भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में गायक से नायक बने स्टार्स का है दबदबा-शुभम तिवारी

भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार शुभम तिवारी ज्यादा लाइमलाइट में नहीं रहते हैं, फिर भी उन्होंने कई हिट फिल्में दी हैं. वे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ के पहले सीजन से एंकरिंग का जिम्मा संभालते रहे हैं. शुभम तिवारी ने भोजपुरी और हिंदी फिल्मों के हीरो रविकिशन के साथ ‘कानून हमरा मुट्ठी में’ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की थी.

इस के बाद उन्होंने दर्जनों फिल्मों में लीड रोल निभा कर अपने अभिनय का जलवा दिखाया है, जिन में ‘तू ही मोर बलमा’, ‘भैया हमार दयावान’, ‘मल्लयुद्ध’, ‘कलुआ भईल सयान’, ‘प्रतिघात’, ‘अंतिम तांडव’, ‘लड़ब मरते दम तक’, ‘संन्यासी बलमा’, ‘प्रशासन’, ‘बहूरानी’, ‘इलाहाबाद से इसलामाबाद’ जैसी कई हिट फिल्में शामिल हैं. चौथे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ शो में जब शुभम तिवारी एंकरिंग कर रहे थे, तो फुरसत के क्षणों में उन से भोजपुरी सिनेमा के हालात पर खुल कर बात हुई.

पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश : आप ने नागपुर यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग की डिगरी हासिल की है, फिर फिल्मों की तरफ आने का खयाल मन में कैसे आया? मैं शुरुआती दौर में हिंदी फिल्म कलाकारों की मिमिक्री कर के लोगों को हंसाने का काम करता था, जिन में गोविंदा, सनी देओल, नाना पाटेकर, अमिताभ बच्चन, सुनील शेट्टी, परेश रावल समेत कई नामचीन कलाकारों की मैं ने हूबहू नकल उतारी.

उस दौरान मुझे लगा कि जब मैं दूसरे कलाकारों की आवाज की नकल कर सकता हूं, तो खुद की आवाज और अंदाज को ही अपनी ऐक्टिंग के जरीए क्यों न दर्शकों के सामने रखूं? फिर क्या था, मैं ने हीरो बनने की चाहत रख कर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और पहली ही फिल्म में रविकिशन के साथ लीड रोल में काम करने का मौका मिल गया, जिस में लोगों ने मेरे काम को खासा पसंद किया और फिर मेरे सामने एक के बाद एक कई फिल्मों में काम करने के औफर आते चले गए.

आप को सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्मों में काम करने के लिए जाना जाता है, जबकि आज का दौर मसाला, थ्रिलर और ऐक्शन फिल्मों का है. ऐसे में इंडस्ट्री के साथ कैसे तालमेल बना पाते हैं? जहां समाज में मसाला, थ्रिलर और ऐक्शन फिल्मों को पसंद करने वाले हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं, जो सोशल मुद्दे पर बनी फिल्में भी देखना पसंद करते हैं.

अभी तक मैं ने जितनी सोशल मुद्दे पर आधारित फिल्में की हैं, उन सभी फिल्मों को दर्शकों ने अपना प्यार दिया है. मुझे लगातार 2 बार ‘बैस्ट ऐक्टर इन सोशल इशू’ का अवार्ड मिल चुका है. क्या गायक से नायक बने स्टार्स के चलते अच्छे ऐक्टरों को मौका कम मिल पा रहा है? यह कड़वा सच है कि गायक से नायक बने स्टार्स का दबदबा भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा है. निर्माता से ले कर निर्देशक तक केवल इन्हीं लोगों के साथ फिल्में बनाना चाहते हैं.

भोजपुरी के इन चुनिंदा ऐक्टरों ने दूसरे ऐक्टरों के मेहनताने पर भी कैंची चलवाने का काम किया है. भोजपुरी में ऐसे हालात बन चुके हैं कि फिल्मों के खरीदार तक नहीं मिलते हैं, फिल्म की लागत निकालना तो दूर की बात है. मेरा मानना है कि जब तक म्यूजिक कंपनियां व फिल्म निर्माता और वितरक गायक से नायक बने लोगों के अलावा अच्छे ऐक्टरों को मौका नहीं देंगे, तब तक भोजपुरी कुछ चुनिंदा लोगों की इंडस्ट्री बनी रहेगी.

आप ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ शो के लिए पहले सीजन से होस्ट करते आ रहे हैं. ‘सरस सलिल’ पत्रिका को ले कर आप क्या सोच रखते हैं? मेरे हिसाब से ‘सरस सलिल’ आम लोगों की ऐसी आवाज है, जिस के जरीए वे अपनी बात एकदूसरे तक पहुंचाते हैं. ‘सरस सलिल’ ने भोजपुरी सिने अवार्ड की शुरुआत कर के ऐतिहासिक पहल की है.

इस पहल से भोजपुरी सिने जगत को बड़े लैवल पर पहचान मिल रही है. ‘सरस सलिल’ उत्तर प्रदेश और बिहार में सब से ज्यादा पढ़ी जाने वाली पत्रिकाओं में शुमार है. इस पत्रिका के जरीए भोजपुरी सिनेमा आम दर्शकों तक पहुंचने में कामयाब हो रहा है. आप की आने वाली फिल्में कौनकौन सी हैं? मेरी रिलीज होने वाली फिल्मों में ‘जिंदगी बन गए हो तुम’, ‘तुम से अच्छा कौन है’, ‘दरोगा नंबर-1’ खास हैं. इस साल भी मेरी कई फिल्में अनाउंस होने वाली हैं, जिन का खुलासा मैं जल्द ही करूंगा.

अभी शादी का कोई इरादा नहीं

महज 16 की उम्र में ही ‘मिस जम्मू’ का खिताब जीतने वाली अनारा गुप्ता इन दिनों भोजपुरी फिल्मों का चर्चित नाम बन चुकी हैं. साल 2004 में वायरल हुई एक सीडी से चर्चा में आईं अनारा गुप्ता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन कोर्ट में चली लंबी लड़ाई के बाद वे यह साबित करने में कामयाब हो गई थीं कि वायरल सीडी में दिख रही लड़की वे नहीं थीं.

अनारा गुप्ता ने अपने कैरियर की शुरुआत मौडलिंग से की थी और उन्होंने अपने फिल्मी सफर में कई उतारचढ़ाव देखे हैं. वे भोजपुरी फिल्मों के साथसाथ सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहती हैं और बेहद खूबसूरत व स्टाइलिश फोटो शेयर करती रहती हैं. वहां पर उन के लाखों चाहने वाले हैं. वे भोजपुरी के साथसाथ साउथ की फिल्मों में भी काफी काम कर रही हैं.

हाल ही में रिलीज हुई भोजपुरी वैब सीरीज ‘पकडुआ बियाह’ में अनारा गुप्ता की अंकुश राजा के साथ जोड़ी खूब हिट रही है. अनारा गुप्ता से हुई एक मुलाकात में उन के फिल्मी सफर पर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

आप बेहद कम उम्र में ‘मिस जम्मू’ के खिताब से नवाजी गई थीं. मौडलिंग की तरफ रुख करने का खयाल मन में कैसे आया?

