जानें किन दो गलतियों से आप दुबलेपन के शिकार होते हैं

Health Tips in Hindi: हमारे आसपास कुछ लोग ऐसे जरूर होते हैं जो कितना भी खा लें पर उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता. पतला और कमजोर शरीर किसी को भी अच्छा नहीं लगता. इसके चलते पतले लोग ना जाने कितनी ही दवाई और अलग अलग तरीके अपनाते हैं जिससे कई तरह की परेशानियां तो होती ही हैं, साथ ही साथ मानसिक तौर पर भी काफी असर पड़ता है. पतलेपन के कई कारण हो सकते हैं जिसमें तेजी से बदलती जीवनशैली सबसे अहम है. दुबले पतले इंसान के साथ कई जगह गलत व्यवहार भी होते हैं जैसे उन्हें स्कूल से लेकर कौलेज तक शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. लड़के वजन बढ़ाने के लिए न जाने क्या-क्या खाते हैं लेकिन वजन नहीं बढ़ता और उनका शरीर जैसे का तैसा ही बना रहता है.

मौजूदा समय में युवाओं के दैनिक जीवन में कुछ ऐसी गलत आदतें शामिल हैं, जिससे वो पतलेपन के शिकार हो जाते हैं. यह आदतें न केवल शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि उन्हें अंदर से भी नुकसान पहुंचाती हैं. जीवनशैली में कुछ बदलाव कर अगर सेहत में सुधार आता है तो वो बुरा नहीं है. अगर आप चाहते हैं कि आप भी सेहतमंद रहें और आपकी पर्सनेलिटी दूसरों की तरह चमके तो इन दो गलत आदतों को तुरंत छोड़ दें. इन्हें छोड़ते ही आप तुरंत इसका असर देख सकेंगे.

 1. भूख लगे तो खाना खाओ

ज्यादा बिजी रूटीन के चलते या काम के बहाने से हम अकसर खाने के समय को या तो अनदेखा कर देते हैं या अंजाने में खाने को इतनी तवज्जुह देते हैं, जिससे हमारा रूटीन खराब हो जाता है. अगर हम नियमित रूप से ऐसा करते रहते हैं तो हमारी सेहत पर असर पड़ना शुरू हो जाता है और हमें भूख लगना बंद हो जाती है. सही समय पर खाना नहीं खाने से हमारे शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है और हमारी ये गलत आदत शरीर को तंदुरुस्त नहीं होने देती. इतना ही नहीं बहुत से लोग खाना खाने के समय चाय पी लेते हैं, जिससे भी हमारे शरीर की भूख खत्म हो जाती है और हम खाना नहीं खाते.

खाने के वक्त चाय पेट में गैस और एसिडिटी की समस्या पैदा कर देती है, जो कि खराब स्वास्थ्य का एक सबसे बड़ा कारण है. पेट हमारे शरीर का वो पार्ट होता है जिसके खराब होते ही हमारा मन कहीं नहीं लगता है. जिसके चलते हमारे शरीर अलगअलग बीमारी का घर बन जाता है.

2. जिम में एक्सरसाइज पर दें ध्यान

आजकल यंग लड़के अपनी सेहत से जुड़ी कुछ बातों काफी अनदेखा करते हैं जिसके चलते वो जिम का  सहारा लेते हैं. वहां दूसरों की बौडी देखकर वो खुद को उनकी तरह बनाने के चक्कर में दवाइयां और सप्लीमेंट का इस्तेमान करने लगते हैं. इसके साइड इफेक्ट कुछ समय बाद देखने को मिलते हैं. इसके अलावा एक ही टाइप की एक्सरसाइज करना पतलेपन की सबसे अहम वजह में से एक है.

तो अगर आप भी पतलेपन के शिकार हैं तो खुद पर गौर करें और अगर आप भी वही गलती कर रहे हैं तो इसको तुरंत बंद करें.

जानें टेंशन से कैसे रहे दूर

टेंशन एक ऐसी समस्या है जिसको आज कल एक सामान्य बात सी हो गई है. घर, औफिस और पर्सनल लाइफ की उधेड़बुन में टेंशन हो ही जाती है. हमारे शरीर के लिए टेंसन किसी खतरनाक बीमारे से कम नही है जो इंसान को अंदर तक खत्म कर देती है. सबसे ज्यादा ये समस्या पुरुषों में देखी जाने लगी है इसका सबसे बड़ा कारण है तेजी से बदलती जीवनशैली और इस भागदौड़ भरी जिदंगी. अपने रोजमर्या के जीवन में  पुरष अक्सर छोटी-छोटी बातों पर तनाव ले लेते हैं, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही साथ ही उनके वैवाहिक जीवन के लिए चिंता की बात है. इसलिए कुछ सावधानियां हमें जरुर बरतनी चाहिए जिससे इस तनाव से थोड़ी राहत जरुर मिले.

