19 मार्च, 2017 की सुबह एक औटोचालक गुरुद्वारा के सामने खड़ी पीसीआर वैन के पास पहुंचा तो काफी बदहवास था. औटोचालक औटो चलाता हुआ आया था, जिस से उस के चेहरे पर हवा भी लगी होगी, पर उस हाल में भी उस के माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा रही थीं.

औटो से लगभग कूदता हुआ वह पीसीआर वैन के पास पहुंचा और वैन में बैठे सिपाहियों से बोला, ‘‘साहब, उधर एक कोठी में 2 औरतें एक बीएमडब्ल्यू कार में बड़े साइज का सूटकेस रख रही थीं. सूटकेस भारी था, इसलिए उन्होंने मेरा औटो रुकवा कर मुझ से मदद मांगी.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’ वैन में बैठे एक सिपाही ने पूछा.

‘‘मैं सूटकेस गाड़ी में रखवाने लगा तो देखा उस में से खून रिस रहा था. जब मैं ने उन से खून के बारे में पूछा तो एक औरत ने अपना खून सना हाथ दिखाते हुए कहा कि सूटकेस नीचे उतारते वक्त उस के हाथ में चोट लग गई थी, यह उसी का खून है.’’

‘‘वहां हुआ क्या है, तुम यह क्यों नहीं बताते?’’ सिपाही ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘मुझे लग रहा है कि किसी की हत्या कर के वे औरतें लाश को उस सूटकेस में रख कर कहीं फेंकने ले जा रही हैं. आप लोग वहां जल्दी पहुंचें वरना वे लाश ले कर निकल जाएंगी.’’ औटोचालक ने कहा.

जैसे ही औटोचालक ने लाश की बात कही, पीसीआर में बैठे सिपाहियों ने औटोचालक को गाड़ी में बिठाया और उसे ले कर मोहाली के फेज-3 बी-1 की कोठी नंबर 116 के सामने पहुंच गए. कोठी के सामने सिल्वर कलर की बीएमडब्ल्यू कार खड़ी थी, जिस का नंबर था सीएच04एफ 0027 था. उस समय वहां कार के अलावा कोई नहीं था. कोई औरत भी वहां नजर नहीं आई.

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