजो ने धोखेबाज बहन का भी दिया साथ

अब बात करते है तोजो यानी प्रियंका चौधरी की. कलर्स का मशहूर सीरियल उड़ारिया में प्रियंका चौधरी तेजो का  किरदार निभा रही हैं. शो में तेजो का कैरेक्टर बेहद प्यारा है. तेजो जिस तरह से अपने परिवार और भाई-बहन के हमेश लिए खड़ी रहती है, वह एक मिशाल है. तेजो की बहन ही उसे पीठ पिछे धोखा देती है लेकिन वह अपनी बहन का साथ कभी नहीं छोड़ती.

 

टीवी के ये कैरेक्टर्स बहुत ही प्यारे हैं. हर कोई चाहता है कि उनकी जिंदगी में इसी तरह की बहनें हो. हमारी तरफ से आप सभी को हैप्पी रक्षाबंधन.

Rakhsha Bandhan Special: बहन की स्वतंत्रता में बाधक न बनें

हम बात सगे भाईबहनों की नहीं कर रहे बल्कि उस प्यारे से रिश्ते की कर रहे हैं, जिसे दुनिया वालों की नजरों में मुंहबोले भाईबहन कहते हैं. लेकिन सच तो यह है कि इस की गहराई किसी भी सगे भाईबहन से कम नहीं होती. इस में परेशानी तब आती है जब यह रिश्ता पजेसिवपन की हद पार कर जाता है और मुंहबोला भाई अनजाने में ही बहन की केयर करतेकरते उस की आजादी में खलल डालने लगता है और यह बात उन दोनों के रिश्ते पर विपरीत प्रभाव डालती है.

दुनिया की इस भीड़ में बड़े प्यार से खुद बनाए इस रिश्ते की गरिमा, सम्मान और प्यार यों ही हमेशा बना रहे इस के लिए भाई को यह ध्यान रखना होगा कि कहीं वह बहन की स्वतंत्रता में बाधक तो नहीं बन रहा. अगर ऐसा है तो यह आप दोनों के रिश्ते के लिए सही नहीं है. आइए, जानें इस रिश्ते में आजादी, केयर और प्यार ये तीनों चीजें कैसे बरकरार रखें :

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भाई बनें पिता नहीं

कई घरों में लड़कों को अलग ही अंदाज में पाला जाता है. बचपन से ही उन्हें यह सिखाया जाता है कि पूरा घर तुम से ही चलता है, इसलिए उन्हें रोब में रहने की आदत हो जाती है और वे घर पर पिता के होते हुए भी खुद को मुखिया समझने लगते हैं. खासतौर पर बहन के मामले में तो यह बहुत ज्यादा होता है. वे बहन पर रोब झाड़ते हैं यह बात गलत है. वैसे सगी बहन के मामले में आप का यह व्यवहार चल भी जाए पर मुंहबोली बहन के मामले में बोलने का आप को कोई हक नहीं है. मुंहबोली बहन से चाहे आप का रिश्ता कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन परिवार के बाकी सदस्य आप को वह जगह नहीं दे सकते जो उस घर के बेटे की है. इसलिए बेवजह मुंहबोली बहन को हड़काना ठीक नहीं है. उसे पिता की तरह डांटने के बजाय एक भाई की तरह प्यार करें.

हर बात में टांग न अड़ाएं

बहन की हर छोटीबड़ी बात में टांग अड़ाने को अपनी आदत न बनाएं. बहन की कुछ बातें आप को सही लगती होंगी और कुछ गलत, लेकिन गलत बातों के लिए उसे तुरंत टोकने के बजाय मौका देख कर समझाएं. कुछ चीजें वह आप के समझाने से भी नहीं समझेगी, इसलिए उसे अपनी मनमरजी करने दें. वह खुद ही अपनी गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ेगी, इस में आप को बेवजह उस पर रोकटोक लगाने की जरूरत नहीं है.

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जमाने के साथ चलने दें

‘जमाना बड़ा खराब है’, जैसे डायलौग बोल कर बहन को न पकाएं. यदि जमाना खराब भी है तो आप का फर्ज बनता है कि बहन को उस जमाने के साथ चलने के लायक बनाएं. यदि आप को लगता है. कि मुंहबोली बहन की पर्सनैलिटी दबी हुई है तो आप उसे कुछ ऐसे कोर्स करवाएं जो उस की पर्सनैलिटी को निखारें, यदि उस की इंगलिश कमजोर है तो इंगलिश स्पीकिंग कोर्स करवाएं. उसे जींसस्कर्ट भी पहनने दें. अगर कालेज सभी लोग ऐसे कपड़े पहन कर आते हैं और वह खुद भी ऐसा ही चाहती है तो उसे पहनने दें, बस, उसे उस की मर्यादाएं समझा दें. उसे सीधीसादी नहीं बल्कि जमाने के साथ चलने वाली तेजतर्रार युवती बनाएं, जो अपने हर काम के लिए किसी दूसरे पर आश्रित न रहे बल्कि अपना हर काम खुद कर ले.