मैं ने अपने स्कूल के एक दोस्त के कहने पर मौडलिंग की तरफ रुख किया. इस में मेरी मां ने काफी मदद की. मैं ने जब मौडलिंग की तरफ कदम रखा, तो एक महीने तक स्पीच, वाक, स्टाइलिंग को सीखा. इस के बाद मेरे एक फ्रैंड ने ही मुझे ‘मिस जम्मू’ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की सलाह दी.

क्या आप के कैरियर का शुरुआती दौर बहुत झंझावातों से गुजरा था?

जिंदगी में बहुत सारी चीजें नहीं होनी चाहिए, पर वह सब मेरे साथ हुआ. मेरे ऊपर कई झूठे आरोप लगे. उस दौर में मैं ने बहुत दुख झेला, पर मुझे मेरे परिवार का बहुत ज्यादा साथ मिला.

जब भी मैं पीछे मुड़ कर उस दौर को देखती हूं, तो काफी दुख होता है. कभीकभी मुझे खुद पर गुस्सा भी आया, लेकिन कभीकभी लगता है कि मैं बहुत मजबूत भी हूं.

जब आप ने कोई गलती की ही न हो और मीडिया के टेढ़ेमेढ़े सवालों का जवाब देना पड़े, तो क्या कभी खुद पर या मीडिया पर गुस्सा आया?

बिलकुल बहुत गुस्सा आता है. लेकिन यह भी सच है कि जब मेरे ऊपर यह आरोप लगा था, तो उस दौर की मीडिया सचाई की छानबीन कर के ही खबरें लिखती थी.

तब बहुत सारे पत्रकारों ने मेरी सचाई को दिखाने में मदद की और मेरे ऊपर लगा आरोप झूठा साबित हुआ.

आप के बुरे दिनों में सब से ज्यादा साथ किस ने दिया?

मेरे बुरे दिनों में सब से ज्यादा मेरी मां ने साथ दिया, जो आज इस दुनिया में नहीं हैं. मेरे 3 भाई मेरे साथ हर समय खड़े रहे. मीडिया का भी बहुत ज्यादा सहयोग रहा.

आप की लाइफ पर फिल्म भी बन चुकी है. ऐसा मौका बहुत कम लोगों को मिलता है. इस को ले कर आप के क्या विचार हैं?

मेरी जिंदगी में केके यादव का बहुत सहयोग रहा, जिन्होंने मुझे फिर से खड़ा होने का मौका दिया. उन्होंने मेरे स्ट्रगल को ले कर फिल्म बनाई और लोगों को सचाई से रूबरू कराया.

वे इस फिल्म के जरीए लोगों को बताने में कामयाब रहे कि मैं ने कुछ गलत किया नहीं, बल्कि झेला है.

आप ने साउथ और भोजपुरी दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री में काम किया है. आप इन दोनों फिल्म इंडस्ट्री में क्या फर्क पाती हैं?

मैं ने साउथ की फिल्मों में काम कर के समय प्रबंधन और समय की पाबंदी का मतलब सीखा. साउथ की फिल्मों में काम कर के यह पता चला कि फिल्मों में कैसे काम किया जाता है. लेकिन असल पहचान भोजपुरी से मिली. यहां दर्शकों ने मुझे और मेरी ऐक्टिंग को सिरआंखों पर लिया.

भोजपुरी इंडस्ट्री से मुझे खूब सारा प्यार मिला और मिल भी रहा है. मुझे लगता ही नहीं है कि मैं जम्मू में पलीबढ़ी हूं, क्योंकि भोजपुरी से मेरा ऐसा जुड़ाव बन चुका है, जैसे मैं यहीं पलीबढ़ी हूं.

हाल ही में लौंच हुए भोजपुरी के ओटीटी प्लेटफार्म ‘चौपाल’ पर आप की भोजपुरी वैब सीरीज खूब सुर्खियां बटोर रही है. आप भोजपुरी वैब सीरीज का क्या भविष्य देखती हैं?

बौलीवुड फिल्में ओटीटी प्लेटफार्म पर लगातार रिलीज हो रही थीं, लेकिन भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कोई प्लेटफार्म नहीं था. लेकिन ‘चौपाल’ ने भोजपुरी सिनेमा में भी भोजपुरी वैब सीरीज को ले कर रास्ते खोल दिए हैं.

भोजपुरी वैब सीरीज ‘पकडुआ बियाह’ किस तरह से अलग है?

फिल्मों में तकरीबन 2 घंटे में पूरी कहानी दर्शकों के सामने रखने का मौका मिलता है, जबकि वैब सीरीज में आप को अपने रोल के साथ पूरा इंसाफ करने का मौका मिलता है.

इस वैब सीरीज में मैं नैगेटिव कैरेक्टर में नजर आई हूं. इस रोल के जरीए मुझे दर्शकों का बहुत प्यार भी मिल रहा है.

आप शादी कब कर रही हैं?

मैं शादी अपनी मां के लिए करना चाहती थी, लेकिन अब जब वे इस दुनिया में ही नहीं हैं, तो मुझे कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में जितना लेट शादी की जाए उतना ही अच्छा है.

एक कलाकार के तौर पर मैं ने जो देखा है कि जब कोई हीरोइन शादी कर लेती है, तो उस के कैरियर पर बहुत असर पड़ता है, इसलिए मेरा अभी शादी करने का कोई इरादा नहीं है. हां, यह जरूर है कि मैं अपनी मां की आखिरी इच्छा की इज्जत करते हुए शादी करूंगी.

आजकल फिल्मों में रंग, जाति, धर्म आदि के नाम पर फिल्मों का बौयकौट का ट्रैंड चल पड़ा है. इस से आप फिल्मों के भविष्य पर कैसा असर देखती हैं?

एक फिल्म बनाने में बहुत लोगों की मेहनत लगती है. इस में बहुत सारा पैसा लगता है. एक फिल्म से सैकड़ों लोगों का घर चलता है. लोगों के मुंह में निवाला जाता है. फिल्में मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं, न कि रंग, जाति, धर्म के नाम पर बौयकौट करने के लिए. फिल्में समाज का आईना होती हैं, इसलिए हमें फिल्म को फिल्म के नजरिए से देखना होगा.

दर्शकों को इस बात को समझना होगा कि बौयकौट से समाज में सिर्फ भेदभाव फैलता है.

जिंदगी में आई तमाम नाकामियों के चलते आप हताश हुई हैं या और भी मजबूत हुई हैं?

जिंदगी में उतारचढ़ाव आते रहते हैं, खासकर फिल्म इंडस्ट्री में कामयाबी और नाकामी लगी रहती है. मेरी मम्मी ने मुझे सिखाया है कि कभी हालात से हार न मानो. ऐसे में जब भी मेरे सामने नाकामियां आईं, तो मैं हताश होने की जगह और भी मजबूत होती गई.

आप की जिंदगी का सब से ज्यादा टर्निंग पौइंट कब रहा?

मेरे जिंदगी का टर्निंग पौइंट साल 2004 रहा. तब मैं ने खुद को हालात से उबारा भी और फिल्मों में ऐक्टिंग की तरफ कदम भी बढ़ाया.

