मैं अपनी चाची के कपड़े चुरा कर मास्टरबेट करता हूं और उनके साथ सेक्स करना चाहता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 18 साल का हूं और 5 सालों से मास्टरबेट कर रहा हूं. अब मैं पड़ोस की 36 साला विधवा चाची के साथ सेक्स करना चाहता हूं. मैं उन के अंदरूनी कपड़े चुरा कर उन में मास्टरबेट भी करता हूं. मुझे सही सलाह दें?

जवाब-

आप हस्तमैथुन या हमबिस्तरी के चक्कर में पड़ने के बजाय अपनी पढ़ाई व कैरियर पर ध्यान दें. दोगुनी उम्र की चाची के चक्कर में आप तबाह हो सकते हैं. एक बार कुछ बन गए, तो जिंदगी में सोने के बहुत मौके मिलेंगे. बेहतर होगा कि सिर्फ खेलकूद व पढ़ाई वगैरह में ही ध्यान दें.

अपने से विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन पुरूषों में यह बात देखी गई है कि वह अक्सर ही अपने से बड़ी उम्रदराज की महिलाओं के प्रति एक अजीब सा आकर्षण महसूस करते हैं. एक शोध में यह भी पाया गया है कि पुरुष अपने से बड़ी उम्र की औरतों से संबंध बनाने के बाद ज्यादा मानसिक और शारीरिक संतुष्टि प्राप्त करते हैं. इसके पीछे के कारणों को खोजा गया तो सबसे पहला कारण निकला कि अधिक उम्र की महिलाओं का जिम्मेदार होना. वह पुरुष के मानसिक और शारीरिक संतुलन का ज्यादा अच्छे से मैनेज कर लेती हैं, इस कारण से पुरुष को एक संतुष्टि की अनुभूति होती है.अपने से बड़ी उम्र की महिलाएं क्यों करती हैं आकर्षित…

दूसरा कारण- यौन संबंधों के दौरान सही तरीके से तालमेल, इस कारण से पुरुष को लगता है कि उनसे उम्र में बढ़ी औरत उसे ज्यादा अच्छे से समझती है.

तीसरा कारण- 40 से 50 साल की उम्र में उत्तेजना का बढ़ना,इसलिए वह कम उम्र की महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा उम्र की महिलाएं पुरूषों को ज्यादा संतुष्ट कर सकती हैं. इसके साथ ही बड़े उम्र की महिलाओं में घमंड नहीं होता और यह बात पुरुषों को बहुत पसंद आती है.

क्या आप जानते हैं सेक्सुअलिटी के राज, पढ़ें खबर

क्या आप जानते हैं कि सेक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सेक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सेक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सेक्स जरूरी है? सेक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सेक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है. इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सेक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है. वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है. आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सेक्स जीवन को प्रभावित कर देती है.

ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है. कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सेक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

मेरे मोहल्ले में आवारा जानवरों का बड़ा जोर है, इस का समाधान बताएं?

सवाल-

मैं लखनऊ के एक ऐसे महल्ले में रहता हूं, जहां आवारा जानवरों का बड़ा जोर है. आवारा कुत्ते, गाय और सांड़. लोगों का गली से निकलना मुश्किल कर देते हैं. नगर-निगम भी सुनवाई नहीं करता है. बच्चों का गली में खेलना मुश्किल हो गया है. इस का समाधान बताएं?

जवाब-

यह समस्या हमारी और आप की खुद की ही देन है. रिहाइशी इलाकों में लोग पुण्य कमाने के लिए खूब तबीयत से कुत्तों और गायों को खाना खिलाते हैं, जिस से ये जानवर वहीं रहने लगते हैं और लोग इन्हें भगाते भी नहीं हैं. पर जब ये नुकसान पहुंचाने लगते हैं, तो हर कोई हायहाय करने लगता है.

यह ठीक है कि इन्हें खदेड़ने का काम नगरनिगम का है, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं करता. आप महल्ले वालों को ले कर शिकायत करें, लोकल मीडिया वालों को बुला कर हकीकत दिखाएं. बिना हल्ला मचाए काम नहीं बनने वाला.

जानें कौन सा समय है सेक्स के लिए सबसे सुरक्षित

बेहतर सेक्स लाइफ न सिर्फ पति-पत्नी के संबंधों को रुमानी बनाने के लिए जरूरी है बल्कि सेहत के लिए भी इसके फायदे किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में अगर सेक्स उस समय हो जब इसका फायदा न सिर्फ आपका मूड बनाएगा बल्कि आपके लिए सेहत से जुड़े कई फायदों की वजह हो सकता है. क्वीन्स यूनिवर्सिटी के शोध के आधार पर जानिए सुबह के समय सेक्स करने के बड़े फायदों के बारे में.

दिन भर रहेंगे टेंशन फ्री

सेक्स की प्रक्रिया के दौरान शरीर से ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होते हैं जो मूड अच्छा रखने और आपको तनावमुक्त रखने में सहायक होता है.

