27 सितंबर की सुबह करीब साढ़े 5 बजे मंदिर के पड़ोस में रहने वाले एक आदमी ने पुजारी लखन दुबे से बताया कि मंदिर के ऊपर जो कमरा है, उस में से धुआं निकल रहा है. कहीं उस में आग तो नहीं लगी है?

मंदिर के ऊपर एक कमरा और एक किचन बना था. वैसे यह कमरा बना तो था पुजारी के रहने के लिए, लेकिन पुजारी लखन दुबे अपने परिवार के साथ गांधीनगर में ही कहीं दूसरी जगह किराए पर रहता था.

मंदिर के ऊपर वाले कमरे में पुजारी का थोड़ाबहुत सामान रखा था. कमरे में जाने का रास्ता मंदिर के मुख्य दरवाजे के पास से था, जिस में अकसर ताला बंद रहता था. उस की चाबी पुजारी के पास रहती थी. पुजारी लखन दुबे को जैसे ही ऊपर के कमरे से धुआं निकलने की जानकारी हुई, वह ताला खोल कर ऊपर जा पहुंचा.

कमरे से सचमुच धुआं निकल रहा था और उस का दरवाजा खुला था. लखन दुबे ने कमरे में झांका तो घबरा कर पीछे आ गया, क्योंकि अंदर एक लाश पड़ी थी. लाश के ऊपर कुछ कपड़े रख कर आग लगा दी गई थी. उसी का धुआं निकल रहा था. लखन दुबे ने 100 नंबर पर फोन कर के इस की सूचना दे दी.

कुछ ही देर में पुलिस कंट्रोल रूम की वैन गांधीनगर के कैलाशनगर स्थित प्राचीन शिव मंदिर पहुंच गई. चूंकि आग कपड़ों में लगी थी, जो पुलिस के पहुंचने तक खुद ही बुझ गई थी. पुलिस कमरे में पहुंची तो वहां एक आदमी की निर्वस्त्र लाश झुलसी पड़ी थी. पुलिस कंट्रोल रूम ने यह जानकारी थाना गांधीनगर पुलिस को दे दी.

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