 

दर्शकों को मेरी फिगर पसंद है: रिंकू भारती गोस्वामी

सिनेमा में वैसे तो कई चेहरे हैं, जो दर्शकों में काफी पैठ रखते हैं और उन की फैन फौलोइंग भी काफी तादाद में है, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो भोजपुरी सिनेमा में चरित्र अभिनेता या चरित्र अभिनेत्री के तौर पर काम करते आ रहे हैं, लेकिन उन की फैन फौलोइंग भोजपुरी के बड़े सुपरस्टारों से कहीं ज्यादा है.

इन्हीं में एक नाम है बिहार के सिवान जिले से ताल्लुक रखने वाली कलाकार रिंकू भारती गोस्वामी का. वे फिल्मों में अकसर भौजी, मामी, बहन के रूप में ही नजर आती रही हैं, लेकिन उन का छरहरा बदन, सोशल मीडिया पर लटकेझटके से भरपूर डांस वाले वीडियो और फिल्म सैट पर हंसीठिठोली उन्हें भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग ही मुकाम देते हैं.

रिंकू भारती गोस्वामी से एक फिल्म के सैट पर हुई मुलाकात में उन्होंने अपनी जिंदगी के वे सभी राज खोले, जो अभी भी दर्शकों को पता नहीं हैं. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश : आप एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं और शादी के बाद आप ने अदाकारी की दुनिया में सक्रिय रूप से कदम रखा. यह सफर कैसा रहा? मैं मूल रूप से बिहार के सिवान से ताल्लुक रखती हूं और मेरे पिताजी एक किसान हैं. हम 5 बहनें हैं और हमारी सभी बहनों को पिताजी ने बड़े लाड़प्यार से पाला है. बचपन से ही उन्होंने हमें सभी जरूरी सहूलियतें दीं. इसी दौरान मेरे अंदर ऐक्टिंग करने की ललक जग गई थी. लेकिन कोई ऐसा प्लेटफार्म नहीं मिल रहा था, जिस से मैं ग्लैमर की दुनिया में कदम रखूं, इसलिए मैं अपने इस शौक को डांस और गा कर पूरा कर लेती थी.

इस दौरान मेरी शादी हो गई. मुझे लगा कि शादी के बाद अब मेरा सपना अधूरा ही रह जाएगा, लेकिन मेरी ससुराल ने मेरा बहुत सपोर्ट किया और साल 2013 में मुझे ‘महुआ टीवी’ के ‘भौजी नंबर वन’ नाम के एक शो में आडिशन देने का मौका मिला और इसी से मेरे हौसले ने उड़ान भरनी शुरू कर दी.

इस के बाद मुझे लीड रोल में ‘प्राइम टीवी’ के सीरियल ‘सनसनी’ में काम करने का मौका मिला और यहीं से मैं फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाती गई. क्या आप ने भोजपुरी फिल्मों में आने के लिए थिएटर भी किया? मैं जब सीरियलों में काम कर रही थी, तो मेरे एक साथी ने मुझे फिल्मों मेंकदम जमाने के लिए थिएटर करने की सलाह दी. चूंकि मेरा सपना था फिल्मों में काम करना, इसलिए मैं ने दिल्ली में थिएटर किया और ऐक्टिंग की सभी बारीकियां सीखीं.आप ने मुंबई की तरफ कब रुख किया मैं ने थिएटर से ऐक्टिंग सीखने बाद खुद के रिस्क पर मुंबई जाने का तय कर लिया था, इसलिए मैं खुद के बचाए पैसे ले कर मुंबई चली गई. वहां जा कर मुझे 23 दिनों तक भटकना पड़ा, लेकिन इसी दौरान मुझे बहुत ही चर्चित सीरियल ‘मुसकान’ में काम करने का मौका मिला, जहां लोग मेरी ऐक्टिंग के मुरीद होते गए.

इसी के बाद मुझे पहली भोजपुरी फिल्म मिली, जिस में मुझे सैकंड लीड रोल मिला. इसी के बाद हिंदी फिल्म ‘वनडे’ मिली, जहां से मुझे बहुत हिम्मत मिली. इस के बाद जिन फिल्म मेकरों ने मेरी अदाकारी को देखा और भोजपुरी भाषा पर मेरी पकड़ देखी, तो मेरे पास फिल्मों के जबरदस्त औफर आने लगे. यहीं से मैं ने कामयाबी का स्वाद चखना शुरू किया और आज के दौर में भोजपुरी बैल्ट में बच्चाबच्चा मुझे पहचानता है.

क्या इस कामयाबी को अपना भाग्य मानती हैं या यह सब आप को जद्दोजेहद से मिला? कामयाबी तो भाग्य से मिल ही नहीं सकती है. मेरी कामयाबी के पीछे मेरी जद्दोजेहद है, क्योंकि न ही मेरा कोई गौडफादर है और न ही इस इंडस्ट्री में पैर जमाने के लिए मेरा किसी ने सहयोग किया. यह कामयाबी मुझे केवल मेरे जुनून और जद्दोजेहद के बदौलत ही मिली है.

आप भोजपुरी फिल्मों में कभी भाभी, कभी पुलिस और कभी गंवई लुक में नजर आती रही हैं, फिर भी आप को भोजपुरी में वह पहचान मिली है, जो बड़ीबड़ी हीरोइनों को ही मिल पाई है. यह सब कैसे हो पाया?

इस का सारा क्रेडिट मैं केवल दर्शकों को देना चाहूंगी, क्योंकि जिन को दर्शकों ने नकारा, वे फिल्म इंडस्ट्री में कदम जमा ही नहीं सकते हैं. मुझे लगता है कि मेरा रोल और अदाकारी दोनों ही मेरे दर्शकों को पसंद आते हैं, इसलिए मुझे दर्शक सिरआंखों पर बैठा कर रखते हैं.

आप जब फिल्म सैट पर होती हैं, तो अकसर बड़े ऐक्टरों के साथ फेसबुक लाइव या वीडियो क्लिप में हंसीठिठोली करती नजर आती हैं. क्या ऐसा भी कभी हुआ, जब इस से किसी ने बुरा भी माना हो?

आप ने सही कहा और देखा भी होगा कि मैं ने खेसारीलाल यादव, सुशील सिंह, देव सिंह जैसे कई कलाकारों के साथ हंसीमजाक, ठिठोली वाले कई वीडियो बनाए हैं, लेकिन इस में सभी लोग मेरे साथ खुल कर मस्ती करते नजर आए होंगे. ऐसे में किसी के बुरा मानने की बात ही नहीं आती है. हां, यह जरूर है कि ऐसे वीडियो के मेरे प्रशंसक बहुत प्यार देते हैं.

आप सोशल मीडिया पर भी किसी सनसनी से कम नहीं हैं. आप की फैन फौलोइंग भी काफी अच्छी है. ऐक्टिंग और सोशल मीडिया पर एकसाथ सक्रियता, यह सब कैसे हो पाता है?

