जानें, इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा!

अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

वे सुरक्षित नहीं महसूस करते:

यदि आप लगातार किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिए कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है. वफादारी के पनपने के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच प्यार और भरोसे का सतत प्रवाह बना रहे. ‘‘वैवाहिक रिश्तों में इन भावनाओं का होना अनमोल है और बहुत जरूरी भी. इससे सुनिश्चित होता है कि पति-पत्नी खुश और संतुष्ट हैं,’’ यह कहना है कोलकाता के साइकियाट्रिस्ट व रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ सिलादित्य रे का.

उनके पास बातचीत के लिए कुछ नहीं है:

जब मेरे पति की और मेरी मुलाक़ात हुई थी, तब हम दोनों हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम करते थे,’’ यह बताते हुए रिलेशनशिप एग्जेक्यूटिव प्रिया नायर, 29, कहती हैं,‘‘कुछ समय बाद मैंने वह इंडस्ट्री छोड़ दी और जनसंपर्क के क्षेत्र में आ गई. सालभर बाद तो हमारे पास एक-दूसरे से जुड़ने और बातचीत के लिए कोई साझा मुद्दा ही नहीं बचा था. थोड़े समय बाद हम दोनों को कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत महसूस होने लगी, जिनका आनंद हम साथ-साथ उठा सकें. फिर हमने दौड़ने की अपनी रुचि पर ध्यान देना शुरू किया. हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते, साथ-साथ मैराथन की तैयारी करते और इस बारे में चर्चा करते. इससे हमारी सेहत में भी सुधार आया और परस्पर रिश्ते में भी.’’

वे नाराज हैं, पर इसे छुपा रहे हैं:

यदि आपके बीच लड़ाई के दौरान अक्सर वे आपको ‘इमोशनल’ और आप उन्हें ‘संवेदनहीन’ कहती हैं तो साफ है कि आप दोनों एक-दूसरे की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसी टिप्पणियों से बचें और आरोप लगाने के बजाय एक-दूसरे से अपने एहसासात बांटें.

डॉ रे सलाह देते हैं,‘‘यदि उनकी किसी बात से आप आहत हो रही हैं तो उन्हें बताएं, पर इसका तरीका सही रखें. नकारात्मक भावनात्मक आवेग को बाहर निकालने का सेहतमंद रास्ता ढूंढ़ें. ये आपके वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है.’’

उनके संकेतों को नजरअंदाज़ किया जा रहा है:

हर रिश्ते की कुछ सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान करना आप दोनों के लिए ज़रूरी है. आपको शायद ये अच्छा नहीं लगता हो कि आपके पति अब भी अपनी पूर्व-प्रेमिका से बातचीत करते हैं, पर वे इस बारे में आपको अक्सर संकेत देते रहते हैं.

डॉ रे कहते हैं कि इस तरह की सांकेतिक सीमाओं को समझना चाहिए और इनका आदर भी करना चाहिए. यदि आप इन अनकहे नियमों को तोड़ते हैं तो आपका साथी अपनी वफादारी को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर सकता है और बेवफाई की संभावना बढ़ जाती है.

अपने व्यवहार में खुलापन लाइए. यदि आपको कोई आकर्षक लगता है तो इस बारे में बात कीजिए, क्योंकि यदि आप छिपाएंगी तो आपके इरादों को नेक नहीं कहा जा सकता.

उन्हें सेक्स की जरूरत है:

‘‘यदि आपके सेक्शुअल संबंध सेहतमंद नहीं है तो जाहिर है, आपका साथी यह सुख कहीं और से पाने का प्रयास करेगा,’’ कहना है डा. रे का. अपने सेक्स जीवन पर ध्यान दीजिए और यदि ये आपके, आपके साथी के या फिर आप दोनों के लिए संतुष्टिदायक नहीं है तो इस समस्या का समाधान ढूंढि़ए. इस मामले में मूक दर्शक मत बनिए, बल्कि किसी काउंसलर की मदद लीजिए.

जवानी में सेक्स पर लगाम लगाना है बेहद जरूरी

एक अध्ययन के अनुसार हाल के वर्षों में किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों में तेजी से वृद्धि होने का मुख्य कारण विवाह की उम्र का बढ़ना है. जीव विज्ञानियों के अनुसार, बच्चे शारीरिक रूप से 13 साल की उम्र में परिपक्व हो जाते हैं और उन में सैक्स की इच्छा जाग्रत होने लगती है, जबकि अब उन का विवाह औसतन 27 वर्ष की उम्र में होता है. ऐसी स्थिति में वे इतने लंबे समय तक सैक्स की इच्छा को दबा पाने में असमर्थ होते हैं और वे यौन संबंध स्थापित कर लेते हैं. अध्ययन में पाया गया है कि लड़कियों की तुलना में लड़के सैक्स संबंध में अधिक रुचि लेते हैं, जबकि लड़कियां भावनात्मक लगाव पसंद करती हैं. लेकिन लड़कियां जब लड़कों से भावनात्मक रूप से जुड़ती हैं, तो वे भी यौन संबंध की इच्छा प्रकट करने लगती हैं. आम धारणा है कि लड़कियां खुद को सैक्स से दूर रखना चाहती हैं, लेकिन इस का कारण परिवार और समाज का डर होता है. इसलिए इस से यह साबित नहीं होता कि लड़कियों में यौन इच्छा कम होती है.

कुछ लड़कियों का मानना है कि यौन संबंध के बगैर भी किसी लड़के से दोस्ती निभाई जा सकती है, लेकिन कुछ समय बाद भी जब लड़की यौन संबंध के लिए राजी नहीं होती है, तो उसे असामान्य मान लिया जाता है और उन की दोस्ती टूट जाती है. इसलिए मजबूरीवश भी लड़कियों को इस के लिए तैयार होना पड़ता है. कुछ लड़कों का कहना है कि लड़कियां शर्मीले स्वभाव की होती हैं, इसलिए वे सैक्स के मामले में पहल नहीं करती हैं, लेकिन बाद में इस के लिए तैयार हो जाती हैं. किशोर लड़केलड़कियों के बीच यौन संबंध महानगरों में तो आम बात हैं ही, छोटे शहर व कसबे भी अब इन से अछूते नहीं हैं. कुछ लड़कों का कहना है कि कौमार्यता उन के लिए कोई माने नहीं रखती. शादी से पहले यौन संबंध बनाना कोई बुरी बात नहीं है. जबकि कुछ लड़कियों का कहना है कि इस मामले में लड़के दोहरा मानदंड अपनाते हैं. एक तरफ तो वे शादी से पूर्व शारीरिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन शादी के मामले में वे ऐसी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं, जिस ने शादी से पूर्व यौन संबंध स्थापित न किए हों.

