प्यार या क्रश में क्या है अंतर, जानें यहां इस सवाल का जवाब

यंग जनरेशन हो या ओल्ड इस बात को लेकर हमेशा कन्फयूज रहते है कि प्यार क्या है और क्रश क्या है. दोनों एक ही चीज है या अलग अलग है. लेकिन, बात करें प्यार की तो शुरुआत क्रश से ही होती है. क्योकि पहले आप किसी के लिए फील करते है तो वो आपकी क्रश बन जाती है धीरे-धीरे वही क्रश प्यार में बदल जाता है.

क्रश आमतौर पर उन रोमांटिक फीलिंग को माना जाता है जो आप कभी कह ही नहीं पाते हैं. लेकिन ऐसा है नहीं. जी हां, आप प्यार भारी फीलिंग को ही तो क्रश कहते थे अब तक है न. अब मत कहिएगा क्योंकि क्रश के मायने तो कुछ और ही हैं.

एक्सपर्ट मानते हैं कि क्रश के लिए हमेशा रोमांटिक फीलिंग नहीं आती है. लेकिन, क्रश के साथ जुड़े नहीं होते हैं और आप गहराई में जाकर उनसे जुड़ना जरूर चाहते हैं. हम किसी भी तरह जुड़ना चाहते हैं ताकि उनको और जान सकें पहचान सकें. उनसे रिश्ता बढ़ा सकें. इन सबके बीच में रोमांस भी हो सकता है.

क्या होता है क्रश

क्रश आमतौर पर उन रोमांटिक फीलिंग को माना जाता है जो आप कभी कह ही नहीं पाते हैं. लेकिन ऐसा है नहीं. जी हां, आप प्यार भारी फीलिंग को ही तो क्रश कहते थे अब तक, है न. अब मत कहिएगा क्योंकि क्रश के मायने तो कुछ और ही हैं.

विशेषज्ञ मानते हैं कि क्रश के लिए हमेशा रोमांटिक फीलिंग नहीं आती है. लेकिन क्रश के साथ जुड़े नहीं होते हैं और आप गहराई में जाकर उनसे जुड़ना जरूर चाहते हैं. हम किसी भी तरह जुड़ना चाहते हैं ताकि उनको और जान सकें पहचान सकें. उनसे रिश्ता बढ़ा सकें. इन सबके बीच में रोमांस भी हो सकता है.

प्यार क्या होता है?

क्रश के बारे में सबकुछ जानने के बाद आपको ये भी पता होना चाहिए कि प्यार क्या होता है? दरअसल जब प्यार को पहचानेंगे तब ही तो क्रश और प्यार में अंतर आसानी से कर पाएंगे. जब आपको किसी से प्यार होगा तो उसके लुक पर ध्यान दिए बिना ही उसके अच्छे बुरे के बारे में सोचेंगे.

उसकी परेशानियों को अपनी परेशानी बना लेंगे और उन्हें हल करने के बारे में भी सोचेंगे. आप उसको खुश करने के बारे में भी वो सबकुछ करेंगे जो कर सकेंगे. उसके साथ आपको हमेशा सेफ महसूस होगा.

 प्यार और क्रश में अंतर

-कभी भी प्यार और क्रश को एक मान लेने की गलती नहीं करनी चाहिए. ये दोनों अलग-अलग एहसास हैं. इन दोनों में बड़ा अंतर तो आकर्षण और गहरे प्यार का ही है. इन दोनों अहसासों के बीच में अंतर करना काफी कठिन होता है.

-क्रश के लिए आप कई बार फिजिकल आकर्षण महसूस कर सकते हैं. लेकिन जब प्यार होगा तो आप एक गहरी फीलिंग महसूस करेंगे.

-उसके साथ सपने तक देखने लगेंगे. लेकिन प्यार के साथ आप प्रैक्टिकल बातें सोचेंगे.

-जब प्यार होता है तो आपको वो पूरा इंसान अच्छा लगता है. लेकिन क्रश की आपको कोई एक खासियत अच्छी लगेगी, जैसे उसका हंसना, कोई बॉडी पार्ट या फिर कपड़े पहनने का तरीका.

-ज्यादातर बार क्रश थोड़े समय के लिए ही होता है.

-क्रश तुरंत हो जाता है जबकि प्यार धीरे-धीरे होता है.

-क्रश होगा तो उस इंसान में कोई कमी दिखेगी ही नहीं, प्यार में कमी दिखेगी लेकिन आप उसे सुधारना चाहेंगे. ताकि वो इंसान परफेक्ट बन सके.

Holi 2024: होली पर क्या पहने और क्या नहीं?

होली के त्योहार में हम रंग तो खेलते हैं पर रंगों से न सिर्फ बालों और स्किन को बचाने की जरूरत होती है बल्कि कपड़ों को भी खराब होने से बचाना पड़ता है. कपड़ों से रंग को हटाना मुश्किल तो होता ही है साथ ही रंग में मौजूद केमिकल कपड़ों को खराब कर उन्हें बदनुमा बना देते हैं. ऐसे में जरूरी है होली खेलने के लिए सही कपड़ों का चुनाव किया जाए.

ज्यादातर लोग होली आते ही पुराने कपड़ों की तलाश में लग जाते हैं ताकि उनके नए कपड़े खराब न हों. यह एक अच्छा तरीका है कपड़ों को रंगों से बचाने का, लेकिन आजकल होली पर भी फैशनेबल और स्टाइलिश दिखने का ट्रेंड है. तो आइए जाने होली के दिन क्या पहने क्या न पहने…

क्या पहनें

1- लोग होली के लिए खासतौर पर सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं क्योंकि वाइट कलर में अन्य रंग खिलकर आते हैं. लेकिन अगर आप सफेद रंग के कपड़े नही पहन रहे हैं तो होली के रंगों से बचने के लिए पुराने कपड़े पहनें ताकि उनके खराब होने का दुख न हो. कोई भी त्यौहार ट्रैडिशनल या एथनिक लुक में ही अच्छा लगता है. इसलिए इस बार होली पर आप एथनिक थीम रख सकती हैं.

2- आप चाहे तो कुछ वैसा गेटअप ले सकती हैं, जैसा ऐक्ट्रेस रेखा ने ‘रंग बरसे’ गाने में लिया था. चिकनकारी कुर्ते और लैगिंग्स के साथ रंग खेलने का मजा दोगुना हो जाएगा. कुर्ते के साथ स्कार्फ या दुपट्टा भी आप कैरी कर सकती हैं.

3- होली रंगों का त्यौहार तो फिर क्यों न इस मौके पर कपड़ों के साथ भी एक्सपेरिमेंट किया जाए ? होली पर आप चटख रंगों के कपड़े, जैसे सलवार-कुर्ता या फिर वेस्टर्न आउटफिट्स कैरी कर सकती हैं.

4- होली पर कपड़ों के चुनाव के साथ यह जानना भी जरूरी है कि इस त्यौहार के लिए कौन-सा फैब्रिक सही है. कौटन फैब्रिक को होली खेलने के लिए सबसे सही मटीरियल माना जाता है. चाहे कितनी भी तेज धूप या गर्मी हो, कौटन ठंडक का एहसास कराता है. खास बात यह है कि यह फैब्रिक शरीर में चुभता भी नहीं है.