मैं अपनी कामयाबी में एक क्रेडिट सोशल मीडिया को भी देना चाहूंगी, क्योंकि मैं शुरुआती दौर में छोटेछोटे वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डालती थी, जिन्हें मेरे चाहने वालों ने काफी प्यार दिया और आज यह सब

मेरी पहचान में एक बड़ा योगदान बनाए हुए है.मै भोजपुरी में अकसर शौर्ट वीडियो और रील्स बना कर डालती हूं, जिन्हें लाखों व्यूज मिलते रहे हैं, इसलिए मेरा मानना है कि जिस के जरीए आप को कामयाबी मिली है, उस का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. आप एक किशोर बच्चे की मांहैं, यह आप की फिगर देख कर लगता ही नहीं है. एक कलाकार के तौर पर फिगर को मेंटेन रखना कितना चैलेंजिंग है?

अगर आप ग्लैमर की दुनिया में खासकर फिल्मों में तो आप के लिए अपनी फिगर को फिल्मों के मुताबिक मेंटेन रखना बहुत ही चैलेंजिंग होता है, क्योंकि शूटिंग के दौरान न खाने का कोई समय होता है और न ही सोने का. मेरे जैसी एक कलाकार के लिए तो और भी मुश्किल, जब बेटा ही मेरी कदकाठी का हो चुका हो.

इस सब के बाद भी अगर दर्शक मेरी फिगर को पसंद कर रहे हैं, तो इस के पीछे का राज यह है कि मैं डांस में खूब पसीना बहाती हूं, ऐक्सरसाइज करती हूं. खाना तो ऐसा खाती हूं, जो मेरी सेहत और स्किन का खास खयाल रखे.  शूटिंग से जब भी मुझे फुरसत मिलती है, तो मैं भरपूर नींद भी लेती हूं.

एक कामयाब कलाकार होने के बावजूद आप एक कामयाब हाउसवाइफ भी हैं. ऐसे में हाउसवाइफ के लिए कोई संदेश देना चाहेंगी? भारत एक ऐसा देश है, जहां औरतें पहले अपने परिवार के लिए सोचती हैं और आखिरी में अपने बारे में. यह बहुत जरूरी भी है, लेकिन कई बार इन सब के बीच वे अपनी सेहत और फिगर के प्रति लापरवाह हो जाती हैं, इसलिए मेरा सभी घरेलू औरतों के लिए यही संदेश है कि वे घरपरिवार की जिम्मेदारियों के साथसाथ अपने खानपान, सेहत और फिगर के प्रति जरूर ध्यान दें.

खेसारी लाल यादव पर भड़कीं नेहा सिंह राठौर, बोलीं-‘जो बोया है वही काटोगे’

भोजपुरी इंडस्ट्री के ट्रेंडिंग स्टार खेसारी लाल यादव इन दिनों सुर्खियों में है. हाल ही उन्होंने एक लाइव वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया था, जिसके बाद काफी बवाल हुआ था. खेसारी ने इस क्लिप को शेयर करते हुए कहा, ‘मैं हमेशा सिर्फ आपको इन्टरटेन करने की कोशिश करता हूं. मैं रात-दिन, गर्मी-सर्दी हर वक्त काम करता हूं. मुझे काम करने दो. अगर आप लोगों को लगता है मैंने भोजपुरी भाषा के लिए कुछ नहीं किया है और कुछ नहीं कर पाऊंगा तो मैं इंडस्ट्री छोड़ दूंगा.

 

 

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खेसारी लाल का वीडियो:

इसके अलावा उन्होंने अपनी बेटी को लेकर भी एक बयान दिया था की, मैं अपनी बेटी को क्या कहूंगा की की उसके पिता की वजह से उसको ट्रोल किया जा रहा है. खेसारी लाल का एक ये वीडियो देख उनके फैंस का दिल टूट गया था. इस बीच भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमे उन्होंने बिना नाम लिए खेसारी लाल यादव को जमकर ट्रोल किया है.

 

 

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नेहा सिंह राठौर ने कही ये बात: 

नेहा सिंह राठौर ने फेसबुक पर एक क्लिप शेयर किया है, जिसमे वो अपने अंदाज में खेसारी लाल यादव की धज्जियां उड़ाती नजर आ रही है. नेहा ने कहा, ‘मैं नाम तो नहीं लूंगी किसी का पर आप समझ जाएंगे एक इंसान आते है और कहते है की मैं पिता हूं और फिर पिता का हवाला देकर बचना चाहते है चीजों से और फिर राजपूत समाज और यादव समाज करने लगते है. सबसे पहले तो मैं कहना चाहती हूं की जो बोया है वही काटोगे. मुझे पता है यहां पर भी कुछ यादव जी टाइप के लोग आ जाएंगे क्योंकि मैं राजपूत से हूं, और ये कहेंगे की मैं राजपूत और भूमिहार खेल रही हूं. तो कहते रहिए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं सच को सच कहूंगी और गलत तो गलत .

Bhojpuri star मनोज तिवारी के घर आएगा नन्हा मेहमान, शेयर की गोद भराई की फोटो

भोजपुरी ऐक्टर और भाजपा सांसद मनोज तिवारी की फैन फालोइंग काफी अच्छी है. इस मामले में वो पवन सिंह और रवि किशन को टक्कर देते है. मनोज तिवारी इन दिनों सुर्खियों में है, उन्होंने अपने फैंस को एक अच्छी खबर दी है. मनोज तिवारी एक बार फिर से पिता बनने वाले है उन्होंने हाल ही में अपनी पत्नी सुरभि तिवारी की गोद भराई का विडियो  शेयर किया है, जो की सोशल मीडिया पर वाइरल हो रहा है.

मनोज तिवारी ने शेयर किया विडियो –

हालही में ऐक्टर मनोज तिवारी में अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट में एक विडियो  शेयर किया जोकि ऐक्टर अपनी पत्नी की गोद भराई की रस्म हो रही थी. मनोज तिवारी के घर फिर से किलकारियाँ गूजने वाली है. यह विडिओ पोस्ट होने के बाद इंटरनेट में जमकर वाइरल हो रहा है. और लोगों का भरपूर प्यार दिया.

 

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इन सितारों ने मनोज तिवारी को दी बधाईयां-   

मनोज तिवारी ने इस विडीयो  को शेयर करते हुए लिखा, कुछ खुशियो को हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते बस महसूस कर सकते है. क्लिप के बैकग्राउंड में ऐक्टर ने शुभारम्ब गाना लगाया है. विडिओ में जहा मनोज तिवारी बच्चों के साथ खेलते नजर आ रहे है वही उनकी पत्नी झूले में बैठी नजर आ रही है. मनोज तिवारी ने इस खुशी के अवसर में अपना घर खूब सजा रखा है. इस खुशी के अवसर में भोजपुरी के कई सितारे जमकर प्यार बरसा रहे है. वही फैंस ने जमकर कमेंट्स किये. ऐक्ट्रिस अक्षरा सिंह ने लिखा, ये खुशिया हमेशा बरकरार रहे.

 

 

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मनोज तिवारी ने सुरभि से की थी दूसरी शादी-

बताते चले की मनोज तिवारी ने कई फिल्मों में अपना जलवा बिखेरा है. वही उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी गाना गाया. मनोज तिवारी ने इससे पहले साल 1999 में रानी तिवारी से शादी की थी. हालकि साल 2012 में दोनों के रास्ते अलग हो गए. इसके बाद मनोज ने सुरभि तिवारी से शादी कर ली. इन दोनों की एक बेटी है.

