तंत्रमंत्र से पत्नी की मौत

कई बार कोई जानलेवा बीमारी किसी इनसान को तंत्रमंत्र के रास्ते पर ले जाती है. आज हम भले ही मौडर्न जमाने में जीने की बातें करते हों, फिर भी समाज में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हैं कि लोग कई बार इलाज कराने के बदले तंत्रमंत्र के चक्कर में पड़ जाते हैं और आखिर में नतीजा उन की बरबादी के रूप में ही सामने आता है.

एक ऐसे ही मामले में गरीब आटोरिकशा ड्राइवर को पैर की बीमारी से पीडि़त अपनी पत्नी का 6 महीने तक इलाज कराने पर भी जब कोई नतीजा हाथ न लगा, तो उस ने तंत्रमंत्र का सहारा लिया, जो उस की पत्नी के लिए जानलेवा साबित हुआ.

दरअसल, आनंदनगर चार रास्ता के कृष्ण अपार्टमैंट्स में रहने वाले देशराजभाई सरोज की पत्नी खुशियाल

6 महीने से पैर के दर्द से परेशान थी. पहले तो फैमिली डाक्टर से दवा ली, बाद में प्राइवेट अस्पताल मेें इलाज कराया, लेकिन पैर के दर्द से राहत न मिली.

इस से देशराज और खुशियाल बहुत परेशान हो गए. इस दौरान उन को किसी ने बताया कि शायद गठिया का दर्द होगा. उन को पता चला कि जूना वाडज में गठिया की बीमारी का इलाज होता है.

देशराज अपनी पत्नी खुशियाल को रविवार के दिन सुबह जूना वाडज में गठिया के इलाज के लिए ले गया. वहां मिले आदमी ने खुशियाल को शाहपुर में कालू शहीद की दरगाह पर ले जाने की सलाह दी.

देशराज और खुशियाल को तो जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया. कालू शहीद की दरगाह पर खुशियाल के ऊपर तंत्रमंत्र का काम शुरू हो गया.

खुशियाल को एक कमरे में ले जाया गया. कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया. बाद में अंदर जलते कोयले में लाल रंग का कोई पाउडर डाल कर इलाज  शुरू हुआ.

इस दौरान खुशियाल बेहोश हो गई. थोड़ी देर बाद उस आदमी ने खुशियाल को घर ले जाने को कहा और यह भी कहा कि वह जल्दी ही ठीक हो जाएगी.

देशराज अपनी पत्नी खुशियाल को आटोरिकशा में घर ले जा रहा था, तब रास्ते में ही उस की हालत बिगड़ने लगी.

खुशियाल का इलाज पहले जिस अस्पताल में चल रहा था, उसे वहां ले जाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर ने खुशियाल को मरा हुआ बता दिया.

यह सुन कर देशराज की तो मानो दुनिया ही लुट गई. अपनी पत्नी की मौत से दुखी और गुस्साए देशराज ने आनंदनगर पुलिस स्टेशन में तंत्रमंत्र करने वाले शख्स के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई.

देशराज को इंसाफ मिलेगा या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन उस ने तंत्रमंत्र के चक्कर में पड़ कर अपनी पत्नी को जरूर खो दिया.

4 साल के बच्चे का कत्ल, कातिल जान कर उड़ जाएंगे होश

Crime News in Hindi: 39 साल की सूचना सेठ 6 जनवरी को गोवा के सोल बनयान ग्रांडे होटल में अपने 4 साल के बेटे के साथ आई थीं. 8 जनवरी को जब उन्होंने होटल से चैकआउट किया, तब उन का बेटा साथ नहीं था. होटल स्टाफ ने बेटे के बारे में पूछा तो सूचना सेठ ने कहा कि वह गोवा के फातोर्डा में एक रिश्तेदार के घर पर है. इस के बाद सूचना सेठ ने रिसैप्शनिस्ट से कहा कि वह उन के लिए बैंगलुरु जाने के लिए कोई टैक्सी बुक करवा दे. रिसैप्शनिस्ट ने कहा कि टैक्सी महंगी पड़ेगी, आप फ्लाइट ले कर चली जाइए, वह सस्ती होगी.

मगर सूचना सेठ ने बाई रोड जाने पर ही जोर दिया तो उन के लिए एक कैब बुक करा दी गई. सूचना सेठ अपना सामान ले कर निकलीं. उधर हाउसकीपिंग स्टाफ जब उन का छोड़ा गया कमरा साफ करने पहुंचा, तो उस को वहां खून के धब्बे मिले.

स्टाफ ने इस की सूचना होटल के मालिक को दी और मालिक ने तुरंत पुलिस को बता दिया. पुलिस ने उस कैब ड्राइवर को फोन लगाया और कोंकणी भाषा में बात करते हुए उस से कहा कि जिन मैडम को वह ले कर जा रहा है उन्हें बताए बिना वह कैब को कर्नाटक के चित्रदुर्ग पुलिस स्टेशन ले जाए.

ड्राइवर ने पुलिस के कहे मुताबिक गाड़ी पुलिस स्टेशन पर ला कर खड़ी कर दी, जहां सूचना सेठ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन के सामान की तलाशी लेने पर उस के बच्चे की लाश पुलिस को उस के एक बैग में मिली.

सूचना सेठ ने अपने बच्चे की हत्या क्यों की? इस सवाल के जवाब में जो कहानी निकल कर आई वह एक ऐसी औरत को सामने लाती है जो एक तरफ बहुत पढ़ीलिखी, मेहनती और समाज में अपनी हैसियत रखने वाली औरत है, तो वहीं दूसरी तरफ वह सामाजिक और पारिवारिक चक्रव्यूह में फंसी, टूटन, तनाव, गुस्से, बेइज्जती, नफरत, झगड़े, कानूनी पचड़े में घिरी औरत, जिस के अंदर अपने पति से बदला लेने का लावा उबाल मार रहा था, जिस के चलते उन्होंने अपने बेटे को मौत की नींद सुला दिया.

हत्या की वजह जानने से पहले सूचना सेठ की पढ़ाईलिखाई पर एक नजर डालते हैं. वे एक एथिक ऐक्सपर्ट (नैतिकता विशेषज्ञ) और डाटा वैज्ञानिक है, जिन के पास डाटा विज्ञान टीमों को सलाह देने और स्टार्टअप व उद्योग अनुसंधान प्रयोगशालाओं में मशीन लर्निंग समाधानों को स्केल करने का 12 साल से ज्यादा का अनुभव है. वे एआई ऐथिक्स लिस्ट में 100 प्रतिभाशाली महिलाओं में से एक हैं. वे डाटा ऐंड सोसाइटी में मोजिला फैलो, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बर्कमैन क्लेन सैंटर में फैलो और रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट में रिसर्च फैलो रही हैं और उन के पास प्राकृतिक भाषा (नैचुरल लैंग्वेज) प्रसंस्करण में पेटेंट भी है. ऐसी प्रतिभाशाली लड़की की शादी साल 2010 में वेंकटरमन से हुई थी, जो एक एआई डैवलपर हैं.

शादी के बाद दोनों में वैसी ही नोकझोंक चलती रही जैसी आमतौर पर भारतीय घरों में होती है. शादी के 9 साल बाद 2019 में सूचना सेठ ने एक बेटे को जन्म दिया. मगर बेटे के जन्म के बाद से पतिपत्नी में झगड़े काफी बढ़ गए. साल 2020 से सूचना सेठ और उस के पति के वेंकटरमन के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि दोनों ने तलाक ले लिया.

कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी सूचना सेठ को दी और आदेश दिया था कि वेंकटरमन अपने बच्चे से हर रविवार को मिल सकते हैं. मगर सूचना अपने पति वेंकटरमन से इतनी नफरत करने लगी थीं कि वे नहीं चाहती थीं कि वेंकटरमन अपने बेटे से मिलने आएं और उन की नजरों के सामने पड़ें.

इस नफरत ने सूचना सेठ की अक्ल बंद कर दी और वे एक ऐसे घिनौने अपराध की तरफ बढ़ गईं, जिस को सुन कर एकदम मुंह से यही निकलता है कि यह कैसी मां है?

न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी कहावत को सच साबित करते हुए सूचना सेठ ने बच्चे को ही खत्म करने का भयावह प्लान बना डाला. उन्होंने अपने बेटे को गोवा घुमाने का लालच दिया. 4 साल का मासूम बच्चा घूमने की बात सुन कर खुश हो उठा.

सूचना सेठ बेटे को साथ ले कर गोवा गईं और वहां होटल के कमरे में उस का कत्ल कर के लाश ठिकाने लगाने के मकसद से बैग में भर कर टैक्सी से बैंगलुरु के लिए रवाना हो गईं. यह तो होटल स्टाफ की तेजतर्रारी काम आ गई और सूचना सेठ को बीच राह में ही पुलिस ने लाश के साथ दबोच लिया.

यह आपराधिक वारदात भारतीय समाज में विवाह संस्था में भर चुकी सड़ांध, इनसान की नैतिक गिरावट और आपसी टकराव को उजागर करती है. ऐसी तमाम बातें भारतीय समाज में बहुत तेजी से बढ़ रही हैं जहां मांबाप के बीच चल रहे झगड़े का खमियाजा उन के मासूम बच्चों को उठाना पड़ रहा है.

मांबाप की रोजरोज की लड़ाइयों का ही असर है कि उन के बच्चे उग्र स्वभाव के और आपराधिक हरकतों से जुड़ जाते हैं. घर के सदस्यों के बीच का तनाव बच्चों को शराब और ड्रग्स की तरफ धकेल रहा है.