इंफेक्शन से दूर

यूनिवर्सिटी ऑफ वाइक बैरे के अनुसार, सुबह के समय सेक्स के दौरान शरीर में इम्यूनोग्लोबिन ए नामक एंडीबॉडी तत्व बनता है जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और दूसरों की अपेक्षा संक्रमण का खतरा 30 प्रतिशत तक कम करता है.

वजन घटाने में मददगार

शोधों में माना जा चुका है कि एक घंटे तक संभोग की प्रक्रिया के दौरान करीब 300 कैलोरी बर्न होती है जो वजन घटाने के लिए किसी दिलचस्प कसरत से कम नहीं.

वीर्य की गुणवत्ता

सिडनी आईवीएफ क्लीनिक के शोध की मानें तो सुबह के समय सेक्स से वीर्य की गुणवत्ता 12 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे सेक्स संबंधी कई समस्याओं में आराम हो सकता है.

ग्लोइंग स्किन

यूवायर यूनिवर्सिटी के शोध की मानें तो सुबह के समय सेक्स से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक तेजी से बढ़ता है जिससे ऑक्सीजन का संचार त्वचा और बालों में अच्छी तरह होता है.

दिल की बात जुबां पर लाएं लड़कियां

स्कूल की दहलीज पार कर मंजू पहली बार जब कालेज पहुंची तो उस की नजर अपनी ही कक्षा के एक हैंडसम लड़के पर टिकी. पहली नजर में ही उसे उस से प्यार हो गया. वह रोजाना उस लड़के को ताकती रहती. उस का ध्यान व्याख्यान पर कम, उस लड़के पर अधिक रहता. हर समय वह उस के खयालों में खोई रहती. रात को भी उसी के सपने देखती. वही उस के सपनों का राजकुमार था.

मंजू के इस एकतरफा प्यार से सभी अनजान थे. मंजू ने अपने मन की बात कभी अपनी सहेलियों तक को न बताई. यहां तक कि घर में अपनी बड़ी बहन और भाभी को भी नहीं. ऐसे में भला उस का प्यार परवान कैसे चढ़ सकता है? प्यार तभी परवान चढ़ता है जब दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़कते हों. लेकिन यहां तो वह लड़का भी नहीं जानता कि मंजू नाम की कोई लड़की उसे चाहती है.

एक वर्ष बीत गया. मंजू कभी अपने दिल की बात जबां पर नहीं लाई. एक दिन उस ने किसी अन्य लड़की को उस लड़के से हंस कर बात करते हुए देख लिया. वह भी उस से हंस कर बात कर रहा था. मंजू के मन में खटका हुआ. लेकिन उस में इतना साहस नहीं था कि वह अपने प्यार का इजहार कर पाती. नतीजतन, वह लड़का उस के हाथ से निकल गया.

काश, समय रहते वह अपने सपने के राजकुमार से दोस्ती बढ़ाती और फिर अपने प्यार का इजहार करती तो आज उसे इस तरह पछतावा न होता. लेकिन अब पछताने से क्या फायदा जब चिडि़या चुग गई खेत.

प्यार में हिचकिचाहट

संगीता के पिता सरकारी अधिकारी हैं. पिछले वर्ष उन का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया. नए शहर में नए लोगों के बीच उस की जिंदगी में एक लड़का आया जो उसी मल्टी स्टोरी बिल्ंिडग में पड़ोस वाले फ्लैट में रहता था. कुछ ही दिनों में दोनों परिवारों के बीच अच्छा परिचय हो गया.

संगीता पड़ोस के जिस लड़के को चाहने लगी थी, वह उस से 2 वर्ष सीनियर था. संगीता बीए फर्स्ट ईयर में थी और वह बीए फाइनल में था. एक ही कालेज में होने के कारण उन के बीच अच्छी दोस्ती हो गई. लेकिन संगीता की नजर में वह दोस्त से ऊपर था. वह उस के दिल में बस चुका था. वह उसे अपना हमसफर बनाना चाहती थी.

संगीता से बस एक ही चूक हुई कि वह अपने दिल की बात उसे बता न पाई. इस बीच लड़के के पिता का ट्रांसफर अन्य जगह हो गया और वह अपने परिवार के साथ चला गया. काश, संगीता ने उस से अपने प्यार का इजहार किया होता तो आज स्थिति भिन्न होती.

संगीता का प्यार अधूरा रह गया. उस के सपने पूरे होने से पूर्व ही दफन हो गए.

मंजू और संगीता की भांति ऐसी अनेक लड़कियां हैं जो यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अपनी जिंदगी के तानेबाने बुनने लगती हैं. जिन को वे अपने सपनों का राजकुमार मानती हैं, उन्हें अपना दिल दे बैठती हैं, लेकिन दिल की बात जबां पर लाने में हिचकिचाती हैं.

वैसे, किसी लड़की का किसी लड़के से प्रेम करना गलत नहीं है. इस में भी जज्बात होते हैं. उस का मन हिलोरें भरता है, उस का दिल किसी के लिए धड़क सकता है. इस में असामान्य कुछ भी नहीं है. विडंबना यह है कि आज भी लड़कियां अपने प्यार का इजहार करने में शर्म का अनुभव करती हैं. ऐसे में उन के मन की मुराद अधूरी रह जाती है. जब आप किसी से प्यार करती हैं तो उसे व्यक्त करने में संकोच कैसा? जब कोई लड़का अपने प्यार का इजहार सहज रूप से या बेधड़क हो कर कर सकता है तो लड़की क्यों नहीं?

