मेरे पापा मेरा हर काम इग्नोर कर देते हैं, ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए ?

सवाल

मेरे पापा और मेरी आपस में नहीं बनती. मैं कोई अच्छा काम कर के उन्हें दिखाता हूं, तो वे अनदेखा करते हैं. उपाय बताएं?

जवाब

अकसर अलगअलग पीढि़यों के बीच मतभेद होते हैं. आप को कोशिश कर के वही काम करने चाहिए, जो आप के पापा को पसंद हों.

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फोबिया के कारण

शोधकर्ता अभी फोबिया के सही कारणों के बारे में आश्वस्त नहीं हैं. हालांकि आम धारणा यही है कि जब कोई फोबिया होता है तो कुछ खास प्रकार के कारकों की समानता देखी जा सकती है. इन कारकों में शामिल हैं :

आनुवंशिक : शोध से पता चला है कि परिवार में किसी खास प्रकार का फोबिया होता है. मसलन, अलगअलग जगह पलेबढ़े बच्चों में एक ही प्रकार का फोबिया हो सकता है. हालांकि एक प्रकार के फोबिया वाले कई लोगों की परिस्थितियों का आपस में कोई संबंध नहीं होता.

सांस्कृतिक कारक : कुछ फोबिया किसी खास प्रकार के सांस्कृतिक समूहों में ही पाए जाते हैं. यह एक ऐसा भय है जिस में लोग सामाजिक परिस्थितियों के कारण दूसरों पर हमला करते हैं या उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. यह परंपरागत सोशल फोबिया से बिलकुल अलग होता है क्योंकि सोशल फोबिया में पीडि़त व्यक्ति अपमानित होने पर व्यक्तिगत शर्मिंदगी झेलने की आशंका से ग्रसित रहता है. सो संभव है कि फोबिया विकसित करने में संस्कृति की भूमिका हो.

जिंदगी के अनुभव : कई प्रकार के फोबिया वास्तविक जिंदगी की घटनाओं से जुड़े होते हैं जिन्हें होशोहवास में याद किया भी जा सकता है और नहीं भी. मसलन, किसी कुत्ते का फोबिया, यह व्यक्ति को उसी वक्त से हो सकता है जब बहुत छोटी उम्र में वह कुत्ते का हमला झेल चुका हो. सोशल फोबिया नाबालिग उम्र के अल्हड़पन या बचपन की शैतानी से विकसित हो सकता है.

हो सकता है कि इन कारकों का एक मिश्रित रूप किसी फोबिया के विकसित होने का कारण बना हो लेकिन निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अभी और ज्यादा शोध की आवश्यकता है. किसी व्यक्ति में कोई फोबिया बचपन से ही होता है या किसी को बाद की उम्र में पनप सकता है. कोई भी फोबिया बचपन, जवानी या किशोरावस्था के दौरान विकसित हो सकता है. फोबिया से ग्रस्त लोगों का ताल्लुक अकसर किसी डरावनी घटना या तनावपूर्ण माहौल से रहा है हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ खास प्रकार के फोबिया क्यों विकसित होते हैं.

फोबिया के इलाज

फोबिया से पीडि़त व्यक्ति की सोच में बदलाव लाने में मदद करते हुए उन के फोबिक लक्षणों को कौग्निटिव बिहेवियरल थैरेपी यानी सीबीटी से कमी लाने में बहुत हद तक सफलता मिली है. यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सीबीटी का इस्तेमाल 3 तकनीकों से किया जाता है :

शिक्षाप्रद सामग्री : इस चरण में व्यक्ति को फोबिया व इस के इलाज के बारे में शिक्षित किया जाता है और उसे उपचार के लिए सकारात्मक उम्मीद बनाए रखने में मदद की जाती है. इस के अलावा फोबिया से पीडि़त व्यक्ति को सहयोग देने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है.

संज्ञानात्मक अवयव : इस से विचारों तथा कल्पनाओं की पहचान करने में मदद मिलती है, जिस से व्यक्ति का बरताव प्रभावित होता है, खासकर ऐसे लोगों का जो पहले से ही खुद को फोबियाग्रस्त होने की धारणा पाल बैठते हैं.

व्यावहारिक अवयव : इस के तहत फोबियाग्रस्त व्यक्ति को समस्याओं से अधिक प्रभावी रणनीतियों के साथ निबटने की शिक्षा देने के लिए व्यवहार संशोधन तकनीक इस्तेमाल की जाती है.

फोबिया कई बार अवसादरोधी या उत्तेजनारोधी उपचार से भी ठीक किया जाता है, जिस से प्रतिकूल स्थिति पैदा करने वाले शारीरिक लक्षणों में कमी लाई जाती है और शरीर में उत्तेजना का प्रभाव अवरुद्ध किया जाता है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सेक्स से पहले ऐसे करें अपने पार्टनर को खुश

4 सहेलियां कुछ अरसे बाद मिली थीं. 2 की जल्दी शादी हुई थी तो 2 कुछ बरसों का वैवाहिक जीवन बिता चुकी थीं. ऐसा नहीं कि उन में और किसी विषय पर बात नहीं हुई. बात हुई, लेकिन बहुत जल्द ही वह पहली बार के अनुभव पर आ टिकी.

पहली सहेली ने पूछा, ‘‘तुम फोन पर ट्रेन वाली क्या बात बता रही थी? मेरी समझ में नहीं आई.’’

दूसरी बोली, ‘‘चलो हटो, दोबारा सुनना चाह रही हो.’’

तीसरी ने कहा, ‘‘क्या? कौन सी बात? हमें तो पता ही नहीं है. बता न.’’

दूसरी बोली, ‘‘अरे यार, कुछ नहीं. पहली रात की बात बता रही थी. हनीमून के लिए गोआ जाते वक्त हमारी सुहागरात तो ट्रेन में ही मन गई थी.’’

तीसरी यह सुन कर चौंकी, ‘‘हाउ, रोमांटिक यार. पहली बार दर्द नहीं हुआ?’’

दूसरी ने कहा, ‘‘ऐसा कुछ खास तो नहीं.’’

तीसरी बोली, ‘‘चल झूठी, मेरी तो पहली बार जान ही निकल गई थी. सच में बड़ा दर्द होता है. क्यों, है न? तू क्यों चुप बैठी है? बता न?’’

चौथी सहेली ने कहा, ‘‘हां, वह तो है. दर्द तो सह लो पर आदमी भी तो मनमानी करते हैं. इन्होंने तो पहली रात को चांटा ही मार दिया था.’’

बाकी सभी बोलीं, ‘‘अरेअरे, क्यों?’’

चौथी ने बताया, ‘‘वे अपने मन की नहीं कर पा रहे थे और मुझे बहुत दर्द हो रहा था.’’

पहली बोली, ‘‘ओह नो. सच में दर्द का होना न होना, आदमी पर बहुत डिपैंड करता है. तुम विश्वास नहीं करोगी, हम ने तो शादी के डेढ़ महीने बाद यह सबकुछ किया था.’’

दूसरी और तीसरी बोलीं, ‘‘क्यों झूठ बोल रही हो?’’

पहली सहेली बोली, ‘‘मायके में बड़ी बहनों ने भी सुन कर यही कहा था, उन्होंने यह भी कहा कि लगता है मुझे कोई धैर्यवान मिल गया है, लेकिन मेरे पति ने बताया कि उन्होंने शादी से पहले ही तय कर लिया था कि पहले मन के तार जोडूंगा, फिर तन के.

‘‘मुझे भी आश्चर्य होता था कि ये चुंबन, आलिंगन और प्यार भरी बातें तो करते थे, पर उस से आगे नहीं बढ़ते थे. बीच में एक महीने के लिए मैं मायके आ गई. ससुराल लौटी तो हम मन से काफी करीब आ चुके थे. वैसे भी मैं स्कूली दिनों में खूब खेलतीकूदती थी और साइकिल भी चलाती थी. पति भी धैर्य वाला मिल गया. इसलिए दर्द नहीं हुआ. हुआ भी तो जोश और आनंद में पता ही नहीं चला.’’

पतिपत्नी के पहले मिलन को ले कर अनेक तरह के किस्से, आशंकाएं और भ्रांतियां सुनने को मिलती हैं. पुरुषों को अपने सफल होने की आशंका के बीच यह उत्सुकता भी रहती है कि पत्नी वर्जिन है या नहीं. उधर, स्त्री के मन में पहली बार के दर्द को ले कर डर बना रहता है.

आजकल युवतियां घर में ही नहीं बैठी रहतीं. वे साइकिल चलाती हैं, खेलकूद में भाग लेती हैं, घरबाहर के बहुत सारे काम करती हैं. ऐक्सरसाइज करती हैं, नृत्य करती हैं. ऐसे में जरूरी नहीं कि तथाकथित कुंआरेपन की निशानी यानी उन के यौनांग के शुरू में पाई जाने वाली त्वचा की झिल्ली शादी होने तक कायम ही रहे. कई तरह के शारीरिक कार्यों के दौरान पैरों के खुलने और जननांगों पर जोर पड़ने से यह झिल्ली फट जाती है, इसलिए जरूरी नहीं कि पहले मिलन के दौरान खून का रिसाव हो ही. रक्त न निकले तो पुरुष को पत्नी पर शक नहीं करना चाहिए.

अब सवाल यह उठता है कि जिन युवतियों के यौनांग में यह झिल्ली विवाह के समय तक कायम रहती है, उन्हें दर्द होता है या नहीं. दर्द का कम या ज्यादा होना झिल्ली के होने न होने और पुरुष के व्यवहार पर निर्भर करता है. कई युवतियों में शारीरिक कार्यों के दौरान झिल्ली पूरी तरह हटी हो सकती है तो कई में यह थोड़ी हटी और थोड़ी उसी जगह पर उलझी हो सकती है. कई में यह त्वचा की पतली परत वाली होती है तो कई में मोटी होती है.

स्थिति कैसी भी हो, पुरुष का व्यवहार महत्त्वपूर्ण होता है. जो पुरुष लड़ाई के मैदान में जंग जीतने जैसा व्यवहार करते हैं, वे जोर से प्रहार करते हैं, जो स्त्री के लिए तीखे दर्द का कारण बन जाता है. ऐसे पुरुष यह भी नहीं देखते कि संसर्ग के लिए राह पर्याप्त रूप से नम और स्निग्ध भी हुई है या नहीं. उन के कानों को तो बस स्त्री की चीख सुनाई देनी चाहिए और आंखों को स्त्री के यौनांग से रक्त का रिसाव दिखना चाहिए. ऐसे पुरुष, स्त्री का मन नहीं जीत पाते. मन वही जीतते हैं जो धैर्यवान होते हैं और तन के जुड़ने से पहले मन के तार जोड़ते हैं व स्त्री के संसर्ग हेतु तैयार होने का इंतजार करते हैं.

भले ही आप पहली सहेली के पति की तरह महीना, डेढ़ महीना इंतजार न करें पर एकदम से संसर्ग की शुरुआत भी न करें. पत्नी से खूब बातें करें. उस के मन को जानने और अपने दिल को खोलने की कोशिश करें. पर्याप्त चुंबन, आलिंगन करें. यह भी देखें कि पत्नी के जननांग में पर्याप्त गीलापन है या नहीं. दर्द के डर से भी अकसर गीलापन गायब हो जाता है. ऐेसे में किसी अच्छे लुब्रीकैंट, तेल या घी का इस्तेमाल करना सही रहता है. शुरुआत में धीरेधीरे कदम आगे बढ़ाएं. इस से आप को भी आनंद आएगा और पत्नी को दर्द भी कम होगा.

कई युवतियों के लिए सहवास आनंद के बजाय दर्द का सबब बन जाता है. ऐसा कई कारणों से होता है, जैसे :

कुछ युवतियों में वल्वा यानी जांघों के बीच का वह स्थान जो हमें बाहर से दिखाई देता है और जिस में वेजाइनल ओपनिंग, यूरिथ्रा और क्लीटोरिस आदि दिखाई देते हैं, की त्वचा अलग प्रकार की होती है, जो उन्हें इस क्रिया के दौरान पीड़ा पहुंचाती है. त्वचा में गड़बड़ी से इस स्थान पर सूजन, खुजली, त्वचा का लाल पड़ जाना और दर्द होने जैसे लक्षण उभरते हैं. त्वचा में यह समस्या एलर्जी की तरह होती है और यह किसी साबुन, मूत्र, पसीना, मल या पुरुष के वीर्य के संपर्क में आने से हो सकती है.

सहवास के दौरान दर्द होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए. सहवास से पहले पर्याप्त लुब्रीकेशन करना चाहिए. पुरुष को यौनांग आघात में बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वही काम मुद्राएं अपनानी चाहिए जिन में स्त्री को कम दर्द होता हो. इस से भी जरूरी बात यह है कि पहले मन के तार जोडि़ए. ये तार जुड़ गए तो तन के तार बहुत अच्छे और स्थायी रूप से जुड़ जाएंगे.    – सहवास के दौरान पर्याप्त लुब्रीकेशन न होने से भी महिला को दर्द का एहसास हो सकता है.

– महिला यौनांग में यीस्ट या बैक्टीरिया का इन्फैक्शन भी सहवास में दर्द का कारण बनता है.

– एक बीमारी एंडोमेट्रिआसिस होती है, जिस में गर्भाशय की लाइनिंग शरीर के दूसरे हिस्सों में बनने लगती है. ऐसा होने पर भी सहवास दर्दनाक हो जाता है.

– महिला के यौनांग की दीवारों के बहुत पतला होने से भी दर्द होता है.

– यूरिथ्रा में सूजन आ जाने से भी सहवास के दौरान दर्द होता है.

सैक्स एंजाइटी ठीक नहीं

अकसर सैक्स करने के बाद कुछ जोड़े चिंतित हो जाते हैं. खासकर तब जब शादी से पहले का समय हो या शादी की शुरुआत का हो. इस की कई वजहें हैं, जिन से बचने की सख्त जरूरत तो है ही, साथ ही साथ समाधानों को अपनाने की भी जरूरत है. सैक्स के बाद बरताव सैक्स के बाद बरताव कैसा हो, यह समझना किसी जोड़े के लिए सब से ज्यादा जरूरी है. उन के बीच मजा भले सैक्स दे,

लेकिन सैक्स के बाद एकदूसरे के साथ किया गया बरताव ही संबंधों को मजबूत बनाता है. अकसर मर्द जब सैक्स के बाद ढीला पड़ने लगता है, तो वह झट से अपनी पार्टनर से दूरी बनाने लगता है. कपड़े तुरंत पहन लेता है और बिस्तर से उठ जाता है या अपनी पार्टनर की तरफ पीठ कर के सोने लगता है. मर्द का यह बरताव उस की पार्टनर को निराशा दे सकता है. उसे लग सकता है कि सिर्फ सैक्स के लिए ही मर्द साथी उस के करीब आया है. ऐसे में जरूरी है कि सैक्स पूरा हो जाने के बाद एकदूसरे से रोमांटिक बातें करते रहें. किसी ऐसी बात के जिक्र से बचें, जो गंभीर हो और जो आप के पार्टनर का मूड खराब कर दे.

ज्यादा बढ़िया है कि सैक्स के बाद अपनी पार्टनर की पोजिशन, सैक्सी बौडी, मूव्स और सैक्स के दौरान किस तरह का मजा आप को आया है, उसे शेयर करें. अकसर औरतें भी सैक्स के बाद ‘तुम कंफर्टेबल हो या नहीं?’ जैसी बातें कई बार पूछती हैं और अगर मर्द पार्टनर पलट कर जवाब दे, तो ‘तुम बड़े बेशर्म हो’ जैसी मूड औफ वाली बातें कह देती हैं. ध्यान रहे कि सैक्स से पहले ‘फोरप्ले’ होता है और उस के बाद ‘आफ्टर प्ले’. जितना जरूरी ‘फोरप्ले’ है, उतना ही जरूरी ‘आफ्टर प्ले’ भी है.

यह नहीं कि आप का सैक्स हो गया और मुंह फेर कर बेतुके सवाल पूछने लगीं. अगर आप सैक्स को मजेदार बनाना चाहती हैं तो देखना होगा कि उस का पूरा होना भी अच्छा हो, इसलिए लंबी बातें करें, पर ऐसी बातों से बचें, जो पार्टनर को चुभ सकती हैं. बेहतर है कि सैक्स के बाद भी एकदूसरे के साथ इंटीमेट बात करते रहें या एकदूसरे को सहलाते रहें. अगर मूड नहीं है तो कम से कम अपने मर्द पार्टनर से चिपक कर रह सकती हैं. चरमसुख का सवाल चरमसुख यानी सैक्स के बाद मिलने वाला मजा. जब आंखों की पुतलियां खुली की खुली रह जाती हैं और शरीर में लंबी सिहरन दौड़ पड़ती है. इस में कोई शक नहीं कि मर्दों के मुकाबले औरतें बिस्तर पर ज्यादा देर तक टिकी रहती हैं, लेकिन अगर मर्द को सैक्स की तकनीक में महारत हासिल है, तो उस के लिए यह फुजूल बात है.

अकसर मर्द चरमसुख को ले कर यह गलती हमेशा करते हैं कि वे अपनी पार्टनर से बातबात पर उन के चरमसुख के बारे में पूछते रहते हैं, जिस से औरतें परेशान होती हैं. आमतौर पर ऐसा मर्द इसलिए नहीं करते हैं कि उन्हें औरतों के चरमसुख की चिंता रहती है, बल्कि वे इसलिए पूछते हैं ताकि वे अपनी मर्दानगी पर ताव दे सकें, क्योंकि बिस्तर पर जो अपनी पार्टनर को खुश न कर सका, उसे इस मामले में ढीला माना जाता है. पहली बात, जरूरी नहीं कि हर औरत को चरमसुख मिले. हर औरत की शारीरिक बनावट अलगअलग होती है, इसलिए अपनी पार्टनर से बारबार चरमसुख के बारे में पूछना ठीक नहीं. जरूरत इस बात को ध्यान में रखने की है कि सैक्स के दौरान आप पार्टनर को कैसे चरमसुख दे सकें.

इस के लिए जरूरी है कि आप की पार्टनर आप की बातों और बिस्तर पर बिताए आप के हर पल, चाहे वह ‘फोरप्ले’ हो या सैक्स, आप किस तरह निभाते हैं. अंडरवियर पहनें या नहीं इस पर बहुत कम लोग ही ध्यान देते हैं. वैसे, सैक्स में अंडरवियर की अपनी ही अलग इंटीमेसी होती है. आजकल तो बाजारों में मर्दों और औरतों के लिए सैक्सी अंडरगारमैंट आ गए हैं, जो जोश में लाने के लिए काफी होते हैं. सैक्स में अंडरगारमैंट का अपना ही अलग मजा होता है.

अकसर जोड़े सैक्स से पहले अंडरवियर उतार लेते हैं, फिर बाद में उसी अंडरवियर को पहन लेते हैं. सवाल यह कि सैक्स करने के बाद उतारे अंडरवियर को पहनें या नहीं? अब आप कहेंगे कि यह कैसा सवाल हुआ? जब सैक्स करने से पहले अंडरवियर निकाल दिया तो दिक्कत क्या है उसे पहनने में? सैक्स की टाइमिंग ‘फोरप्ले’ पर निर्भर करती है. ‘फोरप्ले’ ही वह बुनियाद है, जो बेहतर संतुष्ट पारी खेलने में मदद करती है. अकसर ‘फोरप्ले’ के दौरान मर्दऔरत दोनों के स्पर्म थोड़ीथोड़ी मात्रा में गिर जाते हैं. ऐसे में उसी अंडरवियर को फिर से पहनना सही नहीं है. कोशिश करें कि अंडरवियर को बदल लें. बच्चा ठहरने का डर सैक्स के दौरान असुरक्षा का डर इस के खुलेपन में खलल पैदा करता है. अकसर मर्दऔरत सैक्स करने के बाद इस डर से जूझने लगते हैं कि कहीं बच्चा ठहर न जाए.

मुमकिन है कि उन्होंने कंडोम का इस्तेमाल किया हो, फिर भी डर बना रहता है. ऐसी चीजों से न सिर्फ सैक्स के दौरान के पलों पर इस का असर पड़ता है, बल्कि सैक्स के बाद भी तनाव का सामना करना पड़ता है, फिर उस जोड़े के आपस के सवालजवाब और परेशान करने लगते हैं. असुरक्षित सैक्स के बाद बाजार में इमर्जैंसी पिल की सुविधा मौजूद है. सैक्स के 72 घंटों तक इसे लिया जा सकता है. खैर, ये तो तब के हालात हैं, जब असुरक्षित सैक्स किया हो. फीलिंग जरूरी है अकसर सैक्स के तुरंत बाद जोड़े में से कोई अपना फोन या लैपटौप चलाने लगता है या किसी और काम में लग जाता है. ऐसा करने से कुछ ऐसा महसूस होता है कि वह बस अपनी शारीरिक भूख मिटाने के मकसद से ही सैक्स कर रहा था. ऐसा करने से बचें. जब तक बहुत जरूरी काम न हो, अपने पार्टनर के साथ बने रहें, क्योंकि आप के ऐसा करने से आप के पार्टनर को बुरा महसूस हो सकता है.

जब पार्टनर टालने लगे शादी की बात

आजकल की जिंदगी में अगर लड़के की गर्लफ्रेंड न हो और लड़की का बौयफ्रेंड न हो तो दोस्त एक-दूसरे का मज़ाक बना लेते हैं इसलिए ये तो आजकल आम बात हो गई वैसे भी जिंदगी का एक मोड़ ऐसा आता है जब हर किसी को एक पार्टनर की जरूरत होती है. और जब उसे वो पार्टनर मिल जाता है तो उसके साथ बहुत से सपने संजोने लगते हैं.

अगर लडकियों की बात करें तो लड़कियां इस मामले में ज्यादा इमोशनल होती हैं और साथ ही उनकी अपने पार्टनर से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें होने लगती हैं लेकिन जब उनका पार्टनर उन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो वो अंदर से टूट जाती हैं लेकिन इन सब के बाद भी उनके अंदर एक उम्मीद होती है कि उनका पार्टनर उससे शादी जरूर करेगा लेकिन लड़के अक्सर शादी की बात को टालने लगते हैं लड़की जब भी इस बारे में बात करती हैं तो या तो बात को गोल-मोल घुमा देते हैं और या तो उस बात को पलट देते हैं या कहते हैं मैं अभी रेडी नहीं हूं उस वक्त लड़की को अनसिक्योर फील होता है जो कहीं न कहीं सही है.ऐसे में लड़कियों को कुछ सलाह है जो उन्हें करना चाहिए.

सबसे पहले तो आप एक लड़की हैं ये सोच कर कभी चुप मत रहिए.अगर आपको लगे की आपका पार्टनर शादी की बात टाल रहा है जरूर कुछ गड़बड़ है तो तुरन्त बिना वक्त गवाएं उससे फेस टू फेस बात करें और मामला क्लियर करें क्योंकि बिना क्लियर किए रिश्ता निभाना बहुत मुश्किल है. फिर भी अगर आपका पार्टनर इधर-उधर की बातें करे तो आपको उससे कड़ाई से ये सवाल करना चाहिए कि वो शादी के लिए तैयार है या नहीं.

अक्सर लड़कियां प्यार मोहब्बत की बातें सुनकर भावुकता में बह जाती हैं तो ऐसा बिल्कुल भी न करें अपनी जिंदगी को किसी पर निर्भर न होने दें और ना ही किसी उम्मीद को पलने दें क्योंकि जिंदगी कब क्या मोड़ लेले ये किसी को भी नहीं पता.आप खुद को इस तरह स्ट्रांग बनाए कि अगर आपका पार्टनर शादी न करें तो आप भी उसके पीछे अपना समय न गवाएं क्योंकि उसके छोड़कर जाने से आपकी जिंदगी खतम नहीं हो जाएगी.

जब आपको ये लगने लगे कि अब ज्यादा हो रहा है आपकी शादी वाली बात आपका पार्टनर सुनने के लिए रेडी नहीं हैं और अगर सुनने पर भी बार-बार टालता हैं तो आपको अपनी लाइफ में मूवऑन करना चाहिए
क्योंकि रिश्ता इसी तरह खतम हो जाता है. क्योंकि आप जितना उससे जुड़ी रहेंगी आपको बाद में उतनी ही तकलीफ होगी.

अगर आपको लगने लगे कि अब आपका पार्टनर आपमें दिलचस्पी नहीं ले रहा है और शादी की बातें भी नहीं करता तो उससे दूर हो जाना ही ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि आपकी अपनी भी खुद की एक जिंदगी है जिसे आपको जीने का पूरा हक है अपनी जिंदगी को खुल कर बिना किसी दबाव के जीना चाहिए.

ऐसा नहीं है कि हर प्यार करने वाले पार्टनर धोखा देते हैं बल्कि कभी-कभी किसी की मजबूरी के कारण भी दो लोग अलग हो जाते हैं तो ऐसे में आपको ऐसा ही करना होगा और खुद को संभालना होगा अपनी
जिंदगी में आगे बढ़ना होगा.

ये सेक्स पौजिशन पड़ सकती है पुरुषों को भारी

सेक्स का भरपूर आनंद लेने के लिए कई तरह की पौजिशन का जिक्र किया गया है, वूमन औन टौप उन्हीं में से एक है. कई पुरुषों की ये पसंदीदा पौजिशन होती है और उन्हें महिलाओं को ऊपर (वूमन औन टौप) रखने से अधिक आनंद की अनुभूति होती है, लेकिन ऐसा करना पुरुषों के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है और हो सकता है कि वे कभी सेक्स कर भी न पाएं.

दरअसल वूमन औन टौप पौजिशन में पुरुषों के जननांग (penis) में फ्रैक्चर (पेनाइल फ्रैक्चर) होने का अंदेशा रहता है. रिसर्च के अनुसार पेनाइल फ्रैक्चर के अधिकांश मामले इसी सेक्स पोजिशन के कारण सामने आते हैं.

वूमन औन टौप पोजिशन सबसे खतरनाक : रिसर्च

कनाडा के एक रिसर्च दल के मुताबिक वूमन औन टौप पौजिशन सबसे खतरनाक सेक्स पौजिशन है, जिससे हमेशा पेनाइल फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है.  इस अध्ययन के लिए ब्राजील के शहर कैंपिनास के तीन अस्पतालों के आंकड़ों का अध्ययन किया गया. इस दौरान उन्होंने 13 साल के टाइम पीरियड में संदिग्ध पेनाइल फ्रैक्चर के शिकार लोगों का इंटरव्यू लिया. इनमें से आधे लोगों ने कहा कि पेनिस में दर्द महसूस होने से पहले उन्हें टूटने की आवाज सुनाई दी. जबकि कुछ ने सूजन होने की भी बात कही.

खतरा क्यों होता है

रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है कि वूमेन औन टौप पोजिशन में प्राय: महिला अपने पूरे वजन के साथ गति को नियंत्रित करती है. इस दौरान लिंग के गलत दिशा में अचानक प्रवेश से पेनाइल फ्रैक्चर होता है. साथ ही कहा गया कि वहीं इसके उलटे इसी पौजिशन में जब गति का नियंत्रण पुरुष के हाथ में होता है तो पेनाइल फ्रैक्चर की संभावना कम हो जाती है.

सेक्स के समय ध्यान रखें कहीं गर्भ न ठहर जाए

आजकल के युवा जितनी जल्दी फ्रैंडशिप करते हैं उतनी ही जल्दी रिलेशन भी बना लेते हैं, जिस का नुकसान उन्हें ताउम्र भुगतना पड़ सकता है. कई बार तो सावधानी बरतने के बावजूद गर्भ ठहर जाता है और उन्हें समझ नहीं आता कि क्या करें, किस से सलाह लें. ऐसे में घर में पता चलने के डर से व समाज में बदनामी से बचने के लिए वे कैमिस्ट से ऐबौर्शन पिल्स ले आते हैं जिस के उन के शरीर पर घातक परिणाम भी देखने को मिलते हैं. कई बार तो जान जाने का खतरा बन जाता है. ऐसे में जरूरत है यह समझने की कि यहां तक नौबत ही न आए और अगर आ भी गई है तो डरें नहीं बल्कि प्रौब्लम को फेस करें और किसी अनुभवी डाक्टर से संपर्क कर के ही ऐबौर्शन करवाएं.

इस संबंध में फोर्टिस हौस्पिटल की सीनियर गाइनोकोलौजिस्ट डा. बंदिता सिन्हा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि भारत में अविवाहित युवतियों के ऐबौर्शन के केसेज पहले की तुलना में काफी बढ़े हैं, क्योंकि आज वे जल्दीजल्दी पार्टनर चेंज करने में विश्वास करने लगे हैं. ऐसे में वे खुद की फीलिंग्स पर कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण जोश में आ कर होश खो बैठते हैं जिस से उन के सामने जटिल परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और वे इस से नजात पाने के लिए जहां कहीं से भी ऐबौर्शन पिल्स अरेंज करते हैं, चाहे इस के लिए कितने ही पैसे खर्च हों, वे देने के लिए तैयार रहते हैं.

इतना ही नहीं कईर् डाक्टर्स भी इस स्थिति का फायदा उठा कर मरीज से ढेरों रुपए ऐंठने में नहीं सकुचाते. इन्हीं सब बातों को देखते हुए पिछले 3-4 साल से सरकार ने ऐबौर्शन पर बैन लगाया है कि अगर कोई भी डाक्टर ऐबौर्शन करते हुए या फिर एमटीपी पिल्स देते पकड़ा गया तो उस का लाइसैंस रद्द कर दिया जाएगा. आप सिर्फ एमटीपी मान्यता प्राप्त नर्सिंग होम और अस्पताल में ही गर्भपात करवा सकते हैं.

रोक का खास कारण यह भी

पुरुष प्रधान देश में यही माना जाता है कि अगर वंश को आगे बढ़ाना है तो उस के लिए परिवार में पुत्र का जन्म होना बहुत जरूरी है. ऐसे में जब परिवार वालों को सोनोग्राफी के माध्यम से यह पता चलता है कि गर्भ में बेटी है तो वे डाक्टर को मुंहमांगी रकम दे कर ऐबौर्शन करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसी का नतीजा है कि हरियाणा के 70 गांवों में पिछले कुछ सालों से लड़कियों ने जन्म नहीं लिया. आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं कि वहां पता लगते ही कि गर्भ में लड़की है, ऐबौर्शन करवा दिया जाता है.

लेकिन फिर भी कुछ स्थितियों में युवतियों व महिलाओं को बिना परेशानी के ऐबौर्शन कराने का अधिकार है, जो हैं :

–      अगर युवती या महिला जबरदस्ती किसी के यौन शोषण का शिकार हुई है और वह इस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती तो उसे ऐबौर्शन करवाने का पूरा अधिकार है.

–   यदि इस से महिला या युवती के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो.

–      अगर यह पता लगे कि गर्भ में  पल रहे बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो रहा और उसे 9 माह तक गर्भ में रखना सही नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भी ऐबौर्शन करवाया जा सकता है. इसे डाक्टरी भाषा में मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैग्नैंसी कहते हैं.

क्या है मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैग्नैंसी

एमटीपी प्रक्रिया, जिस में डाक्टर की देखरेख में ऐबौर्शन को अंजाम दिया जाता है, को हर डाक्टर अंजाम नहीं दे सकता. सिर्फ अनुभवी गाइनोकोलौजिस्ट या सिर्फ वे डाक्टर्स जिन्होंने एमटीपी की ट्रेनिंग ली होती है, इसे अंजाम दे सकते हैं, क्योंकि वे जरूरत पड़ने पर अपने अनुभव के बल पर स्थिति को संभाल सकते हैं.

डाक्टरी देखरेख में ऐबौर्शन 2 तरीके से होते हैं :

ऐबौर्शन पिल्स

इस तरीके से ऐबौर्ट करने के लिए सब से पहले यह देखा जाता है कि कितने माह का गर्भ है. अगर गर्भ 6 से 8 सप्ताह के बीच है तो उसे पिल्स द्वारा रिमूव किया जा सकता है और इस का पता लगाने के लिए डाक्टर अल्ट्रासाउंड करता है. एमटीपी पिल डाक्टर की सलाह पर ही दी जाती है. यह पिल असल में गर्भाशय से पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है.

डाक्टर बताते हैं कि दवाएं कितने समय के अंतराल में लेनी हैं, क्योंकि जरा सी लापरवाही पूरे कोर्स को खराब कर सकती है. सिर्फ  दवाएं लेने से ही काम पूरा नहीं होता बल्कि डाक्टर 15 दिन के बाद अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाता है जिस से करंट सिचुएशन के बारे में पता चल जाता है. अगर कोई पीस वगैरा रह गया होता है तो इस प्रोसैस को पुन: दोहराया जाता है या फिर सर्जरी से बाहर निकाला जाता है.

सर्जरी से

इस में बेहोश कर के ऐबौर्शन किया जाता है. इसे तब किया जाता है जब 8 सप्ताह से ज्यादा का गर्भ हो चुका होता है, क्योंकि इस के बाद पिल्स असर नहीं करतीं. इसे डाइलेशन ऐंड क्रूटेज प्रोसैस कहते हैं. इस में आप डाक्टर्स की देखरेख में रहते हैं और आप को प्रौपर केयर मिलती है. यह काफी सेफ प्रोसैस माना जाता है.

डाक्टर से करवाना क्यों फायदेमंद

गर्भपात के लिए कैमिस्ट वगैरा से दवा लेना हानिकारक होता है क्योंकि उन्हें आप की इंटरनल स्टेज के बारे में तो पता नहीं होता, इसलिए कौंप्लिकेशंस पैदा होने का भय रहता है. इस से आप की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. कभीकभी ओवर ब्लीडिंग होने से सिचुएशन आउट औफ कंट्रोल भी हो सकती है. इसलिए जरूरी है डाक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें.

अगर आप को अस्थमा, एनीमिया वगैरा की शिकायत है तो डाक्टर चैकअप के बाद ही बताते हैं कि गोली देना सही रहेगा या नहीं. यहां तक कि सर्जरी के वक्त कंसर्ल्ट फौर्म भी भरवाया जाता है, जिस में पूरी जानकारी दी जाती है. यह भी बताया जाता है कि आप को औपरेशन के कितने दिन बाद दिखाने के लिए आना है. इस से आप काफी सेफ रहते हैं.

ऐबौर्शन के बाद क्या क्या सावधानियां बरतें

  –  इस दौरान भारी चीजें उठाने व झुकने वगैरा से थोड़े समय तक परहेज करना चाहिए.

– किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन भूल कर भी न करें.

– डाइटिंग न करें, क्योंकि इस दौरान लंबे समय तक भूखे रहना सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.

–  एकदम से सैक्स न करें, खुद को थोड़ा समय दें, क्योंकि कई बार ऐसा करने से दोबारा प्रैग्नैंसी का खतरा बन जाता है.

–  इस समय आप जितना अच्छा खाएंगी व अच्छा सोचेंगी उतनी ही जल्दी फिट हो पाएंगी.

मेरा पति रोज शराब पी कर घर आता है और मुझे मारतापीटता है, क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 22 साल है. मेरा पति रोज शराब पी कर घर आता है. वह मुझे मारतापीटता है और मेरी 2 साल की बेटी को भी नहीं बख्शता है.

मैं ने कई बार खुदकुशी की बात सोची, लेकिन मासूम बेटी का मुंह देख कर रुक गई कि इस से वह अनाथ हो जाएगी और कौन उसे देखेगा. फिर कभीकभी सोचती हूं कि क्यों न उसे भी साथ ले कर मर जाऊं, लेकिन हिम्मत नहीं पड़ती. आप सलाह दें कि मैं क्या करूं?

जवाब

सब से पहले तो आप मरने का खयाल दिल से निकाल दें, जो इसलिए आ रहा है कि आप पति के जुल्मोसितम का विरोध नहीं कर पा रही हैं. आप ने मन ही मन इसे अपनी किस्मत मान लिया है.

पति अब जब भी मारे, तुरंत नजदीकी थाने में जा कर उस की शिकायत करें. बेहतर होगा कि उस से अलग ही रहने लगें. इस के लिए आप मायके की और भरोसेमंद रिश्तेदारों की मदद ले सकती हैं.

मेहनतमजदूरी कर के इतना तो कमा ही सकती हैं कि अपना और बच्ची का पेट भर सकें, तो फिर क्यों आप शराबी पति के पल्ले बंधी हैं? सारे डर और लिहाज छोड़ कर उस नरक से बाहर निकलें और अपने मुताबिक जिंदगी जिएं. परेशानियों का डट कर मुकाबला करें.

जानें Pregnancy में कैसी हो सेक्स पोजीशन, पढ़ें खबर

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं काफी सतर्क हो जाती हैं. कहीं गर्भस्थ शिशु को कोई हानि न पहुंचे, इस कारण वे पति से शारीरिक तौर पर भी हर संभव दूरी बनाए रखने की कोशिश करती हैं, मगर डाक्टरों के अनुसार गर्भावस्था में सेक्स किया जा सकता है.

हां, अगर प्रेगनेंट महिला की हालत नाजुक हो या फिर कोई कौंप्लिकेशन हो, तो शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए. लेकिन पत्नी से ज्यादा दिनों तक दूर रहना पति के लिए नामुमकिन हो जाता है, जिस के चलते रिश्तों में अलगाव होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में इस स्थिति को रोकने के लिए आइए जानते हैं कि गर्भावस्था में कैसे करें सेक्स:

गर्भावस्था के दौरान सेक्स के समय इन पोजीशंस के माध्यम से सुरक्षित सेक्स का आनंद भी लिया जा सकता है और इस से होने वाले बच्चे और मां को भी कोई तकलीफ न होगी.

पहली पोजीशन: पति और पत्नी एकदूसरे के सामने लेट जाएं. पत्नी अपना बायां पैर पति के शरीर पर रख दे. इस पोजीशन में सेक्स करने से गर्भ को झटके नहीं लगते.

दूसरी पोजीशन: पत्नी पीठ के बल टखने मोड़ कर अपनी टांगें पति के कंधों पर रखे, फिर सेक्स करें. इस से पेट पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा.

तीसरी पोजीशन: पति कुरसी पर बैठे और पत्नी उस के ऊपर बैठ जाए. यह भी सेफ सेक्स में आता है.

कुछ व्यायामों के माध्यम से भी सेक्स किया जा सकता है, लेकिन इस के पहले डाक्टर से सलाह जरूर ले लें.

सावधानियां

  •  गर्भावस्था में सेक्स के दौरान पति को पत्नी का खास ध्यान रखना चाहिए. पति ज्यादा उत्तेजना में न आए और न ही पत्नी पर ज्यादा दबाव पड़े.
  •  गर्भावस्था में सेक्स करें, लेकिन किसी प्रकार का नया प्रयोग करने से बचें.
  •  सेक्स करते हुए ध्यान रहे कि पत्नी पर ज्यादा दबाव न पड़े.
  •  गर्भावस्था में प्रसव पीड़ा से पहले तक सेक्स किया जा सकता है, पर गर्भवती को इस से कोई तकलीफ  न हो तब.

गर्भावस्था में सेक्स के फायदे

प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है, आइए जानते हैं कैसे:

  •  गर्भावस्था में सेक्स करने से आप की पैल्विक मांसपेशियों में सिकुड़न बढ़ जाती है, जिस से वे प्रसव के लिए और मजबूत बनती हैं.
  •  प्रेगनेंसी के दौरान जल्दी पेशाब आना, हंसने या छींकने पर पानी निकलने आदि की समस्या आप के बच्चे के बड़े होने के कारण मूत्राशय पर पड़ने वाले दबाव की वजह से होती है. यह थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन इस से आप की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जो प्रसव के समय लाभ पहुंचाती हैं.
  •  सेक्स करने से महिला ज्यादा फिट रहती है. इस दौरान वह सिर्फ 30 मिनट में 50 कैलोरी कम कर सकती है जोकि उस की हैल्थ के लिए अच्छा है.
  •  गर्भावस्था में सेक्स करने से महिला की सहनशक्ति 78% बढ़ जाती है, जिस से प्रसव के समय उसे थोड़ा आराम महसूस होता है.
  • सेक्स के बाद रक्तचाप कम हो जाता है. अधिक रक्तचाप मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक होता है, इसलिए बेहतर है कि ऐसी स्थिति में डाक्टर से सलाह लें.
  • औक्सीटोसिन हारमोन संभोग के समय शरीर से मुक्त होता है, जो तनाव को कम करने में उपयोगी होता है, जिस कारण अच्छी नींद आती है.
  •  शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्भावस्था में सेक्स प्रीक्लेंपसिया से बचाता है. यह ऐसी स्थिति है, जिस में अचानक रक्तचाप बढ़ जाता है. ऐसा शुक्राणु में पाए जाने वाले प्रोटीन के कारण होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.

जब डाक्टर को कुछ जटिलताएं नजर आती हैं, तब वे सेक्स न करने की सलाह देते हैं. जटिलताएं कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे:

  • अगर पहले कभी गर्भपात हुआ हो तो.
  •  पहले कभी समय से पूर्व बच्चा जन्मा हो तो.
  •  किसी प्रकार का गर्भपात का जोखिम होने पर.
  • योनि से अधिक रक्तस्राव होने या तरल पदार्थ बहने की स्थिति में.
  •  एक से अधिक बच्चे होने पर.

अगर आप चाहती हैं कि आप की प्रैगनैंसी खुशहाल और सुरक्षित हो तो टोनेटोटकों जैसे गर्भ रक्षा कवच, गर्भ रक्षा हेतु चमत्कारी टोटके, पुत्र प्राप्ति के नुसखे आदि के चक्करों में उलझने से बचें, क्योंकि इस दौरान टोनेटोटके नहीं, बल्कि पतिपत्नी के बीच प्यार और अच्छे संबंध ज्यादा जरूरी हैं. इस दौरान अपने और अपने होने वाले बच्चे का पूरा ध्यान रखें. डाक्टर की सलाह पर चलें और संपूर्ण आहार लें, ताकि आप के शरीर को सभी पोषक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में मिल सकें, जो आप के होने वाले बच्चे के विकास के लिए जरूरी हैं.

मेरा मन अपने बौयफ्रेंड को किस करने का करता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 14 साल की हूं, दिल्ली में रहती हूं. कुछ दिन पहले मेरी और मेरे ट्यूशन में पढ़ने वाले लड़के की बातचीत होनी शुरू हुई. वह और मैं एकदूसरे को बहुत पसंद करते हैं. वह 15 साल का है, बहुत स्मार्ट और इंटैलिजैंट भी है. उस की और मेरी बात होनी शुरू हुई तो हमें एकदूसरे की फीलिंग्स का पता चला. हम दोनों ही एकदूसरे को चाहते थे. सो, रिलेशनशिप में आ गए.

यह हम दोनों की पहली रिलेशनशिप है, इसलिए अब तक हम किसी भी तरह से फिजिकली क्लोज नहीं आए हैं. लेकिन, मैं उसे किस करना चाहती हूं, गले लगाना चाहती हूं, पर मैं बहुत डरती हूं कि उसे कैसे बताऊं या पूछूं.

हम कभी किसी अकेली जगह पर पहले मिले नहीं और उस ने मुझे सामने से किस के लिए कभी पूछा भी नहीं. क्या मुझे उस से पूछना चाहिए या इस के लिए आगे बढ़ना चाहिए?

जवाब-

इस उम्र में आप का फोकस आप का बौयफ्रैंड या उस को किस करना नहीं होना चाहिए बल्कि आप की पढ़ाई होनी चाहिए. किस करने को तो आप कर लेंगी लेकिन उस के बाद होगा क्या, वह भी जान लीजिए. 14 साल की उम्र और पहलापहला प्यार अकसर ऐसे होते हैं कि इन में हुई चीजें हमारे मनमस्तिष्क पर गहरा असर छोड़ जाती हैं.

आप किस करेंगे और एक महीने तक इसी खुशी में घूमते रहेंगे, फिर बारबार किस करने का मन करने लगेगा और पढ़ाई से ध्यान खुदबखुद हट जाएगा. इस के बाद कल को यदि लड़ाई हो गई तो उस गम में न पढ़ाई होगी न चैन आएगा. जिंदगी जितनी सुकूनभरी अभी है, किस के बाद नहीं रहेगी. बेहतर यही होगा कि चीजें स्लो पेस पर चलने दें और अपनी इच्छाओं को कुछ समय के लिए मन में दबा लें. पहले पढ़ाई और कैरियर पर फोकस करें. अभी तो पूरी जिंदगी पड़ी है किस करने और रिलेशनशिप में आने के लिए. इस के लिए आप को इंतजार नहीं करना पड़ेगा. वक्त के साथ यह सब होता चला जाएगा. चिंता मत करिए.

मुहब्बत पर सेक्स का कब्जा क्यों?

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सेक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सेक्स शामिल हो गया है. प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सेक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता. प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं. एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन. शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है. लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया. कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए.

कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए. परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

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