 आखिर किन कारणों से पुरुषों में होता है तनाव

कैरियर-  ये एक ऐसी समस्या है किसके कारण पुरुष काफी जल्दी अपना आपा खो देते है और टेशन लेना शुरु कर देते है.

काम का प्रेशर – आज कल सभी में आगे बढ़ने की चाह है जिसके चलते लोग एक्सट्रा काम करते है और जब वो काम भी उनको सफलता की ओर नही पहुंचा पाता तो उनको तनाव घेर लेता है.

पारिवारिक समस्या- पुरुषों में एक बात देखी जाती है की वो अपने इमोशन छिपाने में काफी माहिर होते है. इसी के चलते वो घरेलू परेशानियों किसी को बता नहीं पाते और अंदर ही अंदर घुटते चले जाते है.

आर्थिक परेशानीऐसा माना जाता है की पुरुष की कमाई समाज में काफी अहम है. अगर शादी बियाह की बात भी होती है तो पुछा जाता है की लड़का कमाता कितना है. इस आर्थिक स्थिती को ही आधार मना कर पुरुष इसे अपने स्वाभिमान पर ले लेते है और जब उनको वाकई मे किसी आर्थिक की जरुरत होता है तो वो किसी से कह नही पाते और तनाव में आ जाते है.

पुरुष अकेलापन, जल्दी या देर से शादी होना या शादी ही न कारणों में भी तनाव के घेरें में आ जाते है.

तनाव पुरुषों के जीवन के लगभग सभी क्षेत्र को प्रभावित करता है, इसलिए जीवनशैली में बदलाव तनाव की समस्या को कम करने में मदद करता है. तनाव के कारण पुरुषों के स्वास्थ्य में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते है जैसे

ब्लड प्रेशर का बढ़ना.

थका हुआ महसूस करना.

दिल तेजी से धड़कना.

इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होना.

 टेंशन से बचने के उपाय

योग और मेडिटेशन का करें इससे मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के तनाव दूर करने में मदद मिलती है,

तनाव से बचाव के लिए पर्याप्त नींद लें.

अपनी परेशानियों को दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें.

तनाव को कम करने के लिए आप अपनी पसंद का गाना सुनें.

लाफ्टर थेरेपी का इस्तेमाल भी कर सकते है.

सफेद बाल हो सकता है दिल की बीमारी का संकेत

हमारे आसपास ऐसे काफी लोंग होते है जिनके उम्र के पहले ही सफेद बाल हो जाते हैं. हैरानी की बाल ये है की इस समस्या से ज्यादा परेशान पुरुष हैं. झड़ते बालों और सफेद बालों की समस्या आए दिन पुरुषों में बढ़ती दिखाई दे रही है. ऐसे में वे कई घरेलू नुस्खे आजमाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ भी ठीक होता दिखाई नहीं देता है. इससे शर्मिंदगी के साथ-सात सेल्फकौनफिडेंस भी प्रभावित होता हैं. ऐसे लोग मजाक का पात्र बनकर पब्लिक में आना जाना भी कम कर देते है पर क्या आप जानते है की सफेद बाल को अनदेखा करना कितना खतरनाक हो सकता है. सफेद बाल होना दिल से संबंधित कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.

सफेद बाल मतलब दिल की बीमारी

एक रिसर्च के अनुसार पता चला है कि 500 से अधिक लोगों में दिल से संबंधित बीमारियां हो रही हैं. सफेद बाल होना कई बाल साधारण हो सकता है, लेकिन ज्यादातर समय में सफेद बाल, वह भी पुरुषों में कोई आम बात नहीं है. अगर किसी पुरुष को सफेद बालों की शिकायत है, तो उसे जल्द डाक्टर से सलाह लेकर ह्रदय संबंधी चेकअप करा लेना चाहिए जिससे समय रहते इलाज हो सकें.

एथेरोस्केलेरोसिस का निर्माण धमनियों (Arteries) के अंदर की फेट सामग्री से होती है और बालों में सफेदी आ  जाती है. दोनों ही कारण में बिगड़ा हुआ डीएनए, औक्सीडेटिव तनाव, सूजन, हार्मोन में बदलाव और कार्यात्मक कोशिकाओं की तन्यता है.