यौन संबंधों की शुरुआत

किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों की शुरुआत शारीरिक आकर्षण से होती है. जब लड़कालड़की एकदूसरे से सम्मोहित हो जाते हैं, तो वे एकदूसरे को प्यार से छूते और चूमते हैं और फिर बहुत जल्द ही उन में यौन संबंध कायम हो जाते हैं. लेकिन प्यार और दोस्ती उसी अवस्था में अधिक दिनों तक कायम रह पाती है जब शारीरिक संबंधों को महत्त्व न दिया जाए. जब प्यार पर सैक्स हावी हो जाता है तो जल्द ही उन का मन सैक्स से भर जाता है और संबंध टूट जाते हैं,

क्योंकि यहां भावनात्मक लगाव कम या कह सकते हैं कि न के बराबर होता है. माना जाता है कि ऐसे मामलों में लड़कियां खुद को अधिक असुरक्षित महसूस करती हैं. अधिकतर मामलों में वे लड़कों पर आंख बंद कर विश्वास नहीं करतीं. कभीकभी वे बड़ों से भी सलाह लेती हैं. लड़कियां किशोरावस्था में अपने व्यक्तित्व के विकास पर अधिक ध्यान देती हैं. वे लड़कों के बराबर चलना चाहती हैं. लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि लड़कियां संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं लेतीं, बल्कि वे इस में बराबर की भागीदार होती हैं. कुछ लड़कों का तो यहां तक कहना है कि आज के समय में लड़कियां लड़कों से आगे हो गई हैं. वे लड़कों के बीच भेदभाव पैदा कर देती हैं. सैक्स एवं यौन संबंधों के बारे में जानकारी के मुख्य स्रोत टैलिविजन, पत्रपत्रिकाएं, सिनेमा आदि हैं. लेकिन सैक्स शिक्षा के अभाव तथा सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे भटक जाते हैं. इस का सब से अधिक खमियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ता है.

लड़कियां यौन संबंध स्थापित तो कर लेती हैं, लेकिन गर्भनिरोध की जानकारी के अभाव में वे गर्भवती हो जाती हैं. हालांकि अधिकतर मातापिता का यह कहना है कि भारत में गैरशादीशुदा किशोर लड़कियों में गर्भवती होने के बहुत कम मामले होते हैं. शिक्षकों का भी यही मानना है.

इस का कारण यह है कि मातापिता और शिक्षक इस मामले में अनभिज्ञ होते हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में उन्हें पता ही नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध बनाए हुए हैं. बच्चे भी डर से ऐसी बातें मातापिता या शिक्षकों को नहीं बताते. लड़केलड़कियां खुद ही गर्भपात कराने डाक्टर के पास चले जाते हैं. ऐसे मौके पर उन के दोस्त उन का साथ देते हैं. हालांकि कुछ मामलों में लड़कियां गर्भपात नहीं कराना चाहतीं, लेकिन चूंकि उन के पास दूसरा कोई उपाय नहीं होता, इसलिए अंतत: उन्हें गर्भपात कराना ही पड़ता है.

इंटरनैशनल प्लांड पैरेंटहुड फैडरेशन के अनुसार विश्व भर में हर साल कम से कम 20 लाख युवतियां गैरकानूनी गर्भपात कराती हैं. चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं की तुलना में किशोरवय की लड़कियों में गर्भपात अधिक घातक साबित होता है. अवैध और असुरक्षित यौन संबंध एड्स का बहुत बड़ा कारण है. हालांकि एड्स के भय से अब एक ही साथी से यौन संबंध बनाने में लड़केलड़कियां अधिक रुचि रखने लगे हैं, फिर भी शारीरिक संबंध बनाने के समय वे कोई सावधानी नहीं बरतते. कुछ स्कूलों में बच्चों को एड्स के बारे में शिक्षा दी जाने लगी है और कुछ मातापिता भी अपने बच्चों को एड्स तथा सुरक्षित सैक्स की जानकारी देने लगे हैं.

फिर भी एचआईवी के नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे एकीकृत राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी के नए मामलों में 60% मामले 15 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं के पाए गए. इन में लड़कों की तुलना में दोगुनी लड़कियों में एड्स के मामले पाए गए. अधिकतर मामलों में मातापिता को पता नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध स्थापित किए हुए हैं. फिर भी यदि मातापिता और शिक्षक चाहें तो सैक्स अपराध को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं. इस के लिए बच्चों को समय पर उचित सैक्स शिक्षा दी जानी चाहिए. प्रतिकूल हालात में उन की मदद करनी चाहिए. इस के अलावा उन्हें अपनी ऊर्जा किसी खेल या इसी तरह के दूसरे किसी शौक में लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

आज एड्स जैसी बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. ऐसे में किशोरों में फैल रही यौन उच्छृंखलता पर नियंत्रण आवश्यक है. इस के लिए किशोरों को सैक्स से दूर रहने की शिक्षा देने या सैक्स के बारे में आधीअधूरी जानकारी देने के बजाय उन्हें सही अर्थों में सैक्स के बारे में ज्ञानवान बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सही मार्ग अपना सकें.

कामुकता का राज क्या जानते हैं आप

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

पति पत्नी का रिश्ता : तुम नहीं तो कुछ भी नहीं

‘मैं ने तो तुम से हमेशा ही मुहब्बत की है, तुम्हारे  मना करने से हकीकत नहीं बदलेगी…’ पतिपत्नी का रिश्ता कुछ इस तरह का हो तो ही संबंध लंबे समय तक खुशनुमा रह सकते हैं. पतिपत्नी में विवाद होने पर भी मुहब्बत और निर्भरता कम नहीं होती. ‘तुम ने मेरे लिए क्या किया?’ या ‘तुम ने मेरे साथ ऐसे क्यों किया?’ कहने से पतिपत्नी का प्यार कम नहीं होता.

अफसोस यह है कि आज पतिपत्नी के बीच तर्क व शिक्षा के सीमेंट के पुल बनने के बाद भी उन तत्त्वों की कमी नहीं है, जो पुलों में मोटे छेद बनाने में लगे हैं और जिन में फंस कर पतिपत्नी एक की मुहब्बत को नकार कर शून्य बना देते हैं. औरतों की सुरक्षा और उन के सशक्तीकरण के नाम पर बन रहे कानून और पहले के बने कानूनों का फैलता दायरा पतिपत्नी के संभावित प्रगाढ़ प्रेम की सीमेंट को रेतीला बना रहा है.