प्यार तो प्यार है चाहे किसी लड़के को लड़की से हो या लड़की को किसी लड़के से. इस के इजहार में विलंब नहीं करना चाहिए. जब आप किसी को चाहती हैं तो उस से कहती क्यों नहीं?

एक छोटी सी भूल की वजह से जिंदगीभर आप को अपने प्यार से दूर रहना पड़ता है. पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसलिए यदि आप अपने प्यार को पाना चाहती हैं तो पहली फुरसत में अवसर मिलते ही उस से ‘आई लव यू’ कह दें. यदि सामने वाला इसे स्वीकार कर लेता है तो आप के मन की मुराद पूरी हो जाएगी और यदि किसी मजबूरीवश वह आप के प्यार को कुबूल न कर पाए तो इसे जिंदगी का एक कड़वा घूंट सम झ कर पी जाएं. उसे भूलने की कोशिश करें. आगे अपने जीवन की नई शुरुआत करें. हो सकता है जीवन में आप को इस से भी अच्छा हमसफर मिले. शादी तभी कामयाब होती है जब प्यार दोनों तरफ से हो.

सेक्सुअली आइसोलेट रहने का वक्त

सेक्स में खुलापन जरूरी है. जितना इसे मन के अंदर दबाएंगे उतना ही यह उभर कर सामने आएगा, लेकिन सेक्स भी अब संभल कर करना होगा. सेक्स करने से पहले अपने को तैयार करना जरूरी होता है. लेकिन सेक्स के बाद भी आप को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. उन में सब से अहम है सेक्सुअल आइसोलेशन.

अकसर हमारे देश में अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में लोग नहीं सोचते. आइसोलेशन का महत्त्व नहीं समझते. उन का ध्यान उस तरफ नहीं जाता, क्योंकि ये बातें बचपन में भी नहीं सिखाई जातीं. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. ऐसे में आप को सेक्सुअली आइसोलट होना बहुत जरूरी है. पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी की चपेट में है. सोशल डिस्टैंसिंग पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में सेक्स करते समय कैसे सुरक्षित रहें इस पर ध्यान देने की जरूरत है. अगर मैं सेक्स करता हूं तो क्या मुझे कोरोना हो जाएगा?

आप के जेहन में यह बात कई बार आई होगी, लेकिन आप शर्मिंदगी के डर से यह पूछ नहीं पा रहे हैं तो आइए हम आप को बताते हैं कि कैसे बचें कोरोना से सेक्स करते समय. रिलेशनशिप पर असर अगर आप रिलेशनशिप में हैं और किसी शख्स के साथ रह रहे हैं तो थोड़ी दूरी बना कर रहिए. अगर आप में से किसी को भी कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं तो अपने को आइसोलेट कर लेना चाहिए. इस में पार्टनर को बुरा नहीं मानना चाहिए. इस से दोनों सुरक्षित रहेंगे.

ध्यान रहे सेक्स का मजा तभी ले पाएंगे जब आप बचे रहेंगे. किस पर पाबंदी लगाएं अब आप को किस करने से पहले सोचना पड़ेगा. पहले तो किस को प्यार की निशानी माना जाता था. लेकिन अब यह एक भयानक बीमारी का रास्ता भी हो सकता है. इस का मतलब यह नहीं कि आप किस करें ही न. किस करें लेकिन वो सांकेतिक होना चाहिए. हां अगर आप में खांसीजुकाम के लक्षण दिखाई देते हैं और आप जानते हैं कि आप ने हाल में ही किसी को किस किया है तो आप को उन्हें यह बात बता देनी चाहिए.

अगर आप ने किसी ऐसे को किस किया है जिस में अब लक्षण दिख रहे हैं तो आप को खुद को सैल्फ आइसोलेशन में डाल लेना चाहिए. अगर आप किसी के जननांग छूते हैं तो यह मुमकिन है कि आप ने उसे किस भी किया हो. आप को मालूम है कि यह वायरस सलाइवा से फैलता है. अत: किस करना जोखिम भरा है. ऐसे में जिस पार्टनर के साथ आप रह नहीं रहे हैं उन के साथ कौंटैक्ट मत रखिए. अच्छी सेक्स लाइफ जीएं इस महामारी ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक अच्छी सेक्स लाइफ क्या है.

इस बीमारी के कारण जो लोग आइसोलेशन में हैं वे इस मौके और दूरी का फायदा उठा रहे हैं. वे क्रिएटिव हो गए हैं. अगर आप और आप के पार्टनर को एक ही घर में आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है तो इस दौरान आप अपने पार्टनर के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं. एकदूसरे की पसंदनापसंद को समझ सकते हैं. दूर रहिए लेकिन दिल को जोड़े रखिए. इंटर कोर्स में सावधानी बरतें कोरोना किसी को पहचानता नहीं. वह तो बस एक रास्ता खोजता है.