जासूसी न करें

बहन कहां आतीजाती है? किस के साथ घूमती है? क्या पहनती है? क्या खाती है? उस के दोस्त कौन हैं? वह फोन पर किस से बात कर रही है? उस का कोई बौयफ्रैंड तो नहीं है? इस तरह उस की जासूसी करना बंद कर दें. जिस दिन उसे पता चलेगा कि आप उस की ऐसी जासूसी करते हैं तो उस का दिल टूट जाएगा, उसे यह बात बिलकुल भी पसंद नहीं आएगी. उसे क्या, यह बात किसी और को भी पसंद नहीं आएगी. बहन की केयर करना एक हद तक तो ठीक है, लेकिन उस के लिए ओवर पजेसिव होना आप के रिश्ते में खटास पैदा कर सकता है.

विश्वास करें

अपनी मुंहबोली बहन पर विश्वास करें. वह पढ़ीलिखी युवती है. उस में भलेबुरे की समझ है. वह अपने लिए जो भी सोचेगी और करेगी वह बेहतर ही होगा. उसे अपने फैसले खुद करने दें. अगर उस का कोई बौयफ्रैंड भी है तो नाराज न हों, हो सकता है उस ने उस के साथ फ्यूचर की कुछ प्लानिंग की हो. इसी तरह अगर उस का लड़केलड़कियों का कोई बड़ा ग्रुप है और वह उस में बिजी रहती है तो इस में चिढ़ने की बात नहीं है, वे सभी उस के दोस्त हैं और वह आउटिंग के लिए उन के साथ बाहर जा रही है तो उस पर विश्वास करें. यदि उसे मदद की जरूरत होगी तो वह आप को बुला लेगी.

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बौडीगार्ड न बनें

यदि बहन लेटनाइट पार्टी में जाना चाहती है तो उस पर पाबंदी न लगाएं. अगर उस ने अपने मम्मीपापा से परमिशन ले ली है तो फिर आप को बीच में नहीं पड़ना चाहिए. हां, एक बार आप अपनी तरफ से अवश्य उसे वैन्यू पर छोड़ने के लिए औफर कर सकते हैं, लेकिन यदि वह ऐसा नहीं चाहती तो आप जिद न करें, उसे जाने दें. हो सकता है वह अपनी कुछ सहेलियों के साथ जा रही हो और आप के साथ जाने में उसे असहज लग रहा हो.

इसी तरह कालेज में भी हर वक्त उस के आगेपीछे न घूमें, अगर किसी युवक ने उसे छेड़ा है या फिर कोई गलत बात कह दी है तो उसे पहले अपने तरीके से हैंडिल कर लेने दें. हर वक्त उस का बौडीगार्ड बन कर रहना ठीक नहीं है.

आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें

बहन को यदि आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है, जैसे कि किसी अच्छे कोर्स में उस का ऐडमिशन शहर से बाहर हो रहा है तो उसे ‘घर से दूर अकेले कैसे रहोगी’, जैसी नेगैटिव बातें कह कर न डराएं बल्कि अगर वह मना करे तो उसे और उस के पेरैंट्स को समझाएं कि यह उस के कैरियर के लिए अच्छा है. अगर उसे जौब या पढ़ाई के सिलसिले में विदेश जाने का मौका मिल रहा है तो उसे वहां जाने के लिए प्रोत्साहित करें. उसे बेवजह यहीं रह कर कुछ करने का प्रलोभन दे कर उस की स्वतंत्रता और तरक्की में बाधक न बनें.

लाइफपार्टनर चुनने की स्वतंत्रता दें

बहन से पूछें कि उसे कैसा लाइफ पार्टनर चाहिए. यदि वह किसी को पहले से ही पसंद करती है और वह युवक भी अच्छा है तो उसे अपना जीवनसाथी बनाने का बहन को पूरा अधिकार है. यह जान कर उसे डांटें नहीं, बल्कि उस के मातापिता को इस रिश्ते के लिए तैयार करने में बहन की मदद करें. अगर बहन की जिंदगी में कोई नहीं है तो भी उसे इंटरनैट, मैरिज साइट्स के जरिए दूल्हा ढूंढ़ने और पसंद करने की आजादी दें, इस के बाद वह युवक सही है या नहीं यह तहकीकात आप कर सकते हैं, लेकिन जो भी हो उस में बहन की पसंद और इच्छा शामिल हो. उसे अपना लाइफ पार्टनर अपनी पसंद से चुनने का पूरा अधिकार है.