आज के युग में कोई लड़का खुद को लड़की पर नहीं थोपता और न ही लड़की लड़के के गले में बंदूक की नाल के बल पर बांधी जाती है. हर विवाह खुशियों का जखीरा होता है जिस में पूरा परिवार शामिल होता है. हैसियत से ज्यादा खर्च किया जाता है और वरवधू को यह एहसास दिलाया जाता है कि उन के बंधन को हमेशा तरोताजा देखने में कितने लोग उत्सुक हैं. फिर भी उन मामलों की कमी नहीं है जिन में लाल या कढ़े हुए जोड़ों में चमचमाती लड़कियां कुछ दिनों के बाद अदालतों में काले कोटों के बीच या पुलिस स्टेशनों में खाकी वरदियों के बीच दिखने लगती हैं.

-पतिपत्नी का संबंध असल में तो कुछ ऐसा है

‘हमारा अंदाज कुछ ऐसा है, जब हम बोलते हैं तो फुहारों की तरह बरस जाते हैं और जब चुप रहते हैं तो सन्नाटे से वे तरस जाते हैं…’ पर कानून उस बरसने को तूफान बना रहा है और चुप्पी को जीवनपर्यंत की सजा दे रहा है. यह अफसोस है कि जिस कानून को संबंधों को मजबूत करना था, विवादों को हल करना था, समस्याओं को दूर करने की कोशिश करना था, हदों की लाइनें खींचना था वह अब सिर्फ और सिर्फ अलग रहना सिखा रहा है.

‘किसी के साथ हमेशा रहना चाहते हो, तो उस से थोड़ा दूरदूर रहो’ को बदल कर औरतों की सुरक्षा के कानूनों ने ‘किसी के साथ हमेशा रहना आखिर क्यों जरूरी है, उस से सदा के लिए दूर रहो’ बना डाला है. कठिनाई यह है कि देश के विकास के नारों और गौरक्षा, सीमा रक्षा, नौकरी रक्षा में उलझे नेताओं को परिवार रक्षा का खयाल तक नहीं है और उन्हें नहीं मालूम कि किस तरह पतिपत्नी अलगाव के बाद एक दुखी व तनाव की जिंदगी जीते हैं. जिस कठिनाई को वे पहले असहनीय मानते थे उस से वे उस आग में कूद जाते हैं, जो पूरे जीवन को राख बना देती है. अफसोस यह आग कानून हमेशा जलाए ही नहीं रखता, हर गली के कोने पर इस का अलाव रख दिया गया है.

‘जो ले जाओ (ए कानून) मेरी नींद सुखचैन उफ भी कैसे करेंगे हम,
अब तो ख्वाब भी गए, चैन भी गया
जीने को जिंदा लाश बची है और बस तनहाई साथ में है…’

सुहागरात को जब मैंने पति के साथ सेक्स किया तो मुझे ब्लीडिंग नहीं हुई, बताएं ऐसा क्यों हुआ?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. 6 महीने पहले ही मेरा विवाह हुआ है. मैं एक बात को ले कर बहुत परेशान हूं. सुहागरात को जब मैं ने पति के साथ सहवास किया तो रक्तस्राव नहीं हुआ. मैं ने आज तक किसी से संबंध बनाना तो दूर दोस्ती तक नहीं की. फिर प्रथम समागम के दौरान रक्तस्राव क्यों नहीं हुआ. भले ही मेरे पति ने इस बात पर गौर नहीं किया पर यह बात मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही है. कृपया बताएं ऐसा क्यों हुआ?

जवाब

सुहागरात को संबंध बनाने के दौरान आप को रक्तस्राव नहीं हुआ इस बात को ले कर आप को परेशान नहीं होना चाहिए. बहुत बार दौड़तेभागते या गिरने आदि से कौमार्य झिल्ली फट जाती है. आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा, इसलिए आप बेवजह परेशान न हों और वैवाहिक जीवन का आनंद उठाएं. अभी आप की नईनई शादी हुई है. रोमांस करने के समय में बेकार की बातों को ले कर परेशान न होएं.

कई महिलाओं को संभोग के बाद रक्त स्त्राव होता है. वैसे तो यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह अन्य समस्याओं की ओर भी इशारा करती है. पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से योनि से खून आता है. लेकिन, यह महिलाओं की योनि में सेक्स के समय लगी किसी चोट, संक्रमण व सर्वाइकल कैंसर का भी संकेत करता है. अगर सेक्स के बाद योनि से लगातार खून निकल रहा हो तो इस स्थिति में आपको तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

सेक्स करते समय खून क्यों आता है?

सेक्स के बाद योनि से खून आने की समस्या को चिकित्सा जगत में पोस्टकोइटल ब्लीडिंग (Postcoital bleeding) के नाम से जाना जाता है. यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकती है. जो महिलाएं रजोनिवृत्ति की स्थिति में नहीं है, उनमें इस तरह की समस्या गर्भाशय ग्रीवा के कारण उत्पन्न होती है, जबकि रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं में यह समस्या कई अन्य कारणों से भी होती हैं.

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर एक चिंता का विषय है. खासकर रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है. सेक्स के बाद महिलाओं की योनि से इस कारण भी खून आता है.

इसके अलावा कुछ ऐसे कारण भी हैं, जिनकी वजह से सेक्स के बाद रक्त स्त्राव होता है.

संक्रमण होना कुछ संक्रमण में सूजन व ऊतक भी योनि से खून आने की वजह होते हैं. इसमें निम्न संक्रमण शामिल होते हैं –

  • श्रोणि में सूजन की बीमारी (Pelvic inflammatory disease)
  • एसटीडी- यौन संचारित रोग
  • गर्भावशय की ग्रीवा में सूजन (Cervicitis)
  • योनि में सूजन (Vaginitis; वैजिनाइटिस)

रजोनिवृत्ति में जेनिटोयुरनेरी सिंड्रोम

यह सिंड्रोम महिलाओं की योनि की सक्रियता को कम करने का इशारा करता है. यह रोग रजोनिवृत्ति के समय व अंडाशय निकालने के कारण होता है. महिलाओं की अधिक उम्र होने पर महवारी बंद हो जाती है और ऐसे उनके शरीर में एस्ट्रोजन के बनने का स्तर कम हो जाता है. एस्ट्रोजन महिलाओं के शरीर में प्रजनन के लिए जिम्मेदार होता है.

महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से कई तरह के रोग उत्पन्न होने लगते हैं. इससे महिलाओं की योनि में कम ल्युब्रिकेशन बनता है. जिससे महिलाओं की योनि में सूखापन व जलन होने लगती है. एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से योनि के लचिलेपन पर भी असर पड़ता है. योनि के ऊतक सिकुड़ जाते हैं. जिसकी वजह से सेक्स के समय दर्द, असहजता व खून आता है.

पोलिप्स (Polyps)

यह एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है. इसके होने से कैंसर का खतरा नहीं रहता है. यह महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा व गर्भाशय की अंदरूनी परत में भी हो जाते हैं. यह गोल आकार के होते हैं. इनके सक्रिय होने पर यह ऊतकों में जलन व रक्त वाहिकाओं में ब्लीडिंग की वजह बनते हैं.