5- स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो फिर आप टौप या कुर्ते को प्लाजो या शार्ट्स के साथ पहन सकती हैं. आजकल कुर्ते के साथ धोती पैंट पहनने का भी खूब चलन है.

6- साड़ी होली पर पहनने वाला सबसे बेहतरीन परिधान है. साड़ी में आप ऐसा महसूस कर सकती हैं, जैसे रंगों से सराबोर कोई फिल्मी नायिका. लेकिन ध्यान रहे कि आपको साड़ी ठीक से और आत्मविश्वास से कैरी करनी होगी क्योंकि एक बार भींगने के बाद यह शरीर से चिपकने लगती है.

क्या न पहनें

होली खेलने के लिए जो कपड़े पहनें ध्यान रहे कि वे ज्यादा टाइट या शरीर से चिपकने वाले न हों. ऐसे में ये आपको भद्दा लुक तो देंगे ही साथ ही इरिटेशन भी पैदा कर देंगे. डीप नेकलाइन पहनने से बचें. हाफ स्लीव्स का कोई भी आउटफिट न पहनें. स्कर्ट पहनने से बचें, नहीं तो परेशानी में फंस सकती हैं.

Diabetes: शरीर में नजर आए ये लक्षण, तो जरूर कराएं ब्लड शुगर की जांच

डायबिटीज (Diabetes) जिसे शुगर कहा जाता है आज एक समान्य बिमारी हो गई है जो हर तरफ देखने को मिल रही है. बच्चा बच्चा इसकी चपेट में नजर आ रहा है. शुगर एक सामान्‍य मेडिकल कंडीशन है जिसे ब्‍लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मैनेज कर और रेग्‍युलर मॉनिटर कर कंट्रोल में किया जा सकता है. ये बिमारी एक खराब लाइफस्‍टाइल (Lifestyle) और खराब खानपान की वजह से होती है. ये तब होता है जब शरीर में इंसुलिन का पर्याप्‍त उत्‍पादन नहीं हो पाता. हालांकि इसके लक्षण (Diabetes Symptoms) काफी सामान्‍य से होते हैं और इस वजह से इसे शुरुआती दौर में पहचान पाना काफी मुश्किल होता है. तो आइए आज जानते है कि इसके लक्षण क्या है. कैसे रात में होने वाली परेशानियां आपको डायबिटीस के लक्षण बताती है.

मिनटों में पेशाब आने की दिक्कत

आपको बता दें कि डायबिटीज में सबसे ज्यादा पेशाब आता है, आपको हर मिनटों मे पेशाब जाना पड़ता है. ऐसा इसलिए होता है क्योकि ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है और इस वजह से किडनी इसे पेशाब की मदद से बार बार फ्लश करने लगती है. यह लक्षण बताता है कि आपके ब्‍लड में ग्‍लूकोज लेवल कंट्रोल में नहीं है.

ज्यादा पसीना आना

कई बार रात में सोते वक्‍त पंखा चलाने के बावजूद भी पसीना आने लगता है और ऐसी परेशानी लगभग रोज होने लगती है. अगर कुछ दिनों से आप भी ऐसी समस्‍या से दो-चार हो रहे हैं तो एक बार आप अपने ग्‍लूकोज लेवल का जरूर टेस्‍ट कराएं. यह भी डायबिटीज का एक लक्षण है.

रात रात भर बेचैन होना

अगर आप रात में सोते वक्‍त एकाएक बैचैनी महसूस करते हैं या लेटने में परेशानी महसूस होती है या एकाएक धड़कन तेज हो जाती है तो यह आपके ब्‍लड शुगर लेवल के बढ़ने या घटने का लक्षण हो सकता है. ऐसे में इस लक्षण को नजर अंदाज ना करें और तुरंत डॉक्‍टर के पास जाएं. क्योकि ये लक्षण डायबिटीज के है.

पैर में दर्द या शरीर सुन्‍न हो जाना

अगर रात के वक्‍त आपके पैरों में दर्द होता है या हाथ-पैर सुन्‍न हो जाते हैं तो इसे सामान्‍य बात समझकर नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. यह लक्षण ब्‍लड शुगर लेवल अनियंत्रित होने पर भी दिखता है.

बार बार मुंह सूखना

अगर आपको रात के वक्‍त ड्राई माउथ की समस्‍या हो रही है, ज्यादा प्‍यास लगती है, तो डिहाइड्रेशन महसूस होता है और पानी पीने के लिए आप बार बार रात के वक्‍त उठते हैं तो यह भी शुगर का लक्षण हो सकता है.

40 की उम्र के बाद पुरुष रहना चाहते हैं फिट, तो अपनी डाइट का ऐसे रखें ख्याल

आज के समय में खुद को फिट रखने के लिए लोगों के पास समय नहीं है, खासतौर पर पुरुषों के पास. वो अपनी हेल्थ पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं, लेकिन ये ज़रुरी है कि एक उम्र में आते आते आपको अपनी सेहत का काफी ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में ये ज़रूरी है कि 40 की उम्र में पुरुष कैसे फिट रहें. इसके लिए ज़रुरी है कि वो अपनी डाइट में क्या शामिल करें और क्या न करें. क्योकि इस उम्र के बाद आदमी के शरीर में न जाने कितनी बीमारियां घर बना लेती हैं. डायबिटीज, मोटापा, मेटाबॉलिज्म का धीमा होना साथ ही इम्यूनिटी का कमजोर होना. इस तरह की बीमारियां इस उम्र में ज्यादा पकड़ लेती हैं. इसके अलावा हृदय से जुड़ी बीमारियां भी दस्तक देने लगती हैं. ऐसे में अगर आप अपनी जीवन शैली और अपनी थाली को कुछ हेल्दी चीजों से भरेंगे तो आप पूरी तरह फिट रहेंगे. तो आइए जानते हैं कि क्या बदलाव 40 की उम्र में करना जरूरी है. जो आपके शरीर को फिट बनाएं.

बौड़ी को करें हाइड्रेटेड

सबसे पहले ज़रुरी है कि आप अपने शरीर को हाइड्रेट करें. जिससे आपका शरीर फीट बनेंगा, साथ ही किडनी भी सही रुप से कार्य करेंगी. इसके लिए ज़रुरी है, कि एक दिन में कम से कम 2.5 लीटर से लेकर 3 लीटर पानी पिया जाएं. वहीं अगर आप नॉर्मल पानी पीकर बोर हो गए हैं तो आप नारियल पानी, जूस, और हर्बल टी का सेवन शुरू कर सकते हैं. इससे आपकी सेहत को बहुत ज्यादा फायदा होगा और आप 40 की उम्र में भी 20 की तरह फिट रहेंगे.

​फाइबर क्यों जरूरी और कहां से ले

फाइबर हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है. यह आपको न केवल कब्ज जैसी समस्या से बचाता है. बल्कि इससे आपका वजन भी संतुलित बना रहता है. ऐसे में आपको अपनी डाइट में ऐसी सब्जी और फलों को शामिल करना होगा जिनमें प्रचुर मात्रा में फाइबर से भरपूर है. फाइबर के जरिए ही आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है. आप फाइबर के लिए ब्रोकली, कैबेज, अखरोट, स्प्राउट, ग्रीन टी, बैरीज आदि का खा सकते हैं. इन सभी तत्वों में ओमेगा 3 भी होता है जो आपको कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचाता है.