मुंहबोली बहन के मातापिता से भी रखें संबंध

आप अपनी मुंहबोली बहन के मातापिता व उस के अन्य भाईबहनों के साथ पारिवारिक रिश्ता कायम करें. केवल बहन तक ही सीमित न रहें. इस से रिश्ते की मर्यादा बनी रहेगी.

मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता है, जिस की नींव एकदूसरे के विश्वास पर टिकी रहती है. इसलिए इस प्यार भरे रिश्ते की गंभीरता व मर्यादा को समझते हुए ही रिश्ता बनाएं ताकि यह रिश्ता बदनाम न होने पाए और लोग इस पर उंगली न उठाने लगें.

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बाधक बनने के नुकसान

–       हर वक्त बहन की स्वतंत्रता में बाधक बनने से वह आप से चिढ़ जाएगी और झूठ बोलना व बातें छिपाना शुरू कर देगी.

–       अपनी स्वतंत्रता हर किसी को प्यारी होती है और जब कोई हमारी स्वतंत्रता में सेंधमारी करता है तो वह हमें पसंद नहीं आता, फिर चाहे वह रिश्ता हमारे लिए कितना भी खास क्यों न हो, इस से उस में दूरी आना स्वाभाविक है.

–       जिस तरह आप उस पर रोकटोक कर रहे हैं, कल ऐसा ही व्यवहार यदि वह भी आप से करेगी, तब शायद आप को भी अच्छा नहीं लगेगा.

–       जिस आजादी की इच्छा आप अपने लिए रखते हैं, वह दूसरों को भी देने के पक्षधर बनें वरना इस से परेशानी आप को ही होगी.

–       आप एक हिटलर भाई के रूप में प्रचलित हो जाएंगे और इस से आप की पर्सनैलिटी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा

Raksha Bandhan Special: भाई-बहन का रिश्ता बनाता है मायका, इसलिए समझें रिश्तों की अहमियत!

पता चला कि राजीव को कैंसर है. फिर देखते ही देखते 8 महीनों में उस की मृत्यु हो गई. यों अचानक अपनी गृहस्थी पर गिरे पहाड़ को अकेली शर्मिला कैसे उठा पाती? उस के दोनों भाइयों ने उसे संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि एक भाई के एक मित्र ने शर्मिला की नन्ही बच्ची सहित उसे अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया.

शर्मिला की मां उस की डोलती नैया को संभालने का श्रेय उस के भाइयों को देते नहीं थकती हैं, ‘‘अगर मैं अकेली होती तो रोधो कर अपनी और शर्मिला की जिंदगी बिताने पर मजबूर होती, पर इस के भाइयों ने इस का जीवन संवार दिया.’’

सोचिए, यदि शर्मिला का कोई भाईबहन न होता सिर्फ मातापिता होते, फिर चाहे घर में सब सुखसुविधाएं होतीं, किंतु क्या वे हंसीसुखी अपना शेष जीवन व्यतीत कर पाते? नहीं. एक पीड़ा सालती रहती, एक कमी खलती रहती. केवल भौतिक सुविधाओं से ही जीवन संपूर्ण नहीं होता, उसे पूरा करते हैं रिश्ते.

सूनेसूने मायके का दर्द: सावित्री जैन रोज की तरह शाम को पार्क में बैठी थीं कि रमा भी सैर करने आ गईं. अपने व्हाट्सऐप पर आए एक चुटकुले को सभी को सुनाते हुए वे मजाक करने लगीं, ‘‘कब जा रही हैं सब अपनेअपने मायके?’’

सभी खिलखिलाने लगीं पर सावित्री मायूसी भरे सुर में बोलीं, ‘‘काहे का मायका? जब तक मातापिता थे, तब तक मायका भी था. कोई भाई भाभी होते तो आज भी एक ठौरठिकाना रहता मायके का.’’

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वाकई, एकलौती संतान का मायका भी तभी तक होता है जब तक मातापिता इस दुनिया में होते हैं. उन के बाद कोई दूसरा घर नहीं होता मायके के नाम पर.