जोश में सेक्स करना

जोश के साथ सेक्स करना भी योनि से खून आने का कारण होता है, क्योंकि इस तरह के सेक्स में शारीरिक बल लगाया जाता है जिससे योनि में खरोंच आ जाती है. रजोनिवृत्ति, स्तनपान व योनि में रूखापन होने के कारण भी योनि से खून आता है.

कैंसर

योनि से लगातार खून आना या सेक्स के बाद खून आना सर्वाइकल व योनि के कैंसर का लक्षण होता है. इस तरह के लक्षण पाए जाने वाली कई महिलाओं की जांच में सर्वाइकल कैंसर पाया गया है. इसके अलावा कई मामलों में गर्भाशय के कैंसर को भी पाया गया.

योनि में सूखापन होना

योनि का सूखापन रक्त स्त्राव होने का आम कारण होता है. इसके अलावा भी योनि से खून बहने के निम्न अन्य कारण होते हैं –

  • स्तनपान कराना.
  • बच्चे के जन्म के बाद.
  • अंडाशय को निकालना
  • कई दवाएं, जैसे- सर्दी में ली जाने वाली दवाएं, अस्थमा की दवा, अवसाद को कम करने वाली दवाएं व एस्ट्रोजन को कम करने वाली दवाएं आदि.
  • किमोथेरेपी व रेडीएशन थेरेपी.
  • शारीरिक बल व जोश के साथ सेक्स करना.
  • किसी कैमिकल से योनि को साफ करना.

क्या सेक्स के बाद योनि से खून आना किसी समस्या की ओर संकेत करता है?

अगर आपको सेक्स के बाद खून आ रहा हो तो यह सामान्य स्तिथि होती है. लेकिन इस स्थिति के बारे में सही जानकारी के लिए आपको डॉक्टर से मिलना होगा. अगर आपको पीरियड्स के कुछ समय पहले या बाद के दौरान सेक्स करने के बाद खून आए तो आपको डॉक्टर से इस विषय पर अवश्य परार्मश कर लेना चाहिए. जब तक डॉक्टर की जांच की रिपोर्ट आपको न पता चले तब तक दोबारा सेक्स न करें. कई बार संक्रमण व किसी अन्य गंभीर समस्या के कारण भी संभोग के बाद योनि से खून आने लगता है.

सेक्स के बाद ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से कब मिलना है जरूरी

सेक्स के बाद खून आने के लक्षण इसके कारण के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. अगर आपको सेक्स के बाद बेहद ही कम रक्त स्त्राव हो रहा हो, तो आपको इस स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है.

इन लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर से तुरंत मिलें.

  • योनि में खुजली और जलन,
  • मूत्रत्याग में जलन महसूस होना,
  • संभोग करते समय अधिक दर्द होना,
  • अधिक खून बहना,
  • पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द,
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द,
  • जी मिचलाना और उल्टी आना,
  • योनि से सफेद पानी आना इत्यादि.

संभोग के बाद खून बहने पर कौन से परीक्षण कराएं?

यौन संबंध के बाद खून बहना आमतौर पर योनि के रूखेपन के कारण होता है, लेकिन कई बार यह समस्या गंभीर भी हो सकती है. इसमें डॉक्टर सबसे पहले कैंसर की जांच करते हैं. जिसमें वह आपकी योनि व गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए पैप स्मीयर (Pap Smear) टेस्ट करते हैं. कैंसर की पहचान होने पर कैंसर विशेषज्ञ के पास आपको भेज दिया जाता है.

यौन संबंध के बाद खून बहने के अतिरिक्त कारणों की जांच निम्न परीक्षण से की जाती है.

  • कोलपोस्कोपी (Coloscope) – इसमें महिलाओं की योनि व गर्भाशय ग्रीवा की जांच की जाती है.
  • ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासाउंड.
  • यूरीन टेस्ट (मूत्र का परीक्षण).
  • खून की जांच.
  • योनि से निकलने वाले सफेद पानी की जांच.

यौन संबंध बनाने के बाद खून आने का इलाज

यौन संबंध बनाने के बाद योनि से खून आने के कारणों के आधार पर इस समस्या का इलाज किया जाता है. जिनमें निम्न प्रमुख हैं –

ल्यूब्रिकेंट्स –

अगर आपकी योनि से खून आने की वजह रूखापन है तो आपको योनि में मॉइश्चराइजर लगना चाहिए. नियमित रूप से मॉइश्चराइजर को योनि की त्वचा पर लगाने से यह योनि की अंदरूनी त्वचा को मॉइश्चराइज करता है. इससे रूखापन खत्म होकर त्वचा में नमीं आने लगती है.

योनि के लिए आने वाले ल्यूब्रिकेंट्स के इस्तेमाल से संभोग के समय त्वचा के घर्षण से छिलने की समस्या कम हो जाती है. पानी युक्त ल्यूब्रिकेंट सेक्स के समय योनि से आने वाले खून को कम कर देता है. तेल युक्त ल्यूब्रिकेंट व कंडोम को साथ में इस्तेमाल करने से कंडोम के कटने या फटने का डर बना रहता है. इसलिए आप पानीयुक्त ल्यूब्रिकेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ यौन संबंध बनाते समय तेजी या जोश दिखाने की जरूरत नहीं हैं. अगर जोश में महिला को समस्या हो रही है तो आपको तुरंत रूक जाना होगा या इसको आराम से धीरे-धीरे करना होगा.

एस्ट्रोजन थेरेपी –

रजोनिवृत्ति या अंडाशय को बाहर निकलवाने से योनि में रूखापन आने की वजह में आप एस्ट्रोजन थेरेपी को अपना सकती हैं. योनि के लिए आने वाली एस्टोजन क्रीम व अन्य उपादों का इस्तेमाल कर सकती हैं. योनि से खून आने की स्थिति में आप एस्ट्रोजन अंगूठी (रिंग) का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इस लचीली अंगूठी को योनि में अंदर लगाई जाती है. यह सीमित मात्रा में एस्ट्रोजन को करीब 90 दिनों तक स्त्रावित करता है. ओरल हार्मोन थेरेपी में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीन को बदल दिया जाता है.  इसके लावा भी महिलाओं के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद है.

अन्य इलाज –

योनि में सूजन आना रूखेपन व संक्रमण की ओर संकेत करता है. इसके कारण अज्ञात हो सकते हैं. आपके डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली एंटीबॉटिक के कारण भी ऐसा हो सकता है. श्रोणी में दर्द व यौन संचारित रोगों की दवा के साथ भी आपको एंटीबॉयोटिक की दवा दी जा सकती है. इसके अलावा गर्भाशय ग्रीवा में संक्रमण होने पर भी डॉक्टर आपको कुछ ऐसी दवाएं दे सकते हैं, जिससे आपको योनि में रूखापन हो जाता है.

जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर जब चाहिए हो किसी का साथ

अकेलेपन की टीस बेहद पीड़ादायक होती है. इस के एहसास की पीड़ा तब तक इंसान को महसूस नहीं होती है जब तक वह इस का भुक्तभोगी न हो. इस अकेलेपन को दूर करने का सब से बड़ा संबल है, एक साथी या जीवनसाथी का होना. साथी की जरूरत जवानी में तो होती ही है पर बुढ़ापे में अधिक होती है. चाहे स्त्री हो या पुरुष, जिंदगी की अन्य जरूरतों की तरह ही शारीरिक जरूरत भी हर इंसान की एक अहम जरूरत है, जो यौवन में ही नहीं, यौवन की दहलीज के पार भी महसूस होती है.

वृद्धावस्था में किसी की शादी की बात सुन कर अकसर हम सब चौंक जाते हैं. उसे दोषी करार देते हैं. पर क्यों? इस के पीछे क्या कारण है, उस ओर हम ध्यान नहीं देते. ‘एक महिला ने 62 साल की उम्र में अपना विवाह बड़ी धूमधाम से किया…’ अखबार में छपी इस खबर ने कुछ पाठकों को जरूर चौंका दिया होगा पर यह घटना न तो असामान्य है, न अमानवीय. मानसिक, सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से अकेले रहने की टीस से नजात पाने के लिए हर इंसान बेचैन रहता है. वह इस कैद से बाहर निकल कर, खुली आबोहवा में सांस ले कर जीना चाहता है. क्या यह अपराध है?

बचपन और किशोरावस्था में इस अकेलेपन के एहसास से इंसान पूरी तरह से अनभिज्ञ रहता है. जवानी में उम्र के जोश और उत्साह के उन्माद में डूबा रहता है. इस भागदौड़ में कब उस की जवानी बीत जाती है, उसे पता ही नहीं चल पाता है. जब वह वृद्धावस्था में कदम रखता है, तो इस सत्य से रूबरू होता है. और जब उसे इस का एहसास होता है, तो वक्त के सारे पंछी उस के हाथों से उड़ चुके होते हैं.

यह एकाकीपन क्या है, क्या होता है, इस का विश्लेषण किया गया. इस से होने वाले नुकसान के बारे में रिसर्च करने पर परिणामस्वरूप बहुत सारे तथ्य सामने आए. समाज के अलगअलग वर्गों और समुदायों के लोगों से बातचीत की गई.

मुंबई के उपनगर बोरीवली की एक मनोचिकित्सक डा. सुमन कालरा, 18 वर्षों से साइकेट्रिक क्लिनिक चला रही हैं. जाहिर है इस विषय में उन्हें प्रगाढ़ अनुभव है. मेरे प्रश्न पर वे मुसकराती हैं और फिर विस्तार से बताती हैं, ‘‘मेरे पास तरहतरह के रोगी आते हैं. उन में जो 50 साल से अधिक उम्र वाले हैं, चाहे पुरुष हों या स्त्री, उन के रोग का मुख्य कारण देखा गया है, ‘जीवन का एकाकीपन.’ यही उन्हें सब से ज्यादा तकलीफ देता है.

‘‘जब धीरेधीरे सभी सगेसंबंधी, मित्र, रिश्तेदार उन्हें छोड़ कर अपनेअपने परिवार में व्यस्त होने लगते हैं, तो बुढ़ापे की ओर अग्रसर, ये एकाकी या चिरकुंआरे लोग, समाज में अलगथलग पड़ जाते हैं और अकेलापन उन के जीवन में दंश देना शुरू कर देता है, जो उन्हें धीरेधीरे असामान्य बना देता है.’’

सैक्स की आवश्यकता और उस की अनिवार्यता को पूरी तरह स्वीकारती, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डा. रति माथुर बताती हैं, ‘‘जीवन क्या है? परिस्थितिस्वरूप आते बदलाव का नाम ही जीवन है. उम्र के अनुसार शारीरिक बदलाव होते हैं, और यही बदलाव नईनई जरूरतों को जन्म देते हैं. शारीरिक जरूरतों की भी एक खास उम्र हुआ करती है जब विपरीत सैक्स के प्रति अनायास ही चाहेअनचाहे आकर्षण पैदा होने लगता है और उस का साथ अनायास ही अच्छा लगने लगता है. लेकिन 50 की उम्र के बाद, शरीर की सैक्स की मांग कम होने लगती है. ऐसे समय में मानवीय भावनाओं की मांग ज्यादा अहम हो जाती है.’’

डा. रति ने काफी सुलझे हुए तरीके से हमें समझाया कि बढ़ती उम्र में कई वजहों से सहवास की अभिलाषा अवश्य कम हो जाती है पर ‘साथ’ की अभिलाषा खत्म नहीं होती और ‘साथ’ न मिलने पर भावनात्मक पीड़ा होने लगती है.

एक विदेशी फर्म की मार्केटिंग मैनेजर कादंबरी सहाय 59 साल की हैं. अविवाहित कादंबरी को अब अपना अकेलापन खलने लगा है. पारिवारिक जिम्मेदारियां और अपने छोटे भाईबहनों को पढ़ानालिखाना तथा उन की शादी का उत्तरदायित्व भी कादंबरी ने ही उठाया है, जिन के लिए उन्होंने अपनी शादी और अपना भविष्य दांव पर लगा दिया था. अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने के बाद विडंबना ऐसी कि अब वही अपने लोग, जिन के लिए कादंबरी ने अपनी वैवाहिक आवश्यकता की कुर्बानी दी, उन को गैरजरूरी व भार समझने लगे हैं.

अगले साल रिटायर होने के बाद आने वाला अकेलापन सोच कर कादंबरी कांप उठती हैं. मुंबई में अपना फ्लैट है. घर में आराम के सभी साधन मौजूद हैं. बैंक बैलेंस भी अच्छाखासा है, पर साथ रहने वाला कोई नहीं है.

शारीरिक जरूरतों की बात पर कादंबरी बिना किसी लागलपेट के कहती हैं, ‘‘देखिए, जीवन का एक अटूट हिस्सा है सैक्स. पर मानवीय भावनाओं को मैं ज्यादा अहम मानती हूं. जब अपनों से दिल टूट जाता है, तो ऐसी जिंदगी का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता. इसीलिए अब मैं जिंदगी को पूरी तरह से जीने में यकीन करने लगी हूं. महिला मित्रों के साथसाथ मेरे कुछ पुरुष मित्र भी हैं.