​गुड फैट जरूरी

हमेशा याद रखें की खाने वो खाएं जिसमें गुड फैट हो. क्योकि रोजाना जो हम खाना खाते है उनमे बैड फैट ज्यादा होता है. इसलिए अपनी डाइट में गुड फैट शामिल करना बेहद जरुरी है. इसके लिए आप एवोकाडो, ओलिव्स, नट्स, सीड्स, और कोल्ड प्रेस्ड ऑयल जैसी चीजे ज्यादा खाएं. इन सभी खाद्य सामग्रियों में गुड फैट पाया जाता है. यह आपको सेहतमंद बनाए रखने में मदद करता है.

साबुत अनाज को दें जगह

साबुत अनाज आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. इसमें आप ओट्स, दलिया, लाल चावल आदि का सेवन कर सकते हैं. इस तरह का भोजन आपको दिनभर ऊर्जात्मक रखेगा. इसके अलावा इन फूड आइटम्स में आपको विटामिन बी भी मिलती है जो आपको सेहत के लिए जरुरी है.

​प्रोटीन है जरुरी

प्रोटीन भी आपकी डाइट में बेहद जरुरी है. आपकी पहली प्राथमिकता प्लांट बेस्ड प्रोटीन की होनी चाहिए, जैसे सोया मिल्क, टोफू, आदि. इसके अलावा आप मीट, चिकन, अंडे, फिश और सूखे मेवे का सेवन भी कर सकते हैं. ध्यान रहे कि आपका वजन जितना है आपको कम से कम उतना ग्राम प्रोटीन जरूर खाना चाहिए.

​इन चीजों से रहे दूर

ऐसा हो सकता है कि आप फ्राइड या पैकेज्ड फूड का सेवन करना बेहद पसंद करते हों। लेकिन अब आपको इनसे दूरी बनाकर रखनी होगी। फ्राइड और पैकेज्ड फूड आपके कोलेस्ट्रॉल और बीपी को बढ़ाता है इसके अलावा अगर आप धूम्रपान या शराब पीते हैं तो इसका सेवन भी पूरी तरह बंद कर दें इससे आप कैंसर और लिवर से जुड़ी हुई समस्याओं से बच पाएंगे.

वर्जिनिटी खोने से पहले बरतें ये सावधानी

lifestyel News in Hindi: वर्जिन सैक्स को सैक्स संबंधों की वह सीढ़ी माना जाता है जहां पहली बार मर्द औरत आपस में सैक्स संबंध बनाते हैं. लोगों का यह मानना है कि मर्द जब अपने अंग को पहली बार किसी औरत के अंग में प्रवेश कराता है तो यह वर्जिन सैक्स होता है यानी यहीं से औरत की वर्जिनिटी खत्म हो जाती है.

माना जाता है कि इस के पहले उस मर्दऔरत का किसी दूसरे से सैक्स संबंध नहीं बना है. अगर वर्जिन सैक्स के बारे में पहले से सही जानकारी न हो तो वह कई तरह से नुकसान भी पहुंचा सकता है.

अगर संबंध बनाते समय समझदारी न दिखाई जाए तो पहली बार का यह सैक्स दर्द देने वाला भी हो सकता है. इस की वजह औरत के अंग का सूखापन व झिल्ली का फटना भी हो सकती है. वहीं मर्द के मामले में उस के अंग के ऊपरी सिरे की चमड़ी पहली बार किए जाने वाले सैक्स के दौरान धीरेधीरे नीचे खिसकती है. ऐसे में मर्द के लिए भी यह दर्दभरा साबित हो सकता है.

वर्जिन सैक्स को ले कर कई तरह की गलतफहमियां व नासमझी दुखदायी सैक्स की वजह बन जाती हैं. वर्जिन सैक्स में औरत के अंग के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली जिसे हाइमन झिल्ली कहा जाता है, फटती है. इस झिल्ली के फटने से खून भी बह सकता है. कभीकभी यह झिल्ली खेलकूद, भागदौड़ वगैरह से पहले ही फट चुकी होती है जिस की वजह से सैक्स के दौरान खून तो नहीं आएगा लेकिन उचित सावधानी न बरतने की वजह से यह दर्दभरा जरूर होता है.

ऐसे में वर्जिन सैक्स को ज्यादा मजेदार और यादगार बनाने के लिए कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ सकती है जिस से वर्जिनिटी खोने से पैदा होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है.

लोगों का यह मानना है कि वर्जिनिटी खोने के दौरान एचआईवी एड्स, यौन संक्रमण जैसी खतरनाक बीमारियां नहीं होती हैं.

वर्जिन सैक्स के मामले में यह माना जाता है कि किसी मर्द ने अगर किसी औरत के अंग में अपना अंग प्रवेश किया है या किसी औरत ने किसी मर्द का अंग अपने अंग में प्रवेश कराया है तो उस ने वर्जिनिटी खो दी है और ऐसे मामले में सुरक्षित सैक्स के तरीकों को अपनाना जरूरी हो जाता है लेकिन इस में अकसर लापरवाही बरती जाती है जो औरत व मर्द के लिए खतरनाक हो सकती है.

वर्जिनिटी खोने के दौरान सैक्स के सही तरीकों की जानकारी की कमी अकसर देखी गई है, जिस से औरत के अंग में दर्द की शिकायत पाई जाती है. वर्जिनिटी खोने की हड़बड़ी में घबराहट भी बड़ी रुकावट मानी जाती है. कभीकभी अंगों का कसा होना भी सैक्स में बाधा पैदा करता है.

इन सभी हालात से निबटने के लिए पहले से ही तैयार होना चाहिए. इस के लिए किसी माहिर डाक्टर से सलाह भी ली जा सकती है.

बरतें सावधानी

वर्जिनिटी सैक्स को ले कर डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि पहली बार के सैक्स में भी उतनी ही सावधानी जरूरी है जितनी कई बार सैक्स कर चुके लोगों  द्वारा अपनाई जाती है, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि जिस पार्टनर के साथ सैक्स करने जा रहे हैं उस की वर्जिनिटी सुरक्षित ही हो.

किसी औरत के अंग में मर्द के अंग के प्रवेश को ही वर्जिनिटी का खोना माना जाता है जबकि अगर अंग में अंग के प्रवेश के अलावा मुख मैथुन, गुदा मैथुन की क्रिया की गई है तो एचआईवी एड्स व अंग संक्रमण का डर बढ़ जाता है.

इस के अलावा अगर आप का साथी वर्जिन है और वह संक्रमित सूई का इस्तेमाल करता है तब भी एचआईवी होने के खतरे कई गुना बढ़ जाते हैं.

