भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार शुभम तिवारी ज्यादा लाइमलाइट में नहीं रहते हैं, फिर भी उन्होंने कई हिट फिल्में दी हैं. वे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ के पहले सीजन से एंकरिंग का जिम्मा संभालते रहे हैं. शुभम तिवारी ने भोजपुरी और हिंदी फिल्मों के हीरो रविकिशन के साथ ‘कानून हमरा मुट्ठी में’ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की थी.

इस के बाद उन्होंने दर्जनों फिल्मों में लीड रोल निभा कर अपने अभिनय का जलवा दिखाया है, जिन में ‘तू ही मोर बलमा’, ‘भैया हमार दयावान’, ‘मल्लयुद्ध’, ‘कलुआ भईल सयान’, ‘प्रतिघात’, ‘अंतिम तांडव’, ‘लड़ब मरते दम तक’, ‘संन्यासी बलमा’, ‘प्रशासन’, ‘बहूरानी’, ‘इलाहाबाद से इसलामाबाद’ जैसी कई हिट फिल्में शामिल हैं. चौथे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ शो में जब शुभम तिवारी एंकरिंग कर रहे थे, तो फुरसत के क्षणों में उन से भोजपुरी सिनेमा के हालात पर खुल कर बात हुई.

पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश : आप ने नागपुर यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग की डिगरी हासिल की है, फिर फिल्मों की तरफ आने का खयाल मन में कैसे आया? मैं शुरुआती दौर में हिंदी फिल्म कलाकारों की मिमिक्री कर के लोगों को हंसाने का काम करता था, जिन में गोविंदा, सनी देओल, नाना पाटेकर, अमिताभ बच्चन, सुनील शेट्टी, परेश रावल समेत कई नामचीन कलाकारों की मैं ने हूबहू नकल उतारी.

उस दौरान मुझे लगा कि जब मैं दूसरे कलाकारों की आवाज की नकल कर सकता हूं, तो खुद की आवाज और अंदाज को ही अपनी ऐक्टिंग के जरीए क्यों न दर्शकों के सामने रखूं? फिर क्या था, मैं ने हीरो बनने की चाहत रख कर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और पहली ही फिल्म में रविकिशन के साथ लीड रोल में काम करने का मौका मिल गया, जिस में लोगों ने मेरे काम को खासा पसंद किया और फिर मेरे सामने एक के बाद एक कई फिल्मों में काम करने के औफर आते चले गए.

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