‘‘हम लोग आउटिंग पार्टियां करते रहते हैं, एंजौय करते हैं. पर जब मैं उस टीस के बारे में सोचती हूं, जो मेरे भाईबहन ने मुझे दी है, जिन के लिए मैं ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया है, तो बहुत तकलीफ होती है, बहुत अकेलापन सा लगने लगता है.’’ यह कहने के साथ उन की आंखें भर आईं.

कादंबरी के साथ काम करने वाली उन की ही तरह अविवाहित, फ्लोरिया डिसूजा ने बताया, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से शारीरिक संबंध को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देती हूं, पर सैक्स की इच्छा को दबा कर दफन करने में भी विश्वास नहीं करती हूं. जहां तक सैक्स की बात है, मुझे अच्छी तरह से याद है कि मेनोपौज तक, जब मैं 48 साल की थी, उन दिनों तक मैं इसे बहुत महत्त्वपूर्ण समझा करती थी.

‘‘यह भी सच है कि अकेलेपन की वजह से सैक्स की इच्छा सामान्य से कुछ अधिक ही हुआ करती है. शायद यह असुरक्षा की भावना रहती होगी या फिर वृद्ध होने के एहसास का भय, पता नहीं? वैसे यह मेरा व्यक्तिगत विचार है.’’

सूरत में अपना क्लिनिक चलाने वाले डा. राहुल जैन से जब जीवन में आने वाले अकेलेपन व सैक्स पर बात हुई, तो उन्होंने बताया, ‘‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए हम सभी को ही परिवार व समाज की आवश्यकता तो होगी ही. अकेलापन जिंदगी को दीमक की तरह खाने लगता है. परंतु मैडिकल साइंस का कुछ और ही कहना है.

‘‘मैडिकल साइंस के हिसाब से, कभीकभी इस का कारण शरीर के कुछ खास हार्मोन्स की गैरमौजूदगी भी हुआ करती है. फ्राइब्रायडो या एडीनी मायेसिस की समस्या अकसर महिलाओं में सैक्स की इच्छा को परोक्षरूप से और बढ़ा देती है. यह बदलाव पुरुषों में भी आता है, पर महिलाओं में कुछ ज्यादा ही आता है. यह विशेष बदलाव महिलाओं में व्यग्रता, अति संवेदनशीलता और अधीरता को बढ़ा देता है. भावनाएं बेचैनी का रूप धारण कर लेती हैं और यही बदलाव धीरेधीरे आदत में परिवर्तित हो जाया करता है. फलस्वरूप, सैक्स की इच्छा बारबार उठती रहती है. इसे मैडिकल की भाषा में पीएमएम यानी पोस्ट मैंस्टुअल मूडस्विंग कहते हैं.

मशहूर जरमन गाइनीकोलौजिस्ट ई डब्लू फेब्रक्स की चर्चित पुस्तक ‘स्पींस्टर ऐंड देअर डिजायर्स’ में लिखा है कि जो भी स्त्री या पुरुष अधिक उम्र तक अविवाहित रहते हैं, वे प्राकृतिक नियमों की अवहेलना और उल्लंघन करते हैं. प्राकृतिक नियमों को तोड़ कर जो अविवाहित रहने का फैसला करते हैं, वे अपने प्रति अन्याय करते हैं.

सैक्स इंसान के जीवन की आवश्यकता ही नहीं, अनिवार्यताओं में एक है. सैक्स इंसान की कुंठाओं को रिलीज कर उसे सामान्य बने रहने में सहायता करता है और साथी पति या पत्नी, को समाज में स्थान और प्रतिष्ठा दिलाता है.

मुंबई की एक संस्था है महाराष्ट्र नारी उत्थान मंडल जिस ने विधवा विवाह और तलाकशुदा महिलाओं का दोबारा विवाह कराने का बीड़ा उठाया है. इस मंडल की संचालिका ममता राज्याध्यक्ष, महिलाओं के अविवाहित रहने की घोर विरोधी हैं. 17 साल से इस मंडल का संचालन कर रही ममता अब तक 250 से भी अधिक पुनर्विवाह करवा चुकी हैं. इन में ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें शादी के लिए राजी करना टेढ़ी खीर था.

ममता बताती हैं, ‘‘एक ओर तलाकशुदा स्त्रियां, अपनी एक शादी के टूटने से ही इतनी विचलित और भयभीत हो उठती हैं कि दोबारा विवाह करने और किसी दूसरे पुरुष के साथ जीवन बिताने को सोच पाना भी उन्हें कठिन सा लगने लगता है तो दूसरी ओर विधवाओं की अलग ही समस्याएं हैं. पति की मृत्यु के बाद वे अपने पति की याद में खोईखोई सी रहती हैं. उन के लिए किसी और व्यक्ति के साथ रहने या शारीरिक संबंध बनाने व शादी करने की बात उन्हें रास ही नहीं आती.’’

उन्होंने आगे बताया कि दोनों ही मामलों में उन्हें बहुत ही जद्दोजेहद करनी पड़ती है, पर वे इसे भी एंजौय करती हैं. वे कहती हैं, ‘‘कार्य जितना कठिन होता है, उस की संतुष्टि उतनी ही अधिक हुआ करती है. मुझे ऐसी महिलाओं को प्रेरित करने में ऐंडवैचर सा आनंद मिलता है.’’

संख्या की दृष्टि से अविवाहित महिलाओं और पुरुषों की एक बड़ी तादाद मैट्रो शहरों में रह रही है. कारण चाहे जो भी हो, कभी जिंदगी की व्यस्तता होती है, तो कभी कोई सही जीवनसाथी  का न मिल पाना या फिर प्रेम में विफलता का सदमा. पर अविवाहित लोगों का जीवन, उम्र के अंतिम पड़ाव में बहुत ही दुखदाई हो जाता है.

उम्र के उस पड़ाव पर, जब किसी साथी की सब से ज्यादा जरूरत हुआ करती है, अकेलापन मिले तो आप समझ सकते हैं कि यह उसे कितनी टीस देगा. शारीरिक भूख की तृष्णा भले ही उस उम्र में कम हो पर भावनात्मक रूप से तितरबितर सा उस का जीवन अवश्य उसे कचोटता रहेगा. और अकेलेपन के लिए हो रहे पछतावे की आग उसे क्षणक्षण जलाती रहती है.

कुंआरे रहने वाले लोग, अपनेआप को भले ही तरहतरह की तसल्लियों से समझाते रहें, अपने इस निर्णय की सराहना करते रहें, पर जब आसपास का एकाकीपन उन्हें डंसता होगा, तो एक पछतावे की आह अवश्य उन के हृदय से उठती होगी. दरअसल, सचाई तो सचाई ही है. सचाई से आंख चुराई जा सकती है, पर मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है.