अगर इन बीमारियों से बचना है तो कोशिश करनी चाहिए कि पहली बार सैक्स संबंध बनाने से पहले आपसी सहमति से डाक्टरी जांच जरूर कराई जाए. हो सकता है कि डाक्टरी जांच के मसले पर आप का साथी यह सवाल खड़ा करे कि आप उस के चरित्र पर उंगली उठा रहे हैं. लेकिन सब्र रखते हुए उसे यह समझाने की कोशिश करें कि जरूरी नहीं कि यौन रोग या एड्स सैक्स संबंध बनाने के चलते ही हों, वे कई दूसरी और वजह से भी होते हैं.

कंडोम बचाव का बेहतर उपाय

जब तक यह तय न हो जाए कि जिस के साथ आप पहली बार सैक्स संबंध बनाने जा रहे हैं, भले ही वह अपने वर्जिन होने के तमाम सुबूत दे लेकिन कोशिश करें कि सुरक्षा के लिए कंडोम का इस्तेमाल किया जाए.

इस से न केवल सैक्स से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि अनचाहे पेट से भी दूरी बनाए रखने में मदद मिल सकती है.

दर्द से मिल सकता है छुटकारा

अगर आप वर्जिनिटी खोने के दौरान होने वाले दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कभी सैक्स की शुरुआत करने से पहले जल्दबाजी न दिखाएं बल्कि रोमांटिक बातों से शुरुआत करते हुए धीरेधीरे नाजुक अंगों के साथ छेड़छाड़ करें, जिस से औरत जल्दी ही सैक्स के लिए तैयार हो जाती है और उस के अंग के भीतर गीलापन बढ़ने से चिकनाहट बढ़ती है. इस हालत में मर्द के अंग में प्रवेश से औरत को दर्द से नजात मिल सकती है.

लोगों का मानना है कि पहली बार का सैक्स हमेशा ही दर्द देने वाला होता है जबकि यह एक भरम के हालात पैदा करता है. अगर मर्द को लगे कि उस के अंग में पहली बार के सैक्स में दर्द हो सकता है तो वह कंडोम का इस्तेमाल कर सकता है.

अगर आप भी अपनी वर्जिनिटी खोने जा रही हैं या जा रहे हैं तो कोशिश करें कि इस दौरान होने वाली परेशानियों से बचने के लिए बताए गए उपायों को अपनाएं. साथ ही, अपने जीवनसाथी को भी इन्हें अपनाने के लिए कहें. ये उपाय आप की वर्जिनिटी खोने के मजे को कई गुना ज्यादा बढ़ा देंगे.

यहां ठेले पर बिकते हैं मुंह में पानी लाने वाले जायके

क्या खाने के असली स्वाद अमीरों की जिंदगी को ही निहाल करते हैं? बिलकुल भी नहीं. सच कहें तो ठेले पर बिकने वाले रोल्स का कहना ही क्या. अगर वे रोल्स नौनवैज हों तो मजा ही आ जाए. मैदे की गरमागरम रोटी के बीच भरे लच्छेदार प्याज, हरा धनिया, हरी मिर्च, टोमैटो कैचप और हरी चटनी के बीच मटन या चिकेन के पीस जब मुंह में आते हैं तो उस के आगे बड़ेबड़े होटलों के शाही पकवान भी फीके मालूम पड़ते हैं.

भारत की राजधानी नई दिल्ली के किसी बाजार में चले जाइए, आप को 1-2 ठेले तो रोल्स के मिल ही जाएंगे. मैट्रो स्टेशनों के नीचे तो इन की खूब बिक्री होती है. करोलबाग इलाके में जहां आईएएस बनाने के कोचिंग इंस्टीटूट्स की भरमार है, उन के नीचे रोल्स के ठेलों पर लंबी लाइन लगी दिखती है, जिन पर पढ़ाकू बच्चों की ऐसी भीड़ टूटती है कि पूछो मत. सुबह से दोपहर तक एक सब्जैक्ट की कोचिंग की, फिर बाहर निकले, रोल खाया और अगले सब्जैक्ट की कोचिंग के लिए फिर इंस्टीट्यूट में घुस गए. जो बच्चे दूसरे शहरों या गांवदेहात से आ कर यहां कोचिंग कर रहे हैं, वे रात को अपने पीजी में पहुंच कर खाना नहीं बनाते, बल्कि ठेले से 2-3 टेस्टी रोल बंधवा लेते हैं और वही खा कर पढ़ाई में लगे रहते हैं.

दिल्ली के राजौरी गार्डन, लाजपत नगर, सरोजिनी नगर, तिलक नगर के बाजार में खरीदारी के लिए गए हों और भूख लगने पर रोल नहीं खाया तो खरीदारी अधूरी लगती है.

ऐसा नहीं है कि स्ट्रीट फूड का यह जबरदस्त बिकने वाला आइटम सिर्फ नौनवैज खाने वालों के लिए ही है, बल्कि ये तो वैजिटेरियन खाने वालों के लिए भी ऐसा उम्दा रोल्स बनाते हैं कि दिल करता है बनाने वाले के हाथ चूम लें.

मैदे की रोटी के बीच टोमेटो कैचप और हरी चटनी के साथ गरमागरम चटपटी चाऊमीन लिपटी हो तो फिर खाने वाला जब तक उस को पूरा का पूरा चट नहीं कर लेता, नजर उठा कर नहीं देखता है. गरमागरम मलाई सोयाचाप रोल और पनीर रोल के तो कहने ही क्या. नाम सुनते ही मुंह से लार टपकने लगती है. फिर जवान बच्चे तो ऐसी ही चीजों के शौकीन होते हैं. उन से कहां टिफिन में भरी ठंडी रोटीसब्जी खाई जाती है. ऐसे में अगर 60 से 90 रुपए तक में रोल खाने को मिल जाए, तो पूरा खाना हो जाता है.

दिल्ली के मोती नगर बाजार में एक रोल वाला कई तरह के रोल्स बनाता है. नौनवैज रोल के लिए वह 90 से 120 रुपए चार्ज करता है, जबकि वेज के लिए 60 से 80 रुपए. उस के पास रोल्स की बड़ी वैराइटी हैं. सिंगल और डबल मैदा रोटी परांठे में एग रोल… एक अंडे का या ज्यादा अंडों का, चटपटा चाऊमीन रोल, सोया चाप रोल… मलाई वाला, पनीर रोल विद ओनियनकैप्सिकम, चिकेन टिक्का रोल विद प्याजकैप्सिकम, चिकेन सीक कबाब रोल विद ओनियनकैप्सिकम, मटन सीक कबाब रोल विद ओनियन ऐंड चटनी, मटन टिक्का रोल विद ओनियनकैप्सिकम ऐंड चटनी, चिकेन मटन टुकड़ा रोल साथ में हरी चटनी और सौस.

आप को ज्यादा भूख लगी हो तो परांठे डबल करवा लीजिए वरना सिंगल रोल भी काफी हैवी होता है. दिल्ली में जो लोग शाम 6-7 बजे तक औफिस में रहते हैं, वे अकसर औफिस से निकल कर मैट्रो के नीचे से रोल पैक करवाते दिखते हैं और फिर मैट्रो के सफर के दौरान मोबाइल पर रील्स देखते हुए रोल्स का मजा उठाते हुए घर पहुंचते हैं.