एमएमएस Video को लेकर अक्षरा सिंह का फूटा गुस्सा, यूट्यूबर्स को लगाई फटकार

फेमस भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह (Akshara Singh) सोशल मीडिया पर कॉफी एक्टिव रहती हैं. वह अपने फैंस के साथ फोटोज और वीडियोज शेयर करती रहती हैं। छाई हुई हैं. हाल ही में एक्ट्रेस का एक कथित एमएमएस वीडियो वायरल हुआ था, जिससे उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला…

अक्षरा सिंह ने पहली बार इस विषय पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. एक्ट्रेस ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो फेक एमएमएस वायरल होने पर यूट्यूबर्स को फटकारते दिखाई दे रही हैं. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि अक्षरा कहती हुई नजर आ रही है कि उन्हें किसी का डर नहीं है.

 

 

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अक्षरा सिंह ने कहा, इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे लोग मेरा एमएमएस बता रहे है. इस वीडियो को कई यूट्यूबर्स ने यूट्यूब पर अपलोड किया है. मैं बिजी हूं तो मुझे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है. हम कभी-कभी सारी रात काम करते हैं और सुबह सोने जाते हैं. तो पता नहीं चल पाता है कि बाहरी दुनिया में क्या चल रहा है.

 

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एक्ट्रेस ने आगे कहा,  अब मुझे ये पता चला कि कुछ यूजर्स मेरा नाम लेकर एक वीडियो शेयर कर रहे है. पहली बात तो यह है कि मुझे इन सभी यूट्यूबर्स से कोई फर्क नहीं पड़ता. वो तो एक छोटा नाम है. इन यूट्यूबर्स ने कई बड़ी हस्तियों को ऐसे बदनाम करने की नाकाम कोशिश की हैं.अक्षरा ने आगे कहा, इन फेक चीजों को समाज में ना फैलाए. अगर आपकी मां बहन बेटी के साथ ऐसा कोई करेगा तो आपको कैसा लगेगा क्योंकि हर कर्म का फल आपको मिलता है.

आजादी के बाद आबाद होता गया भोजपुरी सिनेमा

साल 1913 में जब पहली बार दादा साहब फालके ने फिल्म राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थीतब देश अंगरेजी हुकूमत के अधीन था. उस समय देश की जनता के लिए अंगरेजी हुकूमत के साए में फिल्में देखना आसान नहीं था. चूंकि राजा हरिश्चंद्र’ एक मूक फिल्म थीइसलिए दर्शकों को समझाने के लिए दादा साहब फालके ने इस फिल्म के दृश्यों के साथ शब्दों का इस्तेमाल किया थाजो देश की 3 भाषाओं में थे.

इसी दौर में हिंदुस्तानी सिनेमा ने पहली बार बोलना भी सीखा था. यह दिन था शनिवार और तारीख थी 14 मार्च1931. इस पहली बोलती फिल्म का नाम था आलम आरा’, जो मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमाघर में रिलीज हुई थी.

साल 1947 में जब देश को आजादी मिलीतो इसी के साथ देश की सभी चीजों को आजादी मिलती गई. इस के बाद देश में हिंदी भाषा में एक के बाद एक कई फिल्में बनीं और कामयाब भी हुईं.

उस समय भोजपुरी बोलने वाले दर्शकों की तादाद ज्यादा थीइसलिए हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की फिल्मों के संवादों में कुछ हिंदीभोजपुरी के शब्द मिले होते थे. लेकिन पूरी तरह से भोजपुरी सिनेमा बनाने का आगाज तब भी नहीं हो रहा था.  भोजपुरी फिल्मों का आगाज

आजादी के बाद भोजपुरी बैल्ट के दर्शकों में भोजपुरी बोली में फिल्म की डिमांड बढ़ती जा रही थी. यह बात किसी तरह उस समय के राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के कानों तक पहुंच गई. वे बिहार के एक गांव से ताल्लुक रखते थेइसलिए उन की भोजपुरी में खासा दिलचस्पी थी. ऐसे में उन्होंने

60 साल पहले भोजपुरी में सिनेमा निर्माण की पहल भी खुद शुरू कीजिस का नतीजा यह रहा कि देश की पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ बनी.

भोजपुरी में बनी यह पहली फिल्म इतनी सुपरडुपर हिट रही थी कि इस फिल्म को देखने के लिए लोग बैलगाडि़यों पर लद कर सिनेमाघरों तक पहुंचे थे. इस फिल्म का निर्माण राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की प्रेरणा से आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे नजीर हुसैन ने किया था. आरा के रहने वाले कारोबारी विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी ने इस फिल्म में अपना पैसा लगाने की घोषणा की थी.

फिल्म गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ के डायरैक्शन का काम कुंदन कुमार ने किया थातो इस में गाने को आवाज देने का काम लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे मशहूर गायकों ने किया था. फिल्म के गाने मशहूर गीतकार शैलेंद्र और भिखारी ठाकुर ने लिखे थे. इस फिल्म में संगीत देने का काम संगीतकार आनंदमिलिंद के पिता चित्रगुप्त ने किया था.

हिंदी फिल्मों की मशहूर हीरोइन कुमकुम ने इस फिल्म में लीड रोल किया थाजो भोजपुरी फिल्मों की पहली हीरोइन रहीं. असीम कुमार हीरो रहे थे. फिल्म में विलेन की भूमिका बिहार के रहने वाले रामायण तिवारी ने निभाई थी.

यह फिल्म 22 फरवरी1963 को पटना के वीणा सिनेमा में रिलीज हुईजिस ने कामयाबी के वे रिकौर्ड तोड़े थे कि महीनों तक दर्शकों की लाइन ही नहीं टूटी थी.

इस फिल्म के बाद भोजपुरी में दूसरी फिल्म लागी छूटे नाही राम’ आई थी. यह फिल्म भी साल 1963 में ही रिलीज हुई थीजिस का डायरैक्शन कुंदन कुमार ने किया था और निर्माता रामायण तिवारी थे. इस फिल्म में मुख्य भूमिका असीम कुमारनसीर हुसैन और कुमकुम ने निभाई थी.

इस फिल्म के बाद बिदेसिया’ फिल्म बनी जिस के हीरो सुजीत कुमार और हीरोइन बेबी नाज रहीं. साल 1964-65 में एसएन त्रिपाठी के डायरैक्शन में बनी यह फिल्म सुपरडुपर हिट रही. इस के बाद भोजपुरी में कुछ छिटपुट फिल्में बनींजो बहुत ज्यादा नहीं चल पाईं और यहीं भोजपुरी सिनेमा का पहला दौर खत्म हो गया.

10 सालों के सूखे के बाद भोजपुरी सिनेमा के दूसरे दौर की शुरुआत नजीर हुसैन ने फिर से कर दी और उन्होंने उस समय की सब से बड़ी हिट फिल्म बलम परदेशिया’ बनाईजिस में मुख्य भूमिका राकेश पांडेय और पद्मा खन्ना ने निभाई.नदीमश्रवण का कैरियर

हिंदी फिल्मों के जानेमाने संगीतकार नदीमश्रवण ने भोजपुरी फिल्म दंगल’ से अपने संगीत कैरियर की शुरुआत की थी. यह फिल्म साल 1977 में रिलीज हुई थी. फिल्म में सुजीत कुमार और प्रेमा नारायण समेत उस समय के कई भोजपुरी सितारों ने काम किया था.

