हम  3 बहनें और 2 भाई हैं, जो पिता के साथ मजदूरी करते हैं. मेरी शादी 12 साल पहले छत का पुरा गांव के विश्वनाथ से हुई थी. कुछ सालों से वह मुझे आएदिन बहुत मारनेपीटने लगा था, क्योंकि मेरे पैर में सफेद दाग है.

‘‘मेरा 10 साल का एक बेटा और उस से एक साल छोटी बेटी है. मेरा पति मुझे घर से निकालना चाहता था. इस से कोई 5 साल पहले मेरा खिंचाव अरविंद सखवार की तरफ होने लगा था, जो हमारे खेतों में बंटाईदार है. हम दोनों में जिस्मानी ताल्लुकात बन गए. हम एकदूसरे से प्यार करने लगे थे. अरविंद भी शादीशुदा है. उस के 2 बेटे हैं.

‘‘वारदात वाले दिन मैं ने बाजरे की रोटी के लड्डू बनाए और उन में नींद की गोलियां मिला दीं. ये लड्डू मैं ने पति को खिला दिए. उसे नींद आने लगी, तो पहले उसे दूध गाड़ी में बैठा कर दिमनी ले गए, उस के बाद अरविंद अपनी मोटरसाइकिल ले आया. हम दोनों ने बेहोश विश्वनाथ को उस पर बैठाया और सिकरौदा नहर के किनारे एक सुनसान जगह ले गए.

‘‘वहां अरविंद निगरानी करता रहा कि कोई आएजाए तो पता चल जाए.

‘‘नहर के किनारे ले जा कर हम ने विश्वनाथ के कपड़े उतार दिए और उसे नहर में बहा दिया. उस के मोबाइल का सिम निकाल कर उसे भी नदी में फेंक दिया...’’

मुरैना के थाने में बैठी राजकुमारी को देख कर लगता नहीं था कि सीधीसादी सी दिखने वाली यह औरत अपने पति की इतनी बेरहमी से हत्या कर सकती है. लेकिन अब वह पछता रही है. उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा है कि इस से तो अच्छा था कि वही मर जाती.

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