दिल्लीमुंबई जैसे बड़े शहरों में बहुतेरे नौजवान लड़केलड़कियां काम की तलाश में छोटे शहरों से आते हैं और यहां किराए के कमरों में या पेईंग गैस्ट के रूप में किसी के घर में रहते हैं. दिल्ली बड़ा शहर है, काम की जगहें दूर हैं तो आने जाने में भी बड़ा समय लगता है. घर पर खाना बनाओ, उस को पैक करो और अपने साथ औफिस लाओ, इस में झमेला बहुत है. ऐसे में नौजवानों की बहुत बड़ी तादाद दोपहर और रात के भोजन के लिए स्ट्रीट फूड पर निर्भर है, इसलिए ठेले वालों की आमदनी भी खूब होती है.

रोल्स बनाने वाले ठेलों की आमदनी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन ठेलों पर कोई एक आदमी काम नहीं करता, बल्कि 3 से 4 लोग काम करते हैं. ये ठेला खड़ा करने के लिए नगरनिगम को भी पैसे देते हैं और पुलिस को भी. इन के पास सोया चाप, चिकनमटन टिक्के और सीक कबाब बनेबनाए आते हैं, मैदे की रोटियां भी हलकी सिंकी हुई बनी बनाई पैकेट्स में आती हैं. सारा सामान सुबह ही इन को सप्लाई कर दिया जाता है.

ऐसे में रोल बनाने के धंधे में ठेले वालों से ले कर कई लोग शामिल होते हैं. खाने वालों की भी कमी नहीं है, इसलिए धंधा खूब मुनाफे का है. बस, हाथों में जरा फुरती चाहिए, क्योंकि ठेले के सामने अपने रोल के इंतजार में खड़े लोग अपना रोल पाने के लिए बेकरार दिखते हैं.

लखनऊ में भी रोल का बढ़ रहा चलन

रोल्स के ठेले लखनऊ में भी हैं. खासकर हजरतगंज, अलीगंज, गोमतीनगर, आलमबाग और 1090 के पास चटोरी गली में रोल्स मिलने लगे हैं. ज्यादातर कोचिंग पढ़ने वाले इन के खरीदार होते हैं. इस की वजह यह होती है कि इन को ले कर खातेखाते वे सड़क पर चलते रहते हैं.

इंजीनरिंग की तैयारी कर रहे दीपक कुमार का कहना है कि इस को पकड़ के खाना आसान होता है. खाने में समय नहीं बरबाद होता. हाथ नहीं गंदे होते और कम कीमत में भूख मिट जाती है.

भोपाल में भी रोल्स के दीवाने

भोपाल के एमपी नगर जैसे दर्जनभर अमीर इलाकों मे रोल्स के ठेलों पर छात्रों का हुजूम उमड़ने लगा है. कोई दर्जनभर हौकर्स कौर्नर पर रोल्स के ठेले अपना अलग आकर्षण रखते हैं. 6 नंबर हौकर्स कौर्नर की एक विक्रेता बताती हैं कि न केवल नौजवान, बल्कि फैमिली वाले भी आमतौर पर वीकैंड पर बतौर चेंज रोल्स ट्राई करने  आते हैं. यही उन का डिनर होता है जो किसी भी होटल के डिनर से काफी सस्ता पड़ता है. नए भोपाल में वैज, तो पुराने भोपाल मे नौनवेज रोल की मांग ज्यादा रहती है.

रांची में भी रोल्स और स्ट्रीट फूड के दीवाने हैं युवा

रांची के शहीद चौक के पास ऐसे ठेले वालों की भरमार होती है. जैवियर कालेज के छात्र हों या आसपास कोचिंग सैंटर से लौटते छात्र, शहीद चौक पर आ कर ठेले वालों से चाट गोलगप्पे या रोल्स खाने का मजा जरूर लेते हैं. कम कीमत में चटपटे स्वाद के आगे बड़े रैस्टोरैंट का खाना भी फीका लगता है. न और्डर करने के बाद ज्यादा इंतजार करना होता है और न ज्यादा जेब ढीली करनी होती है. दोस्तों के साथ यहां भीड़ में खाने का मजा ही अलग होता है. अपर बाजार और फिरायलाल चौक के आसपास भी ऐसे ठेले काफी देखने को मिलते हैं.

अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए करें ये 8 Exercises

जवान होती युवतियों के लिए उन के शरीर की बनावट व कसावट बड़े मायने रखती है, जिस की बदौलत कोई भी युवती किसी युवक को अपनी तरफ न केवल आकर्षित कर सकती है, बल्कि उस के कैरियर को भी प्रभावित करती है. ऐसे में युवतियों के शरीर की कसावट ही उन की सुंदरता का निर्धारण करती है. किसी भी युवती की सुंदरता उस के नितंब के आकार व कसावट, त्वचा, कमर व स्तनों के चुस्तदुरुस्त होने से ही आंकी जा सकती है. शरीर के इन अंगों में ढीलापन किसी भी युवती के लिए दूसरे को अपनी ओर सैक्सुअली अट्रैक्ट करने में बाधक बनता है.

ज्यादातर युवतियां आकर्षक दिखने के लिए भारीभरकम पैसा खर्च कर फिटनैस विशेषज्ञों का सहारा लेती हैं. कई जगह जौब पर ऐसी ही युवतियों को रखा जाता है, जिन की फिगर देखने में जीरो साइज यानी उन के शरीर की बनावट ऐसी हो जो आसानी से किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता रखती हो. इस के लिए युवती के स्तनों में कसाव, नितंबों का भरा होना, चेहरे पर निखार, चरबी मुक्त पतली कमर होना बहुत जरूरी है. फिटनैस विशेषज्ञ निरुपम श्रीवास्तव का कहना है कि सैक्सुअली आकर्षक दिखने वाली युवतियों के शरीर के कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन के लोग दीवाने होते हैं. इन में कसे व उठे नितंब वाली युवतियों की न केवल फैशन में बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी डिमांड है. वे आम जीवन में भी काफी लोकप्रिय होती हैं. पतली कमर, कसे स्तन व छरहरा बदन हर किसी को अपना दीवाना बना सकते हैं. सैक्सुअली अट्रैक्ट मानी जाने वाली फिगर को 36-24-36 इंच में मापा जाता है यानी युवती के सब से सैक्सी अंगों का यह आकार स्तन, कमर व नितंबों से मापा जाता है. वहीं अब ग्लैमर, फैशन व फिल्म इंडस्ट्री में 31-23-32 का आकार अच्छा समझा जाने लगा है.

फिटनैस विशेषज्ञ अनुराधा दूबे का कहना है कि सैक्सुअली आकर्षण बढ़ाने के लिए हर युवती को शरीर के इन अंगों का खासा ध्यान रखना पड़ता है. इस के लिए संतुलित खानपान से ले कर व्यवस्थित दिनचर्या की जरूरत होती है. लेकिन जिस की सब से ज्यादा जरूरत होती है, वह है फिगर को सैक्सी बनाए रखने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण व्यायाम, जिन से हर युवती खुद को आकर्षक बना सकती है. इस से न केवल मसाज पार्लर व फिटनैस सैंटर जाने से छुटकारा मिलेगा बल्कि आप अपने बदन को सैक्सी व छरहरा भी बना पाएंगी. सैक्सी दिखने के लिए त्वचा में कसाव के साथ निखार आना भी बेहद जरूरी है. वहीं नितंबों व स्तनों में कसाव, सुडौलता व कमर का पतला होना भी जरूरी होता है. ऐसी फिगर के लिए यहां बताए जा रहे 10 व्यायाम कर आप खुद को सैक्सुअली अट्रैक्ट बना सकती हैं.

