जून का महीना था, बिजली न होने की वजह से गरमी से लोगों का बुरा हाल था. लगभग 2 घंटे बाद बिजली आई भी तो परमजीत कौर के घर के तार में आग लग जाने की वजह से परेशानी कम होने के बजाए और बढ़ गई. दिन तो गुजारा जा सकता था, लेकिन रात गुजारना मुश्किल था. इसलिए परमजीत कौर ने अपनी 17 साल की बेटी संदीप कौर से कहा, ‘‘देख तो बेटा, तेरा भाई रमन कहां है. उस से कहो किसी बिजली मिस्त्री को बुला लाए, जिस से घर की बिजली ठीक हो जाए.’’

‘‘मम्मी, रमन तो दोस्तों के साथ ट्यूबवैल पर गया है.’’

‘‘फिर बिजली कैसे ठीक होगी?’’

‘‘मैं जा कर किसी मिस्त्री को देखती हूं.’’ संदीप कौर ने कहा और दुपट्टा ले कर घर से बाहर निकल गई. बिजली की दुकान गांव से बाहर सड़क किनारे थी, जिस पर 2 लड़के रहते थे. उन में से एक का नाम राजवीर सिंह उर्फ राजा था.

राजा गांव के ही रहने वाले रंजीत सिंह का बेटा था. रंजीत सिंह खुद तो ड्राइवर थे, लेकिन चाहते थे कि उन के बच्चे पढ़लिख कर ठीकठाक नौकरी कर लें. लेकिन दुर्भाग्य से उन के दोनों बेटे पढ़ नहीं सके. बड़े बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजा ने 8वीं पास कर के स्कूल छोड़ दिया तो छोटा 8वीं भी पास नहीं सका.

पढ़ाई छोड़ कर राजा ने बिजली मरम्मत का काम सीख लिया और गांव के बाहर दुकान खोल ली. संदीप कौर राजवीर की दुकान पर पहुंची और उसे घर ले आई. 15-20 मिनट में राजवीर ने बिजली ठीक कर के परमजीत कौर से कहा, ‘‘बेबे, आप के घर के सारे तार गल गए हैं. आप नया तार मंगवा लीजिए, मैं तार बदल दूंगा.’’

‘‘बेटा, तू पैसे ले जा और बाजार से नया तार ला कर बदल दे. मेरे यहां कौन तार लाने जाएगा?’’ परमजीत कौर ने कहा.

‘‘ठीक है बेबे, मैं तार ला कर बदल दूंगा.’’

परमजीत कौर उसे पैसे देने लगीं तो उस ने कहा, ‘‘बेबे,जब तार ला कर बदल दूंगा तब पैसे देना. अभी मैं पैसे नहीं लूंगा.’’ राजवीर परमजीत कौर से बातें करते हुए कनखियों से संदीप कौर को भी ताक रहा था.

राजवीर संदीप कौर को आज पहली बार इस तरह नहीं ताक रहा था. इस के पहले दोनों गांव के एक समारोह में मिले थे, तभी से दोनों एकदूसरे को पसंद करने लगे थे.

राजवीर को देखते ही 17 साल की संदीप कौर के दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं. राजवीर भी अकसर सुबहशाम स्कूल आतेजाते उसे देखता रहता था पर सहेलियों के साथ होने की वजह से वह संदीप से बात नहीं कर पाता था. बिजली खराब होने की वजह से उस दिन वह संदीप कौर के इतना करीब आया था.

राजवीर संदीप कौर के घर कभी बिजली ठीक करने के बहाने तो कभी किसी और बहाने आनेजाने लगा. गांव का होने की वजह से परमजीत कौर ने न कभी बुरा माना और न संदेह किया. क्योंकि राजवीर उम्र में संदीप कौर से बड़ा था. इसी तरह आनेजाने में राजवीर और संदीपकौर के बीच न केवल प्यार का इजहार हो गया, बल्कि एकदूसरे की बांहों में समा कर दोनों अपनी सीमाएं भी लांघ गए, इस का अहसास होने पर जब संदीप कौर उदास हुई तो राजवीर ने उसे आश्वासन देते हुए कहा, ‘‘इस में परेशान होने की क्या बात है, आखिर हम दोनों को शादी तो करनी ही है.’’