भाईभाभी से झगड़ा:

‘‘सावित्रीजी, आप को इस बात का अफसोस है कि आप के पास भाईभाभी नहीं हैं और मुझे देखो मैं ने अनर्गल बातों में आ कर अपने भैयाभाभी से झगड़ा मोल ले लिया. मायका होते हुए भी मैं ने उस के दरवाजे अपने लिए स्वयं बंद कर लिए,’’ श्रेया ने भी अपना दुख बांटते हुए कहा.

ठीक ही तो है. यदि झगड़ा हो तो रिश्ते बोझ बन जाते हैं और हम उन्हें बस ढोते रह जाते हैं. उन की मिठास तो खत्म हो गई होती है. जहां दो बरतन होते हैं, वहां उन का टकराना स्वाभाविक है, परंतु इन बातों का कितना असर रिश्तों पर पड़ने देना चाहिए, इस बात का निर्णय आप स्वयं करें.

भाईबहन का साथ:

भाई बहन का रिश्ता अनमोल होता है. दोनों एकदूसरे को भावनात्मक संबल देते हैं, दुनिया के सामने एकदूसरे का साथ देते हैं. खुद भले ही एकदूसरे की कमियां निकाल कर चिढ़ाते रहें लेकिन किसी और के बीच में बोलते ही फौरन तरफदारी पर उतर आते हैं. कभी एकदूसरे को मझधार में नहीं छोड़ते हैं. भाईबहन के झगड़े भी प्यार के झगड़े होते हैं, अधिकार की भावना के साथ होते हैं. जिस घरपरिवार में भाईबहन होते हैं, वहां त्योहार मनते रहते हैं, फिर चाहे होली हो, रक्षाबंधन या फिर ईद.

मां के बाद भाभी:

शादी के 25 वर्षों बाद भी जब मंजू अपने मायके से लौटती हैं तो एक नई स्फूर्ति के साथ. वे कहती हैं, ‘‘मेरे दोनों भैयाभाभी मुझे पलकों पर बैठाते हैं. उन्हें देख कर मैं अपने बेटे को भी यही संस्कार देती हूं कि सारी उम्र बहन का यों ही सत्कार करना. आखिर, बेटियों का मायका भैयाभाभी से ही होता है न कि लेनदेन, उपहारों से. पैसे की कमी किसे है, पर प्यार हर कोई चाहता है.’’

दूसरी तरफ मंजू की बड़ी भाभी कुसुम कहती हैं, ‘‘शादी के बाद जब मैं विदा हुई तो मेरी मां ने मुझे यह बहुत अच्छी सीख दी थी कि शादीशुदा ननदें अपने मायके के बचपन की यादों को समेटने आती हैं. जिस घरआंगन में पलीबढ़ीं, वहां से कुछ लेने नहीं आती हैं, अपितु अपना बचपन दोहराने आती हैं. कितना अच्छा लगता है जब भाईबहन संग बैठ कर बचपन की यादों पर खिलखिलाते हैं.’’

मातापिता के अकेलेपन की चिंता:

नौकरीपेशा सीमा की बेटी विश्वविद्यालय की पढ़ाई हेतु दूसरे शहर चली गई. सीमा कई दिनों तक अकेलेपन के कारण अवसाद में घिरी रहीं. वे कहती हैं, ‘‘काश, मेरे एक बच्चा और होता तो यों अचानक मैं अकेली न हो जाती. पहले एक संतान जाती, फिर मैं अपने को धीरेधीरे स्थिति अनुसार ढाल लेती. दूसरे के जाने पर मुझे इतनी पीड़ा नहीं होती. एकसाथ मेरा घर खाली नहीं हो जाता.’’

एकलौती बेटी को शादी के बाद अपने मातापिता की चिंता रहना स्वाभाविक है. जहां भाई मातापिता के साथ रहता हो, वहां इस चिंता का लेशमात्र भी बहन को नहीं छू सकता. वैसे आज के जमाने में नौकरी के कारण कम ही लड़के अपने मातापिता के साथ रह पाते हैं. किंतु अगर भाई दूर रहता है, तो भी जरूरत पर पहुंचेगा अवश्य. बहन भी पहुंचेगी परंतु मानसिक स्तर पर थोड़ी फ्री रहेगी और अपनी गृहस्थी देखते हुए आ पाएगी.

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पति या ससुराल में विवाद:

सोनम की शादी के कुछ माह बाद ही पतिपत्नी में सासससुर को ले कर झगड़े शुरू हो गए. सोनम नौकरीपेशा थी और घर की पूरी जिम्मेदारी भी संभालना उसे कठिन लग रहा था. किंतु ससुराल का वातावरण ऐसा था कि गिरीश उस की जरा भी सहायता करता तो मातापिता के ताने सुनता. इसी डर से वह सोनम की कोई मदद नहीं करता.