1. एयर बाइक

यह व्यायाम त्वचा में कसावट लाने व निखार बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस व्यायाम को करने के लिए सब से पहले आप पीछे की तरफ कमर के बल लेटें. इस के बाद दोनों कुहनियों को मोड़ते हुए हथेलियों को सिर के नीचे लगाएं. इस के बाद घुटनों को अपनी तरफ खींचें. फिर पुन: व्यायाम की दूसरी स्थिति में जाने के लिए आप कंधों को दूसरी तरफ ऊपर उठा कर अपनी दाईं कुहनी को बाएं घुटने की तरफ तब तक खींचें जब तक कि दोनों आपस में मिल न जाएं. इस के बाद इसी प्रक्रिया को बाईं कुहनी और दाएं घुटने के साथ करें. इस व्यायाम को कई बार करने से ढीली त्वचा में कसावट व चमक दोनों बढ़ जाती हैं.

2. लैग्स अप स्ट्रैट आर्म क्रंच

इस व्यायाम को करने से आप के ऐब्स व त्वचा दोनों में निखार आता है. इस को करने के लिए सब से पहले आप जमीन पर कमर के बल लेट जाएं और टांगों को 90 डिग्री तक ऊपर की तरफ उठाएं. टांगों को उठाते समय अपने दोनों हाथों में डंबल पकड़ना न भूलें. टांगों को ऊपर उठाने के दौरान डंबल्स भी धीरेधीरे हाथों से ऊपर उठाएं. डंबल्स को जहां तक आसानी से उठा पाएं वहां तक उठाने के बाद उस स्थिति को कुछ सैकंड तक ऐसे ही रहने दें. इस के बाद धीरेधीरे कंधों को ढीला छोड़ दें. इस प्रक्रिया को आप बारबार दोहराएं.

3. लाइंग लैग रेसेज

यह व्यायाम पेट की मांसपेशियों में कसावट लाने के लिए सब से उपयुक्त माना जाता है. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए सब से पहले आप कमर के बल जमीन पर लेट कर अपनी टांगों व हाथों को टाइट करें. टांगों को फर्श से ऊपर 90 डिग्री पर उठाएं. इस दौरान जितना हो सके टांगों को टाइट रखें. इस के बाद टांगों को टाइट अवस्था में ही धीरेधीरे नीचे लाएं जब तक कि फर्श से सट न जाएं. इस प्रक्रिया को कई बार दोहराने से पेट व त्वचा में कसावट आती है.

4. सीजर जंप्स

नितंबों को सुडौल बनाने के लिए यह व्यायाम सब से अच्छा माना जाता है. इस के लिए आप को सीधे खड़े हो कर पैरों को फैलाना होता है, जिस से कि बीच में बहुत गैप हो. अब अपने पैरों की उंगलियों को एक तरफ मोड़ कर बैठने की कोशिश करें, लेकिन पूरी तरह बैठें नहीं. हाफ वे सिटिंग की मुद्रा में जितनी देर संभव हो, रहें. अब दोबारा उठ कर इसे करने की कोशिश करें. इस व्यायाम को बारबार करने से नितंबों की मांसपेशियों में कसावट आती है और नितंब आकर्षक दिखने लगते हैं.

4. वौल सिट

यह व्यायाम भी नितंबों को सैक्सी लुक देने के लिए किया जाता है. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए सब से पहले अपनी पीठ को दीवार की तरफ ले जाएं और इस तरह बैठें जैसे कुरसी पर बैठते हैं. परंतु इस कसरत के दौरान सचमुच कुरसी का प्रयोग न करें, क्योंकि इस से आप को कोई फायदा नहीं होगा. इस प्रक्रिया के दौरान भी आप को अपना पेट कड़ा रखना होगा और आप का सारा भार पैरों पर होना चाहिए. अगर आप इस कसरत की आदी हो गई हैं तो अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए अपना एक पैर आगे कर के रखें. दर्द कम करने के लिए हर 15 सैकंड में पैरों को स्विच करते रहें. इस से आप के नितंब अट्रैक्टिव नजर आएंगे.

4. स्ट्रेट लैग पल्स

इस व्यायाम को करने के लिए चलने की मुद्रा में कुछ इस तरह खड़े हों कि आप का दायां पैर आगे और बायां पीछे हो. अब बारबार पैर को जमीन से छूने की कोशिश करते हुए बैठें और एकसाथ अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखें. इस मुद्रा में 2-3 मिनट रहने के बाद खड़ी हो जाएं. इस कसरत को जितनी देर हो सके उतनी देर करें. इस प्रक्रिया में आप की रीढ़ की हड्डी सीधी और आप का पेट कड़ा होना चाहिए.

5. पुशअप

स्तनों को आकर्षक बनाने के लिए यह सब से अच्छा व्यायाम माना जाता है. इस व्यायाम में शरीर को हवा में उठाया जाता है. इस व्यायाम को करने के लिए  समतल जगह का चुनाव करना जरूरी होता है, पुशअप्स करने से पहले थोड़ा वार्मअप करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह स्ट्रैंथ ट्रेनिंग ऐक्सरसाइज का एक प्रकार भी है, जो बिना जिम के किया जाता है. वार्मअप करने से आप का शरीर इस ऐक्सरसाइज के लिए थोड़ा तैयार हो जाता है. वार्मअप करने के बाद पुशअप्स की शुरुआत कीजिए. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए पेट के बल सीधे हो कर मैट पर लेट जाइए. इस दौरान आप का पूरा शरीर सीधा होना चाहिए. पुशअप्स के दौरान सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका आप के हाथपैरों की होती है, क्योंकि आप के पूरे शरीर का भार इन पर होता है. पुशअप्स से पहले शरीर का भार हाथों और पैरों के पंजों पर रखिए. घुटने भी सीधे रहें.

फिर अपने पूरे शरीर को हवा में कीजिए. अगर आप ने पुशअप्स के दौरान सांस अंदरबाहर करने का सही तरीका अपनाया तो पुशअप्स की गिनती आसानी से बढ़ा सकती हैं. शरीर को नीचे ले जाते वक्त सांस बाहर छोड़ें और उठाते वक्त सांस को अंदर की तरफ खींचिए. यदि पुशअप्स की शुरुआत करने जा रही हैं तो एक बार में ही ज्यादा करने से बचें. इस के 3 सैट बना लीजिए, 10-10 के 3 सैट से इस की शुरुआत कीजिए. बाद में अपनी क्षमतानुसार इस की संख्या बढ़ाइए.

