24 अप्रैल, 2017 की दोपहर के यही कोई 1 बजे मुंबई से सटे जिला थाणे के उपनगर दिवां मुंब्रा के जय हनुमान गणेशनगर परिसर की वेलफेयर सोसाइटी के मकान नंबर 2 की रहने वाली मृणाल अपने घर की ओर तेजी से चली जा रही थी. उस समय उसे पता नहीं था कि सिरफिरा अतुल सिंह उस का पीछा करता हुआ आ रहा है. मृणाल का मकान काफी घनी आबादी वाली बस्ती में था, जिस से वह काफी सुरक्षित माना जा सकता था. इस के अलावा घर के बाहर लोहे की मजबूत ग्रिल लगी थी, जिस से घर भी काफी सुरक्षित था. मृणाल जैसे ही लोहे की ग्रिल में लगा दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुई, वैसे ही एकदम से अतुल सिंह भी उस के पीछे अंदर दाखिल हो गया.

मृणाल कुछ कर पाती उस के पहले ही उस ने ग्रिल में लगा दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. अचानक अतुल को घर के अदंर देख कर मृणाल घबरा गई. उस की शक्ल देख कर ही उसे उस का इरादा भांपते देर नहीं लगी. सहमी आवाज में उस ने कहा, ‘‘तुम यहां क्यों आए हो?’’

‘‘वही लेने, जो तुम मुझे देना नहीं चाहती. आज मैं फैसला करने आया हूं.’’ अतुल सिंह ने धमकी भरे लहजे में कहा, ‘‘तुम जानती हो कि मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूं. लेकिन तुम्हें तो मेरे प्यार की कोई परवाह नहीं है. खूब सोचसमझ कर बताओ, तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार है या नहीं?’’

मृणाल न जाने कितनी बार उसे मना कर चुकी थी. इसलिए अतुल की धमकी पर ध्यान न देते हुए उसे अपने घर से निकल जाने को कहा. लेकिन अतुल उस के घर से बाहर जाने को तैयार नहीं था. दोनों में जोरजोर से कहासुनी होने लगी. जिसे सुन कर आसपड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए.

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