इंटरकोर्स की वजह से किसी भी तरह के इंफैक्शन का खतरा न रहे इस के लिए आप को सतर्क रहना पड़ेगा. यानी साफसफाई से जुड़ी कुछ बातों को अपनी आदत में शुमार कर लेना चाहिए. सेक्स लाइफ में सेक्सुअल हाइजीन उतनी ही जरूरी है जितना कि हमारे जीवन में साफसफाई. एक सेहतमंद दांपत्य जीवन के लिए यौन संबंधों से पहले और बाद में सफाई रखना जरूरी है.

अकसर लोग सेक्सुअल हाइजीन के बारे में कम ही ध्यान देते हैं जिस से यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफैक्शन का खतरा दोनों ही पार्टनर को बना रहता है. इसलिए साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. सेक्स के बाद आप दोनों को कितनी ही नींद क्यों न आ रही हो लेकिन अगर आप हाइजीन से समझौता करेंगे तो आप को इंफैक्शन होने की आशंका बढ़ जाएगी. यहां यह भी ध्यान देना होगा कि आप को या आप के पार्टनर को सर्दीजुकाम तो नहीं हुआ है.

ऐसे में आप को आइसोलेट करना ही होगा क्योंकि थोड़े से मजे के लिए जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते. सेक्सुअल वाशिंग सेक्स से पहले और सेक्स के बाद अच्छी तरह से हैंड वाश करना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि बैक्टीरिया और कीटाणु आमतौर पर हमारे हाथों से ही फैलते हैं. सेक्स के दौरान अकसर हम अपना या पार्टनर का जैनिटल एरिया पेनिट्रेट करने के लिए हाथों का इस्तेमाल करते हैं.

ऐसे में अगर आप के हाथ गंदे होंगे तो प्राइवेट पार्ट में बैक्टीरिया ट्रांसफर होने का खतरा बना रहेगा. लिहाजा सेक्स से पहले और इंटरकोर्स के बाद हाथों को अच्छी तरह से रगड़ कर करीब 20 सैकेंड तक साफ करें. यौन संबंध बनाने से पहले और बाद में अपने जननांगो को अच्छी तरह साफ जरूर करें. संक्रमित प्राइवेट पार्ट सेक्स के बाद अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करना भी बेहद जरूरी है. किसी भी तरह के बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि इंटरकोर्स के बाद पानी से प्राइवेट पार्ट की सफाई की जाए. आप चाहें तो पानी के साथ माइल्ड साबुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन अगर आप की स्किन सैंसिटिव है तो आप को इरिटेशन की समस्या हो सकती है. प्राइवेट पार्ट की सफाई के लिए फैंसी लोशन या परफ्यूम का इस्तेमाल करने की बजाए कुनकुने पानी से इसे धोएं.

पार्टनर संग इंटरकोर्स के बाद जब आप बाथरूम में क्लीनिंग के लिए जाएं तो टौयलेट करना न भूलें. इस का मकसद यह है कि आप का ब्लैडर खाली होना चाहिए क्योंकि अगर सेक्स के दौरान किसी तरह का बैक्टीरिया आप के यूरेथा तक पहुंच गया होगा तो टौयलेट के दौरान वह शरीर से बाहर निकल जाएगा. सेक्स के बाद एक गिलास पानी पी कर मन को शांत कर सकते हैं. कौंडम ही बचाव है कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों में लौकडाउन है. कौंडम बनाने वाली कंपनियां भी इस से अछूती नहीं हैं. ऐसे में कौंडम की सप्लाई कम हो रही है दुनियाभर में इस की भारी कमी हो गई है, जिस से बाजार में लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है.

अगर आप भी इस स्थिति से गुजर रहे हैं तो कामेच्छा पर काबू रखें. लाइफ पार्टनर से खुल कर इस विषय पर बात करें. दोनों मिल कर रास्ता ढूंढ़ें. अगर आप सेक्सुअल अर्ज को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो वह कई तरह से इस पर नियंत्रण पाने में आप की मदद कर सकती हैं. अपने विचारों पर काबू करने की कोशिश करें. हर बार यौन संबंधों के बारे में सोचेंगे तो आप की कामेच्छा को काबू करना नामुमकिन हो जाएगा. बेहतर यही है कि जब भी ऐसा कोई खयाल आए तो दिमाग को तुरंत किसी और थौट की ओर डायवर्ट करने की कोशिश करें. सेक्सुअल ऊर्जा को किसी क्रिएटिव कार्य में लगा दें.

रोमांस और प्यार का मतलब सिर्फ यौन संबंध ही नहीं होता है. मोटे पुरुष और महिला दूर ही रहें कुछ दिनों पहले हुई एक स्टडी से पता चलता है कि पुरुष जिन का वजन अधिक होता है वे ज्यादा सेक्स करते हैं. ऐंगलिया रस्किन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं ने ब्रिटेन के करीब 5 हजार सेक्सुअली ऐक्टिव पुरुषों का विश्लेषण किया है और फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि मोटे पुरुष, दुबले-पतले पुरुषों की तुलना में ज्यादा सेक्स करते हैं. सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी यही बात देखने को मिली.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओवरवेट महिलाओं ने भी कम वजन वाली महिलाओं की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा सेक्स किया. कोरोना के प्रकोप से बचे रहें इसलिए मोटे लोग सेक्स विचारों से बचें.