6. डंबल्स

स्तनों को सुडौल बनाने के लिए यह व्यायाम सब से उपयुक्त माना जाता है. इस व्यायाम को करने के लिए सर्वप्रथम आप चटाई पर लेट जाएं और दोनों हाथों में एकएक डंबल ले लें. इस के बाद हाथों को सीधा करें. इस से आप की मांसपेशियों को बल मिलेगा. 2 मिनट तक ऐसा करने के बाद हाथों को अपने शरीर के दोनों तरफ ले जाएं. इस दौरान कुहनी को मोड़ें नहीं और न ही फर्श या चटाई पर टिकाएं. इस के बाद हाथों को फर्श से कुछ इंच ऊपर ही रखें. 10 मिनट तक इसी अवस्था में रहें और फिर हाथों को नीचे की तरफ लें. इस व्यायाम को प्रतिदिन 10 बार करने से स्तनों में आकर्षण के साथ कसावट आती है.

7. स्क्वैट्स

कमर के लिए यह सब से सरल व्यायाम है. इस व्यायाम को शुरू करने के लिए सीधी खड़ी हो जाएं और हाथों को अपने सामने की तरफ सीधे लेते हुए बिना घुटनों को ढीला छोड़ें, धीरेधीरे फिर वापस उसी स्थिति में आएं. यह ऐक्सरसाइज न केवल आप के हिप्स के फैट को कम करने में मदद करती है बल्कि पैरों की मांसपेशियों को भी टोन करती है.

8. साइकिलिंग

यह एक तरह से कमर, जांघों, कूल्हों और पिंडलियों की मांसपेशियों की कसरत होती है, जिस में इस्तेमाल होने वाली साइकिल पर रोजाना 2 से 3 मिनट तक व्यायाम करने से आप काफी कैलोरी बर्न कर सकती हैं. 45 मिनट की साइकिलिंग करें या फिर बाहर भी साइकिल चला कर कसरत कर सकती हैं. इस व्यायाम को करने से आप के शरीर का फैट कम हो जाता है.

क्या पौर्न फिल्म देखना आप के शरीर को कमजोर कर सकता है?

आमतौर पर जब पॉर्न के बारे में बातचीत को चर्चा में लाया जाता है , तो इसे या तो जल्दी से निपटा दिया जाता है या फिर इसके बारे में बात ही नहीं की जाती. ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी सामाजिक कंडीशन ही ऐसी है जहां लोग पॉर्न देखना तो पसंद करतें है लेकिन उसके बारे में  या उससे होने वाले नुकसानों के बारे में बात करना नहीं चाहते. आज इंटरनेट पर इतनी पॉर्न वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जिसको आप जितना चाहें उतना पॉर्न देख सकते है.

साउथ एशियन कंट्री में पॉर्न की बात करना यानी एक तरह का पाप करने जैसा है. सबसे ज्यादा भारत और पाकिस्तान में. या सही मायने में कहे कि यह एक तरह की हिपोक्रेसी है . इन दोनों देशों में लोग सबसे ज्यादा पॉर्न देखते है लेकिन बात करते हुए इसे पाप मानते है.

हालांकि भारत सरकार ने अधिकांश पॉर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन उन तक पहुंचना कोई मुश्किल बात नहीं. इस बात को ध्यान में रखे कि सेक्स और पॉर्न दोनो ही बहुत अगल हैं एक दूसरे से जैसे: पॉर्न एग्रेसिव सेक्स को दर्शाता है , और सेक्स फिजिकल प्लेजर है जो कि एक स्वाभाविक बात है .

यदि आप अधिक पॉर्न देखते है तो  क्या आप जानते है पॉर्न देखने के कितने नुकसान हो सकते है? कोई भी चीज यदि ज्यादा हद तक की जाये तो वह हानिकारक ही होती है. पॉर्न की लत भी उसी तरह है जो पीछा आसानी से नहीं छोड़ती है . पर आप यह जानने के बाद अपने आप पीछे हट जाएंगे कि पॉर्न से कैसे होता है नुकसान.

अत्यधिक पॉर्न पहुंच सकता है नुकसान :

* रियलिटी से दूर होना :

इंटरनेट पॉर्न की कहानियां घटिया स्टोरी लाइन पर निर्धारित है जो एक पिज्जा डिलीवरी बॉय से ले कर एस्ट्रोनॉट तक ही सीमित है . जैसे ही पॉर्न अनिवार्य रूप से रिग्रेसिव सोसायटी में सेक्स एजुकेशन का एक मात्र स्त्रोत बन जाता है , दर्शक अनियंत्रित रूप से इन हाफ– बेक्ड  स्टोरीलाइन को वास्तविक जीवन का एक हिस्सा समझ लेते है. जिससे लोगों में  कंसेंट  की  गलत समझ  पैदा होती है, और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

* आत्मसम्मान में कमी ना :

अक्सर पॉर्न वीडियो में जो लोग होते है वे कई वर्षो से इस काम को कर रहे होते है , वे अनुभवी हैं और जानते हैं की कैमरे के सामने खुद को कैसे संभालना है. एक युवा दर्शक जो ऐसे पॉर्न नियमित रूप से देखता है , वह खुद की परफॉर्मेंस और फिजिक को उनसे तुलना  करके धीरे धीरे खुद से ही नाराज हो जाते है जो उन्हे अंततः आत्मसम्मान की कमी की ओर ले जाता है.

* सेक्स के दौरान मजा ना :

इंटरनेट पॉर्न के कंटेंट को एक प्रोफेशनल टीम इस तरह दर्शती है जो लोगो को एक अलग तरह का प्लेजर देता है . उसे इस कदर प्रदर्शित करते है जो दर्शकों प्रसन्न करता है. एक मेकअप आर्टिस्ट से लेकर साउंड एडिटर तक पूरी टीम उस वीडियो को इतनी ग्लॉसी बनाती है की दर्शक सोचते है की यही हकीकत है . जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है . इससे आप स्वयं , अपने पार्टनर , और अपने फिजिकल इंटिमेसी से निराश हो जाते हैं.

* रिश्ते टूटने का डर :

एक रेगुलर पॉर्न दर्शक के लिए  पॉर्न वीडियो के कुछ कार्य ,  सेक्स का आदर्श बन जाते है जबकि उनके पार्टनर के सेक्स के प्रति कुछ  अलग विचार रहते है. इससे रिश्ता में दरार पड़ जाती है और शारीरिक परेशानी भी पैदा होती है .

* आदत बन जाना :

एक स्टडी के अनुसार पॉर्न की लत और ड्रग की लत को एक समान माना गया है क्योंकि दोनों एक समान तरीके से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं. इंटरनेट पर पॉर्न की आदत लगने की संभावना सबसे ज्यादा पाई गई  है.

इंटरनेट वेबसाइट इस तरह पॉर्न को दर्शाते है की यह दर्शकों की आदत ही बन जाती है. लोग ऐसे विडियोज को पसंद करते हैं और खुद को इन सब में इन्वॉल्व कर लेते हैं . चिंता की बात यह है की पॉर्न लोगों पे इस तरह हावी हो जाता है की लोग खुद की इच्छाओं को भूल जाते  हैं, अपने विचारों को बदल देते हैं, जो उन्हे खुद भी कभी महसूस नहीं होता.

