4 सितंबर की बात है. रात के 11 बजने वाले थे. राजस्थान की सूर्य नगरी कहलाने वाले जोधपुर में लोग दिनभर की भागदौड़ के बाद सोने की तैयारी कर रहे थे. कुछ लोग रात का भोजन कर के टहलने निकल गए थे. कुछ लोग कायलाना सिद्धनाथ की पहाडि़यों के आसपास भी टहल रहे थे.
इसी बीच टहल रहे लोगों ने देखा कि 16-17 साल की एक किशोरी ने पहाडि़यों से नीचे कायलाना झील के पानी में छलांग लगा दी. उम्रदराज लोगों में मानवता जागी. उन्होंने वहां घूम रहे और उधर आ रहे कुछ युवाओं से कहा कि वे झील में कूद कर उस किशोरी की जान बचाने की कोशिश करें. तैरना जानने वाले 3-4 युवकों ने आगे बढ़ कर झील में छलांग लगा दी. किशोरी झील में जीवन और मौत से संघर्ष करते हुए हाथपैर चला रही थी.
उन युवकों ने किशोरी को सकुशल पानी से बाहर निकाल लिया. बाहर आ कर वह चिल्ला कर कहने लगी, ‘‘मुझे झील में कूदने दो, टास्क पूरा करना है. अगर तुम ने मुझे बचा लिया तो मेरी मम्मी मर जाएंगी.’’ वहां मौजूद लोगों ने बालिका को समझाबुझा कर शांत किया.
सूचना मिलने पर राजीव गांधी नगर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. थाने ले जा कर किशोरी से पूछताछ की गई तो पता चला कि वह 17 वर्षीया किशोरी जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में रहने वाले बीएसएफ जवान की बेटी है और 10वीं में पढ़ती है. उस किशोरी के पास एंड्रायड फोन था. पता चला कि पिछले कुछ दिनों से वह मोबाइल पर ब्लू व्हेल गेम खेल रही थी. उस ने इस गेम की सारी स्टेज पार कर ली थीं. किशोरी ने अपने घर वालों को यह गेम खेलने की भनक तक नहीं लगने दी थी. आखिरी टास्क के रूप में उसे 4 सितंबर को पहाड़ी से कूद कर अपनी जान देनी थी.
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आखिरी टास्क को पूरा करने के लिए ही वह 4 सितंबर को दोपहर में परिवार वालों से सहेलियों के साथ बाजार जाने की बात कह कर घर से स्कूटी पर निकली थी. उस ने बाजार से एक चाकू खरीदा और उस से अपने दाहिने हाथ की कलाई पर व्हेल की आकृति उकेर कर ए.एस. लिख दिया. शाम को उस ने अपना मोबाइल रास्ते में फेंक दिया.
उस का यह मोबाइल एक भले आदमी को मिल गया, जिस ने मोबाइल पुलिस को सौंप दिया. रात करीब पौने 11 बजे वह स्कूटी ले कर कायलाना-सिद्धनाथ की पहाडि़यों के पास पहुंच गई. स्कूटी खड़ी कर के वह पहाड़ी पर चढ़ने लगी. रात का घना अंधेरा होने के कारण एक बार वह फिसली भी, लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी. वह फिर पहाड़ी पर चढ़ी और कायलाना झील में कूद गई.
उस की किस्मत अच्छी थी कि लोगों ने उसे देख लिया और बचा लिया. बाद में पुलिस ने किशोरी को उस के मातापिता के हवाले कर दिया. घर जा कर जब दूसरे दिन भी उस के दिमाग से गेम का भूत नहीं उतरा तो उस ने कई तरह की दवाओं की गोलियां खा कर आत्महत्या करने का प्रयास किया.
जब उल्टीसीधी दवाएं खाने से उस की तबीयत बिगड़ गई तो घर वाले उसे कायलाना रोड स्थित एक निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने किशोरी की मानसिक व शारीरिक स्थिति को देखते हुए आईसीयू वार्ड में भर्ती करा दिया. अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान इस किशोरी ने मीडिया से कहा कि कोई बच्चा भूल कर भी इस गेम के चक्कर में ना फंसे, इसे खेलना तो दूर डाउनलोड भी नहीं करें.
कैसे पड़ी चक्कर में
किशोरी ने बताया कि टीवी पर ब्लू व्हेल की खबर देखने के बाद उसे लगा कि यह झूठ होगा, लेकिन जिज्ञासावश उसने मोबाइल में यह गेम डाउनलोड कर लिया. जब उस ने गेम खेलना शुरू किया तो वह पूरी तरह गेम खेलती रही. कई स्टेप पूरे करने के बाद उस की औनलाइन चैट चलती रही. चैट के दौरान उसे मरने के लिए 4 औप्शन दिए गए. ऐसा नहीं करने पर उस की मां की जान को खतरा बताया गया. गेम के चक्कर में उस के दिमाग ने कुछ इस तरह काम करना बंद कर दिया कि वह कुछ समझने के काबिल नहीं रही.
ब्लू व्हेल गेम के इस मामले को गंभीरता से ले कर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ के न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने 6 सितंबर को इसे संज्ञान में लिया. उन्होंने किशोरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बच्चों व उन के अभिभावकों में जागरूकता लाने के लिए स्कूलों में कैंप लगाने के निर्देश जारी किए. वहीं, दूसरी ओर राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान ले कर राज्य के प्रमुख गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी कि इस खेल को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.
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राजस्थान के पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह के निर्देश पर जोधपुर के थाना मंडोर की पुलिस ने उस किशोरी का मोबाइल और लैपटौप जब्त कर लिया. दोनों चीजों को साइबर एक्सपर्ट के पास भेजा गया है, ताकि पता चल सके कि छात्रा ने यह गेम कहां से डाउनलोड किया था. पुलिस ने किशोरी के परिजनों को हिदायत दी है कि वे उस की गतिविधियों पर नजर रखें और कोई भी संदिग्ध बात नजर आने पर पुलिस को सूचना दें. किशोरी को 7 सितंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.
ब्लू व्हेल का एक और शिकार
जोधपुर की इस घटना से पहले 21 अगस्त को जयपुर के करणी विहार का रहने वाला 10वीं का एक 16 साल का छात्र गायब हो गया था. उस के गायब होने की रिपोर्ट जयपुर के करणी विहार पुलिस थाने में दर्ज कराई गई. लापता छात्र की तलाश के दौरान पता चला कि वह औनलाइन ब्लू व्हेल गेम खेलता था.
पूरी दुनिया में कई बच्चों की जान लेने वाले ब्लू व्हेल गेम का पता चलने पर उस छात्र की तलाश के लिए वैशाली नगर एसीपी रामअवतार सोनी के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित की गई. पुलिस ने छात्र के मोबाइल की लोकेशन के आधार पर पता लगाया कि वह जयपुर से मुंबई पहुंच गया है. पुलिस ने 25 अगस्त को उस छात्र को मुंबई के चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर पकड़ कर आखिरी क्षणों में बचा लिया.
गेम का आखिरी चरण पार करने के लिए उस ने बाजार से चाकू खरीद लिया था. टास्क के तहत उसे एक ऊंची इमारत पर चढ़ना था. वह उस इमारत की लोकेशन के लिए मोबाइल पर आने वाले मैसेज के इंतजार में था, तभी जयपुर से गई पुलिस टीम और उस के घर वाले वहां पहुंच गए थे.
पूछताछ में पुलिस को छात्र ने बताया कि उस ने 5-7 दिन पहले मोबाइल के ब्राउजर पर ब्लू व्हेल लिख कर सर्च किया. एक पेज पर जौइन करने का विकल्प दिया गया था. उसे पहला टास्क मिला कि हाथ की नस काट कर फोटो शेयर करो. इस से छात्र डर गया, लेकिन टास्क पूरा करना था. इसलिए उस ने इंटरनेट से ऐसी ही एक फोटो निकाल कर शेयर कर दी. इस के बाद उसे 21 अगस्त को इंदौर जाने का टास्क मिला.
वह उसी दिन जयपुर से टे्रन द्वारा इंदौर पहुंच गया. इंदौर में अगला टास्क मुंबई पहुंच कर चाकू खरीदने का मिला. इस पर उस ने मुंबई पहुंच कर चाकू खरीद लिया. इस के बाद उसे आखिरी चरण में ऊंची इमारत पर जाने का टास्क मिलने वाला था. वह चर्चगेट स्टेशन पर बैठा, इसी मैसेज का इंतजार कर रहा था.
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पुलिस ने बताया कि छात्र के पास 2 मोबाइल और 4 सिम थीं. वह इन्हें बदलबदल कर इस्तेमाल कर रहा था. इस वजह से उस की लोकेशन तलाशने में काफी परेशानियां आईं.
पुलिस की आईटी टीम ने मोबाइल हैंडसेट के आईएमईआई नंबर से उस की लोकेशन का पता लगाया. परिवार वालों के मुताबिक छात्र बहुत सीधा, कम बातें करने और इंटरनेट से दूर रहने वाला था. उस के फेसबुक पेज पर फ्रैंड लिस्ट में परिवार व परिचितों में केवल 4-5 लोग हैं. उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि वह अपना खुद का मोबाइल भी रखता था.
जयपुर के इस बालक और जोधपुर की बालिका को तो आखिरी मौके पर बचा लिया गया, लेकिन दुनिया भर में बच्चों की जान ले रहा सुसाइड गेम ब्लू व्हेल आजकल सब से ज्यादा सुर्खियों में है. भारत में रोजाना कहीं न कहीं से किसी बच्चे या युवा के इस गेम में सुसाइड करने की खबरें आ रही हैं. देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां इस तरह की घटना न हुई हो.
मुंबई भी अछूता नहीं
इस साल जुलाई महीने में ब्लू व्हेल उस समय चर्चा में आया, जब मुंबई के अंधेरी ईस्ट की शेर-ए-पंजाब कालोनी में 14 साल के एक बच्चे मनप्रीत सिंह साहनी ने 7वीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने इस बालक की आत्महत्या के लिए ब्लू व्हेल गेम को दोषी बताया था.
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