अगर आप भी हैं सेक्स एडिक्ट तो हो जाइए अलर्ट

क्या है सेक्स ऐडिक्शन ?  

सेक्स ऐडिक्शन आउट औफ कंट्रोल हो जाने वाली सेक्शुअल ऐक्टिविटी है. इस स्थिति में सेक्स से जुड़ी हर बात आती है चाहे पौर्न देखना हो, मास्टरबेशन हो या फिर प्रौस्टिट्यूट्स के पास जाना, बस यह एक ऐसी ऐक्टिविटी होती है जिस पर इंसान का कंट्रोल नहीं रहता.

क्या हैं लक्षण?

सेक्स थेरेपिस्ट के साथ रेग्युलर मीटिंग्स के बिना यह बताना बहुत मुश्किल है कि किसे यह डिसऔर्डर है लेकिन कुछ लक्षण है जिनसे आप अंदाजा लगा सकती हैं और फिर डौक्टर से कंसल्ट कर सकती हैं. जैसे, बहुत सारे लोगों के साथ अफेयर होना, मल्टिपल वन नाइट स्टैंड, मल्टिपल सेक्शुअल पार्टनर्स, हद से ज्यादा पॉर्न देखना, अनसेफ सेक्स करना, साइबर सेक्स, प्रौस्टिट्यूट्स के पास जाना, शर्मिंदगी महसूस होना, सेक्शुअल नीड्स पर से नियंत्रण खो देना, ज्यादातर समय सेक्स के बारे में ही सोचना या सेक्स करना, सेक्स न कर पाने की स्थिति में तनाव में चले जाना.

ऐसे पायें छुटकारा

सेक्स ऐडिक्शन  के शिकार लोगों को फौरन साइकौलजिस्ट या साइकायट्रिस्ट के पास जाना चाहिए. साइकौलजिस्ट काउंसिलिंग और बिहेवियर मौडिफिकेशन के आधार पर इस ऐडिक्शन का इलाज करते हैं और मरीज के विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों को दूसरे कामों में व्यस्त रहने की सलाह दी जाती है. उन्हें समझाया जाता है कि वे संगीत, लौन्ग वौक आदि का सहारा लें और अपने परिवारवालों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं. साइकायट्रिस्ट दवाओं के माध्यम से इलाज करता है.

सेक्स ऐडिक्शन  एनोनिमस (एसएए) सेक्स ऐडिक्शन के शिकार लोगों का संगठन हैं. यहां कोई फीस नहीं ली जाती और न ही दवा दी जाती है. मीटिंग में इसके सदस्य जीवन के कड़वे अनुभवों, इससे जीवन में होने वाले नुकसान और काबू पाने की कहानी शेयर करते हैं. मीटिंग में आने वाले नए सदस्यों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए मदद भी करते हैं. इससे पीड़ितों का आत्मबल बढ़ता है और उनमें इस बुरी आदत को छोड़ने की शक्ति विकसित होती है.

औनलाइन सेक्स फैंटेसी बना एक नया बिजनेस

जब जमाना औनलाइन हो रहा है तो सेक्स भी औनलाइन नज़र आ रहा है. एक सर्वे के मुताबिक दुनियाभर में ‘डौमीनेटरिक्स’ का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है. लोगों की फैंटसी पूरी करने के लिए हजारों महिलाएं पूरी दुनिया में हर वक्त ऑनलाइन रहती हैं.

डौमीनेटरिक्स से जुड़कर महिलाएं पूरी कर रही मर्दों की फैंटेसी

एक सर्वे से साफ हुआ है कि औनलाइन रहने वाली महिलाएं दिनभर में एक-एक लाख रुपए तक कमा रही है. डौमीनेटरिक्स के लिए एक मिनट का 500 रुपए तक चार्ज लिया जा रहा है. इसी सर्वे के मुताबिक अपनी सेक्सुअल फैंटेसी पूरी करने के लिए डौमीनेटरिक्स में मर्दों की पहली पसंद बौन्डेज सेक्स एंजौय करना है.

अंग्रेजी अखबार द सन के अनुसार ब्रिटेन में पिछले दिनों 55 साल के एक डॉक्टर ने अपनी डौमीनेटरिक्स पिक्चर औनलाइन पोस्ट कर दी. डौक्टर के पेट पर उसकी मेड का नाम लिखा था जिसके साथ उसने शारीरिक संबंध बनाए. हालांकि डौक्टर को बाद में हॉस्पिटल से सस्पेंड कर दिया गया.

ग्लासगो की रहने वाली 34 साल की एना वैसे तो काफी स्ट्रिक्ट है कि लेकिन औनलाइन डिमांड होने पर उन्हें लेटैक्स पहनने में भी कोई ऐतराज नहीं है. हालांकि औनलाइन न्यूड होने से वो परहेज करती हैं लेकिन औनलाइन सेक्स चैट वो अक्सर करती हैं.