तो अगर आप भी सफेद बालों से परेशान है तो उनके कैल्शियम की से जोड़ कर ना देखें और जल्द से जल्द डाक्टर से सलाह लेकर अपने दिल की सभी जरुरू चेकअप कराएं.

इन 6 टिप्स से करें डिप्रेशन की पहचान

डिप्रेशन, एक ऐसी समस्या है जिसमें खुद उस इंसान को ही पता नहीं होता की वो इस बीमारी का शिकार है. अगर समय रहते इसका इलाज हो जाए तो इससे निजात मिल सकता है. भारत जनसंख्या के मामले है वैसे तो दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है. पर डप्रेशन में ये दुनिया के सभी देशों को पीछे छोड़कर पहले स्थान पर है. जी हां…भारतीय लोगों में डिप्रेशन के मामले पिछले कुछ सालों में बढ़ गए हैं. WHO (World Health Organization) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 6.5% नागरिक गंभीर डिप्रेशन का शिकार हैं. ये आंकड़ा दुनिया के किसी भी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

क्या है डिप्रेशन और कैसे करें इसकी पहचान

चिंता और तनाव हम सभी को होता है. मगर जब ये तनाव सीमा से ज्यादा बढ़ जाता है, तो मानसिक रोग बन जाता है, जिसे डिप्रेशन कहते हैं. डिप्रेशन की शुरुआत में कुछ ऐसे लक्षण महसूस होते हैं, जिन्हें आप आसानी से नजरअंदाज कर सकते हैं. अगर आपको भी महसूस होते हैं ये लक्षण, तो सावधान हो जाएं और मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह लें.

1. हर समय थकान महसूस होना

थकान डिप्रेशन का एक बड़ा लक्षण है. डिप्रेशन के कारण व्यक्ति का किसी काम में मन नहीं लगता है और वो हर समय थका हुआ महसूस करता है. इस दौरान व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियां सीमित हो जाती हैं. उसकी बातों में नकारात्मकता आ जाती है और वो ज्यादातर समय गुमसुम उदास रहने लगता है.

2. नींद पर भी पड़ता है बुरा असर

डिप्रेशन का दूसरा सबसे पहला लक्षण व्यक्ति की नींद का प्रभावित होना है. वे या तो बहुत कम या बहुत अधिक सोने लगते हैं. कुछ लोग 12 घंटे तक सोने के बाद भी थकान महसूस करते हैं, तो वहीं कुछ लोग रात में थोड़ी-थोड़ी देर बाद जागते रहते हैं. थकान की ही तरह नींद की समस्‍या भी अवसादग्रस्‍त पुरुषों में सामान्‍य लक्षण है.

3. चिड़चिड़ापन होना

अवसादग्रस्‍त पुरुषों का स्‍वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है. अगर वे भावनात्‍मक बातें कर रहे हों, तो दुख और चिड़चिड़ेपन का मेल सामने आ सकता है. पुरुषों में चिड़चिड़ेपन की बड़ी समस्या उनके मस्तिष्‍क में लगातार आने वाले नकारात्‍मक विचार होते है.

4. गुस्सा करना

डिप्रेशन के कारण कई बार व्यक्ति को बिना वजह गुस्सा आता है. गुस्से के कारण कई बार वे आक्रामक हो जाते हैं और लड़ने-झगड़ने भी लगते हैं. गुस्‍से में व्‍यक्ति चिढ़ के मुकाबले स्‍वयं को अधिक प्रभावी दिखाने का प्रयास करता है. ऐसे में व्‍यक्ति को परिवार और दोस्‍तों से खास मदद की जरूरत होती है.

5. डिसिजन मेकिंग पावर में कमी आना

अगर आपको लगातार निर्णय लेने में कठिनाई आ रही है, तो यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है. कुछ लोगों को नैसर्गिक रूप से दुविधा में रहते हैं. उन्‍हें फैसले लेने में परेशानी आ सकती है. अगर आपके साथ पहले से यह परेशानी है, तो आपको अधिक घबराने की जरूरत नहीं. लेकिन, आपके स्‍वभाव में यह आदत नयी शामिल हुई है, तो आपको सोचने की जरूरत है. जानकार मानते हैं कि डिप्रेशन आपके क्षमता लेने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है.

6. कब्‍ज या डायरिया का होना

कब्‍ज या डायरिया, और सिरदर्द और कमर दर्द जैसे स्‍वास्‍थ्‍य लक्षण, अवसादग्रस्‍त लोगों में सामान्‍य हैं. लेकिन, अक्‍सर पुरुष इस बात को नहीं समझते कि तेज दर्द और पाचन क्रिया में अनि‍यमितता का संबंध अवसाद से भी हो सकता है. डाक्‍टर बताते हैं कि अवसादग्रस्‍त लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें लगी रहती हैं. लेकिन, अक्‍सर वे इसे लेकर गंभीर नहीं होते.