यह उस दौर की सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी. इस फिल्म के प्रोड्यूसर बच्चू भाई शाह थे. इस फिल्म में संगीत देने के बाद नदीमश्रवण हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में छा गए थे.

इस के बाद भोजपुरी में कई सुपरहिट फिल्में बनींजिस में साल 1980 में बनी भोजपुरी फिल्म धरती मइया’ से भोजपुरी के सुपरस्टार कुणाल सिंह की ऐंट्री हुई. इस फिल्म में राकेश पांडेय और पद्मा खन्ना के साथ गौरी खुराना जैसे कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में नजर आए थे. 

भोजपुरी सिनेमा के दूसरे दौर में इन फिल्मों के अलावा दर्जनों फिल्में बनींलेकिन वे चल नहीं पाईं और धीरेधीरे 90 का दशक आतेआते भोजपुरी सिनेमा दोबारा सन्नाटे में चला गया.

ऊंचाइयों की ओर

भोजपुरी सिनेमा के लिए साल 2000 और उस के आगे का समय बदलाव का दौर रहा. इस दौर ने भोजपुरी फिल्मों के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया. इस दौर ने रविकिशन और मनोज तिवारी जैसे भोजपुरी के कई सुपरस्टार दिए और भोजपुरी सिनेमा से पूरी तरह से कट चुके दर्शकों को जोड़ने का काम किया. 

इस दौर की पहली फिल्म साल 2000 में आईजिस का नाम था सइयां हमार’, जिस में मुख्य भूमिका में रविकिशन थे. इस फिल्म में बृजेश त्रिपाठी मुख्य विलेन की भूमिका में नजर आए.

साल 2004 में मनोज तिवारी की फिल्म ससुरा बड़ा पईसावाला’ बनीजिस ने कमाई के सारे रिकौर्ड तोड़ दिए. इस के बाद रविकिशन के लीड रोल में ही सइयां से कर द मिलनवा हे राम’ और पंडितजी बताई न बियाह कब होई’ बनीं जो साल 2005 की सब से बड़ी हिट फिल्में रहीं.

इस दौर की बड़ी हिट फिल्मों में गंगा जइसन माई हमार’, ‘दरोगा बाबू आई लव यू’, ‘देहाती बाबू’, ‘धरती पुत्र’, ‘दीवाना लगल रहा हे राजाजी’ व देवरा बड़ा सतावेला’ शामिल रहीं. 

दिखे हिंदी कलाकार भी

भोजपुरी के तीसरे दौर में फिल्मों के बढ़ते चलन और दर्शकों की संख्या को देखते हुए हिंदी फिल्मों के कई नामचीन कलाकार खुद को इन में काम करने से रोक नहीं पाए.

साल 2013 में आई भोजपुरी फिल्म देशपरदेश’ में धर्मेंद्र प्रमुख भूमिका में नजर आए थे. इसी के साथ भोजपुरी फिल्म गंगा’ में रविकिशन और मनोज तिवारी के साथ अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी नजर आएतो दिनेशलाल यादव निरहुआ’ की फिल्म गंगा देवी’ में अमिताभ बच्चन और जया बच्चन ने काम कर भोजपुरी सिनेमा के कद को और भी बढ़ा दिया.

इस के अलावा फिल्म धरती कहे पुकार के’ में अजय देवगन, ‘बाबुल प्यारे’ में राज बब्बर, ‘भोले शंकर’ में मिथुन चक्रवर्ती, ‘हम हई खलनायक’ में जैकी श्रौफ, ‘एगो चुम्मा दे द राजाजी’ में भाग्यश्री जैसे नामचीन कलाकारों ने काम किया.

आज के दौर में भोजपुरी फिल्मों में रजा मुरादशक्ति कपूरगुलशन ग्रोवर जैसे दर्जनों कलाकार लगातार काम कर रहे हैं.

गायक से नायक बने

साल 2010 के बाद का दशक गायक से नायक बने कई कलाकारों के नाम रहा हैजिस में मनोज तिवारीदिनेशलाल यादव निरहुआ’, पवन सिंहखेसारी लाल जैसे दर्जनों नाम शामिल हैं. इन कलाकारों ने पिछले 10 सालों में सैकड़ों हिट फिल्में दी हैं. आज इन्हीं से भोजपुरी सिनेमा की पहचान है. 

वहीं अगर हीरोइनों की बात की जाएतो रानी चटर्जीनगमाआम्रपाली दूबेकाजल राघवानी जैसे कई नाम हैंजिन के करोड़ों दीवाने हैं.

भोजपुरी सिनेमा में कई हिट निर्देशकों के नाम भी रहेजिस में राजकुमार आर. पांडेयसंजय श्रीवास्तवपराग पाटिल जैसे दर्जनों नाम शामिल हैं. नैगेटिव रोल में संजय पांडेयअवधेश मिश्रदेव सिंहसुशील सिंहकौमेडी में संजय महानंदलोटा तिवारी जैसे सैकड़ों नाम शामिल हैं.

भोजपुरी फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता के बीच इस पर अश्लीलता फैलाने के आरोप भी लगते रहे हैं. लेकिन ये आरोप भोजपुरी सिनेमा के दर्शकों की तरफ से नहींबल्कि भोजपुरी सिनेमा को न देखने वालों की तरफ से लगाए जाते रहे हैं.

दूसरी फिल्म इंडस्ट्री को दी टक्कर

भोजपुरी सिनेमा के तीसरे दौर में बहुतकुछ बदल चुका है. इस में जहां एक तरफ कंटैंट पर खासा ध्यान दिया जाने लगा हैवहीं दूसरी तरफ इस में इस्तेमाल होने वाले टैक्नोलौजी में खासा बदलाव आ चुका है. इस दौर में आई फिल्मों में निरहुआ रिकशावाला’, ‘निरहुआ हिंदुस्तानी’, ‘विवाह’, ‘कसम पैदा करने वाले की-2’ जैसी सैकड़ों फिल्मों ने भोजपुरी फिल्मों के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव लाने का बड़ा काम किया है.

इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ से शुरू हुआ भोजपुरी सिनेमा का यह दौर बुलंदियों का दौर हैजहां कम बजट में अच्छी फिल्मों का निर्माण हो रहा है.

मिला तकनीकी का साथ

मशहूर भोजपुरी फिल्म निर्देशक संजय श्रीवास्तव का भोजपुरी सिनेमा में तकनीकी के उपयोग के सवाल पर कहना है कि आजादी के बाद भोजपुरी सिनेमा के शुरुआती दौर में जब फिल्मों के दृश्य फिल्माए जाते थेतो उस में न ही आज की तरह का ऐक्शन होता था और न ही दृश्यों में रोमांच होता था. लेकिन जैसेजैसे भोजपुरी सिनेमा में फिल्मों का निर्माण आगे बढ़ा और दर्शकों की संख्या बढ़ीइस से निर्माताओं का मनोबल भी बढ़ता गया.