मायके आते ही भाई ने सोनम की हंसी के पीछे छिपी परेशानी भांप ली. बहुत सोचविचार कर उस ने गिरीश से बात करने का निर्णय किया. दोनों घर से बाहर मिले, दिल की बातें कहीं और एक सार्थक निर्णय पर पहुंच गए. जरा सी हिम्मत दिखा कर गिरीश ने मातापिता को समझा दिया कि नौकरीपेशा बहू से पुरातन समय की अपेक्षाएं रखना अन्याय है. उस की मदद करने से घर का काम भी आसानी से होता रहेगा और माहौल भी सकारात्मक रहेगा.

पुणे विश्वविद्यालय के एक कालेज की निदेशक डा. सारिका शर्मा कहती हैं, ‘‘मुझे विश्वास है कि यदि जीवन में किसी उलझन का सामना करना पड़ा तो मेरा भाई वह पहला इंसान होगा जिसे मैं अपनी परेशानी बताऊंगी. वैसे तो मायके में मांबाप भी हैं, लेकिन उन की उम्र में उन्हें परेशान करना ठीक नहीं. फिर उन की पीढ़ी आज की समस्याएं नहीं समझ सकती. भाई या भाभी आसानी से मेरी बात समझते हैं.’’

भाईभाभी से कैसे निभा कर रखें:

भाईबहन का रिश्ता अनमोल होता है. उसे निभाने का प्रयास सारी उम्र किया जाना चाहिए. भाभी के आने के बाद स्थिति थोड़ी बदल जाती है. मगर दोनों चाहें तो इस रिश्ते में कभी खटास न आए.

सारिका कितनी अच्छी सीख देती हैं, ‘‘भाईभाभी चाहे छोटे हों, उन्हें प्यार देने व इज्जत देने से ही रिश्ते की प्रगाढ़ता बनी रहती है नाकि पिछले जमाने की ननदों वाले नखरे दिखाने से. मैं साल भर अपनी भाभी की पसंद की छोटीबड़ी चीजें जमा करती हूं और मिलने पर उन्हें प्रेम से देती हूं. मायके में तनावमुक्त माहौल बनाए रखना एक बेटी की भी जिम्मेदारी है. मायके जाने पर मिलजुल कर घर के काम करने से मेहमानों का आना भाभी को अखरता नहीं और प्यार भी बना रहता है.’’

ये आसान सी बातें इस रिश्ते की प्रगाढ़ता बनाए रखेंगी:

– भैयाभाभी या अपनी मां और भाभी के बीच में न बोलिए. पतिपत्नी और सासबहू का रिश्ता घरेलू होता है और शादी के बाद बहन दूसरे घर की हो जाती है. उन्हें आपस में तालमेल बैठाने दें. हो सकता है जो बात आप को अखर रही हो, वह उन्हें इतनी न अखर रही हो.

– यदि मायके में कोई छोटामोटा झगड़ा या मनमुटाव हो गया है तब भी जब तक आप से बीचबचाव करने को न कहा जाए, आप बीच में न बोलें. आप का रिश्ता अपनी जगह है, आप उसे ही बनाए रखें.

– यदि आप को बीच में बोलना ही पड़े तो मधुरता से कहें. जब आप की राय मांगी जाए या फिर कोई रिश्ता टूटने के कगार पर हो, तो शांति व धैर्य के सथ जो गलत लगे उसे समझाएं.

– आप का अपने मायके की घरेलू बातों से बाहर रहना ही उचित है. किस ने चाय बनाई, किस ने गीले कपड़े सुखाए, ऐसी छोटीछोटी बातों में अपनी राय देने से ही अनर्गल खटपट होने की शुरुआत हो जाती है.

– जब तक आप से किसी सिलसिले में राय न मांगी जाए, न दें. उन्हें कहां खर्चना है, कहां घूमने जाना है, ऐसे निर्णय उन्हें स्वयं लेने दें.

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– न अपनी मां से भाभी की और न ही भाभी से मां की चुगली सुनें. साफ कह दें कि मेरे लिए दोनों रिश्ते अनमोल हैं. मैं बीच में नहीं बोल सकती. यह आप दोनों सासबहू आपस में निबटा लें.

– आप चाहे छोटी बहन हों या बड़ी, भतीजोंभतीजियों हेतु उपहार अवश्य ले जाएं. जरूरी नहीं कि महंगे उपहार ही ले जाएं. अपनी सामर्थ्यनुसार उन के लिए कुछ उपयोगी वस्तु या कुछ ऐसा जो उन की उम्र के बच्चों को भाए, ले जाएं.

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