अगर आप भी इन किसी समस्या से परेशान है तो आप जरुर डाक्टर से सलाह ले और कोशिश करें की आपके आस पास के लोगों के अगर व्यवहार या  इन परेशानी को आप देखते है उनका साथ दे और डाक्टर से सलाह दिलवाए.

जला हुआ तेल खाना, जानें कैसे आपके लिए हो सकता है खतरनाक

जले हुए तेल का साइड इफेक्ट इतना है कि दिल की तीनों नलियों ब्लौक हो जाती है और मरीज की जान पर बन जाती है. IGIMS में ऐसी ही 50 महिलाओं की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी. इनमें ज्यादातर महिलाएं ग्रामीण इलाके की हैं. बिहार के एक गांव में तो एक बाप-बेटे को जला हुआ तेल खाने से उनके दिल को इतना नुकसान हुआ कि दोनों की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी. ये तथ्य आईजीआईएमएस की कैथ लैब में पिछले दो साल में मरीजों पर किए गए परीक्षण में सामने आया है.

संस्थान के हृदय रोग विभाग के डाक्टरों का कहना है कि कैथ लैब में आने वाले मरीजों के परीक्षण में पाया गया कि ज्यादातर मरीज अनियमित दिनचार्या, दूषित भोजन, मधुमेह और ब्लडप्रेशर से पीड़ित थे. इस वजह से उनके दिल में खराबी आई. दो साल में 3000 मरीजों की एंजियोग्राफी, 800 को एंजियोप्लास्टी व 350 मरीजों में पेस मेकर लगाया गया जबकि 50 के दिल के छेद को बंद किया गया. आश्चर्यजनक बात यह रही कि जिन 800 महिलाओं की एंजियोग्राफी की गई उसमें 50 ऐसी थी जिनका दिल जले हुए तेल को खाने से खराब हुआ था.

डाक्टरों का कहना है कि प्राय: यह माना जाता है कि मेनोपौज के बाद हार्मोन के कारण महिलाओं का दिल ठीक रहता है लेकिन उनमें ऐसा नहीं हुआ. डाक्टरों का कहना है कि 2005-06 में प्रदेश में शहरी क्षेत्र में दिल के मरीजों की संख्या 5-7 प्रतिशत तथा ग्रामीण इलाके में 2-3 प्रतिशत होती थी लेकिन 2016 में इस आंकड़े में बदलाव हो गया है. अब शहरी क्षेत्र में आठ से दस तथा ग्रामीण इलाके में सात प्रतिशत तक दिल से पीड़ित मरीज हैं.

यह तथ्य सामने आए हैं
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की संख्या का फासला कमा
दूषित भोजन व तंबाकू के सेवन से कमजोर हो रहा हृदय
दो साल में 3 हजार मरीजों की एंजियोग्राफी हुई
50 मरीजों के हृदय के छेद को बंद किया गया

क्या होता है जले हुए तेल में
अध्ययन टीम में शामिल डाक्टर का कहना है कि तेल जलने के बाद उसमें ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. तेल जितनी बार जलेगा उतना ही ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ेगी. यह पदार्थ हृदय में चर्बी को बढ़ा देता है, जिससे खून प्रवाहित होने वाली मुख्य तीन नलियों में ब्लौकेज आ जाती है. डाक्टरों ने लोगों को ज्यादा तिसी का तेल नहीं खाने की सलाह दी है क्योंकि इसमें फैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है जिससे हृदय की खून की नलियां ब्लॉक हो जाती हैं.

अगर आप भी कर रही हैं पार्टनर को सेक्स के लिए मना तो जरूर पढ़ें ये खबर

अगर आप की पार्टनर लंबे समय से सेक्स के लिए न कह रही है, तो यह चिंता की बात हो सकती है. यह संभव है कि आप की पार्टनर सेक्स के प्रति रुझान न होने की समस्या से जूझ रही हो. इसे महिला यौन अक्षमता भी कहा जाता है. इस शब्द का उपयोग उस व्यक्ति को परिभाषित करने के लिए किया जाता है, जो अपने साथी को सेक्स के दौरान सहयोग नहीं करता. महिलाओं में एफएसडी यानी फीमेल सैक्सुअल डिसफंक्शन होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे सेक्स के दौरान दर्द या मनोवैज्ञानिक कारण. ऐसे में डाक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है.