मशहूर कलाकार देव सिंह का कहना है कि चूंकि 60-70 के दशक में फिल्म निर्माण की तकनीकी उतनी उन्नत नहीं हो पाई थीइसलिए फिल्मों में कहानी के हिसाब से ऐक्शन में लाठीडंडों का इस्तेमाल होता रहा.

लेकिन आज के दौर में फिल्म निर्माण की तकनीकी उन्नत हो चुकी है. इस का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि आज के दौर में बन रही भोजपुरी फिल्मों को जब सिनेमाहाल में बैठे हुए दर्शक देखते हैंतो रोमांच उस समय और बढ़ जाता हैजब हवा में उड़ता हुआ हीरो खलनायकों की धुनाई करता है या हजारों फुट गहरी खाई में गिरने के बाद भी नायक को खरोंच तक नहीं लगती. तेज स्पीड में चलती हुई कार किसी गहरी खाई को भी लांघ जाती है.

ये सब दृश्य कुछ सालों तक हौलीवुडहिंदी फिल्मों व दक्षिण भारत की फिल्मों तक ही सिमटे हुए थेलेकिन आज 29 करोड़ लोगों में देखी जाने वाली भोजपुरी फिल्मों में भी इस तरह के दृश्य का देखा जाना आम बात हो चली है. भोजपुरी बैल्ट के दर्शक अपनी भाषा में बन रही फिल्मों में तकनीकी के इस्तेमाल के चलते उन्हें खूब पसंद कर रहे हैं.

साल 2022 में हुए सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ में बैस्ट डायरैक्टर के खिताब से नवाजे जा चुके फिल्म निर्देशक प्रमोद शास्त्री का कहना है कि आज की भोजपुरी फिल्मों में मारधाड़ऐक्शन व लाइटिंग की वजह से फिल्मों का तकनीकी पक्ष बेहद मजबूत हुआ है. इस के लिए दक्षिण के ऐक्शन मास्टरों का उपयोग किया जा रहा है.

भोजपुरी फिल्मों में स्पैशल इफैक्ट व ग्राफिक टैक्नोलौजी का जम कर इस्तेमाल हो रहा हैजो अभी तक हिंदी फिल्मों में ही इस्तेमाल होता रहा है.

सिनेमा से संसद का सफर

भोजपुरी सिनेमा और भोजपुरी कलाकारों के मशहूर होने का ही कमाल है कि भोजपुरी सिनेमा के कलाकार सांसद के रूप में आज लोकसभा में भोजपुरिया बैल्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

भोजपुरी सिनेमा के मशहूर कलाकार मनोज तिवारी मृदुल’ और रविकिशन पहले ही सांसद के रूप में लोकसभा पहुंच चुके थे और हाल ही में उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ सीट से दिनेशलाल यादव निरहुआ’ भी सांसद चुन कर शपथ ले चुके हैं.                       

भोजपुरी गानों में नशे का प्रचार ताड़ी पाक

सास पिए बीड़ी, ससुर पिए गांजा, पाउच पी के भसुर कहे कोरा में समा जा…’ गाना भोजपुरी फिल्म ‘नगीना’ का है. गायिका इंदू सोनाली के गाए इस गाने को प्रदीप पांडे और रिंकू घोष पर फिल्माया गया है. इस गाने का फिल्मांकन बहुत ही उत्तेजक तरीके से किया गया है. रिंकू घोष ने कमाल का डांस किया है. गाने में बीड़ी और गांजा पीते कलाकारों को दिखाया गया है और गाने के साथ कोई वैधानिक चेतावनी भी नहीं लिखी गई है. धूम्रपान के प्रचार को रोकने के लिए वैधानिक चेतावानी लिखना फिल्म बनाने वालों की जिम्मेदारी होती है. तमाम हिंदी फिल्मों में जब ऐसे सीन दिखाए जाते हैं,

तो उन के साथ ऐसा लिखा जाता है. ‘आओ न छान के पियाय दे साड़ी से ताड़ी…’ पवन सिंह और शिल्पी राज के इस गाने में ताड़ी पिलाने की बात को बहुत उत्तेजक ढंग से दिखाया और सुनाया जा रहा है. यह पवन सिंह का म्यूजिक अलबम है. ताड़ी देशी नशा है. ताड़ के पेड़ पर मटकी लटका कर रस निकाला जाता है. उत्तर प्रदेश और बिहार में इस का सेवन खूब किया जाता है. वैसे तो ताड़ी का नशा कम खतरनाक होता है, लेकिन कई बार नशा ज्यादा करने के लिए इस में दूसरी नशीली चीजें मिलाई जाती हैं, जो खतरनाक होती हैं. कई बार ऐसी खबरें आती हैं, जिन में बताया जाता है कि ताड़ी पीने से लोग मर भी जाते हैं. जिस दौर में बिहार में नशे पर पाबंदी हो,

ऐसे गाने गलत संदेश देते हैं. ताड़ी के गाने को सुनने वालों ने इतना ज्यादा पसंद किया कि कई और कलाकारों ने ताड़ी को सामने रख कर कई तरह के गाने बनाए हैं. ‘ताड़ी पी के केवारी तूड़ दिले राजा…’ खेसारी लाल यादव ने भी ताड़ी का महिमामंडन करते इस गाने को गाया है. वे भोजपुरी फिल्मों के सब से लोकप्रिय कलाकारों में से एक हैं. उन को पसंद करने वालों की तादाद करोड़ों में है. ताड़ी का गानों में इस्तेमाल इस कदर बढ़ रहा है कि हर कलाकार ताड़ी का बखान करता गीत और वीडियो अलबम तैयार कर रहा है. इस का एक और उदाहरण देखिए : ‘ताड़ी छानी के पिलाइबे ओढ़निया से…’ गाने में गुंजन सिंह और शिल्पी राज ने भी ताड़ी का मजा लिया. ताड़ी के साथ ही साथ गाने में यह भी दिखाया गया कि नशे में होने के बाद स्वीमिंग पूल का मजा कैसे लिया जाता है. यह सच बात है कि भोजपुरी गाने जनता द्वारा बहुत पसंद किए जाते हैं. ऐसे में कलाकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे कुछ ऐसा गानों में न दिखाएं, जिस का दर्शकों पर गलत असर पड़े.

भोजपुरी गानों में अश्लीलता और दोअर्थी बोल का बोलबाला होता है, जिस का मजा सुनने वाले उठाते हैं. पर जिस तरह से नशीली चीजों का बखान शुरू हुआ है, वह खतरनाक है.  हिंदी और पंजाबी म्यूजिक का असर पिछले दिनों हिंदी फिल्मी दुनिया में ड्रग्स को ले कर बड़ा हंगामा देखने को मिला, जिस से यह पता चला कि फिल्मी पार्टियों में शराब के साथ ही साथ ड्रग्स का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. इस में भी फिल्मों का हाथ सब से ज्यादा होता है. हिंदी फिल्मों में ड्रग्स की कहानियों को ले कर उन का फिल्मांकन कई बार किया जाता था, जिस का असर यह हुआ कि बिना ड्रग्स और नशे के कोई पार्टी नहीं होती थी. इसी ड्रग्स का प्रचार करना फिल्मी दुनिया पर भारी पड़ा. तमाम फिल्म कलाकार और उन के परिवार के लोग ड्रग्स के चलते पुलिस द्वारा पकड़े गए. हिंदी फिल्मों में नशे का प्रचार जनता पर तो पड़ ही रहा है, बल्कि कलाकारों के अपने परिवार भी उस की लत में फंस गए, जिस के चलते फिल्म कलाकारों को काफी बदनामी का सामना करना पड़ा.

