मोबाइल रिपेयर शौप खुली रखने पर खड़े हुए झगड़े में तमिलनाडु के थूथुकुड़ी शहर के एक थाने में 2 जनों, बापबेटे दुकानदारों, की पुलिस थाने में बेहद पिटाई की गई. उन्हें लिटा कर उन के घुटनों पर लाठियां मारी गईं. उन के गुदा स्थल में डंडा डाल दिया गया. उन को घंटों पीटा गया और पुलिस वालों ने बारीबारी कर के पीटा. पुलिस को अपनी हरकतों पर इतना भरोसा था कि अगले दिन उन की झलक भर दिखा कर मजिस्ट्रेट से रिमांड ले कर फिर पीटा गया और उस दिन दोनों की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई.

पुलिस अत्याचार इस देश में तो क्या दुनियाभर में कहीं भी नई बात नहीं है. अमेरिका आजकल मिनियापोलिस नाम के शहर में 20 डौलर के विवाद में फंसे एक काले युवक की गोरे पुलिसमैन के घुटनों के नीचे गरदन दबाने से हुई मौत पर उबल रहा है. हमारे यहां भी पुलिस का वहशीपन वैसा ही है जैसा तानाशाही देशों में या पुलिस को ज्यादा भाव देने वाले देशों में होता है. पुलिस में भरती होने के बाद जो पहला पाठ पढ़ाया जाता है वह बेदर्दी से पीटने का है और उस में न बच्चों को छोड़ा जाता है, न बूढ़ों को और न औरतों को.

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हमारे यहां सोशल मीडिया में तमिलनाडु से बढ़ कर वहशीपन के साथ सड़कों पर हो रही पुलिस के हाथों पिटाई के वीडियो भरे हैं पर कहीं किसी पुलिस वाले के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता. सरकार ही नहीं अदालतें भी पुलिस वालों से डरती हैं और उन्हें खुली छूट देती रहती हैं.

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