इस समस्या के निम्न मुख्य कारण हैं:

मनोवैज्ञानिक कारण:  पुरुषों के लिए सेक्स एक शारीरिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन महिलाओं के लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा है. पिछले बुरे अनुभवों के चलते कुछ महिलाएं भावनात्मक रूप से टूट जाती हैं. वर्तमान में बुरे अनुभवों के कारण मनोवैज्ञानिक मुद्दे या फिर अवसाद इस का कारण हो सकता है.

और्गेज्म तक न पहुंच पाना: एफएसडी का दूसरा भाग ऐनौर्गेस्मिया कहलाता है. यह स्थिति तब होती है जब व्यक्ति को या तो कभी और्गेज्म नहीं होता या वह कभी इस तक पहुंच ही नहीं पाता. और्गेज्म तक पहुंचने में असमर्थता भी एक मैडिकल कंडीशन है. सेक्स में रुचि की कमी और और्गेज्म तक पहुंचने में असमर्थता दोनों ही स्थितियां गंभीर हैं.

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि महिलाएं अधिक फोरप्ले पसंद करती हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तो और्गेज्म तक पहुंचना मुश्किल है.

इस का मनोचिकित्सा के माध्यम से इलाज किया जा सकता है. महिलाओं को अपने रिश्ते में सेक्स के साथ समस्याएं होती हैं. यदि आप को भी ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो आप को जल्द से जल्द ऐंड्रोलौजिस्ट से मिलना चाहिए ताकि समस्या संबंधों को प्रभावित न करे.

फीमेल सैक्सुअल डिसफंक्शन का इलाज और उपचार: जहां तक एफएसडी इलाज के घरेलू उपचार का सवाल है तो वास्तव में यह बहुत प्रभावी नहीं होता. बाजार में कई तरह की महिला वियाग्रा मौजूद हैं, लेकिन ये आमतौर पर मनचाहे नतीजे नहीं दे पातीं. महिलाएं लेजर के साथ योनि कायाकल्प ट्राई कर सकती हैं. आप चाहें तो प्लेटलेट रिच प्लाज्म (पीआरपी) थेरैपी भी अपना सकती हैं. इस क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के लिए योनि के पास इंजैक्शन दिया जाता है. इसे ओशौट के रूप में जाना जाता है.

यदि आप यौन संबंध का आनंद नहीं ले पा रही हैं तो डाक्टर से मिलें. दोनों भागीदारों के लिए डाक्टर का यौन परामर्श उपयोगी हो सकता है. दिनचर्या बदलने और अलगअलग आसन अपना कर इसे और अधिक आनंदायक बनाया जा सकता है. योनि क्रीम का उपयोग भी किया जा सकता है.

ज्यादातर महिलाएं, विशेष रूप से जब उम्रदराज हो जाती हैं तो उन्हें संभोग से पहले अधिक फोरप्ले की आवश्यकता होती है. ज्यादातर महिलाओं को योनि प्रवेश के साथ संभोग के दौरान ज्यादा आनंद नहीं आता है. उन्हें अपने को संभोग करने में सक्षम बनाने के लिए अपने साथी से अपने यौनांगों को सहलाने के लिए कहना चाहिए. हस्तमैथुन या मौखिक सेक्स यौन गतिविधियां अपनाई जा सकती हैं.

जानें 18 से लेकर 70 साल तक का फुल लाइफ डाइट प्लान

अगर आप हमेशा हेल्दी रहना चाहते है तो आपको अपने खान पान का ख्याल रखना चाहिए. शरीर में चुस्ती फुरथी बनाए रखने के लिए जितना व्यायाम और कसरत जरुरी है उतना ही  अपनी डाइट का भी ख्याल रखना जरुरी है. कुछ लोगों को लगता है कि अच्छे खानपान का मतलब यह है कि आप अपनी मनपसंद चीजें ना  खाएं, मगर ऐसा नहीं है. अगर आप Balanced Diet लेते है तो इसके जरीए आप खुद को लंबी उम्र तक स्वस्थ रख सकते हैं. इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए है 18 साल की उम्र से लेकर 70 साल की उम्र तक आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यानी पूरा डाइट प्लान. जिसकी बदद से आप खुद और भी स्वस्थ रख सकते है.