उनका कहना है कि शायद मर्दों की फैंटेसी पूरा करने का ये सही तरीका है. इससे वो भी काफी हल्का महसूस करते हैं. वो हमसे अक्सर वो डिमांड करते हैं जिसे वो अपने पार्टनर के साथ पूरा नहीं कर सकते हैं. एना की फीस पर मिनट ढाई सौ रुपए है.

ब्रिजटन की मिया हरिंगटन का कहना है कि शायद मर्द हमसे कुछ ऐसा सीखना चाहते हैं जिसे वो अपने घर पर आजमा सकें. मिया कहती हैं महिलाओं और पुरुषों के अलावा तमाम कपल्स भी उनके क्लाइंट हैं और वो अपने सेक्सुअ फैंटेसी मुझे देखकर पूरी करना चाहते हैं.

डॉमीनेटरिक्स के बारे में क्या सोचते हैं साइकोलॉजिस्ट

ब्रिटेन की नौटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ मार्क ग्रिफिथ्स को लगता है कि इंटरनेट के बढ़ते चलन के कारण लोग सेक्स फैंटेसी पूरी करने के लिए ऑनलाइन डॉमीनेटरिक्स का सहारा ले रहा है. ये आसानी से उपलब्ध है. जो लोग फेस टू फेस डॉमीनेटरिक्स का सामना करने में हिचकते हैं वो औनलाइन जा रहे हैं. जहां वो खुलकर सामने आते हैं.

सुखदायक सेक्स से पहले जरूर जान लें ये बातें

अकसर प्रेमीप्रेमिका सेक्स को सुखदायक मानते हैं, लेकिन कई बार सहवास ऐंजौय के साथसाथ कई समस्याओं को भी सामने लाता है. अनुभव के आधार पर इन को दूर कर प्रेमीप्रेमिका सेक्स का सुख उठाते हैं.

1. शरारती बनें

सेक्स को मानसिक व शारीरिक रूप से ऐंजौय करने के लिए प्रेमीप्रेमिका को शरारती बनना चाहिए. उत्साह, जोश, तनावमुक्त, हंसमुख, जिंदादिल, शरारती प्रेमीप्रेमिका ही सेक्स को संपूर्ण रूप से भोगते हैं.

2. आत्मविश्वास की कमी न हो

कई बार आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. प्रेमी सेक्स के समय उतावलेपन के शिकार हो कर सेक्स के सुखदायक एहसास से वंचित रह जाते हैं.

सेक्स संबंध बनाते समय प्रेमीप्रेमिका के मन में यदि पौजिटिव सोच होगी, तभी दोनों पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाएंगे और सेक्स में कभी कमजोर नहीं पड़ेंगे.

3. पोर्न फिल्मों से प्रेरित न हों

प्रेमीप्रेमिका अकसर पोर्न फिल्में देख कर, किताबें पढ़ कर सेक्स में हर पल लिप्त रहने की कोशिश करते हैं. अत्यधिक मानसिक कामोत्तेजना की स्थिति में शीघ्रपतन व तनाव में कमी हो जाती है.

4. सेक्स में जल्दबाजी

कई बार सेक्स में प्रेमीप्रेमिका जल्दबाजी कर जाते हैं. शराब पी कर सेक्स करना चाहते हैं जोकि ठीक नहीं है. हमेशा मादक पदार्थों से दूर रहें. सेक्स के दौरान प्रेमिका ही मादकता का काम करती है.

5. बढ़ाएं शारीरिक आकर्षण

सहवास के लिए प्रेमी का शारीरिक आकर्षण, स्मार्टनैस, सैक्सी लुक, साफसफाई काफी महत्त्वपूर्ण है. पुरुषोचित्त गुण के साथसाथ गठीले बदन वाले चतुर सुरुचिपूर्ण वस्त्र, रसिक स्वभाव के प्रेमी ही सेक्स में सफल होते हैं.

6. रोमांटिक स्वभाव रखें

प्रेमिका सहवास के दौरान चाहती है कि उस का प्रेमी रोमांस व ताजगी द्वारा उसे कामोत्तेजित करे. अत: रोमांस की बातें कर सेक्स को सुखदायक बनाएं.

7. जब सेक्स का मौका मिले

प्रेमीप्रेमिका अकसर सेक्स के लिए मौके की तलाश में रहते हैं. जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वे एकदूसरे में समाने के लिए बेताब हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान कई बार ऐसे अचानक किसी का दरवाजा खटखटाना व फोन की घंटी बज जाती है. ऐसी बाधाओं को दूर कर सहवास को मानसिक व शारीरिक रूप से सुखदायक बनाएं.

सेक्स में नासमझ न रहें लड़कियां

आजकल के बच्चे सेक्स की जानकारी मोबाइल से या फिर इंटरनैट से प्राप्त करते हैं, जो आधीअधूरी होती है. इस का नतीजा उन्हें आगे चल कर भुगतना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि लड़कियों को सेक्स शिक्षा स्कूल में टीचर और घर में मां से मिले ताकि सेक्स उन के लिए कुतूहल का विषय न रहे.