मैं और मेरा बौयफ्रैंड कभी-कभी सैक्स करते हैं, मैं जानना चाहती हूं कि मार्केट में आए फ्लेवर कंडोम ओरल सैक्स के लिए ठीक हैं या नहीं?

सवाल

मेरी उम्र 26 साल है. मैं और मेरा बौयफ्रैंड कभी-कभी सैक्स करते हैं. मैं जानना चाहती हूं कि मार्केट में आए फ्लेवर कंडोम ओरल सैक्स के लिए ठीक हैं या नहीं?

जवाब

फ्लेवर कंडोम मार्केट में आए ही उन लोगों के लिए है जिन्हें ओरल सैक्स में दिलचस्पी है. सैक्स के तरीकों में बदलाव और दिलचस्वी बढ़ने के कारण ही कंडोम में फ्लेवर को लाया गया है. फ्लेवर कंडोम की जरूरत का एक कारण ओरल सैक्स है जो काफी अच्छा लगता है.

कई बार लैटेक्स रबर की महक भी अच्छी नहीं लगती. फ्लेवर कंडोम के आते ही विभिन्न प्रकार के स्वाद भी इस में जोड़ दिए गए हैं. आप को केला पसंद हो तो बनाना फ्लेवर कंडोम, अंगूर पसंद हो तो ग्रेप फ्लेवर कंडोम बाजार में उपलब्ध हैं. यही नहीं, यदि आप को अचार पसंद है तो यह फ्लेवर भी आप को कंडोम में मिल जाएगा. विभिन्न प्रकार के फ्लेवर से हर बार आप को ओरल सैक्स में कुछ नया मिलता है.

कई लोगों के लिए यह रोमांच का नया तरीका भी होता है. फ्लेवर कंडोम की जरूरत को सम?ाते हुए ही इन में रंगों की जरूरत को भी सम?ा गया. फ्लेवर के अनुसार ही इन में रंगों का भी प्रयोग किया जाता है. यदि स्ट्राबेरी है तो लाल रंग, यदि काला खट्टा है तो बैंगनी रंग का उपयोग किया जाता है. इन रंगों को देख कर भी कई लोगों में एक्साइटमैंट बढ़ता है. फ्लेवर कंडोम दोनों पार्टनरों के बीच के रोमांच को बनाए रखते हैं. इस की खुशबू और कलर इस के नाम के अनुसार होता है. सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज ओरल सैक्स से बहुत जल्दी और ज्यादा फैलती हैं.

फ्लेवर कंडोम से ओरल सैक्स के खतरे को कम किया जा सकता है. टीवी में आने वाले विज्ञापन भी इस के बारे में जानकारी देते हैं. हां, इस बात को याद रखें कि बेशक ओरल सैक्स के लिए फ्लेवर कंडोम का इस्तेमाल करें लेकिन इंटरकोर्स के लिए इस का इस्तेमाल कम ही करें. यह वैजाइना के पीएच बैलेंस को बिगाड़ सकता है. इस के कारण फंगल इन्फैक्शन का खतरा भी बढ़ सकता है. यदि आप को लैटेक्स से एलर्जी है तो ऐसा कंडोम न खरीदें जो लैटेक्स से बने हुए होते हैं. कंडोम का इस्तेमाल करने से पहले उस में लिखी सावधानियों के बारे में जरूर पढ़ लें.

मेरी जांघों पर सफेद रंग की धारियां पड़ गईं हैं, कोई सरल घरेलू उपाय बताएं?

सवाल
मैं 21 साल की अविवाहित युवती हूं. मेरी जांघों पर सफेद रंग की धारियां पड़ गईं हैं. ये बहुत बुरी दिखती हैं. मैं इन से छुटकारा पाना चाहती हूं. कोई सरल घरेलू उपाय बताएं?

जवाब

किशोर उम्र में और बाद में वयस्क होने पर विवाहित जीवन में गर्भ ठहरने पर जब शरीर का वजन अचानक बढ़ता है, तो शरीर के कई अंगों खास कर जांघों, पेट और वक्ष पर चरबी बढ़ने से त्वचा के संयोजी ऊतकों पर अचानक भारी दबाव आ जाता है, जिस से उन में दरारें उत्पन्न हो जाती हैं, शुरू में उन का रंग लाल जामुनी होता है, पर जब ये दरारें भर जाती हैं तो इन का रंग सफेद हो जाता है. इन्हें स्ट्रैच मार्क्स कहते हैं.

उम्र के साथ ये सफेद धारियां खुदबखुद थोड़ी हलकी हो जाती हैं. लेकिन इन्हें हलका करने के लिए डर्मैटोलौजी में कई प्रकार के इलाज आजमाए गए हैं. यदि स्त्री गर्भवती नहीं है, तो वह त्वचा विशेषज्ञ से सलाह ले कर रेटिनो ए क्रीम लगा कर देख सकती है. कुछ डर्मैटोलौजिस्ट एनडी याग लेजर से भी इलाज करते हैं. पर दोनों ही विधियों में इलाज की कामयाबी की दर सीमित ही है. अच्छाई इसी में है कि इन के प्रति विचलित होने के बजाय इन्हें शरीर की सामान्य जैविक क्रिया के रूप में स्वीकार कर लिया जाए.

पति-पत्नी के झगड़ों ने लिया भयानक रूप

मियांबीवी के ?झगड़े आम हैं पर कभीकभार हत्या में भी तबदील हो जाते हैं. दिल्ली में एक मेकैनिक का घर बेचने को ले कर हो रहे ?झगड़े में मर्द ने औरत पर किसी तेज चीज से हमला कर दिया और शायद यह एहसास होने पर कि कुछ गलत हो गया है, उस ने खुद को भी घायल कर लिया. दोनों की अपने बड़े बच्चों के सामने मौत हो गई.

कुएं में कूद जाऊंगी, आग लगा लूंगी, जहर पी लूंगा, घर छोड़ कर भाग जाऊंगा जैसे बोल अकसर मियांबीवी के ?झगड़ों में ?ाल्ला कर बोले जाते हैं. मर्द और औरत में कौन सही है, कौन गलत, इस का फैसला नहीं होता. ?झगड़ा तो किस की चलेगी पर होता है. पहले हमेशा मर्दों की चलती रही है पर अब औरतें भी बराबर होने लगी हैं.

यह बात दूसरी है कि आम आदमी को पट्टी पढ़ाई जाती है कि औरत पैर की जूती है, वहीं रखो. यही सीख जो मांबाप देते हैं, पंडेपादरी देते हैं, समाज देता है, रिश्तेदार देते हैं, ?झगड़ों को मारपीट की हद तक ले जाते हैं.