संदीप और राजवीर अकसर चोरीछिपे मिलने लगे थे. धीरेधीरे 2 साल का समय बीत गया. इस बीच संदीप कौर ने राजवीर से कई बार कहा कि वह उस से शादी कर ले. इस पर राजवीर उसे समझाते हुए कहता, ‘‘संदीप, शादी कोई बच्चों का खेल नहीं. शादी के बाद जिंदगी गुजारने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है. पहले उस लायक हो जाने दो, उस के बाद शादी कर लेंगे.’’

राजवीर की बातें सुन कर संदीप कौर मन मसोस कर रह जाती. लेकिन अब उस की रातें राजवीर के बिना मुश्किल से कटती थीं, इसलिए वह लगातार उस पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी थी. इधर कुछ दिनों से शादी की बात को ले कर राजवीर से उस का झगड़ा भी होने लगा था. क्योंकि राजवीर शादी के लिए बहाने बना रहा था. अंत में संदीप कौर ने उसे धमकी दे दी कि अगर उस ने 2 दिनों में शादी नहीं की तो वह उसे गांव वालों के सामने बदनाम कर के जहर खा लेगी.

संदीप कौर की इस धमकी से राजवीर बुरी तरह डर गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह संदीप कौर को किस तरह समझाए. 22 दिसंबर, 2016 की सुबह रोज की तरह संदीप कौर स्कूल जाने के लिए घर से निकली जरूर, लेकिन लौट कर नहीं आई.

 

संदीप कौर लौट कर नहीं आई तो उस की मां को चिंता हुई. जालंधर के थाना लांबड़ा का एक गांव है कोहाला. तरसेम सिंह इसी गांव के रहने वाले थे. उन के पास कुछ जमीन थी, उसी की पैदावार से घर का खर्च चलता था. लेकिन इस से वह संतुष्ट नहीं थे. उन के गांव के तमाम लोग विदेशों में रहते थे, इसलिए उन की देखादेखी तरसेम सिंह भी 3 साल पहले सऊदी अरब चले गए थे.

पति के विदेश जाने के बाद परमजीत कौर ने परिवार की जिम्मेदारी संभाल ली थी. उन के परिवार में एक बेटी संदीप कौर और बेटा रमन था. संदीप कौर आठोला के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 11वीं में पढ़ रही थी.

वह सुबह स्कूल जाती थी और शाम साढ़े 4 बजे तक घर लौट आती थी, पर 22 दिसंबर, 2016 को वह शाम 6 बजे तक घर नहीं लौटी तो परमजीत कौर को चिंता हुई. उन्होंने संदीप कौर की सहेलियों के घर जा कर पूछा तो पता चला कि उस दिन तो वह स्कूल गई ही नहीं थी. यह सुन कर परमजीत कौर के पैरों तले से जमीन खिसक गई.

बेटी के लापता होने से परमजीत कौर रोने लगीं. गांव वालों ने उन्हें सांत्वना दी और सभी मिल कर संदीप कौर को रात भर ढूंढते रहे. अगले दिन स्कूल जा कर भी पता किया, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला. परमजीत कौर ने सऊदी अरब फोन कर के पति को भी बेटी के लापता होने के बारे में बता दिया.

जवान लड़की का मामला था, इसलिए सभी घबरा रहे थे. 3 दिनों तक तलाश करने के बाद जब संदीप कौर की कहीं कोई खबर नहीं मिली तो गांव वालों के कहने पर संदीप कौर की गुमशुदगी थाना लांबड़ा में दर्ज करा दी गई.

थानाप्रभारी सुखपाल सिंह को पूछताछ में पता चला कि 22 दिसंबर को संदीप कौर किसी युवक के साथ थी. युवक के बारे में पता करने के लिए थानाप्रभारी ने संदीप कौर की सहेलियों से पूछताछ की, पर कुछ पता नहीं चला. हां, इतनी जानकारी जरूर मिली कि उस का किसी युवक से चक्कर था. लेकिन युवक के बारे में किसी को पता नहीं था.

युवक के बारे में पता करने के लिए सुखपाल सिंह ने मुखबिरों को लगा दिया. इस बीच संदीप कौर को गायब हुए 8 दिन बीत गए थे. संदीप कौर के पिता तरसेम सिंह भी सऊदी अरब से आ गए थे. आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई और किसी मुखबिर से पता चला कि संदीप कौर के गायब होने में गांव के ही राजवीर सिंह का हाथ है.

संदेह के आधार पर पुलिस ने पूछताछ के लिए राजवीर को थाने बुला लिया. उस से संदीप के बारे में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने संदीप कौर के गायब होने का रहस्य उजागर करते हुए जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर सभी हैरान रह गए. उस ने बताया कि संदीप कौर की हत्या कर के उस की लाश को उस ने जमीन में गाड़ दिया है.

3 जनवरी, 2017 को राजवीर को अदालत में पेश कर 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान राजवीर सिंह उर्फ राजा की निशानदेही पर पुलिस ने एसडीएम, ग्राम सरपंच और अन्य लोगों की उपस्थिति में गांव कोहाला के बाहर एक खेत से संदीप कौर की लाश बरामद कर ली. लाश काफी हद तक सड़ चुकी थी.

सुखपाल सिंह ने संदीप कौर के घर वालों से लाश की शिनाख्त करवाने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और गुमशुदगी की जगह हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. राजवीर के बताए अनुसार उसे संदीप कौर की मौत का बहुत दुख था क्योंकि वह उसे सचमुच बहुत प्यार करता था. लेकिन उस ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी कि न चाहते हुए भी उसे उस की हत्या करनी पड़ी.

जिस दिन संदीप कौर ने उसे बदनाम करने और खुद जहर खाने की धमकी दी थी, उस दिन वह काफी डर गया था और रात भर सो नहीं सका. अगले दिन भी वह काफी घबराया हुआ था. वह गांव के बाहर खेतों में घूमता रहा और सोचता रहा कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाए, क्योंकि वह संदीप कौर को हर तरह से समझा कर थक चुका था. वह शादी की अपनी जिद पर अड़ी थी. शायद वह चाहती थी कि सऊदी अरब से पिता के आने से पहले शादी कर हो जाए.

राजवीर ने एक बार फिर संदीप कौर को समझाया कि वह कुछ दिनों रुक जाए लेकिन संदीप कौर रुकने को तैयार नहीं थी. जब वह किसी तरह नहीं मानी तो राजवीर ने उसे गांव से बाहर जाने वाली सड़क पर मिलने को कहा. उस ने कहा कि दोनों घर से भाग कर शादी करेंगे.

अगले दिन 22 दिसंबर, 2016 की सुबह संदीप कौर स्कूल जाने के लिए घर से निकली और राजवीर के पास पहुंच गई. दिन भर राजवीर उसे लांबड़ा में घुमाता रहा. शाम को वह उसे गांव के बाहर एक सुनसान खेत, जिसे उस ने एक दिन पहले देख रखा था, में ले आया. कुछ देर प्यारमोहब्बत की बातें करने के बाद उस ने एक बार फिर संदीप कौर को समझाने की कोशिश की पर वह अपनी जिद पर अड़ी रही.

इस के बाद राजवीर ने इधरउधर देखा. दूरदूर तक उसे कोई नहीं दिखाई दिया तो संदीप कौर के गले में बांहें डाल कर वह जोरों से दबाने लगा. अचानक हुए इस हमले से संदीप कौर की आंखें हैरानी से फटी रह गईं. वह कुछ कर पाती, उस के पहले ही दबाव बढ़ने से कुछ देर तड़प कर उस की मौत हो गई.

कहीं वह जिंदा न रह जाए, यह सोच कर उस ने वहां पड़ी ईंट उठा कर संदीप कौर के सिर पर कई वार किए. जब उसे विश्वास हो गया कि अब वह मर चुकी है तो उसे बाहों में ले कर वह कुछ देर रोता रहा और कहता रहा कि काश उस ने उस की बात मान ली होती.

संदीप कौर की लाश ठिकाने लगाने के लिए राजवीर ने रात में ही खेत में फावड़े से एक गहरा गड्ढा खोदा और लाश को उसी गड्ढे में दबा दिया. फावड़ा वह पहले से खेत में रख आया था. पुलिस ने वह फावड़ा भी बरामद कर लिया था. सारे सबूत जुटा कर पुलिस ने राजवीर सिंह को फिर से 5 जनवरी, 2017 को अदालत में पेश किया, जहां से जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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