15साल की नेहा हाईस्कूल में पढ़ती थी. स्कूल उस के घर से 3 किलोमीटर दूर था. वह साइकिल से स्कूल जाती थी. उस के साथ दूसरी लड़कियां और लड़के भी जाते थे. स्कूल जाते समय नेहा की मुलाकात बगल के गांव में रहने वाले 22 साल के सुरेश से हुई. सुरेश की कुछ दिनों पहले ही शादी हुई थी. शादी में सुरेश को एक मोटरसाइकिल मिली थी. वह रोज लड़कियों के आनेजाने के समय पर बाजार जाता था. एक दिन नेहा की साइकिल पंचर हो गई. वह पैदल स्कूल जा रही थी. इसी बीच सुरेश उसे मिला और बोला, ‘‘पैदल क्यों जा रही हो. आओ, मैं तुम्हें स्कूल तक छोड़ दूं.’’

नेहा पहली बार मोटरसाइकिल पर बैठी थी. उसे बहुत अच्छा लगा. सुरेश के साथ बैठ कर वह अपने को किसी फिल्मी हीरोइन सी समझने लगी थी. इस के बाद यह सिलसिला चलने लगा. सुरेश नेहा के आनेजाने के समय राह में मिलने लगा. नेहा भी घर से साइकिल ले कर आती, फिर एक दुकान पर साइकिल रख कर सुरेश के साथ मोटरसाइकिल से आतीजाती. इस से उस के घर वालों को पता नहीं चलता था.

सुरेश ने एक दिन घुमाने के बहाने नेहा के साथ देहसंबंध बना लिए. नेहा और सुरेश के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे. इन में जहां सुरेश की पहल तो थी ही लेकिन नेहा की भी स्वीकृति थी. उसे भी उस समय बहुत अच्छा लगता था जब सुरेश उस के नाजुक अंगों को सहलाता था. इसे जवां उम्र का फेर कह सकते हैं. उस का भी मन होता था कि वह सुरेश की बांहों में सिमट जाए. ऐसे में नेहा ने कभी सुरेश को आगे बढ़ने से नहीं रोका. दोनों की उम्र जवां थी. एकदूसरे में खो गए और एकांत में मिलने लगे. इस के बाद वह सब हो गया जो शादी के बाद होना चाहिए था.

नेहा को इन संबंधों की कोई जानकारी नहीं थी. सुरेश ने भी यौनसंबंध बनाने से पहले ऐसी एहतियात नहीं बरती जिस से नेहा गर्भधारण न कर सके. एकदो माह गुजर जाने के बाद नेहा को पता चला कि वह प्रैग्नैंट हो गई है. घर में बहुत सारे ताने, लड़ाई और झगड़े के बाद घरवालों ने नेहा को दूसरे शहर अपने एक रिश्तेदार के पास भेज दिया. वहां नेहा का गर्भपात कराया गया. नेहा की बदनामी हुई और उस का कैरियर खराब हो गया. उस की पढ़ाई छूट गई. घरपरिवार का भरोसा टूट गया. नेहा को खुद अब महसूस होने लगा कि उस ने कितनी बड़ी गलती कर दी है.

सेक्स शिक्षा का अभाव

स्त्रीरोग विशेषज्ञ डा. रेनू मक्कड़ कहती हैं, ‘‘इस तरह के मामले कोई अचंभे वाली बातें नहीं हैं. बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हो गया है. इसलिए यह जरूरी है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सेक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर ही यह काम सरलता से कर सकती हैं. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सेक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए.’’

वे आगे कहती हैं, ‘‘जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों के साथ होने वाला शारीरिक शोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल के बीच यह बता दिया जाए कि सेक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जा सकता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं. अगर कभी इस तरह की कोई घटना हो जाती है तो लड़की को समझाएं कि मां को सारी बात बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.’’

हो सकता है जानलेवा रोग

शहरों की लड़कियों को अब इस तरह की जानकारियां मिलने लगी हैं. लेकिन गांव की लड़कियां अभी भी इस से पूरी तरह से अनजान होती हैं. इन को यह नहीं पता होता कि शारीरिक संबंधों से यौनरोग हो सकते हैं. गांव के बहुत सारे लोग कमाई करने बाहर जाते हैं. वहां से वे एड्स जैसी जानलेवा बीमारियां ले आते हैं. ऐसे लोग जब किसी लड़की से संबंध बनाते हैं तो वे रोग इन लड़कियों को भी जकड़ लेते हैं. इन का स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों का इलाज तक नहीं है.

सुल्तानपुर की रहने वाली दीपा के साथ उस के पड़ोसी ने सेक्स किया. दीपा का पड़ोसी दिवाकर एड्स से पीडि़त था. कुछ समय बाद दिवाकर की मृत्यु हो गई. इस के बाद दीपा भी बीमार रहने लगी. डाक्टरों से जांच कराई तो पता चला कि उस को एड्स था. घर के लोगों ने जब उस से पूछा तो उस ने दिवाकर के साथ सेक्स संबंधों की बात कही. कुछ दिनों बाद बीमारी के कारण दीपा की भी मृत्यु हो गई.