कम खर्च में बढ़िया स्टाइल

अमूमन लोगों की यह सोच रहती है कि फैशन और स्टाइल का मतलब होता है महंगे कपड़े, पर अगर थोड़ा सा दिमाग लगा कर खरीदारी की जाए तो सस्ते कपड़ों से भी स्टाइल बरकरार रखा जा सकता है.

छोटे शहरों और गांवदेहात के लड़के इस तरीके से अपनी पसंद के कपड़े खरीद सकते हैं और हफ्ते के तकरीबन सातों दिन अपनी अलग ड्रैस बना सकते हैं.

कमीज या टीशर्ट और जींस

इसे सब से कूल ड्रैस कहा जा सकता है और यह जोड़ा पड़ता भी काफी सस्ता है. वैसे भी आजकल कपड़ों के कारोबार में इतना ज्यादा कंपीटिशन है कि थोड़े से मुनाफे पर ऐसे कपड़े बाजार में खूब बिकते हैं जो बहुत सस्ते होते हैं और दुकानदार ताल ठोंक कर कह भी देते हैं कि फैशन के इस दौर में गारंटी की उम्मीद मत रखना.

जींस तो होती भी इतनी रफटफ है कि 3-4 दिन भी पहन लो कोई फर्क नहीं पड़ता. 2 जोड़ी जींस और कमीज या टीशर्ट पर ज्यादा पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता है. 300 रुपए से मिलनी शुरू हो जाती है. ऐसा ही हाल कुछ कमीज या टीशर्ट का भी होता है. 500-600 रुपए में आप के एक जोड़ी कपड़े तैयार.

अमूमन लोग गाढ़े नीले रंग की जींस पर सफेद टीशर्ट या कमीज पहनते हैं, जो हर कलेगोरे रंग के इनसान पर फबती है. जींस बहुत तरह के रंग और स्टाइल की मिलती हैं. ऐसे ही टीशर्ट और कमीज के रंग का भी खयाल रखा जाता है.

कुरता भी कमाल का

कुरता भी महंगा नहीं पड़ता है. यह पाजामे और जींस या पैंट पर भी खूब फबता है. बाजार में सूती,  रेशमी और तमाम तरह के दूसरे कपड़ों के कुरते मिल जाते हैं. इन की कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं होती है. आजकल तो रंगबिरंगे शौर्ट कुरते भी चलन में हैं, जो जेब के हिसाब से मुफीद होते हैं.

अब चूंकि सर्दियां शुरू होने वाली हैं तो रेडीमेड गरम कपड़ों के बाजार सजने का समय आने वाला है. चूंकि अब दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सर्दी ज्यादा दिन नहीं टिकती हैं, इसलिए ज्यादा महंगे गरम कपड़ों पर पैसा खर्च करना जरूरी नहीं है.

साप्ताहिक बाजारों में रंगबिरंगे सस्ते स्वैटर मिल जाते हैं जो महंगे माल से बहुत कम दाम पर मिल जाते हैं. अच्छे हाफ स्वैटर तो 300 रुपए तक में मिल जाते हैं. अगर कहीं सेल लगी हो तो बड़े ब्रांड के कपड़े भी कम दाम पर मिलने का चांस रहता है.

जब भी कभी कपड़ों की खरीदारी करने जाएं तो डिस्काउंट की बात जरूर करें. कपड़े की अच्छी तरह जांचपरख कर लें. रंग छोड़ने वाले कपड़े खरीदने से बचें.

40 की उम्र और फैशन, पसंदीदा कपडे़ बेधड़क खरीदें

कहते हैं कि फिल्मी सितारे खासकर मर्द 40 के पार सब से ज्यादा हैंडसम होते हैं. आज अमिताभ बच्चन 78 साल के हैं. अगर इस में से 38 साल घटा दें तो साल 1982 में वे 40 साल के थे. यह वह दौर था जब उन की ‘दोस्ताना’, ‘शान’, ‘कालिया’, ‘शक्ति’, ‘सिलसिला’ जैसी कई दूसरी फिल्मों ने धूम मचाई थी. उस समय अमिताभ बच्चन बहुत ज्यादा हैंडसम दिखते थे. उन पर हर तरह के कपड़े फबते थे.

पर आम जिंदगी में इस उम्र के मर्द खुद को अधेड़ हुआ मान लेते हैं. अपने फैशन से ज्यादा वे बच्चों के कपड़ों की खरीदारी पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जबकि यह उन के मन की सोच होती है. अगर वे अपने फैशन और कपड़ों पर ध्यान दें तो किसी तरह से अमिताभ बच्चन से कम नहीं लगेंगे, बशर्ते वे कुछ बातों का ध्यान रखें, जैसे :

अपने शरीर के हिसाब से कपड़े चुनें. अगर आप रोजाना कसरत करते हैं और शरीर से चुस्तदुरुस्त हैं तो कोई भी ड्रैस आप पर जंचेगी. पर अगर आप कसरत नहीं कर पाते हैं तो अपने शरीर की बनावट को ध्यान में रख कर ही कपड़े खरीदें. कपड़े ऐसे हों जो आप के रंगरूप के मुताबिक जंचें.

बाजार से सिलेसिलाए कपड़े हर किसी को फिट नहीं आते हैं. उन में कद और कमर के हिसाब से कटाईछंटाई करानी पड़ती है. इस से बेहतर रहेगा कि इस उम्र वाले मर्द दर्जी से अपने सही नाप के कपड़े सिलवाएं. अब चूंकि सिलाई थोड़ी महंगी पड़ती है, लोग कपड़े सिलवाने से बचते हैं, पर यह पक्का है कि सही माप के कपड़े आप के अंदाज को चार चांद लगा देते हैं.

भड़कीले कपड़े पहनने से बचें. उम्र बढ़ना एक क्रिया है जिसे स्वीकार कर लेना ही समझदारी है. लेकिन सादा ड्रैस का मतलब यह भी नहीं है कि कुरतापाजामा पहन लिया. आप जींस, पैंट जैसी चीजें भी पहन सकते हैं, पर जल्दी बदलने वाले फैशन के कपड़े न खरीदें.

ड्रैस को खास बनाते हैं आप के जूते या सैंडल. जींस के साथ किसी भी तरह के जूते या सैंडल चल सकते हैं, पर अगर आप पैंट पहन रहे हैं तो जूते भी उसी के मुताबिक चुनें. साथ ही अपनी बैल्ट को अपने जूतों से मैच कराना न भूलें. अगर आप ब्लैक बैल्ट पहन रहे हैं, तो साथ में काले रंग के जूते ही पहनने चाहिए. भूरे रंग के जूते के साथ भूरे रंग की बैल्ट ही पहनें. ज्यादा सर्द मौसम न हो तो मैचिंग के सैंडल भी पहने जा सकते हैं.

बढ़ती उम्र का यह मतलब नहीं है कि आप अपने कपड़ों की खरीदारी करना ही बंद कर दें. अब शहर और कसबों में फैशन का एक सा होना आप की खरीदारी को आसान कर देता है. दुकान में जाएं और अपनी मनपसंद ड्रैस को पैक कराएं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें