शंभु सुमन

25नवंबर, 2021 की दोपहर का समय था. करनाल जिले में तरवाड़ी की पुलिस को नैशनल हाईवे पर गुरुद्वारे के पास खेतों में खून से लथपथ शव पड़े होने की सूचना मिली. खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई तो वास्तव में वहां औंधे मुंह एक व्यक्ति की लाश पड़ी मिली.

शव की हालत और आसपास के माहौल को देख कर हत्या का सहज अंदाजा लगाया जा सकता था. शव के पास आटो स्टार्ट करने वाली रस्सी पड़ी थी. वहीं पर एक मोटरसाइकिल स्टैंड पर खड़ी हुई थी. मोटरसाइकिल की चाबी नीचे जमीन पर मिट्टी में धंसी थी.

खेत में औंधे मुंह पड़े शव से करीब 15 फीट की दूरी पर अंगरेजी शराब की खाली बोतल थी. खाली बोतल के ठीक सामने करीब 10 फीट की दूरी पर बोतल के रैपर भी थे. रैपर और खाली बोतल के ठीक बीच में 2 प्लास्टिक के खाली गिलास और संतरे के ताजे छिलके बिखरे थे.

शराब की बोतल के रैपर से करीब 15 फीट की दूरी पर एक थर्मोकोल की प्लेट और 2 सिलवर के लिफाफे थे. प्लेट पर सब्जी लगी हुई थी. सिलवर के एक लिफाफे में तंदूरी रोटी के जले टुकड़े और दूसरे लिफाफे में सब्जी के दागधब्बे लगे थे.

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एक पुलिसकर्मी ने जब शव को पलट कर सीधा किया, तब उस के सिर और गरदन पर चोट के निशान पाए गए थे. वहां मौजूद लोगों में से जब कोई भी शव की शिनाख्त नहीं कर पाया तो पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

शव की शिनाख्त के बाद उस की पहचान करनाल जिले में नीलोखेड़ा में नील नगर निवासी अमनदीप के रूप में हुई. दरअसल, अमनदीप का शव बरामद होने के एक दिन पहले ही उस के पिता गुरदीप सिंह ने उस के लापता होने की सूचना थाने में दर्ज करवाई थी. जैसे ही गुरदीप सिंह को हाईवे पर गुरुद्वारे के पास युवक की लाश पुलिस द्वारा बरामद करने की सूचना मिली तो वह तरवाड़ी थाने पहुंचे. तब पुलिस उन्हें लाश की शिनाख्त के लिए अस्पताल ले गई. गुरदीप ने उस लाश की शिनाख्त अपने बेटे अमनदीप के रूप में की.

28 वर्षीय अमनदीप ग्राफिक डिजाइनर था. वह रोजाना अपने घर से उचाना गांव में स्थित जी लैब में काम करने के लिए जाता था. रोज की तरह 24 नवंबर को वह अपनी ड्यूटी खत्म कर शाम के साढ़े 4 बजे के करीब अपनी बाइक द्वारा लैब से घर के लिए निकला था, लेकिन वह समय पर घर नहीं पहुंच पाया. काफी समय बीत जाने पर भी जब वह घर नहीं आया, तब उस के पिता गुरदीप सिंह ने उस की तलाश शुरू की.

पिता का चिंतित होना स्वाभाविक था, क्योंकि अमनदीप ने लैब से निकलते ही अपने पिता को फोन कर बाजार से कुछ लाने के लिए पूछा था. इस पर उन्होंने कुछ भी लाने से मना करते हुए जल्द संभल कर घर आने को कहा था. उन्होंने हिदायत दी थी कि अंधेरा होने से पहले वह घर आ जाए, क्योंकि सुनसान इलाके में जगहजगह नशेडि़यों का जमघट लगा रहता है और वे लूटपाट करने के लिए घात लगाए बैठे रहते हैं. संयोग से जब वह रात के साढ़े 9 बजे तक घर नहीं लौटा और उस का मोबाइल फोन नाट रीचेबल बताने पर उस की तलाश की गई. गुरदीप सिंह ने इस की जानकारी पुलिस को दी थी.

अगले दिन पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने अमनदीप का शव उस के पिता को सौंप दिया. उसी वक्त एक युवक भागता हुआ आया. वह कुछ बोलनेबताने से पहले ही ठिठक गया. तभी सीआईए-2 के इंचार्ज मोहन लाल ने उस से सवाल किया, ‘‘तुम कौन?’’

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‘‘जी, मैं अमनदीप का दोस्त.’’

‘‘अमनदीप का दोस्त. अरे रविंदर का बोल..’’ अमनदीप के पिता भुनभुनाए.

धीमी आवाज को सुन कर मोहन लाल ने पूछा, ‘‘आप ने अभी कोई नाम लिया, कौन है वह… और यह किस का दोस्त है?’’

‘‘नहीं, कुछ नहीं!’’ यह कहते हुए गुरदीप सिंह अपने बेटे के शव के साथ एंबुलेंस में बैठ गए.

रविंदर कौर आई शक के दायरे में

उधर पुलिस आगे की काररवाई में जुट गई. हत्याकांड के खुलासे के लिए एसपी गंगाराम पूनिया ने एक जांच टीम बनाई. जांच टीम घटनास्थल के दृश्य के आधार पर यह भी मान चुकी थी कि अमनदीप की हत्या पूरी तरह से एक साजिश के तहत की गई होगी, जिस में कम से कम 2-3 लोग शामिल हो सकते हैं.

जांच टीम को आश्चर्य अमनदीप की पत्नी रविंदर कौर को ले कर हुआ. इस की वजह यह थी कि वह एक बार भी थाने नहीं आई थी. जिस समय गुरदीप सिंह बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराने आए थे, उस समय भी वह उन के साथ थाने नहीं आई थी और न ही मोर्चरी से लाश सौंपते वक्त.

इस वजह से पुलिस के संदेह की पहली सुई अमनदीप की पत्नी रविंदर कौर की ओर घूम गई थी. उसी रात जांच टीम ने रविंदर को अपनी हिरासत में ले लिया.

गुरदीप सिंह ने पुलिस को बेटे की खोजबीन के लिए कुछ तसवीरें भी दी थीं. उन्हीं में एक तसवीर ऐसी भी थी, जिस में रविंदर कौर एक अन्य युवक के साथ थी, जबकि उस का पति अमनदीप पीछे बच्ची को गोद में लिए खड़़ा था. कई तसवीरों में रविंदर उस युवक के साथ थी, जो विभिन्न आयोजनों, टूरिस्ट जगहों, पार्कों और धार्मिक स्थलों की थीं.

पुलिस ने उस युवक के बारे में गुरदीप सिंह से जानकारी लेनी चाही, लेकिन उन्होंने चिढ़ते हुए कहा कि उस के बारे में रविंदर कौर से ही पूछताछ कर लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

जांच टीम को उसी वक्त यह बात भी ध्यान में आई कि वही युवक उस समय भी आया था, जब अमनदीप की लाश गुरदीप सिंह को सौंपी जा रही थी. उस समय वह भागता हुआ आया था, लेकिन कब नजर बचा कर वहां निकल गया, पता ही नहीं चला था.

सीआईए इंचार्ज मोहनलाल ने रविंदर को एक फोटो दिखाई. उस में एक फोटो पर अंगुली रखते हुए उन्होंने पूछा, ‘‘तुम्हारी बगल में खड़ा यह लड़का कौन है? कोई रिश्तेदार है?’’

रविदंर कुछ नहीं बोली. चुपचाप बैठी रही. कुछ समय बाद उन्होंने अपना मोबाइल फोन उस के सामने रख कर स्पीकर औन कर दिया. उस पर एक काल की वायस रिकौर्डिंग थी, जो कुछ समय पहले ही आए काल की थी.

फोन से आवाज आने लगी, ‘‘सर, मैं हैडकांस्टेबल बोल रहा हूं. मैं ने उसे पकड़ लिया है, जिस की तसवीर आप ने हमें भेजी थी. उस के साथ एक युवक और पकड़ा गया है. दोनों दिल्ली जाने वाली बस में बैठे थे. आधे घंटे के भीतर उन्हें ले कर मैं थाने आ जाऊंगा.’’

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‘‘तुम ने जिसे पकड़ा है उस का नाम क्या है?’’ मोहनलाल ने पूछा.

‘‘सर, फोटो वाले का नाम सन्नी और दूसरे का नाम कुणाल है.’’ हैडकांस्टेबल बोला.

‘‘ठीक है, दोनों को जितना जल्द हो सके ले कर आओ.’’

उस के बाद फोन से आवाज आनी बंद हो गई. जांच अधिकारी मोबाइल को अपने हाथ में ले ले कर रविंदर को डपटते हुए बोले, ‘‘अब बताओ, सन्नी से तुम्हारा क्या रिश्ता है?’’

सन्नी का नाम आते ही रविंदर के माथे पर पसीने की बूंदें छलक आईं, जबकि सर्दी का मौसम आ चुका था.

जांच अधिकारी ने साथ में खड़ी लेडी कांस्टेबल को एक गिलास पानी लाने को कहा और खुद कमरे का पंखा औन कर दिया, जहां रविंदर से पूछताछ हो रही थी. वह एक केबिननुमा कमरा था. उस में 4-5 लोगों के बैठने की कुरसियों के साथसाथ एक बेंच भी लगा था.

जांच अधिकारी रविंदर के सामने फैली तसवीरों को समेटने लगे. उसी वक्त 2 कांस्टेबल 2 युवकों को पकड़े अंदर घुसे. उन की कमर में रस्सी बंधी थी, जिस का दूसरा सिरा एक कांस्टेबल ने पकड़ रखा था. उन्होंने एक साथ कहा, ‘‘यही दोनों पकड़े गए हैं.’’

‘‘इन में सन्नी कौन है? और दूसरे का नाम तुम ने क्या बताया था?’’ मोहनलाल ने कांस्टेबल से सवाल किया.

‘‘सर, ये सन्नी है. दूसरा वाले का नाम कुणाल है.’’ एक कांस्टेबल ने बताया.

‘‘ठीक है, इन्हें बेंच पर बैठा दो. एक राइटिंग पैड उठाओ और इन के बारे में पूरी जानकारी लिखो. मैं अभी 2 मिनट में आता हूं.’’ यह कहते हुए जांच अधिकारी केबिन से बाहर चले गए.

केबिन में बैठी रविंदर की नजर जब सामने बेंच पर कमर में रस्सी बंधे सन्नी पर पड़ी, तब उस ने सिर झुका लिया. जबकि कुणाल उस की ओर ऐसे देखता रहा, मानो उस से वह कुछ पूछना चाहता हो.

महिला कांस्टेबल पानी का गिलास उस के सामने रखती हुई बोली, ‘‘ये लो पानी पियो, तुम कुछ बोलती क्यों नहीं हो. साहब जो भी सवाल करें, उन का सचसच जवाब दे दो. इसी में तुम्हारी भलाई है.’’

‘‘मैं अब क्या बोलूं? किस के लिए बोलूं? जब पति ही इस दुनिया में नहीं है तो कुछ भी नहीं. कौन होगा मेरा सहारा? बताओ, तुम्हीं बताओ मुझे?’’ इतना कहते हुए रविंदर सुबकने लगी.

उस की आंखों से आंसू बह निकले. उस से अधिक उम्र की लेडी कांस्टेबल रविंदर के सिर पर हाथ रख कर सहलाती हुई बोली, ‘‘देखो, मैं भी औरत हूं, तुम्हारा दर्द समझ सकती हूं. जो हुआ, उसे भूल कर आगे की जिंदगी के बारे में सोचो.’’

‘‘मैं क्या सोचूं, क्या बोलूं… मेरी जिंदगी पहले भी जैसेतैसे चल रही थी और आगे भी वैसी ही रहने वाली है. जिस के साथ जीवन जीने के सपने देखे थे उसे भी तो पकड़ लाए.’’ यह बोलती हुई रविंदर ने सिर झुका कर बैठे सन्नी की ओर इशारा कर दिया.

‘‘अच्छा यही है,’’ लेडी कांस्टेबल के अपनी बात पूरी करने से पहले ही जांच अधिकारी केबिन में एक महिला एसआई के साथ दाखिल हुए.

एक नजर बेंच पर बैठे दोनों युवकों पर डाली, फिर रविंदर की ओर मुड़े, ‘‘हां मैडम, आप को मुझ से कुछ भी बताने से ऐतराज है तब इन के सवालों के जवाब दे दीजिए. पर हां, ध्यान रहे ये थोड़ी कड़क पुलिस वाली हैं.’’ जांच अधिकारी ने साथ आई लेडी एसआई की ओर इशारा किया.

रविंदर ने खोले राज

‘‘सर, इस ने बैठे एक युवक की पहचान कर ली है,’’ लेडी कांस्टेबल बोली.

‘‘शाबाश! यह हुई न बात. ऐसा करो तुम एक डायरी में इस के बारे में सब कुछ नोट करो और मैडम जो उन से सवालजवाब करेंगी, उस की रिकौर्डिंग भी करो. मुझे किसी जरूरी तहकीकात के लिए निकलना है. कल तक अमनदीप की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ जाएगी. उस केस के 2 और लोग पकड़ में आ गए हैं. सोमवार को इन्हें बयानों के साथ कोर्ट में हाजिर कर देंगे.’’

यह कह कर जांच अधिकारी मोहनलाल ने रविंदर और पकड़े गए दोनों युवकों से पूछताछ का काम लेडी एसआई और कांस्टेबल के जिम्मे सौंप दिया.

रविंदर थोड़ी सहज हो चुकी थी. उस ने धीरेधीरे अपने राज खोलने शुरू कर दिए थे. सब कुछ लेडी कांस्टेबल ने लिखना शुरू कर दिया था. उस ने जो बताया, उसी में अमनदीप से ले कर सन्नी और हत्याकांड की सारी बातें थीं. इस तरह से अमनदीप और रविंदर के अलावा सन्नी के साथ संबधों की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

हरियाणा के अंबाला शहर की रहने वाली रविंदर कौर की शादी सन 2016 में करनाल में सानीलोखेड़ी के अमनदीप के साथ हुई थी. इन की शादी के बाद 2 परिवारों की खुशियां एक जरूर हो गई थीं, किंतु रविंदर और अमनदीप की खुशियों का मिलन नहीं हो पाया था.

उन्होंने अरेंज मैरेज को परिवार और समाज के लोगों के बीच सहर्ष स्वीकार कर तो लिया था, लेकिन सुहागरात की सेज पर उन के मन में कई सवाल बने हुए थे. उस दौरान अचानक नवविवाहिता रविंदर ही बोल पड़ी, ‘‘लगता है, आप मुझ से कुछ पूछना चाहते हो?’’

‘‘नहीं तो…’’ शेरवानी के बटन खोलते हुए अमनदीप बोला.

‘‘तो फिर मैं ही पूछ लेती हूं.’’ सिर पर जेवर में उलझी चुन्नी निकालती हुई रविंदर ने कहा.

‘‘आप की पगड़ी खूबसूरत लग रही है. यलो कलर है, अगर पिंक होती तो और भी जंचती.’’ रविंदर ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘तुम्हें पिंक बहुत पसंद है?’’

‘‘मुझे ही क्यों सारी लड़कियों को पसंद होता है पिंक कलर. क्या तुम्हें नहीं पता इस के बारे में?’’ रविंदर बोली.

‘‘मुझे यह सब सोचने का वक्त ही कहां मिलता है. घर से औफिस और औफिस से घर आने में ही काफी समय निकल जाता है. औफिस में भी काम का दबाव बना रहता है.’’ अमनदीप गहरी सांस लेते हुए बोला.

‘‘औफिस में लड़कियां काम नहीं करती हैं क्या? वहां तो लड़कियां एक से एक सजधज कर आती होंगी. उन से भी फैशन, ट्रेंड की बातें होती होंगी, तो फिर…’’

‘‘तो फिर क्या?’’ अमनदीप ने पूछा.

‘‘मेरा मतलब है तुम्हारी कोई लड़की भी दोस्त होगी, कोई गर्लफ्रैंड होगी, जिस से तुम अपने दिल की बात कहते होगे. गिफ्टशिफ्ट देते होगे…’’

‘‘मुझे इन सब चीजों में कभी रुचि नहीं रही है.’’

‘‘इस का मतलब हुआ, आप तो एकदम नीरस किस्म के आदमी हो. मैं तो आप से बिलकुल अलग हूं.’’

‘‘कैसे?’’ अमनदीप ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘कैसे क्या, जैसी सभी सुंदर लड़कियों के साथ होता है, मेरे साथ भी हुआ. यही कि मेरे चाहने वाले भी कई थे…’’ रविंदर हंसती हुई बोली.

‘‘कई थे का मतलब?’’ अमनदीप चौंका.

‘‘मतलब यह कि लड़के मुझ से बात करने के लिए आगेपीछे घूमते थे. कइयों ने गिफ्ट दे कर मुझे लुभाने की कोशिश की, लेकिन उन में पसंद आया एक ही. और जब तक मैं उस के दिल की बात समझ पाती, तब तक देर हो चुकी थी,’’ रविंदर बोलती चली गई.

‘‘देर हो चुकी थी क्यों?’’ अमनदीप आगे की बात सुनना चाहता था.

‘‘यही कि मैं यहां आ गई. तुम्हारे सामने हूं. शादी का जोड़ा संभाल रही हूं. कलाइयों की सुहाग चूडि़यां भारी लग रही हैं…’’ रविंदर बोलतेबोलते मायूस हो गई.

‘‘तुम्हारे दिल में जो कुछ बात है बोल दो. मन में कोई बात जमने मत दो.’’

‘‘मैं एक राज की बात बताना चाहती हूं, लेकिन पहले मुझे कसम दो कि उस बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगे.’’

‘‘चलो वादा रहा.’’ अमनदीप रविंदर की ओर हाथ बढ़ाते हुए बोला, ‘‘…लेकिन तुम्हें प्यार से घरेलू नाम रिंपी बुलाऊंगा, बुरा तो नहीं लगेगा?’’

‘‘अरे, इस में बुरा लगने वाली बात क्या है. मुझे और अच्छा लगेगा,’’ रविंदर मुसकराती हुई बोली.

इस तरह नवविवाहिताओं की पहली रात कुछ वादेइरादे और गिलेशिकवे को दूर रखने के संकल्प सौगंध के साथ शुरू हुई. नए जीवन की गाड़ी चल पड़ी, लेकिन अमनदीप और रविंदर के दिमाग में एकदूसरे को दूर करने वाला कीड़ा भी कुलबुलता रहा.

उन में पतिपत्नी की तरह प्रेम पनपने के बजाय दिनप्रतिदिन असहजता की भावना भी सिर उठाने लगी थी.जल्द ही रविंदर ने वह बात भी बता दी, जिस बारे में शादी की पहली रात पहेलियां बुझाती हुई अमनदीप से कसम ले ली थी.

दरअसल, रविंदर स्कूल के जमाने के प्रेमी हर्षपाल उर्फ सन्नी को शादी के बाद भी नहीं भूल पाई थी. उस से वह बेइंतहा मोहब्बत करती थी. यह बात उस ने अमनदीप को बता दी थी. इस के बावजूद अमनदीप ने रविंदर को अपना  लिया था. देखते ही देखते दोनों की शादी के 5 साल बीत गए. दोनों एक बेटी के मातापिता भी बन गए.

फिर भी रविंदर के दिल में प्रेमी सन्नी को ले कर दबी हुई आग सुलगती रही. वह प्रेम अगन में सुलगती रही. सन्नी की यादों में खोईखोई सी रहने लगी. जलतीबुझती रही. दिल में सन्नी का प्रेम और उमड़ता रहा.

प्रेमी को हमेशा याद रखने का तरीका ऐसा कि उस ने अपने मोबाइल और सोशल साइट के पासवर्ड में सन्नी की गाड़ी और उस के घर के नंबरों का इस्तेमाल किया था. फोन में अपनी बनाई कोडिंग के जरिए उस का नंवर सेव कर रखा था. जब इच्छा होती, बातें कर या मैसेज भेज कर अपने दिल को सहलासमझा लेती थी.

उस की सन्नी के प्रति समर्पित ये सारी आदतें परिवार में किसी को मालूम नहीं थीं. अमनदीप भी इस से वाकिफ नहीं था. वह सिर्फ इतना जानता था कि सन्नी उस के स्कूल का दोस्त और पुराना प्रेमी है. यहां तक कि रविंदर ने पति को अपने पक्ष में ले कर प्रेमी से मिलवा कर दोस्ती भी करवा दी थी. इस के बाद दोनों पक्के दोस्त बन गए थे.

सन्नी अमनदीप के घर नहीं आता था, लेकिन रविंदर ही उस के साथ समय बिताने का कोई न कोई तरीका निकाल लिया करती थी. छुट्टियों में जब अमनदीप के साथ कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाती थी, तब इस की जानकारी सन्नी को भी दे देती थी.

कई बार तो वह अमनदीप की इच्छा के खिलाफ सन्नी को घूमने वाली जगहों पर साथ ले गई. इस तरह से सन्नी मौके पर अमनदीप के निजी पलों की खुशियों में खलल डालने के लिए हमेशा ही प्रकट हो जाता था.

सन्नी की वजह से गृहस्थी में आ गई कड़वाहट

अमनदीप के प्रति पत्नी प्रेम दर्शाने के लिए रविंदर कौर परिजनों की आंखों में आसानी से धूल झोंक देती थी. इस बारे में परिजनों को रविंदर से कोई शिकायत नहीं थी. वह कोई भी काम अकेले नहीं करती थी.

हर छोटेबड़े काम में अमनदीप को साथ कर लेती थी. अमनदीप के अलावा घर के किसी भी सदस्य को रविंदर कौर पर शक नहीं हुआ. दूसरी तरफ अमनदीप अंदर ही अंदर सन्नी और रविंदर के प्रेम को ले कर चिढ़ता रहता था. वह चाह कर भी उसे नाराज नहीं कर पा रहा था. कई बार ऐसे मौके भी आए, जब अमनदीप ने सन्नी को ले कर नाराजगी भी दिखाई. पत्नी से यहां तक कहा कि उसे भूल जाए अब उन का बच्चा भी है, उस के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए.

इस नसीहत का रविंदर पर उल्टा असर होता था. वह उस से झगड़ पड़ती थी. सन्नी की नशे की आदत को ले कर भी अमनदीप चिढ़ता था. जब भी मौका मिलता, रविंदर को ताने मारता था कि उस के दिल में एक नशेड़ी की जगह है, लेकिन उस की नहीं.

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यह बात उस ने सन्नी को भी बताई. उस से सलाह भी मांगी कि ऐसे में उसे क्या करना चाहिए. सन्नी ने उसे सलाह तो नहीं दी, लेकिन अपने मन में एक योजना अवश्य बना ली. रविंदर और सन्नी के प्रेम में अमनदीप बुरी तरह से पिसने लगा था. तनाव में तीनों आ गए थे. उन के मन में एकदूसरे के प्रति अलगअलग किस्म की शिकायतें जबतब फन उठा लेती थीं.

24 नवंबर, 2021 को रविंदर कौर अपनी बहन की शादी में अंबाला में थी. अमनदीप अपने काम की वजह से शादी से जल्दी लौट आया था. सन्नी ने अमनदीप को किसी खास बात के लिए 24 नंवबर की रात को बुलाया था. अमनदीप जब उस के कहने पर सन्नी के पास गया, तब उस ने नशे की हालत में उस से सौरी बोला. सन्नी के साथ उस के 2 दोस्त कुणाल और मनी पेंटर भी थे.

सन्नी अमनदीप से बात करने के लिए हाईवे के बगल के खेत में ले गया. वहां उस ने अमनदीप के दोनों हाथ पकड़ लिए. वह बोला, ‘‘भाई, मैं ने आज तुम से सौरी बोलने को बुलाया है. मैं ने अपनी दूसरी गर्लफ्रैंड से शादी कर ली है. आखिर कब तक रविंदर की यादों में अपनी जिंदगी बरबाद करता. यह बात उसे भी नहीं पता है. मेरे 2 बच्चे भी हैं…’’

यह सब सुन कर अमनदीप अवाक रह गया. कुछ बोलने को ही था कि सन्नी बोला, ‘‘हमारीतुम्हारी यह आखिरी मुलाकात है. चलो थोड़ा साथ पीनेपिलाने का जश्न मनाते हैं.’’ और फिर वे खेत में अंदर चले गए. वहां सन्नी, कुणाल और मनी पेंटर के साथ अमनदीप ने शराब का जश्न मनाया. नशे की हालत में अमनदीप जाने को उठा. चार कदम चला. जेब से मोटरसाइकिल की चाबी निकाली, लेकिन वह वहीं गिर गई.

तभी पीछे से सन्नी के दोस्तों ने अमनदीप के सिर पर हथौड़े से वार कर दिया. अचानक हुए हमले से अमनदीप जमीन पर गिर पड़ा. उस के बाद सन्नी ने आटो स्टार्ट करने वाली रस्सी से अमनदीप का गला घोंट डाला.

पुलिस हिरासत में रविंदर कौर के अलावा सन्नी और कुणाल से हुई पूछताछ में कई बातें सन्नी के बारे में भी मालूम हुईं. और यह भी सबित हो गया कि अमनदीप की हत्या में उस की पत्नी रविंदर कौर भी शामिल थी. रविंदर कौर ने पुलिस को बताया कि उसे अपने पति की मौत का कोई अफसोस नहीं है.

उन से पूछताछ के दरम्यान ही तीसरा फरार आरोपी मनी पेंटर भी गिरफ्तार हो गया. उसे पुलिस छत्तीसगढ़ से पकड़ लाई. पुलिस तीनों आरोपियों को ले कर लुधियाना में अमनदीप की हत्या वाली जगह पर ले गई. वहां हत्या में इस्तेमाल हथौड़ा और चाकू मिल गया.

कानून से बचने के लिए सन्नी ने कई प्रयास किए. यहां तक कि घटनास्थल पर वह 10 नंबर के जूते पहन कर आया, जबकि वह 7 नंबर के जूते पहनता था. वह थाने भी गया. उस ने प्लान बनाया था कि अपने दोस्त के गुम होने की शिकायत दर्ज करवाएगा, लेकिन तब तक अमनदीप का शव बरामद हो चुका था.

सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

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