Diet Plan for Age 18-30

आपका मेटाबौलिज्म उम्र के साथ-साथ घटता जाता है. आमतौर पर ये घटाव 18 साल के बाद शुरू हो जाता है, इसलिए इस उम्र से आपको अपने खानपान पर थोड़ा ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए. 18-30 साल की उम्र के बीच आपके शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत आयरन और कैल्शियम की होती है. इस उम्र में 11.3 मिलीग्राम आयरन लड़कों के लिए और 14.8 मिलीग्राम आयरन लड़कियों के लिए जरूरी है. इसके अलावा सभी को 800 से 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

इसलिए आपको खाने में ऐसी चीजे लेनी चाहिए जो ये जरूरत पूरी कर सकें, जैसे- कैल्शियम के लिए दूध पिएं और दूध से बनी चीजें, दही, पनीर, चीज़, योगर्ट आदि खाएं. इसके अलावा आयरन की जरूरत पूरी करने के लिए सप्ताह में 3-4 दिन हरी सब्जियां, दालें खाएं और रोजाना 1-2 कटोरी फल खाएं. इसके अलावा रोजाना नाश्ते या लंच में 2 अंडे खाना भी अच्छा होगा. रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें.

Diet Plan for Age 30-40

30 से 40 साल की उम्र में आमतौर पर व्यक्ति अपना पूरा फोकस अपने करियर पर रखता है. ऐसे में तनाव और चिंता का उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए इस उम्र में आपको प्रोटीन, विटामिन्स और एंटीऔक्सीडेंट्स से भरपूर आहार लेने चाहिए. सुबह के नाश्ते में अंडे, फल, ओट्स, शेक, स्मूदी आदि लें. औयली फूड्स (तेल में छने-पके फूड्स) को सेवन बहुत ज्यादा न करें. चीनी और नमक की मात्रा खाने में थोड़ा-थोड़ा घटाते रहें, जिससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोग न हों.

इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि आप रात में बहुत ज्यादा खाना न खाएं. बाकी खाने में आपको दाल, रोटी, चावल, सब्जी, ग्रिल्ड चिकन, फल, मोटे अनाज, अंडे, दूध का सेवन करना चाहिए. रोजाना अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश आदि का सेवन करना भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा. रोजाना थोड़ी एक्सरसाइज और थोड़ा पैदल चलना जरूरी है.

Diet Plan for Age 40-50

40-50 साल की उम्र old age का पहला पायदान होता है. इस उम्र तक आपका शरीर धीरे-धीरे ढलने लगता है और रोगों की शुरुआत होने लगती है. इस उम्र में आप अपने खानपान को जितना ज्यादा संतुलित रखेंगे, आप उतना स्वस्थ रहेंगे, क्योंकि ज्यादातर रोग इसी उम्र में लोगों को परेशान करते हैं. रोगों से बचने के लिए आपको अपने खाने में नट्स (अखरोट, बादाम, पिस्ता आदि) को शामिल करना चाहिए.

इसके अलावा खाने के तेल में बदलाव करना चाहिए. खाना बनाने के लिए आप औलिव औयल, नारियल का तेल आदि इस्तेमाल कर सकते हैं. डाक्टर से सलाह लेकर आप फिश औयल सप्लीमेंट (मछली के तेल का कैप्सूल) भी ले सकते हैं. इसके अलावा आपका नाश्ता कार्बोहाइड्रेट्स से कम, प्रोटीन से ज्यादा भरा होना चाहिए. इसलिए आप मल्टीग्रेन आटा, होल व्हीट ब्रेड, होल व्हीट टोस्ट और मोटे अनाज आदि खा सकते हैं.

Diet Plan for Age 50-60

महिलाओं में इस उम्र तक मेनोपौज हो जाती है और पुरुषों में भी कई तरह के बदलाव हो जाते हैं. इसलिए ये उम्र भी स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. इस उम्र तक इंसान की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. इसलिए स्वस्थ रहने के लिए साल में 2 बार अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहना चाहिए. इस उम्र तक आपको चाय, कौफी, एल्कोहल का सेवन बिल्कुल छोड़ देना चाहिए.

50 साल की उम्र के बाद सोडियम वाले आहारों का सेवन बहुत कम कर देना चाहिए. नमक बहुत कम मात्रा में खाना चाहिए और तेल में पकाने के बजाय सब्जियों को भाप में पकाकर खाना चाहिए. कमजोरी से बचने के लिए आपको फलों, कच्ची सब्जियों, सलाद, मोटे अनाज आदि का सेवन करते रहना चाहिए.