जिस भी बात पर 2 जनों की राय एक न हो वहां कौन सही है, कौन गलत का पूरा फैसला कभी नहीं हो सकता. हर मामले के कई पहलू होते हैं और हरेक अपनी समझ  से अपना मन बनाता है. अच्छे पतिपत्नी वे होते हैं जो एकदूसरे की पूरी तरह सुनते हैं और बिना अकड़ लाए तय करते हैं कि क्या सही है, क्या गलत है. अगर पतिपत्नी में से कोई तीसरे से चिपक भी रहा है तो मरनामारना कोई तरीका नहीं है. आज किसी को मार कर उस की लाश को निबटाना आसान नहीं है. अगर बच्चे हों तो मारने वाला भी जेल में रहता है तो बच्चों की देखभालके लिए कोई बचता नहीं. तीसरे के साथ जुड़ाव होने पर घर से अलग होना सब से सही है.

हमारे समाज में पतिपत्नी के ?झगडे़ मारपीट में इसलिए ज्यादा तबदील होते हैं कि यहां शादी को तोड़ना आसान नहीं है. अगर ?झगड़े के बाद आदमी या औरत कुछ दिन अपना अकेले का घर बना सकते हों तो उन्हें जल्दी ही एहसास हो जाए कि वजह कुछ भी रही हो, वे एकदूसरे के बिना अधूरे हैं. इस के लिए जरूरी है कि मर्द और औरत हमेशा बाहर काम करते रहें और अपने पैरों पर खड़े हों.

दूसरी जरूरत यह हो कि कानून यह मजबूर करे कि कोई मकान मालिक अकेले आदमी या अकेली औरत को मकान किराए पर देने से मना न करेगा. चाहे मकान बड़ा हो या छोटी खोली, आजकल अकेलों को घर मिलना मुश्किल होता जा रहा है.

मुश्किल यह है कि सरकारें तो धर्म, हिंदूमुसलिम, मूर्तियों, नारों में इतनी लगी हैं कि समाज की सब से बड़ी जरूरत, घर, सुखी घर, पर उन का कोई ध्यान नहीं है.

मैं मुसलिम हूं और मेरी गर्लफ्रेंड सिख, कुछ दिनों से वो अजीब बर्ताव कर रही हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं और मेरी गर्लफ्रैंड 3 साल से साथ में हैं. मैं मुसलिम हूं और वह सिख, हमारे बीच में काफी अच्छी बौंडिंग है. हम एकदूसरे के साथ ऐसे रहते हैं जैसे मैरिड कपल रहते हैं. यहां तक कि वह अपने फ्रैंड्स से मुझे हसबैंड कह कर मिलाती है. लेकिन अचानक एक हफ्ते पहले उस का फोन आया और बोली कि मैं तुम से कोई संबंध नहीं रखना चाहती. मुझे भूल जाओ. मैं दूसरी जगह शादी कर रही हूं. कह कर मोबाइल पर मेरा नंबर भी ब्लौक कर दिया. मैं उस से वजह पूछता रह गया तो बस इतना बोली कि मेरे पापा मेरे इस रिश्ते से खुश हैं तो मैं भी हूं.

मुझे लगा कि मेरा तो एक  झटके में सब लुट गया क्योंकि एक रात पहले ही तो हम दोनों ने साथ डिनर किया था. साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. फिलहाल मैं क्या करता. चुपचाप अपने मन को सम झा लिया. लेकिन एक दिन अचानक मुझे मिली और मुझे हग कर लिया. यहां तक कि गाल पर किस किया और बड़े नौर्मल तरीके से बात करने लगी जैसे कोई बात हुई ही नहीं हो. मैं परेशान हो गया. मैं उस से बोला भी कि वह ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही है.

मुझ से इंवौल्व होने की कोशिश क्यों कर रही है जबकि मैं अब उसे भुलाने की कोशिश कर रहा हूं. तब वह मु झे बाय कहकर चली गई. अब कभी भी मु झे फोन कर देती है. मैं बहुत कन्फ्यूज हो गया हूं उस के इस बिहेवियर से. सम झ नहीं पा रहा कि वह चाहती क्या है मु झ से?

 जवाब

आप की गर्लफ्रैंड का बिहेवियर वाकई अजीब है. एक तरफ उस का आप को एक  झटके में रिलेशन खत्म करने की बात कहना और फिर कुछ दिनों बाद ऐसे बिहेव करना जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो, कन्फ्यूज करता है.

लेकिन अब आप को ही मजबूत बनना पड़ेगा. 3 साल तक वह आप के साथ घूमीफिरी, टाइम स्पैंड किया, एकदूसरे के साथ आप फिजिकल भी हुए. आप से उस ने महंगेमहंगे उपहार भी लिए, दोस्त से आप को हंसबैंड कह कर मिलाती रही. यह सब उस के लिए कोई मायने नहीं रखता तो ऐसी लड़की के लिए आप को दुखी होने की कोई जरूरत नहीं, उसे आप की, आप के प्यार की कोई कद्र नहीं तो आप को क्या पड़ी है कि उस के लिए अपना जीवन बरबाद करें.

ऐसा लगता है कि जैसे उस का मन आप से ऊब गया हो. चलो मान लेते हैं मन न भी ऊबा हो. लेकिन बात यह भी हो सकती है कि उस के घरवाले आप दोनों के रिश्ते के खिलाफ हों क्योंकि आप का मुसलिम होना और उस का सिख होना, आप दोनों के बीच शादी के लिए बहुत बड़ी रुकावट है. उस के घरवालों ने उसे यह बात सम झाई हो और अंत में अब वह 3 साल बाद इस बात को सम झ रही हो और अंतत उस ने आप से रिश्ता तोड़ने का फैसला ले लिया हो.

अटकलें तो काफी सारी लगाई जा सकती हैं लेकिन हकीकत की दुनिया में उतर कर देखेंगे तो सचाई यही है कि अब वह लड़की आप की जिंदगी में वापस नहीं आएगी. आप अब उस का फोन बिलकुल अडैंड मत कीजिए. आप उस का नंबर ब्लौक कर दें जैसे उस ने आप का कर रखा है. आप को कभी अचानक मिल भी जाए तो इग्नोर करें. बात करने की कोई जरूरत नहीं. आप की भी कोई सैल्फ रिसपैक्ट है. उस का जब मन करे चली जाए, जब मन करे चली आए,  ऐसा नहीं हो सकता.

आपको दिखाना होगा कि आप उस के बगैर खुश हैं. लाइफ  में उस के सिवा आप को और भी काम हैं और आप को अभी बहुतकुछ अचीव करना है. आप हौसला रखें और अपने को अपने काम में बिजी रखने की कोशिश करें.

दोस्तों से मिलेंजुलें, आउटिंग के लिए जाएं हो सकता है आगे लाइफ में आप को और भी कोई बैटर फ्रैंडशिप के लिए मिल जाए. बस हिम्मत मत हारिए.

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