पंजाबी म्यूजिक और वीडियो अलबम में भी नशे का प्रचार खूब होता है. इस के अलावा बहुत सारे कलाकार अपने गानों में हथियारों का इस्तेमाल भी करते हैं. इस का नतीजा यह हुआ कि कई पंजाबी कलाकार खुद मुसीबत में फंस गए. पंजाबी गायक और नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने पंजाबी म्यूजिक के ड्रग्स और हथियारों के असर को दिखाया. कई पंजाबी कलाकार ड्रग्स और हिंसा के मामले में जेल भी गए हैं. हिंदी और पंजाबी फिल्म म्यूजिक में नशे का बुरा असर दिखने लगा है. अगर भोजपुरी फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री में भी नशे का प्रचारप्रसार इसी तरह होता रहा, तो यहां भी नशे का गलत असर ही दिखेगा. केवल जनता को ही नहीं, बल्कि कलाकारों को भी इस का खमियाजा भुगतना पड़ेगा.

आम्रपाली दुबे और खेसारीलाल की नई फिल्म का ट्रेलर हुआ रिलीज, फैंस कर रहे हैं पसंद

अम्रपाली दूबे और खेसारी लाल यादव इन दिनों अपनी नई फिल्म को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. इस फिल्म के ट्रेलर का इंतजार भोजपुरी फिल्म देखने वाले दर्शकों को लंबे समय से इंतजार था.

जैसे ही इस फिल्म का ट्रेलर लॉच हुआ फैंस ने कुछ घंटे में ही 3.5 ट्रीलियन देख लिया. ट्रेलर में खेसारी लाल और अम्रपाली दूबे की कैेमेस्ट्री को खूब पसंद किया जा रहा है. बता दें कि इस फिल्म का नर्देशन खेसारी लाल ने किया .इस फिल्म में खेसारी लाल यादव का इमोशनल अवतार देखने को मिलेगा. इससे पहले भी खेसारी लाल यादव और अम्रपाली दूबे का कैमेस्ट्री लोगों का खूब पसंद आया है. जिससे लोग इन्हें एक साथ देखना पसंद करते हैं.

कई सारी फिल्मों में  इन दोनों को एक साथ देखा जा चुका है. इन दोनों की जोड़ी लोगों को खूब पसंद आता है. अगर खेसारी लाल यादव के वर्कफ्रंट की बात करें तो इन दिनों वह बीजेपी के नेता बन चुके हैं. उन्हें लोग खूब पसंद भी करते हैं.

अब फैंस को इस फिल्म का इंतजार है कि कब यह फिल् पर्दे पर आएगी. फैंस सोशल मीडिया पर फैंस उन्हें पसंद किया जा रहा है.

इस फिल्म में दोनों का एक अलग तरह का रोमांस देखने को मिलेगा. जिसे देखने के लिए बेताब हैं. इस फिल्म का निर्देशन राजेश मिश्रा जी कर रहे हैं.

इस फिल्म का नाम भी लोगों को पसंद आ रहा है. जिसका नाम है’ डोली सजा के रखना’ इसका नाम सुनते ही आपके मन में आ जाएगी कि यह कोई ऐसा फिल्म नहीं है इसे रोमांटिक फिल्म की तरह देखा जाएगा. इस फिल्म की कहानी अभी तक बनी सभी फिल्मों से अलग है.

इस फिल्म में खेसारी लाल यादव दुल्हा बनेंगे तो वहीं आम्रपाली दुबे उनकी दुल्हन बनेंगी. जिसे दर्शकों के लिए देखना काफी ज्यादा दिलचस्प होगा. हालांकि अभी तक रिलीज डेट का खुलासा नहींं हुआ है.

 

तीसरे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ में सितारों की धूम

बस्ती. अप्रैल महीने की शुरुआत में एक खुशनुमा शाम को बस्ती, उत्तर प्रदेश के होटल ‘बालाजी प्रकाश’ के प्रांगण में भोजपुरी सितारों का लगा जमघट, मौका था तीसरे ‘सरस सलिल भोजपुरी अवार्ड शो’ का. साल 2021 में रिलीज हुई भोजपुरी फिल्मों के आधार पर अलग अलग कैटेगरी की फिल्मों के चयन के आधार पर फिल्म अवार्ड वितरित किए गए.

शाम 6 से ही यह अवार्ड शो शुरू हो गया था, जिस में भोजपुरी गानों, डांस और हंसी की ठहाकों का ऐसा तड़का लगा कि कब रात के 12 बज गए पता ही नहीं चला.

इस समारोह में संजना ‘सिल्क’ को ‘बेस्ट आइटम डांसर’ का अवार्ड मिला. फिल्म ‘फर्ज’ के लिए अनूप तिवारी ‘लोटा’ को ‘बेस्ट कॉमिक रोल इन क्रिटिक्स’ दिया गया, तो भोजपुरी के दमदार विलेन संजय पांडेय की झोली में फिल्म ‘घूंघट में घोटाला 2’ के लिए ‘बेस्ट विलेन’ का अवार्ड आया. रोहित सिंह ‘मटरू’ को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट कॉमेडी एक्टर’ का अवार्ड मिला, तो प्रमोद शास्त्री को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का अवार्ड दिया गया.

फिल्म ‘बेटी नंबर वन’ के लिए विनय बिहारी को ‘बेस्ट सांग राइटर’ का अवार्ड मिला. शुभम तिवारी को फिल्म ‘बबली की बारात’ के लिए ‘फुल कॉमेडी मूवी श्रेणी’ में ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला. तारकेश्वर मिश्र ‘राही’ को भोजपुरी सिनेमा में उन के शानदार योगदान के लिए ‘भिखारी ठाकुर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. अदिति रावत को फिल्म ‘जुगुनू’ के लिए ‘बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट’ का अवार्ड मिला, तो अनीता रावत को फिल्म ‘बाबुल’ के लिए ‘बेस्ट नैगेटिव रोल (फीमेल) दिया गया.

संजय श्रीवास्तव को फिल्म ‘दूल्हा ऑन सेल’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर इन सोशल मूवीज’ का अवार्ड मिला, तो देव सिंह को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट विलेन’ (क्रिटिक्स) का अवार्ड दिया गया.

भोजपुरी के स्टार कलाकार अरविंद अकेला कल्लू को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ और फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ही खूबसूरत यामिनी सिंह को ‘बेस्ट एक्ट्रेस’ का अवार्ड मिला. इसी फिल्म के लिए अमित हिंडोचा को ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का अवार्ड दिया गया.

इस कार्यक्रम की सफल एंकरिंग शुभम तिवारी और डॉक्टर माही खान ने की और बहुत से नामचीन कलाकारों ने अपने डांस और गाने की प्रस्तुति से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया.

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