Diet Plan for Age 60-70

इस उम्र तक ज्यादातर लोग काम से रिटायरमेंट ले लेते हैं. इस उम्र में आपकी हड्डियों, आंखों और हृदय रोगों का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसलिए इनसे बचे रहने के लिए आपको गाजर, आंवला, ब्रोकली, संतरे, पालक, अंडे आदि का सेवन करना चाहिए, ताकि आपके शरीर को पर्याप्त कैल्शियम, प्रोटीन और एंटीऔक्सीडेंट्स मिल सकें. आपको पहले की अपेक्षा कम खाना खाना चाहिए और ऐसी चीजें खानी चाहिए, जो आसानी से पच जाएं.

तो ये फुल लाइफ डाइट प्लान जिसे आप खुद पर और आपने बच्चों पर ट्राय कर स्वस्थ रह सकते है.

Summer Special: खाने में कुछ बदलाव, हाई ब्लड प्रेशर को रखेंगे दूर

कहा जाता है अगर आपके के पेट में सही आहार जा रहा है और नियमित रुप से अपने डाइट प्लान में बदलाव करते है तो आप कई सारी बीमारियों से बच सकते है. इंसान के शरीर खाने और पानी की जरुरत होती है जिसके चलते हमें कम से कम तीन टाईम खाने की जरुरत होती है पर अगर हम जरुरत से ज्यादा खाए या शरीर को जरुरत को भूल कर बस जीभ का स्वाद ध्यान में रखे तो काफी समस्या पैदा हो सकती है.

अगर आपका डाइट प्‍लान सही नहीं है तो आपको कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती हैं. ये स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं ही आगे चलकर ह्रदय रोगों, ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या, कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों का रूप ले लेती हैं. ब्‍लड प्रेशर को नियमित करने के लिए स्‍वस्‍थ और पोषणयुक्‍त आहार की बहुत जरूरत है.

बेकार खाना ही है हाई ब्लड प्रेशर का कारण

हाई ब्लड प्रेशर होने का सबसे बड़ा कारण है खाना. अगर आप सही आहार वाला खाना नही खा रहे है तो आपके लिए खतरे की घंटी है. हाई ब्लड प्रेसर वाले मरीज के लिए सबसे बेहतर होगा की वो नमक और सोडियम की मात्रा कम हो ऐसा खाना खाएं. एक सामन्य व्यक्ति को 72 to 99 ब्‍लड का प्रेशर होता है. अगर इससे ज्यादा हो तो वो हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है.

फलों और सब्जियों को खाएं

हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए. खाने में नियमित रूप से ताजे फलों और सीजनल हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए. लहसुन, प्याज, साबुत अनाज, सोयाबीन का सेवन करने से ब्‍लड प्रेशर सामान्‍य रहता है.

खाने में सोडियम कम  

ब्‍लड प्रेशर के मरीज के खाने में में पोटेशियम की मात्रा ज्यादा हो और सोडियम की मात्रा कम होनी चाहिए. यदि हाई ब्लड प्रेशर की समस्‍या है तो नमक का सेवन कम करना चाहिए. साथ ही डेयरी उत्पादों, चीनी, रिफाइंड खाद्य-पदार्थों, तली-भुनी चीजों, कैफीन और जंक फूड से परहेज करना चाहिए.

पानी पीना है जरुरी

ब्‍लड प्रेशर के मरीज को ज्‍यादा पानी का सेवन करना चाहिए. दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए.

लाइफस्टाइल में अपनाएं ये टिप्स और चेहरे को रखे स्वस्थ

बदलती लाइफस्‍टाइल के साथ ही लोग अपने हेल्थ को लेकर काफी सजक हो गए है. इसको सबसे बड़ा कारण है लोगों में खुद को बेहतर दिखाने की इच्छा जिसके चलते अब लोग जिम, योगा और एक्सरसाइज जैसी चीजों को डेली रूटीन में कर है. फिटनेस के साथ साथ आजकल लोग अपनी स्किन को लेकर भी काफी ध्यान देते है. इसके लिए मार्केट से या तो वो कई प्रोडक्ट्स का यूज करते है जिसके कारण कई बार हम स्किन प्रौब्लम का भी शिकार हो जाते है. आप जितना प्रकृतिक तरीकों को इस्तेमाल लाएंगे उतना ही वो आपकी हेल्थ के लिए फायदेमंद होगा. इसलिए आज हम लेकर आए है आपके लिए कुछ आसान तरीके जिसे उपयोग मे लाने से आकर्षक स्किन और फिटनेस पा सकते हैं.