प्रेमजाल से सेक्स की राह

गांव हो या शहर, हर जगह लड़कियां अब अपने कैरियर को बनाने के लिए बाहर निकलने लगी हैं. ऐसे में नएनए लोग उन को मिलते हैं जो दोस्ती और प्यार के जरिए उन्हें नशे व सेक्स की दुनिया में घसीट रहे हैं. अपराध की घटनाएं देखें तो ऐसे मामले देखने को रोज मिल जाते हैं.

लखनऊ के महिला थाने पर हर माह ऐसे 10 से 15 मामले आ रहे हैं. कई मामलों में पारिवारिक सहमति से शादी करा कर मामले को रफादफा किया जा रहा है. लड़कियों के यौनशोषण के लिए पहले से शादीशुदा लोग तक कुंआरे बन कर 100 रुपए के स्टांपपेपर पर साइन कर के शादी करने का नाटक  कर के यौनशोषण करते हैं. बाद में लड़की को पता चलता है कि यहां तो उस के साथ धोखा हो गया.

मंदिर में शादी ऐसे ही कर ली जाती है. लड़कियों को गुमराह करने के लिए झूठी शादियां की जाती हैं. पुलिस के पास ऐसे मामलों से निबटने के तरीके नहीं होते. ऐसे में वह लड़कीलड़के को कभी दहेज तो कभी घरेलू हिंसा या यौनशोषण जैसे मामलों में जेल भेज देती है. लड़के का साथ देने वाले हमेशा बच निकलते हैं. इस का सब से बड़ा कारण है कि लड़कियां भी सेक्स संबंधों में उलझ रही हैं. इस के चलते कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि लड़कियों को सेक्स में नासमझ नहीं रहना चाहिए. उन को सेक्स से जुड़ी समस्याएं समझनी चाहिए.

परिवार और स्कूल मिल कर प्रयास करें

लड़कियों में सेक्स की शिक्षा देने के लिए जरूरी नहीं है कि सेक्स शिक्षा पाठ्यक्रम में ही शामिल की जाए. स्कूल में टीचर्स को चाहिए कि वे लड़कियों को बताएं कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं. इन का उपयोग क्यों किया जाता है. बहुत सारी लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटना हो जाती है तो वे या तो मां बन जाती हैं या फिर आत्महत्या कर लेती हैं. ऐसी लड़कियों को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोली भी आती है जिस के खाने से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है.

डाक्टर रेनू मक्कड़ का कहना है, ‘‘अस्पतालों में महिला डाक्टरों को एक दिन के कुछ घंटे ऐसे रखने चाहिए जिस के दौरान किशोरियों की परेशानियों को हल किया जा सके. यहां पर परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए जिस से छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके. किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में माहवारी को ले कर होती है. आमतौर पर माहवारी आने की उम्र 12 साल से 15 साल के बीच की होती है. अगर इस बीच में माहवारी न आए तो डाक्टर से मिल कर पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है.’’

लड़कियों की परेशानियों से निकलेगा हल

माहवारी में देरी का कारण खानपान में कमी, पारिवारिक इतिहास जैसे मां और बहन को अगर माहवारी देर से आई होगी तो उस के साथ भी देरी हो सकती है. इस के अलावा कुछ बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. गर्शय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है.

डाक्टर के पास जा कर ही पता चल सकता है कि सही कारण क्या है. यह बात भी ध्यान देने के योग्य है कि कभीकभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उस को माहवारी नहीं होती है. ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है लेकिन माहवारी किसी कारण से नहीं आती है. यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक माहवारी नहीं होगी गर्भ नहीं ठहर सकता है.

माहवारी में दूसरी तरह की परेशानी भी आती है. कभीकभी यह समय से शुरू तो हो जाती है लेकिन बीच में एकदो माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में यह नौर्मल होती है लेकिन अगर यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है.

कभीकभी माहवारी का समय तो ठीक होता है लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होती है. अगर ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास रुक जाता है. परेशानी की बात यह है कि कुछ लोग अपनी लड़कियों को डाक्टर के पास लाने से घबराते हैं. उन का मानना होता है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है, जिस से पति उस पर शक कर सकता है. ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के की जा सकती है.

जानकारियां जो दी जानी चाहिए

सेक्स संबंधों से गर्भ से बचाव के तरीके बताए जाने चाहिए जिस से लड़कियां यौनरोगों से भी दूर रहें. अगर कुछ ऐसा हो जाए तो उस के बचाव के लिए गोली का सेवन कैसे करना चाहिए, यह भी बताना जरूरी होता है.

गर्भ ठहरने से क्या परेशानियां हो सकती हैं? गर्भपात कराना कितना मुश्किल होता है? उस का कैरियर और आगे के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? इन सब के बारे में भी बताया जाना चाहिए.

एनीमिया और माहवारी में ज्यादा स्राव होना खतरनाक होता है. इस को छिपाया नहीं जाना चाहिए. इसी उम्र में त्वचा संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं.

पढ़ाई का बोझ और नएनए दोस्त बनने से कुछ मनोवैज्ञानिक परेशानियां भी हो सकती हैं. इन को भी सलाहकारों के जरिए दूर कराना चाहिए.

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