फेसबुक फ्रैंड की घर में घुस कर की बेरहमी से हत्या

रोज की तरह 27 सितंबर, 2016 की सुबह भी किरण रावत उठ कर अपने कामकाज में लग गई थीं. कोई 6 बजे उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो उन्हें हैरानी हुई कि इतने सवेरे किस ने फोन कर दिया. लेकिन जब स्क्रीन पर नंबर देखा तो वह चौंकी भी और परेशान भी हुईं कि कैसा कम्बख्त और बेशर्म लड़का है, जो हाथ धो कर पीछे पड़ गया है. फोन रिसीव न करना और काट देना उन्हें ठीक नहीं लगा, क्योंकि वह जानती थीं कि लड़का दोबारा ही नहीं, न उठाने तक फोन करता रहेगा. लिहाजा मन मार कर उन्होंने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘आंटी, मैं अमित बोल रहा हूं और अभीअभी गूजरखेड़ा से आया हूं. प्लीज एक बार आप मुझे प्रिया से 5 मिनट बातें कर लेने दें, उस के बाद मैं कभी उसे या आप को फोन नहीं करूंगा.’’ किरण पसोपेश में पड़ गईं कि क्या करें? अमित के फोन सुन कर वह खुद भी तंग आ चुकी थीं. हर बार घिसे हुए रिकार्ड की तरह गिड़गिड़ा कर वह एक ही बात की रट लगाए रहता था. अमित के बारे में वह उतना ही जानती थीं, जितना उन की बेटी प्रिया ने उन्हें बताया था.

17 साल की प्रिया होनहार छात्रा थी. इन दिनों वह आईआईटी की तैयारी कर रही थी. उस ने अमित के बारे में मां से कुछ भी नहीं छिपाया था. वह उस का फेसबुक फ्रैंड जरूर था, लेकिन फ्रौड था. उस ने प्रियांशी के नाम से अपना फेसबुक एकाउंट बना कर उसे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. उस ने अमित को प्रियांशी नाम की लड़की समझ कर उस की फ्रैंड रिक्वैस्ट ऐक्सैप्ट कर ली थी. प्रिया अमित को लड़की समझ कर उस से कुछ महीनों तक चैटिंग भी करती रही. उसी बीच उस ने खुद का और मां का मोबाइल नंबर उसे दे दिया था. लेकिन जब उसे प्रियांशी यानी अमित की हकीकत पता चली तो उस ने उसे ब्लौक कर दिया. ब्लौक किए जाने के बाद अमित उसे मोबाइल पर फोन ही नहीं करने लगा, बल्कि प्यार का इजहार भी कर दिया.

प्रिया के लिए यह परेशानी वाली बात थी. वह इस बात पर खार खाए बैठी थी कि पहले तो अमित ने फेक एकाउंट के माध्यम से उस से दोस्ती गांठी और जब वास्तविकता सामने आई तो फोन पर प्यार का इजहार करने लगा. अमित के इस दुस्साहस से नाराज प्रिया ने उसे जम कर लताड़ा और आइंदा कभी फोन न करने की हिदायत दी. अमित नहीं माना और फोन न उठाने पर मैसेज करने लगा. इस से प्रिया को लगा कि यह सिरफिरा मानने वाला नहीं है, इसलिए उस ने उस पर ध्यान देना बंद कर दिया और पढ़ाई में मन लगाने लगी. जब प्रिया अनदेखी करने लगी तो अमित उस की मां किरण को फोन करने लगा.

उन से उस ने अपनी मनोस्थिति बताई कि जब से प्रिया ने उस से फोन पर बात करना बंद कर दिया है, तब से वह काफी तनाव में रहता है. उस तनाव में उस का सिर फटने लगता है. अगर वह एक बार आमनेसामने बैठा कर प्रिया से बात करा दें तो शायद उस की परेशानी दूर हो जाए. शुरूशुरू में तो सख्ती दिखाते हुए किरण ने बात कराने से मना कर दिया था, पर जब अमित के फोन बारबार आने लगे तो उन्हें लगा कि यह लड़का एकतरफा प्यार और गलतफहमी का शिकार हो गया है. ऐसे में अगर उस की इच्छा या जिद पूरी नहीं की गई तो वह इसी तरह प्रिया को ही नहीं, उन्हें भी परेशान करता रहेगा. 27 सितंबर, 2016 की सुबह जब अमित का फोन आया तो किरण ने सोचा कि आखिर इस अमित नाम की गले पड़ी मुसीबत से एक बार बात करने में हर्ज ही क्या है? लिहाजा उन्होंने उसे घर आने की इजाजत इस शर्त के साथ दे दी कि उसे जो भी बात करनी है, वह खिड़की से होगी. अमित इस पर भी तैयार हो गया और ठीक साढ़े 10 बजे उन के घर पहुंच गया.

किरण पेशे से ब्यूटीशियन हैं और उन के पति श्यामबिहारी एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में काम करते हैं. प्रिया इन दोनों की एकलौती बेटी थी. वह काफी होशियार और समझदार थी. उस का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और कैरियर पर रहता था. इंजीनियर बनने की अपनी तमन्ना पूरी करने के लिए वह एलेन कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग भी ले रही थी. गीतानगर इंदौर का रिहायशी इलाका है. इस के कृष्णानगर अपार्टमेंट के थर्ड फ्लोर पर 3 सदस्यों वाला यह रावत परिवार सुकून से रह रहा था. हंसमुख और सुंदर प्रिया का ज्यादातर समय पढ़ाई में बीतता था. दिन में कुछ वक्त वह सोशल मीडिया, उस में भी फेसबुक पर बिता लेती थी.

फेसबुक इस्तेमाल करते समय क्याक्या सावधानियां रखी जानी चाहिए, उन्हें वह जानती थी. इसलिए अंजान लोगों और लड़कों से वह दोस्ती नहीं करती थी. पर वह अमित को प्रियांशी समझने की भूल कर बैठी, जिसे समय रहते उस ने अपने हिसाब से सुधार भी लिया था. लेकिन अमित से चैटिंग के दौरान प्रिया ने कुछ अंतरंग बातें कर ली थीं, जो स्वाभाविक भी थीं, क्योंकि वह तो उसे प्रियांशी नाम की लड़की और सहेली समझ रही थी. साढ़े 10 बजे कालबैल बजी तो किरण को समझते देर नहीं लगी कि अमित आ गया है. उन्होंने दरवाजा खोला और उसे देख कर रूखी आवाज में कहा, ‘‘जो भी बात करनी है, बाहर से और जल्दी करो.’’ पेशे से सौफ्टवेयर इंजीनियर 24 साल के अमित को इतना तो पता था कि जिस विनम्रता से वह अपनी प्रेमिका के घर के दरवाजे तक आ पहुंचा है, उसी का सहारा ले कर वह अंदर भी जा सकता है और ऐसा हुआ भी. उस ने गिड़गिड़ाते हुए गुजारिश की कि ज्यादा नहीं, वह सिर्फ 5 मिनट लेगा, इसलिए उसे अंदर आ कर इत्मीनान से बात कर लेने दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

किरण चूंकि अपने घर में थीं, इसलिए उन्हें किसी तरह का खतरा अमित से महसूस नहीं हुआ. क्योंकि वह देखने में ठीकठाक यानी शरीफ लग रहा था. उन का सोचना था कि एक बार यह प्रिया से बात कर लेगा तो इस की गलतफहमी या जिज्ञासा, जो भी है, खत्म हो जाएगी, इस के बाद हमेशा के लिए उस का इस बला से पिंड छूट जाएगा. यही सोच कर उन्होंने अमित को अंदर आने दिया. तब उन्हें कतई इस बात का अहसास नहीं था कि इस मासूम से चेहरे के पीछे हैवानियत और वहशीपन छिपा है. वह उन का घर उजाड़ने की मंशा से आया है. उस की मंशा कुछ और है. अंदर आ कर खुद को बेचैन दिखाते हुए अमित ने बाथरूम जाने की बात कही तो भी किरण को उस के खतरनाक मंसूबे का पता नहीं चला कि उन्होंने महज शिष्टाचार निभाते हुए कितनी बड़ी आफत मोल ले ली. इजाजत पा कर अमित बाथरूम की तरफ लगभग भागा तो वह ड्राइंगरूम में उस के वापस आने का इंतजार करने लगीं कि वह आए और अपनी बात कह कर जाए.

फ्लैट के भूगोल से अंजान अमित जाने कैसे प्रिया के कमरे तक पहुंच गया. उस समय वह स्कूल जाने के लिए अपना बैग तैयार कर रही थी. वह दबे पांव प्रिया के पीछे पहुंचा और साथ लाया चाकू निकाल कर उस के ऊपर हमला कर दिया. अचानक हुए हमले से प्रिया चीखी तो उस की चीख सुन कर किसी अनहोनी की आशंका से घबराईं किरण उस के कमरे की तरफ भागीं. अंदर अमित प्रिया पर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर रहा था. उस हालत में यह सोचने का समय नहीं था कि क्या किया जाए, इसलिए बगैर समय गंवाए किरण ने बेटी को बचाने की कोशिश की तो अमित ने उन पर भी हमला कर दिया. मां के आने पर मौका मिला तो प्रिया खुद को बचाने के लिए बाथरूम में घुस गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

किरण और प्रिया की चीखें सुन कर अपार्टमेंट के लोग उन के फ्लैट की तरफ भागे तो उन्होंने देखा कि एक लड़का हाथ में चाकू लिए भाग रहा है. अमित अभी सैकेंड फ्लोर तक ही आ पाया था कि उसे नीचे से भी लोग आते दिखे. उसे लगा कि लोगों ने उसे देख लिया है. अगर वह भीड़ के हत्थे चढ़ गया तो खासी धुनाई होगी. लिहाजा बचने की गरज से उस ने दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी. पड़ोसी जब किरण के फ्लैट पर पहुंचे तो जल्द ही वहां की स्थिति उन की समझ में आ गई. किरण के इशारे पर वे बाथरूम की तरफ भागे और दरवाजा तोड़ा तो प्रिया मरणासन्न हालत में पड़ी थी. उस के शरीर का काफी खून बह गया था. लोग उसे कार में डाल कर अस्पताल के लिए भागे. इसी बीच किसी ने फोन से इस घटना की खबर पुलिस को कर दी थी. इंदौर के सुयश अस्पताल में प्रिया का इलाज शुरू हुआ. लेकिन इलाज के दौरान ही उस ने दम तोड़ दिया. अमित ने उस की पीठ, पेट, आंख, कान, गले और सीने पर लगभग दर्जन भर वार किए थे. श्यामबिहारी को जब एकलौती बेटी की हत्या की सूचना मिली तो वह बेहोश हो गए.

अमित दूसरी मंजिल से कूदा तो फिर उठ नहीं सका. उस के हाथपैर में फ्रैक्चर हो गया. उसे गिरफ्तार कर के एम.वाय. अस्पताल में इलाज के लिए भरती कराया गया. वह पूरे होश में था. उस के चेहरे पर डर या पछतावा जैसी कोई चीज नहीं थी. लगता था, वह यही करना चाहता था. प्रिया की हत्या ही उस का मकसद था. गूजरखेड़ा गांव के रहने वाले अमित की फ्रैंडसर्किल कोई बहुत बड़ी नहीं थी, लेकिन सोशल मीडिया की उस की दुनिया काफी बड़ी थी. वह दिनरात स्मार्टफोन से चिपके हुए चैटिंग करता रहता था. लड़कियों से दोस्ती करने की गरज से उस ने प्रियांशी के नाम से एकाउंट बना कर तमाम लड़कियों से दोस्ती कर ली थी. प्रिया से दोस्ती की जगह प्यार हो गया तो उस ने उस से दिल की बात कह डाली. लेकिन प्रिया ने उस धोखेबाज को झिड़क दिया तो एकतरफा प्यार की गिरफ्त में आए इस सिरफिरे ने उसे दुनिया से ही विदा कर दिया.

पूछताछ में अपने बचाव के मकसद से अमित गोलमोल जवाब देता रहा. वह अपने पिता सुनील यादव से झूठ बोल कर निकला था कि इंटरव्यू देने जा रहा है. वह पुलिस से यह कह कर उसे भ्रमित करने की कोशिश कर रहा था कि जब वह प्रिया के कमरे में पहुंचा तो वह उस पर ज्यादती का आरोप लगाने लगी. जबकि फोरैंसिक रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि प्रिया ने खुद पर कोई वार नहीं किया था. अमित का कहना था कि प्रिया ने उस का चाकू छीन कर खुद पर वार किए थे. एक दूसरा बयान उस ने यह भी दिया था कि उसे आशंका थी कि प्रिया के घर जाने पर उस के साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है, इसलिए उस ने ही खुद पुलिस को 100 नंबर पर फोन कर के बुलाया था.

किरण पर हमले की बात से मुकरते हुए उस ने कहा कि भागते हुए जब वह बीच में आ गईं तो हाथ में पकड़े चाकू से उन्हें जख्म हो गया. जबकि हकीकत यह थी कि अमित प्रिया से एकतरफा प्यार करने लगा था और उस के मना करने पर जलभुन गया था. फेसबुक की दोस्ती पर ऐसे अपराध अब आम हो चले हैं, जिन का शिकार प्रिया जैसी लड़कियां हो रही हैं. ऐसे में उन्हें और संभल कर रहने की जरूरत है. प्रिया उस का पहला प्यार था और उस के ठुकरा देने से वह उस से नफरत करने लगा था, जिस की वजह से उस ने एक हंसताखेलता घर उजाड़ दिया.

तीन दिन तक तीन युवकों ने लड़की के साथ किया लगातार बलात्कार

पंजाब के फतेहपुर थाना क्षेत्र की युवती को रेलवे स्टेशन से अगवा कर तीन युवकों ने तीन दिन तक बंधक बनाकर गैंगरेप किया, विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की. पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. पंजाब के फतेहपुर थाना क्षेत्र निवासी एक युवती तीन दिन पूर्व ट्रेन से कहीं जा रही थी.

सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुकने के बाद वह कुछ खरीदने के लिए उतरी, तभी ट्रेन चल दी और वह ट्रेन नहीं पकड़ सकी. काफी देर तक वह रेलवे स्टेशन पर घूमती रही. आरोप है कि इसी दौरान तीन युवक उसके पास आए और उसे बस में बैठाने के बहाने अपने साथ ले गए.

आरोप है कि थाना जनकपुरी क्षेत्र के एक मोहल्ले में ले जाकर उसे एक कमरे में बंद कर दिया और तीन दिन तक उसके साथ दुष्कर्म किया. किसी प्रकार वह उनके चंगुल से छूटकर थाना पहुंची और मामले की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी.

सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर दबिश देकर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दो आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है. एसपी सिटी पीपी सिंह का कहना है कि पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है. अभी आरोपी से पूछताछ की जा रही है. युवती को कहां बंधक बनाकर रखा गया और युवती इनके साथ क्यों गई इसकी भी जानकारी की जा रही है.

भ्रष्ट पटवारी सब पर भारी

इस सामूहिक हत्याकांड ने एक नई बहस खड़ी कर दी है कि क्या इनसान के जान की कीमत जमीन के टुकड़े से भी कम है? लेकिन इस से बड़ा एक सवाल यह है कि गांवदेहात में जमीन से जुड़े विवाद पैदा ही क्यों होते हैं?

इन विवादों के पीछे ज्यादातर जमीनों का हिसाबकिताब रखने वाला वह मुलाजिम होता है जिसे अलगअलग जगहों पर लेखपाल या पटवारी के नाम से जाना जाता है. ये पटवारी चंद रुपयों के लालच में दबंगों और पहुंच वालों के साथ मिल कर किसी भी जमीन को विवादित बना देते हैं. एक बार जमीन के विवादित होने की दशा में किसान की कोर्ट के चक्कर लगातेलगाते चप्पलें घिस जाती हैं. पटवारियों द्वारा विवादित की गई जमीन के चक्कर में पीढि़यां दर पीढि़यां मुकदमे झेलने को मजबूर होती हैं. कई बार तो बेकुसूरों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है.

चंद रुपयों के लिए पटवारी किसी भी जमीन को कैसे विवादित बना देते हैं, इस की बानगी हम सिद्धार्थनगर के डंडवा पांडेय गांव की 2 बहनों के मामले में देख सकते हैं.

अनीता और सरिता नाम की इन 2 बहनों के मांबाप की मौत पहले ही हो चुकी थी. एक भाई था जिस की मौत भी बाद में गंभीर बीमारी के चलते हो गई. ऐसे में कानूनी रूप से मांबाप की सारी जायदाद इन दोनों बहनों को मिलनी थी, लेकिन जो काम आसानी से होना था उसे यहां के 2 पटवारियों ने पैसों के लालच में विवादित बना दिया.

छोटी बहन अनीता के ससुर रवींद्रनाथ तिवारी ने जब पटवारी से दोनों बहनों के नाम उन जमीनों को करने की बात कही तो पटवारी अजय कुमार गुप्ता ने इस के एवज में पैसे की मांग की. लेकिन इन दोनों बहनों की तरफ से पैसे नहीं मिलने की दशा में उस ने पड़ोसियों से पैसे ले कर जमीन उन के नाम करने का लालच दिया और जमीन को विवादित बना दिया.

ससुर रवींद्रनाथ तिवारी ने बताया कि पटवारी अजय कुमार गुप्ता ने उन से एक लाख रुपए की मांग की थी लेकिन उतने पैसे न होने के चलते उस ने जमीन को विवादित बना दिया. अब उन्हें आएदिन कोर्ट और तहसील के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

दूसरे पटवारी रत्नाकर को इन लड़कियों के नाम घर करना था. उस ने इन से 2,000 रुपए वरासत के ले लिए. उस के बावजूद उस पटवारी द्वारा वरासत नहीं की गई, जबकि मांबाप की मौत के बाद कानूनन यह जमीन इन दोनों लड़कियों को मिलनी है.

नहीं रहता डर

जमीनों का हिसाबकिताब रखने वाले पटवारियों को अपने से बड़े अफसरों का भी डर नहीं होता है. ये उन के आदेश को भी ठेंगा दिखा देते हैं. जब कभी बड़े अफसर इन पटवारियों पर कार्यवाही करने की हिम्मत जुटाते भी हैं तो पटवारियों की यूनियन धरने पर बैठ जाती है, इसलिए कामकाज ठप होने के चलते बड़े अफसर भी कार्यवाही करने से बचते हैं.

सरिता और अनीता ने जब सभी जरूरी कागजात के आधार पर वरासत न होने पर स्थानीय एसडीएम से मिल कर शिकायत की तो एसडीएम ने वरासत किए जाने का आदेश भी दिया लेकिन पटवारी अजय कुमार गुप्ता ने एसडीएम के आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया.

मजबूत है गठजोड़

अनीता और सरिता का मामला बानगीभर है. पटवारियों द्वारा रिश्वत के लालच में भोलेभाले लोगों को परेशान करना अब आम बात होती जा रही है. ये पटवारी किसी भी आम इनसान की जमीन के भूमाफिया से गठजोड़ कर मोटी रिश्वत के लालच में फर्जी कागजात तैयार कर डालते हैं और फिर उन कागजात के दम पर भूमाफिया दूसरे की जमीनों पर कब्जा कर बैठते हैं.

रिश्वतखोरी बिना काम नहीं

किसी का फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाना हो, जमीन से जुड़े कागजात लेने हों, जमीन की पैमाइश करानी हो तो लेखपाल यानी पटवारी बिना रिश्वत के कोई भी काम नहीं करते हैं. ऐसे कई मामले हैं जिन में नियमकानून को ताक पर रख कर रिश्वत के दम पर काम किया जाता है.

ऐसा ही एक मामला बस्ती जिले की हरैया तहसील के पटवारी घनश्याम चौधरी द्वारा किया गया, जिस ने शासनादेश की आड़ में 3 अनुसूचित जाति के और 2 पिछड़ी जातियों के लोगों को अनुसूचित जनजाति के होने की फर्जी रिपोर्ट लगा कर तहसील में भेज दी.

पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर आंख मूंद कर जिम्मेदारों ने अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया. इस मामले की जानकारी जन सूचना अधिकार कानून से मिली.

इसी तरह पटवारी रानी वर्मा द्वारा किसान सम्मान निधि योजना की पत्रावली बनाने के नाम पर हरैया तहसील के ही अमारी बाजार के किसानों से खुलेआम पैसा वसूले जाने के मामले का वीडियो वायरल हुआ. इस की जांच की गई तो मामला सही पाया गया. इस के बाद पटवारी रानी वर्मा को निलंबित कर दिया गया.

जिंदा को बना दें मुरदा

अगर किसी जिंदा को मुरदा साबित करना हो तो पटवारी से बढि़या उदाहरण कोई नहीं हो सकता है. ऐसा ही एक मामला बस्ती जिले के गौर ब्लौक के बुढ़ौवा गांव का है. यहां के रहने वाले छोटेलाल कई महीने से अफसरों की चौखट पर सिर पटक रहे हैं. इस का कारण बस इतना है कि उन्हें उसी गांव के पटवारी ने मरा दिखा कर उन की गाटा संख्या 47 की तकरीबन 40 बीघा जमीन गांव के ही रविंद्र कुमार, विधाराम यादव व सीतापति के नाम कर दी.

यही नहीं, इस जमीन का दाखिल और खारिज भी 22 अक्तूबर, 2018 में हो चुका है. इस मामले की जानकारी छोटेलाल को उस समय लगी जब वे खतौनी लेने पहुंचे. जमीन किसी दूसरे के नाम दर्ज होने पर उन के पैरों तले की जमीन खिसक गई. तकरीबन 8 महीने से जमीन वापस अपने नाम कराने और खुद को जिंदा साबित करने के लिए वे पटवारी से ले कर तहसील तक के चक्कर लगा रहे हैं.

बिना रिश्वत नहीं काम रिपोर्ट

गांवदेहात लैवल पर अगर किसी किसान की किसी आपदा से मौत हो जाए, आपदा से माली नुकसान हो, शादीब्याह का अनुदान हो, इन सभी मामलों में जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी पटवारी की होती है. उस की रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाता है कि जिसे सरकारी सहायता यानी अनुदान दिया जाना है, वह शख्स सरकारी सहायता हासिल करने की श्रेणी में है भी या नहीं.

लेकिन पटवारी सरकारी सहायता हासिल करने योग्य पात्र लोगों से भी बिना पैसा लिए कोई काम नहीं करते हैं. ऐसे में जो लोग पटवारियों को रिश्वत देने में सक्षम नहीं होते हैं, वे पात्र होते हुए भी सरकारी सहायता हासिल नहीं कर पाते हैं.

पीड़ितों की सुनें

डाक्टर एसके सिंह ने बताया कि बस्ती जिले की रुधौली तहसील में एक पटवारी अंजनी नंदन, जो तकरीबन 13 साल से तहसील में जमा हुआ है, उसे अभी तक रिलीव नहीं किया गया है जबकि उस का ट्रांसफर दूसरी जगह किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि भूमाफिया को अवैधानिक कब्जा कराने के आरोपी व विवादित चल रहे पटवारी के साथ ही तहसीलदार की भूमिका भी संदिग्ध है.

अंजनी नंदन नाम के इस पटवारी के ऊपर कई गंभीर आरोप भी हैं, जिन में भूमाफिया की मिलीभगत से जमीनों के नक्शे में फेरबदल करने से ले कर अवैध कब्जा कराने तक की कई लिखित शिकायतें शामिल हैं.

इस पटवारी को तहसील प्रशासन व स्थानीय स्तर की राजनीतिक इकाइयां बचाने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं. पटवारी के ट्रांसफर को रोकने के पीछे का बड़ा मकसद भ्रष्ट अफसर और स्थानीय नेताओं की आमदनी में कमी हो जाना बताया जाता है.

रुधौली तहसील में पटवारी द्वारा जमीनों के अभिलेखों में फेरबदल कर के मोटी रकम की कमाई करने के भी आरोप लग चुके हैं.

रुधौली तहसील क्षेत्र के गांव कैडिहा के गाटा संख्या 38 के नक्शे में संशोधन व बटा कटाने की अवैधानिक प्रक्रिया के तहत व्यापक धांधली कर के भूमाफिया को गैरकानूनी कब्जा कराने का काम भी इसी लेखपाल के समय में हो चुका है, जिस की शिकायत तहसील समाधान दिवस पर की गई थी.

भदोही जिले के रहने वाले रमेश दुबे ने बताया कि जमुनीपुर अठगवां मोढ़, भदोही का पटवारी शुभम ओझा ने मोटी रिश्वत न मिलने के चक्कर में पूरे गांव के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. अभी वह नयानया पटवारी नियुक्त हुआ है, इस के बावजूद उस ने गरीबों का जीना मुश्किल किया हुआ है.

इस मसले में रमेश दुबे ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से ले कर सभी बड़े अफसरों से इस पटवारी की शिकायत की है, जिस के बाद उस पटवारी ने पूरे गांव को सरकारी जमीन पर बसा होने का आरोप लगाते हुए एकतरफा आरसी जारी करा दिया.

जमीनी मामलों में हत्याओं पर अगर नजर डाली जाए तो इस विवाद की शुरुआत पटवारी द्वारा रिश्वत ले कर किए गए जमीनी कागजात में हेरफेर का नतीजा होता है.

सोनभद्र जिले के गांव उभ्भा में जमीन के पीछे हुई 10 हत्याओं में अगर पटवारी ने सही भूमिका निभाई होती तो आज 10 लोग जिंदा होते.

लेखपालों यानी पटवारियों की रिश्वतखोरी व बढ़ते जमीनी विवादों को अगर रोकना है तो सरकार को राजस्व से जुड़े कानूनों में बदलाव करना चाहिए और कुसूरवार पाए जाने वाले पटवारियों को नौकरी से बरखास्त कर उन्हें सख्त सजा देनी चाहिए, तभी आम जनता इन रिश्वतखोरों से नजात पाएगी.

Crime: गुमनामी में मरा अरबपति

ऐसा कर के अपने धन, एकाउंट या महत्त्वपूर्ण चीजों को सुरक्षित तो किया जा सकता है, लेकिन फिजिकली एक्सेस करने वाले के न रहने पर लौक खोलना आसान नहीं होता. इसी चक्कर में कनाडा के अरबपति जेराल्ड की 1359 करोड़ रुपए की करेंसी फंस गई…  शक नाडा की सब से बड़ी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज कंपनी क्वाड्रिगा सीएक्स के सीईओ जेराल्ड कौटेन की जयपुर के एक निजी अस्पताल में गुमनाम मौत हो गई. इस कंपनी के संस्थापक जेराल्ड 30 साल के थे. बीते 9 दिसंबर को हुई जेराल्ड की मौत का कारण आंत की गंभीर बीमारी बताया जा रहा है. वे भारत में अनाथालय खोलने आए थे और जयपुर में जगह तलाश रहे थे. जेराल्ड की मौत के बाद उन की कंपनी क्वाड्रिगा सीएक्स की 19 करोड़ डौलर यानी करीब 1359 करोड़ रुपए कीमत की करेंसी फंस गई है.

यह क्रिप्टो करेंसी जेराल्ड के लैपटौप में बंद है और उस का पासवर्ड किसी को पता नहीं है. इतने अमीर आदमी की मौत का किसी को पता नहीं चल सका तो इस की वजह यह थी कि जयपुर में उन्हें कोई नहीं जानता था. 31 जनवरी को जेराल्ड की पत्नी जेनिफर रौबर्टसन और कंपनी ने कनाडा की अदालत में क्रेडिट अपील दायर की कि वे जेराल्ड के एनक्रिप्टेड एकाउंट को अनलौक नहीं कर पा रहे हैं. इस के बाद ही दुनिया को जेराल्ड की मौत का पता चला.

जयपुर प्रवास के दौरान जेराल्ड की एक होटल में अचानक तबीयत बिगड़ गई थी. इस के बाद उन्हें मालवीय नगर स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां 2 घंटे बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. वह गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचे थे. यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में चल रहा है. इसलिए अस्पताल के अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं. दूसरी ओर राजस्थान सरकार ने जेराल्ड का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया है.

इस मामले में जवाहर सर्किल थानाप्रभारी अनूप सिंह का कहना है कि विदेशी जेराल्ड की मौत की जानकारी निजी अस्पताल से आई थी. मौत बीमारी के कारण हुई थी, इसलिए केस दर्ज नहीं किया गया.

जेराल्ड की पत्नी जेनिफर की ओर से अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुसार, क्वाड्रिगा सीएक्स कंपनी के दुनिया भर में 3 लाख 63 हजार यूजर्स हैं. जेराल्ड के मुख्य कंप्यूटर में क्रिप्टो करेंसी का एक कोल्ड वौलेट था, जिसे केवल फिजिकली एक्सेस किया जा सकता है. यह औनलाइन नहीं है. जेराल्ड ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन के पास इस कंपनी के वौलेट के पासवर्ड थे. जेराल्ड के निधन के कारण क्रिप्टो करेंसी लौक हो गई है.

इस बीच कुछ लोग सोशल मीडिया पर जेराल्ड की मौत पर संदेह जता रहे हैं. यह धोखाधड़ी का मामला होने की भी आशंका जताई जा रही है. सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर बीमारी थी तो जेराल्ड भारत क्यों आए? उन्होंने अपना इलाज कनाडा में क्यों नहीं कराया?

हालांकि जेराल्ड की पत्नी जेनिफर ने कहा कि जेराल्ड की मौत स्वाभाविक है. दूसरी ओर कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि जेराड की मौत के कारण हम कंपनी के पास जमा बिटकौइन व अन्य डिजिटल करेंसी को एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं.

जेराल्ड का लैपटाप, ईमेल एड्रैस व मैसेजिंग सिस्टम सब कुछ एनक्रिप्टेड है. इसलिए पासवर्ड हासिल कर पाना लगभग असंभव हो रहा है. कंपनी इस वित्तीय संकट से निकलने का रास्ता तलाश रही है. कंपनी ने कहा कि उसे ब्रिटिश कोलंबिया स्थित नोवा स्कोटिया सुप्रीम कोर्ट में क्रेडिटर प्रोटेक्शन मिल गया है. यानी उस के खिलाफ फिलहाल कानूनी काररवाई नहीं की जा सकती.

क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज कंपनी क्वाड्रिगा के पास करीब 7 करोड़ कैनेडियन डौलर यानी करीब 380 करोड़ रुपए का कैश है, लेकिन बैंकिंग मुश्किलों के कारण क्रिप्टो करेंसी के एवज में इसे नहीं दिया जा सकता. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक क्वाड्रिगा के 3 लाख 63 हजार रजिस्टर्ड यूजर में से 92 हजार के एकाउंट में या तो क्रिप्टो करेंसी या फिर कैश के रूप में बैलेंस है.

वैसे जेराल्ड ने 27 नवंबर, 2018 को ही अपनी वसीयत पर दस्तखत किए थे, जिस में उन्होंने अपनी 96 लाख डौलर की कुल संपत्ति का वारिस पत्नी को ही बनाया था. वसीयत होने के 2 सप्ताह बाद ही जेराल्ड की मृत्यु होने पर संदेह पैदा होना स्वाभाविक है.

जेराल्ड की पत्नी जेनिफर ने कहा कि भारत स्थित कनाडाई उच्चायोग ने जेराल्ड की मौत की पुष्टि की है. मैं पासवर्ड या रिकवरी-की नहीं जानती हूं. घर में भी कई बार तलाशी ली लेकिन पासवर्ड कहीं पर भी लिखा नहीं मिला.

एक्सचेंज ने कई टेक एक्सपर्ट्स को जेराल्ड का लैपटाप हैक करने के लिए हायर किया है. लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली. कंपनी दूसरे एक्सचेंज की मदद से अपने यूजर्स की क्रिप्टो करेंसी को अनलौक करने की कोशिश भी कर रही है.

दरअसल, हैकिंग से बचने के लिए कोल्ड वौलेट में बिटकौइन जैसी मुद्रा को औफलाइन नेटवर्क पर रखा जाता है. इसे क्यूआर कोड से सुरक्षित करते हैं. हाल ही में एक जापानी कंपनी के बिटकौइन चोरी होने के बाद इस का प्रयोग बढ़ गया है. इस का एक्सेस सीमित होता है. कोल्ड वौलेट को यूएसपी ड्राइव में भी सिक्योर किया जा सकता है.

क्रिप्टो करेंसी के जानकारों का कहना है कि यह अपनी तरह का पहला मामला है, जहां कोल्ड वौलेट में इतने यूजर्स की करेंसी को लौक किया गया. वैसे कंपनियां यूजर्स के खाते में ही करेंसी अपलोड करती हैं.

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रोक के बावजूद क्रिप्टो करेंसी में भारतीयों ने करीब 13 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है. रिजर्व बैंक के अनुसार क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन को भारत में मान्यता नहीं दी गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में रोजाना करीब ढाई हजार लोग इस में निवेश करते हैं.

क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल या आभासी मुद्रा होती है, जिस का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता. इस मुद्रा को कई देशों ने मान्यता दे रखी है.

इस तरह की करेंसी को बेहद जटिल कोड से तैयार किया जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. जैसे रुपए, डौलर या पौंड मीडियम औफ ट्रांजैक्शन की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी को भी इस्तेमाल किया जा सकता है.द्य

 

Crime: सोशल मीडिया : महिलाएं और झूठ के धंधे का फंदा

Crime in Hindi: आज देश में शहर से गांव गलियों तक विस्तारित सोशल मीडिया के चंगुल में महिलाएं किस तरह फंस रही हैं. यह एक सोचनीय विषय बनकर हमारे सामने आ रहा है, देश में जाने कितनी ऐसी घटनाएं घटित हो चुकी हैं जिसमें पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं सोशल मीडिया के संजाल में फंस कर अपनी अस्मत, अपने गाढ़ी कमाई के लाखों रूपए दोनों हाथों से लूटा चुकी हैं. आज प्रश्न यही है कि आमतौर पर महिलाएं सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर अपेक्षाकृत अधिक क्यों फंसकर अपना सर्वस्व लुटा रही है. ऐसे क्या कारण है कि महिला फेसबुक में मित्रता करती है और आने वाले समय में बर्बाद हो जाती है. आखिर इस लूट का मनोविज्ञान क्या है?

क्या महिलाएं इसके लिए दोषी हैं… क्या महिलाएं इतनी भोली भाली एवं सहज हैं कि फेसबुक की सामान्य सी मित्रता में अपना सब कुछ दांव पर लगा देती हैं. आज सोचने वाला मसला यही है कि यह भयंकर दानव सदृश्य सोशल मीडिया क्यों और कैसे महिलाओं को अपना ग्रास बना रहा है. इसके लिए महिलाएं कैसे अपनी सुरक्षा करें. जैसा की सर्वविदित है फेसबुक एवं सोशल मीडिया का प्लेटफार्म सभी को अपनी और आकर्षित कर रहा है.

जहां यह मंच अपने आप में एक आकर्षण का विषय है, जहां यह हमें एक नई ऊर्जा प्रदान करता है. वहीं यह भी सच है कि छोटी सी चूक आप को बर्बाद कर सकती है इसी का उदाहरण है महिलाओं का सतत सोशल मीडिया के मंच पर शोषण एवं ठगी का शिकार बनना. आइए, आज इस गंभीर मसले पर एक विमर्श को समझे.

विदेशी ठगों की शिकार महिलाएं

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फेसबुक के जरिए महिलाओं को फंसाकर ठगी करने वाले विदेशी को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. आरोपी ने पार्सल से रकम के साथ जूते, बैग भेजने की बात कहते हुए प्रार्थियों से कुल 5 लाख 10 हजार रुपए की ठगी की थी.प्रार्थिया महिला ने थाना सिविल लाइन में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अगस्त 2019 में प्रार्थिया की दोस्ती फेसबुक के जरिए एलेक्स एंटोनी नामक व्यक्ति से हुई थी.

इसके बाद से दोनों के बीच बातचीत होती रहती थी. इसी दौरान एलेक्स एंटोनी ने प्रार्थिया को फोन पर कुछ आयटम जैसे- जूते, बैग और कुछ पैसे पार्सल करने की बात कही. इसके बाद पार्सल के क्लियरेंस के नाम पर, एंटी टेरेरिस्ट सर्टिफिकेट के नाम पर और फाइनेंस मिनिस्ट्री में टैक्स देने के नाम पर प्रार्थिया से कुल 5,10,000 की ठगी कर ली थी. इसके बाद भी रकम मांगे जाने पर प्रार्थिया को ठगी का अहसास हुआ. उसने आरोपियों के विरूद्ध थाना सिविल लाइन में अपराध पंजीबद्ध कराया.पुलिस ने धारा 420, 34 भादवि. का अपराध पंजीबद्ध मामले की जांच शुरू की.

जांच के लिए गठित पुलिस की विशेष टीम ने पूर्व में इसी तरह के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए नाइजीरियन गिरोह पर फोकस किया. आरोपियों एवं प्रार्थिया के मध्य फेसबुक के जिस आईडी व मैसेज तथा मोबाइल नंबरों के माध्यम से बातचीत हुई थी, उसका तकनीकी विश्लेषण करने के बाद आरोपी के लोकेशन का पता लगाया और थाना डाबरी क्षेत्र में निवास करने वाले नाइजीरियन नागरिक आरोपी क्रिस्टोफर को पकड़कर कड़ाई से पूछताछ की, जिसमें उसने प्रार्थिया को अपने झांसे में लेकर प्रलोभन देकर पैसे लेने की बात स्वीकार की. पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया है. वहीं यह भी तथ्य है कि छत्तीसगढ़ में ही ऐसी अनेक घटनाएं घटी हैं. हाल ही में राजनांदगांव में में भी एक पुलिस अधिकारी की पत्नी से लगभग 45 लाख रुपए की ठगी की घटना घटित हुई है.

महिला वर्ग: सावधान

फेसबुक सोशल मीडिया के मंच पर महिलाएं जिस कदर ठगी जा रही हैं. यह एक दुश्चिंता का विषय बना हुआ है.अक्सर यह खबरें आ रही हैं कि महिलाओं को फेसबुक पर लुभावने वादे करके ठगा जा रहा है दूसरी तरफ सोशल मीडिया में मित्रता करके महिलाओं के साथ उनके दैहिक शोषण की घटनाओं में भी अचानक वृद्धि हो गई है.

इस संदर्भ में पुलिस अधिकारी इंद्र भूषण सिंह कहते हैं -इसका सहज सरल कारण है महिलाओं का भोलापन, वे मीठी- मीठी बातों में पुरुषों की अपेक्षा जल्दी आ फंसती हैं. उन्होंने इस संदर्भ में सुझाव देते हुए उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया में मित्रता चैटिंग सिर्फ और सिर्फ चिर परिचित लोगों से ही किए जाने पर महिलाएं सुरक्षित रह सकती हैं. अनजान व्यक्तियों से मित्रता उन्हें धोखा देने का पूरा सबब बन सकता है.

झूठ का कारोबार ज्यादा….

राजधानी रायपुर में पदस्थ पुलिस अधिकारी विवेक शर्मा ने इस मसले पर बातचीत करने पर बताया- सोशल मीडिया एक आकर्षक स्थान है जहां महिलाएं युवतियां निरंतर ठगी जा रही है और पुलिस के पास इसकी अनेक शिकायतें आती रहती हैं. अगर महिलाएं इससे बचना चाहें तो इसका सीधा सा सरल तरीका है ऐसे किसी भी मसले पर जब उन्हें आर्थिक प्रलोभन दिया जाता है वह अपने परिजनों से अवश्य चर्चा करें. इस हेतु शासन द्वारा बनाए गए परामर्श केंद्रों से भी महिलाएं परामर्श ले सकती हैं.

सबसे अहम मसला यह है कि फेसबुक को महिलाएं अंतिम सत्य मान लेती है,जबकि यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां झूठ का कारोबार ज्यादा होता है. महिला थोड़ी भी बुद्धिमानी विवेक से काम ले तो वह इस ठगी से बच सकती है हम आज इस लेख के माध्यम से महिलाओं को आगाह करते हुए कहना चाहते हैं कि किसी भी आर्थिक मसले पर एक बार अवश्य सोचें और अपने आंख कान खुले रखें ऐसी स्थिति में वे कदापि ठगी नहीं जाएंगी.

Crime: मुजीब ने उस लड़की के साथ रची खौफनाक साजिश

Crime : वह पहले लड़कियों से दोस्ती करता, फिर उन से लगातार फोन पर बातें करता. बाद में शादी की तैयारियों का ढोंग रचा कर उन्हें किसी एकांत जगह पर बुलाता और शादी की बात करता और एक कामयाब जिंदगी जीने की योजनाएं बनाता. इस के बाद वह ‘घर तलाश रहा हूं’ कह कर उन लड़कियों से कुछ रुपए मांगता और आखिर में उन के गहने वगैरह लूट कर वहां से रफूचक्कर हो जाता. इस तरह 7 से ज्यादा लड़कियों को धोखे में रख कर चंपत होने वाले शख्स का नाम मुजीब है.

38 साल का त्रिशूर नलिकुलम नंबानकड़व पुतियाविट्टील मुजीब कम उम्र से अपराध की राह पर चल पड़ा था. घर वालों से अलग होने के बाद वह जिंदगी गुजारने के लिए कई जगहों पर भटका. कई जगह पर उस ने दिहाड़ी पर काम किया था, पर इस से उस का गुजारा नहीं चलता था.

इसी बीच मुजीब कोच्चि पहुंचा. वहां उस ने एट्टुमानूर स्वदेशी मंजू नाम की एक लड़की से कलूर में दोस्ती की. वह अपनी दादी के साथ रह रही थी. उस के मांबाप अलग रह रहे थे.

रची खौफनाक साजिश

एक दिन मुजीब ने किसी इश्तिहार में ‘गुरदा चाहिए’ लिखा देखा. उस ने फोन नंबर मिला कर गुरदा देने की बात कही. इस के लिए कोल्लम स्वदेशी शिवकुमार को जरीया भी बनाया था.

दरअसल, मुजीब उस लड़की मंजू का गुरदा बेचने की चाल चल रहा था. दोनों को एकसाथ रहने के लिए घर व जमीन की जरूरत है, यह कह कर मुजीब ने मंजू को समझया कि अगर वह अपना एक गुरदा दे देगी, तो 10 लाख रुपए मिलेंगे, जिन से वे घर खरीद सकते?हैं.

एक अच्छी जिंदगी जीने का सपना बुनने वाली मंजू ने एतराज नहीं किया. शिवकुमार ने ही अस्पताल का जुगाड़ किया और तिरुअनंतपुरम के किम्स अस्पताल में मंजू का गुरदा निकाला गया.

रुपए मिलते ही मुजीब वहां से रफूचक्कर हो गया. ठगी गई मंजू ने उस के खिलाफ साल 2010 में पुलिस में केस दर्ज किया. इस बीच शिवकुमार भी वहां से फरार हो गया था.

पुलिस ने बहुत जांचपड़ताल की, पर दोनों का पता नहीं चला. इसी बीच परुंबावूर स्वदेशिनी बिंदु नाम की लड़की को भी मुजीब ने गुरदा देने के धंधे के जाल में फंसा लिया था.

और भी चालबाजियां

मुजीब उन लड़कियों के बारे में पहले ही सबकुछ पता कर लेता था, जो अच्छे जीवनसाथी और खुशहाल जिंदगी का सपना देखती थीं. वह अपनी मीठी बातों में उन्हें फंसा कर उन से रुपए व गहने ले कर रफूचक्कर हो जाता था.

एरुमेली स्वदेशी बैमा नाम की जवान लड़की के साथ भी उस ने कुछ दिन गुजारे थे. दोनों का एक बच्चा भी?है. बीच में मुजीब ने उस लड़की को एर्णाकुलम में एक काम भी दिला दिया था. इस के बाद उस लड़की ने मुजीब को दोबारा कभी नहीं देखा.

मुजीब कोषिकोड्ड के पास कुट्टीकाटूर के एक अरेबिक कालेज में रसोइए का काम करता था, तब उस के साथ एक लड़की भी थी. कालेज की कैंटीन के पास ही उन्हें ठहरने की सुविधा भी मिली थी. वे दोनों पिछले 2 महीने से आम जिंदगी बिता रहे थे.

रसोइए के रूप में काम करने के बीच भी मुजीब धोखेबाजी के बारे में ही सोचता रहा. जल्द ही पैसा पा कर अमीर बनने का लालच उस के मन में था.

तब उस ने अपने साथ रह रही उस लड़की को नशीली दवा दे कर बेहोश किया, फिर उस के साढ़े 3 लाख रुपए के कीमती गहने चुरा लिए.

वहां से रफूचक्कर होने के बाद मुजीब के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. उस लड़की ने कोषिकोड्ड पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा दी.

इस के बाद मैडिकल कालेज सीआई प्रेमदास की अगुआई में मुजीब को पुलिस द्वारा पालकाड्ड बसअड्डे के पास से पकड़ लिया गया.

पुलिस कस्टडी में आने के बाद मुजीब द्वारा किए गए कई छलकपट सामने आए. लेकिन तब भी उस ने अपना सही नामपता नहीं बताया. उस के पास जितने भी आईकार्ड थे, सब नकली थे.

मुजीब के मांबाप बीमार थे और तमिलनाडु के एरवाडी इलाके में तकरीबन 10 साल पहले मर गए थे.

बाद में गुरदे बेचने के जुर्म में मुजीब का साथ देने वाला शख्स शिवकुमार भी पकड़ा गया.

मालती चौहान की आत्महत्या, चकाचौंधी इन्फ्लुएंसर्स को सबक

Crime News in Hindi: लाइक्स, सब्सक्राइब, बेल आइकन के खेल उत्तर प्रदेश की मालती चौहान के अंत की कहानी भी बन गए. इस से बाकी यूट्यूबर (YouTuber) कुछ समझों या न, पर मालती चौहान की आत्महत्या (Suicide) उन के लिए सबक जरूर है. डिजिटल वर्ल्ड (Digital World) ने एक चीज तबीयत से की कि इंसान भले स्मार्ट हो या न, लेकिन स्मार्टफोन (Smart Phone) हर हाथ में जरूर हो. इस ने एक का दूसरे तक एक्सैस आसान कर दिया है. वह चाहे दिल्ली (Delhi) के वसंत कुंज (Vasant Kunj) जैसी पौश कालोनी में रहने वाली धृति हो या उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संत कबीर नगर (Sant kabir Nagar) इलाके के किसी कच्चे मकान में रहने वाली मालती चौहान.

लेकिन भूख चाहे जितनी हो, निवाला तो तभी निगला जा सकता है जब जबान उस की गरमाहट झोलने लायक हो जाए. कभीकभी डिजिटल वर्ल्ड की चकाचौंध की गिरफ्त में इन्फ्लुएंसर इसे भूल जाते हैं और उन की जबान जल ही जाती है.

ईंट-बदरपुर से बने कच्चे मकान में रहने वाली मालती चौहान, जिस ने गरीबी देखी, टूटी खाट, टपकती छत, बिखरे सपने और बेतरतीब जीवन देखा, ने बहुत कम समय में यूट्यूब इन्फ्लुएंसर के तौर पर खासा नाम भी कमाया. लेकिन इन सब के बावजूद मालती ऐसी उदाहरण बन गई जिसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कभी नहीं चाहेंगे कि उन के साथ भी ऐसा हो क्योंकि इसी नेम, फेम और चरमोत्कर्ष पर पहुंच कर उसे आखिरकार मौत को गले लगाना पड़ा.

यह पूरा खेल डिजिटल चकाचौंध, कमाई की भूख, नेम, फेम और नंबरों का था. महज 4 साल में ही गरीब परिवार की मालती ने अपने पति विष्णु राज के साथ यूट्यूब पर नाम कमा कमा लिया. दोनों की शादी 2020 में हुई थी. 6 मिलियन यानी 60 लाख से ऊपर फौलोअर्स बना लिए और चैनल में ढेरों देसी रील्स व वीडियो बना लिए.

वीडियो हर एंगल से बनाए, मालती बिस्तर पर लेटी रहती, कभी बरतन धो रही होती, कभी बच्चों को खाना खिला रही होती, पति विष्णुराज उस के विशेष अंगों पर कैमरा जूम-इन और जूम-आउट करता. कभी होंठों की लाली दिखाता, कभी खिसके दुपट्टे को.

पैसों की गाड़ी चल पड़ी तो शादीविवाह, मुंडन पर इस कपल को इन्फ्लुएंसर के तौर पर बुलाया जाने लगा. भोजपुरी के बाजार में जहां अश्लीलता ही मेनस्ट्रीम है, वहां इस कपल के लिए थोड़ीबहुत अश्लीलता दिखा कर अपनी पहचान बनाना आसान न था. लेकिन फिर भी इस कपल ने अपनी कोशिश जारी रखी.

वीडियो चल पड़ी तो टीम बढ़ा ली. टीम में अर्जुन की एंट्री हो गई. अर्जुन के आते ही एक बच्चे की मां मालती उस से दिल लगा बैठी. जिस अश्लीलता से वीडियो में शुरुआत हुई थी वह अश्लीलता इन की निजी जिंदगी में घुस गई. वीडियो बनाने के नाम पर पतिपत्नी दोनों के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चलने लगे. औडियंस को लगा स्क्रिप्टेड कंटैंट है. लेकिन रिश्तों के हर जायजनाजायज चीजों पर हिट, लाइक, कमैंट बटोरने की भूख रिश्तों को भी बाजार में नीलाम कर ही देते हैं.

पति ने सोचा कि इस पर भी व्यूज बटोरे जाएं. विष्णुराज ने पत्नी की शादी औन-कैमरा अपने ही चैनल पर चला कर अर्जुन से करवा दी. लेकिन जीवन कोई रेल की पटरी जैसी नहीं कि सीधी चलती रहे. एक बार फिर मालती का मन अर्जुन के साथ नहीं लगा तो उस ने विष्णुराज से पुनर्मिलन कर लिया.

लेकिन यह पुनर्मिलन प्यार और ग्लानी से कहीं आगे उस चकाचौंध की थी जो दोनों की एकदूसरे के बगैर अधूरी थी. डिजिटल दुनिया ने इन्हें वह जिंदगी दे दी थी जो ये सपने में भी नहीं सोच सकते थे लेकिन पेंच यह कि वफा की पिच में दोनों तरफ ही बेवफाई चल पड़ी थी. जब मालती वापस आई तो तकरार फिर से बढ़ने लगी. दोनों तरफ से आरोप लगने लगे.

लाइक्स, सब्सक्राइब, बेल आइकन के खेल में ये दोनों ऐसे उलझे कि यही इन के अंत की कहानी भी बन गई. मालती ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो डाली कि उस के साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है. इस वीडियो को लोगों ने देखा और लाइक किया. लेकिन एक सुबह मालती की सास ज्ञानमती मालती के कमरे का बंद दरवाजा खोलने पहुंची तो मालती की लाश साड़ी के फंदे से लटकी मिली. मालती के पिता दीपचंद के अनुसार, उस की बेटी की हत्या हुई और विष्णुराज गुनाहगार है. ऊपरी तौर पर देखने में यह आत्महत्या का मामला है, लेकिन इस के पीछे सोशल मीडिया की वह क्रूर हकीकत जान पड़ती है जिसे लोग नजरअंदाज कर रहे हैं.

वजह चाहे जो हो, अब यूपीबिहार का हर दूसरा छछूंदर यूट्यूबर मौत के इस कंटैंट पर वीडियो बना कर लाखों व्यूज बटोरने के लिए मार्केट में बना हुआ है. हर कोई इस मौके को भुनाने पर लगा हुआ है. नंबरों का खेल यहां भी मालती का पीछा नहीं छोड़ रहा है. डेली ब्लौग के नाम पर मालती और उस का पति जो सौफ्ट पोर्न व्यूज बटोरने के लिए बनाते थे, अब उसी के फैलोअर्स यूट्यूबर उसी की कहानी को बेच खा रहे हैं.

सोशल मीडिया में चरित्र दिखाया जाता है और उधेड़ा भी जाता है, जैसे यहां अश्लीलता का बाजार है वैसे ही चरित्र हनन का भी बाजार है. मालती व विष्णु की कहानी सोशल मीडिया में पनपे लव, सैक्स व धोखा सरीखी है. जिस मालती के चलतेफिरते वीडियो बना करते थे, अब यूट्यूबरों में भी उस की मौत के बाद उस की निजी जिंदगी, औडियो कौल रिकार्डिंग, सुबूतों की लिस्ट सबकुछ दिखाने का कंपीटिशन चल चुका है. देश के ज्यादातर यूट्यूबरों के लिए यही ग्राउंड रिपोर्टिंग है, यही यूट्यूब जर्नलिज्म है.

Crime : एक गुनाह मोहब्बत के नाम

Crime News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहर ग्वालियर (Gawalior) के थाना थाटीपुर के थानाप्रभारी आर.बी.एस. विमल 5 अगस्त की रात करीब 3 बजे इलाके की गश्त लगा कर थोड़ा सुस्ताने के मूड में थे. तभी उन के पास किसी महिला का फोन आया. महिला ने कहा, ‘‘सर, मैं तृप्तिनगर से बोल रही हूं. मेरे पति रविदत्त दूबे का मर्डर हो गया है. उन की गोली मार कर हत्या (Murder) कर दी गई है,’’ इतना कहने के बाद महिला सिसकने लगी. अपना नाम तक नहीं बता पाई.

थानाप्रभारी ने उस से कहा भी, ‘‘आप कौन बोल रही हैं? घटनास्थल और आसपास की लोकेशन के बारे में कुछ बताइए. वहां पास में और कौन सी जगह है, कोई चर्चित दुकान, शोरूम या स्कूल आदि है तो उस का नाम बोलिए.’’

‘‘सर, मैं भारती दूबे हूं. तृंिप्तनगर के प्रवेश द्वार के पास ही लोक निर्माण इलाके में टाइमकीपर दूबेजी का मकान पूछने पर कोई भी बता देगा.’’ महिला बोली.

घटनास्थल का किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने की सख्त हिदायत देने के कुछ समय बाद ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घनी आबादी वाले उस इलाके में पहुंच गए. थानाप्रभारी आर.बी.एस. विमल और एसआई तुलाराम कुशवाह के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों को अल सुबह देख कर वहां के लोग चौंक गए.

लोगों से भारती दूबे का घर मालूम कर के वह वहां पहुंच गए. जब वह पहली मंजिल पर पहुंचे तो एक कमरे में भारती के पति रविदत्त दूबे की लाश पड़ी थी. पुलिस के पीछेपीछे कुछ और लोग भी वहां आ गए. उन में ज्यादातर परिवार के लोग ही थे.

थानाप्रभारी ने लाश का मुआयना किया तो बिस्तर पर जहां लाश पड़ी थी, वहां भारी मात्रा में खून भी निकला हुआ था. उन के पेट में गोली लगी थी.

मुंह से भी खून निकल रहा था, लाश की स्थिति को देख कर खुद गोली मार कर आत्महत्या का भी अनुमान लगाया गया, किंतु वहां हत्या का न कोई हथियार नजर आया और न ही सुसाइड नोट मिला.

घर वालों ने बताया कि उन्हें किसी ने सोते वक्त गोली मारी होगी. हालांकि इस बारे में सभी ने रात को किसी भी तरह का शोरगुल सुनने से इनकार कर दिया. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम भी बुला ली.

पुलिस को यह बात गले नहीं उतरी. फिर भी थानाप्रभारी ने हत्या के सुराग के लिए कमरे का कोनाकोना छान मारा. उन्होंने घर का सारा कीमती सामान भी सुरक्षित पाया. इस का मतलब साफ था कि बाहर से कोई घर में नहीं आया था.

अब बड़ा सवाल यह था कि जब बाहर से से कोई आया ही नहीं, तो रविदत्त  को गोली किस ने मारी? फोरैंसिक एक्सपर्ट अखिलेश भार्गव ने रविदत्त के पेट में लगी गोली के घाव को देख कर नजदीक से गोली मारे जाने की पुष्टि की.

जांच के लिए खोजी कुत्ते की मदद ली गई. कुत्ता लाश सूंघने के बाद मकान की पहली मंजिल पर चक्कर लगाता हुआ नीचे बने कमरे से आ गया. वहां कुछ समय घूम कर बाहर सड़क तक गया, फिर वापस बैडरूम में लौट आया. बैड के इर्दगिर्द ही घूमता रहा. उस ने ऐसा 3 बार किया. फिगरपिं्रट एक्सपर्ट की टीम ने बैडरूम सहित अन्य स्थानों के सबूत इकट्ठे किए.

इन सारी काररवाई के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. साथ ही भादंवि की धारा 302/34 के तहत अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. पुलिस को दूबे परिवार के बारे में भारती दूबे से जो जानकारी मिली, वह इस प्रकार थी—

ग्वालियर के थाटीपुर के तृप्तिनगर निवासी 58 वर्षीय रविदत्त दूबे अपनी पत्नी भारती, 2 बेटियों और एक बेटे के साथ रहते थे. रविदत्त लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर की नौकरी करते थे. उन की नियुक्ति कलेक्टोरेट स्थित निर्वाचन शाखा में थी.

साल 2006 में पहली पत्नी आभा की बेटे के जन्म देते वक्त मौत हो गई थी. उस के बाद उन्होंने साल 2007 में केरल की रहने वाली भारती नाम की महिला से विवाह रचा लिया था. वह अहिंदी भाषी और भिन्न संस्कार समाज की होने के बावजूद दूबे परिवार में अच्छी तरह से घुलमिल गई थी.

दूबे ने भारती से कोर्टमैरिज की थी. शादी के बाद भारती ने दिवंगत आभा के तीनों बच्चों को अपनाने और उन की देखभाल में कोई कमी नहीं रहने दी थी. बड़ी बेटी कृतिका की शादी नयापुरा इटावा निवासी राममोहन शर्मा के साथ हो चुके थी, किंतु उस का ससुराल में विवाद चल रहा था, इस वजह से वह पिछले 3 सालों से अपने मायके में ही रह रही थी. छोटी बेटी सलोनी अविवाहित थी.

पुलिस ने इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए कई बिंदुओं पर ध्यान दिया. मृतक की पत्नी भारती और बड़ी बेटी कृतिका समेत छोटी बेटी सलोनी ने पूछताछ में बताया कि 4-5 अगस्त की आधी रात को तेज बारिश होने कारण लाइट बारबार आजा रही थी.

रात तकरीबन 9 बजे खाना खाने के बाद वे अपने घर की पहली मंजिल पर बने बैडरूम में सोने के लिए चली गई थीं. घटना के समय परिवार के सभी बाकी सदस्य एक ही कमरे में सोए हुए थे.

भारती और बड़ी बेटी कृतिका को रात के ढाई बजे हलकी सी आवाज सुनाई दी थी तो उन्होंने हड़बड़ा कर उठ कर लाइट का स्विच औन किया. इधरउधर देखा. वहां सब कुछ ठीक लगा. वह तुरंत बगल में रविदत्त दूबे के कमरे में गई. देखा बैड पर वह खून से लथपथ पड़े थे. उन के पेट से खून निकल रहा था.

कृतिका और भारती ने उन्हें हिलायाडुलाया तब भी उन में कोई हरकत नहीं हुई. नाक के सामने हाथ ले जा कर देखा, उन की सांस भी नहीं चल रही थी. फिर भारती ने दूसरे रिश्तेदारों को सूचित करने के बाद पुलिस को सूचित कर दिया.

थानाप्रभारी को दूबे हत्याकांड से संबंधित कुछ और जानकारी मिल गई थी, फिर भी वह हत्यारे की तलाश के लिए महत्त्वपूर्ण सबूत की तलाश में जुटे हुए थे. घटनास्थल पर तहकीकात के दौरान एसआई तुलाराम कुशवाहा को दूबे की छोटी बेटी पर शक हुआ था.

कारण उस के चेहरे पर पिता के मौत से दुखी होने जैसे भाव की झलक नहीं दिखी थी. उन्होंने पाया कि सलोनी जबरन रोनेधोने का नाटक कर रही थी. उस की आंखों से एक बूंद आंसू तक नहीं निकले थे.

घर वालों के अलगअलग बयानों के कारण दूबे हत्याकांड की गुत्थी सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही थी. उसे सुलझाने का एकमात्र रास्ता काल डिटेल्स को अपनाने की योजना बनी. मृतक और उस के सभी परिजनों के मोबाइल नंबर ले कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई गई.

कब, किस ने, किस से बात की? उन के बीच क्याक्या बातें हुईं? उन में बाहरी सदस्य कितने थे, कितने परिवार वाले? वे कौन थे? इत्यादि काल डिटेल्स का अध्ययन किया गया. उन में एक नंबर ऐसा भी निकला, जिस पर हर रोज लंबी बातें होती थीं.

पुलिस को जल्द ही उस नंबर को इस्तेमाल करने वाले का भी पता चल गया. रविदत्त दूबे की छोटी बेटी सलोनी उस नंबर पर लगातार बातें करती थी. पुलिस ने उस फोन नंबर की जांच की तो वह नंबर परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदार का नहीं था बल्कि ग्वालियर में गल्ला कठोर के रहने वाले पुष्पेंद्र लोधी का निकला.

पुलिस इस जानकारी के साथ पुष्पेंद्र के घर जा धमकी. वह घर से गायब मिला. इस कारण उस पर पुलिस का शक और भी गहरा हो गया. फिर पुलिस ने 14 अगस्त की रात में उसे दबोच लिया.

उस से पूछताछ की. पहले तो उस ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन बाद में सख्ती होने पर उस ने दूबे की हत्या का राज खोल कर रख दिया.

साथ ही उस ने स्वीकार भी कर लिया कि रविदत्त दूबे की हत्या उस ने सलोनी के कहने पर की थी. उन्हें देशी तमंचे से गोली मारी थी. पुष्पेंद्र ने पुलिस को हत्या की जो वजह बताई, वह भी एक हैरत से कम नहीं थी. पुलिस सुन कर दंग रह गई कि कोई जरा सी बात पर अपने बाप की हत्या भी करवा सकता है.

बहरहाल, पुष्पेंद्र के अपराध स्वीकार किए जाने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल .315 बोर का तमंचा भी बरामद कर लिया. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पुष्पेंद्र लोधी ने बताया कि वह पिछले एक साल से सलोनी का सहपाठी रहा है. सलोनी के एक दूसरे सहपाठी करण राजौरिया से प्रेम संबंध थे. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. उस की तो सलोनी से केवल दोस्ती थी.

उस ने बताया कि एक बार करण के साथ सलोनी को रविदत्त दूबे ने घर पर ही एकदूसरे की बांहों में बांहें डाले देख लिया था.

अपनी बेटी को किसी युवक की बांहों में देखना रविदत्त को जरा भी गवारा नहीं लगा. उन्होंने उसी समय सलोनी के गाल पर तमाचा जड़ दिया. बताते हैं कि तमाचा खा कर सलोनी तिलमिला गई थी.

उस ने अपने गाल पर पिता के चांटे का जितना दर्द महसूस नहीं किया, उस से अधिक उस के दिल को चोट लगी. उस वक्त करण तो चुपचाप चला गया, लेकिन सलोनी बहुत दुखी हो गई. यह बात उस ने अपने दोस्त पुष्पेंद्र को फोन पर बताई.

फोन पर ही पुष्पेंद्र ने सलोनी को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उस की सलाह सुनने को राजी नहीं हुई. करण के साथ पिता द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और उस के सामने थप्पड़ खाने से बेहद अपमानित महसूस कर रही थी. अपनी पीड़ा दोस्त को सुना कर उस ने अपना मन थोड़ा हलका किया.

उस ने बताया कि उस घटना से करण भी बहुत दुखी हुआ था. उस के बाद से उस ने एक बार भी सलोनी से बात नहीं की, जिस से उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. सलोनी समझ रही थी कि उस के पिता उस की मोहब्बत के दुश्मन बन बैठे हैं.

इस तरह सलोनी लगातार फोन पर पुष्पेंद्र से अपने दिल की बातें बता कर करण तक उस की बात पहुंचाने का आग्रह करती रही. एक तरफ उसे प्रेमी द्वारा उपेक्षा किए जाने का गम था तो दूसरी तरफ पिता द्वारा अपमानित किए जाने की पीड़ा. सलोनी बदले की आग में झुलस रही थी. उस ने पिता को ही अपना दुश्मन समझ लिया था.

कुछ दिन गुजरने के बाद एक दिन पुष्पेंद्र की बदौलत सलोनी की करण से मुलाकात हो गई. उस ने मिलते ही करण से माफी मांगी, फिर कहा, ‘‘तुम अब भी दुखी हो?’’

‘‘मैं कर भी क्या सकता था उस वक्त?’’ करण झेंपते हुए बोला.

‘‘सारा दोष पापा का है, उन्होंने तुम्हें बहुत भलाबुरा कहा,’’ सलोनी बोली.

‘‘तुम्हें भी तो थप्पड़ जड़ दिया. कम से कम वह तुम्हारी राय तो जान लेते, एक बार…’’ करण बोला.

‘‘यही तकलीफ तो मुझे है. आव न देखा ताव, सीधे थप्पड़ जड़ दिया. मां रहती तो शायद यह सब नहीं होता. मां सब कुछ संभाल लेती.’’ कहती हुई सलोनी की आंखें नम हो गईं.

‘‘कोई बात नहीं, मैं उन से एक बार बात कर लूं?’’ करण ने सुझाव दिया.

‘‘अरे, कोई फायदा नहीं होने वाला, दीदी को ले कर वह हमेशा गुस्से में रहते हैं. दीदी की मरजी से शादी नहीं हुई थी. नतीजा देखो, उस का घर नहीं बस पाया. न पति अच्छा मिला और न ससुराल. 3 साल से मायके में हमारे साथ बैठी है.’’ सलोनी बिफरती हुई बोली.

‘‘तुम्हारी भी शादी अपनी मरजी से करवाना चाहते हैं क्या?’’ करण ने पूछा.

‘‘ऐसा करने से पहले ही मैं उन को हमेशा के लिए शांत कर दूंगी,’’ सलोनी गुस्से में बोली.

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’ करण ने पूछा.

‘‘मेरा मतलब एकदम साफ है. बस, तुम को साथ देना होगा. उन के जीते जी हम लोग एक नहीं हो पाएंगे. हमारा विवाह नहीं हो पाएगा.’’ सलोनी बोली.

‘‘मैं इस में क्या मदद कर सकता हूं?’’ करण ने पूछा.

इस पर सलोनी उस के कान के पास मुंह ले जा कर धीमे से जो कुछ कहा उसे सुन कर करण चौंक गया, अचानक मुंह से आवाज निकल पड़ी, ‘‘क्या? यह क्या कह रही हो तुम?’’

‘‘हां, मैं बिलकुल सही कह रही हूं, पापा को रास्ते से हटाए बगैर कुछ नहीं होगा. और हां, यह काम तुम्हें ही करना होगा.’’ सलोनी बोली.

‘‘नहींनहीं. मैं नहीं कर सकता हत्या जैसा घिनौना काम.’’ करण ने एक झटके में सलोनी के प्रस्ताव पर पानी फेर दिया. उस ने नसीहत देते हुए उसे भी ऐसा करने से मना किया.

सलोनी से दोटूक शब्दों में उस ने कहा कि भले ही वह उस से किनारा कर ले, मगर ऐसा वह भी कतई न करे. उस के बाद करण अपने गांव चला गया. उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया. करण से उस का एक तरह से संबंध खत्म हो चुका था. यह बात उस ने पुष्पेंद्र को बताई.

पुष्पेंद्र से सलोनी बोली कि करण के जाने के बाद उस का दुनिया में उस के सिवाय और कोई नहीं है, इसलिए दोस्त होने के नाते वह उस की मदद करे.

उस ने तर्क दिया कि अगर उस ने साथ नहीं दिया तो उस का हाल भी उस की बड़ी बहन जैसा हो जाएगा. एक तरह से सलोनी ने पुष्पेंद्र से हमदर्दी की उम्मीद लगा ली थी.

पुष्पेंद्र सलोनी की बातों में आ गया. वह उस की लच्छेदार बातों और उस के कमसिन हुस्न के प्रति मोहित हो गया था. मोबाइल पर घंटों बातें करते हुए सलोनी ने एक बार कह दिया था वह उसे करण की जगह देखती है. उस से प्रेम करती है.

करण तो बुजदिल और मतलबी निकला, लेकिन उसे उस पर भरोसा है. यदि वह उस का काम कर दे तो दोनों की जिंदगी संवर जाएगी. उस ने पुष्पेंद्र को हत्या के एवज में एक लाख रुपए भी देने का वादा किया.

पुष्पेंद्र पैसे का लालची था. उस ने सलोनी की बात मान ली और फिर योजनाबद्ध तरीके से 4 अगस्त, 2021 की रात को तकरीबन 10 बजे उस के घर चला गया. सलोनी ने उसे परिवार के लोगों की नजरों से बचा कर नीचे के कमरे में छिपा दिया, जबकि परिवार के लोग पहली मंजिल पर थे.

कुछ देर बाद जब घर के सभी सदस्य गहरी नींद में सो गए तो रात के ढाई बजे सलोनी नीचे आई और पुष्पेंद्र को अपने साथ पिता के उस कमरे में ले गई, जहां वह सो रहे थे.

रविदत्त अकेले गहरी नींद में पीठ के बल सो रहे थे. पुष्पेंद्र ने तुरंत तमंचे से रविदत्त के पास जा कर गोली मारी और तेजी से भाग कर अपने घर आ गया.

पुलिस के सामने पुष्पेंद्र द्वारा हत्या का आरोप कुबूलने के बाद उसे हिरासत में ले लिया गया. सलोनी को भी तुरंत थाने बुलाया गया. उस से जैसे ही थानाप्रभारी ने उस के पिता की हत्या के बारे में पूछा, तो वह नाराज होती हुई बोली, ‘‘सर, मेरे पिता की हत्या हुई है और आप मुझ से ही सवालजवाब कर रहे हैं.’’

यहां तक कि सलोनी ने परेशान करने की शिकायत गृहमंत्री तक से करने की धमकी भी दी.

थानाप्रभारी बी.एस. विमल ने जब पुष्पेंद्र लोधी से मोबाइल पर पिता की हत्या से पहले और बाद की बातचीत का हवाला दिया, तब सलोनी के चेहरे का रंग उतर गया. तब थानाप्रभारी विमल ने पुष्पेंद्र द्वारा दिए गए बयान की रिकौर्डिंग उसे सुना दी.

फिर क्या था, उस के बाद सलोनी अब झूठ नहीं बोल सकती थी. अंतत: सलोनी ने भी कुबूल कर लिया कि पिताजी की हत्या उस ने ही कराई थी.

पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को रविदत्त दूबे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया. वहां से उन्हें हिरासत में ले कर जेल भेज दया गया.

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