स्किन को जरुरी है एक्सट्रा केयर

अगर आप चाहते हैं कि चेहरे पर निखार आए तो अपने स्किन को हमेशा साफ पानी से धोए और साफ रखें. हर रोज कुछ समय अपने चेहरे की गंदगी को साफ करने के लिए लगाएं. इसके लिए प्राकृतिक चीजों का सहारा ले सकते है जैसे हल्दी और एलोवोरा. ये ना सिर्फ चेहरे की रंगत बढ़ाएंगा बल्कि चेहरे को स्वस्थ भी रखेगा.

खाने में यूज करें फाइबर प्रोटीन्स

आप हेल्दी तभी हो सकते है जब आप पौष्टिक और फाइबर युक्त खाने का सेवन करेगें. इस तरह के आहार न केवल आपको उर्जा देते हैं बल्कि आपके स्किन को भी हेल्दी रखते हैं. स्वस्थ पेट, स्वस्थ शरीर आप जितना स्वस्थ खाना खाएंगे उतना आपकी चेहरे पर रोनक आएंगी.

टेंशन को रखे दूर

टेंशन न सिर्फ आपके दिमाग को बल्कि शरीर को भी कई प्रकार से नुकसान पहुंचाता है. ये आपकी मांसपेशियों को कसने, आपकी ऊर्जा का स्तर कम करने और ब्लडप्रेशर को तेजी से बढ़ाता है. टेंशन की वजह से आपके चेहरे का निखार खत्म हो जाता है.

स्वस्थ रहने के लिए नींद लेना है जरुरी

अपनी व्यस्त लाइफ में कम से कम 7 से 8 घंटे अपनी नींद को दीजिए. जब आप सोते हैं तब शरीर हर तरह की गंदगी को बाहर नि‍कालने का काम करता है, जिससे त्वचा में निखार आता है.

स्वस्थ पानी रखें स्वस्थ शरीर

स्वस्थ्य रहने के लिए पानी का सेवन करना बहुत ही जरूरी है. पानी ही एक ऐसी चीज है जिसका आप सही समय पर सेवन करते हैं तो शरीर की कई सारी बीमारियां दूर हो सकती है. अपने चेहरे पर ग्लो लाना है तो हर एक घंटे में पानी पीजिए.

जामुन: फल एक, सेहत से जुड़ें फायदे अनेक

बारिश में जहां एक ओर गरमागरम पकोड़े और भजिएं लोगों की पहली पसंद होते है जो आपकी सेहत के लिए बीमारी का घर बन सकता है. वही इस मौसम के फल आपके शरीर को कई बीमारी से दूर रखने में काफी असरकारक हो सकते है. बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा दिखने वाले फलों में जामुन है, जो बारिश में ही देखने को नसीब होता है.खट्टे-मीठे स्वाद के कारण जामुन की कई डिशेज बनाई जाती हैं. वैसे तो जामुन खाने के ढेर सारे फायदे हैं। मगर डायबिटीज रोगियों के लिए जामुन विशेष फायदेमंद होता है. जामुन खाने से ब्लड शुगर घटता है और इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है. इस सिजनेबल फल को जितना हो सके आपने खाने में इस्तेमाल करें.

 पौष्टिक तत्वों से भरपूर है जामुन

जामुन में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम जैसे मिलिरल्स है जिसकी समय समय पर हमारे शरीर को जरुरत होती है. इसके अलावा जामुन में विटामिन्स और फाइबर भी भरपूर पाए जाते हैं. जामुन में ग्लूकोज और फ्रक्टोज पाया जाता है, मगर फाइबर होने के कारण यह बहुत धीरे-धीरे खून में घुलता है.

 पेट संबंधी समस्या और कैंसर के लिए भी फायदेमंद

जामुन खाने से आपका डाईजेशन अच्छा होता है साथ ही  जामुन खाने से पेट सं‍बंधित समस्या कम होती हैं. शुगर के उपचार के लिए जामुन बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. शुगर के रोगी को जामुन की गुठलियों को सुखाकर, पीसकर उनका सेवन करें. इससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. आपको जानकर हैरानी होगी पर जामुन में कैंसर से भी निपटने की क्षमता है. कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के बाद जामुन खाना चाहिए, इससे फायदा होता है.

पथरी और छालों को रखें दूर

जामुन खाने से पथरी में फायदा होता है. जामुन की गुठली के चूर्ण को दही के साथ मिलाकर खाने से पथरी में फायदा होता है वही मुंह में छाले होने पर जामुन के रस का प्रयोग करने से लाभ होता है.

खूनी दस्त में है रामवाण

दस्त या खूनी दस्त होने पर जामुन का सेवन करना चहिए. दस्त होने पर जामुन के रस को सेंधानमक के साथ मिलाकर खाने से दस्त बंद हो जाता है.

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